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शनिवार, 24 अगस्त 2013

चिंता

   टेलिविज़न पर दिखाए जाने वाले एक पुराने क्रमिक कार्यक्रम में एक प्रौढ़ और अनुभवी पुलिस अधिकारी अपने आधीनस्त युवा पुलिस वालों को, जब वे सौंपा गया दिन भर का कार्य करने निकल रहे होते थे, सदा ही यह कह कर विदा करता था: "अब देखो वहाँ बाहर जाकर बहुत ही सावधान रहना"। यह ना केवल एक अच्छी सलाह थी वरन उस अधिकारी की उनके प्रति चिंता को भी दिखाता था, अर्थात वह पुलिस अधिकारी उन युवा पुलिस वालों के कार्य से संबंधित जोखिमों और उनकी भलाई के प्रति संवेदनशील रहता था, और जानता-समझता था कि दिन भर में उनके साथ क्या कुछ हो सकता है।

   प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों को कुछ ऐसी ही चेतावनी दी लेकिन और भी दृढ़ शब्दों में। लूका रचित सुसमाचार के 11वें अध्याय का अन्त एक चिंतित करने वाली घटना के साथ होता है: "जब वह वहां से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे। और उस की घात में लगे रहे, कि उसके मुंह की कोई बात पकड़ें" (लूका 11:53-54)। इसी वृतांत को ज़ारी रखते हुए, 12वें अध्याय में आकर प्रभु यीशु अपने चेलों से कहते हैं कि वे उन धमकाने वाले धर्मगुरू शास्त्री और फरीसियों से "सावधान" तो रहें (पद 1) परन्तु उनसे डरें नहीं, घबराएं नहीं (पद 4-7, 22)।

   प्रभु यीशु का अपने चेलों से वायदा रहा है कि जब वे संसार में उसके नाम और कार्य के लिए निकलेंगे तो वह उनके साथ रहेगा, उनकी रक्षा करेगा और उनकी देखभाल करता रहेगा। प्रभु ने चेलों को आश्वस्त किया कि जैसे वह पक्षियों और जंगली फूलों की देखभाल करता रहता है, वैसे ही वह उनकी भी करता रहेगा जो उसके विश्वासी हैं, उसका "झुण्ड" हैं (पद 24-32)।

   हम भविष्य तो नहीं जानते, लेकिन हम मसीही विश्वासी इतना अवश्य जानते हैं कि हम उस परमेश्वर के संरक्षण में रहते हैं जो समय और काल की सीमाओं से बंधा नहीं है, जिसकी नज़रों से कोई बात छिपी नहीं है और कुछ ऐसा नहीं है जिसे वह पहले से जानता ना हो। हम सदा ही अपने उस महान चरवाहे की सतर्क दृष्टि और प्रेम भरी देखभाल में बने रहते हैं, जो परमेश्वर का पुत्र भी है। - डेव एगनर


यदि प्रभु यीशु पक्षियों और फूलों की देखभाल करता है तो निश्चय ही वह मेरी और आपकी भी करेगा।

फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे। - लूका 12:22

बाइबल पाठ: लूका 12:22-34
Luke 12:22 फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
Luke 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
Luke 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luke 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luke 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो?
Luke 12:27 सोसनों के पेड़ों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Luke 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
Luke 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
Luke 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
Luke 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Luke 12:32 हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
Luke 12:33 अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
Luke 12:34 क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 116-118 
  • 1 कुरिन्थियों 7:1-19


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