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शनिवार, 12 मार्च 2016

अनोखी तथा अनूठी


   परमेश्वर के वचन बाइबल का स्वर्णिम नियम - जैसा आप चाहते हैं कि आप के साथ हो, आप भी वैसा ही दुसरों के साथ करें, अन्य कई धर्मों में भी पाया जाता है। तो फिर प्रभु यीशु द्वारा कही गई इस बात में क्या अनोखा या अनूठा है?

   यह अनोखा या अनूठापन है प्रभु यीशु द्वारा प्रयुक्त "इस कारण" में; जो हमारे प्रति परमेश्वर पिता द्वारा दिखाए गए प्रेम और उदारता को इस नियम के निभाने के साथ जोड़ता है। प्रभु यीशु ने कहा: "इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है" (मत्ती 7:12)।

   हम में से कोई भी ऐसा नहीं है जो उस सत्य को पूरी तरह से निभाता है जिसे वह भली-भांति जानता है: हम औरों से वैसा प्रेम नहीं करते जैसा परमेश्वर ने हम से किया है; जिस प्रेम को प्रभु यीशु ने अपने जीवन से, और हमें पापों से मुक्ति का मार्ग प्रदान करने के लिए अपने बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा प्रमाणित तथा प्रदर्शित किया है।

   हमारे प्रेमी और उदार स्वर्गीय परमेश्वर पिता ने हमारे प्रति अपने प्रेम की परिपूर्णता प्रभु यीशु में होकर प्रगट की है; और अब वह चाहता है कि प्रभु यीशु पर विश्वास लाने और पापों की क्षमा प्राप्त करने वाले उसके सभी बच्चे अपने पिता के इस प्रेमी और उदार स्वभाव को अपने जीवनों से दिखाएं - वे भी औरों से वैसा ही प्रेम रखें जैसा वे चाहते हैं कि और लोग उन से करें। क्योंकि परमेश्वर ने हम से पहले होकर प्रेम किया, इसलिए हमें भी औरों के प्रति पहले होकर प्रेम दिखाना है (1 यूहन्ना 4:19-21)।

   हमारा परमेश्वर पिता चाहता है कि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करें, परन्तु ऐसा करने के लिए आज्ञा देकर वह हमें अपनी ही युक्तियों एवं साधनों पर नहीं छोड़ देता, वरन उस आज्ञापालन के लिए योग्य सामर्थ तथा मार्गदर्शन भी देता है - और मसीही विश्वास की यह बात, परमेश्वर के साथ पिता और सन्तान का रिश्ता तथा परमेश्वर पिता से उसकी आज्ञाकारिता में रहने के लिए लगातार मिलती रहने वाला सामर्थ तथा मार्गदर्शन एक ऐसी अनोखी तथा अनूठी बात है जो अन्य किसी भी धर्म में नहीं पाई जाती। हमारा परमेश्वर पिता हमारी सहायता के लिए सदैव तत्पर और तैयार रहता है, हमें बस उसे पुकारने भर की देर है। - डेविड रोपर


बाइबल के स्वर्णिम नियम को केवल स्मरण ही ना रखें, उसे जीवन में लागू भी करें।

हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया। यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिस उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता। और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे। 1 यूहन्ना 4:19-21

बाइबल पाठ: मत्ती 7:1-12
Matthew 7:1 दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। 
Matthew 7:2 क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा। 
Matthew 7:3 तू क्यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है, और अपनी आंख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता?
Matthew 7:4 और जब तेरी ही आंख मे लट्ठा है, तो तू अपने भाई से क्योंकर कह सकता है, कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं। 
Matthew 7:5 हे कपटी, पहले अपनी आंख में से लट्ठा निकाल ले, तब तू अपने भाई की आंख का तिनका भली भांति देखकर निकाल सकेगा।
Matthew 7:6 पवित्र वस्तु कुत्तों को न दो, और अपने मोती सूअरों के आगे मत डालो; ऐसा न हो कि वे उन्हें पांवों तले रौंदें और पलट कर तुम को फाड़ डालें।
Matthew 7:7 मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा। 
Matthew 7:8 क्योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा। 
Matthew 7:9 तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे? 
Matthew 7:10 वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे? 
Matthew 7:11 सो जब तुम बुरे हो कर, अपने बच्‍चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा? 
Matthew 7:12 इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20


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