ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 24 जून 2018

उपथिति



      जब हमें पता चला कि हमारी मित्र सिंडी को कैंसर है तो हमारे दिल बैठ गए। सिंडी एक ऐसी जोशीली महिला थी जिसके जीवन से हर वह व्यक्ति आशीषित हो जाता था जो उसके संपर्क में आता था। जब उपचार के दौरान पता चला के कैंसर काबू में आ गया है तो हम बहुत आनन्दित हुए, परन्तु कुछ ही महीनों में वह कैंसर बड़ी प्रबलता से लौट आया। हमारे मनों में, अभी मृत्यु के लिए वह उम्र में छोटी थी। उसके पति ने हमें उसके अंतिम कुछ घंटों के बारे में बताया। जब वह बहुत कमज़ोर हो गई थी और उसके लिए बोलना भी कठिन हो गया था, तब उसने अपने पति से फुसफुसा कर कहा, “मेरे पास बने रहो।” उन अंतिम क्षणों में सिंडी को केवल अपने पति की प्रेम भरी उपस्थिति चाहिए थी।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों को लिखी पत्री के लेखक ने अपने पाठकों को प्रोत्साहित करने के लिए व्यवस्थाविवरण 31:6 में से उध्दृत किया, जहाँ परमेश्वर अपने लोगों से कहता है “...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा” (इब्रानियों 13:5)। हमारे जीवन के सबसे अन्धकार पूर्ण पलों में भी, उसकी प्रेम भरी उपस्थिति का आश्वासन, हमें भरोसा देता है कि हम अकेले नहीं हैं। वह हमें सहन करने के लिए अनुग्रह देता है, यह समझने के लिए बुद्धि देता है कि हर बात में वह हमारे पक्ष में ही कार्य कर रहा है, और यह आश्वासन देता है कि मसीह “हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी होता है” (4:15)।

      आज हम प्रभु यीशु की प्रेम भरी उपस्थित को गले लगाएँ, जिससे कि हम भरोसे के साथ कहा सकें कि “प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है” (13:6)। - जो स्टोवेल


परमेश्वर की उपस्थिति में शान्ति है।

इतना हो कि तू हियाव बान्धकर और बहुत दृढ़ हो कर जो व्यवस्था मेरे दास मूसा ने तुझे दी है उन सब के अनुसार करने में चौकसी करना; और उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बांए, तब जहां जहां तू जाएगा वहां वहां तेरा काम सफल होगा। - यहोशू 1:7

बाइबल पाठ: इब्रानियों 13:1-6
Hebrews 13:1 भाईचारे की प्रीति बनी रहे।
Hebrews 13:2 पहुनाई करना न भूलना, क्योंकि इस के द्वारा कितनों ने अनजाने स्‍वर्गदूतों की पहुनाई की है।
Hebrews 13:3 कैदियों की ऐसी सुधि लो, कि मानो उन के साथ तुम भी कैद हो; और जिन के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है, उन की भी यह समझकर सुधि लिया करो, कि हमारी भी देह है।
Hebrews 13:4 विवाह सब में आदर की बात समझी जाए, और बिछौना निष्‍कलंक रहे; क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों, और परस्त्रीगामियों का न्याय करेगा।
Hebrews 13:5 तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।
Hebrews 13:6 इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 1-2
  • प्रेरितों 7:22-43



शनिवार, 23 जून 2018

सेवा



      मेरी एक सहेली ने कहा कि वह सेक्रेटरी का कार्य करती है, और जब लोगों को यह बताती है तो सामान्यतः वे उसकी ओर दया-भाव से देखते हैं; परन्तु जब उन्हें मालूम चलता है कि मैं किस की सेक्रटरी हूँ तो उनकी आँखें अचरज और प्रशंसा से फटी रह जाती हैं। कहने का अभिप्राय यह है कि समाज कुछ कार्यों को औरों से अधिक महत्वपूर्ण समझता है, जब तक कि वे कार्य किसी धनी अथवा प्रसिद्ध व्यक्ति से किसी रीति से संबंधित न हों।

