मैं
कंप्यूटर पर बैठी कार्य कर रही थी, और मुझे एक ईमेल मिलने का संकेत सुनाई दिया।
सामान्यतः मैं प्रत्येक ईमेल को तुरंत ही देखने का प्रयास नहीं करती हूँ, परन्तु
उस ईमेल का विषय, “तुम आशीष हो” बहुत लुभावना था, इसलिए मैंने उसे खोल कर पढ़ा। वह
ईमेल मेरी एक सहेली का था जो बहुत दूर रहती थी, और वह मुझे बता रही थी कि वह मेरे
परिवार के लिए प्रार्थना कर रही थी। मेरी उस सहेली ने अपने रसोई की मेज़ पर एक
‘आशीष का कटोरा’ रखा हुआ है, जिसमें हर सप्ताह वह अपने किसी एक प्रीय जन की फोटो
रखती है और उसके परिवार के लिए प्रार्थना करती रहती है। उसने मुझे लिखा, “मैं
जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर
का धन्यवाद करता हूं” (फिलिप्पियों 1:3), और फिर हमारे
द्वारा साथ मिलकर किए गए परमेश्वर के प्रेम को औरों के साथ बाँटने के प्रयासों को
स्मरण किया और उनकी सराहना की – सुसमाचार प्रचार में हमारी सहभागिता की।
मेरी
सहेली के इस सुविचारित कार्य के द्वारा मेरे ईमेल के इनबॉक्स में परमेश्वर के वचन
बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा कहे गए शब्द आ गए, और मुझे उनसे वैसा ही आनन्द
प्राप्त हुआ, जैसा मुझे लगता है उस प्रथम-शताब्दी की मसीही मण्डली को हुआ होगा
जिन्हें पौलुस ने यह धन्यवाद के शब्द लिखे थे। ऐसा लगता है कि पौलुस के साथ जो लोग
कार्य करते थे, उन्हें पौलुस धन्यवाद अवश्य कहता था, यह करना उसकी आदत थी। उसकी कई
पत्रियों की आरंभिक पंक्ति धन्यवाद के शब्द होते हैं, जैसे कि, “पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है” (रोमियों 1:8)।
प्रथम
शताब्दी में, पौलुस ने अपने सहकर्मियों को प्रार्थना सहित कहे गए धन्यवाद के
शब्दों के द्वारा आशीष दी। इक्कीसवीं शताब्दी में मेरी सहेली ने अपने ‘आशीष के
कटोरे’ का प्रयोग मेरे दिन को आनन्दमय बनाने के लिए किया। आज हम हमारे साथ
परमेश्वर के लिए कार्यरत लोगों के प्रति धन्यवाद व्यक्त कैसे कर सकते हैं, उन्हें
प्रोत्साहित और आनन्दित कर सकते हैं? – एलिसा मौर्गन
आज आप किसे धन्यवाद कह सकते हैं?
हे भाइयो, तुम्हारे विषय
में हमें हर समय परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, और यह उचित
भी है इसलिये कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और
तुम सब का प्रेम आपस में बहुत ही होता जाता है। - 2 थिस्सलुनीकियों 1:3
बाइबल पाठ: रोमियों 1:1-10
Romans 1:1 पौलुस की ओर से जो यीशु मसीह का
दास है, और प्रेरित होने के लिये बुलाया गया, और परमेश्वर के उस सुसमाचार के लिये अलग किया गया है।
Romans 1:2 जिस की उसने पहिले ही से अपने
भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा पवित्र शास्त्र में।
Romans 1:3 अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु
मसीह के विषय में प्रतिज्ञा की थी, जो शरीर के भाव से तो
दाउद के वंश से उत्पन्न हुआ।
Romans 1:4 और पवित्रता की आत्मा के भाव से
मरे हुओं में से जी उठने के कारण सामर्थ के साथ परमेश्वर का पुत्र ठहरा है।
Romans 1:5 जिस के द्वारा हमें अनुग्रह और
प्रेरिताई मिली; कि उसके नाम के कारण सब जातियों के लोग
विश्वास कर के उस की मानें।
Romans 1:6 जिन में से तुम भी यीशु मसीह के
होने के लिये बुलाए गए हो।
Romans 1:7 उन सब के नाम जो रोम में
परमेश्वर के प्यारे हैं और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं। हमारे पिता परमेश्वर
और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
Romans 1:8 पहिले मैं तुम सब के लिये यीशु
मसीह के द्वारा अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं, कि
तुम्हारे विश्वास की चर्चा सारे जगत में हो रही है।
Romans 1:9 परमेश्वर जिस की सेवा मैं अपनी
आत्मा से उसके पुत्र के सुसमाचार के विषय में करता हूं, वही
मेरा गवाह है; कि मैं तुम्हें किस प्रकार लगातार स्मरण करता
रहता हूं।
Romans 1:10 और नित्य अपनी प्रार्थनाओं में
बिनती करता हूं, कि किसी रीति से अब भी तुम्हारे पास आने को
मेरी यात्रा परमेश्वर की इच्छा से सफल हो।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 14
- मत्ती 26:51-75
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