मैं और मेरे पति एक ग्रामीण इलाके में रहते हैं जिसके चारों ओर खेत ही खेत हैं। हमारे इस खेतीहर इलाके में अनेक स्थानों पर यह वाक्य लिखा हुआ है: ’यदि आज आपने भोजन किया है तो किसान के धन्यवादी हों।’ इसमें कोई दो राय नहीं कि किसान हमारे धन्यवाद के हकदार हैं; वे हर मौसम को झेलते हुए खेत जोतने की कड़ी मेहनत करते हैं, बीज बोते हैं, फसल की देखभाल करते हैं फिर अन्न काट कर बाज़ारों में पहुँचाते हैं जिससे सब लोगों को भोजन मिलता रहे, उन्हें भूखों परेशान ना होना पड़े।
लेकिन जितनी बार मैं किसानों का धन्यवाद करती हूं, साथ ही उस परमेश्वर पिता की भी धन्यवादी होती हूँ जिसे इस सारे भोजन को बनाने, उगाने, उपलब्ध कराने का श्रेय जाता है। खेत में अन्न उगाने के लिए धरती में उपयुक्त गुण, सूरज की रौशनी, सींचने के लिए बारिश, धरती से निकल कर बाहर आने के लिए अँकुर को सामर्थ, अँकुर से पौधा और फिर पौधे में अन्न उगना आदि सब परमेश्वर की ओर से ही तो दिया जाता है। यद्यपि धरती और उसकी हर चीज़ परमेश्वर की है (भजन 24:1), परमेश्वर ने हम मनुष्यों को उसके रख-रखाव और देखभाल के लिए नियुक्त किया है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम परमेश्वर द्वारा दिए गए संसाधनों का प्रयोग वैसे करें जैसा वह चाहता है, पृथ्वी पर उसके कार्य करने के लिए (भजन 115:16)।
जैसे हम मनुष्य परमेश्वर की भौतिक सृष्टि के भंडारी हैं, हम समाज के लिए परमेश्वर की आत्मिक योजना को पूरा करने के लिए भी ज़िम्मेदार हैं। यह आत्मिक ज़िम्मेदारी निभाने के लिए हमें उनको योग्य आदर देना है जिन्हें उसने हमारा अधिकारी ठहराया है, हमें अपने कर अदा करने हैं और आपस में प्रेम से एक दूसरे के साथ रहना और निर्वाह करना है (रोमियों 13:7-8)। लेकिन एक बात है जिसका हकदार केवल परमेश्वर है - हमारी सारी स्तुति और हमारे द्वारा उसकी महिमा, क्योंकि सृष्टि की हर बात को बनाने, संचालित तथा संभव करने वाला केवल परमेश्वर ही है (भजन 96:8-9)। - जूली ऐकैरमैन लिंक
परमेश्वर के रहस्यमय तरीके हमारी असीमित आराधना के हकदार हैं।
यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट ले कर उसके आंगनों में आओ! पवित्रता से शोभायमान हो कर यहोवा को दण्डवत करो; हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके साम्हने कांपते रहो! - भजन 96:8-9
बाइबल पाठ: रोमियों13:1-10
Romans 13:1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।
Romans 13:2 इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्ड पाएंगे।
Romans 13:3 क्योंकि हाकिम अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी;
Romans 13:4 क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्ड दे।
Romans 13:5 इसलिये आधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है।
Romans 13:6 इसलिये कर भी दो, क्योंकि शासन करने वाले परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।
Romans 13:7 इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।
Romans 13:8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
Romans 13:9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Romans 13:10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 3-4
- इब्रानियों 11:20-40
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