मैं
जब किशोरावस्था में था, और जब मेरी
माँ मुझे परमेश्वर में विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित करती थी, और कहती थी “परमेश्वर
में विश्वास रखो। वह तुम्हारी सहायता करेगा” तो कभी-कभी मैं पलटकर कहता था, “अरे माँ, यह इतनी सीधी बात नहीं है! परमेश्वर भी उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी
सहायता स्वयं करने का प्रयास करते हैं।”
परन्तु
ये शब्द, “परमेश्वर भी उन्हीं की
सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करने का प्रयास करते हैं” परमेश्वर के वचन बाइबल
में कहीं नहीं पाए जाते हैं। वरन परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि हम अपने दैनिक
आवश्यकताओं के लिए उस पर निर्भर रहना सीखें। प्रभु यीशु ने कहा, “आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते। तुम में कौन है, जो चिन्ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा
सकता है” (मत्ती 6:26-27)।
हम
जिन भी बातों का आनन्द लेते हैं – यहाँ तक कि अपना जीवन यापन करने तथा अपनी सहायता
कर पाने की हमारी सामर्थ्य, सब परमेश्वर से मिले उपहार हैं जो हम से असीम प्रेम
करता है।
मेरी
माँ के जीवन के अन्त के दिनों में उन्हें एलज्हाइमर रोग हो गया, जिससे मानसिक तथा स्मरण शक्ति जाती रहती है, और उनकी भी रचनात्मक कार्यों की क्षमता और
स्मृति जाती रही, परन्तु परमेश्वर में उनका विश्वास बना रहा। वे हमारे साथ हमारे
घर में रहीं, और मुझे प्रत्यक्ष
देखने का अवसर मिला कि कैसे परमेश्वर अद्भुत और अनपेक्षित तरीकों से उनकी आवश्यकताओं
को पूरा करता रहा, जिससे मुझे यह
समझने और मानने का अवसर मिला कि सदा से उनकी बात ही सही थी। चिंता करने की बजाए उन्होंने
अपने आप को उसके भरोसे छोड़ दिया था जिसने उनकी देखभाल करने का वायदा किया था – और प्रभु
परमेश्वर विश्वासयोग्य प्रमाणित हुआ। - जेम्स बैंक्स
कल की चिंता न करें – परमेश्वर वहाँ पहले
ही से उपस्थित है।
इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस पर मैंने विश्वास किया है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी धरोहर की उस दिन तक रखवाली कर सकता है।
- 2 तीमुथियुस 1:12
बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
मत्ती 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर
वस्त्र से बढ़कर नहीं?
मत्ती 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में
बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय
पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
मत्ती 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्ता कर
के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
मत्ती 6:28 और वस्त्र के लिये क्यों चिन्ता करते
हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वे कैसे बढ़ते हैं,
वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
मत्ती 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि
सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में
से किसी के समान वस्त्र पहने हुए न था।
मत्ती 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी
जाएगी, ऐसा वस्त्र पहनाता है, तो हे अल्प-विश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहनाएगा?
मत्ती 6:31 इसलिये तुम चिन्ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या
पीएंगे, या क्या पहनेंगे?
मत्ती 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
मत्ती 6:33 इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें
मिल जाएंगी।
मत्ती 6:34 सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 123-125
- 1 कुरिन्थियों 10:1-18
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