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शनिवार, 17 मार्च 2018

प्रसन्न



   एक पत्रकार की विचित्र सी आदत थी – वह नीले रंग में लिखने वाला पेन पसन्द नहीं करता था। इसलिए जब उसके एक साथी ने उससे पूछा कि उसे स्टोर से कुछ चाहिए तो नहीं, तो उसने कहा “मेरे लिए कुछ पेन ले आना, परन्तु नीले पेन नहीं। मुझे नीला पसन्द नहीं है; नीला बहुत गहरा होता है। इसलिए कृपया मेरे लिए 12 बौल्पोइंट पेन खरीद लेना- किसी भी रंग के, बस नीले न हों” अगले दिन उसके साथी ने उसे पेन पकड़ा दिए – और वे सभी नीले रंग में लिखने वाले थे! जब उसने अपने साथी से इसका स्पष्टिकरण माँगा, तो उसके साथी ने उत्तर दिया, “तुम बार-बार ‘नीला-नीला’ कहते रहे, और मेरे मन में यह नीला शब्द ही बैठ गया, और मैं नीले पेन ही ले आया।” उस पत्रकार के बात को दोहराने का प्रभाव तो हुआ, किन्तु जो वह चाहता था, उससे विपरीत।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में व्यवस्था के देने वाले, मूसा ने भी अपने लोगों को व्यवस्था के विषय समझाने के लिए, दोहराने का उपयोग किया। उसने 30 से भी अधिक बार लोगों से आग्रह किया कि वे अपने परमेश्वर की व्यवस्था के प्रति खरे बने रहें। परन्तु परिणाम फिर भी, जो उसने उन से माँगा था, उसके विपरीत ही था। मूसा ने उन्हें समझाया था कि आज्ञाकारिता से परमेश्वर प्रसन्न होगा, जो उन्हें जीवन और समृद्धि की ओर ले जाएगा, परन्तु अनाज्ञाकारिता से परमेश्वर अप्रसन्न होगा जिससे वे विनाश की ओर जाएँगे (व्यवस्थाविवरण 30:15-18)।

   यदि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं, तो हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलने का प्रयास भी करते हैं, इसलिए नहीं क्योंकि हमें परिणामों का भय होता है, वरन इसलिए क्योंकि हम उसे प्रसन्न करना चाहते हैं जिससे हम प्रेम करते हैं, और ऐसा करने से हमें प्रसन्नता मिलती है। परमेश्वर को प्रसन्न करना, स्मरण रखने के लिए अच्छी बात है। - पो फैंग चिया


परमेश्वर से प्रेम, आपको परमेश्वर के लिए जीवन व्यतीत करने को प्रेरित करेगा।

उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। - मत्ती 22:37-38

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 30:11-20
Deuteronomy 30:11 देखो, यह जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, वह न तो तेरे लिये अनोखी, और न दूर है।
Deuteronomy 30:12 और न तो यह आकाश में है, कि तू कहे, कि कौन हमारे लिये आकाश में चढ़कर उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें?
Deuteronomy 30:13 और न यह समुद्र पार है, कि तू कहे, कौन हमारे लिये समुद्र पार जाए, और उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें?
Deuteronomy 30:14 परन्तु यह वचन तेरे बहुत निकट, वरन तेरे मुंह और मन ही में है ताकि तू इस पर चले।
Deuteronomy 30:15 सुन, आज मैं ने तुझ को जीवन और मरण, हानि और लाभ दिखाया है।
Deuteronomy 30:16 क्योंकि मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं, कि अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना, और उसके मार्गों पर चलना, और उसकी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को मानना, जिस से तू जीवित रहे, और बढ़ता जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में जिसका अधिकारी होने को तू जा रहा है, तुझे आशीष दे।
Deuteronomy 30:17 परन्तु यदि तेरा मन भटक जाए, और तू न सुने, और भटककर पराए देवताओं को दण्डवत करे और उनकी उपासना करने लगे,
Deuteronomy 30:18 तो मैं तुम्हें आज यह चितौनी दिए देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे; और जिस देश का अधिकारी होने के लिये तू यरदन पार जा रहा है, उस देश में तुम बहुत दिनों के लिये रहने न पाओगे।
Deuteronomy 30:19 मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें;
Deuteronomy 30:20 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानों, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घ जीवन यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू बसा रहेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 30-31
  • मरकुस 15:1-25



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