      परन्तु परमेश्वर की सन्तान, हम मसीही विश्वासी, किसी भी पेशे को, हमारा सांसारिक स्वामी चाहे कोई भी हो, गर्व के साथ कर सकते हैं, क्योंकि हम अन्ततः प्रभु यीशु की सेवा करते हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में इफिसियों 6 अध्याय में पौलुस प्रेरित अपनी पत्री के द्वारा स्वामियों और सेवकों, दोनों को संबोधित करता है। वह दोनों को स्मरण कराता है कि हम एक ही स्वामी की सेवा करते हैं, जो स्वर्ग में है। इसलिए हमें प्रत्येक कार्य मन की सच्चाई, पूर्ण निष्ठा, और आदर के साथ करना चाहिए क्योंकि हम मसीह के लिए कार्य कर रहे हैं, उसी की सेवा कर रहे हैं। पौलुस ने लिखा, “और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो” (इफिसियों 6:7)।

      यह हम मसीही व्श्वासियों का कैसा अनुपम सौभाग्य है कि हम अपने प्रत्येक कार्य में परमेश्वर की सेवा करते हैं। वह चाहे फोन का उत्तर देना हो, या कार चलाना हो, या घरेलू कार्य करना हो अथवा कोई व्यवसाय चलाना हो। हम अपना हर कार्य एक मुस्कराहट के साथ करें, यह ध्यान रखते हुए कि हम चाहे जो भी करें, हम परमेश्वर ही की सेवा करते हैं। - कीला ओकोआ


सेवा करना परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम को दर्शाता है।

और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो। - कुलुस्सियों 3:17

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:5-9
Ephesians 6:5 हे दासों, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो।
Ephesians 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों के समान दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों के समान मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो।
Ephesians 6:7 और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो।
Ephesians 6:8 क्योंकि तुम जानते हो, कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो, चाहे स्‍वतंत्र; प्रभु से वैसा ही पाएगा।
Ephesians 6:9 और हे स्‍वामियों, तुम भी धमकियां छोड़कर उन के साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्‍वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 9-10
  • प्रेरितों 7:1-21



शुक्रवार, 22 जून 2018

प्रावधान



      ट्रिस्टान डा कुन्हा द्वीप अपनी भौगोलिक स्थिति और एकान्तता के लिए प्रसिद्ध है। उसपर निवास करने वाले 288 लोगों के कारण, वह विश्व का सबसे दूरस्त बसा हुआ द्वीप है। यह द्वीप दक्षिणी अटलांटिक महासागर में, दक्षिणी अफ्रीका से 1,750 मील दूर स्थित है, जो इससे निकटतम भूभाग है, और यदि किसी को वहाँ जाना हो तो उसे नाव से सात दिन की यात्रा करनी पड़ेगी, क्योंकि उस द्वीप पर कोई हवाई-पट्टी नहीं है।

      प्रभु यीशु मसीह और उसके अनुयायी एक एकांत स्थल पर थे जब प्रभु ने हज़ारों भूखे लोगों के लिए आश्चर्यकर्म द्वारा भोजन का प्रावधान किया। यह आश्चर्यकर्म करने से पहले प्रभु ने अपने अनुयायियों से कहा, “मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि यह तीन दिन से बराबर मेरे साथ हैं, और उन के पास कुछ भी खाने को नहीं। यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूं, तो मार्ग में थक कर रह जाएंगे; क्योंकि इन में से कोई कोई दूर से आए हैं” (मरकुस 8:2-3)। क्योंकि वे निर्जन स्थान में थे जहाँ भोजन सरलता से उपलब्ध नहीं था, इसलिए उन्हें पूर्णतः प्रभु यीशु पर निर्भर होना था। उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।

      कभी-कभी परमेश्वर हमें ऐसे सुनसान स्थानों में आ लेने देता है जहाँ केवल वह ही हमारी सहायता हो सकता है। उसके द्वारा हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होना हमारी परिस्थितयों पर निर्भर नहीं है। यदि परमेश्वर इस सृष्टि को ‘कुछ नहीं’ से बना सकता है तो निश्चय ही वह हमारी प्रत्येक आवश्यकता को भी पूरा कर सकता है, हमारी परिस्थिति चाहे कैसी भी हो। परमेश्वर अपनी महिमा के धन के अनुसार प्रभु यीशु में होकर, सदा हमारे लिए प्रावधान कर सकता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हम भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर वह कर सकता है जो हम नहीं कर सकते हैं।

