मुझे प्रकृति को निहारना और प्रकृति के सृष्टिकर्ता की आराधना करना अच्छा लगता है, लेकिन कभी-कभी मैं अपने आप को प्रकृति में अत्याधिक रुचि दिखाने की दोषी महसूस करती हूँ। मुझे लगता है कि प्रकृति में मेरी रुचि और उसे निहारना कहीं अनुचित तो नहीं है? फिर मुझे स्मरण हो आता है कि हमारे प्रभु यीशु और उसके अनुयायियों ने प्रकृति का उपयोग शिक्षा देने के लिए किया है। उदाहरणस्वरूप, लोगों को अपनी आवश्यकताओं के लिए चिंतित होने की बजाए परमेश्वर पर भरोसा रखना सिखाने के लिए प्रभु यीशु ने साधारण से जंगली सोसन के फूलों का उपयोग किया। प्रभु ने अपने चेलों से कहा, "जंगली सोसनों पर ध्यान करो" और उन्हें स्मरण करवाया कि ये फूल कोई भी परिश्रम नहीं करते, फिर भी उनकी सुन्दरता देखते ही बनती है। प्रभु ने निष्कर्ष दिया कि यदि परमेश्वर थोड़े ही समय रहने वाले उन जंगली फूलों का इतना ध्यान रखता है, उन्हें वैभव देता है, तो अवश्य ही वह हमारे लिए इससे कहीं बढ़कर क्यों ना करेगा? (मत्ती 6:28-34)
परमेश्वर के वचन बाइबल के अन्य भाग भी हमें सिखाते हैं कि परमेश्वर अपनी सृष्टि में होकर भी अपने आप को हम मनुष्यों पर प्रकट करता है:
- दाऊद ने लिखा, "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है" (भजन 19:1-2)।
- आसाप ने कहा, "और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है" (भजन 50:6)।
- पौलुस ने बताया, "क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं" (रोमियों 1:20)।
परमेश्वर हम से इतना प्रेम करता है, और इतना चाहता है कि हम उसे जानें, कि जहाँ-जहाँ हमारी दृष्टि जा सकती है, वहाँ-वहाँ सृष्टि में उसने अपने बारे में प्रमाण रख दिए हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक
परमेश्वर की सृष्टि और प्रकृति उसके बारे में अनेक पाठ हमें पढ़ाती है।
हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है। - भजन 104:24
बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
Matthew 6:28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
एक साल में बाइबल:
- गिनती 17-19
- मरकुस 6:30-56
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें