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बुधवार, 6 जुलाई 2016

मार्ग


   संभवतः आपने यह उक्ति सुनी होगी, "जीवन के मार्ग में अतीत के अनुभव, भविष्य के लिए मार्गदर्शक हैं ना कि थाम कर बैठ जाने का कारण।" बीते समयों की यादों तथा अनुभवों के आधार पर जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग ढूंढ़ने की बजाए, उन यादों तथा अनुभवों में थम कर बैठ जाना काफी सरल होता है। हम सब बीते दिनों की यादों को लेकर शिथिल होकर बैठने के प्रति अतिसंवेदन शील रहते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक नबी, यिर्मयाह, जिसे परमेश्वर ने संसार भर की जातियों के लिए भविष्यद्वक्ता होने के लिए बुलाया था (यिर्मयाह 1:4-5), यरुशालेम के निकट के एक छोटे नगर में रहने वाला पुरोहित था। यिर्मयाह को परमेश्वर ने एक बहुत कठिन कार्य सौंपा - लोगों को परमेश्वर से विमुख हो जाने के कारण उन पर आने वाले परमेश्वर के न्याय के बारे में बताए, मुख्यतः यहूदा के लोगों को। अपनी इस ज़िम्मेदारी को निभाते समय यिर्मयाह ने यह स्पष्ट कर दिया कि जो सन्देश वह दे रहा है उसका अपना नहीं है, वरन उसे परमेश्वर की ओर से मिला है (यिर्मयाह 7:1-2)।

   परमेश्वर ने उसके द्वारा लोगों से कहा: "...सड़कों पर खडे हो कर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने अपने मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, हम उस पर न चलेंगे" (यिर्मयाह 6:16)। परमेश्वर चाहता था कि लोग आगे बढ़ने के लिए अपने अतीत पर ग़ौर करें, ताकि उन्हीं गलतियों को पुनः ना दोहराएं। बीते समयों और अनुभवों पर विचार करने से लोगों के लिए परमेश्वर के खरे मार्गों को पहचानना, परमेश्वर की विश्वासयोग्यता तथा उसकी उपलब्ध क्षमा को जानना, और जीवन में हमारे सही मार्ग पर आगे बढ़ने की उसकी इच्छा को समझना सरल हो जाता। परमेश्वर हमें हमारे अतीत से सिखाता है कि आगे बढ़ने का सही मार्ग उसपर विश्वास करके, उसके वचन बाइबल की शिक्षाओं के मार्गदर्शन द्वारा हमें मिलता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बीते समयों में परमेश्वर की संगति से मिले अनुभव, 
अच्छे भविष्य के लिए उसके मार्गदर्शन में चलने की इच्छा जागृत करते हैं।

प्राचीनकाल के दिनों को स्मरण करो, पीढ़ी पीढ़ी के वर्षों को विचारो; अपने बाप से पूछो, और वह तुम को बताएगा; अपने वृद्ध लोगों से प्रश्न करो, और वे तुझ से कह देंगे। - व्यवस्थाविवरण 32:7