और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। - फिलिप्पियों 4:19

बाइबल पाठ: मरकुस 8:1-13
Mark 8:1 उन दिनों में, जब फिर बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई, और उन के पास कुछ खाने को न था, तो उसने अपने चेलों को पास बुलाकर उन से कहा।
Mark 8:2 मुझे इस भीड़ पर तरस आता है, क्योंकि यह तीन दिन से बराबर मेरे साथ हैं, और उन के पास कुछ भी खाने को नहीं।
Mark 8:3 यदि मैं उन्हें भूखा घर भेज दूं, तो मार्ग में थक कर रह जाएंगे; क्योंकि इन में से कोई कोई दूर से आए हैं।
Mark 8:4 उसके चेलों ने उसको उत्तर दिया, कि यहां जंगल में इतनी रोटी कोई कहां से लाए कि ये तृप्‍त हों?
Mark 8:5 उसने उन से पूछा; तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं? उन्होंने कहा, सात।
Mark 8:6 तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी, और वे सात रोटियां लीं, और धन्यवाद कर के तोड़ीं, और अपने चेलों को देता गया कि उन के आगे रखें, और उन्होंने लोगों के आगे परोस दिया
Mark 8:7 उन के पास थोड़ी सी छोटी मछिलयां भी थीं; और उसने धन्यवाद कर के उन्हें भी लोगों के आगे रखने की आज्ञा दी।
Mark 8:8 सो वे खाकर तृप्‍त हो गए और शेष टृकड़ों के सात टोकरे भरकर उठाए।
Mark 8:9 और लोग चार हजार के लगभग थे; और उसने उन को विदा किया।
Mark 8:10 और वह तुरन्त अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़कर दलमनूता देश को चला गया।
Mark 8:11 फिर फरीसी निकलकर उस से वाद-विवाद करने लगे, और उसे जांचने के लिये उस से कोई स्‍वर्गीय चिन्ह मांगा।
Mark 8:12 उसने अपनी आत्मा में आह मार कर कहा, इस समय के लोग क्यों चिन्‍ह ढूंढ़ते हैं? मैं तुम से सच कहता हूं, कि इस समय के लोगों को कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।
Mark 8:13 और वह उन्हें छोड़कर फिर नाव पर चढ़ गया और पार चला गया।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 6-8
  • प्रेरितों 6



गुरुवार, 21 जून 2018

प्रेम



      प्रेम केवल सँसार को चलाता ही नहीं है, वरन वह हमें भावनात्मक और चोट खाने के लिए खुला भी कर देता है। हम समय-समय पर अपने आप से कहते हैं, “क्यों प्रेम करें जब दूसरे कोई सराहना नहीं करते हैं?” या “क्यों प्रेम में पड़कर मैं अपने आप को दुखी होने के लिए खुला करूँ?” परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस प्रेम करते रहने का स्पष्ट और सीधा कारण देता है: “पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।  प्रेम का अनुकरण करो...” (1 कुरिन्थियों 13:13-14:1)।

      बाइबल के व्याख्याकर्ता सी. के. बैरट लिखते हैं, “प्रेम क्रिया है, स्वयं परमेश्वर की क्रिया; और जब मनुष्य उससे या अन्य मनुष्यों से प्रेम करते हैं, तब वे (चाहे जितने भी असिद्ध रीति से) वही करते हैं जो परमेश्वर करता है। और जब हम परमेश्वर के समान कार्य करते हैं, तो परमेश्वर प्रसन्न होता है।

      प्रेम के मार्ग का अनुकरण करने के लिए, विचार कीजिए कि आप 1 कुरिन्थियों 13:4-7 में दिए गए गुणों को अपने जीवन में कार्यशाली किस प्रकार से प्रदर्शित कर सकते हैं? उदाहरण के लिए, अपने आप से पूछिए, जैसा धैर्य परमेश्वर मेरे प्रति दिखाता है, मैं अपनी सन्तान के प्रति वैसा ही धैर्य कैसे दिखा सकता हूँ? मैं अपने माता-पिता के प्रति आदर और दया कैसे दिखा सकता हूँ? अपने कार्य-स्थल पर  कार्य करते समय मैं औरों के हित के बारे में कैसे ध्यान कर सकता हूँ? जब मेरे किसी मित्र के साथ कुछ अच्छा होता है तो क्या मैं उसके साथ आनन्दित होता हूँ या ईर्ष्या करता हूँ?

