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शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

समझता



      कुछ छोटे बच्चों को रात में सोने में दिक्कत होती है। इसके अनेकों कारण हो सकते हैं; मुझे अपनी बेटी से एक कारण पता चला। जब मैं एक संध्या उसे बिस्तर में लेटाने के बाद, उसके कमरे से बाहर जाने लगी तो उसने मुझ से कहा, “मुझे अँधेरे से डर लगता है।” मैंने उसके भय का निवारण करना चाहा, और उसे आश्वस्त रखने के लिए कि उसके कमरे में कोई दैत्य नहीं हैं, मैंने एक छोटी बत्ती जली छोड़ दी।

      अपनी बेटी के उस भय के बारे में मैंने और अधिक कुछ नहीं सोचा, परन्तु कुछ सप्ताह बाद जब मेरे पति व्यवसाय के सिलसिले में बाहर गए, और मुझे रात भर अकेले रहना पड़ा, तब मुझे उसका ध्यान आया। बिस्तर में लेट जाने के पश्चात मुझे लगा जैसे अन्धेरा मुझे दबा रहा है। मुझे एक हलकी सी आवाज़ सुनाई दी और मैं उसकी पड़ताल करने के लिए चौंक कर उठी, लेकिन कोई कारण सामने नहीं आया। परन्तु उस अनुभव ने मुझे अपनी बेटी के भय को समझा दिया।

      प्रभु यीशु हमारे प्रत्येक भय को समझता है, क्योंकि वह मनुष्य बनकर पृथ्वी पर रहा और उसने वैसी ही समस्याओं का सामना किया जैसी हमें अपने जीवनों में करनी पड़ती हैं। उसके विषय परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, “वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना” (यशायाह 53:3)। जब हम उससे अपने संघर्षों का विवरण बाँटते हैं, तो वह उसे एक ओर झटक नहीं देता है, न ही हमारी भावनाओं को तुच्छ समझता है, और न ही हमें झिड़क कर कहता है कि हम ऐसे व्यर्थ विचारों से बाहर आ जाएँ। वह हमारी भावनाओं को समझता है, हमारे साथ बना रहता है।

      इस बात का एहसास कि प्रभु यीशु हमारे साथ है, हमारी हर एक बात और परिस्थिति को समझता है, हमारे दुःख के एकाकीपन को दूर कर देती है। हमारे सबसे अंधकारपूर्ण समय में वह हमारी ज्योति  और हमारा उद्धार है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


सबसे अंधकारमय रात में भी, प्रभु यीशु हमारी ज्योति है।


तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। - यूहन्ना 8:12

बाइबल पाठ: भजन 27:1-8
Psalms 27:1 यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं?
Psalms 27:2 जब कुकर्मियों ने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के लिये मुझ पर चढ़ाई की, तब वे ही ठोकर खाकर गिर पड़े।।
Psalms 27:3 चाहे सेना भी मेरे विरुद्ध छावनी डाले, तौभी मैं न डरूंगा; चाहे मेरे विरुद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बान्धे निशचिंत रहूंगा।
Psalms 27:4 एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं।
Psalms 27:5 क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा।
Psalms 27:6 अब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊंचा होगा; और मैं यहोवा के तम्बू में जयजयकार के साथ बलिदान चढ़ाऊंगा; और उसका भजन गाऊंगा।
Psalms 27:7 हे यहोवा, मेरा शब्द सुन, मैं पुकारता हूं, तू मुझ पर अनुग्रह कर और मुझे उत्तर दे।
Psalms 27:8 तू ने कहा है, कि मेरे दर्शन के खोजी हो। इसलिये मेरा मन तुझ से कहता है, कि हे यहोवा, तेरे दर्शन का मैं खोजी रहूंगा।
     

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22



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