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रविवार, 31 मार्च 2013

असत्य?


   बात 1980 के दशक की है, कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने वाले दो भाईयों जॉन तथा थौमस नौल ने कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा चित्रों में परिवर्तन और सुधार करने के प्रयोग आरंभ किए। लोगों और सॉफ्टवेयर कंपनियों ने उन्हें सनकी कहा, उनका उपहास किया क्योंकि उन दिनों में फोटो उतारने वाले कंप्यूटर प्रयोग नहीं करते थे। उन भाइयों ने अपने प्रोग्राम को पहले-पहल नाम दिया ’डिस्पले’, फिर उसे बदल कर ’इमाजिनेटर’ कहा और अन्ततः प्रोग्राम का नाम हुआ फोटोशॉप! आज संसार भर में फोटोशॉप घर पर ही छोटी-मोटी छेड़-छाड़ से लेकर व्यावसायिक स्तर पर चित्रों को संवारने, सुधारने, उनमें कई परिवर्तन करने के लिए उपयोग होने वाला एक बहुत लोकप्रीय और उपयोगी प्रोग्राम है, यहाँ तक कि जब कोई चित्र बहुत अच्छा या अद्भुत दिखता है तो लोग कहते हैं कि अवश्य ही वह ’फोटोशॉप’ किया हुआ चित्र होगा!

   संसार के इतिहास की उस पहली ईस्टर प्रातः जब कुछ स्त्रियां प्रभु यीशु की देह पर सुगंधित द्रव्य लगाने के लिए उसकी कब्र पर पहुँचीं तो उन्हें कब्र खाली मिली, और वहाँ बैठे स्वर्गदूत ने उन से कहा "वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था" (लूका 24:6)। जब उन स्त्रियों ने जाकर यह बात प्रभु यीशु के चेलों को बताई तो "उन की बातें उन्हें कहानी सी समझ पड़ीं, और उन्होंने उन की प्रतीति न की" (लूका 24:11)। स्त्रियों द्वारा लाए गए समाचार के प्रति उन चेलों की आरंभिक प्रतिक्रीया वही थी जो इस बात को सुनकर आज भी संसार के लोगों की होती है - बकवास! पागलपन! अविश्वसनीय!

   यदि किसी ने घटनाक्रम और प्रमाणों को छेड़-छाड़ करके बदल दिया है और प्रभु यीशु का पुनरुत्थान चतुराई से लोगों पर थोपी गई एक मनगढ़ंत कहानी है, तो संसार की अन्य किंवदंतीयों के समान, पिछले लगभग दो हज़ार वर्षों से संसार भर में करोड़ों लोगों का हर साल इस दिन इस पुनरुत्थान के आनन्द को मनाना एक झूठी कहानी को मनाना ही है। किंतु यदि प्रभु यीशु वास्तव में फिर से जी उठा है तो फिर जो कुछ उसने पाप क्षमा, जीवन और मन परिवर्तन की अनिवार्यता और अनन्त जीवन के बारे में कहा वह भी सत्य है। प्रभु यीशु की खाली कब्र और प्रभु यीशु के संबंध में इतिहास के प्रमाण संसार के सामने खुले हैं, कोई भी उन्हें देख सकता है, जाँच सकता है, अपने निषकर्ष स्वयं निकाल सकता है।

   यह पुनरुत्थान एक अकाट्य सत्य है जिसे कितने ही लोगों ने आज़मा के देखा और जाना है कि वास्तव में प्रभु यीशु मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मुर्दों से जी भी उठा। उसकी कब्र खाली है और उसके अनुयायीयों के बदले हुए जीवन प्रमाण हैं कि वह अपने अनुयायीयों के मनों में रहता है।

   इस सत्य के अर्थ और परिणामों पर ज़रा विचार कीजिए; प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं का अध्ययन कीजिए, सत्य स्वयं ही आपके सामने होगा। प्रभु यीशु और पाप क्षमा के उसके प्रेम भरे निमंत्रण को नज़रंदाज़ करके आप एक ऐसा जोखिम उठा रहे हैं, जिसकी फिर कोई भरपाई नहीं है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु का पुनरुत्थान एक ऐतिहासिक सत्य है जो प्रत्युत्तर में विश्वास की माँगता है।

यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया - 1 तिमुथियुस 1:15

बाइबल पाठ: लूका 24:1-12
Luke 24:1 परन्तु सप्‍ताह के पहिले दिन बड़े भोर को वे उन सुगन्‍धित वस्‍तुओं को जो उन्होंने तैयार की थीं, ले कर कब्र पर आईं।
Luke 24:2 और उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया।
Luke 24:3 और भीतर जा कर प्रभु यीशु की लोथ न पाई।
Luke 24:4 जब वे इस बात से भौंचक्की हो रही थीं तो देखो, दो पुरूष झलकते वस्‍त्र पहिने हुए उन के पास आ खड़े हुए।
Luke 24:5 जब वे डर गईं, और धरती की ओर मुंह झुकाए रहीं; तो उन्होंने उन ने कहा; तुम जीवते को मरे हुओं में क्यों ढूंढ़ती हो?
Luke 24:6 वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था।
Luke 24:7 कि अवश्य है, कि मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ में पकड़वाया जाए, और क्रूस पर चढ़ाया जाए; और तीसरे दिन जी उठे।
Luke 24:8 तब उस की बातें उन को स्मरण आईं।
Luke 24:9 और कब्र से लौटकर उन्होंने उन ग्यारहों को, और, और सब को, ये बातें कह सुनाईं।
Luke 24:10 जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्‍त्रियां भी थीं।
Luke 24:11 परन्तु उन की बातें उन्हें कहानी सी समझ पड़ीं, और उन्होंने उन की प्रतीति न की।
Luke 24:12 तब पतरस उठ कर कब्र पर दौड़ गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उस से अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 11-12 
  • लूका 6:1-26


शनिवार, 30 मार्च 2013

खुले द्वार


   हम में से अधिकांशतः अपने जीवनों में कभी ना कभी इस अनुभव से होकर निकले हैं जब हम किसी चीज़ की ऐसी लालसा करते हैं कि उसे पाने के लिए कुछ भी कर गुज़रते हैं, यह जानते हुए भी वह लालसा या हमारा मार्ग अनुचित अथवा गलत है और बाद में अपनी इस ढिठाई और मूर्खता के लिए पछताते हैं। परमेश्वर की जानबूझ कर करी गई अनाज्ञाकारिता के परिणामों के कारण हम अपने आप से क्षुब्ध हो सकते हैं, हो रहे दुषपरिणामों से स्तब्ध हो सकते हैं और मन मसोस कर उन्हें सहने के लिए बाध्य हो सकते हैं। लेकिन फिर भी आगे के लिए एक मार्ग हमें सदा उपलब्ध है - क्षमा याचना और पश्चाताप।

   जब इस्त्राएल के लोगों ने मांग करी कि अन्य जाति के लोगों के समान उन्हें भी अपने ऊपर एक राजा चाहिए तो परमेश्वर के भविष्यद्वकता शमूएल ने उन्हें समझाया कि परमेश्वर ही उनका राजा है और परमेश्वर के स्थान पर किसी मनुष्य के राजा बनाने के दुषपरिणामों के बारे में चिताया (1 शमूएल 8:4-9)। लेकिन इस्त्राएली नहीं माने और परमेश्वर ने उन्हें उनकी इच्छानुसार एक राजा दे दिया। जब थोड़े समय में अपनी इस मूर्खता का उन्हें एहसास हुआ तो उन्होंने फिर से शमूएल से इसके लिए सहायता और प्रार्थना मांगी (1 शमूएल 12:19)। शमूएल ने उन्हें सांत्वना दी और आगे के लिए मार्ग बताया: "शमूएल ने लोगों से कहा, डरो मत; तुम ने यह सब बुराई तो की है, परन्तु अब यहोवा के पीछे चलने से फिर मत मुड़ना; परन्तु अपने सम्पूर्ण मन से उस की उपासना करना" (1 शमूएल 12:20)।

   हम बीते हुए कल को लौटा के नहीं ला सकते और ना ही उस की बातों को पलट सकते हैं, लेकिन हम आज ऐसे कार्य अवश्य कर सकते हैं जो आने वाले कल के लिए लाभकारी हों। शमूएल ने इस्त्राएलियों के लिए प्रार्थना करने और उन्हें सही मार्ग की शिक्षा देने का आश्वासन दिया और इसके कारगर होने के लिए उसने केवल एक शर्त उनके सामने रखी: "केवल इतना हो कि तुम लोग यहोवा का भय मानो, और सच्चाई से अपने सम्पूर्ण मन के साथ उसकी उपासना करो; क्योंकि यह तो सोचो कि उसने तुम्हारे लिये कैसे बड़े बड़े काम किए हैं" (1 शमूएल 12:24)।

   परमेश्वर आज भी हमें बुलाता है। हम चाहे कितने ही परमेश्वर से विमुख, ढीठ, अनाज्ञाकारी और स्वार्थी रहे हों, किंतु प्रभु यीशु में हमारे लिए परमेश्वर से क्षमा के द्वार सदा खुले हैं और सृष्टिकर्ता परमेश्वर अपनी हर एक सृष्टि से मिले रहना चाहता है, उन्हें नष्ट होते देखना नहीं चाहता। बस नम्रता के साथ अपनी गलती को मान लें और विश्वास के साथ प्रभु यीशु से क्षमा को ग्रहण कर लें। अनन्त आशीषें और शांति का जीवन आपकी राह तक रहा है। - डेविड मैक्कैसलैंड


