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बुधवार, 20 जनवरी 2021

लक्ष्य

 

          हम अपने जीवन की दिशा कैसे निर्धारित कर सकते हैं? एक बार मैंने इस प्रश्न का उत्तर एक अप्रत्याशित स्थान पर सुना – एक मोटर साइकिल सीखने के स्थान पर। मैं और मेरे कुछ मित्र मोटर साइकिल चलाना चाहते थे, इसलिए हम उसे चलाना सीखने के लिए गए। हमारे प्रशिक्षण का एक भाग था लक्ष्य निर्धारण करना। हमारे प्रशिक्षक ने हम से कहा, “कभी न कभी आपको कोई अनपेक्षित बाधा का सामना करना पड़ेगा। यदि आप उस बाधा ही को देखते रहोगे, तो वही लक्ष्य बन जाएगा, और आप उस से जा टकराओगे। परन्तु यदि आप उस बाधा के इधर-उधर और उसके पार देखोगे तो लक्ष्य भी उस बाधा से हट कर हो जाएगा और सामान्यतः आप उस बाधा से बचने पाओगे। आप जहाँ देखते हैं, वहीं पहुँचते भी हैं।”

          यही सरल और साधारण सिद्धांत हमारे आत्मिक जीवनों पर भी लागू होता है। जब हम अपनी समस्याओं और संघर्षों पर ही अपने ध्यान को केन्द्रित रखते हैं, तो वे ही हमारा लक्ष्य बने रहते हैं, और स्वतः ही हम अपने जीवनों को उन्हीं के चारों ओर चलाते रहते हैं।

          किन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में हमें प्रोत्साहित किया गया है कि हम अपनी समस्याओं के पार, उसकी ओर देखें जो उनके समाधान दे सकता है, हमारी सहायता कर सकता है। हम भजन 121:1 में पढ़ते हैं, मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?” फिर भजनकार स्वयं ही उत्तर देता है “मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।... यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा” (पद 2, 8)।

          हो सकता है कि हमें अपनी बाधाएँ इतनी बड़ी लगें कि हमें लगने लगे कि हम उन्हें पार नहीं कर सकते हैं। परन्तु परमेश्वर हमें आमंत्रित करता है कि हम अपनी उन बाधाओं के पार उसकी ओर देखें, उसी पर अपनी दृष्टि लगाए रहें। उन बाधाओं को नहीं, परमेश्वर को अपना लक्ष्य बनाएँ, और वह हमें बाधाओं के पार निकाल ले जाएगा। - एडम होल्ज़

 

यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है। (भजन 124:8)


तब उसने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है : न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। - ज़कर्याह 4:6

बाइबल पाठ: भजन 121

भजन 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?

भजन 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।

भजन 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।

भजन 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।

भजन 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।

भजन 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।

भजन 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।

भजन 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 49-50
  • मत्ती 13:31-58

शनिवार, 2 जनवरी 2021

निर्देश

 

          मेरे पिता में दिशा की इतनी अद्भुत समझ थी कि इसके लिए मुझे उन से ईर्ष्या होती थी। उन्हें बस पता होता था कि उत्तर, दक्षिण, पूर्व, और पश्चिम किस ओर हैं। यह ऐसा था मानो उन्होंने इस दिशा ज्ञान के साथ ही जन्म लिया हो। और वो सदा ही सही भी होते थे; सिवाय उस रात के, जब वो सही नहीं थे। उस रात मेरे पिता मार्ग भूल गए, खो गए।

          वो और मेरी माँ एक अपरिचित नगर में किसी कार्यक्रम में सम्मिलित होने गए थे, और उनके वापस लौटने के समय तक अँधेरा हो चुका था। वे निश्चित थे कि उन्हें मुख्य सड़क तक पहुँचने का मार्ग पता है, परन्तु उन्हें पता नहीं था, और वे कुछ देर इधर-उधर मुड़ते रहे, और गलत मार्ग के कारण असमंजस में पड़ते चले गए, और फिर निराश होकर खिसियाने लगे। तब मेरी माँ ने उनसे कहा, “मैं समझ रही हूँ कि यह कठिन है, परन्तु कोई बात नहीं; आप अपने फोन पर सही मार्ग के निर्देश देख सकते हैं।” जहाँ तक मुझे पता है, जीवन में पहली बार, मेरे छिहत्तर वर्षीय पिता ने किसी से दिशा निर्देश लिए, वो भी अपने फोन से!

          परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार के पास जीवन का बहुत अनुभव था। परन्तु भजन ऐसे पलों को भी प्रकट करता है जब दाऊद आत्मिक तथा भावनात्मक रीति से खोया हुआ सा प्रतीत होता है। भजन 143 ऐसे ही एक समय को बताता है। उस महान राजा का मन व्याकुल था (पद 4); वह समस्या में पड़ा हुआ था (पद 11)। इसलिए उसने रुक कर प्रार्थना की, “जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझको बता दे” (पद 8)। उसने किसी मनुष्य का सहारा नहीं लिया, वरन परमेश्वर को पुकार कर कहा, “क्योंकि मैं तुझी पर भरोसा रखता हूँ” (पद 8)।

          यदि वह “[परमेश्वर के] मन के अनुसार व्यक्ति” (1शमूएल 13:14) खोया हुआ अनुभव कर सकता है, और परमेश्वर से दिशा-निर्देश तथा मार्गदर्शन माँग सकता है, तो स्वाभाविक है कि हमें भी परमेश्वर से निर्देश लेने की आवश्यकता होगी। यदि आज आपको मार्ग नहीं मिल रहा है, तो निःसंकोच होकर परमेश्वर से निर्देश मांगें। - जॉन ब्लेज़

 

परमेश्वर से निर्देश मांगना ठीक ही नहीं है – सर्वोत्तम है।


और जब कभी तुम दाहिनी या बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो। - यशायाह 30:21

बाइबल पाठ: भजन 143:4-11

भजन 143:4 मेरी आत्मा भीतर से व्याकुल हो रही है मेरा मन विकल है।

भजन 143:5 मुझे प्राचीन काल के दिन स्मरण आते हैं, मैं तेरे सब अद्भुत कामों पर ध्यान करता हूं, और तेरे काम को सोचता हूं।

भजन 143:6 मैं तेरी ओर अपने हाथ फैलाए हुए हूं; सूखी भूमि के समान मैं तेरा प्यासा हूं।

भजन 143:7 हे यहोवा, फुर्ती कर के मेरी सुन ले; क्योंकि मेरे प्राण निकलने ही पर हैं मुझ से अपना मुंह न छिपा, ऐसा न हो कि मैं कब्र में पड़े हुओं के समान हो जाऊं।

भजन 143:8 अपनी करुणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं।

भजन 143:9 हे यहोवा, मुझे शत्रुओं से बचा ले; मैं तेरी ही आड़ में आ छिपा हूं।

भजन 143:10 मुझ को यह सिखा, कि मैं तेरी इच्छा क्योंकर पूरी करूं, क्योंकि मेरा परमेश्वर तू ही है! तेरा भला आत्मा मुझ को धर्म के मार्ग में ले चले!

भजन 143:11 हे यहोवा, मुझे अपने नाम के निमित्त जिला! तू जो धर्मी है, मुझ को संकट से छुड़ा ले!

 

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 4-6
  • मत्ती 2

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

प्रभाव



      वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रीय कला संग्रहालय में विचारण करते हुए मैंने एक उत्तम कलाकृति, “द विंड” देखी। उस चित्र में जंगल के इलाके में आई हुई आँधी को दिखाया गया था। लंबे, पतले पेड़, बाईं ओर झुके हुए थे; झाड़ियाँ भी उसी ओर गिर रही थीं।

      इससे भी अधिक प्रबल रीति से परमेश्वर का पवित्र आत्मा मसीही विश्वासियों को परमेश्वर की भलाई तथा सत्य की दिशा में मोड़ सकता है। यदि हम पवित्र आत्मा के अनुसार चलेंगे तो हम और अधिक साहसी तथा प्रेमी बनते जाएँगे। साथ ही हम अपनी लालसाओं की पूर्ति और उनके प्रति व्यवहार में भी और अधिक समझदार होते चले जाएँगे (2 तिमुथियुस 1:7)।

      कुछ परिस्थितियों में पवित्र आत्मा हमें आत्मिक बढ़ोतरी एवँ परिवर्तन की ओर उकसाता है; हो सकता है कि हम उसके इस उकसाने के लिए प्रत्युत्तर में “नहीं” कह देते हों। बारम्बार उसके इस उकसाने का इन्कार करने को आत्मा को “बुझाना” कहा गया है (1 थिस्सलुनीकियों 5:19)। यदि हम ऐसा करते रहते हैं, तो कुछ समय पश्चात, आत्मिक संवेदनहीनता के कारण, जो कभी हमें गलत लगता था, वह फिर उतना बुरा लगाना बन्द हो जाता है।

      जब परमेश्वर के साथ हमारा संबंध दूर का और टूटा हुआ लगने लगे, तो इसका कारण हमारा बारंबार पवित्र आत्मा को “नहीं” कहते रहना हो सकता है। यह जितना लंबे समय तक ज़ारी रहेगा, उतना कठिन समस्या की जड़ को पहचानना होता जाएगा। किन्तु हम परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी हो सकते हैं क्योंकि उसने अपने वचन बाइबल में हमें आश्वासन दिया है कि हम जब भी उससे अपने पापों की क्षमा मांगेगे और सच्चे मन से उनके लिए पश्चाताप करेंगे, वह हमें क्षमा करके हम में पवित्र आत्मा के प्रभाव और सामर्थ्य को बहाल कर देगा। परमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको आपके पापों के लिए कायल करे, और आप लौट कर उसके प्रभाव में आ सकें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट

पवित्र आत्मा के प्रति समर्पित होने से हम सही जीवन जीने की ओर बढ़ते हैं।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 5:15-24
1 Thessalonians 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो।
1 Thessalonians 5:16 सदा आनन्‍दित रहो।
1 Thessalonians 5:17 निरन्‍तर प्रार्थना मे लगे रहो।
1 Thessalonians 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।
1 Thessalonians 5:19 आत्मा को न बुझाओ।
1 Thessalonians 5:20 भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो।
1 Thessalonians 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।
1 Thessalonians 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।
1 Thessalonians 5:23 शान्‍ति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्र करे; और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें।
1 Thessalonians 5:24 तुम्हारा बुलाने वाला सच्चा है, और वह ऐसा ही करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 50-52
  • 1 थिस्सलुनीकियों 5



शनिवार, 27 अगस्त 2016

माध्यम


   चार्ल्स व्हिटिलसे नायकों का नायक था; प्रथम विश्व-युद्ध में "खोई हुई" कहलाई जाने वाली पलटन का वह अगुवा था। उसकी पलटन युद्ध के समय शत्रु की सेना पंक्ति के पीछे फंस गई थी, जहाँ से वह उन्हें निकाल कर ले आया था। इस बहादुरी के लिए उसे वीरता का सम्मान पदक भी दिया गया। जब ’अनजाने सिपाही’ की कब्र का स्थापन और समर्पण किया गया तो चार्ल्स को वहाँ दफनाए जाने वाले पहले सिपाही के कफन को कंधा देने का आदर दिया गया। इसके दो सप्ताह पश्चात समुद्र यात्रा के दौरान, माना जाता है कि, चार्ल्स ने बीच सागर में एक सैलानी समुदी जहाज़ से कूदकर आत्म-हत्या कर ली।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के एक भविष्यद्वक्ता, एलियाह (1 राजा 19:1-7) के समान ही, चार्ल्स सामाजिक जीवन में तो बहुत मज़बूत, परन्तु समाज की नज़रों से हटने पर, अपने व्यक्तिगत जीवन में निराशा से भरा हुआ था। आज भी लोग अकसर ऐसी परिस्थितियों का सामना करते हैं जो उनके संभाल पाने की क्षमता और योग्यता से बाहर होती हैं। कभी-कभी बहुत थक जाने के कारण आने वाली यह अस्थायी निराशा होती है, जैसा एलियाह के साथ हुआ। एलियाह ने बाल के पुजारियों पर एक बड़ी विजय पाई थी (1 राजा 18:20-40), परन्तु फिर उसे अपने प्राणों का भय हुआ और वह जान बचाने को जंगल में भाग गया (1 राजा 19:1-3)। लेकिन निराशा अकसर अस्थायी नहीं होती, वह जीवन की किसी गहरी या अनकही हताशा से संबंधित होती है। इसलिए यह अनिवार्य है कि जब हम किसी से निराशा के बारे में बातें करें तो यह खुलकर परन्तु सहानुभूतिपूर्वक, तथा समझदारी के साथ हो।

   हमारे जीवनों के सबसे अंधकारपूर्ण पलों में भी परमेश्वर हमारे साथ सदा बनी रहने वाली अपनी उपस्थिति को हमें उपलब्ध करवाता है जिससे हम उसके साथ अपने दिल की बात बाँट सकें, उससे सहायता, मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें; और अपने अनुभवों के आधार पर फिर दूसरों के लिए परमेश्वर से मिलने वाली आशा और प्रोत्साहन का माध्यम बन सकें (2 कुरिन्थियों 1:3-4)। - रैंडी किलगोर


परमेश्वर तथा उसके लोगों से होने वाली सहायता से आशा आती है।

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:3-4

बाइबल पाठ: 1 राजा 19:1-8
1 Kings 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उसने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला। 
1 Kings 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें। 
1 Kings 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण ले कर भागा, और यहूदा के बेर्शेबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया। 
1 Kings 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ। 
1 Kings 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेटकर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठ कर खा। 
1 Kings 19:6 उसने दृष्टि कर के क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उसने खाया और पिया और फिर लेट गया। 
1 Kings 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है। 
1 Kings 19:8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 120-122
  • 1 कुरिन्थियों 9


शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

मार्गनिर्देशन


   दावा सोबेल की पुरुस्कृत पुस्तक Longitude, पुराने समयों में नाविकों के सामने रहने वाले घोर असमंजस का वर्णन करती है। वे नाविक दिन के समय और सूरज की ऊँचाई के आधार पर भूमध्य रेखा से अपने उत्तर या दक्षिण की स्थिति, अर्थात लैटिट्यूड तो आसानी से जान लेते थे; लेकिन पूर्व-पश्चिम दिशा के आधार पर अपनी स्थिति का आँकलन करना, अर्थात अपनी स्थिति के लौंगीट्यूड को जानना उनके लिए बड़ा जटिल और गैरभरोसेमन्द था, जब तक कि अंग्रेज़ी घड़ी-साज़ जौन हैरिसन ने समुद्री समय-मापक (marine chronometer) का अविषकार नहीं कर लिया। यह समय-मापक एक ऐसी घड़ी था जो उनके मूल बन्दरगाह से दूरी के सही समय को दिखाती थी, वे चाहे समुद्र में कितनी भी दूर, कहीं भी क्यों ना चले जाएं; इससे अब वे नाविक अपना लौंगीट्यूड भी सरलता से जान लेते थे।

   जीवन के समुद्र की हमारी यात्रा के लिए भी हमें एक विश्वासयोग्य मार्गदर्शिका चाहिए, जो सदा हमें हमारी सही स्थिति तथा हमारे लिए सही दिशा बताती रहे। परमेश्वर ने यह हमारे लिए उपलब्ध करवाया है - अपना जीवता वचन, बाइबल। भजनकार ने इस जीवते वचन के लिए लिखा है, "अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है" (भजन 119:97)। परमेश्वर के वचन पर कभी-कभी नज़र दौड़ा लेने की बजाए, भजनकार ने दिन भर सभी बातों के लिए वचन से निर्देशन पाने के संबंध में लिखा, "मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है" (भजन 119:99); और इसके साथ ही इस वचन की आज्ञाकारिता के अपने प्रण को भी दोहराया: "मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा" (भजन 119:106)।

   पुराने समय के उन नाविकों के समान, सही दिशा में चलने के लिए हमें भी सदा हमारा सही मार्गनिर्देशन करने वाला एक विश्वास्योग्य साधन चाहिए। यदि हम दिन-प्रतिदिन खुले दिल और आज्ञाकारी मन से परमेश्वर के सामने आते हैं, और उसके वचन का मार्गदर्शन स्वीकार करते हैं, तो वह मार्गदर्शन उस जीवते वचन से हमें प्राप्त होता है: "तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है" (भजन 119:105)। - डेविड मैक्कैसलैंड


यदि परमेश्वर आपका मार्गदर्शक है तो आप सही दिशा में अग्रसर रहेंगे।

आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखाने वाले की डांट जीवन का मार्ग है - नीतिवचन 6:23

बाइबल पाठ: भजन 119:97-106
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था से कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। 
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। 
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। 
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। 
Psalms 119:101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं। 
Psalms 119:102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है। 
Psalms 119:103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! 
Psalms 119:104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।
Psalms 119:105 तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। 
Psalms 119:106 मैं ने शपथ खाई, और ठाना भी है कि मैं तेरे धर्ममय नियमों के अनुसार चलूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:89-176
  • 1 कुरिन्थियों 8


शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

चट्टान


   हाई स्कूल की भू-विज्ञान कक्षा में प्रायोगिक गतिविधि के अन्तर्गत मैंने अपनी एक सहेली के साथ मिलकर जल प्रवाह को प्रभावित करने वाला एक प्रयोग बनाकर लगाया, जिसमें मेरे पिताजी ने हमारी बहुत सहायता करी। हमने प्लाएवुड से एक लंबा बक्सा बनाया, उसके मध्य में एक कब्ज़ा लगाया, फिर उसमें अन्दर से प्लास्टिक लगाया, उसमें रेत भरी, उसके एक सिरे पर पानी का पाइप लगाया और दूसरे सिरे पर पानी निकलने के लिए छेद बनाया। इस सब को तैयार करने के बाद हमने बक्से के पानी के पाइप वाले सिरे को कुछ ऊँचा उठा कर पानी को चालू कर दिया। हमारे सामने प्रत्यक्ष था कि कैसे पानी उस छेद से निकलने के लिए अपना मार्ग बनाता है। फिर अपने प्रयोग के दूसरे भाग को दिखाने के लिए हमने पानी के उस प्रवाह-मार्ग में एक बड़ा पत्थर रख दिया और फिर देखा कि उस पत्थर के प्रभाव से कैसे पानी को उस छेद तक पहुँचने के लिए अपना मार्ग बदलना पड़ा।

   इस प्रयोग ने मुझे ना केवल विज्ञान, वरन जीवन के प्रवाह के बारे में भी बहुत कुछ सिखाया। मैंने सीखा कि किनारे पर खड़े रहकर मैं प्रवाह की दिशा नहीं बदल सकती - उसके लिए मुझे प्रवाह में उतर कर स्थिर खड़े होना पड़ेगा, यदि मैं एक स्थान पर स्थिर खड़ी नहीं रहूँगी तो प्रवाह की दिशा भी बदलने नहीं पाऊँगी।

   ठीक यही कार्य समस्त मानव जाति के लिए प्रभु यीशु ने किया है। परमेश्वर का वचन बाइबल, परमेश्वर से भेंट स्वरूप मिलने वाले उद्धार को चट्टान कहता है (2 शमूएल 22:47; भजन 62:2,6-7) और प्रेरित पौलुस अपनी पत्री में बताता है कि वह चट्टान प्रभु यीशु है (1 कुरिन्थियों 10:4)। परमेश्वर ने संसार के प्रवाह में प्रभु यीशु को दृढ़ और स्थिर चट्टान के रूप में रखा है जिससे संसार के प्रवाह की दिशा विनाश से अनन्त जीवन की ओर बदल सके। जो भी अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभु यीशु पर विश्वास लाता है, अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित करता है, उसके जीवन का प्रवाह अनन्त विनाश से अनन्त जीवन की ओर मुड़ जाता है।

   हम मसीही विश्वासी भी जब प्रभु यीशु में स्थिर बने रहते हैं, प्रभु के कार्य में संलग्न रहते हैं, प्रभु के आज्ञाकारी रहते हैं तो परमेश्वर हमें भी दूसरों के जीवनों के प्रवाह को अनन्त जीवन की चट्टान प्रभु यीशु की ओर मोड़ने के लिए प्रयोग करता है। मुक्ति की चट्टान प्रभु यीशु में स्थिर बने रहें, आप भी पाप के कारण विनाश की ओर प्रवाहित होने वाले जीवनों की दिशा को अनन्त जीवन की ओर बदलने वाले हो जाएंगे। - जूली ऐकरमैन लिंक


अपने कदमों का सही जगह पड़ना निश्चित करके वहाँ स्थिर खड़े हो जाएं। - एब्राहम लिंकन

सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है। - 1 कुरिन्थियों 15:58 

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:19-27
Colossians 1:19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे। 
Colossians 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप कर के, सब वस्‍तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की। 
Colossians 1:21 और उसने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया जो पहिले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे। 
Colossians 1:22 ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्‍कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे। 
Colossians 1:23 यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्‍टि में किया गया; और जिस का मैं पौलुस सेवक बना।
Colossians 1:24 अब मैं उन दुखों के कारण आनन्द करता हूं, जो तुम्हारे लिये उठाता हूं, और मसीह के क्‍लेशों की घटी उस की देह के लिये, अर्थात कलीसिया के लिये, अपने शरीर में पूरी किए देता हूं। 
Colossians 1:25 जिस का मैं परमेश्वर के उस प्रबन्‍ध के अनुसार सेवक बना, जो तुम्हारे लिये मुझे सौंपा गया, ताकि मैं परमेश्वर के वचन को पूरा पूरा प्रचार करूं। 
Colossians 1:26 अर्थात उस भेद को जो समयों और पीढिय़ों से गुप्‍त रहा, परन्तु अब उसके उन पवित्र लोगों पर प्रगट हुआ है। 
Colossians 1:27 जिन पर परमेश्वर ने प्रगट करना चाहा, कि उन्हें ज्ञात हो कि अन्यजातियों में उस भेद की महिमा का मूल्य क्या है और वह यह है, कि मसीह जो महिमा की आशा है तुम में रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 41-42
  • प्रेरितों 16:22-40


शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

दिशा-निर्देश


   मैंने अपने साथ की सवारियों से कहा ही था, "चिंता मत कीजिए, मुझे पता है मैं कहाँ हूँ और मार्ग क्या है" कि गाड़ी में एक मशीनी आवाज़ सुनाई देने लगी, "दिशा पुनःनिर्धारण...; दिशा पुनःनिर्धारण..." - अब सब वास्तविकता को जान गए कि मैं मार्ग से भटक चुका था और मुझे सही मार्ग पता नहीं था। आज के समय में इस आवाज़ और इन शब्दों को लाखों गाड़ी चालक जानते-पहचानते हैं। यह आवाज़ एवं सन्देश आता है गाड़ियों में लगे जी.पी.एस. यंत्र से जो गन्तव्य स्थान के अनुसार गाड़ी की स्थिति एवं मार्ग के सही होने पर नज़र रखता है और मार्ग से हटते ही सही मार्ग पर वापस लौट जाने के लिए निर्देश तैयार करके देने लगता है।

   अनेक बार मसीही विश्वासी भी अपने आत्मिक मार्ग से भटक कर, जाने-अनजाने में संसार की ओर बढ़ निकलते हैं। कभी यह इस कारण होता है क्योंकि हम समझते हैं कि हमें सब पता है और अपने अहम में होकर हम किसी की सलाह लेना या मानना उचित नहीं समझते; और कभी यह अनजाने में ही धीरे धीरे सही मार्ग से भटक जाने के कारण होता है। परमेश्वर ने हमें किसी भी परिस्थिती के लिए असहाय नहीं छोड़ा है। उसने सभी मसीही विश्वासियों को अपने पवित्र आत्मा का दान दिया है जो उनमें रहता है (यूहन्ना 14:16-17; 1 कुरिन्थियों 3:16) तथा उन्हें पाप के विषय में कायल करता है (यूहन्ना 16:8, 13)। जब हम परमेश्वर के मार्ग से भटकने लगते हैं तो वह हमारे विवेक को झकझोरता है, हमें पथभ्रष्ट होने की सूचना देता है (गलतियों 5:16-25)। हमारा उसकी चेतावनी को नज़रन्दाज़ करना हमारे लिए नुकसानदायक ही होता है (यशायाह 63:10; गलतियों 6:8)।

   हम मसीही विश्वासियों के लिए यह जानना कितना सांत्वनापूर्ण एवं शान्तिदायक है कि परमेश्वर हमारे जीवनों में कार्यरत है, हमें कभी अकेला या असहाय नहीं छोड़ता और वह अपने पवित्र आत्मा द्वारा सदा हमारा मार्गदर्शन करता रहता है (रोमियों 8:26-27)। परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले इन दिशा-निर्देशों के सहारे हम अपने जीवन को उसे भाते रहने वाले मार्गों पर बनाए रख सकते हैं। - रैन्डी किल्गोर


क्योंकि हमारे अन्दर परमेश्वर का पवित्र-आत्मा निवास करता है इसलिए हम कभी असहाय नहीं होते।

यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। भजन - 25:8-9

बाइबल पाठ: नीतिवचन 3:1-8
Proverbs 3:1 हे मेरे पुत्र, मेरी शिक्षा को न भूलना; अपने हृदय में मेरी आज्ञाओं को रखे रहना; 
Proverbs 3:2 क्योंकि ऐसा करने से तेरी आयु बढ़ेगी, और तू अधिक कुशल से रहेगा। 
Proverbs 3:3 कृपा और सच्चाई तुझ से अलग न होने पाएं; वरन उन को अपने गले का हार बनाना, और अपनी हृदय रूपी पटिया पर लिखना। 
Proverbs 3:4 और तू परमेश्वर और मनुष्य दोनों का अनुग्रह पाएगा, तू अति बुद्धिमान होगा।
Proverbs 3:5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। 
Proverbs 3:6 उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। 
Proverbs 3:7 अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना। 
Proverbs 3:8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला चंगा, और तेरी हड्डियां पुष्ट रहेंगी।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2



सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

दिशा तथा मार्गदर्शन


   मेरी प्रवृति है अपने ही निराधारित तरीकों में होकर कार्य करने की, इसलिए जो कुछ भी मुझे मेरी दिनचर्या या योजनाओं से अलग दिशा में ले जाता है, उससे मुझे बड़ी खीज होती है। इससे भी बदतर तब होता है जब जीवन की बदलती हुई दिशाओं का सामना करना पड़ता है, तब मैं अपने आप को बहुत अस्थिर अनुभव करता हूँ, जो मेरे लिए बड़ा कष्टदायी होता है। लेकिन परमेश्वर, जिसने कहा, "...मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है" (यशायाह 55:8), यह जानता है कि उसे हमारे जीवनों की दिशा में परिवर्तन लाने की आवश्यकता रहती है, जिससे हम अपने पूर्व निर्धारित मार्ग से हट सकें और वह हमारे जीवनों को अधिक बेहतर बना सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ प्रमुख पात्रों के जीवन को देखिए - यूसुफ के बारे में विचार कीजिए, परमेश्वर ने उसे अपने परिवार से निकाले जाकर मिस्त्र में जाने दिया जिससे वह आते समय में लोगों तथा अपने परिवार को भयानक अकाल से बचा सके, तथा स्वयं भी एक ऐसे पद पर पहुँच सके जिस तक स्वयं अपनी सामर्थ से पहुँचने की कल्पना भी उसके लिए कर पाना असंभव था। मूसा को देखिए, उसे शिशु अवस्था में ही गुलामों के घर से निकालकर पहले राजा के महल में परवरिश के लिए पहुँचाया, और फिर उस राज महल से निकालकर बियाबान में रहने के लिए भेजा दिया, जहाँ परमेश्वर ने उसे दर्शन दिए और उसे नियुक्त किया कि वह परमेश्वर के लोगों को मिस्त्र के दासत्व से निकालकर वाचा किए हुए देश ले कर जाए, तथा परमेश्वर के वचन को लिखित रूप में लोगों को दे। यूसुफ और मरियम के बारे में सोचिए, जिनके जीवन में परमेश्वर के स्वर्गदूत ने एक बड़े अप्रत्याशित और सारे संसार को प्रभावित करने वाले दिशा परिवर्तन की सूचना दी। स्वर्गदूत ने मरियम से कहा कि वह गर्भवती होगी और संसार के उद्धारकर्ता को जन्म देगी और यूसुफ से कहा कि गर्भवती दशा में भी मरियम को अपने घर लाने से ना घबराए, और होने वाले बच्चे के लिए कहा कि, "वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा" (मत्ती 1:21); और यूसुफ ने ऐसा ही किया (पद 25)। इसके बाद जो हुआ और हो रहा है, वह अद्भुत इतिहास है।

   हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं कि उसने हमारे लिए अद्भुत योजनाएं बनाई हैं; वह हमारा सृष्टिकर्ता है, हमसे प्रेम करता है, हमें विनाश में नहीं वरन अपने साथ आशीष में देखना चाहता है। उसकी योजनाओं पर कुड़कुड़ाएं नहीं, वरन उसे समर्पित जीवन व्यतीत करें, उसके द्वारा जीवन को दी जाने वाली दिशा तथा मार्गदर्शन को स्वीकार करें। - जो स्टोवैल


परमेश्वर को अपने जीवन मार्गों को निर्देशित, पुनःनिर्देशित करते रहने दीजिए।

क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों 8:29

बाइबल पाठ: मत्ती 1:18-25
Matthew 1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Matthew 1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Matthew 1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Matthew 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Matthew 1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। 
Matthew 1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”। 
Matthew 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Matthew 1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 6-7
  • मत्ती 25:1-30



बुधवार, 10 दिसंबर 2014

मार्गदर्शन


   यात्रा करते हुए किसी से मार्गदर्शन लेना मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं यही मान कर चलता हूँ कि यदि मैं प्रयास करता रहूँगा तो अन्ततः गन्तव्य स्थान पर पहुँच ही जाऊँगा। इसके विपरीत मेरी पत्नि मार्टी कभी मार्गदर्शन लेने से नहीं हिचकिचाती, और उसे बड़ा अजीब लगता है जब मैं मार्गदर्शन लेने से बचने के प्रयास यह सोच कर करता हूँ कि यह इस बात को दिखाता है कि मैं इस बात से अनभिज्ञ हूँ कि मैं कहाँ हूँ और मुझे आगे कैसे जाना है। अन्ततः होता यही है कि मार्टी गन्तव्य स्थान पर मुझसे पहले और एक अच्छी मनोदशा में पहुँच जाती है, जबकि मैं इधर-उधर भटकता और चिड़चिड़ाता रहता हूँ।

   जीवन के मार्ग पर चलना भी एक यात्रा ही है, और हमारा यह मान कर चलना कि हम इस मार्ग पर अपनी समझ से चलने में सक्षम हैं, परमेश्वर के वचन बाइबल की चेतावनी के विपरीत है; बाइबल बताती है कि "ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है" (नीतिवचन 16:25)। जीवन के मार्ग पर चलते चलते हम जब भी किसी दोराहे पर आते हैं और सही-गलत की पहचान कठिन होती है तब परमेश्वर से इस बारे में पूछना भला होता है क्योंकि परमेश्वर ने हमें सचेत किया है: "तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा" (नीतिवचन 3:5-6)।

   जीवन सही दिशा में अग्रसर होने से ही भली-भांति फलवंत होता है। यह अति अनिवार्य है कि हम अपने जीवन को आशीषमय तथा शान्तिपूर्ण संबंधों, प्रेम एवं सेवा के अर्थपूर्ण कार्यों, परमेश्वर के साथ एक भले और सन्तोषप्रद संबंध तथा अन्य ऐसी अनेक बातों की दिशा में लेकर चलें। ऐसी सही दिशा में चलते रहने के लिए परमेश्वर से मार्गदर्शन लेते रहना केवल एक अच्छा विचार ही नहीं, अनिवार्य भी है; इसके लिए अहंकार को तज कर एक समर्पित मन तथा नम्र हृदय लेकर परमेश्वर के साथ चलने की आवश्यकता होती है। इसीलिए परमेश्वर कहता है:  "जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे" (होशे 14:9)। - जो स्टोवैल


परमेश्वर से मार्गदर्शन लेते रहें क्योंकि केवल वह ही है जिसे संपूर्ण मार्ग और अन्त स्थान का ज्ञान है।

यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा। वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हां वह नम्र लोगों को अपना मार्ग दिखलाएगा। - भजन 25:8-9

बाइबल पाठ: होशे 14:1-9
Hosea 14:1 हे इस्राएल, अपने परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ, क्योंकि तू ने अपने अधर्म के कारण ठोकर खाई है। 
Hosea 14:2 बातें सीख कर और यहोवा की ओर फिर कर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे। 
Hosea 14:3 अश्शूर हमारा उद्धार न करेगा, हम घोड़ों पर सवार न होंगे; और न हम फिर अपनी बनाई हुई वस्तुओं से कहेंगे, तुम हमारे ईश्वर हो; क्योंकि अनाथ पर तू ही दया करता है। 
Hosea 14:4 मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। 
Hosea 14:5 मैं इस्राएल के लिये ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाईं फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा। 
Hosea 14:6 उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी। 
Hosea 14:7 जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्न की नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाईं फूले-फलेंगे; और उसकी कीर्ति लबानोन के दाखमधु की सी होगी। 
Hosea 14:8 एप्रैम कहेगा, मूरतों से अब मेरा और क्या काम? मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूंगा। मैं हरे सनौवर सा हूं; मुझी से तू फल पाया करेगा। 
Hosea 14:9 जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 तिमुथियुस 4-6


मंगलवार, 30 सितंबर 2014

आरंभिक बिन्दु


   यदि आप हमारे घर से, जो उत्तरी अमेरिका में बॉइस, इडाहो में स्थित है, दक्षिण की ओर चलें तो कुछ दूर जाने पर आपको सड़क के पूर्व में झाड़ियों के बीच में से ऊपर उठा हुआ एक टीला दिखाई देगा जो कभी ज्वालामुखीय कार्यवाही द्वारा अस्तित्व में आया था। इस टीले की चोटी ही वह आरंभिक बिन्दु है जहाँ से इडाहो प्रांत का सर्वेक्षण हुआ था। सन 1867 में अमेरिका के प्रधान सर्वेक्षण अधिकारी, लफायेटी कार्टी ने, इडाहो प्रांत की स्थापना के चार वर्ष पश्चात, पीटर बैल को यह ज़िम्मेदारी सौंपी कि वे इस नए इलाके का सर्वेक्षण करें। पीटर बैल ने उस टीले की चोटी पर पीतल का एक स्तंभ गाड़ा और उसे अपने सर्वेक्षण का आरंभिक बिन्दु घोषित किया। पीटर बैल द्वारा किए गए उस सर्वेक्षण से इडाहो प्रांत की सीमाएं और भौगोलिक विवरण स्थापित हुआ। उस आरंभिक बिन्दु के आधार पर ही वहाँ के रिहायशी इलाकों के उत्तर या दक्षिण में होने, अथवा पर्वत श्रंखलाओं के पूर्व या पश्चिम में होने का निर्धारण होता है। ऐसे स्थिर एवं स्थाई बिन्दु ही यह निर्धारित करते हैं कि आप सदा अपने स्थिति के बारे में निश्चित रहेंगे, कभी असमंजस में नहीं रहेंगे, कभी भटकने नहीं पाएंगे।

   हम बहुत सी पुस्तकें पढ़ते हैं, लेकिन हमारे लिए परमेश्वर का वचन बाइबल ही हमारा अटल और सदा स्थिर ’आरंभिक बिन्दु’ है। प्रसिद्ध मसीही प्रचारक जौन वेस्ली बहुत पुस्तकें पढ़ते थे, लेकिन वे अपने आप को सदा ही ’एक पुस्तक का व्यक्ति’ कहते थे। किसी भी पुस्तक की तुलना संसार के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक, परमेश्वर के वचन बाइबल से नहीं हो सकती, क्योंकि केवल बाइबल ही है जो परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गई है। बाइबल 66 छोटी-बड़ी पुस्तकों का संग्रह है जो अलग अलग लोगों द्वारा अलग अलग समय में अलग अलग स्थानों एवं भाषाओं में लगभग 1500 वर्ष के अन्तराल में लिखी गईं, और कोई भी लेखक यह नहीं जानता था कि अन्ततः उसकी लिखी पुस्तक एक व्यापक संग्रह का भाग होगी। जब इन सब पुस्तकों को संग्रहित करके एक पुस्तक का रूप दिया गया तो इनमें कोई भी परस्पर विरोधाभास नहीं मिला, वरन वे विभिन्न पुस्तकें एक दूसरे की ऐसी पूरक हो गईं मानों एक ही लेखक ने उन्हें लिखा हो - जो सच भी है, क्योंकि लेखनी चाहे मनुष्य की थी किन्तु विचार तो परमेश्वर के ही थे।

   बाइबल की एक और अद्भुत बात है कि वह प्रत्येक विश्वास करने वाले से बात करती है, उसकी शिक्षाएं एवं घटनाएं प्रत्येक विश्वासी को हर परिस्थिति में ऐसी प्रतीत होती हैं मानों वे उस परिस्थिति में उसी के लिए ही लिखी गई हों; इसीलिए बाइबल को परमेश्वर का जीवता वचन भी कहा जाता है। बाइबल की आरंभिक पुस्तक लगभग 1500 ईसवीं पूर्व अर्थात आज से लगभग 3500 वर्ष पहले लिखी गई, लेकिन बाइबल की हर शिक्षा, उसकी सभी बातें सभी विश्वास करने वालों के लिए ताज़ा और समकालीन ही रही हैं। परमेश्वर ने अपना यह वचन हम सब की भलाई के लिए उपलब्ध करवाया है, और वह चाहता है कि सभी उसके इस वचन पर विश्वास करें, उस पर अधारित जीवन व्यतीत करें जिससे वे कभी किसी गलत मार्ग पर ना चलें।

   जब हम बाइबल को जीवन की हर बात तथा परिस्थिति के लिए अपना आरंभिक बिन्दु तथा मार्गदर्शक बना लेते हैं, तो हम कभी भी गलत नहीं हो सकते क्योंकि बाइबल में होकर परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है। जो बाइबल से प्रेम करते हैं, उस पर विश्वास करते हैं वे सभी भजनकार के साथ कह सकते हैं: "तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं" (भजन 119:103)। - डेविड रोपर


बाइबल एक कुतुबनुमा है जो आपको सदा ही सही दिशा दिखाता है, सही मार्ग पर चलाता है।

उसने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। - मत्ती 4:4

बाइबल पाठ: भजन 119:97-104
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। 
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। 
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। 
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। 
Psalms 119:101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं। 
Psalms 119:102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है। 
Psalms 119:103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! 
Psalms 119:104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस 7-9


सोमवार, 12 अगस्त 2013

उद्देश्य और उपयोग

   कैन्सस में एक 60 वर्ष पुराने होटल को रिहायशी मकानों में परिवर्तित किया जा रहा है। फिलेडैल्फिया में एक पुराने ज़ंग लगे पानी के जहाज़ का नवीनिकरण चल रहा है और उसे एक होटल या संग्रहालय के रूप में प्रयोग करने की योजना है। कॉलेरैडो में स्थित पुराने स्टेपलटन एयरपोर्ट के हैंगर 61 को, जो अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता था, एक चर्च में परिवर्तित किया जा रहा है। इन सब ढाँचों का कभी एक विशेष उद्देश्य और प्रयोग था जो अब समय के साथ समाप्त हो गया है, लेकिन फिर भी किसी ना किसी की नज़र में ये उपयोगी हैं, एक नए उद्देश्य और उपयोग के योग्य हैं, और वे इन ढाँचों को एक नया रूप देकर उस नए उद्देश्य और उपयोग के लिए तैयार कर रहे हैं।

   यदि पुराने ढाँचे एक नया उद्देश्य और उपयोग पा सकते हैं तो मनुष्य क्यों नहीं? परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ नायकों के बारे में विचार कीजिए, जिनके जीवन अनायास ही एक अनेपक्षित दिशा में मुड़ गए और वे साधारण सांसारिक मनुष्यों से परिवर्तित हो कर अनन्त काल के लिए परमेश्वर के वचन में आदर पाने वाले नायक बन गए। याकूब - स्वभाव से स्वार्थी, अड़ंगीमार और धोखेबाज़ था; परमेश्वर के दूत के साथ एक रात जूझने के बाद उसका जीवन और नाम बदल गया (उत्पत्ति 32), वह याकूब से इस्त्राएल हो गया, उसके वंशज आज भी उसके नाम से जाने जाते हैं तथा परमेश्वर ने उसके बारह पुत्रों को इस्त्राएल के बारह गोत्रों का स्त्रोत बना दिया। मूसा - एक अहंकारी राजकुमार था जो अपनी जान बचा कर भागा और जंगल में रहकर भेड़ें चराने लगा, एक जलती हुई झाड़ी में दर्शन देकर (निर्गमन 3) परमेश्वर ने उसे इस्त्राएल को मिस्त्र के दासत्व से निकालकर लाने वाला, परमेश्वर के नियमों और व्यवस्था को इस्त्राएलियों तक पहुँचाने वाला और परमेश्वर के वचन की पहली पाँच पुस्तकों का लिखने वाला बना दिया। शाउल - एक धार्मिक उन्माद से भरा मसीही विश्वासियों का घोर विरोधी होता था, जिसे प्रभु यीशु ने एक चकाचौंध कर देने वाली रौशनी में दर्शन देकर कुछ दिनों के लिए अन्धा तो कर दिया (प्रेरितों 9), लेकिन फिर जब उसकी आँखें खोली गईं तो वह पौलुस नाम से प्रभु यीशु मसीह का एक ऐसा अनुयायी बना जो आज तक सभी मसीही विश्वासियों के लिए एक नमूना है और बाइबल के नए नियम खंड का लगभग दो-तिहाई भाग परमेश्वर ने उसी शाउल से पौलुस बन गए व्यक्ति के द्वारा लिखवाया। ऐसे ही अनेक अन्य उदाहरण ना केवल बाइबल में वरन संसार भर में मसीही समाज में मिल जाएंगे - साधारण और सांसारिक लोग जिन्होंने परमेश्वर को अनुभव किया और उनके जीवन सदा के लिए एक नए उद्देश्य और उपयोग के लिए एक नयी दिशा में चल निकले।

   यही अनुभव हमारे साथ भी हो सकता है; कोई अनेपक्षित घटना हमारे जीवन की दिशा बदल सकती है। यह घटना हमारे लिए तो अनायास और अनेपक्षित हो सकता है, लेकिन परमेश्वर के लिए नहीं। हम जैसे भी हैं, परमेश्वर के लिए उपयोगी हैं; वह हम में कुछ ऐसा देखता है जो संसार तो क्या हम स्वयं भी अपने अन्दर नहीं देख पाते। परमेश्वर ने अपने वचन में कहा है कि इससे पहले हम उससे प्रेम करते उसने हम से प्रेम किया। वह हमें एक उद्देश्य, आशा और भविष्य देना चाहता है जो ऐसा आशीशित, अनुपम और विलक्षण है जैसा संसार की कोई सामर्थ, हमारी अपनी कोई योजना हमें दे नहीं सकती। परमेश्वर चाहता है कि हम अपनी सारी चिन्ताएं, अपना सारा जीवन उसे सौंप दें क्योंकि उसे हमारा खयाल सदा ही रहता है (1 यहून्ना 4:19; यर्मियाह 29:11; 1 पतरस 5:7; यूहन्ना 10:10)।

   परमेश्वर के वायदों पर भरोसा कीजिए, उन्हें थामें रखिए, उसे जीवन समर्पित करके उससे प्रार्थना कीजिए कि वह आपको भी आपके जीवन के लिए एक नया उद्देश्य दे और और अपने लिए उपयोगी बनाए; वह यह करना चाहता भी है, उसे केवल आपकी सहमति की प्रतीक्षा है। - सिंडी हैस कैसपर


अपनी आँखें परमेश्वर पर लगाए रखिए और आप अपने जीवन के उद्देश्य से कभी नहीं भटकेंगे।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानी की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। - यर्मियाह 29:11