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 6:10-20
Jeremiah 6:10 मैं किस से बोलूं और किस को चिता कर कहूं कि वे मानें? देख, ये ऊंचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। 
Jeremiah 6:11 इस कारण यहोवा का कोप मेरे मन में भर गया हे; मैं उसे रोकते रोकते उकता गया हूँ। बाज़ारों में बच्चों पर और जवानों की सभा में भी उसे उंडेल दे; क्योंकि पति अपनी पत्नी के साथ और अधेड़ बूढ़े के साथ पकड़ा जाएगा। 
Jeremiah 6:12 उन लोगों के घर और खेत और स्त्रियां सब औरों की हो जाएंगीं; क्योंकि मैं इस देश के रहने वालों पर हाथ बढ़ाऊंगा, यहोवा की यही वाणी है। 
Jeremiah 6:13 क्योंकि उन में छोटे से ले कर बड़े तक सब के सब लालची हैं; और क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक सब के सब छल से काम करते हैं। 
Jeremiah 6:14 वे, “शान्ति है, शान्ति,” ऐसा कह कह कर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा करते हैं, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं। 
Jeremiah 6:15 क्या वे कभी अपने घृणित कामों के कारण लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए; वे लज्जित होना जानते ही नहीं; इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे, और जब मैं उन को दण्ड देने लगूंगा, तब वे ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है। 
Jeremiah 6:16 यहोवा यों भी कहता है, सड़कों पर खडे हो कर देखो, और पूछो कि प्राचीनकाल का अच्छा मार्ग कौन सा है, उसी में चलो, और तुम अपने अपने मन में चैन पाओगे। पर उन्होंने कहा, हम उस पर न चलेंगे। 
Jeremiah 6:17 मैं ने तुम्हारे लिये पहरुए बैठा कर कहा, नरसिंगे का शब्द ध्यान से सुनना! पर उन्होंने कहा, हम न सुनेंगे। 
Jeremiah 6:18 इसलिये, हे जातियो, सुनो, और हे मण्डली, देख, कि इन लोगों में क्या हो रहा है। 
Jeremiah 6:19 हे पृथ्वी, सुन; देख, कि मैं इस जाति पर वह विपत्ति ले आऊंगा जो उनकी कल्पनाओं का फल है, क्योंकि इन्होंने मेरे वचनों पर ध्यान नहीं लगाया, और मेरी शिक्षा को इन्होंने निकम्मी जाना है। 
Jeremiah 6:20 मेरे लिये जो लोबान शबा से, और सुगन्धित नरकट जो दूर देश से आता है, इसका क्या प्रयोजन है? तुम्हारे होमबलियों से मैं प्रसन्न नहीं हूँ, और न तुम्हारे मेलबलि मुझे मीठे लगते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 32-33
  • प्रेरितों 14


मंगलवार, 5 जुलाई 2016

बढ़ोतरी


   जिस घर में हम अब रह रहे हैं यदि उसे छोड़ कर कभी हमें किसी दूसरे घर में जाना पड़े तो मैं अवश्य ही हमारे रसोई के दरवाज़े को अपने साथ उस नए स्थान पर ले जाना चाहूँगी। वह दरवाज़ा हमारे लिए विशेष है क्योंकि उस पर हमारे बच्चों की बढ़ोतरी के निशान बने हुए हैं। कुछ-कुछ महीनों के बाद मैं और मेरे पति बच्चों को दरवाज़े के साथ खड़ा कर के उनकी ऊँचाई का निशान दरवाज़े पर बना देते हैं। बच्चों की बढ़ोतरी के इस लेखे के अनुसार हमारी बेटी पिछाले एक वर्ष में 4 इंच बढ़ गई है!

   जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया के अन्तर्गत जैसे बच्चे शारीरिक बढ़ोतरी होना आवश्यक है, वैसे ही हम मसीही विश्वासियों के लिए एक अन्य बढ़ोतरी भी आवश्यक है, किंतु उसे प्राप्त करने के लिए कुछ प्रयास करने होते हैं - मसीह यीशु की समानता में बढ़ने के लिए आत्मिक बढ़ोतरी। प्रेरित पतरस ने मसीही विश्वासियों को प्रोत्साहित किया, "हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ" (2 पतरस 3:18)। मसीह यीशु में लाए गए विश्वास में परिपक्व होना हमें मसीह यीशु के पुनःआगमन के लिए तैयार रखता है। पतरस चाहता था कि जब प्रभु यीशु का पुनःआगमन हो तो वे अपने अनुयायियों को शांति और धार्मिकता के साथ जीवन व्यतीत करते हुए पाएं (पद 14)। आत्मिक बढ़ोतरी उन गलत शिक्षाओं से बचाव का मार्ग है जिनके कारण लोग परमेश्वर के वचन बाइबल की गलत व्याख्या करते हैं और लोगों को भ्रमित करते हैं (पद 16-17)।

   चाहे हमें लगे कि हम परमेश्वर से दूर और उसके संपर्क से बाहर हैं, लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि परमेश्वर सदा ही हमें अंश अंश करके अपने पुत्र प्रभु यीशु की समानता में लगातार बदलता जा रहा है (रोमियों 8:29); और परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है: "और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा" (फिलिप्पियों 1:6)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


