ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 18 नवंबर 2014

सावधानियाँ और चेतावनियाँ


   अपने बचपन की एक घटना मुझे सदा स्मरण रहती है; सभा के बाद हम चर्च के बाहर खड़े थे, मैं अपने मित्र बॉबी के साथ खड़ा था, अचानक ही बॉबी को कुछ ध्यान आय और वह तेज़ी से व्यस्त सड़क की ओर भागा। तुरंत ही उसकी माँ ने ऊँची आवाज़ में पुकारा, "रुको!" और बॉबी वहीं रुक गया। बॉबी की माँ का उसे रुकने के लिए कहना बॉबी की भलाई और उसकी सुरक्षा के लिए था ना कि उसकी स्वतंत्रता में बाधा डालने के लिए। आज हम प्रायः सभी स्थानों पर या प्रत्येक उत्पाद पर सावधानी अथवा चेतावनी के सन्देश देख सकते हैं; यहाँ तक की दवाईयों के साथ भी बारीक अक्षरों में लिखे हुए सावधनी और चेतावनी संबंधी सन्देश दिए जाते हैं जिससे उन से संभावित प्रत्येक परिणाम के बारे में उनके उपभोगता जान सकें।

   परमेश्वर ने भी अपने वचन बाइबल में हमें हमारे जीवन निर्वाह, व्यवहार और संसार तथा उसके साथ हमारे संबंध के बारे में अनेक सावधानियाँ और चेतावनियाँ दी हैं। इसी प्रकार की अनेक चेतावनियाँ नीतिवचन नामक पुस्तक में भी लिखीं है, जिनमें से एक है: "छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है" (नीतिवचन 6:16), और इसके बाद के तीन पदों में विनाशक प्रवृत्तियाँ जैसे घमण्ड और झूठ आदि पापों के बारे में चेतावनियाँ हैं। ये ऐसी बातें हैं जो ना केवल हमारे सांसारिक संबंधों को हानि पहुँचाती हैं, वरन हमारे परमेश्वर पिता के मन को भी दुखी करती हैं। आगे चलकर लिखा है कि "... सिखाने वाले की डांट जीवन का मार्ग है" (नीतिवचन 6:23); कहने का तात्पर्य है कि परमेश्वर की सावधानियाँ और चेतावनियाँ हमारे जीवन के आनन्द को कम करने या हमें बन्धनों में बाँधने के लिए नहीं वरन हमारी रक्षा करने हमें सुखी रखने के लिए हैं।

   ऐसा कई बार होता है कि हम परमेश्वर के निर्देशों और चेतावनियों के विरुद्ध उस उलटी दिशा में ही भागने का प्रयास करते हैं जहाँ जाने से परमेश्वर हमें रोकना चाह रहा है, और फिर अपने उस गलत निर्णय के दुषपरिणाम भुगतते हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि परमेश्वर की चेतावनियों को मानने और सावधानियों का पालन करने में ही वास्तविक स्वंत्रता और आनन्द है, क्योंकि वे हमारी भलाई और सुख के लिए ही दी गई हैं। - जो स्टोवैल


परमेश्वर का वचन हमारी सुरक्षा और भलाई के लिए उसके प्रेम से भरी चेतावनियों और सावधानियों से भरा पड़ा है; उन्हें जानिए और मानिए।

आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखाने वाले की डांट जीवन का मार्ग है - नीतिवचन 6:23

बाइबल पाठ: नीतिवचन 6:16-22
Proverbs 6:16 छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है 
Proverbs 6:17 अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ, 
Proverbs 6:18 अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग दौड़ने वाले पांव, 
Proverbs 6:19 झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य। 
Proverbs 6:20 हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा का न तज। 
Proverbs 6:21 इन को अपने हृदय में सदा गांठ बान्धे रख; और अपने गले का हार बना ले। 
Proverbs 6:22 वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • प्रेरितों 27-28


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें