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शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

प्रशिक्षण



      मेरे घर के पास ही एक फिटनेस केंद्र था जहाँ वर्षों से मैं जाकर व्यायाम किया करता था। परन्तु पिछले माह वह बन्द हो गया, और मुझे एक नए जिम में जाकर दाखला लेना पड़ा। व्यायाम का मेरा पहला स्थान स्नेहिल, मितव्यता वाला स्थान था जहाँ वे लोग आया करते थे जो व्यायाम करते हुए एक दूसरे के साथ मित्रता के संबंध भी बनाना चाहते थे। हमारे मध्य शायद ही कभी कोई तनाव हुआ होगा। परन्तु अब जिस नए स्थान पर मैं व्यायाम के लिए जाता हूँ वह शरीर के डील-डौल बनाने के प्रति गंभीर लोगों का स्थान है, जो बस यही करने में लगे होते हैं। मैं उन्हें शरीर को बनाने सुधारने के लिए परिश्रम करते हुई देखता हूँ। उनके शरीर तो बलवंत लगते हैं, परन्तु मैं सोचता हूँ कि क्या उनके हृदय भी अनुग्रह के द्वारा बलवंत होते जा रहे हैं?

      हृदय एक प्रकार की मांस-पेशी है; ऐसी मांस-पेशी जो अन्य मांस-पेशियों को सक्रीय रखती है। अपनी अन्य मांस-पेशियों को बढ़ाते और बलवंत करते रहना अच्छा है, परन्तु मुख्य बात है वह प्रशिक्षण लेना जो हृदय को बलवंत रखने के लिए सही है।

      यही बात हमारे आत्मिक हृदय पर भी लागू होती है। हम इस हृदय को परमेश्वर के वचन बाइबल के संदेश को ग्रहण करके तथा उसकी बातों के पालन के द्वारा स्वस्थ एवँ हृष्ट-पुष्ट रखते हैं। अपने आत्मिक हृदय को स्वस्थ और बलवंत रखना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसका प्रशिक्षण हमें अन्य सभी बातों से पहले और बढ़ाकर लेना चाहिए।

      प्रेरित पौलुस हमारे साथ सहमत होगा, क्योंकि उसने कहा था: “पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह; और भक्ति के लिये अपना साधन कर। क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है” (1 तिमुथियुस 4:7-8)।


परमेश्वर का प्रशिक्षण हमें विश्वास में विकसित करने के लिए होता है।

नाना प्रकार के और विचित्र उपदेशों से न भरमाए जाओ, क्योंकि मन का अनुग्रह से दृढ़ रहना भला है, न कि उन खाने की वस्‍तुओं से जिन से काम रखने वालों को कुछ लाभ न हुआ। - इब्रानियों 13:9

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 4:6-11
1 Timothy 4:6 यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाता रहेगा, तो मसीह यीशु का अच्छा सेवक ठहरेगा: और विश्वास और उस अच्‍छे उपदेश की बातों से, जा तू मानता आया है, तेरा पालन-पोषण होता रहेगा।
1 Timothy 4:7 पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह; और भक्ति के लिये अपना साधन कर।
1 Timothy 4:8 क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।
1 Timothy 4:9 और यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है।
1 Timothy 4:10 क्योंकि हम परिश्रम और यत्‍न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है; जो सब मनुष्यों का, और निज कर के विश्वासियों का उद्धारकर्ता है।
1 Timothy 4:11 इन बातों की आज्ञा कर, और सिखाता रह।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 32-33
  • प्रेरितों 14



