ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

ध्यान


   जब भी मैं घर को किसी विशेष अवसर के लिए साफ़ कर रही होती हूँ, मेरे मन में यह निराशाजनक विचार आता है कि आने वाले मेहमान जो साफ़ किया गया है उसपर ध्यान करने के स्थान अपर उस पर ध्यान करेंगे जो साफ़ नहीं हुआ है। यह विचार एक अन्य और बड़े दार्शनिक तथा आत्मिक महत्व के प्रश्न को सामने लाता है: हम मनुष्य क्यों वही पहले देखते हैं और उसके प्रति प्रतिक्रया देते हैं, जो गलत है? हमारा ध्यान सही और अच्छे पर पहले क्यों नहीं जाता है? क्यों हम कटुता और अनादर को दयालुता और प्रेम से अधिक स्मरण रखते हैं? क्यों भलाई के कार्यों के स्थान पर अपराधों को अधिक ध्यान और चर्चा मिलाती है? क्यों हमारे चारों ओर बिखरी अद्भुत सुंदरता और विलक्षणता पर हमारा ध्यान उतना नहीं जाता है जितना किसी दुर्घटन या विपदा की ओर जाता है?

   साथ ही मुझे यह एहसास भी होता है कि परमेश्वर के प्रति भी मैं यही रवैया रखती हूँ। मेरा ध्यान उस पर अधिक जाता है जो परमेश्वर ने नहीं किया है; जो मेरे पास नहीं है; जिन परिस्थितियों का उसने समाधान नहीं किया है, उसके स्थान पर जो परमेश्वर ने कर दिया है; जो मुझे दे दिया है; जो परिस्थितयाँ उसने मेरे लिए सुलझा दी हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम अय्यूब के बारे में पढ़ते हैं, और देखते हैं कि हमारा यह रवैया परमेश्वर को भी अप्रसन्न करता है। लंबे समय से संपन्नता और हर भली वस्तु की बहुतायत का सुख भोगने के बाद, अचानक ही अय्यूब पर एक के बाद एक त्रासदी आतीं हैं। ऐसा होते ही, वे त्रासदियाँ ही उसके जीवन, वार्तालाप, ध्यान का केन्द्र बन जाती हैं। अन्ततः परमेश्वर हस्तक्षेप करके उससे कुछ कठिन प्रश्न पूछता है और उन प्रश्नों के द्वारा अय्यूब का ध्यान परमेश्वर की सामर्थ्य और सार्वभौमिकता की ओर, तथा उन बातों की ओर ले जाता है जिन्हें अय्यूब न जानता था और न ही जिनको कभी उसने देखा था (अय्यूब 38-40)।

   जब भी मैं किसी नकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करने लगती हूँ, मेरा प्रयास होता है कि मैं थोड़ा थम कर अय्यूब के जीवन एवँ अनुभवों पर ध्यान करूँ, और अपना ध्यान परमेश्वर द्वारा किए गए उन अद्भुत कार्यों पर ले जाऊं जो वह मेरे लिए करता आया है और करता रहेगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सब भली बातों का ध्यान करते रहें, और परमेश्वर के धन्यवादी बने रहें।

केवल इतना हो कि तुम लोग यहोवा का भय मानो, और सच्चाई से अपने सम्पूर्ण मान के साथ उसकी उपासना करो; क्योंकि यह तो सोचो कि उसने तुम्हारे लिये कैसे बड़े बड़े काम किए हैं। - 1 शमूएल 12:24

बाइबल पाठ: अय्यूब 40:1-14
Job 40:1 फिर यहोवा ने अय्यूब से यह भी कहा:
Job 40:2 क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्तिमान से झगड़ा करे? जो ईश्वर से विवाद करता है वह इसका उत्तर दे।
Job 40:3 तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया:
Job 40:4 देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूं? मैं अपनी अंगुली दांत तले दबाता हूँ।
Job 40:5 एक बार तो मैं कह चुका, परन्तु और कुछ न कहूंगा: हां दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूंगा।
Job 40:6 तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यह उत्तर दिया:
Job 40:7 पुरुष के समान अपनी कमर बान्ध ले, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता।
Job 40:8 क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा?
Job 40:9 क्या तेरा बाहुबल ईश्वर के तुल्य है? क्या तू उसके समान शब्द से गरज सकता है?
Job 40:10 अब अपने को महिमा और प्रताप से संवार और ऐश्वर्य्य और तेज के वस्त्र पहिन ले।
Job 40:11 अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे, और एक एक घमण्डी को देखते ही उसे नीचा कर।
Job 40:12 हर एक घमण्डी को देख कर झुका दे, और दुष्ट लोगों को जहां खड़े हों वहां से गिरा दे।
Job 40:13 उन को एक संग मिट्टी में मिला दे, और उस गुप्त स्थान में उनके मुंह बान्ध दे।
Job 40:14 तब मैं भी तेरे विषय में मान लूंगा, कि तेरा ही दहिना हाथ तेरा उद्धार कर सकता है।


एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 17-19
  • मरकुस 6:30-56



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें