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मंगलवार, 19 मई 2015

लगातार


   परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड की पाँचवी पुस्तक का शीर्षक है प्रेरितों के कार्य, और इस पुस्तक में प्रभु यीशु के अनुयायियों के नेतृत्व में आरंभ हुई सर्वप्रथम मसीही विश्वासी मण्डली के कार्यों का विवरण दिया गया है। कुछ बाइबल-विद्वानों का मानना है कि इस पुस्तक का अधिक उचित नाम पवित्र आत्मा के कार्य हो सकता है, क्योंकि परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने ही उन अनुयायियों को प्रत्येक कठिनाई और परीक्षा के समय में सामर्थ प्रदान करा।

   प्रभु यीशु ने अपने स्वर्गारोहण से ठीक पहले अपने शिष्यों को निर्देश दिया, "परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे" (प्रेरितों 1:8)। प्रभु यीशु के इन शब्दों के साथ, पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्य का एक अध्याय समाप्त और एक नया अध्याय आरंभ हुआ; आज हम मसीही विश्वासी तब से लेकर आज तक लगातार चल रहे इस नए अध्याय के भाग हैं।

   प्रेरितों के कार्य नामक इस पुस्तक में पतरस, यूहन्ना, बरनबास, पौलुस, दोर्कस, लिडिया और अन्य अनेक प्रभु यीशु के अनुयायियों के विश्वासपूर्ण कार्यों एवं सेवकाई तथा मसीही विश्वासियों की मण्डली के आरंभिक दिनों में हुई बातों का वर्णन दिया गया है। ये सामान्य और साधारण से लोग परमेश्वर के पवित्र आत्मा से मिलने वाली सामर्थ के द्वारा परमेश्वर के प्रेम और सुसमाचार के प्रबल गवाह बने और उन्होंने परमेश्वर के वचन को अनेक कठिनाईयाँ तथा जोखिम सहते हुए संसार के अनेक स्थानों तक पहुँचाया।

   उनकी यह कहानी आज भी हम में होकर लगातार लिखी जा रही है। हम मसीही विश्वासी जब परमेश्वर पर विश्वास रखते हुए, प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को संसार के सभी लोगों तक ले कर जाते हैं तो हमारे कार्यों को लेकर, मानव जाति के उद्धार की कहानी में परमेश्वर नए पृष्ठ लगातार जोड़ता रहता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


लोग विश्वास की सच्ची कहानियों को तब ही स्वीकार करते हैं जब वे उन्हें प्रत्यक्ष देखते हैं।

और उसने उन से कहा, तुम सारे जगत में जा कर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो। - मरकुस 16:15

बाइबल पाठ: प्रेरितों 1:1-11
Acts 1:1 हे थियुफिलुस, मैं ने पहिली पुस्तिका उन सब बातों के विषय में लिखी, जो यीशु ने आरम्भ में किया और करता और सिखाता रहा। 
Acts 1:2 उस दिन तक जब वह उन प्रेरितों को जिन्हें उसने चुना था, पवित्र आत्मा के द्वारा आज्ञा देकर ऊपर उठाया न गया। 
Acts 1:3 और उसने दु:ख उठाने के बाद बहुत से पड़े प्रमाणों से अपने आप को उन्हें जीवित दिखाया, और चालीस दिन तक वह उन्हें दिखाई देता रहा: और परमेश्वर के राज्य की बातें करता रहा। 
Acts 1:4 ओर उन से मिलकर उन्हें आज्ञा दी, कि यरूशलेम को न छोड़ो, परन्तु पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो, जिस की चर्चा तुम मुझ से सुन चुके हो। 
Acts 1:5 क्योंकि यूहन्ना ने तो पानी में बपतिस्मा दिया है परन्तु थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्रात्मा से बपतिस्मा पाओगे। 
Acts 1:6 सो उन्हों ने इकट्ठे हो कर उस से पूछा, कि हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्त्राएल को राज्य फेर देगा? 
Acts 1:7 उसने उन से कहा; उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं। 
Acts 1:8 परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे। 
Acts 1:9 यह कहकर वह उन के देखते देखते ऊपर उठा लिया गया; और बादल ने उसे उन की आंखों से छिपा लिया। 
Acts 1:10 और उसके जाते समय जब वे आकाश की ओर ताक रहे थे, तो देखो, दो पुरूष श्वेत वस्‍त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए। 
Acts 1:11 और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 6:22-44


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