कभी-कभी
कुछ दिन ऐसे होते हैं जिनमें एक विषय से संबंधित बातें होती चली जाती हैं। हाल ही
में मैंने एक ऐसे ही दिन का अनुभव किया। हमारे पास्टर ने उत्पत्ति 1 अध्याय पर
अपने सन्देश का आरंभ फूलों को खिलते हुए दिखाने वाली विस्मयकारी फोटोग्राफी को
दिखाने के साथ किया। फिर जब मैं घर पर सोशल मीडिया पर आए संदेशों को देख रही थी तो
उन संदेशों में बहुतेरे फूलों से संबंधित थे। बाद में जब मैं टहलने के लिए जंगल की
ओर निकली तो वहाँ अनगिनित, अनेकों प्रकार के फूल खिले हुए थे और उनकी छटा देखते ही
बनती थी।
परमेश्वर
ने भूमि, फूल और अनेकों प्रकार की वनस्पति को सृष्टि के तीसरे दिन बनाया, और उस
दिन में दो बार उसने अपनी रचना को “अच्छा” कहा (उत्पत्ति 1:10, 12)। सृष्टि की रचना
के वृतान्त में केवल एक अन्य दिन – छठे दिन में, परमेश्वर ने “अच्छा” दो बार कहा
(पद 25, 31)। उस छठे दिन, जब परमेश्वर ने मनुष्य को, जो उसकी सबसे उत्कृष्ठ रचना है,
सृजा तो उसके बाद उसने अपनी बनाई समस्त सृष्टि को देखा कि “वह बहुत ही अच्छी है।”
सृष्टि
की रचना के वृतान्त में, हम सृष्टिकर्ता परमेश्वर को देखते हैं जो अपनी सृष्टि से
आनन्दित होता है – और सृष्टि करने के कार्य में आनन्दित होता है। अन्यथा इतनी
अद्भुत रंगीनी और विविधता वाले सँसार को क्यों बनाया गया? उसने अपने सर्वोत्तम कार्य
को अन्त के लिए रख छोड़ा, जब उसने मनुष्य की रचना अपने स्वरूप में की (पद 27)। परमेश्वर
के स्वरूप में होने के नाते हम उसकी सुन्दर हस्तकला द्वारा आशीषित और प्रेरित हैं।
- एलीसन कीडा
समस्त सृष्टि पर परमेश्वर की छाप विद्यमान
है।
आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है;
और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन19:1
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:24-31
Genesis 1:24 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी, अर्थात घरेलू
पशु, और रेंगने वाले जन्तु, और पृथ्वी
के वनपशु, जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:25 सो परमेश्वर ने पृथ्वी के
जाति जाति के वन पशुओं को, और जाति जाति के घरेलू पशुओं को,
और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगने वाले जन्तुओं को बनाया: और
परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों,
और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को
अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार
परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने
मनुष्यों की सृष्टि की।
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष
दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी
में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों,
और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा,
सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी
पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के
लिये हैं:
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु,
और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले
जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया
था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन
हो गया।
एक साल में बाइबल:
- अय्यूब 5-7
- प्रेरितों 8:1-25
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