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रविवार, 2 जनवरी 2011

विश्वास का आधार

पत्रकार सिडनी जे. हैरिस कहते हैं: " ’मान लीजिए आप वर्तमान के ज्ञान के साथ समय में पीछे जाकर एक मध्यकालीन सन्यासी से कहें कि इस सृष्टि में करोड़ों नक्षत्रसमूह (galaxies) हैं, प्रत्येक नक्षत्रसमूह करोड़ों नक्षत्रों से मिल कर बना है और करोड़ों मील के आकार का है, और प्रत्येक नक्षत्रसमूह एक दूसरे से तीव्र गति से दूर होता जा रहा है; हर समूह जितना दूर होता जाता है, उतनी उसकी गति बढ़ती जाती है।’ आपसे वर्तमान का यह ज्ञान सुनकर वह मध्यकालीन सन्यासी, अपने संसामयिक ज्ञान के संदर्भ में, क्या आपको पागल नहीं समझेगा?"

जो बात श्रीमान हैरिस उजागर करना मांग रहे हैं वह यह है: आप जिस भी मत को माने - चाहे परंपरागत धार्मिक मत को अथवा प्रचलित वैज्ञानिक मत को, बिना ’विश्वास’ को आधार बनाए आप किसी को भी स्वीकार नहीं कर सकते। उनका निष्कर्ष है कि जिस व्यक्ति को "ब्लैक होल" के अस्तित्व को स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है, उसे "स्वर्ग" के अस्तित्व को स्वीकर करने में भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये - दोनो के अस्तित्व की स्वीकृति केवल ’विश्वास’ पर है।

कुछ लोग हमें मूर्ख समझते हैं क्योंकि हम बाइबल में उत्पति की पुस्तक में वर्णित सृष्टि की रचना के इतिहास को सत्य मानते हैं, उसपर विश्वास करते हैं। किंतु वे भी जिन बातों को मानते हैं, उनको अपने विश्वास के आधार पर ही मानते हैं; फर्क केवल इतना है कि उनका विश्वास सीमित अवलोकनों और ऐसे निष्कर्षों पर आधारित है जो गलत भी हो सकते हैं - और विज्ञान के कई सिद्धांत और निष्कर्ष गलत प्रमाणित होकर बदले गए हैं, जबकि हमारा विश्वास परमेश्वर के कभी न झुठलाए जाने और कभी न बदलने वाले अटल वचन पर आधारित है - आज तक बाइबल की एक भी बात, अनेक प्रयासों के बावजूद, गलत प्रमाणित नहीं हुई है।

इस कारण जो परमेश्वर के अस्तित्व से इन्कार करके, विज्ञान को अपने विश्वास का आधार बनाते हैं वे घाटे में हैं क्योंकि उनके विश्वास का आधार नई खोजों के साथ बदल भी सकता है और जो आज सत्य माना जाता है, कल वो उसी विज्ञान के आधार पर असत्य भी घोषित हो सकता है।

परन्तु हम मसीही विश्वासियों के लिये ऐसी कोई अनिश्चितता नहीं है, हमारा विश्वास सृष्टि के सृष्टिकर्ता के अटल वचन पर आधारित है। परमेश्वर का वचन हमें सच्चा ज्ञान और समझ देता है और उसपर विश्वास करना हमारे लिये लज्जा की नहीं गर्व की बात है। - रिचर्ड डी हॉन


सृष्टि को हमने जितना जटिल जाना है, वह उससे कहीं कहीं अधिक जटिल है।

आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। - उतपत्ति १:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-६

अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
क्‍योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्‍छी गवाही दी गई।
विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है, और अपके खोजने वालों को प्रतिफल देता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति ४-६
  • मत्ती २

शनिवार, 1 जनवरी 2011

अति महिमामय नाम

मेरा एक मित्र कुर्सी, सोफा सेट, दीवान अदि पर कपड़ा चढ़ाने और उन्हें सजाने का कम करता है। उसने अपनी विलक्षण कारीगरी से बहुत नाम कमाया है। उसका काम इतना श्रेष्ठ होता है कि उसका नाम हमारे इलाके से भी बाहर प्रसिद्ध हो गया है। अपनी प्रसिद्धी के कारण उसे अपना यह काम प्रदेश के राज भवन, बड़े होटलों और हमारे प्रदेश के सबसे धनवान लोगों के लिये करने का अवसर मिला। उसके काम ही ने उसे नाम दिया है।