आत्मिक बढ़ोतरी के लिए परमेश्वर के वचन की ठोस खुराक अनिवार्य है।

क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। - रोमियों 8:29

बाइबल पाठ: 2 पतरस 3:10-18
2 Peter 3:10 परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे। 
2 Peter 3:11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। 
2 Peter 3:12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे। 
2 Peter 3:13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी। 
2 Peter 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो। 
2 Peter 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। 
2 Peter 3:16 वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं। 
2 Peter 3:17 इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधर्मियों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो। 
2 Peter 3:18 पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 30-31
  • प्रेरितों 13:26-52


सोमवार, 4 जुलाई 2016

निर्भर किंतु स्वतंत्र


   आज का दिन अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस है। आज ही के दिन, सन 1776 में, 13 अमेरिकी उपनिवेशों ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित किया था। इस दिन की खुशी में लोग घूमने निकलते हैं, शहरों और नगरों में परेड और जलूस निकाले जाते हैं, आतिशबाज़ी करी जाती है और पार्टियाँ आयोजित होती हैं।

   स्वतंत्र होना सभी को भाता है; स्वतंत्र होने का तात्पर्य है नियंत्रण, प्रभाव, सहायता और सहारे से मुक्त हो जाना। इसीलिए किशोर अभिभावकों से स्वतंत्र होने के, तो व्यस्क आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर जीवन व्यतीत करने के सपने देखते हैं; और प्रौढ़ नागरिक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन क्या कोई कभी वास्तव में बिलकुल स्वतंत्र हो सकता है - यह चर्चा का ऐसा विषय है जिसपर हम फिर कभी विचार करेंगे; लेकिन स्वतंत्र होने का विचार अच्छा लगता है।

   राजनीतिक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की लालसा रखना एक बात है; लेकिन आत्मिक स्वतंत्रता का पीछा करने का साहस रखना कठिनाईयों से भरा हुआ है। एक मसीही विश्वासी ही इस बात को समझ सकता है कि सच्ची आत्मिक स्वतंत्रता प्रभु परमेश्वर पर पूर्ण रूप से निर्भर होने में ही है, जैसा कि प्रभु यीशु मसीह ने कहा है: "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना 15:5)।

   पापों के लिए पश्चाताप करके उनकी क्षमा पाने तथा प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाने के द्वारा प्रभु परमेश्वर के साथ बने हमारे संबंध के कारण हमें यह विशेषाधिकार मिला है कि हम अपनी हर बात, हर आवश्यकता के लिए प्रभु पर पूर्णतः भरोसा रखकर जीवन की सभी आवश्यकताओं के लिए उसपर निर्भर किंतु उन से संबंधित सभी चिंताओं से स्वतंत्र होकर रह सकते हैं। - बिल क्राउडर


हमारी सबसे महान सामर्थ हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर पूर्ण निर्भरता रखने से आती है।

मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों 2:20

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:1-13
John 15:1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। 
John 15:2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। 
John 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 
John 15:4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 
John 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। 
John 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 
John 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। 
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 28-29
  • प्रेरितों 13:1-25


रविवार, 3 जुलाई 2016

स्नेहिल देखभाल


   मैक्स ने अपने लिए एक छोटा सा फार्म ले रखा है और रुचि के तौर पर उसे चलाता है। हाल ही में जब वह अपने मवेशियों की जाँच करने गया तो पाया कि वहाँ एक नवजात बछड़ा भी है। जब उसने वे मवेशी खरीदे थे तो उसे नहीं पता था कि उन में से एक गर्भवती है। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रसव में होने वाली कुछ कठिनाईयों के कारण वह मादा बछड़े के जन्म के कुछ समय बाद मर गई। मैक्स ने तुरंत दूध का पाउडर खरीदा और उस बछड़े को पाउडर से बना दूध बोतल से पिलाने लग गया। मैक्स कहता है कि वह बछड़ा अब उसे ही अपनी माँ समझने लगा है।

   उस बछड़े के प्रति मैक्स के स्नेहिल बर्ताव की इस घटना ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा थिस्सुलुनीके के मसीही विश्वासियों के प्रति रखे स्नेहिल बर्ताव की याद दिलाई। पौलुस ने उन मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पहली पत्री में उन्हें स्मरण करवाया कि कैसे वह उनके बीच एक माँ के समान उनकी देखभाल करता हुआ रहा करता था: "परन्तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है" (1 थिस्सुलुनीकियों 2:7)।

   प्रेरित पतरस ने अपनी पहली पत्री में परमेश्वर के वचन को निर्मल आत्मिक दूध के समान बताया है: "नये जन्मे हुए बच्‍चों की नाईं निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिये बढ़ते जाओ" (1 पतरस 2:2); और पौलुस भी वचन रूपी इस दूध को लोगों में उनकी उन्नति और विकास के लिए बाँटता रहता था। लेकिन साथ ही पौलुस उन लोगों की आवश्यकताओं का भी विशेष ध्यान रखता था, एक पिता के समान उन्हें प्रेरणा देता रहता था: "जैसे तुम जानते हो, कि जैसा पिता अपने बालकों के साथ बर्ताव करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक को भी उपदेश करते, और शान्‍ति देते, और समझाते थे। कि तुम्हारा चाल चलन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाता है" (1 थिस्सुलुनीकियों 2:11-12)

   जब हम एक दुसरे की सेवा में लगे हैं, तो चाहिए कि हम भी आत्मिक यात्रा में एक दुसरे को प्रोत्साहित करते रहें (इब्रानियों 10:24) तथा उसी स्नेहिल देखभाल को लोगों के प्रति दिखाएं जो हमारे प्रभु और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने हमारे प्रति दिखाई है और संसार के समस्त लोगों के प्रति दिखाना चाहता है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे जीवनों में उसे दूसरों के जीवनों में प्रवाहित करने के लिए उण्डेलता है।

और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। - इब्रानियों 10:24

बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 2:1-7
1 Thessalonians 2:1 हे भाइयों, तुम आप ही जानते हो कि हमारा तुम्हारे पास आना व्यर्थ न हुआ। 
1 Thessalonians 2:2 वरन तुम आप ही जानते हो, कि पहिले पहिल फिलिप्पी में दुख उठाने और उपद्रव सहने पर भी हमारे परमेश्वर ने हमें ऐसा हियाव दिया, कि हम परमेश्वर का सुसमाचार भारी विरोधों के होते हुए भी तुम्हें सुनाएं। 
1 Thessalonians 2:3 क्योंकि हमारा उपदेश न भ्रम से है और न अशुद्धता से, और न छल के साथ है। 
1 Thessalonians 2:4 पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहराकर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं; और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं। 
1 Thessalonians 2:5 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम न तो कभी लल्लोपत्तो की बातें किया करते थे, और न लोभ के लिये बहाना करते थे, परमेश्वर गवाह है। 
1 Thessalonians 2:6 और यद्यपि हम मसीह के प्रेरित होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते थे, तौभी हम मनुष्यों से आदर नहीं चाहते थे, और न तुम से, न और किसी से। 
1 Thessalonians 2:7 परन्तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 25-27
  • प्रेरितों 12