बीते हुए कल की बातों से आने वाले कल की आशीषों को दबा ना दें।

हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। - फिलिप्पियों 3:13-14

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 12:19-25
1 Samuel 12:19 और सब लोगों ने शमूएल से कहा, अपने दासों के निमित्त अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर, कि हम मर न जाएं; क्योंकि हम ने अपने सारे पापों से बढ़कर यह बुराई की है कि राजा मांगा है।
1 Samuel 12:20 शमूएल ने लोगों से कहा, डरो मत; तुम ने यह सब बुराई तो की है, परन्तु अब यहोवा के पीछे चलने से फिर मत मुड़ना; परन्तु अपने सम्पूर्ण मन से उस की उपासना करना;
1 Samuel 12:21 और मत मुड़ना; नहीं तो ऐसी व्यर्थ वस्तुओं के पीछे चलने लगोगे जिन से न कुछ लाभ पहुंचेगा, और न कुछ छुटकारा हो सकता है, क्योंकि वे सब व्यर्थ ही हैं।
1 Samuel 12:22 यहोवा तो अपने बड़े नाम के कारण अपनी प्रजा को न तजेगा, क्योंकि यहोवा ने तुम्हें अपनी ही इच्छा से अपनी प्रजा बनाया है।
1 Samuel 12:23 फिर यह मुझ से दूर हो कि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना छोड़कर यहोवा के विरुद्ध पापी ठहरूं; मैं तो तुम्हें अच्छा और सीधा मार्ग दिखाता रहूंगा।
1 Samuel 12:24 केवल इतना हो कि तुम लोग यहोवा का भय मानो, और सच्चाई से अपने सम्पूर्ण मान के साथ उसकी उपासना करो; क्योंकि यह तो सोचो कि उसने तुम्हारे लिये कैसे बड़े बड़े काम किए हैं।
1 Samuel 12:25 परन्तु यदि तुम बुराई करते ही रहोगे, तो तुम और तुम्हारा राजा दोनों के दोनों मिट जाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 9-10 
  • लूका 5:17-39


शुक्रवार, 29 मार्च 2013

बोझ


   पाप के दुषपरिणामों को देर-सवेर किसी ना किसी रूप में हम सब अनुभव करते ही हैं। कभी यह हमारे अपने पापों के कारण हो सकता है, जिनकी शर्म और जीवन में आई असफलता हमें दबाव में ला सकती है; या फिर यह कड़ुवा अनुभव और आत्मा पर दबाव किसी अन्य जन के पापों के कारण हो सकता है - किसी ऐसे जन के कारण जिससे हमें झूठ, या विश्वासघात, या परित्याग, या उपहास, या बेईमानी मिली हो, या जिसने अपने स्वार्थ के लिए हमारा मूर्ख बनाया हो।

   उस समय के बारे में सोचिए जब अपने या किसी दूसरे के पाप के इस दुषपरिणाम का बोझ आप पर इतना था कि आप अपने बिस्तर या कुर्सी से उठ कर बाहर निकल पाना असंभव महसूस कर रहे थे, शरीर निढाल और आत्मा कुंठित थी। अब उन दुःखद परिणामों के बोझ के बारे में विचार करें जो आपके परिवार, आपकी मण्डली, आपके पड़ौस के सम्मिलित पापों के कारण होगा। इस पर ऐसे ही दुःखद परिणामों का वह बोझ भी जोड़ दें जो आपके शहर, प्रांत, देश और संसार के पापों के कारण आया। और अब ज़रा अन्दाज़ा लगाने का प्रयास करें उस बोझ के बारे में जो सृष्टि के आरंभ से अब तक समस्त संसार के लोगों के पापों के कारण बना और फिर इसमें वह बोझ भी जोड़ दें जो अब से लेकर सृष्टि के अन्त और न्याय समय तक के लोगों के पापों के कारण होगा। यदि आप में इस बोझ का अनुमान लगा पाने की क्षमता है, तो आप उस बोझ को और उसकी भयानकता को कुछ हद तक समझ सकते हैं जो प्रभु यीशु ने अपने ऊपर लेकर संसार के पापों के लिए जिसकी कीमत चुकाई।

   इस बोझ के कारण यदि वह क्रूस पर चढ़ाए जाने की पूर्व-सन्ध्या में अपने प्राण पर एक असहनीय दबाव अनुभव कर रहा था (मत्ती 26:36-44), तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वह यह भी जानता था कि कुछ समय बाद और फिर अगले दिन उसका यह बोझ और भी बढ़ने वाला है - अब से सारी रात की घोर यातना के बाद अगले दिन वह जीवित ही कीलों से काठ में ठोक दिया जाएगा और वहाँ क्रूस पर संसार के पाप का बोझ अपने ऊपर लेकर लटके हुए, जहाँ एक एक सांस का लेना भी उस वर्णन और सहने से बाहर वेदना को बढ़ाता था, उसे अपने परमेश्वर पिता का उससे मुँह मोड़ लेना भी सहना पड़ेगा। उस पाप के बोझ और उसके दुषपरिणामों की वेदना की कलपना मात्र भी, जो प्रभु यीशु ने हम सबके लिए सही, हम मनुष्यों की बुद्धि की क्षमता से बाहर है।

   पाप ने प्रभु यीशु को परीक्षा की चरम सीमा तक परखा। सृष्टि के इतिहास और लेखों को जाँच कर देख लीजिए, कोई परीक्षा, कोई दुःख, कोई वेदना उस शारीरिक और आत्मिक तकलीफ के निकट भी नहीं आ सकती जो प्रभु यीशु ने संसार के बदले सह ली। संसार के सभी लोगों के लिए उसके प्रेम ने सब सह लिया, उस प्रेम ने उसे उस बोझ को उठा लेने की सामर्थ दी और वह उस परीक्षा से जयवन्त होकर निकला। प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान और पुनरुत्थान के कारण आज हम जानते हैं कि पाप अब हार गया है, प्रभु यीशु में होकर पाप पर विजयी जीवन संभव है, प्रभु यीशु द्वारा परमेश्वर के साथ हमारे मेल-मिलाप का मार्ग खुल गया है।

   क्या आप अभी भी अपने पाप का बोझ स्वयं ही उठाए रखना चाहते हैं जबकि प्रभु यीशु ने उस बोझ की कीमत पहले से ही आपके लिए चुका दी है और उसका निवारण कर दिया है? साधारण विश्वास के साथ यह बोझ और अपना जीवन उसे सौंप दें और बदले में उससे परमेश्वर की धार्मिकता ले लें - इससे सरल, सहज और लाभदायक आदान-प्रदान भला और क्या हो सकता है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु की खाली कब्र पाप और मृत्यु पर हमारी विजय का निश्चय है।

क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है। - याशायाह 53:12

बाइबल पाठ: इब्रानीयों 2:9-18
Hebrews 2:9 पर हम यीशु को जो स्‍वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्‍वाद चखे।
Hebrews 2:10 क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।
Hebrews 2:11 क्योंकि पवित्र करने वाला और जो पवित्र किए जाते हैं, सब एक ही मूल से हैं: इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता।
Hebrews 2:12 पर कहता है, कि मैं तेरा नाम अपने भाइयों को सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।
Hebrews 2:13 और फिर यह, कि मैं उस पर भरोसा रखूंगा; और फिर यह कि देख, मैं उन लड़कों सहित जिसे परमेश्वर ने मुझे दिए।
Hebrews 2:14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
Hebrews 2:15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्‍व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
Hebrews 2:16 क्योंकि वह तो स्‍वर्गदूतों को नहीं वरन इब्राहीम के वंश को संभालता है।
Hebrews 2:17 इस कारण उसको चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह उन बातों में जो परमेश्वर से सम्बन्‍ध रखती हैं, एक दयालु और विश्वास योग्य महायाजक बने ताकि लोगों के पापों के लिये प्रायश्‍चित्त करे।
Hebrews 2:18 क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 7-8 
  • लूका 5:1-16


गुरुवार, 28 मार्च 2013

महिमा


   कैन्सस प्रांत की २००९ प्रांतीय हाई-स्कूल स्पर्धाओं में एक बड़ी विचित्र घटना घटी। जिस टीम ने 3,200 मीटर महिला रिले दौड़ में जीत पाई उसे अयोग्य ठहराकर पदक लेने से रोक दिया गया। जो इसके बाद हुआ वह और भी विचित्र था, जिस टीम को विजयी घोषित करके स्वर्ण पदक दिया गया, उन्होंने अपने पदक जाकर अयोग्य ठहराई गई टीम को दे दिए।