गुरुवार, 5 जुलाई 2018

सहायता


      माई आस्या के तीस सहपाठी और उनके अभिभावक देख रहे थे जब वह घबराई हुई स्कूल में पांचवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के दीक्षांत समारोह में बोलने के लिए मंच की ओर बढ़ी। स्कूल की प्रधान-अध्यापिका ने उसके कद के अनुसार माईक की ऊँचाई को ठीक किया, परन्तु माई आस्या माईक और दर्शकों की ओर पीठ करके खड़ी हो गई। दर्शकों में से लोग उसका हौसला बढ़ाने के लिए  उस से कहने लगे, “डरो नहीं, तुम यह कर सकती हो” परन्तु वह हिली तक नहीं। फिर उसका एक सहपाठी चलकर उसके पास आया और उसके साथ खड़ा हो गया। तब, एक ओर उसका मित्र, और दूसरी ओर प्रधान-अध्यापिका, तीनों ने मिलकर उसके उस भाषण को इकठ्ठे पढ़ा। सहारा बनने और सहायता करने का यह कैसा सुन्दर उदाहरण था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि अमालेकियों से हो रहे युद्ध के दौरान मूसा को भी सहायता और सहारे की आवश्यकता पड़ी (निर्गमन 17:10-16)। “और जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता था तब तक तो इस्राएल प्रबल होता था; परन्तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमालेक प्रबल होता था” (पद 11); जब हारून और हूर ने देखा कि क्या हो रहा है, वे दोनों मूसा के साथ खड़े हो गए, एक इस ओर तो दूसरा दूसरी ओर, और उसके थकते हुए हाथों को सहारा दिया। उनके इस सहयोग की सहायता से, सांझ होने तक, इस्राएलियों को युद्ध में विजय मिल गई।

      हम सभी को एक दूसरे की सहायता, सहयोग और सहारे की आवश्यकता पड़ती है। परमेश्वर के परिवार के भाई-बहनों के रूप में, हमारे पास मसीही विश्वास की अपनी इस यात्रा में एक दूसरी की सहायता करने के अनेकों अवसर होते हैं। और परमेश्वर हमारे साथ, हमारे मध्य में रहता है, हमें ऐसा करने के लिए आवश्यक अनुग्रह प्रदान करता रहता है। -ऐनी सेटास

प्रोत्साहन की एक चिंगारी से आशा का दीपक जल उठता है।

प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। - यशायाह 50:4

बाइबल पाठ: निर्गमन 17:8-16
Exodus 17:8 तब अमालेकी आकर रपीदीम में इस्राएलियों से लड़ने लगे।
Exodus 17:9 तब मूसा ने यहोशू से कहा, हमारे लिये कई एक पुरूषों को चुनकर छांट ले, ओर बाहर जा कर अमालेकियों से लड़; और मैं कल परमेश्वर की लाठी हाथ में लिये हुए पहाड़ी की चोटी पर खड़ा रहूंगा।
Exodus 17:10 मूसा की इस आज्ञा के अनुसार यहोशू अमालेकियों से लड़ने लगा; और मूसा, हारून, और हूर पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गए।
Exodus 17:11 और जब तक मूसा अपना हाथ उठाए रहता था तब तक तो इस्राएल प्रबल होता था; परन्तु जब जब वह उसे नीचे करता तब तब अमालेक प्रबल होता था।
Exodus 17:12 और जब मूसा के हाथ भर गए, तब उन्होंने एक पत्थर ले कर मूसा के नीचे रख दिया, और वह उस पर बैठ गया, और हारून और हूर एक एक अलंग में उसके हाथों को सम्भाले रहें; और उसके हाथ सूर्यास्त तक स्थिर रहे।
Exodus 17:13 और यहोशू ने अनुचरों समेत अमालेकियों को तलवार के बल से हरा दिया।
Exodus 17:14 तब यहोवा ने मूसा से कहा, स्मरणार्थ इस बात को पुस्तक में लिख ले और यहोशू को सुना दे, कि मैं आकाश के नीचे से अमालेक का स्मरण भी पूरी रीति से मिटा डालूंगा।
Exodus 17:15 तब मूसा ने एक वेदी बनाकर उसका नाम यहोवानिस्सी रखा ;
Exodus 17:16 और कहा, यहोवा ने शपथ खाई है, कि यहोवा अमालेकियों से पीढिय़ों तक लड़ाई करता रहेगा।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 30-31
  • प्रेरितों 13:26-52


बुधवार, 4 जुलाई 2018

पुकारें



      मेरे देश में महिलाओं की एक प्रार्थना मण्डली प्रति माह घाना और अन्य अफ्रीकी देशों के लिए नियमित प्रार्थना के सत्र आयोजित करती है। जब उनसे पूछा गया कि वे देशों के लिए नियमित निरंतर प्रार्थनाएं क्यों करते रहते हैं, तो उनकी अगुआ ने उत्तर दिया, “अपने आस-पास देखिए, समाचारों को सुनिए और देखिए। हमारे देश पीड़ित हैं: युद्ध, बीमारियाँ, और हिंसा, परमेश्वर के मनुष्यों के लिए प्रेम और आशीषों पर हावी हुआ चाहती हैं। हमारा विश्वास है कि परमेश्वर राष्ट्रों के कार्यों में हस्तक्षेप करता है, इसलिए हम उसकी आशीषों के लिए उसका धन्यवाद करते और उसके हस्तक्षेप करने के लिए उसे पुकारते हैं।”

      परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि वास्तव में परमेश्वर राष्ट्रों के कार्यों में हस्तक्षेप करता है (2 इतिहास 7:14)। और अपने हस्तक्षेप के लिए वह सामान्य लोगों को प्रयोग करता है। आवश्यक नहीं कि वह हमें कोई बड़ा या जटिल कार्य करने के लिए दे, परन्तु जो भी कार्य वह देता है, वह चाहे प्रार्थना करते रहना ही हो, हम उसके माध्यम से उस शान्ति और धार्मिकता को लाने में अपना योगदान दे सकते हैं, जिसके द्वारा राष्ट्र की उन्नति होती है: “जाति की बढ़ती धर्म ही से होती है, परन्तु पाप से देश के लोगों का अपमान होता है” (नीतिवचन 14:34)। पौलुस प्रेरित ने लिखा, “अब मैं सब से पहिले यह उपदेश देता हूं, कि बिनती, और प्रार्थना, और निवेदन, और धन्यवाद, सब मनुष्यों के लिये किए जाएं। राजाओं और सब ऊंचे पद वालों के निमित्त इसलिये कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गम्भीरता से जीवन बिताएं” (1 तिमुथियुस 2:1-2)।

      जिस प्रकार भजनकार ने प्राचीन इस्राएलियों को प्रोत्साहित किया कि वे “यरूशलेम की शान्ति के लिए प्रार्थना करने” में समय बिताएं (भजन 122:6), उसी प्रकार हम भी अपने-अपने देशों की शान्ति और चंगाई के लिए प्रार्थना करने में समय बिताएं। जब हम अपनी बुराई से फिर कर नम्र होकर प्रार्थना करेंगे और उसके खोजी होंगे, वह हमारी सुनेगा। - लॉरेंस दरमानी


अधिकारियों के लिए प्रार्थना करना कर्तव्य भी है और विशेषाधिकार भी।

तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन हो कर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी हो कर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुन कर उनका पाप क्षमा करूंगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूंगा। - 2 इतिहास 7:14

बाइबल पाठ: भजन 122:6-9
Psalms 122:6 यरूशलेम की शान्ति का वरदान मांगो, तेरे प्रेमी कुशल से रहें!
Psalms 122:7 तेरी शहरपनाह के भीतर शान्ति, और तेरे महलों में कुशल होवे!
Psalms 122:8 अपने भाइयों और संगियों के निमित्त, मैं कहूंगा कि तुझ में शान्ति होवे!
Psalms 122:9 अपने परमेश्वर यहोवा के भवन के निमित्त, मैं तेरी भलाई का यत्न करूंगा।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 28-29
  • प्रेरितों 13:1-25