      जब हम “प्रेम का अनुकरण” करेंगे, तो हम पाएँगे कि हम बहुधा प्रेम के स्त्रोत, परमेश्वर, तथा प्रभु यीशु, जो प्रेम का सबसे महान उदाहरण है, की ओर मुड़ते हैं। और तब ही हम सच्चे प्रेम की गहरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, तथा परमेश्वर के समान औरों से प्रेम करने की सामर्थ्य पा सकते हैं। - पो फैंग चिया


हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। - 1 यूहन्ना 4:7

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 13
1 Corinthians 13:1 यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
1 Corinthians 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
1 Corinthians 13:3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्‍दित होता है।
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
1 Corinthians 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
1 Corinthians 13:10 परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों के समान बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दी।
1 Corinthians 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
1 Corinthians 13:13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 3-5
  • प्रेरितों 5:22-42



बुधवार, 20 जून 2018

हू-आ


      अमरीकी सेना की उक्ति “हू-आ” सैनिकों द्वारा सहमति में उच्चारित किया गया प्रत्युत्तर है। इसका मूल अर्थ तो इतिहास में कहीं खो गया है, परन्तु कुछ का कहना है कि यह एक प्राचीन परिवर्णी शब्द HUA – Heard (सुना), Understood (समझा), Acknowledged (स्वीकार किया) से आया है। मैंने इसे सबसे पहले अपने आरंभिक सैन्य-प्रशिक्षण में सुना था।

      कई वर्षों के पश्चात यह शब्द पुनः मेरी शब्दावली में सम्मिलित हो गया, जब मैंने बुधवार प्रातः बाइबल अध्ययन के लिए कुछ लोगों के साथ जमा होना आरंभ किया। एक प्रातः एक पुरुष ने, जो एक सैनिक रहा था, तथा परमेश्वर के वचन बाइबल में से एक भजन को पढ़ रहा था, जब वह उस भजन में लिखे संकेत शब्द सेला पर आया तो उसने सेला के स्थान पर कहा “हू-आ”; और तब से वह हमारे लिए सेला के स्थान पर प्रयुक्त होने वाला शब्द बन गया।

      कोई यह निश्चित नहीं जानता है कि सेला का वास्तविक अर्थ क्या होता है। कुछ कहते हैं यह भजन के संगीत से संबंधित संकेत शब्द है। यह बहुधा एक ऐसे सत्य के बाद प्रयोग होता है, जिसके लिए एक गंभीर, भावनात्मक उत्तर की अपेक्षा की जाती है। इस अभिप्राय में, मेरे लिए सेला के स्थान पर “हू-आ” उपयुक्त है।
      आज प्रातः मैंने भजन 68:19 पढ़ा: “धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है”। सेला

      ज़रा भजनकार द्वारा कही गई इस बात की कल्पना कीजिए, प्रति प्रातः परमेश्वर हमें अपने कंधों पर उठाता है और दिन भर लिए फिरता है। वही हमारा उद्धार है। हम उसमें सुरक्षित एवँ सकुशल हैं, हमें किसी बात की चिंता करने की या भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इसलिए मैं इसके लिए कहता हूँ, “हू-आ”! – डेविड रोपर


आराधना परमेश्वर को वह सर्वोत्तम अर्पित करना है जो उसने हमें दिया है। - ओसवाल्ड चैम्बर्स

तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा। सेला – भजन 32:7

बाइबल पाठ: भजन 68:7-10, 19-20
Psalms 68:7 हे परमेश्वर, जब तू अपनी प्रजा के आगे आगे चलता था, जब तू निर्जल भूमि में सेना समेत चला,
Psalms 68:8 तब पृथ्वी कांप उठी, और आकाश भी परमेश्वर के साम्हने टपकने लगा, उधर सीनै पर्वत परमेश्वर, हां इस्राएल के परमेश्वर के साम्हने कांप उठा।
Psalms 68:9 हे परमेश्वर, तू ने बहुत से वरदान बरसाए; तेरा निज भाग तो बहुत सूखा था, परन्तु तू ने उसको हरा भरा किया है;
Psalms 68:10 तेरा झुण्ड उस में बसने लगा; हे परमेश्वर तू ने अपनी भलाई से दीन जन के लिये तैयारी की है।
Psalms 68:19 धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है। सेला
Psalms 68:20 वही हमारे लिये बचाने वाला ईश्वर ठहरा; यहोवा प्रभु मृत्यु से भी बचाता है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 1-2
  • प्रेरितों 5:1-21


मंगलवार, 19 जून 2018

अध्ययन



      सातवें महीने के पहले दिन, 444 ईसा पूर्व, जब सूर्योदय हुआ, तब एज्रा ने मूसा द्वारा परमेश्वर से प्राप्त हुई व्यवस्था की पुस्तक को, जो आज हमारे पास परमेश्वर के वचन बाइबल की पहली पाँच पुस्तकों के रूप में विद्यमान है, यरूशलेम के लोगों के सामने एक मंच पर खड़े होकर पढ़ना आरंभ किया, और पूरा होने तक उसे छः घंटे तक पढ़ता रहा।

