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शनिवार, 30 नवंबर 2013

कार्य के परिणाम


   नवम्बर 24, 1971 को एक व्यक्ति, जिसे आज डी. बी. कूपर के नाम से जाना जाता है, ने एक वायुयान का अपहरण किया और धमकी दी कि यदि उसे 200,000 अमिरीकी डॉलर नहीं दिए गए तो वह वायुयान को उड़ा देगा। इस रकम को प्राप्त करने के लिए वायुयान को एक हवाई अड्डे पर उतारा गया, और फिर रकम लेकर कूपर ने पुनः वायुयान को ऊपर हवा में ले जाने को कहा। वायुयान के ऊपर जाने के बाद उसने पिछले दरवाज़े को खुलवाया और रकम लेकर पैराशूट से रात्रि के अन्धकार में कूद गया। इसके बाद उसका कभी कोई अता-पता नहीं चला, वह पकड़ा नहीं गया और आज तक यह गुत्थी अनसुल्झी ही है। लेकिन उस व्यक्ति के एक कार्य के परिणाम हम सब को झेलने पड़ रहे हैं, क्योंकि उस के इस कार्य के बाद हवाई अड्डों पर लोगों पर विश्वास करने का दौर समाप्त हो गया, उसके स्थान पर अविश्वास तथा भय आ गया और सुरक्षा बढ़ा दी गई, जिसके कारण आज हम सब को यात्रा आरंभ होने से लंबा समय पहले आकर सुरक्षा जाँच आदि करवाना होता है और अनेक प्रकार कि असुविधा का सामना करना पड़ता है।

   परमेश्वर का वचन बाइबल भी दो ऐसे कार्यों का विवरण देती है जिनके परिणामों ने संसार को उपरोक्त घटना से भी कहीं अधिक प्रभावी रीति से बदल डाला। पहली घटना थी हमारे आदि माता-पिता, आदम और हव्वा द्वारा परमेश्वर की अवज्ञा का निर्णय जिसके कारण पाप और मृत्यु ने इस संसार में प्रवेश किया, "इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया" (रोमियों 5:12)। दूसरी घटना थी प्रभु यीशु द्वारा इस पाप के प्रभाव के समाधान के लिए अपना जीवन बलिदान करना और फिर मृतकों में से जी उठना, "इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ" (रोमियों 5:18)।

   जो प्रभु यीशु ने अपने बलिदान तथा फिर मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा मानव जाति के लिए किया, समस्त संसार के इतिहास में वह अन्य कोई भी, कभी भी, कहीं भी नहीं कर सका है। आज प्रभु यीशु अपने अनुग्रह में होकर समस्त मानव जाति को पापों की क्षमा और अनन्त जीवन का उपहार सेंत-मेंत देने को तैयार है, यदि वे इस उपहार को स्वीकार करने को तैयार हों, "परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं" (यूहन्ना 1:12)।

   क्या आपने प्रभु यीशु के कार्य के परिणाम को अपना लिया है? यदि नहीं, तो अभी अवसर है, अपना लीजिए और अनन्त जीवन के भागी हो जाईए। - डेविड माइक्कैसलैंड


आदम की अनाज्ञाकारिता के परिणाम का समाधान क्रूस पर संपन्न मसीह यीशु की आज्ञाकारिता का कार्य है।

पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। - रोमियों 5:15

बाइबल पाठ: रोमियों 5:12-19
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Romans 5:16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे। 
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 37-39 
  • 2 पतरस 2


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