   हुआ यूँ था कि पहले विजय पाने वाली सेन्ट मेरीस कोलगन स्कूल की टीम को नीरिक्षण करने वाले अम्पायरों ने इसलिए अयोग्य ठहराया क्योंकि रिले का डंडा थमाते हुए एक लड़की ने अपना ट्रैक छोड़ दिया था। इस कारण दूसरे नंबर पर आने वाली मरानथा एकैडमी कि टीम को प्रथम स्थान पर घोषित किया गया और उन्हें स्वर्ण पदक का हकदार माना गया। जब मरानथा एकैडमी की लड़कियों ने सेन्ट मेरीस कोलगन की लड़कियों के उतरे हुए उदास चेहरे देखे तो उन्होंने वे पदक जाकर उन्हें दे दिए।

   उन लड़कीयों ने ऐसा क्यों किया? मरानथा एकैडमी की प्रशिक्षिका ने बताया, इस वर्ष हमारा उद्देश्य था कि हम अपनी नहीं परमेश्वर की महिमा के लिए स्पर्धाओं में भाग लेंगे। और उनके इस कार्य से उनका यह ध्येय पूरा भी हुआ क्योंकि इस घटना की चर्चा सारे प्रांत में दूर दूर तक हुई और परमेश्वर के नाम को महिमा मिली।

   जब हम अपने स्वार्थ और उपलब्धियों की नहीं वरन दूसरों के हित की चिन्ता करके कार्य करते हैं तो परमेश्वर के नाम को महिमा मिलने के अवसर बनते हैं। दूसरों के साथ प्रेम और करुणा में होकर व्यवहार करना हमारे प्रेमी और करुणामय परमेश्वर पिता के बारे में उनकी रुचि जागृत करने का एक अच्छा तरीका है। - डेव ब्रैनन


यदि हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं तो लोगों की सेवा भी करेंगे।

और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो। - 1 पतरस 2:21

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:4-11
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 4-6 
  • लूका 4:31-44


बुधवार, 27 मार्च 2013

अधूरा सच


   परमेश्वर के बारे में सही जानकारी रखना हम सब के लिए अति आवश्यक है। अधूरी जानकारी गलत धारणाओं को और गलत व्यवहार को जन्म देती है और हमें परमेश्वर की आज्ञाकारिता में बने रहने नहीं देती, हमारी आशीषों के मार्ग में रुकावट बन जाती है। यर्मियाह नबी के समय में धर्म के अगुवे लोगों को मन-गढ़ंत बातों से भरमा रहे थे और लोगों को गलत मार्ग पर डाल रहे थे। उनके इस असत्य के कारण लोग परमेश्वर के सही स्वरूप को नहीं जान पा रहे थे (यर्मियाह 25:25-32)।

   इसी प्रकार परमेश्वर के नाम पर लोगों को मन-गढ़ंत बातें सुनाने वाले आज भी बहुतेरे हैं। कुछ लोग परमेश्वर को एक क्रोधी, प्रतिशोधी और गलतीयों के लिए दण्ड देने को तत्पर परमेश्वर के रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे लोगों को डरा कर, परमेश्वर के क्रोध को शांत करने तथा उसको प्रसन्न करने के बहाने से लोगों से अच्छी कमाई कर सकें। परन्तु परमेश्वर ने अपने नाम को जब मूसा पर प्रकट किया तो कहा: "और यहोवा उसके साम्हने हो कर यों प्रचार करता हुआ चला, कि यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करूणामय और सत्य, हजारों पीढिय़ों तक निरन्तर करूणा करने वाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करने वाला है,..." (निर्गमन 34:6)।

   कुछ अन्य हैं जो अपनी मन-मानी करने और असत्य का जीवन व्यतीत करके संसार मे समृद्धि प्राप्त करने के लिए परमेश्वर के न्याय से मुँह मोड़ कर रहना चाहते हैं और दुसरों को भी यही सिखाते हैं। वे इस बात को लेकर चलते हैं कि परमेश्वर तो दयालु और प्रेमी परमेश्वर है, वह ऐसे ही सब क्षमा कर देगा, सब व्यवहार को अनदेखा कर देगा। लेकिन अपने नाम की इसी व्याख्या में परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा "...परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा, वह पितरों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों वरन पोतों और परपोतों को भी देने वाला है" (निर्गमन 34:6)। परमेश्वर ने मूसा को यह भी चिताया: "झूठे मुकद्दमे से दूर रहना, और निर्दोष और धर्मी को घात न करना, क्योंकि मैं दुष्ट को निर्दोष न ठहराऊंगा" (निर्गमन 23:7)।

   परमेश्वर खरा न्यायी और प्रेमी पिता दोनों ही है। जो उसकी चेतावनियों को अनसुना करके अपनी मन-मरज़ी में और पापों मे बने रहते हैं उन्हें उसके न्याय का सामना करना पड़ेगा, परन्तु जो उस की बात मानकर पापों से पश्चाताप कर लेते हैं अपने जीवन उसे समर्पित कर देते हैं वे पाप क्षमा की आशीष और उसके प्रेमी पिता होने की करुणा को अनुभव करते हैं। दोनों में से केवल एक ही बात पर ज़ोर देना और दूसरी को नज़रंदाज़ करना परमेश्वर के विषय में अधूरा सच बयान करना है।

   परमेश्वर नहीं चाहता कि कोई भी व्यक्ति नाश हो, वह सबको मन फिराव, पाप क्षमा और उद्धार का अवसर देता रहता है: "प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले" (2 पतरस 3:9)। लेकिन उसका यह धैर्य और विलंब से कोप करना हमारे लिए मनमानी करने और उसकी चेतावनीयों को नज़रंदाज़ करने का बहाना नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसका न्याय कभी भी अनपेक्षित रूप में आ जाएगा और जब आएगा तब किसी को कोई अवसर नहीं रहेगा (2 पतरस 3:10)। किसी अधूरे सच पर नहीं वरन सच्चे परमेश्वर के सच्चे स्वरूप प्रभु यीशु और उसके जीवते वचन बाइबल पर ही विश्वास रखिए।

   क्या आप अभी उसके सामने खड़े होने के लिए तैयार हैं? - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर का सामना सबको करना ही है; यह आपके हाथ में है कि आप उससे न्यायी के रूप में मिलना चाहते हैं या पिता के।

यहोवा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा कर के भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन कर के मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न हेगा। - यर्मियाह 25:32

बाइबल पाठ: 2 पतरस 3:9-18
2 Peter 3:9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।
2 Peter 3:10 परन्तु प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्‍व बहुत ही तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाऐंगे।
2 Peter 3:11 तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए।
2 Peter 3:12 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे।
2 Peter 3:13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी।।
2 Peter 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो।
2 Peter 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।
2 Peter 3:16 वैसे ही उसने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
2 Peter 3:17 इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधर्मियों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।
2 Peter 3:18 पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 1-3 
  • लूका 4:1-30


मंगलवार, 26 मार्च 2013

सही पहचान


   प्रसिद्ध समुद्री यात्री क्रिस्टोफर कोलम्बस की यात्राओं के बारे में सभी ने पढ़ा होगा। उनकी एक यात्रा से संबंधित कहानी है कि जब उनके पोत जैमिका के तट के पास लंगर डाल कर खड़े हुए थे तो उनकी भोजन सामग्री लगभग समाप्त हो चली। ऐसे में वहाँ के मूल निवासीयों ने उन्हें भोजन उपलब्ध कराया, लेकिन धीरे धीरे यह भी घटने लगा और भोजन के आभाव में नाविकों को परेशानी होने लगी। खगोल विद्या की पुस्तकों के द्वारा कोलम्बस जानता था कि शीघ्र ही चन्द्रग्रहण आने वाला है। उसने द्वीप निवासीयों के अगुवों को बुलाया और उन से कहा कि परमेश्वर उनके इस स्वार्थी बर्ताव से खिन्न है और चेतावनी के रूप में शीघ्र ही चन्द्रमा को अंधेरा कर देगा। पहले तो द्वीप के निवासी कोलम्बस का उपहास करने लगे, परन्तु जब चन्द्र-ग्रहण लगा तो वे डर गए और उन्हें तुरंत भोजन वस्तुएं दे दीं। तब कोलम्बस ने उन से कहा कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करेगा और परमेश्वर चन्द्रमा को फिर से रौशन कर देगा। चाहे कोलम्बस की परिस्थिति को देखते हुए उसकी इस कुटिलता के लिए हम उसके साथ सहानुभूति रख सकते हैं, परन्तु सत्य तो यही है कि उसने परमेश्वर के नाम को अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिए प्रयोग किया, भोले और अनजान लोगों को परमेश्वर के नाम से धोखा दिया, जो सर्वथा अनुचित था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इस प्रकार के व्यवहार का कोई समर्थन नहीं है। प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में परमेश्वर के नाम द्वारा छलने वाले धूर्त लोगों के संबंध में लिखा: "क्योंकि हम उन बहुतों के समान नहीं, जो परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं; परन्तु मन की सच्चाई से, और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं" (2 कुरिन्थियों 2:17)। अपनी अन्य पत्रियों में भी पौलुस ने इस बात के बारे में चिताया है।

   हम मसीही विश्वासियों को बहुत चौंकन्ना रहना है कि हम अपनी मनसा को ऊपर रखने के लिए परमेश्वर के वचन का दुरूपयोग नहीं करें, और ना ही इस पवित्र वचन की व्याख्या स्वार्थ-सिद्धी के लिए करें वरन परमेश्वर को समर्पित मन और जीवन के अनुरूप परमेश्वर के वचन के सत्य लोगों के साथ ईमानदारी और खराई के साथ बाँटें। अपने वचन और व्यवहार, दोनो के द्वारा संसार को जगत के उद्धारकर्ता मसीह यीशु की सही पहचान देना हमारा कर्तव्य है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के वचन को लोगों के साथ बाँटने का उद्देश्य अपनी समृद्धि नहीं लोगों की उन्नति है।

और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। - मत्ती 12:36

बाइबल पाठ: रोमियों 16:17-18; फिलिप्पियों 3:17-19
Romans 16:17 अब हे भाइयो, मैं तुम से बिनती करता हूं, कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है, फूट पड़ने, और ठोकर खाने के कारण होते हैं, उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो।
Romans 16:18 क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते है; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे सादे मन के लोगों को बहका देते हैं।

Philippians 3:17 हे भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहिचान रखो, जो इस रीति पर चलते हैं जिस का उदाहरण तुम हम में पाते हो।
Philippians 3:18 क्योंकि बहुतेरे ऐसी चाल चलते हैं, जिन की चर्चा मैं ने तुम से बार बार किया है और अब भी रो रोकर कहता हूं, कि वे अपनी चालचलन से मसीह के क्रूस के बैरी हैं।
Philippians 3:19 उन का अन्‍त विनाश है, उन का ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्ज़ा की बातों पर घमण्‍ड करते हैं, और पृथ्वी की वस्‍तुओं पर मन लगाए रहते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 22-24 
  • लूका 3


सोमवार, 25 मार्च 2013

असफल और अविश्वासयोग्य?


   जब कभी मेरी पत्नि को कुछ ऐसा खाना बनाना होता है जिसका कोई भाग कोयले की आँच पर सेक कर या तंदूर में डाल कर पकाया जाय तो यह सेकना और तंदूर का काम करना मेरी जिम्मेवारी होती है। यद्यपि मैं कोई बहुत अच्छा बावर्ची नहीं हूँ लेकिन कोयलों पर या तंदूर में सिकते हुए भोजन से उठने वाली गन्ध मुझे बहुत अच्छी लगती है, और यह करते हुए कुछ बीती बातें भी स्मरण हो आती हैं। इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना २१:९ में "कोयले की आग" के उल्लेख ने मेरा ध्यान खींचा, और मैं सोचने लगा कि क्यों अविश्वासयोग्य रहे पतरस की प्रभु यीशु द्वारा पुनःबुलाहट के इस वृतांत में यूहन्ना ने इस आग का भी ज़िक्र किया?

   इस अध्याय के पहले तीन पद पढ़ने से यह स्पष्ट है कि पतरस मछली पकड़ने के अपने पुराने व्यवसाय की ओर फिर से लौट रहा था। इससे कुछ दिन पहले पतरस बड़े बड़े दावे करने के बावजूद भी प्रभु यीशु का तीन बार इन्कार कर चुका था, और तीनों बार यह कार्य आग पर हाथ सेकते हुए प्रभु के विरोधियों के साथ मिल-बैठकर पतरस द्वारा भी आग पर हाथ सेकने समय हुआ (यूहन्ना 18:17-18)। तो अब जब पतरस प्रभु का इन्कार कर लोगों की नज़रों से गिर चुका, तो फिर वापस अपने पुराने धंधे में लौट जाने में क्या बुरा हो सकता था?

   जब पतरस और उसके साथी रात भर झील में जाल डालते रहे, तो उनके जाने बिना किनारे पर प्रभु यीशु आया और वहाँ पर उनके लिए आग जलाई और नाश्ता तैयार कर दिया। क्या यह आग जलाना केवल संयोग था? मैं ऐसा नहीं सोचता। उस जलती हुई आग और प्रभु यीशु की वहाँ उपस्थिति ने अवश्य ही पतरस के मन में कुछ ही दिन पहले की वे शर्मनाक यादें जगा दी होंगी जब अपनी जान के जोखिम से बचने के लिए उसने एक और आग के पास प्रभु का तीन बार इन्कार किया था। लेकिन प्रभु यीशु ने उससे किसी दुर्भावना में होकर व्यवहार नहीं किया। उसने पतरस को प्रेम से बुलाया, उसे नाश्ता कराया और फिर से उसे अपने लिए सेवकाई करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी।

   ज़रा विचार कीजिए, हमारी असफलताओं और अविश्वासयोग्यता के बावजूद भी प्रभु यीशु हमें त्यागता नहीं, ना ही हमें लज्जित करता है; वरन वह अपने बड़े प्रेम में होकर हमें फिर से खड़ा करता है, सामर्थ देता है, और फिर से अपनी सेवकाई के लिए तैयार करके उसके लिए भेजता है। यदि केवल सिद्ध और योग्य लोग उसके लिए कार्य कर सकते तो क्या प्रभु यीशु को कार्य करने के लिए संसार में से कोई मिलता? यह प्रभु यीशु की महिमा और महानता है कि वह संसार के पापी, पराजित और अयोग्य लोगों को ले लेता है, ऐसों को जो जिनके लिए वह जानता है कि वे उसके प्रति वफादार भी नहीं रह पाएंगे, लेकिन फिर भी उन्हें स्वर्गीय सामर्थ और योग्यता से भरकर स्वर्गीय सेवकाई के लिए संसार में भेजता है, उनकी कमज़ोरीयों और असफलताओं में उनके प्रति धैर्यवान और सहिषुण रहता है, उनके गिरने पर भी उन्हें दुत्कारता नहीं, त्यागता नहीं वरन फिर से प्रेम सहित उठाकर खड़ा करता है और फिर से तैयार कर के फिर से उसी सेवकाई के लिए भेजता है।

   जो अपना हाथ एक बार प्रभु के हाथों में दे देता है, वह सदा सदा के लिए प्रभु का जन हो जाता है; प्रभु उसे फिर कभी नहीं छोड़ता, कभी नहीं त्यागता, और सदा उससे प्रेम करता है, सदा उसकी भलाई ही करता है। क्या आपने प्रभु यीशु के प्रेम को स्वीकार कर के अपना हाथ प्रभु यीशु के हाथों में दे दिया है? - जो स्टोवैल


सिद्ध ना होना हमें परमेश्वर की सेवकाई के अयोग्य नहीं करता; यह केवल उसकी करुणा पर हमारी निर्भरता को और दृढ़ कर देता है।

मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है। - भजन 37:23-24

बाइबल पाठ: यूहन्ना 21:3-17
John 21:3 शमौन पतरस ने उन से कहा, मैं मछली पकड़ने को जाता हूं: उन्होंने उस से कहा, हम भी तेरे साथ चलते हैं: सो वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा।
John 21:4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ; तौभी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है।
John 21:5 तब यीशु ने उन से कहा, हे बालकों, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है? उन्होंने उत्तर दिया कि नहीं।
John 21:6 उसने उन से कहा, नाव की दाहनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके।
John 21:7 इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है: शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा।
John 21:8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछिलयों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे।
John 21:9 जब किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोएले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी।
John 21:10 यीशु ने उन से कहा, जो मछिलयां तुम ने अभी पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ।
John 21:11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिर्पन बड़ी मछिलयों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछिलयां होने से भी जाल न फटा।
John 21:12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है।
John 21:13 यीशु आया, और रोटी ले कर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी।
John 21:14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।
John 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उसने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा।
John 21:16 उसने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उसने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर।
John 21:17 उसने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 19-21 
  • लूका 2:25-52


रविवार, 24 मार्च 2013

कौन है?


   ज़रा कलपना करें, आप शहर में प्रवेश के मुख्य मार्ग के किनारे एक बड़ी भीड़ के साथ खड़े हैं। चारों ओर से भीड़ का दबाव है, लोग मार्ग पर आ रहे एक व्यक्ति की एक झलक देखने को आतुर है, जो गधे पर बैठा चला आ रहा है। जैसे जैसे वह निकट आता है लोग अपने वस्त्र उसके सामने मार्ग पर बिछा देते हैं, या पेड़ों से डालियां काटकर अथवा खजुर के पत्तों की टहनियाँ काटकर उसके आगे बिछाते जा रहे हैं। वे बड़े आदर के साथ उसका यरुशालेम में स्वागत कर रहे हैं।

   प्रभु यीशु को चाहने वाले लोगों ने, समस्त संसार के पापों के लिए प्रभु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ ही दिन पहले, बड़े उत्साह के साथ यरुशालेम में उसका स्वागत किया था। उसके महान कार्यों और आश्चर्यकर्मों को याद करते हुए वे कह रहे थे "कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्‍ति और आकाश मण्‍डल में महिमा हो" (लूका 19:38)। यह सब देखकर कुछ ऐसे भी थे जो पूछ रहे थे "...यह कौन है?" (मत्ती 21:10)।

   आज भी अनेक लोग प्रभु यीशु के बारे में जानने को उत्सुक हैं। लोग आज भी प्रभु यीशु की वासत्वविकता से अनभिज्ञ हैं, उनके मनों में प्रभु यीशु के बारे में अनेक धारणाएं हैं, किंतु सत्य का पता नहीं है; उनके अन्दर उसे जानने का कौतुहल है। यह हम मसीही विश्वासियों का अपने प्रभु के प्रति कर्तव्य है कि हम लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताएं, उसके कार्यों का वर्णन करें। उसके यरुशालेम प्रवेश के समय की भीड़ के समान चाहे हम मार्ग के किनारे यह ना करने पाएं, परन्तु व्यक्तिगत बातचीत में उसके जीवन, उद्देश्य और कार्यों के वर्णन के द्वारा, आपसी प्रेम (यूहन्ना 13:34-35) और दूसरों की सहायता (गलतियों 6:2) और अपने जीवनों के उदाहरणों के द्वारा (कुलुस्सियों 1:10), अपने मसीही विश्वास को जी कर दिखाने के द्वारा हम यह कर सकते हैं, चाहे इसके लिए हमें दुख भी उठाने पड़ें (1 पतरस 4:14-16)।

   आज भी लोग जानना चाहते हैं कि प्रभु यीशु मसीह कौन है। मसीही विश्वासी होने के नाते क्या आप लोगों को उसके बारे में बता रहे हैं? - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


जब हम परमेश्वर का नाम लेते हैं और उसके पुत्र के समान जीवन जीते हैं, तब हम परमेश्वर को आदर देते हैं।

धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्‍ति और आकाश मण्‍डल में महिमा हो। - लूका 19:38

बाइबल पाठ: लूका 19:28-40
Luke 19:28 ये बातें कहकर वह यरूशलेम की ओर उन के आगे आगे चला।
Luke 19:29 और जब वह जैतून नाम पहाड़ पर बैतफगे और बैतनियाह के पास पहुंचा, तो उसने अपने चेलों में से दो को यह कहके भेजा।
Luke 19:30 कि साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पहुंचते ही एक गदही का बच्‍चा जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ, बन्‍धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल कर लाओ।
Luke 19:31 और यदि कोई तुम से पूछे, कि क्यों खोलते हो, तो यह कह देना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है।
Luke 19:32 जो भेजे गए थे; उन्होंने जा कर जैसा उसने उन से कहा था, वैसा ही पाया।
Luke 19:33 जब वे गदहे के बच्‍चे को खोल रहे थे, तो उसके मालिकों ने उन से पूछा; इस बच्‍चे को क्यों खोलते हो?
Luke 19:34 उन्होंने कहा, प्रभु को इस का प्रयोजन है।
Luke 19:35 वे उसको यीशु के पास ले आए और अपने कपड़े उस बच्‍चे पर डालकर यीशु को उस पर सवार किया।
Luke 19:36 जब वह जा रहा था, तो वे अपने कपड़े मार्ग में बिछाते जाते थे।
Luke 19:37 और निकट आते हुए जब वह जैतून पहाड़ की ढलान पर पहुंचा, तो चेलों की सारी मण्‍डली उन सब सामर्थ के कामों के कारण जो उन्होंने देखे थे, आनन्‍दित हो कर बड़े शब्द से परमेश्वर की स्‍तुति करने लगी।
Luke 19:38 कि धन्य है वह राजा, जो प्रभु के नाम से आता है; स्वर्ग में शान्‍ति और आकाश मण्‍डल में महिमा हो।
Luke 19:39 तब भीड़ में से कितने फरीसी उस से कहने लगे, हे गुरू अपने चेलों को डांट।
Luke 19:40 उसने उत्तर दिया, कि तुम से कहता हूं, यदि ये चुप रहें, तो पत्थर चिल्ला उठेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 16-18 
  • लूका 2:1-24

शनिवार, 23 मार्च 2013

धन्यवाद


   जब हम मैक्सिको देश गए तो मेरी इच्छा थी कि मैं भी स्पैनिश भाषा बोल पाती। मुझे स्पैनिश के बस तीन शब्द ही आते थे - ग्रासियास (धन्यवाद), मुए बिन (बहुत अच्छा) और होला (हैलो)। कुछ ही समय में मैं अपने मिलने वाले लोगों से या यदि कोई मेरी सहायातार्थ कुछ करता उससे बस "ग्रासियास" कहते कहते उबा गई। लेकिन एक है जिसे हम चाहे जितना भी धन्यवाद दें वह उसके द्वारा हम मसीही विश्वासियों के जीवन में किए गए और हो रहे कार्यों के लिए कम ही रहेगा - परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह।

   राजा दाऊद इस बात को और परमेश्वर के प्रति धन्यवादी होने के महत्व को भली-भांति समझता था। इस्त्राएल का राजा होने के बाद उसने परमेश्वर की वाचा के सन्दूक, जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति इस्त्राएलियों के मध्य रहती थी, और आराधना स्थल के लिए तम्बू बनवाया। दाऊद की इच्छा तो मन्दिर बनवाने कि थी परन्तु परमेश्वर ने उसे यह कहकर मना किया कि मन्दिर उसका पुत्र सुलेमान बनवाएगा। दाऊद ने कुछ लेवियों को नियुक्त किया कि वे "इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की चर्चा और उसका धन्यवाद और स्तुति किया करें" (1 इतिहास 16:4) और अन्य लोगों को नियुक्त किया कि "प्रतिदिन के प्रयोजन के अनुसार वे सन्दूक के साम्हने नित्य सेवा टहल किया करें" (1 इतिहास 16:37-38)।

   दाऊद ने परमेश्वर की स्तुति गाने वाले आसाप और उसके भाईयों को धन्यवाद का भजन भी लिख कर दिया जिसमें उसने परमेश्वर के कार्यों, चम्तकारों, न्याय के कार्यों, उद्धार और परमेश्वर के भला, करुणामय और पवित्र होने के गुणों का वर्णन किया।

   दाऊद के समान ही आज हमें भी परमेश्वर को सदा धन्यवादी रहना चाहिए, उस सब के लिए जो वह है और जो उसने किया है। अपने धन्यवाद की भेंट उसे अर्पित करने के लिए प्रतिदिन समय अवश्य निकालें। - ऐनी सेटास


परमेश्वर की प्रशंसा और धन्यवाद से भरा हृदय परमेश्वर को प्रसन्नता और जीवन में आशीष देता रहेगा।

यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो। - 1 इतिहास 16:8

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 16:7-10, 23-29
1 Chronicles 16:7 तब उसी दिन दाऊद ने यहोवा का धन्यवाद करने का काम आसाप और उसके भाइयों को सौंप दिया।
1 Chronicles 16:8 यहोवा का धन्यवाद करो, उस से प्रार्थना करो; देश देश में उसके कामों का प्रचार करो।
1 Chronicles 16:9 उसका गीत गाओ, उसका भजन करो, उसके सब आश्चर्य-कर्मों का ध्यान करो।
1 Chronicles 16:10 उसके पवित्र नाम पर घमंड करो; यहोवा के खोजियों का हृदय आनन्दित हो।
1 Chronicles 16:23 हे समस्त पृथ्वी के लोगो यहोवा का गीत गाओ। प्रतिदिन उसके किए हुए उद्धार का शुभ समाचार सुनाते रहो।
1 Chronicles 16:24 अन्यजातियों में उसकी महिमा का, और देश देश के लोगों में उसके आश्चर्य-कर्मों का वर्णन करो।
1 Chronicles 16:25 क्योंकि यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है, वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है।
1 Chronicles 16:26 क्योंकि देश देश के सब देवता मूतिर्यां ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।
1 Chronicles 16:27 उसके चारों ओर वैभव और ऐश्वर्य है; उसके स्थान में सामर्थ और आनन्द है।
1 Chronicles 16:28 हे देश देश के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, ।
1 Chronicles 16:29 यहोवा की महिमा और सामर्थ को मानो। यहोवा के नाम की महिमा ऐसी मानो जो उसके नाम के योग्य है। भेंट ले कर उसके सम्मुख आाओ, पवित्रता से शोभायमान हो कर यहोवा को दण्डवत करो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 13-15 
  • लूका 1:57-80

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

फलवंत और आनन्दित


   मैं और मेरा परिवार एक बहुमंज़िली इमारत में रहते हैं इसलिए हमारा बग़ीचा गमलों में लगे फूलों के पौधों तक ही सीमित है। बहुत समय तक हमारे पौधों में फूल नहीं आ रहे थे, जबकि हम नियमित रूप से उन्हें पानी और खाद देते थे। फिर हमें मालूम हुआ कि गमले की मिट्टी की गुड़ाई करना और उसे उलट-पुलट करना भी आवश्यक है। हमने यह भी करना आरंभ कर दिया और अब हमारे घर में फूलों की छट्टा देखते ही बनती है।

   कभी कभी हमारे जीवनों में भी यह आवश्यक होता है कि जीवन कुछ उलट-पुलट हो। परेशानीयों से होकर निकल रहे अपने समय के मसीही विश्वासीयों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पतरस ने उन्हें समझाया: "हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है। पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो" (1 पतरस 4:12-13)।

   हमारे गमलों के पौधों की मिट्टी के समान, इन मसीही विश्वासीयों के जीवन भी "उलट-पुलट" किए जा रहे थे। उनके जीवनों में परेशानीयों का यह समय आने देने के द्वारा परमेश्वर का उद्देश्य उनके जीवनों को और कारगर बनाना था जो परमेश्वर की महिमा और प्रशंसा को प्रगट करता (1 पतरस 1:7)।

   परमेश्वर हमारे जीवनों को घोट कर रखने और हमें उसके लिए फलवंत होने से रोकने वाली बातों से हमें निकालने के लिए हमारे जीवनों में उथल-पुथल आने देता है। यह उथल-पुथल अपने साथ परीक्षा और दुख भी लाती है, लेकिन हमारे लिए अन्ततः इससे भलाई ही उत्पन्न होती है। मसीही विश्वासी होने पर भी यदि आप जीवन के ऐसे दौर से गुज़र रहें हैं तो निराश नहीं वरन आनन्दित हों, परमेश्वर आपको अपनी महिमा के लिए तैयार कर रहा है और उपयोग भी करेगा। उसके हाथों में अपने आप को छोड़ दीजिए और कुछ ही समय में आप अपनी कलपना से भी अधिक फलवंत और आनन्दित होंगे। - सी. पी. हिया


जो अपने क्लेषों में भी परमेश्वर को धन्य कहते हैं वे परमेश्वर द्वारा क्लेषों में भी धन्य बन जाते हैं।

पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो। - 1 पतरस 4:13

बाइबल पाठ: 1 पतरस 1:1-9
1 Peter 1:1 पतरस की ओर से जो यीशु मसीह का प्रेरित है, उन परदेशियों के नाम, जो पुन्‍तुस, गलतिया, कप्‍पदुकिया, आसिया, और बिथुनिया में तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं।
1 Peter 1:2 और परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने, और यीशु मसीह के लोहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं। तुम्हें अत्यन्‍त अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
1 Peter 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिसने यीशु मसीह के हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।
1 Peter 1:4 अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये।
1 Peter 1:5 जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।
1 Peter 1:6 और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो।
1 Peter 1:7 और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।
1 Peter 1:8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास कर के ऐसे आनन्‍दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
1 Peter 1:9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्त करते हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 10-12 
  • लूका 1:39-56

गुरुवार, 21 मार्च 2013

उत्साहवर्धक


   आर्थिक संकट और निराशाजनक समाचारों के समय में पर्डयू विश्वविद्यालय के दो छात्रों ने निर्णय लिया कि वे विश्वविद्यालय के प्रांगण में प्रोत्साहन के शब्दों से लोगों का उत्साहवर्धन करेंगे। प्रत्येक बुधवार की दोपहर को वे दोनो छात्र, कैमरून ब्राउन और ब्रेट वैस्टकौट, एक व्यस्त मार्ग पर खड़े हो जाते, उनके हाथ में एक सूचना-पट्ट होता जिस पर लिखा रहता "निःशुल्क प्रशंसा" और उनके पास से होकर निकलने वाले हर जन से वे कुछ ना कुछ प्रशंसा की कोई भली बात कहते जैसे, "मुझे तुम्हारा लाल कोट बहुत पसन्द आया", "बहुत अच्छे जूते", "बहुत अच्छी मुस्कान" इत्यादि। कुछ छात्रों ने कहा कि वे जानबूझकर हर बुधवार उस मार्ग से जाते जहाँ वे दोनो खड़े हों जिससे अपने बारे में कुछ उत्साहवर्धक सुन सकें।

   उन दोनो के इस नज़रिए से मैं बहुत प्रभावित हुआ, कि कैसे उस कठिन समय में वे दोनो नकारात्मक रवैये को अपना कर आलोचना करने या गलती निकलने की मनसा से ग्रसित होने की बजाए एक सकारात्मक रवैया अपना सके और लोगों को प्रोत्साहित कर सके। उनके इस व्यवहार ने मुझे सोचने पर भी मजबूर किया कि एक मसीही विश्वासी होने के नाते मेरा दूसरे लोगों के प्रति रवैया कैसा है?

   दूसरों की बुराईयों पर केन्द्रित रहने वाले और अपने वचनों से आग लगाने वाले (नीतिवचन 16:27) व्यक्ति होने की बजाए हम मसीही विश्वासियों को दूसरों के लिए शांति, आशा और सांत्वना देने वाले बनना है। क्योंकि जो हमारे मनों में होता है वही हमारे मुंह पर भी आता है, इसलिए हमारे शब्द हमारे विश्वास को बता देंगे: "बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है।  मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं (नीतिवचन 16:23-24)।

   नम्र और भले शब्द चाहे निःशुल्क हों, लेकिन उन से मिलने वाला उत्साहवर्धन बहुमूल्य होता है। आईए क्यों ना आज हम किसी के लिए उत्साहवर्धक बनें। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रशंसा के कोमल शब्द हल्के से होते हैं किंतु उनका प्रभावी वज़न बहुत होता है।

मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं। - नीतिवचन 16:24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 16:20-30
Proverbs 16:20 जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
Proverbs 16:21 जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
Proverbs 16:22 जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।
Proverbs 16:23 बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है।
Proverbs 16:24 मन भावने वचन मधु भरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं।
Proverbs 16:25 ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।
Proverbs 16:26 परिश्रमी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उसको उभारती रहती है।
Proverbs 16:27 अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है।
Proverbs 16:28 टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है।
Proverbs 16:29 उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसला कर कुमार्ग पर चलाता है।
Proverbs 16:30 आंख मूंदने वाला छल की कल्पनाएं करता है, और ओंठ दबाने वाला बुराई करता है।

एक साल में बाइबल: 

  • यहोशू 7-9 
  • लूका 1:21-38


बुधवार, 20 मार्च 2013

यादगार


   कुछ समय पहले हमारे एक मित्र दंपति ने, जो स्वयं अच्छे संगीतज्ञ हैं, कुछ ऐसे मित्रों को अपने घर आमंत्रित किया जो संगीत में रुचि रखते हैं। निमंत्रण के साथ ही उनका एक निवेदन भी था - प्रत्येक मेहमान अपने साथ एक पत्थर भी लेकर आएगा, जिस पर उनका नाम और वह तिथि अथवा घटना लिखी हो जब वे उनके मित्र बने थे। ये सभी पत्थर उनके आंगन में एक यादगार के लिए उस तंदूर के पास रखे जाने थे जहाँ वे अकसर अपनी संगीत सभाएं आयोजित किया करते थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को कुछ महत्वपुर्ण घटनाओं की यादगार बना कर रखने के लिए कहा था। जब इस्त्राएली मिस्त्र के दासत्व से निकल कर आए थे और परमेश्वर की सहायता से लाल समुद्र के पार हुए थे और उनका पीछा कर रही मिस्त्री सेना उस समुद्र में डूब मरी थी तब परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को इस घटना की यादगार पत्थरों द्वारा बनाने को कहा (निर्गमन 14:21-31), जिससे जब आने वाले समय में उनके बच्चे उन पत्थरों के बारे में उनसे पूछें तो वे उन्हें परमेश्वर के महान कार्य के बारे में बता सकें (यहोशू 4:23-24)| इसी प्रकार वाचा किए हुए कनान देश में इस्त्राएलियों के प्रवेश करने के समय यर्दन नदी उफान पर थी परन्तु परमेश्वर ने उसके प्रवाह को रोक कर इस्त्राएलियों को पार उतर जाने का मार्ग दिया जिसकी यादगार भी उन्होंने परमेश्वर के कहने पर पत्थरों द्वारा बनाई (यहोशू 3:13-17)।

   जैसे परमेश्वर लगातार इस्त्राएलियों की सहायता करता रहा है, वैसे ही वह आज हमारी भी सहायता करता रहता है। वह हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता है, हमें सुरक्षित रखता है, हमारा मार्गदर्शन करता है। क्या आपने अपने जीवन में हो रहे परमेश्वर के बड़े कामों की कोई यादगार बना रखी है, जिसके द्वारा आप अपने बच्चों और नाती-पोतों को उसके महान कामों के बारे में बता सकें; या स्वयं उन्हें स्मरण कर सकें। - सिंडी हैस कैस्पर


परमेश्वर के कार्यों को स्मरण करना शक करने का अच्छा प्रतिरोधक है।

तब उसने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़के-बाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है? तब तुम यह कहकर उन को बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्थल ही स्थल चले आए थे। - यहोशू 4:21-22