शनिवार, 2 जुलाई 2016

चिंता


   मेरी सहेली ने मुझे पानी से भरा एक ग्लास पकड़ाया और कहा कि मैं उसे पकड़ कर रखूँ। जितनी अधिक देर तक मैं उस ग्लास को पकड़े रही वह मुझे और अधिक भारी होता हुआ प्रतीत होता रहा। अन्ततः मेरा हाथ थक गया और मैंने वह ग्लास नीचे रख दिया। मेरी सहेली बोली, "मैंने सीखा है कि चिंता करना इस ग्लास को पकड़े रहने के समान है; मैं जितना अधिक किसी बात के लिए चिंता करती हूँ, उतना ही अधिक मेरे भय मुझ पर भारी होते चले जाते हैं।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक नायक, राजा दाऊद, भी भय के बारे में जानता था। दाऊद का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। उसके बेटे अबशालोम ने उसकी प्रजा इस्त्राएल की राजभक्ति को बदल कर अपनी ओर कर लिया था और अब राजगद्दी को भी छीन लेने के प्रयास कर रहा था। दाऊद समझ नहीं पा रहा था कि कौन उसके साथ है और कौन उसके विरुद्ध है। उसे बस एक ही विकल्प सूझ पड़ रहा था कि वह वहाँ से बच कर भाग निकले: "तब दाऊद ने अपने सब कर्मचारियों से जो यरूशलेम में उसके संग थे कहा, आओ, हम भाग चलें; नहीं तो हम में से कोई भी अबशालोम से न बचेगा; इसलिये फुतीं करते चले चलो, ऐसा न हो कि वह फुतीं कर के हमें आ घेरे, और हमारी हानि करे, और इस नगर को तलवार से मार ले" (2 शमूएल 15:14)।

   अपने एक भजन में, जो संभवतः उसने तब लिखा जब वह अपने प्राण बचाने के लिए भाग रहा था, दाऊद ने लिखा: "मैं ऊंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूं, और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है" (भजन 3:4)। अपने भय के समय में दाऊद ने प्रभु परमेश्वर की ओर देखा, और परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में होकर उसे उसके सिंहासन पर पुनः स्थापित कर दिया।

   हमारे जीवनों में भी अनेकों चिंताएं आकर हमें अभिभूत कर सकती हैं। लेकिन जब हम उन चिंताओं को स्वयं थामे रहने की बजाए उन्हें प्रभु के हाथों में सौंपकर उन्हें वहीं छोड़ देते हैं, प्रभु से उनके समाधान को खोजते हैं तब प्रभु परमेश्वर हमें हमारी परीक्षाओं और प्रत्येक चिंता से सुरक्षित निकाल कर ले आता है। - ऐनी सेटास


चिंता ऐसा बोझ है जिसे परमेश्वर नहीं चाहता कि हम उठाए रखें।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1 पतरस 5:6-7

बाइबल पाठ: भजन 3
Psalms 3:1 हे यहोवा मेरे सताने वाले कितने बढ़ गए हैं! वह जो मेरे विरुद्ध उठते हैं बहुत हैं। 
Psalms 3:2 बहुत से मेरे प्राण के विषय में कहते हैं, कि उसका बचाव परमेश्वर की ओर से नहीं हो सकता। 
Psalms 3:3 परन्तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारों ओर मेरी ढ़ाल है, तू मेरी महिमा और मेरे मस्तिष्क का ऊंचा करने वाला है। 
Psalms 3:4 मैं ऊंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूं, और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है। 
Psalms 3:5 मैं लेटकर सो गया; फिर जाग उठा, क्योंकि यहोवा मुझे सम्हालता है। 
Psalms 3:6 मैं उन दस हजार मनुष्यों से नहीं डरता, जो मेरे विरुद्ध चारों ओर पांति बान्धे खड़े हैं।
Psalms 3:7 उठ, हे यहोवा! हे मेरे परमेश्वर मुझे बचा ले! क्योंकि तू ने मेरे सब शत्रुओं के जबड़ों पर मारा है और तू ने दुष्टों के दांत तोड़ डाले हैं।
Psalms 3:8 उद्धार यहोवा ही की ओर से होता है; हे यहोवा तेरी आशीष तेरी प्रजा पर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 22-24
  • प्रेरितों 11


शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

उद्धारकर्ता


   कैली स्टीन्हॉस ने हार्वर्ड स्क्वैयर जाकर छात्रों से जानना चाहा कि वे प्रभु यीशु मसीह के बारे में क्या सोचते हैं; और जो उत्तर उसे मिले वे प्रभु के प्रति आदरणीय तो थे परन्तु बहुत ही कम लोगों ने उसके जगत का उद्धारकर्ता होने को स्वीकार किया। एक ने उत्तर दिया कि प्रभु लोगों की देखभाल करने वाला व्यक्ति था, तो एक अन्य ने कहा वह एक अच्छा व्यक्ति था। कुछ ने उसके उद्धारकर्ता होने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि वह बस एक मनुष्य था, कोई उद्धारकर्ता नहीं तो एक अन्य ने कहा कि वह ऐसे किसी विश्वास को नहीं मान सकता जो परमेश्वर तक पहुँचने के एकमात्र मार्ग का दावा करता है। कुछ लोग ध्यानपूर्वक प्रभु यीशु पर विचार करना चाहते हैं तो कुछ उसको पूर्णतया अस्वीकार करते हैं।

   लगभग 2000 वर्ष पूर्व जब प्रभु यीशु मौत का सामना कर रहे थे, तो बहुत से लोग उसका उपहास कर रहे थे और इस दावे का तिरिस्कार कर रहे थे कि प्रभु यीशु कोई विशेष व्यक्ति है। मृत्यु में भी उसके उपहास के लिए उसके क्रूस के ऊपर एक तखती पर लिख कर लगा दिया गया: "उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि ’यह यहूदियों का राजा यीशु है’" (मत्ती 27:37)। जो उसकी सामर्थ पर विश्वास नहीं करते थे उन्होंने उसका मज़ाक उड़ाते हुए उससे कहा "...हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ" (मत्ती 27:40)। धर्म के अगुवों ने तो ठट्ठे में यहाँ तक कह दिया: "यह तो “इस्राएल का राजा है”। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें" (मत्ती 27:42)।

   क्रूस पर अपने बलिदान के समय में प्रभु यीशु लोगों को निर्बल और असहाय लग रहे थे, किंतु जब हम उनकी संपूर्ण गाथा को पढ़ते हैं तो हम पाते हैं कि उन्हें ज़बर्दस्ती क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया था वरन उन्होंने अपने स्वेच्छा से क्रूश पर चढ़ना स्वीकार किया और अपने प्राण बलिदान किए थे। अपने पुनरुत्थान और कब्र में से बाहर आ जाने के द्वारा उन्होंने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र और असीम सामर्थी प्रमाणित कर दिया। प्रभु यीशु का मृतकों में से पुनरुत्थान एक ऐसा ऐतिहासिक सत्य है जो आज तक झुठलाया नहीं जा सका है, और जो मसीही विश्वास की अडिग, अटल, सदा स्थिर नींव है।

   प्रभु यीशु के जीवन, शिक्षाओं, कार्यों, आश्चर्यकर्मों, मृत्यु और पुनरुत्थान पर गंभीरता से विचार तथा विशलेषण कीजिए। उस सामर्थ पर ध्यान कीजिए जिसके द्वारा प्रभु पुनः जीवित होकर कब्र से बाहर निकल आए और अनेक अकाट्य प्रमाणों द्वारा अपने पुनरुत्थान को संसार के सामने प्रत्यक्ष दिखाया। प्रभु यीशु का बलिदान और पुनरुत्थान इस बात का प्रमाण है कि वही जगत के एकमात्र उद्धारकर्ता हैं। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु का पुनरुत्थान मृत्यु का अन्त है।

इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है। क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है। - प्रेरितों 17:30-31