      नगर के द्वार पर, जो जलफाटक भी कहलाता था, पुरुष, महिलाएँ और बच्चे, परमेश्वर द्वारा निर्धारित तुरहियों का पर्व मनाने के लिए एकत्रित हुए थे। वे परमेश्वर की व्यवस्था की बातों को खड़े सुनते रहे, और उनकी प्रतिक्रिया में हम चार बातें देखते हैं। वे व्यवस्था की उस पुस्तक के प्रति अपनी श्रद्धा के कारण खड़े हो गए (नहेम्याह 8:5)। उन्होंने हाथों को उठाकर परमेश्वर की स्तुति की और सहमति के लिए “आमीन” कहा। उन्होंने दीन होकर दण्डवत किया (पद 6)। उन्होंने ध्यान से पवित्रशास्त्र के पढ़े तथा समझाए जाने को सुना (पद 8)। वह कैसा अद्धभुत दिन था जब वह पुस्तक जो “परमेश्वर ने इस्राएल के लिए दी थी” उसे यरूशलेम की नवनिर्मित दीवारों अन्दर ऊँची आवाज़ में पढ़ा गया।

      एज्रा द्वारा परमेश्वर के वचन को पढ़ने के इस लंबे सत्र के वर्णन से हम सीखते हैं कि परमेश्वर के वचन को पढ़ना, उसकी स्तुति, आराधना, और उससे सीखने का माध्यम होता है। जब हम बाइबल को खोलकर उसका अध्ययन करते हैं, तो हम प्रभु यीशु के बारे में और अधिक सीखते हैं। बाइबल अध्ययन हमें परमेश्वर की स्तुति, आराधना, और हमारे लिए उसकी इच्छा एवँ योजना जानने में सहायक होता है। - डेव ब्रैनन


बाइबल अध्ययन का उद्देश्य केवल सीखना ही नहीं, वरन जीवन को सँवारना है।

क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। - 2 पतरस 1:3

बाइबल पाठ: नहेम्याह 8:1-8
Nehemiah 8:1 जब सातवां महीना निकट आया, उस समय सब इस्राएली अपने अपने नगर में थे। तब उन सब लोगों ने एक मन हो कर, जलफाटक के साम्हने के चौक में इकट्ठे हो कर, एज्रा शास्त्री से कहा, कि मूसा की जो व्यवस्था यहोवा ने इस्राएल को दी थी, उसकी पुस्तक ले आ।
Nehemiah 8:2 तब एज्रा याजक सातवें महीने के पहिले दिन को क्या स्त्री, क्या पुरुष, जितने सुनकर समझ सकते थे, उन सभों के साम्हने व्यवस्था को ले आया।
Nehemiah 8:3 और वह उसकी बातें भोर से दो पहर तक उस चौक के साम्हने जो जलफाटक के साम्हने था, क्या स्त्री, क्या पुरुष और सब समझने वालों को पढ़कर सुनाता रहा; और लोग व्यवस्था की पुस्तक पर कान लगाए रहे।
Nehemiah 8:4 एज्रा शास्त्री, काठ के एक मचान पर जो इसी काम के लिये बना था, खड़ा हो गया; और उसकी दाहिनी अलंग मत्तित्याह, शेमा, अनायाह, ऊरिय्याह, हिल्किय्याह और मासेयाह; और बाई अलंग, पदायाह, मीशाएल, मल्किय्याह, हाशूम, हश्बद्दाना, जकर्याह और मशुल्लाम खड़े हुए।
Nehemiah 8:5 तब एज्रा ने जो सब लोगों से ऊंचे पर था, सभों के देखते उस पुस्तक को खोल दिया; और जब उसने उसको खोला, तब सब लोग उठ खड़े हुए।
Nehemiah 8:6 तब एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा को धन्य कहा; और सब लोगों ने अपने अपने हाथ उठा कर आमीन, आमीन, कहा; और सिर झुका कर अपना अपना माथा भूमि पर टेक कर यहोवा को दण्डवत किया।
Nehemiah 8:7 और येशू, बानी, शेरेब्याह, यामीन, अक्कूब, शब्बतै, होदिय्याह, मासेयाह, कलीता, अजर्याह, योजाबाद, हानान और पलायाह नाम लेवीय, लोगों को व्यवस्था समझाते गए, और लोग अपने अपने स्थान पर खड़े रहे।
Nehemiah 8:8 और उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक से पढ़कर अर्थ समझा दिया; और लोगों ने पाठ को समझ लिया।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13
  • प्रेरितों 4:23-37



