जब मैं कॉलेज मे था तो मैंने कॉलेज के एक ऐसे संगीत दल में सम्मिलित होने के लिए परीक्षण दिया जो स्थान स्थान पर जाकर गीत और भजनों द्वारा प्रभु यीशु की सेवकाई और सुसमाचार प्रचार करता था। मैं इस भ्रमण के अवसर को लेकर बहुत उत्साहित था, किंतु जब परीक्षण के परिणाम आए तो मुझे यह जानकर बहुत निराशा हुई कि मुझे उस संगीत दल का भाग होने के लिए चुना नहीं गया। अपनी इस निराशा में मैं केवल इस विश्वास से सांत्वना पा सका कि परमेश्वर के उद्देश्य मेरे उद्देश्यों से बेहतर और बढ़कर हैं।
कुछ महीनों के बाद मुझे एक अन्य संगीत दल में सम्मिलित होने का अवसर मिला, लेकिन मेरी इच्छा से भिन्न भूमिका - एक बाइबल शिक्षक के रूप में। आगे चलकर उस समूह के साथ उस भूमिका में सेवकाई करने के जो परिणाम निकलकर आए वे मेरी कलपना से भी कहीं अधिक उत्तम थे। ना केवल भविष्य में चलकर मेरी पत्नि बनने वाली युवती उस समूह का भाग थी, जिसके साथ प्रभु यीशु की सेवकाई करने के कई अवसर मुझे मिले, वरन अगले तीन वर्षों तक मैं अनेक स्थानों पर प्रचार भी करने पाया, जो मेरे लिए मेरी आने वाले सेवकाई के जीवन की तैयारी करने का एक बहुमूल्य अवसर था।
कई बार हम इस सच्चाई के साथ संघर्ष करते हैं कि परमेश्वर पिता को हमारी आवश्यकताएं सबसे बेहतर पता हैं। हम अकसर यही सोच कर चलते हैं कि जो हम चाहते हैं, जो हमारे विचार हैं वे ही सबसे अच्छे और उचित हैं। लेकिन जब हम परमेश्वर पर भरोसा रख कर सब कुछ उसके हाथों में छोड़ देते हैं, तो उसकी योजनाएं, उसके तरीके हमारे लिए सर्वोत्तम ठहरते हैं और उसकी महिमा के कारण बन जाते हैं। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि ऐसा कहना तब तो सरल होता है जब परिणाम हमारी आशा से बढ़कर अच्छे निकल आएं; परन्तु जब परिणाम सामने ना हों, या कठिनाईयों का समय चल रहा हो, या उस भलाई को देखने के लिए हमें स्वर्ग पहुँचने की प्रतीक्षा करनी पड़े तो यही दृष्टिकोण रख पाना कठिन हो जाता है।
इसीलिए हमें बुद्धिमान राजा सुलेमान की बात सदा स्मरण रखनी चाहिए: "तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा" (नीतिवचन 3:5-6)। - बिल क्राउडर
आज की घटनाओं में निहित परमेश्वर के उद्देश्य शायद कल भी दिखाई ना दें, लेकिन वे होंगे हमारी भलाई ही के लिए।
ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। - नीतिवचन 16:25
बाइबल पाठ: नीतिवचन 3:1-12
Proverbs 3:1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना;
Proverbs 3:2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा।
Proverbs 3:3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना।
Proverbs 3:4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा।
Proverbs 3:5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।
Proverbs 3:6 उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।
Proverbs 3:7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना।
Proverbs 3:8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।
Proverbs 3:9 अपनी संपत्ति के द्वारा और अपनी भूमि की पहिली उपज दे देकर यहोवा की प्रतिष्ठा करना;
Proverbs 3:10 इस प्रकार तेरे खत्ते भरे और पूरे रहेंगे, और तेरे रसकुण्डों से नया दाखमधु उमण्डता रहेगा।
Proverbs 3:11 हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना,
Proverbs 3:12 क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उसको डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 89-90
- रोमियों 14
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