परमेश्वर का महिमामय नाम भी उसकी कारीगरी के कारण जाना जाता है। भजन ८:५, ६ में भजनकार के कहने का तातपर्य है: "आकाशमंडल की ओर देखो, सितारों, ग्रहों और नक्षत्रों में परमेश्वर की महिमा को सराहो। समुद्र और पृथ्वी के जीव-जन्तुओं में उसकी अद्भुत कारिगरी का अवलोकन करो - विलक्षण सृष्टि, परमेश्वर के हाथ से बनी और विस्मित कर देने वाली, आपसी तालमेल तथा सुन्दरता के साथ एक साथ मिलकर काम करने वाली।"

हम परमेश्वर की स्तुति करें; उसकी, जिसके शब्द में सृष्टि की सामर्थ है, जिसने कहा और जैसा कहा वैसा हो गया; उसकी, जो नक्षत्रों और ग्रहों को उनके अदृश्य मार्गों में स्थिर रखता है। उसकी बड़ाई और प्रशंसा करें, जो रहस्यमय सागरों, पहाड़ों, मैदानों, जंगलों, रेगिस्तानों, नदी-नालों, झरनों की सुन्दरता और उनमें रहने वाले विलक्षण जीव-जन्तुओं और वनस्पति से हमें आश्चर्यचकित करता है। हम अपने जीवनों में उसे ऊंचे पर उठाएं, जिसने हमें रचा, जो हमारी देख-रेख करता है और जो हमें महिमा और आदर का मुकुट देना चाहता है।

हे प्रभु, तेरा नाम कितना प्रतापमय है। - डेव एगनर


सृष्टि द्वारा सृष्टिकर्ता स्तुति और प्रशंसा का पात्र है।

हे यहोवा हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है! तू ने अपना विभव स्वर्ग पर दिखाया है। - भजन ८:१


बाइबल पाठ: भजन ८

हे यहोवा हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है! तू ने अपना विभव स्वर्ग पर दिखाया है।
तू ने अपने बैरियों के कारण बच्चों और दूध पिउवों के द्वारा सामर्थ्य की नेव डाली है, ताकि तू शत्रु और पलटा लेने वालों को रोक रखे।
जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तरागण को जो तू ने नियुक्त किए हैं, देखता हूं;
तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले?
क्योंकि तू ने उसको परमेश्वर से थोड़ा ही कम बनाया है, और महिमा और प्रताप का मुकुट उसके सिर पर रखा है।
तू ने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी है; तू ने उसके पांव तले सब कुछ कर दिया है।
सब भेड़- बकरी और गाय- बैल और जितने वन पशु हैं,
आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियां, और जितने जीव-जन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं।
हे यहोवा, हे हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १-३
  • मती १

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

देखभाल का वायदा

कैलिफोर्निया के एक बुज़ुर्ग पास्टर रे स्टैडमैन ने एक बार अपनी मण्डली से अपने संदेश में कहा: "नव वर्ष की पूर्व सन्ध्या पर, अपने जीवन के किसी भी अन्य समय से अधिक, हमें यह एहसास होता है कि हम बीते हुए वक्त को पलट नहीं सकते; ....हम पिछली यादों को दोहरा अवश्य सकते हैं, परन्तु बीते वर्ष के एक भी पल को दोबारा नहीं जी सकते।"

फिर स्टैडमैन ने बाइबल से इस्त्राएलियों का उदाहरण दिया जब वे एक नए स्थान में प्रवेश करके उसे अपना देश बनाने की कगार पर थे। चार दशकों तक बियाबान में भटकने, पुरानी पीढ़ी के गुज़र जाने के बाद, प्रवेश की कगार पर खड़ी इस नई पीढ़ी में असमंजस रहा होगा कि क्या उनमें वह विश्वास और धैर्य होगा जिससे वे इस वाचा की भूमि को अपना बना सकेंगे?

उनका नेतृत्व करने वाले मूसा ने उन्हें स्मरण दिलाया "परन्तु यहोवा के इन सब बड़े बड़े कामों को तुम ने अपनी आंखों से देखा है।" (व्यवस्थाविवरण ११:७); और, यह कि उनकी मंज़िल एक ऐसा देश है "वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है; और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है।"(व्यवस्थाविवरण ११:१२)

इस नव वर्ष की पूर्व संध्या पर हम बीते समयों की घटनाओं के कारण भविष्य के लिये चिंतित हो सकते हैं, परन्तु हमें अतीत से बंधे रहने की आवश्यक्ता नहीं है क्योंकि हम भविष्य को जानने वाले अपने परमेश्वर पर नज़रें लगा कर आगे बढ़ सकते हैं। जैसे उसकी नज़रें इस्त्राएल और वाचा की हुई भूमि पर हैं, वैसे ही हम पर भी रहतीं हैं।

परमेश्वर की देखभाल हमारे लिये नये साल के प्रत्येक दिन पर उपलब्ध रहेगी, हम इस वायदे पर पूरा पूरा विश्वास रख सकते हैं। - डेविड मैककैसलैंड


हमारे भविष्य का "क्या" अनन्त के परमेश्वर के हाथों में है।

...वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है। - व्यवस्थाविवरण ११:१२


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ११:७-१२

परन्तु यहोवा के इन सब बड़े बड़े कामों को तुम ने अपनी आंखों से देखा है।
इस कारण जितनी आज्ञाएं मैं आज तुम्हें सुनाता हूं उन सभों को माना करना, इसलिये कि तुम सामर्थी होकर उस देश में जिसके अधिकारी होने के लिये तुम पार जा रहे हो प्रवेश करके उसके अधिकारी हो जाओ,
और उस देश में बहुत दिन रहने पाओ, जिसे तुम्हें और तुम्हारे वंश को देने की शपथ यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी, और उस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं।
देखो, जिस देश के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो वह मिस्र देश के समान नहीं है, जहां से निकल कर आए हो, जहां तुम बीज बोते थे और हरे साग के खेत की रीति के अनुसार अपने पांव की नलियां बना कर सींचते थे;
परन्तु जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़ों और तराईयों का देश है, और आकाश की वर्षा के जल से सिंचता है,
वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है; और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है।

एक साल में बाइबल:
  • मलाकी १-४
  • प्रकाशितवाक्य २२

गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

सही उद्देश्य

वह खिलाड़ी अपने अभ्यास और व्यायाम को काफी समय से छोड़ चुका था। अब उसने फिर से अभ्यास आरंभ करने की ठानी, इसलिये उसने अपने लिये व्यायाम का क्रम निर्धारित किया। पहले दिन उसने कई डंड बैठकें और हलकी दौड़ लगाई। अगले दिन, कुछ और अधिक डंड बैठकें, कुछ और लम्बी दौड़। तीसरे दिन फिर कुछ अधिक व्यायाम और कुछ और लम्बी दौड़। चौथे दिन जब हमारा यह खिलाड़ी सुबह उठा तो उसका गला बैठा हुआ था और तबियत खराब थी।

अब उसने अपनी स्थिति पर विचार किया और इस निष्कर्श पर पहुंचा कि यदि व्यायाम द्वारा इतना हांफने और तेज़ सांस लेने का यही नतीजा निकला तो वह व्यायाम नहीं करेगा, वह जैसा है वैसा ही भला!

अब एक दूसरा दृश्य देखते हैं, खिलाड़ी की जगह मसीही विश्वासी को रख देते हैं। इस विश्वासी को एहसास होता है कि उसने बहुत समय से परमेश्वर के साथ अपने संबंध को नज़रंदाज़ किया हुआ है, और इसे ठीक करने के लिये वह अपने आत्मिक व्यायाम - बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने का नया क्रम आरंभ करता है। यह आरंभ करने के कुछ दिनों पश्चात ही उसके जीवन में कुछ समस्याएं आ जातीं हैं। अब उसे किस निष्कर्श पर पहुंचना चाहिये? क्या उस खिलाड़ी के समान उसे सोच लेना चाहिये कि उसकी आत्मिक प्रगति का व्यायाम एक व्यर्थ प्रयास है जिससे उसे कुछ लाभ नहीं हुआ? कदापि नहीं!

