जून
2015 में पैरिस शहर के अधिकारियों ने पदयात्रियों के प्रयोग के लिए बने पुल पोंट-डे-आर्ट्स
के किनारों की सांकलों पर से पैंतालीस टन वजन के ताले हटाए। प्रेमी जोड़े, अपने
प्रेम भाव के प्रदर्शन के तौर पर तालों पर अपने नाम खरोंच कर उसे पुल की सांकलों
पर लगा देते हैं और चाबी को नीचे बह रही सीएन नदी में फेंक देते हैं। हज़ारों बार इस
परंपरा के निर्वाह के कारण वह पुल उस “प्रेम” के भार से इतना बोझिल हो गया कि
अधिकारियों को उसके बने रहने पर शंका होने लगी, और उन्हें वे “प्रेम के बंधन” वहाँ
से हटाने पड़े।
उन
तालों का उद्देश्य चिर-स्थाई प्रेम को व्यक्त करना था, परन्तु मानवीय प्रेम सदा ही
बना नहीं रहता है। अंतरंग मित्रों में परस्पर मतभेद हो जाते हैं, संभव है कि जिन्हें
वे कभी नहीं सुलझाएं। परिवार के सदस्यों में वाद-विवाद हो जाते हैं और वे एक दूसरे
को कभी क्षमा न करें। एक पति और पत्नि एक-दूसरे से अलग होकर अपने अपने रास्तों पर इतनी
दूर चले जा सकते हैं कि उन्हें स्मरण ही न आए कि उन्होंने विवाह किया ही क्यों था।
मानवीय प्रेम अस्थिर हो सकता है।
परन्तु
एक स्थिर और सदा बने रहने वाला प्रेम है –
परमेश्वर का प्रेम। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने भजन 106:1 में कहा है “याह
की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला
है; और उसकी करूणा सदा की है!”
समस्त पवित्र शास्त्र के प्रत्येक भाग में परमेश्वर के कभी न बदलने वाले और अटल
प्रेम की प्रतिज्ञाएँ विद्यमान हैं। उसके इस प्रेम का सबसे महान प्रमाण है
परमेश्वर द्वारा अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह का बलिदान देना ताकि जो कोई उसपर विश्वास
करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाए। साथ ही उसकी यह भी प्रतिज्ञा है कि ऐसी
कोई भी बात, कोई भी वस्तु नहीं है जो हमें उसके प्रेम से अलग कर सके (रोमियों
8:38-39)।
हम
मसीही विश्वासी परमेश्वर के साथ उसके प्रेम के बंधन में सदा के लिए बन्ध गए हैं। -
सिंडी हैस कैस्पर
मसीह यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान मेरे
लिए परमेश्वर के प्रेम का माप हैं।
क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा
कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर
विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु
अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16
बाइबल पाठ: रोमियों 8: 29-39
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से
जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि
वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से
ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें
बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और
जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में
क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो
हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न
रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ
हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष
कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा
देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा,
और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये
निवेदन भी करता है।
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से
अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट,
या उपद्रव, या अकाल, या
नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध
होने वाली भेंडों के समान गिने गए हैं।
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम
उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर
हैं।
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं,
कि न मृत्यु, न जीवन, न
स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान,
न भविष्य, न सामर्थ्य, न
ऊंचाई,
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि,
हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु
मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल:
- ज़कर्याह 5-8
- प्रकाशितवाक्य 19
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