अमेरिका के गृह युद्ध में गेट्सीबर्ग, पेन्सिलवेनिया की लड़ाई वह निर्णायक लड़ाई मानी जाती है जिसने युद्ध की दिशा अमेरिका के राष्ट्रवादियों के पक्ष में मोड़ दी थी। उस युद्ध का एक केंद्र बिन्दु था एक चट्टानी क्षेत्र में लड़ा गया युद्ध जहां कर्नल जोशुआ लौरेंस चैम्बरलेन और उनकी सेना २०वीं मेइन इन्फेन्ट्री ने मोर्चा संभाला हुआ था। यदि कॉनफैडेरेट सेना चेम्बरलेन की २०वीं मेइन इन्फेन्ट्री से पार हो पाते तो इतिहासकारों का मानना है कि फिर राष्ट्रवादियों की सेना कॉनफैडरेट सेनाओं से घिर जाती और सम्भवतः फिर वे युद्ध हार जाते। २०वीं मेइन इन्फेन्ट्री उस युद्ध में प्रतिरक्षा की अंतिम पंक्ति साबित हुई जिसने युद्ध को राष्ट्रवादियों के पक्ष में कर दिया।
मसीह यीशु के अनुयायी भी एक महत्वपूर्ण युद्ध में लगे हैं - शैतान और उसकी सेनाओं और युक्तियों के साथ (इफिसियों ६:११)। इस युद्ध में खड़े रहने के लिए हमें हमारे सेनापति परमेश्वर से उसके हथियार बांध लेने का आवाहन है (इफिसियों ६:१०-१८)।
गेट्सीबर्ग के उस युद्ध में मनुष्यों कि एक महान किंतु हार सकने की संभावना रखने वाली सेना प्रतिरक्षा की अंतिम पंक्ति बन कर खड़ी हुई थी, किंतु हमारे इस आत्मिक युद्ध में प्रतिरक्षा की हमारी अंतिम पंक्ति भी वही है जो आरंभिक पंक्ति है। हमारी प्रतिरक्षा ऐसी सामर्थ के द्वारा है सृष्टि में जिसका सामना कर सकने वाली और कोई सामर्थ नहीं है। प्रेरित पौलुस रोमियों ८:३१-३९ में बयान करता है कि हमारा एकमात्र और अडिग सहारा है प्रभु यीशु मसीह का हमारे प्रति प्रेम। यह प्रेम हमारा ऐसा सुरक्षाकवच है कि सृष्टि में ऐसी कोई सामर्थ नहीं है जो "हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३९)।
जब कभी शत्रु अति प्रबल नज़र आए और ऐसा लगे कि अब कुछ नहीं हो सकता, तो प्रत्येक मसीही विश्वासी को स्मरण कर लेना चाहिए कि उसकी सुरक्षा की अंतिम पंक्ति इस सृष्टि का सृजनहार है, समस्त सृष्टि में जिसकी सामर्थ से बढ़कर कोई सामर्थ नहीं है, और हम उसके द्वारा जिस ने "हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं" (रोमियों ८:३७)। - बिल क्राउडर
परमेश्वर की हर योजना विजय ही की योजना है।
परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। - रोमियों ८:३७
बाइबल पाठ: रोमियों ८:३१-३९
Rom 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है
Rom 8:32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Rom 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Rom 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्य, न ऊंचाई,
Rom 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
Rom 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है
Rom 8:32 जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Rom 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
Rom 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
Rom 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्य, न ऊंचाई,
Rom 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण २६-२७
- मरकुस १४:२७-५३
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