हमें यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिये कि हमारा बाइबल पढ़ना, प्रार्थना करना, परमेश्वर के लोगों की संगति करना आदि का उद्देश्य यह नहीं है कि हमें कष्ट और परेशानी से रहित जीवन मिल जाए। हम यह इसलिये करते हैं ताकि हम उस सिद्ध परमेश्वर के और निकट आ सकें, उसे और भली भांति जान सकें और उसकी इच्छाओं को पूरा कर सकें। प्रभु यीशु ने कभी अपने अनुयायीयों को यह आश्वासन नहीं दिया कि उन्हें संसार में कष्ट रहित जीवन और संसार के सब सुख मिलेंगे। प्रभु ने कहा "ये बातें मैं ने तुम से इसलिये कहीं कि तुम ठोकर न खाओ। वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं। और यह वे इसलिये करेंगे कि उन्‍होंने न पिता को जाना है और न मुझे जानते हैं। परन्‍तु ये बातें मैं ने इसलिये तुम से कहीं, कि जब उन का समय आए तो तुम्हें स्मरण आ जाए, कि मैं ने तुम से पहिले ही कह दिया था:" (यूहन्ना १६:१-४) "मैं ने तेरा वचन उन्‍हें पहुंचा दिया है, और संसार ने उन से बैर किया, क्‍योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं।" (यूहन्ना १७:१४) पौलुस ने लिखा "पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे" (२ तिमुथियुस ३:१२)।

मसीही विश्वासी के लिये परमेश्वर भक्ति का उद्देश्य सांसारिक उप्लब्धियां नहीं हैं "यदि हम केवल इसी जीवन में मसीह से आशा रखते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं" (१ कुरिन्थियों १५:१९)। परमेश्वर इस संसार में भी हमें बहुत कुछ दे सकता है और देता है, परन्तु हमारी आशा और प्रतिफल उस स्वर्ग के अनन्त जीवन के हैं जहां अन्ततः हमने जाना है। इसलिये "तो आओ, हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं। और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है।" (इब्रानियों १०:२२, २३) - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के वचन और प्रार्थना में विश्वासी जीवन की जड़ें धंसाने से ही जीवन में स्थिरता और शांति आती है।

तो आओ, हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं। - इब्रानियों १०:२२


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:२२-३९

तो आओ, हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं।
और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्‍योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्‍चा है।
और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें।
और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें, और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।
क्‍योंकि सच्‍चाई की पहिचान प्राप्‍त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
हां, दण्‍ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्‍वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
जब कि मूसा की व्यवस्था का न मानने वाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।
तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्‍ड के योग्य ठहरेगा, जिस ने परमेश्वर के पुत्र को पांवों से रौंदा, और वाचा के लोहू को जिस के द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना है, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
क्‍योंकि हम उसे जानते हैं, जिस ने कहा, कि पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूंगा: और फिर यह, कि प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।
जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।
परन्‍तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
क्‍योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्‍द से लुटने दी; यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
सो अपना हियाव न छोड़ो क्‍योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
क्‍योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्‍छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
क्‍योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।

एक साल में बाइबल:
  • ज़क्कर्याह १३-१४
  • प्रकाशितवाक्य २१

बुधवार, 29 दिसंबर 2010

नया और पुराना

मैं सिंगापुर में एक पेट्रोलियम कंपनी में काम कर रहा था, वहां एक अन्य देश से, जो उस समय युद्ध में था, एक निरीक्षक उसके देश को भेजे जाने वाले तेल की खेप का परिक्षण करने आया। निरीक्षण के समय अचानक उपर से वायु सेना के युद्ध विमानों की आवाज़ सुनकर, आदत अनुसार वह छुपने के स्थान को ढूंढता हुआ भागा; फिर झेंपकर बोला, "क्षमा कीजिये, मुझे लगा कि मैं अपने देश में हूं"; उसने, आदत अनुसार, वही किया जो वह अपने युद्ध ग्रसित देश में होने पर करता।

मसीही विश्वासी के लिये, संसार की बातों और आकर्षणों में पड़कर, अपने पुराने पापमय चाल-चलन में तथा अपनी पुरानी आदतों के अनुसार चलने के प्रलोभन आते हैं। यद्यपि हम विश्वासी "मसीह यीशु में हैं" (रोमियों ८:१), फिर भी कभी कभी हम ऐसे जीने लगते हैं जैसे कि हम पाप में हों।

पाप के दासत्व से हमें छुड़ाने के लिये परमेश्वर ने बहुत भारी कीमत चुकाई। उसने यह "अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर" किया (रोमियों ८:३)। अब हम "पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था" के आधीन नहीं, वरन "जीवन की आत्मा की व्यवस्था" के आधीन हैं (रोमियों ८:२)। इसलिये पौलुस कहता है कि अब हमें आध्यात्मिक व्यक्तियों के समान आत्मिक बातों पर मन लगाना है (रोमियों ८:५)। इसका अर्थ है कि अब हमें परमेश्वर की आत्मा के निर्देश में परमेश्वर के वचन से मार्गदर्शन लेना है।