सोमवार, 18 जून 2018

विजय


      प्रति वर्ष 18 जून के दिन वॉटरलू, जो अब बेलजियम में है, के महायुद्ध को स्मरण किया जाता है, क्योंकि इस दिन ड्यूक ऑफ वेलिंगटन के नेतृत्व में बहुराष्ट्रीय सेनाओं ने नेपोलियन की फ्रांसीसी सेना को पराजित किया था। तब से किसी प्रबल विरोधी के हाथों पराजय की स्थिति का सामना करने के लिए वाक्याँश “वॉटरलू का सामना करना” प्रयोग किया जाता है।

      हमारे आत्मिक जीवनों के संबंध में कुछ लोगों की धारणा रहती है कि अन्ततः हम विफल हो ही जाएँगे; यह केवल समय की बात है, हमें अपने वॉटरलू का सामना तो करना ही पड़ेगा। परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रभु यीशु के अनुयायी, प्रेरित यूहन्ना ने इस निराशावादी दृष्टिकोण का खंडन करते हुए लिखा, “क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है” (1 यूहन्ना 5:4)।

      यूहन्ना अपनी इस पहली पत्री में आत्मिक विजय के सन्देश का ताना-बाना बुनता है, और अपने पाठकों से आग्रह करता है कि वे इस नश्वर सँसार की अस्थायी बातों में मन न लगाएँ, क्योंकि वे सब शीघ्र ही नष्ट हो जाएँगी “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्‍तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्‍ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा” (1 यूहन्ना 2:15-17)। वरन हमें परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए और उसे प्रसन्न करना चाहिए क्योंकि परमेश्वर ने अपने अनुयायियों से अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की है: “और जिस की उसने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है” (2:25)।

      हमारे जीवनों में उतराव-चढ़ाव आ सकते हैं, और कुछ संघर्ष ऐसे भी हो सकते हैं जिनमें पराजय निश्चित सी लगे। परन्तु हम मसीही विश्वासियों को सदा इस बात का निश्चय रहना चाहिए कि मसीह यीशु में होकर अनतः विजय हमारी ही है; उसकी सामर्थ्य ने हमारे लिए यह निर्धारित और सुनिश्चित कर दिया है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


परमेश्वर पर भरोसा रख कर आगे बढ़ते जाना ही समस्याओं का समाधान है।

कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों के समान गिने गए हैं। परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।– रोमियों 8: 35-37

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 5: 1-13
1 John 5:1 जिसका यह विश्वास है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई उत्पन्न करने वाले से प्रेम रखता है, वह उस से भी प्रेम रखता है, जो उस से उत्पन्न हुआ है।
1 John 5:2 जब हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, और उस की आज्ञाओं को मानते हैं, तो इसी से हम जानते हैं, कि परमेश्वर की सन्‍तानों से प्रेम रखते हैं।
1 John 5:3 और परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।
1 John 5:4 क्योंकि जो कुछ परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है, वह संसार पर जय प्राप्त करता है, और वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्वास है।
1 John 5:5 संसार पर जय पाने वाला कौन है केवल वह जिस का यह विश्वास है, कि यीशु, परमेश्वर का पुत्र है।
1 John 5:6 यही है वह, जो पानी और लोहू के द्वारा आया था; अर्थात यीशु मसीह: वह न केवल पानी के द्वारा, वरन पानी और लोहू दोनों के द्वारा आया था।
1 John 5:7 और जो गवाही देता है, वह आत्मा है; क्योंकि आत्मा सत्य है।
1 John 5:8 और गवाही देने वाले तीन हैं; आत्मा, और पानी, और लोहू; और तीनों एक ही बात पर सहमत हैं।
1 John 5:9 जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्वर की गवाही तो उस से बढ़कर है; और परमेश्वर की गवाही यह है, कि उसने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है।
1 John 5:10 जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिसने परमेश्वर को प्रतीति नहीं की, उसने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उसने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है।
1 John 5:11 और वह गवाही यह है, कि परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन दिया है: और यह जीवन उसके पुत्र में है।
1 John 5:12 जिस के पास पुत्र है, उसके पास जीवन है; और जिस के पास परमेश्वर का पुत्र नहीं, उसके पास जीवन भी नहीं है।
1 John 5:13 मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 

  • नहेम्याह 10-11
  • प्रेरितों 4:1-22