बाइबल पाठ: प्रेरितों 9:1-16
Acts 9:1 और शाऊल जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था, महायाजक के पास गया।
Acts 9:2 और उस से दमिश्क की अराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियां मांगी, कि क्या पुरूष, क्या स्त्री, जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बान्‍ध कर यरूशलेम में ले आए।
Acts 9:3 परन्तु चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी।
Acts 9:4 और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?
Acts 9:5 उसने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है? उसने कहा; मैं यीशु हूं; जिसे तू सताता है।
Acts 9:6 परन्तु अब उठ कर नगर में जा, और जो कुछ करना है, वह तुझ से कहा जाएगा।
Acts 9:7 जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे।
Acts 9:8 तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्तु जब आंखे खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे उसका हाथ पकड़ के दमिश्क में ले गए।
Acts 9:9 और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया।
Acts 9:10 ​दमिश्क में हनन्याह नाम एक चेला था, उस से प्रभु ने दर्शन में कहा, हे हनन्याह! उसने कहा; हां प्रभु।
Acts 9:11 तब प्रभु ने उस से कहा, उठ कर उस गली में जा जो सीधी कहलाती है, और यहूदा के घर में शाऊल नाम एक तारसी को पूछ ले; क्योंकि देख, वह प्रार्थना कर रहा है।
Acts 9:12 और उसने हनन्याह नाम एक पुरूष को भीतर आते, और अपने ऊपर आते देखा है; ताकि फिर से दृष्टि पाए।
Acts 9:13 हनन्याह ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मैं ने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है, कि इस ने यरूशलेम में तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बड़ी बुराईयां की हैं।
Acts 9:14 और यहां भी इस को महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बान्‍ध ले।
Acts 9:15 परन्तु प्रभु ने उस से कहा, कि तू चला जा; क्योंकि यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है।
Acts 9:16 और मैं उसे बताऊंगा, कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुख उठाना पड़ेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 84-86 
  • रोमियों 12



मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

आप उस पर सम्पूर्ण भरोसा रख सकते हैं

एक व्यक्ति एक घने जंगल में घूमने के लिये निकला। जंगल इतना घना था कि उस में खो जाना आसान था। जब दिन ढलने लगा तो उस ने सोचा कि अब घर वापस लौट चलना चाहिये। अपने दिशा ज्ञान के अनुसर काफी देर तक चलने के बाद भी जब उसे कोई पहचाना स्थान नहीं दीख पड़ा तो उसने अपना मार्ग जांचने के लिये अपनी जेब से कुतुबनुमा (compass) निकाल कर देखा, उसे तब मालूम पड़ा कि वह अपने अनुमान के अनुसार पूर्व दिशा में नहीं वरन वासतव में पश्चिम की ओर जा रहा था। लेकिन उस व्यक्ति को अपने दिशा ज्ञान पर इतना भरोसा था कि कुतुबनुमा से मिली जानकारी पर उसे भरोसा नहीं हुआ, उसे लगा कि कुतुबनुमा में कोई खराबी होगी। अपने इस विचार के कारण वह खिसियाकर अपने कुतुबनुमा को फेंकने पर ही था कि उसे ध्यान आया कि "मेरे इस कुतुबनुमा ने आज तक कभी मुझे धोखा नहीं दिया है, सदा मुझे सही मार्ग ही दिखाया है, इसलिये मुझे आज भी इसकी मान लेनी चहिये।" अपने उसी कुतुबनुमा की सहायता से वह व्यक्ति अनततः जंगल से बाहर निकल सका और सुरक्षित घर पहुंच सका - क्योंकि उसने अपनी समझ पर भरोसा रखना छोड़कर अपने भरोसेमंद सहायक पर भरोसा किया।

राजा सुलेमान ने अपनी प्रजा इस्त्राएल से परमेश्वर के बारे में कहा कि उसने "...ठीक अपने कथन के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को विश्राम दिया है, जितनी भलाई की बातें उसने अपने दास मूसा के द्वारा कही थीं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।" - १ राजा ८:५६। परमेश्वर का यह आश्वासन उसके लोगों के लिये आज भी वैसा ही बना हुआ है जैसा राजा सुलेमान के समय में था।

परमेश्वर जो वायदा करता है, उसे पूरा भी करता है। उसके निर्देष सदा सम्पूर्णतया भरोसेमन्द रहते हैं, वह कभी किसी रीति से भी हमें भटकाता नहीं। यदि हम अपनी बुद्धि पर इतना भरोसा करते हैं कि उसके समक्ष हम परमेश्वर के विश्वसनीय वचन पर भरोसा नहीं कर पाते, तो निश्चय हम मुसीबत की ओर अग्रसर हैं और अवश्य ही किसी दिन भयानक विपित्ति में जा पड़ेंगे।

परमेश्वर का वचन आज तक न कभी टला है और न टलेगा - आप उस पर सम्पूर्ण भरोसा रख सकते हैं। - रिचर्ड डी हॉन


बाइबल सदा अपने विश्वासी को सही दिशा ही दिखाती है।

जिस ने ठीक अपने कथन के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को विश्राम दिया है, जितनी भलाई की बातें उसने अपने दास मूसा के द्वारा कही थीं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही। - १ राजा ८:५६


बाइबल पाठ: १ राजा ८:५४-६१

जब सुलैमान यहोवा से यह सब प्रार्थना गिड़गिड़ाहट के साथ कर चुका, तब वह जो घुटने टेके और आकाश की ओर हाथ फैलाए हुए था, सो यहोवा की वेदी के साम्हने से उठा,
और खड़ा हो, समस्त इस्राएली सभा को ऊंचे स्वर से यह कह कर आशीर्वाद दिया, कि धन्य है यहोवा,
जिस ने ठीक अपने कथन के अनुसार अपनी प्रजा इस्राएल को विश्राम दिया है, जितनी भलाई की बातें उसने अपने दास मूसा के द्वारा कही थीं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।
हमारा परमेश्वर यहोवा जैसे हमारे पुरखाओं के संग रहता था, वैसे ही हमारे संग भी रहे, वह हम को त्याग न दे और न हम को छोड़ दे।
वह हमारे मन अपनी ओर ऐसा फिराए रखे, कि हम उसके सब मार्गों पर चला करें, और उसकी आज्ञाएं और विधियां और नियम जिन्हें उसने हमारे पुरखाओं को दिया था, नित्य माना करें।
और मेरी ये बातें जिनकी मैं ने यहोवा के साम्हने बिनती की है, वह दिन और रात हमारे परमेश्वर यहोवा के मन में बनी रहें, और जैसा दिन दिन प्रयोजन हो वैसा ही वह अपने दास का और अपनी प्रजा इस्राएल का भी न्याय किया करे,
और इस से पृथ्वी की सब जातियां यह जान लें, कि यहोवा ही परमेश्वर है, और कोई दूसरा नहीं।
तो तुम्हारा मन हमारे परमेश्वर यहोवा की ओर ऐसी पूरी रीति से लगा रहे, कि आज की नाई उसकी विधियों पर चलते और उसकी आज्ञाएं मानते रहो।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २७-२८
  • मत्ती २१:१-२२