कलाकार एवं वैज्ञानिक माईकल फ़्लिन्न ने एक अन्तराष्ट्रीय कला प्रत्योगिता में भाग लेने के लिए एक ऐसा कटोरा बनाया जिससे संगीत बज सकता था। उस कटोरे को कार्य करने के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन एक ऐसी चीज़ की आवश्यकता थी जो साधारणतया कम ही मिलती है - सहयोग। मैं उस प्रदर्शनी में खड़ी आशचर्य के साथ लोगों को देख रही थी जो उस कटोरे से संगीत बजता हुआ सुनना तो चाहते थे, लेकिन कोई भी उस कटोरे के नीचे लिखे हुए उसे कार्यशील करने के निर्देश नहीं पढ़ रहा था, जहाँ स्पष्ट लिखा था कि संगीत सुनने के लिए उसे हलके से हिलाना है। इन निर्देशों के विप्रीत लोग अपने ही उपाय उस पर आज़मा रहे थे, और फिर थोड़ी देर में उस कटोरे को ऐसे छोड़ कर आगे बढ़ जाते मानों वह कटोरा खराब हो; जब कि संगीत ना सुन पाना उनकी अपनी ही गलती के कारण था।
क्या ऐसा कितनी ही बार नहीं होता कि हम जीवन से इसलिए निराश हो जाते हैं क्योंकि जीवन हमारी अपेक्षानुसार नहीं चल रहा होता? हम जीवन को अपनी इच्छानुसार संचालित करने के विभिन्न प्रयास करते रहते हैं, ऐसे प्रयास जो हमें सही लगते हैं, लेकिन अन्ततः परिणाम गलत ही निकलते हैं। लेकिन फिर भी जीवन देने वाले परमेश्वर द्वारा जीवन संचालन के लिए दिए गए निर्देशों की अवहेलना करके हम अपने ही व्यर्थ प्रयासों में उलझे रहते हैं, हताश होते रहते हैं।
वह संगीत बजाने वाला कटोरा हमें स्मरण दिलाता है कि यदि हम रचनाकार के निर्देशों की अवहेलना करेंगे, तो जीवन सही नहीं चलेगा (व्यवस्थाविवरण 4:40)। निर्देशों का पालन करने की अवज्ञा करना हमें ना केवल परमेश्वर से वरन एक दूसरे से भी अलग-अलग कर देता है। संसार के लिए परमेश्वर की योजना की पूर्ति और समस्त संसार के लिए सेंत-मेंत पापों की क्षमा तथा उद्धार के मार्ग के प्रचार हेतु (भजन 67:2) हमें शांतिपूर्ण रीति से एक दूसरे के साथ रहने और सहयोग करने के परमेश्वर के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
यदि जीवन सुचारु रूप से नहीं चल रहा है, जीवन में अशांति है, तो ज़रा रुक कर जीवन की समीक्षा तथा उस पर विचार कीजिए और जाँचिए, क्या आप जीवन देने वाले परमेश्वर के निर्देशों के अनुसार जीवन वास्तव में व्यतीत कर रहे हैं? - जूली ऐकैरमैन लिंक
जीवन ऐसे मधुर संगीत के समान है जिसे बजाना हमें परमेश्वर से सीखते रहना है।
इसलिये ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों। - 3 यूहन्ना 1:8
बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 4:32-40
Deuteronomy 4:32 और जब से परमेश्वर ने मनुष्य को उत्पन्न कर के पृथ्वी पर रखा तब से ले कर तू अपने उत्पन्न होने के दिन तक की बातें पूछ, और आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक की बातें पूछ, क्या ऐसी बड़ी बात कभी हुई वा सुनने में आई है?
Deuteronomy 4:33 क्या कोई जाति कभी परमेश्वर की वाणी आग के बीच में से आती हुई सुनकर जीवित रही, जैसे कि तू ने सुनी है?
Deuteronomy 4:34 फिर क्या परमेश्वर ने और किसी जाति को दूसरी जाति के बीच में निकालने को कमर बान्धकर परीक्षा, और चिन्ह, और चमत्कार, और युद्ध, और बली हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा से ऐसे बड़े भयानक काम किए, जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने मिस्र में तुम्हारे देखते किए?
Deuteronomy 4:35 यह सब तुझ को दिखाया गया, इसलिये कि तू जान रखे कि यहोवा ही परमेश्वर है; उसको छोड़ और कोई है ही नहीं।
Deuteronomy 4:36 आकाश में से उसने तुझे अपनी वाणी सुनाईं कि तुझे शिक्षा दे; और पृथ्वी पर उसने तुझे अपनी बड़ी आग दिखाई, और उसके वचन आग के बीच में से आते हुए तुझे सुन पड़े।
Deuteronomy 4:37 और उसने जो तेरे पितरों से प्रेम रखा, इस कारण उनके पीछे उनके वंश को चुन लिया, और प्रत्यक्ष हो कर तुझे अपने बड़े सामर्थ्य के द्वारा मिस्र से इसलिये निकाल लाया,
Deuteronomy 4:38 कि तुझ से बड़ी और सामर्थी जातियों को तेरे आगे से निकाल कर तुझे उनके देश में पहुंचाए, और उसे तेरा निज भाग कर दे, जैसा आज के दिन दिखाई पड़ता है;
Deuteronomy 4:39 सो आज जान ले, और अपने मन में सोच भी रख, कि ऊपर आकाश में और नीचे पृथ्वी पर यहोवा ही परमेश्वर है; और कोई दूसरा नहीं।
Deuteronomy 4:40 और तू उसकी विधियों और आज्ञाओं को जो मैं आज तुझे सुनाता हूं मानना, इसलिये कि तेरा और तेरे पीछे तेरे वंश का भी भला हो, और जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तेरे दिन बहुत वरन सदा के लिये हों।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 27-29
- 1 पतरस 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें