प्रभु यीशु से मेरी मुलाक़ात होने से
पहले, निकट संबंधों को लेकर मैं बहुत गहरी चोट खा चुकी थी, इसलिए और चोट
पहुँचने के डर से मैं किसी के साथ घनिष्ठ नहीं होती थी। ऐलन से मेरे विवाह से
पूर्व, मेरी माँ ही मेरी सबसे घनिष्ठ मित्र रही थीं। सात वर्ष के
बाद, और लगभग तलाक की कगार पर खड़े हुए, मैं अपने छोटे
से बेटे, ज़ेवियर, को लिए हुए एक चर्च सभा में गई। मैं जाकर चर्च से
बाहर निकलने वाले दरवाज़े के पास बैठ गई, किसी पर भरोसा करने से डरती थी, किन्तु मुझे
सहायता लेने की भी बहुत इच्छा थी।
मैं प्रभु की धन्यवादी हूँ कि कुछ मसीही
विश्वासियों ने मेरी ओर सहायता का हाथ बढ़ाया, हमारे परिवार
के लिए प्रार्थना की, और मुझे सिखाया कि कैसे प्रार्थना और बाइबल अध्ययन के
द्वारा मैं परमेश्वर के साथ संबंध में आ सकती हूँ, उसकी निकटता
में बढ़ सकती हूँ। समय के साथ प्रभु यीशु और उसके अनुयायियों के प्रेम ने मेरे जीवन
को बदल दिया।
उस चर्च सभा में जाने के दो वर्ष के बाद, मैंने, ऐलन ने, और मेरे बेटे, ज़ेवियर ने
बपतिस्मा लेने का आग्रह किया। इसके कुछ समय के बाद, हमारी एक
साप्ताहिक बातचीत के दौरान, मेरी माँ ने कहा, “तुम बदल गई
हो; मुझे भी यीशु के बारे में बताओ।” कुछ महीनों के बाद
उन्होंने भी प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया।
प्रभु यीशु मसीह जीवन बदल देते हैं, जैसे कि
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम शाऊल (पौलुस का पहला नाम) के बारे में देखते हैं जो
कि आरंभिक मसीही मण्डलियों का सबसे कठोर सताने वाला था, जब तक कि उसकी
मुलाक़ात प्रभु यीशु से नहीं हुई (प्रेरितों 9:1-5)। उस मुलाक़ात के बाद, कुछ लोगों ने
पौलुस की मसीह यीशु के बारे में सीखने में सहायता की (पद 17, 19), और उसके इस
प्रबल परिवर्तन ने उसके द्वारा पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से दी जानी वाले शिक्षाओं
को और भी अधिक विश्वसनीय बना दिया (पद 20-22)।
हो सकता है कि प्रभु यीशु के साथ हमारी
पहली व्यक्तिगत मुलाक़ात उतनी नाटकीय न हो जितनी शाऊल (पौलुस) की थी, और हमारे जीवन
में बदलाव उसके समान तीव्र गति से तथा प्रबल न हों। लेकिन फिर भी जब लोग देखेंगे
कि मसीह यीशु का प्रेम हमें किस प्रकार से बदलता जा रहा है, तो इससे हमें
अपने उद्धार और बदले हुए जीवन तथा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के विषय गवाही देने के
अवसर भी मिलेंगे, जो औरों के जीवनों में भी बदलाव ला सकेंगे। - सोहचील
डिक्सन
मसीह यीशु
द्वारा बदले गए जीवन को, उस बदलाव की गवाही देते रहना चाहिए।
मैं तो पहिले निन्दा
करने वाला, और सताने वाला, और अन्धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया
हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
- 1 तीमुथियुस 1:13
बाइबल पाठ: प्रेरितों
9:1-22
प्रेरितों 9:1 और शाऊल जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन
में था, महायाजक के पास
गया।
प्रेरितों 9:2 और उस से दमिश्क की आराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियां
मांगी, कि क्या पुरुष, क्या स्त्री, जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बान्ध
कर यरूशलेम में ले आए।
प्रेरितों 9:3 परन्तु चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति
चमकी।
प्रेरितों 9:4 और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?
प्रेरितों 9:5 उसने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है? उसने कहा; मैं यीशु हूं; जिसे तू सताता है।
प्रेरितों 9:6 परन्तु अब उठ कर नगर में जा, और जो कुछ करना है, वह तुझ से कहा जाएगा।
प्रेरितों 9:7 जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे।
प्रेरितों 9:8 तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्तु जब आँखें खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे
उसका हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए।
प्रेरितों 9:9 और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया।
प्रेरितों 9:10 दमिश्क में हनन्याह नाम एक चेला था, उस से प्रभु ने दर्शन में कहा, हे हनन्याह! उसने कहा; हां प्रभु।
प्रेरितों 9:11 तब प्रभु ने उस से कहा, उठ कर उस गली में जा जो सीधी कहलाती है, और यहूदा के घर में शाऊल नाम एक तारसी
को पूछ ले; क्योंकि देख, वह प्रार्थना कर रहा है।
प्रेरितों 9:12 और उसने हनन्याह नाम एक पुरुष को भीतर आते, और अपने ऊपर आते देखा है; ताकि फिर से दृष्टि पाए।
प्रेरितों 9:13 हनन्याह ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मैं ने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है, कि इस ने यरूशलेम में तेरे पवित्र लोगों
के साथ बड़ी बड़ी बुराइयां की हैं।
प्रेरितों 9:14 और यहां भी इस को महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बान्ध ले।
प्रेरितों 9:15 परन्तु प्रभु ने उस से कहा, कि तू चला जा; क्योंकि यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्राएलियों के सामने मेरा नाम प्रगट करने के लिये
मेरा चुना हुआ पात्र है।
प्रेरितों 9:16 और मैं उसे बताऊंगा, कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुख उठाना पड़ेगा।
प्रेरितों 9:17 तब हनन्याह उठ कर उस घर में गया, और उस पर अपना हाथ रखकर कहा, हे भाई शाऊल, प्रभु, अर्थात यीशु, जो उस रास्ते में, जिस से तू आया तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर दृष्टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो
जाए।
प्रेरितों 9:18 और तुरन्त उस की आंखों से छिलके से गिरे, और वह देखने लगा और उठ कर बपतिस्मा
लिया; फिर भोजन कर के
बल पाया।
प्रेरितों 9:19 और वह कई दिन उन चेलों के साथ रहा जो दमिश्क में थे।
प्रेरितों 9:20 और वह तुरन्त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्वर का पुत्र है।
प्रेरितों 9:21 और सब सुनने वाले चकित हो कर कहने लगे; क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम
में उन्हें जो इस नाम को लेते थे नाश करता था, और यहां भी इसी लिये आया था, कि उन्हें बान्ध कर महायाजकों के पास ले आए?
प्रेरितों 9:22 परन्तु शाऊल और भी सामर्थी होता गया, और इस बात का प्रमाण दे देकर कि मसीह
यही है, दमिश्क के रहने
वाले यहूदियों का मुंह बन्द करता रहा।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन 39-40
- मत्ती 23:23-39
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