मंगलवार, 3 जुलाई 2018

प्रतीक्षा



      मैं हवाई यात्रा के लिए यात्रियों के समूह के साथ एयरपोर्ट की बस में बैठा, वायुयान की ओर जा रहा था, कि तभी हमारी बस के चालक को जहाँ वह था, वहीं रुक कर प्रतीक्षा करने के लिए सन्देश मिला और उसने बस रोक दी। हमें लगा के इस विलम्ब के कारण हम वायुयान तक समय से नहीं पहुँच पाएँगे और हमें यह फ्लाईट छोडनी पड़ेगी। हमारे साथ के एक यात्री के लिए यह तनाव सहन करने से बाहर था और वह बस के चालाक पर क्रोधित होकर कहने लगा कि वह उस सन्देश में मिले निर्देशों की अवहेलना कर के बस को चलाए अन्यथा वह यात्री उस पर कानूनी कार्यवाही करेगा। तभी एक एयरलाइन कर्मचारी हाथ में एक ब्रीफकेस लिए हुए दौड़ता हुआ आया, और उस क्रुद्ध यात्री की ओर विजयी भाव से देखते हुए बोला, “आप अपना ब्रीफकेस छोड़ आए थे। मैंने आपकी बात-चीत सुन ली थी कि आप जिस मीटिंग के लिए जा रहे हैं वह आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण है, और मुझे लगा कि आपको इस ब्रीफकेस की आवश्यकता होगी, इसीलिए बस को रुकवा कर इसे देने के लिए भागा आया हूँ।”

      कभी-कभी मैं भी परमेश्वर के साथ ऐसे ही अधीर हो जाता हूँ, विशेषकर उसके पुनःआगमन को लेकर। मुझे लगता है कि अब परमेश्वर किस बात की प्रतीक्षा कर रहा है? हमारे चारों ओर त्रासदियाँ हो रही हैं, हमारे प्रिय जन दुःख और तकलीफों से होकर निकल रहे हैं, और हमारे प्रतिदिन के कार्यों के तनाव उनके सुझाए जा रहे समाधानों से कहीं बड़े लगते हैं। प्रभु कब आएगा? कब तक प्रतीक्षा करवाएगा?

      फिर कोई जन प्रभु के साथ हुए अपने अनुभव को बताता है, या फिर मुझे आभास होता है कि इन सभी गड़बड़ियों में भी परमेश्वर अपना कार्य कर रहा है। यह सब मुझे उस दिन उस एयरपोर्ट बस में सीखे पाठ का स्मरण करवाता है। ऐसी बातें और विवरण हैं जो केवल परमेश्वर जानता है, मैं नहीं। यह मुझे स्मरण करवाता है कि मैं उस पर भरोसा बनाए रखूँ, और यह दृष्टिकोण भी कि यह सब केवल मेरे ही बारे में नहीं है। परमेश्वर उन लोगों को अभी भी अवसर दे रहा है जिन्होंने जगत के उद्धारकर्ता, उसके पुत्र प्रभु यीशु मसीह को अभी तक नहीं जाना है (2 पतरस 3:9); वह उनके पापों की क्षमा एवँ उद्धार पाने की प्रतीक्षा कर रहा है। - रैंडी किल्गोर


जब तक प्रभु यीशु लौट कर न आए प्रतीक्षा करें, और उसकी गवाही देते रहें।

तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं। - यशायाह 30:18

बाइबल पाठ: 2 पतरस 3:8-15
2 Peter 3:8 हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं।
2 Peter 3:9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।
2 Peter 3:10 परन्तु प्रभु का दिन चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।
2 Peter 3:11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।
2 Peter 3:12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे।
2 Peter 3:13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी।
2 Peter 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो।
2 Peter 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 25-27
  • प्रेरितों 12



सोमवार, 2 जुलाई 2018

समय



      मेरे बचपन में, हमारा परिवार महीने में एक बार मेरे नाना-नानी के घर जाया करता था, जो एक दूसरे प्रांत में, एक फार्महाउस में रहा करते थे। हम जब भी उनके फार्महाउस के दरवाज़े पर पहुँचते थे, मेरी नानी हमारा स्वागत इन शब्दों के साथ करती थीं, “आओ, अन्दर आओ; यहाँ कुछ समय आराम से बैठो।” यह उनका हमसे यह कहने का तरीका था कि हम आराम से रहें, कुछ समय उनके साथ बिताएं, और एक-दूसरे के हाल-चाल जानें, बात-चीत में समय बिताएं।

      जीवन बहुत व्यस्त हो सकता है। कार्यों से भरे हमारे सँसार में लोगों को जानना कठिन हो सकता है। किसी से यह कहने का समय निकालना कि वे आराम से आकर हमारे साथ बैठें और बात-चीत करें, कठिन हो सकता है। हम एक-दूसरे के साथ इधर-उधर की बात-चीत में समय बिताने के स्थान पर, एक-दूसरे को फोन के माध्यम से सन्देश भेजकर, उनसे मुद्दे की बात अधिक सरलता एवँ शीघ्रता से कर सकते हैं।

      परन्तु ध्यान कीजिए कि प्रभु यीशु मसीह ने क्या किया जब वे एक महसूल लेने वाले के जीवन में कार्य करना चाहते थे। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि प्रभु यीशु ज़क्कई के घर गए, कि उसके साथ कुछ समय बिता सकें। उनके कहे शब्द, “...आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है” (लूका 19:5) संकेत करते हैं कि प्रभु यीशु ज़क्कई के घर केवल थोड़ा सा समय बिताने नहीं गए थे। प्रभु यीशु ने उसके साथ समय बिताया और प्रभु के साथ बिताए उस समय के कारण, ज़क्काई का जीवन बदल गया।

      मेरी नानी के घर के बरामदे में बहुत सी कुर्सियाँ थीं – सभी आगंतुकों के स्वागत और उन्हें आराम से बैठकर बात-चीत करने का संकेत देने के लिए। यदि हमें किसी को निकटता से जानना है और उनके जीवनों में अन्तर लाना है, जैसे प्रभु यीशु ने ज़क्कई के जीवन में किया, तो हमें उन्हें आमंत्रित करके उनके साथ समय बिताना होगा। - डेव ब्रैनन


किसी और कि जो सबसे अच्छा उपहार आप दे सकते हैं, 
वह आपका समय हो सकता है।

और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। - इफिसियों 5:16

बाइबल पाठ: लूका 19:1-9
Luke 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था।
Luke 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था।
Luke 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था।
Luke 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था।
Luke 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।
Luke 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया।
Luke 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है।
Luke 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं।
Luke 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 22-24
  • प्रेरितों 11



रविवार, 1 जुलाई 2018

ध्यान



      मैं एक गृह सहायता केन्द्र में कार्य करता हूँ। एक दिन एक महिला ने घबराहट से भरकर हमें फोन किया, जो मैं ने लिया। उसके घर के अन्दर तापमान को ठीक रखने की सुविधा ख़राब हो गई थी और ठण्ड के मारे घर फ्रिज के समान हो गया था। उसने बड़ी चिन्ता भरे स्वर में अपनी समस्या बताते हुए पूछा, “अब मैं अपने बच्चों की देखभाल कैसे करूँ?” मैंने बिना विचारे, दफतर के आधिकारिक किताबी उत्तर को दोहरा दिया, “आप किसी होटल में चली जाएँ और होटल का बिल घर के मालिक को भेज दें।” उसने क्रोधावेश में फोन को बन्द कर दिया।

      मैं उसके प्रश्न का किताबी उत्तर तो जानता था, परन्तु अपने उत्तर में मैंने उसके प्रश्न और स्थिति के मर्म की बिलकुल अवहेलना कर दी थी। वह चाहती थी कि कोई उसके भय और घबराहट को समझे, उसे सांत्वना दे, उसे अनुभव करवाए कि वह अकेली नहीं है, उसके साथ सहायता के लिए लोग खड़े हैं। कुल मिलाकर स्थिति यह थी मैं ने उसे अकेला “ठण्ड में ही छोड़ दिया था।”

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि जब अय्यूब ने अपना सब कुछ खो दिया था, तो उसके मित्र जो उसके दुःख को बाँटने आए थे, उसकी स्थिति का विश्लेषण कर के उसे सलाह देने लगे; उनके पास कुछ उत्तर तो थे, परन्तु समझ-बूझ नहीं थी। सोपर ने सलाह दी कि वह केवल परमेश्वर ही के लिए जीवन व्यतीत करे, “और तेरा जीवन दोपहर से भी अधिक प्रकाशमान होगा; और चाहे अन्धेरा भी हो तौभी वह भोर सा हो जाएगा” (अय्यूब 11:17)। उसकी यह सलाह अय्यूब को पसन्द नहीं आई, और अय्यूब ने सोपर को तीखे कटाक्ष द्वारा उत्तर दिया, “नि:सन्देह मनुष्य तो तुम ही हो और जब तुम मरोगे तब बुद्धि भी जाती रहेगी” (अय्यूब 12:2)। वह सँसार की वास्तविक समस्याओं के लिए किताबी उत्तरों की असुन्तुष्टि के स्वाद से परिचित था।

      अय्यूब के मित्रों द्वारा समस्या का विहंगम दृश्य न लेने के लिए उनकी आलोचना करना तो सरल है, परन्तु हम स्वयं अपने जीवनों में देखें कि हम अपने उत्तरों में कितने असंवेदनशील होते हैं, जब प्रश्न और परिस्थिति को समझे बिना उतावली के साथ उत्तर देने लगते हैं। लोगों को उत्तर अवश्य चाहिएँ। किन्तु उससे अधिक, वे यह आभास चाहते हैं कि हम उनके मन की बात को सुन रहे हैं, उनकी परिस्थिति को समझ रहे हैं। वे अनुभव करना चाहते हैं कि हमें उनकी चिंता है, हम उनका ध्यान रख रहे हैं। - टिम गुस्ताफ्सन


लोग आपके उत्तर को सुनने से पहले, 
यह देखना चाहते हैं कि आप ध्यान कर रहे हैं।

ईश्वर में पूरी बुद्धि और पराक्रम पाए जाते हैं; युक्ति और समझ उसी में हैं। - अय्यूब 12:13

बाइबल पाठ: अय्यूब 11:7-20
Job 11:7 क्या तू ईश्वर का गूढ़ भेद पा सकता है? और क्या तू सर्वशक्तिमान का मर्म पूरी रीति से जांच सकता है?
Job 11:8 वह आकाश सा ऊंचा है; तू क्या कर सकता है? वह अधोलोक से गहिरा है, तू कहां समझ सकता है?
Job 11:9 उसकी माप पृथ्वी से भी लम्बी है और समुद्र से चौड़ी है।
Job 11:10 जब ईश्वर बीच से गुजरकर बन्द कर दे और अदालत (कचहरी) में बुलाए, तो कौन उसको रोक सकता है।
Job 11:11 क्योंकि वह पाखण्डी मनुष्यों का भेद जानता है, और अनर्थ काम को बिना सोच विचार किए भी जान लेता है।
Job 11:12 परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्चे के समान होता है।
Job 11:13 यदि तू अपना मन शुद्ध करे, और ईश्वर की ओर अपने हाथ फैलाए,
Job 11:14 और जो कोई अनर्थ काम तुझ से होता हो उसे दूर करे, और अपने डेरों में कोई कुटिलता न रहने दे,
Job 11:15 तब तो तू निश्चय अपना मुंह निष्कलंक दिखा सकेगा; और तू स्थिर हो कर कभी न डरेगा।
Job 11:16 तब तू अपना दु:ख भूल जाएगा, तू उसे उस पानी के समान स्मरण करेगा जो बह गया हो।
Job 11:17 और तेरा जीवन दोपहर से भी अधिक प्रकाशमान होगा; और चाहे अन्धेरा भी हो तौभी वह भोर सा हो जाएगा।
Job 11:18 और तुझे आशा होगी, इस कारण तू निर्भय रहेगा; और अपने चारों ओर देख देखकर तू निर्भय विश्राम कर सकेगा।
Job 11:19 और जब तू लेटेगा, तब कोई तुझे डराएगा नहीं; और बहुतेरे तुझे प्रसन्न करने का यत्न करेंगे।
Job 11:20 परन्तु दुष्ट लोगों की आंखें रह जाएंगी, और उन्हें कोई शरुण स्थान न मिलेगा और उनकी आशा यही होगी कि प्राण निकल जाए।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 20-21
  • प्रेरितों 10:24-48



शनिवार, 30 जून 2018

जानता है



      मैं कॉलेज में पढ़ाता हूँ, और जब अपने विषय की कक्षा के नए छात्रों से पहली बार मिलता हूँ तो उन्हें उनके नाम से संबोधित करके उनका स्वागत करता हूँ। कॉलेज के नए सत्र के आरंभ होने से पहले, मैं मेरे विषय की कक्षा में आने छात्रों की सूची प्राप्त कर लेता हूँ, और साथ ही उनकी फोटो और नाम भी। इसलिए जब वे कक्षा में आते हैं तो मैं कक्षा में स्वागत करने के लिए उन्हें उनका नाम लेकर बुलाता हूँ। मैं ऐसा इसलिए करता हूँ क्योंकि मुझे यह पता है कि यदि किसी को उसके नाम से बुलाया जाए तो यह कितना सार्थक होता है।

      परन्तु फिर भी किसी को वास्तव में भली-भांति जानने के लिए हमें उसके बारे में उसके नाम से अधिक की जानकारी चाहिए होती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 10 अध्याय में हम पढ़ते हैं कि हमारा अच्छा चरवाहा प्रभु यीशु हमें नाम लेकर बुलाता है (पद 3); यह कैसे सौहार्द और निकटता तथा प्रेम का सूचक है। परन्तु वह केवल हमारा नाम ही नहीं जानता है, अपितु उसे हमारे विचार, इच्छाएं, भय, गलतियाँ, और हमारी सबसे गहरी आवश्यकताएँ, सभी पता हैं। क्योंकि वह हमारी सभी आवश्यकताओं को भली भांति जानता है, इसलिए उसने हमें अपना जीवन – अनन्त जीवन, दिया है; उसने हमारे पापमय नश्वर जीवन की कीमत अपने प्राणों से चुकाई (पद 11) और हमारे लिए अपने अनन्त जीवन को उपलब्ध करवा दिया।

      हमारे पापों ने हमें परमेश्वर से दूर कर रखा था, इसलिए उस भले चरवाहे प्रभु यीशु ने हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर उनका दण्ड सह लिया, अपना जीवन हमारे लिए बलिदान कर दिया। अपने मारे जाने, गाड़े जाने, और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठने के द्वारा उसने हमारे लिए पापों से छुटकारा उपलब्ध करवा दिया है; अब हमें उन पापों का दण्ड चुकाने की आवश्यकता नहीं है, हमें केवल विश्वास के द्वारा प्रभु यीशु के कलवारी के क्रूस पर किए गए कार्य को ग्रहण करके, उससे पापों की क्षमा माँग कर, अपने जीवन उसे समर्पित कर देने हैं। जब हम ऐसा करते हैं, उससे अपने लिए उद्धार को स्वीकार कर लेते हैं, और फिर हमारे तथा परमेश्वर के बीच की दूरी समाप्त हो जाते है, हम परमेश्वर की सन्तान, उसके घराने के लोग हो जाते हैं (यूहन्ना 1:12-13)।

      प्रभु यीशु का धन्यवाद कीजिए; वह आपको तथा आपकी सभी आवश्यकताओं को जानता है, और उनके लिए जो भी आवश्यक है, आपके लिए उसने उन सब का प्रावधान किया हुआ है। - डेव ब्रैनन


हमारे विषय परमेश्वर के ज्ञान की कोई सीमा नहीं है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: यूहन्ना 10:1-11
John 10:1 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है।
John 10:2 परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है।
John 10:3 उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेंड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले ले कर बुलाता है और बाहर ले जाता है।
John 10:4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।
John 10:5 परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उस से भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।
John 10:6 यीशु ने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है।
John 10:7 तब यीशु ने उन से फिर कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि भेड़ों का द्वार मैं हूं।
John 10:8 जितने मुझ से पहिले आए; वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उन की न सुनी।
John 10:9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा।
John 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।
John 10:11 अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 17-19
  • प्रेरितों 10:1-23