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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

आग्रह



      यह ईर्ष्या करने योग्य वृक्ष था। वह नदी के किनारे उगा हुआ था, उसे मौसम, झुलसा देने वाली गर्मी, या अनिश्चित भविष्य के विषय चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। नदी के द्वारा उसे पोषण और ठंडक मिलती थी, वह अपने दिन को सूर्य की ओर अपनी टहनियों को फैलाए हुई बिताता था, अपनी जड़ों से धरती को थामे रहता था, अपने पत्तों द्वारा हवा को स्वच्छ करता रहता था, और जिसे भी छाया की आवश्यकता होती थी उसका अपनी छाया में स्वागत करता था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में इसकी तुलना में यिर्मयाह नबी ने एक झाड़ी के बारे में लिखा (यिर्मयाह 17:6)। जब वर्षा समाप्त हो जाती और सूर्य की गर्मी धरती को सुखा कर धूल उड़ाने लगते, तो वह झाड़ी भी मुरझा जाती, उससे कभी किसी को न तो छाया और न ही फल प्राप्त होता था।

      नबी एक फलते-फूलते वृक्ष की एक मुरझाने वाली झाड़ी से तुलना क्यों करेगा? वह परमेश्वर की ओर से अपने लोगों को स्मरण करवा रहा था कि उनके मिस्र की गुलामी से निकलने के बाद से क्या हो गया था। चालीस वर्ष की जंगल की यात्रा में वे नदी के किनारे लगाए गए वृक्ष के समान रहे थे (2:4-6)। परन्तु प्रतिज्ञा किए हुए देश में आ जाने के पश्चात, अपनी समृद्धि और सुख-शान्ति में वे अपनी ही कहानी भूल बैठे थे; वे परमेश्वर की बजाए अपने आप और अपने ही बनाए हुए देवताओं पर निर्भर होने लग गए थे (पद 7-8), यहाँ तक कि सहायता के लिए वापस मिस्र को जाने को भी तियार थे (42:14)।

      इसलिए परमेश्वर ने यिर्मयाह के द्वारा इस्राएल के अपने लोगों से आग्रह किया कि वे उसी पर भरोसा बनाए रखें, और उस वृक्ष के समान बनें; न कि उस झाड़ी के समान। - मार्ट डीहान


हम अपने अच्छे दिनों में, परेशानियों के दिनों में सीखे गए पाठों को स्मरण रखें।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 17:5-10
Jeremiah 17:5 यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।
Jeremiah 17:6 वह निर्जल देश के अधमूए पेड़ के समान होगा और कभी भलाई न देखेगा। वह निर्जल और निर्जन तथा लोनछाई भूमि पर बसेगा।
Jeremiah 17:7 धन्य है वह पुरुष जो यहोवा पर भरोसा रखता है, जिसने परमेश्वर को अपना आधार माना हो।
Jeremiah 17:8 वह उस वृक्ष के समान होगा जो नदी के तीर पर लगा हो और उसकी जड़ जल के पास फैली हो; जब घाम होगा तब उसको न लगेगा, उसके पत्ते हरे रहेंगे, और सूखे वर्ष में भी उनके विषय में कुछ चिन्ता न होगी, क्योंकि वह तब भी फलता रहेगा।
Jeremiah 17:9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?
Jeremiah 17:10 मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2



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