बाइबल पाठ: मत्ती 27:26-44
Matthew 27:26 इस पर उसने बरअब्‍बा को उन के लिये छोड़ दिया, और यीशु को कोड़े लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए।
Matthew 27:27 तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जा कर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की। 
Matthew 27:28 और उसके कपड़े उतारकर उसे किरिमजी बागा पहिनाया। 
Matthew 27:29 और काटों को मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा; और उसके दाहिने हाथ में सरकण्‍डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियों के राजा नमस्‍कार। 
Matthew 27:30 और उस पर थूका; और वही सरकण्‍डा ले कर उसके सिर पर मारने लगे। 
Matthew 27:31 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले।
Matthew 27:32 बाहर जाते हुए उन्हें शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य मिला, उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा कि उसका क्रूस उठा ले चले। 
Matthew 27:33 और उस स्थान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्थात खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुंचकर। 
Matthew 27:34 उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उसने चखकर पीना न चाहा। 
Matthew 27:35 तब उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया; और चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए। 
Matthew 27:36 और वहां बैठकर उसका पहरा देने लगे। 
Matthew 27:37 और उसका दोषपत्र, उसके सिर के ऊपर लगाया, कि “यह यहूदियों का राजा यीशु है”। 
Matthew 27:38 तब उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएं क्रूसों पर चढ़ाए गए। 
Matthew 27:39 और आने जाने वाले सिर हिला हिलाकर उस की निन्‍दा करते थे। 
Matthew 27:40 और यह कहते थे, कि हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ। 
Matthew 27:41 इसी रीति से महायाजक भी शास्‍त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर कर के कहते थे, इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता। 
Matthew 27:42 यह तो “इस्राएल का राजा है”। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। 
Matthew 27:43 उसने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इस ने कहा था, कि “मैं परमेश्वर का पुत्र हूं”। 
Matthew 27:44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्‍दा करते थे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 20-21
  • प्रेरितों 10:24-48


गुरुवार, 30 जून 2016

वापसी


   कैड पेनिंगटन अमेरिकन फुटबॉल के भूतपूर्व खिलाड़ी हैं जिन्हें बारंबार ऐसी चोटें आई हैं जिनसे उनका पेशेवर फुटबॉल खेलना खतरे में पड़ा। दो बार अपनी चोटों के कारण उन्हें ऑपरेशन, फिर महीनों तक फिज़ियोथैरपी और उसके बाद वापस खेल के मैदान पर लौटने के प्रशिक्षण से होकर निकलना पड़ा। लेकिन दोनों ही बार ना केवल वे पेशेवर खेल में वापस आए वरन खेल का इतना श्रेष्ठ प्रदर्शन किया कि राष्ट्रीय फुटबॉल लीग ने उन्हें वर्ष का पुनःवापसी खिलाड़ी घोषित किया। पेनिंगटन के लिए उनके प्रयास फुटबॉल में उनकी पुनःवापसी के संकल्प की दृढ़ता का प्रगटिकरण थे।

   आत्मिक जीवन में जब पाप परमेश्वर से हमारे संबंध को बाधित करते हैं और उसके लिए हमारी सेवकाई को दरकिनार कर देते हैं, तो केवल हमारा दृढ़ निश्चय ही हमें परमेश्वर के साथ सही संबंध में और उसकी सेवकाई में लौटा कर नहीं लाता। जब पाप हमारे अयोग्य हो जाने का कारण होता है, तो परमेश्वर के पास हमारी पुनःवापसी का मार्ग पाप के अंगीकार और पश्चताप के द्वारा बनता है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)।

   हमारे लिए आत्मिक पराजय से लौट पाना भी उसी प्रभु के अनुग्रह से संभव हो पाता है जिसने हमारे तथा समस्त संसार के सभी लोगों के उद्धार के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया; और इसी से हमें आशा बंधती है। प्रभु यीशु मसीह जो हमारे लिए बलिदान हुआ, हमसे अनन्त प्रेम रखता है, और जैसे ही हम अपने पापों और कमियों को उसके सामने मान लेते हैं वह अपने अनुग्रह से हमें क्षमा कर देता है।

   अंगीकार के द्वारा ही हम प्रभु परमेश्वर के साथ संगति और संबंधों के पुनःस्थापन की वापसी को अनुभव कर पाते हैं; और यही किसी के भी जीवन में होने वाली सबसे महान वापसी है। - बिल क्राऊडर


पश्चाताप और अंगीकार ही पुनःस्थापन का मार्ग है।

जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। - भजन 32:5

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 1:1-10
1 John 1:1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ। 
1 John 1:2 (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)। 
1 John 1:3 जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। 
1 John 1:4 और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए। 
1 John 1:5 जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं। 
1 John 1:6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते। 
1 John 1:7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है। 
1 John 1:8 यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं। 
1 John 1:9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। 
1 John 1:10 यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 17-19
  • प्रेरितों 10:1-23