मैंने कुड़कुड़ाते हुए जे से शिकायत करी, "क्या वे अपना कूड़ा इतनी सी दूर ले जाकर भी नहीं फेंक सकते थे?" और वहाँ से कठिनाई से बीस फीट की दूरी पर स्थित कूड़ेदान में वह कूड़ा डाल दिया। फिर आगे कुड़कुड़ाते हुए कहा, "क्या दूसरों के लिए गन्दगी से भरा हुआ समुद्र-तट छोड़ने से उन्हें अपने विषय में अच्छा लगता है? मेरा मानना है कि ऐसा करने वाले लोग अवश्य ही पर्यटक रहे होंगे। मैं यह कतई मानने को तैयार नहीं हूँ कि हमारे अपने स्थानीय लोग ही हमारे समुद्र-तट को इस प्रकार गन्दा करेंगे, उसका ऐसा निरादर करेंगे।"
इस घटना के अगले ही दिन मेरी दृष्टि उस प्रार्थना पर पड़ी जिसे मैंने अनेकों वर्ष पहले दूसरों पर दोषारोपण करने और उन्हें जाँचने के संबंध में लिखी थी। मेरे अपने ही शब्दों ने मुझे एहसास करवाया कि मेरे द्वारा औरों की गन्दगी को साफ करने से मेरे अपने मन में आया अहंकार कितना गलत था। क्योंकि वास्तविकता तो यह है कि मेरे अपने जीवन में बहुत गन्दगी है जिसे मैं नज़रंदाज़ करती रहती हूँ, विशेषकर मेरे आत्मिक जीवन में।
मैं यह दावा तो बड़ी शीघ्रता से कर लेती हूँ कि मैं अपना जीवन व्यवस्थित और सही इसलिए नहीं कर पाती हूँ क्योंकि कोई न कोई उसमें गन्दगी डालता रहता है। और मैं इस निषकर्ष पर भी बहुत शीघ्र पहुँच जाती हूँ कि जिस गन्दगी के कारण मेरे आस-पास दुर्गन्ध है, वह सब दूसरों की फैलाई हुई है। परन्तु यह दोनों ही बातें सत्य नहीं हैं। मेरे बाहर की कोई भी बात मुझे ना तो दोषी बना सकती है और न ही मुझे दूषित कर सकती है - ऐसा केवल वही कर सकता है जो मेरे हृदय में है। यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु ने भी कही है (मत्ती15:19-20)।
असली गन्दगी तो मेरा वह रवैया है जिसके कारण किसी दूसरे के छोटे से पाप पर भी मैं नाक-भौं सिकोड़ने लगती हूँ, जबकि अपने जीवन में भरी गन्दगी की सड़ान्द को नज़रंदाज़ करती हूँ। - जूली ऐकैरमैन लिंक
हम में से अधिकतर लोग दूरदर्शी होते हैं;
हमें दूसरों के पाप बहुत दूर से दिख जाते हैं;
परन्तु अपने नहीं दिखते!
दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। क्योंकि जिस प्रकार तुम दोष लगाते हो, उसी प्रकार तुम पर भी दोष लगाया जाएगा; और जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा। - मत्ती 7:1-2
बाइबल पाठ: मत्ती 15:7-21
Matthew 15:7 हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की।
Matthew 15:8 कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।
Matthew 15:9 और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की विधियों को धर्मोपदेश कर के सिखाते हैं।
Matthew 15:10 और उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो; और समझो।
Matthew 15:11 जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
Matthew 15:12 तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?
Matthew 15:13 उसने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा।
Matthew 15:14 उन को जाने दो; वे अन्धे मार्ग दिखाने वाले हैं: और अन्धा यदि अन्धे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड़हे में गिर पड़ेंगे।
Matthew 15:15 यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्टान्त हमें समझा दे।
Matthew 15:16 उसने कहा, क्या तुम भी अब तक ना समझ हो?
Matthew 15:17 क्या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्डास में निकल जाता है?
Matthew 15:18 पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
Matthew 15:19 क्योंकि कुचिन्ता, हत्या, पर स्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्दा मन ही से निकलतीं है।
Matthew 15:20 यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।
Matthew 15:21 यीशु वहां से निकलकर, सूर और सैदा के देशों की ओर चला गया।
एक साल में बाइबल:
- भजन 49-50
- रोमियों 1
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