जब भी आपके सामने अपने पुराने पापमय जीवन की बातों के अनुसार चलने के प्रलोभन आएं, परमेश्वर के आत्मा के आधीन हो जाएं, जो मसीह के प्रत्येक विश्वासी आंदर निवास करता है। वह आपको "मसीह में" चलने और बने रहने का मार्ग दिखाएगा और उसमें लेकर चलेगा। - सी. पी. हिया


जब आप नया जन्म लेते हैं तो स्वर्ग के नागरिक बन जाते हैं।

क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया। - रोमियों ८:२


बाइबल पाठ: रोमियों ८:१-१०

सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया।
क्‍योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण र्दुबल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्‍ड की आज्ञा दी।
इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए।
क्‍योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं, परन्‍तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं।
शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्‍तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्‍ति है।
क्‍योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्‍योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के अधीन है, और न हो सकता है।
और जो शारीरिक दशा में है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते।
परन्‍तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्‍तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं।
और यदि मसीह तुम में है, तो देह पाप के कारण मरी हुई है, परन्‍तु आत्मा धर्म के कारण जीवित है।

एक साल में बाइबल:
  • ज़क्कर्याह ९-१२
  • प्रकाशितवाक्य २०

मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

धीरज रखने की सामर्थ

व्यवासयिक गोल्फ खिलड़ी पौला क्रीमर ने सारे साल परिश्रम किया जिससे उसे २००८ की ADT प्रतियोगिता में भाग लेने का स्थान मिल सके। जब प्रतियोगिता आरंभ हुई तो पौला पेट के रोग से ग्रसित हो गई और प्रतियोगिता के चारों दिन उसे पेट में सूजन के कारण बहुत दर्द रहा, वह कुछ खा भी नहीं पा रही थी और एक रात उसे अस्पताल में भी बितानी पड़ी। फिर भी वह अन्त तक प्रतियोगिता में बनी रही, और आश्चर्य की बात रही कि उसे प्रतियोगिता में तीसरा स्थान मिला। तकलीफ के बवजूद प्रतियोगिता में बने रहने के उसके दृढ़ निश्चय के कारण उसके कई नये प्रशंसक बन गये।

इस जीवन की चुनौतियां और मुश्किलें हमें हमारी सहने की शक्ति की सीमाओं तक परख सकती हैं, और ऐसे में हार मान लेना और धीरज छोड़ देना बहुत आसान होता है। प्रभु यीशु के अनुयाइयों को याकूब ऐसे में एक और परिप्रेक्ष्य दिखाता है। उसका कहना है कि चाहे जीवन एक संघर्ष हो, परन्तु संघर्ष के साथ आशीष भी है: "देखो, हम धीरज धरने वालों को धन्य कहते हैं: तुम ने अय्युब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्‍त करूणा और दया प्रगट होती है" (याकूब ५:११)।

अय्युब के जीवन से हम जीवन की कठिनतम घड़ियों में भी धीरज बनाए रखने के लिये प्रोत्साहन और सामर्थ पाते हैं - सामर्थ जो ऐसे परमेश्वर से है जो कि दयावन्त और करुणामय है। यद्यपि जीवन कठिन और जटिल हो सकता है, लेकिन हम धीरज सहित परिस्थितियों में दृढ़ बने रह सकते हैं क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है। उसकी करुणा सदा बनी रहती है (भजन १३६)। - बिल क्राउडर


परमेश्वर हमें बने रहने की शक्ति प्रदान करता है।

देखो, हम धीरज धरने वालों को धन्य कहते हैं: तुम ने अय्युब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्‍त करूणा और दया प्रगट होती है - याकूब ५:११

बाइबल पाठ: याकूब ५:१-११

हे धनवानों सुन तो लो, तुम अपने आने वाले क्‍लेशों पर चिल्लाकर रोओ।
तुम्हारा धन बिगड़ गया और तुम्हारे वस्‍त्रों को कीड़े खा गए।
तुम्हारे सोने-चान्‍दी में काई लग गई है, और वह काई तुम पर गवाही देगी, और आग की नाई तुम्हारा मांस खा जाएगी: तुम ने अन्‍तिम युग में धन बटोरा है।
देखो, जिन मजदूरों ने तुम्हारे खेत काटे, उन की वह मजदूरी जो तुम ने धोखा देकर रख ली है चिल्ला रही है, और लवने वालों की दोहाई, सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुंच गई है।
तुम पृथ्वी पर भोग-विलास में लगे रहे और बड़ा ही सुख भोगा, तुम ने इस वध के दिन के लिये अपने हृदय का पालन-पोषण करके मोटा ताजा किया।
तुम ने धर्मी को दोषी ठहराकर मार डाला, वह तुम्हारा साम्हना नहीं करता।
सो हे भाइयों, प्रभु के आगमन तक धीरज धरो, देखो, गृहस्थ पृथ्वी के बहुमूल्य फल की आशा रखता हुआ प्रथम और अन्‍तिम वर्षा होने तक धीरज धरता है।
तुम भी धीरज धरो, और अपने हृदय को दृढ़ करो, क्‍योंकि प्रभु का शुभागमन निकट है।
हे भाइयों, एक दूसरे पर दोष न लगाओ ताकि तुम दोषी न ठहरो, देखो, हाकिम द्वार पर खड़ा है।
हे भाइयो, जिन भविष्यद्वक्ताओं ने प्रभु के नाम से बातें की, उन्‍हें दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो।
देखो, हम धीरज धरने वालों को धन्य कहते हैं: तुम ने अय्युब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्‍त करूणा और दया प्रगट होती है।

एक साल में बाइबल:
  • ज़क्कर्याह ५-८
  • प्रकाशितवाक्य १९

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

अनुग्रह का स्थान

२८ दिसंबर २००८ को अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर के टाईम्स स्कुऐर में Good Riddance Day (पिंड छुड़ाने का दिन) का आयोजन किया गया। आयोजकों ने लोगों को उत्साहित किया कि वे बीते वर्ष की अपनी बुरी यादें और तकलीफें लेकर आयें और कागज़ की धज्जियां बनाने वाली विशाल मशीन (Shredder) या रखे गये बड़े से कूड़ेदान में उन्हें डाल दें।

लोगों ने जिन बातों को सांकेतिक रूप से अपने से दूर किया उनमें कुछ थीं ’स्टॉक मार्केट’, ’कैंसर’आदि। कुछ ने बैंक के कागज़ात फाड़े, एक लड़की ने अपने ’बॉयफ्रैंड’, जो उससे अलग हो गया था, की ईमेल फाड़ीं।

हम अपने दुखदायी अनुभवों, लोगों द्वारा हमारे विरोध में करी गई बातों, अपनी कठिन परिस्थितियों आदि की यादों को भुला देने की लालसा रखते हैं। प्रेरित पौलुस भी चाहता था कि उसे तकलीफ देने वाली व्याधि, जो उसे कमज़ोर कर रही थी, से वह छुटकारा पाये (२ कुरिन्थियों १२:७-१०)। परन्तु परमेश्वर ने उससे कहा, "मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है, क्‍योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है" (२ कुरिन्थियों १२:९)। परमेश्वर ने वह तकलीफ नहीं हटाई वरन उसे सहन करने की सामर्थ और उस समस्या में भी परमेश्वर की महिमा करने की सामर्थ दे दी।

जब हम अपने मनों में समस्याओं पर विचार करते रहते हैं तो वे हमें बोझिल कर देती हैं और हमारे रिश्तों और जीवन के प्रति नज़रिये पर प्रभाव डालती हैं। प्रभु यीशु के विश्वासियों के पास इन समस्याओं को ले जाने का ऐसा स्थान है जहां से वे फिर उन्हें परेशान नहीं कर सकतीं - "इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।" (१ पतरस ५:६, ७)

क्या आपने इस अनुग्रह के स्थान को जाना है? क्या आप ने अपनी चिन्ताएं उस अनुग्रह के स्थान पर डाल दी हैं? परमेश्वर का निमंत्रण आज आपके लिये है, प्रभु यीशु में आपके लिये अनुग्रह का स्थान खुला है उसने वय्दा दिया है - "हे सब परिश्र्म करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्रम दूंगा" (मती ११:२८)। - ऐनी सेटास


परमेश्वर हमें प्रत्येक समस्या का सामना करने की सामर्थ देता है।

मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है, क्‍योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है। - २ कुरिन्थियों १२:९


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १२:७-१०

और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं।
इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार विनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए।
और उस ने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है, क्‍योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्‍द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे।
इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं, क्‍योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल:
  • ज़क्कर्याह १-४
  • प्रकाशितवाक्य १८