ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 12 जून 2019

व्यर्थ



      तीन साल से शारीरिक अक्षमताओं और सदा बने रहने वाले दर्द से जूझते रहने के कारण निराशा और अवसाद से संघर्ष करते हुए मैंने अपनी एक सहेली से कहा, “मेरा शरीर बिखर रहा है, मुझे लगता है कि मेरे पास परमेश्वर को अर्पित करने या किसी अन्य को देने के लिए अब कुछ शेष नहीं रहा है।” उसने अपने हाथ मुझपर रखे और कहा, “क्या तुम यह कह रही हो कि जब मैं मुस्कुराहट के साथ तुम्हारा अभिनन्दन करती हूँ, या तुम्हारी बात को सुनती हूँ तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है? क्या तुम यह कहोगी कि मेरा तुम्हारे लिए प्रार्थना करना या तुम्हें सांत्वना के शब्द बोलना सब व्यर्थ है?”

      मैंने अपनी आरामकुर्सी में धंसते हुए उसे उत्तर दिया, “नहीं! ऐसा कदापि नहीं है।

      फिर उसने भौंहें चढ़ाकर कहा, “तो फिर तुम अपने आप से ये झूठ क्यों बोल रही हो? तुम भी तो यह सब मेरे और अपने अन्य मित्रों के लिए करती हो!”

      मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि उसने मुझे स्मरण दिलाया कि हम उसके लिए जो कुछ भी करते हैं, वह व्यर्थ कतई नहीं होता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में 1 कुरिन्थियों 15 में प्रेरित पौलुस हमें आश्वस्त करता है कि हमारे शरीर वर्तमान में दुर्बल हो सकते हैं, परन्तु हम “सामर्थ्य के साथ जी उठेंगे” (पद 43)। क्योंकि परमेश्वर का यह वायदा है कि हम मसीह यीशु में जी उठेंगे, इसलिए हम उस पर भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी प्रत्येक भेंट, वह चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, उसके लिए किया गया हमारा प्रत्येक प्रयास, वह चाहे छोटा ही क्यों न हो, को महत्व देगा और उसे अपने राज्य के लिए प्रयोग करेगा (पद 58)।

      चाहे हम शारीरिक दुर्बलता को क्यों न झेल रहे हों, हमारी उस परिक्षा की स्थिति में भी दी गई एक मुस्कराहट, प्रोत्साहन का एक शब्द, एक प्रार्थना, या हमारे विश्वास का एक प्रगटीकरण प्रभु की देह, उसकी कलीसिया के विभिन्न और विविध सदस्यों के जीवनों में उपयोगी और महत्वपूर्ण हो सकता है। जब हम प्रभु की सेवा करते हैं तो हमारा कोई भी कार्य, प्रेम की कोई भी अभिव्यक्ति, कभी व्यर्थ नहीं होते हैं, सब का महत्व और उपयोग है। - जोशील डिक्सन


जो भी आपके पास है, उससे जो कुछ भी संभव है वह करें, और परिणाम परमेश्वर पर छोड़ दें।

जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। - यूहन्ना 9:4

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:42-58
1 Corinthians 15:42 मुर्दों का जी उठना भी ऐसा ही है। शरीर नाशमान दशा में बोया जाता है, और अविनाशी रूप में जी उठता है।
1 Corinthians 15:43 वह अनादर के साथ बोया जाता है, और तेज के साथ जी उठता है; निर्बलता के साथ बोया जाता है; और सामर्थ के साथ जी उठता है।
1 Corinthians 15:44 स्‍वाभाविक देह बोई जाती है, और आत्मिक देह जी उठती है: जब कि स्‍वाभाविक देह है, तो आत्मिक देह भी है।
1 Corinthians 15:45 ऐसा ही लिखा भी है, कि प्रथम मनुष्य, अर्थात आदम, जीवित प्राणी बना और अन्‍तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना।
1 Corinthians 15:46 परन्तु पहिले आत्मिक न था, पर स्‍वाभाविक था, इस के बाद आत्मिक हुआ।
1 Corinthians 15:47 प्रथम मनुष्य धरती से अर्थात मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्‍वर्गीय है।
1 Corinthians 15:48 जैसा वह मिट्टी का था वैसे ही और मिट्टी के हैं; और जैसा वह स्‍वर्गीय है, वैसे ही और भी स्‍वर्गीय हैं।
1 Corinthians 15:49 और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्‍वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे।
1 Corinthians 15:50 हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है।
1 Corinthians 15:51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।
1 Corinthians 15:54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
1 Corinthians 15:55 हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?
1 Corinthians 15:56 हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है।
1 Corinthians 15:57 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है।
1 Corinthians 15:58 सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।

एक साल में बाइबल:  
  • एज्रा 3-5
  • यूहन्ना 20



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें