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मंगलवार, 26 जनवरी 2016

प्रतीक्षा का अनुशासन


   प्रतीक्षा करना कठिन होता है। हमें दुकान पर सामान खरिदने के समय, यात्रा में, डॉक्टर से मिलने के लिए, सभी स्थानों पर प्रतीक्षा करनी पड़ती है। ऐसा करते समय हम अपनी ऊँगलियों को चटकाते हैं, उबासी आने से रोकने का प्रयत्न करते हैं और अन्दर ही अन्दर खिसियाते हैं। कभी कभी प्रतीक्षा किसी पत्र की होती है जो पहुँच नहीं रहा होता है, किसी बिगड़ी हुई सन्तान के वापस लौट आने की होती है, जीवन साथी में किसी परिवर्तन की होती है, किसी बच्चे के पैदा होने की होती जिसे हम अपनी बाहों में ले सकें। हमें अपनी मनोकामनाओं के पूरे होने की प्रतीक्षा रहती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 40 में भजनकार दाऊद ने कहा, "मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा..." (भजन 40:1); मूल इब्रानी भाषा में जो शब्द "बाट जोहता रहा" के लिए प्रयोग हुए हैं उनका तात्पर्य होता है कि दाऊद ने "प्रतीक्षा करी, और प्रतीक्षा करी, और भी प्रतीक्षा करी" कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर दे। लेकिन फिर भी जब दाऊद प्रतीक्षा के अपने इस समय का पुनःअवलोकन करता है तो इस लंबे विलंब के लिए परमेश्वर की आराधना करता है कि "...उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है..." (भजन 40:3)।

   सुप्रसिद्ध मसीही प्रचारक और लेखक एफ. बी. मेयर्स ने कहा, "परमेश्वर के विलंब पर कैसा महान अध्याय लिखा जा सकता है। यह ऐसा भेद है जो मानव आत्मा को उसकी क्षमता के चरम बिंदु तक संवार सकता है।" प्रतीक्षा के अनुशासन के द्वारा हम में मृदुल सदगुण विकसित हो सकते हैं, जैसे समर्पण, नम्रता, धैर्य, आनन्द सहित सहनशीलता, भलाई में लगे रहना आदि - ये सब ऐसे सदगुण हैं जिन्हें सीखने और जिनमें बढ़ने में सबसे अधिक समय लगता है।

   जब ऐसा लगे कि परमेश्वर हमारी मनोकामनाओं को पूरा करने, हमारी प्रार्थानों का उत्तर देने में विलंब कर रहा है तो हमें क्या करना चाहिए? परमेश्वर से ही सहायता लें कि वह हमें उससे प्रेम करने, उसपर विश्वास बनाए रखने और उसके विलंब को आनन्द के साथ स्वीकार करने की सामर्थ दे तथा उपरोक्त सदगुणों को हम में विकसित करे; साथ ही दाऊद के समान हमें उसकी आराधना और स्तुति में भी लगे रहना चाहिए। - डेविड रोपर


परमेश्वर के लिए प्रतीक्षा करना कभी भी समय की बर्बादी नहीं है।

यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हां, यहोवा ही की बाट जोहता रह! - भजन 27:14

बाइबल पाठ: भजन 40:1-5
Psalms 40:1 मैं धीरज से यहोवा की बाट जोहता रहा; और उसने मेरी ओर झुककर मेरी दोहाई सुनी। 
Psalms 40:2 उसने मुझे सत्यानाश के गड़हे और दलदल की कीच में से उबारा, और मुझ को चट्टान पर खड़ा कर के मेरे पैरों को दृढ़ किया है। 
Psalms 40:3 और उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है। बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे।
Psalms 40:4 क्या ही धन्य है वह पुरूष, जो यहोवा पर भरोसा करता है, और अभिमानियों और मिथ्या की ओर मुड़ने वालों की ओर मुंह न फेरता हो। 
Psalms 40:5 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17


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