बाइबल पाठ: यहोशू 4
Joshua 4:1 जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा,
Joshua 4:2 प्रजा में से बारह पुरूष, अर्थात गोत्र पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे,
Joshua 4:3 कि तुम यरदन के बीच में, जहां याजकों ने पांव धरे थे वहां से बारह पत्थर उठा कर अपने साथ पार ले चलो, और जहां आज की रात पड़ाव होगा वहीं उन को रख देना।
Joshua 4:4 तब यहोशू ने उन बारह पुरूषों को, जिन्हें उसने इस्राएलियों के प्रत्येक गोत्र में से छांटकर ठहरा रखा था,
Joshua 4:5 बुलवाकर कहा, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सन्दूक के आगे यरदन के बीच में जा कर इस्राएलियों के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक एक पत्थर उठा कर अपने अपने कन्धे पर रखो,
Joshua 4:6 जिस से यह तुम लोगों के बीच चिन्हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है?
Joshua 4:7 तब तुम उन्हें उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने से दो भाग हो गया था; क्योंकि जब वह यरदन पार आ रहा था, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्थर इस्राएल को सदा के लिये स्मरण दिलाने वाले ठहरेंगे।
Joshua 4:8 यहोशू की इस आज्ञा के अनुसार इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएली गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्थर यरदन के बीच में से उठा लिये; और उन को अपने साथ ले जा कर पड़ाव में रख दिया।
Joshua 4:9 और यरदन के बीच जहां याजक वाचा के सन्दूक को उठाए हुए अपने पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पत्थर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं।
Joshua 4:10 और याजक सन्दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्हें यहोवा ने यहोशू को लोगों से कहने की आज्ञा दी थी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए;
Joshua 4:11 और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्दूक भी उनके देखते पार हुए।
Joshua 4:12 और रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियों के आगे पांति बान्धे हुए पार गए;
Joshua 4:13 अर्थात कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हथियार बान्धे हुए संग्राम करने के लिये यहोवा के साम्हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे।
Joshua 4:14 उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियों के साम्हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे।।
Joshua 4:15 और यहोवा ने यहोशू से कहा,
Joshua 4:16 कि साक्षी का सन्दूक उठाने वाले याजकों को आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं।
Joshua 4:17 तो यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ।
Joshua 4:18 और ज्योंही यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पांव स्थल पर पड़े, त्योंही यरदन का जल अपने स्थान पर आया, और पहिले की नाईं कड़ारो के ऊपर फिर बहने लगा।
Joshua 4:19 पहिले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगों ने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपने डेरे डाले।
Joshua 4:20 और जो बारह पत्थर यरदन में से निकाले गए थे, उन को यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए।
Joshua 4:21 तब उसने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़के-बाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है?
Joshua 4:22 तब तुम यह कहकर उन को बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्थल ही स्थल चले आए थे।
Joshua 4:23 क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उसने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा;
Joshua 4:24 इसलिये कि पृथ्वी के सब देशों के लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; और तुम सर्वदा अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 4-6 
  • लूका 1:1-20

मंगलवार, 19 मार्च 2013

पहन लो


   जब बचपन में मैंने अमेरिकन फुटबॉल खेलना आरंभ किया था तो एक बात जिसके आदी होने में कुछ समय लगा वह थी उस खेल से संबंधित वेश-भूषा। सिर पर हेल्मेट, कंधों और छाती पर मोटी गद्दीयाँ और अन्य सुरक्षात्मक वस्तुएं पहन कर खेल के मैदान में दौड़ना अटपटा लगता था किंतु कुछ समय बीतने पर यह सब एक अच्छे मित्र के समान लगने लगा जो मेरी सुरक्षा के लिए साथ रहता हो। जब इस खेल का खिलाड़ी यह सब वस्तुएं पहनता है तो वह जानता है कि यह खतरनाक प्रतिद्वन्दीयों से उसकी रक्षा के लिए और उसकी अपनी भलाई के लिए हैं।

   मसीह यीशु के अनुयायी होने के कारण हमारा भी एक बहुत खतरनाक प्रतिद्वन्दी है - शैतान, जो सदा हमें गिराने और हानि पहूँचाने के प्रयासों में लगा रहता है। इसीलिए प्रभु यीशु ने हमारी सुरक्षा के लिए कुछ वस्तुएं दीं हैं जिन्हें हमें पहने रहना है, जिससे उस आत्मिक युद्ध में जिसमें हर मसीही विश्वासी रहता है, हम सुरक्षित रहें: "इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा कर के स्थिर रह सको" (इफीसियों 6:13)।

   परमेश्वर ने हमारी सुरक्षा के लिए हमें टोप, झिलम, ढाल, तलवार, कमरबन्द और जूते सभी दीए हैं। लेकिन ये सब हमारी सुरक्षा तभी कर सकेंगे जब हम इन्हें पहने कर रखेंगे - चाहे यह हमें आरामदायक ना भी लगें, तौभी इन सभी को पहने रहना हमारी सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हमारा परमेश्वर के वचन के अध्ययन में विश्वासयोग्य, प्रार्थना में संलग्न, मसीही जीवन की गवाही में तत्पर होना ही हमारे इस सुरक्षा कवच को हमारा अभिन्न अंग बनाएगा।

   परमेश्वर के लिए कार्यकारी होना है तो परमेश्वर के हथियार और कवच को पहन लो। - बिल क्राउडर


परमेश्वर के हथियार और कवच आपके लिए ही बनाए गए हैं, लेकिन उन्हें पहिने रहना आपका दायित्व है।

निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो। - इफिसीयों 6:10

बाइबल पाठ: इफिसीयों 6:11-19
Ephesians 6:11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।
Ephesians 6:12 क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्धकार के हाकिमों से, और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
Ephesians 6:13 इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा कर के स्थिर रह सको।
Ephesians 6:14 सो सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मीकता की झिलम पहिन कर।
Ephesians 6:15 और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर।
Ephesians 6:16 और उन सब के साथ विश्वास की ढाल ले कर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।
Ephesians 6:17 और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।
Ephesians 6:18 और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो।
Ephesians 6:19 और मेरे लिये भी, कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, कि मैं हियाव से सुसमाचार का भेद बता सकूं जिस के लिये मैं जंजीर से जकड़ा हुआ राजदूत हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 1-3 
  • मरकुस 16

सोमवार, 18 मार्च 2013

रोष


   मेरा एक मित्र है जिसने अपने परिचय कार्ड पर विख्यात मूर्तीकार रोडिन द्वारा बनाई मूर्ति The Thinker (विचारक) का चित्र बनवा रखा है और उसके नीचे लिखवाया है "जीवन निष्पक्ष नहीं है"।

   यह सच है, जीवन सचमुच में निष्पक्ष नहीं है, और यदि कोई सिद्धांत जीवन के निष्पक्ष होने पर अड़ा रहता है तो वह सिद्धांत भ्रामिक है, असत्य है।

   जीवन के निष्पक्ष ना होने के कारण जो अति-महत्वपुर्ण बात सामने आती है, वह है जीवन की बातों और उतार-चढ़ाव के प्रति हमारा रवैया और प्रतिक्रीया। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार दाऊद ने भजन 37 में कहा कि वह बदला नहीं लेगा वरन धैर्य से परमेश्वर के न्याय और समय की प्रतीक्षा करेगा "क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे" (भजन 37:9)।

   हमारा प्रतिशोध तो बदले की भावना और चोट पहुँचाने के उद्देश्य से प्रेरित हो सकता है, लेकिन परमेश्वर का क्रोध उसकी करुणा की सीमाओं के अन्दर और किसी बदले की भावना से बाहर होता है। उसके क्रोध का उद्देश्य भलाई होता है, तथा माध्यम और विधि विरोधियों को पश्चाताप और विश्वास में लाने के लिए होते हैं। इसीलिए हमें अपना पलटा आप नहीं लेना है: "हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो" (रोमियों 12:19, 21)।

   इस बात को जीवन में सार्थक होने के लिए यह भाव हृदय में होना चाहिए, जहाँ से जीवन की बातों का उद्गम है: "सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है" (नीतिवचन 4:23)। यह हमारा कर्तव्य है कि हम रोष से बचें, क्रोध ना करें और धैर्य के साथ परमेश्वर के न्याय की प्रतीक्षा करें। - डेविड रोपर


बदला ना लेना विजयी होना है।

अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़; और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा। - भजन 37:5

बाइबल पाठ: भजन 37:7-11
Psalms 37:7 यहोवा के साम्हने चुपचाप रह, और धीरज से उसका आसरा रख; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है!
Psalms 37:8 क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उस से बुराई ही निकलेगी।
Psalms 37:9 क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे; और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Psalms 37:10 थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भांति देखने पर भी उसको न पाएगा।
Psalms 37:11 परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 32-34 
  • मरकुस 15:26-47

रविवार, 17 मार्च 2013

उपलब्ध


   "क्या आप मेरी बहन के लिए प्रार्थना करेंगे?" उस हृष्ट-पुष्ट और कद्दावर कर्मी ने हिचकिचाते हुए मुझसे प्रश्न किया, और मैंने बड़े ग़ौर से उसकी ओर शक भरी नज़रों से देखा।

   कुछ महीने पहले की बात है, जिस फैकट्री में मैं कार्य करता हूँ, वहाँ कर्मीयों द्वारा हड़ताल की संभावना बढ़ती जा रही थी। गर्मी के मौसम की परेशानियों ने लोगों के स्वभाव को चिड़-चिड़ा बना रखा था। फैकट्री के प्रबन्धक कार्य तथा उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाने पर ज़ोर दे रहे थे तो मज़दूर संघ के नेता इसका विरोध कर रहे थे। काम के समय के अवकाशों में उन नेताओं द्वारा हमें कहा जाता कि उत्पादन को कम ही रखें। मैं अपने मसीही विश्वास तथा आदर्शवादिता में होकर अधिक से अधिक परिश्रम करना परमेश्वर की ओर से अपना दायित्व समझता था, और मैंने यह बात अपने सहकर्मीयों और मज़दुर संघ के नेताओं को समझाने का व्यर्थ प्रयत्न भी किया। मेरी इस विचारधारा और प्रयास के कारण मुझे अपने सहकर्मियों से घोर विरोध एवं परेशानियों का सामना करना पड़ा; और यह कर्मी जो अब मेरे पास प्रार्थना की विनती लेकर आया था, उन तंग करने वालों में प्रमुख हुआ करता था।

   इसलिए उसकी इस प्रार्थना की विनती पर मुझे एकाएक विश्वास नहीं हुआ, मुझे लगा जैसे मेरे उपहास के लिए यह उसका कोई नया प्रयास है। मैंने उस से पूछा, "मैं क्यों?" उसके उत्तर ने मुझे झकझोर दिया, उसने रुंधे गले से कहा "क्योंकि उसे कैंसर है और मुझे कोई ऐसा व्यक्ति प्रार्थना के लिए चाहिए जिसकी परमेश्वर सुनता हो।" हमारे बीच की कड़ुवाहट जाती रही, और मैंने उसकी बहन के लिए प्रार्थना करी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के लूका ७ अध्याय में एक सूबेदार का उल्लेख है जिसने प्रभु यीशु के पास सहायता के लिए कुछ प्रमुख लोगों को भेजा। जब लोग परेशानी में होते हैं तो ना वे अपना समय और ना ही अपने शब्द व्यर्थ करते हैं; वे निवारण के लिए तुरंत उस व्यक्ति के पास जाते हैं जिसके विश्वास को उन्होंने सार्थक और खरा पाया हो।

   प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा "तुम पृथ्वी के नमक हो"; "तुम जगत की ज्योति हो" (मत्ती 5:13, 14) - थोडा सा नमक भोजन का स्वाद बढ़ा देता है; ज्योति चाहे हल्की ही हो किंतु अन्धकार में सांत्वना देती है, मनों को शांत रखती है। पाप से बिगड़े हुए और अन्धकार में पड़े संसार में हम मसीही विश्वासी प्रभु यीशु की ओर से ठहराए हुए वे लोग हैं जो बिगड़ों को संवारने और परेशानों को शांति तथा सांत्वना देने वाले हों, उनकी सहायता के लिए तत्पर और उपलब्ध हों। हमारे विश्वास और मसीही जीवन को देखकर वे प्रभु यीशु की ओर आकर्षित हों।

   क्या आप के आस-पास के लोग आपको ऐसे मसीही विश्वासी के रूप में जानते हैं जो उनकी परेशानियों में उनकी सहायता के लिए उपलब्ध हैं? क्या आप अपने स्थान पर संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु द्वारा दी गई ’नमक’ और ’ज्योति’ होने की ज़िम्मेदारी को निभा रहे हैं? - रैंडी किलगोर


जब कोई प्रीय जन जोखिम में हो तो कठोर मन वाले को भी सहायता चाहिए होती है।

उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरनियों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर। - लूका 7:3

बाइबल पाठ: लूका 7:1-10
Luke 7:1 जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया।
Luke 7:2 और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था।
Luke 7:3 उसने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरनियों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर।
Luke 7:4 वे यीशु के पास आकर उस से बड़ी बिनती कर के कहने लगे, कि वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे।
Luke 7:5 क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।
Luke 7:6 यीशु उन के साथ साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, कि हे प्रभु दुख न उठा, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए।
Luke 7:7 इसी कारण मैं ने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊं, पर वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
Luke 7:8 मैं भी पराधीन मनुष्य हूं; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूं, जा, तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूं कि आ, तो आता है; और अपने किसी दास को कि यह कर, तो वह उसे करता है।
Luke 7:9 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उसने मुंह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
Luke 7:10 और भेजे हुए लोगों ने घर लौटकर, उस दास को चंगा पाया।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 30-31 
  • मरकुस 15:1-25

शनिवार, 16 मार्च 2013

प्रार्थना के उत्तर


   जब हम परमेश्वर के पास प्रार्थना में आते हैं तो कुछ बातें निश्चित हैं और कुछ ऐसी हैं जिनके बारे में हम एकदम से नहीं जान पाते; जैसे, हमें यह परमेश्वर से आशवासन है कि यदि हम प्रभु यीशु में होकर उसे अपना पिता परमेश्वर जानते हैं तो वह हमारी प्रत्येक प्रार्थना को अवश्य सुनेंगा और अपने समय तथा विधि में उसका उत्तर भी देगा। यह उत्तर हाँ भी हो सकता है, ना भी हो सकता है, ’अभी कुछ समय प्रतीक्षा करो’ भी हो सकता है, या कुछ अनूठा और अनेपक्षित भी हो सकता है जैसा दानिय्येल भविष्यद्वकता ने पाया; उस ने अपनी प्रार्थना का जो उत्तर पाया वह ना केवल अद्भुत था वरन उसकी हर कलपना से परे था।

   परमेश्वर के भविष्यद्वकता दानिय्येल ने यर्मियाह भविष्यद्वकता की पुस्तक के अध्ययन से जाना कि इस्त्राएल के दास्तव के निर्धारित 70 वर्ष पूरे होने वाले थे, और वह अपने लोगों के लिए परमेश्वर से प्रार्थना और विनती करने में जुट गया कि इस छुटकारे में विलंब ना हो और परमेश्वर अपनी दया-दृष्टि अपने लोगों इस्त्राएल पर बनाए (दानिय्येल 9:2, 19)। दानिय्येल की प्रार्थना का उत्तर तुरंत आया और अद्भुत रीति से आया। उसके प्रार्थना करते करते ही परमेश्वर का एक प्रधान स्वर्गदूत जिब्राइल उत्तर लेकर उसके पास आया। परमेश्वर का वह उत्तर जितना शीघ्र था, उतना ही विसमयकारी भी था। दानिय्येल ने प्रार्थना करी थी इस्त्राएल की बन्धुवाई के 70 वर्षों के बारे में, परमेश्वर ने उसे भविष्य में होने वाली घटनाओं को ’७० सप्ताह’ की भविष्यवाणी के रूप में दे दिया। दानिय्येल केवल वर्तमान की आस में था किंतु परमेश्वर ने उसे हज़ारों वर्ष आगे आने वाला भविष्य भी दिखा दिया।

   हमारा परिपेक्ष चाहे वर्तमान ही हो, लेकिन परमेश्वर समय और काल से बंधा नहीं है, और हमें वह भी बता सकता है जिसकी हमने कलपना भी ना करी हो। लेकिन यह निश्चित है कि परमेश्वर अपने बच्चों की प्रार्थनाओं को सुनता है, उनका उत्तर देता है और हर बात में सदा उनका भला करता है, जिससे वे जानते और मानते रहें कि वह ही आदर, स्तुति और महिमा के योग्य एकमात्र जीवता और सच्चा परमेश्वर है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के उत्तर हमारी प्रार्थनाओं की सीमाओं से परे तथा हमारी उम्मीदों से बढ़कर भी हो सकते हैं।

हे प्रभु, सुन ले; हे प्रभु, पाप क्षमा कर; हे प्रभु, ध्यान देकर जो करता है उसे कर, विलम्ब न कर; हे मेरे परमेश्वर, तेरा नगर और तेरी प्रजा तेरी ही कहलाती है; इसलिये अपने नाम के निमित्त ऐसा ही कर। - दानिय्येल 9:19

बाइबल पाठ: दानिय्येल 9:1-9, 20-24
Daniel 9:1 मादी क्षयर्ष का पुत्र दारा, जो कसदियों के देश पर राजा ठहराया गया था,
Daniel 9:2 उसके राज्य के पहिले वर्ष में, मुझ दानिय्येल ने शास्त्र के द्वारा समझ लिया कि यरूशलेम की उजड़ी हुई दशा यहोवा के उस वचन के अनुसार, जो यिर्मयाह नबी के पास पहुंचा था, कुछ वर्षों के बीतने पर अर्थात सत्तर वर्ष के बाद पूरी हो जाएगी।
Daniel 9:3 तब मैं अपना मुख परमेश्वर की ओर कर के गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करने लगा, और उपवास कर, टाट पहिन, राख में बैठ कर वरदान मांगने लगा।
Daniel 9:4 मैं ने अपने परमेश्वर यहोवा से इस प्रकार प्रार्थना की और पाप का अंगीकार किया, हे प्रभु, तू महान और भययोग्य परमेश्वर है, जो अपने प्रेम रखने और आज्ञा मानने वालों के साथ अपनी वाचा को पूरा करता और करूणा करता रहता है,
Daniel 9:5 हम लोगों ने तो पाप, कुटिलता, दुष्टता और बलवा किया है, और तेरी आज्ञाओं और नियमों को तोड़ दिया है।
Daniel 9:6 और तेरे जो दास नबी लोग, हमारे राजाओं, हाकिमों, पूर्वजों और सब साधारण लोगों से तेरे नाम से बातें करते थे, उनकी हम ने नहीं सुनी।
Daniel 9:7 हे प्रभु, तू धर्मी है, परन्तु हम लोगों को आज के दिन लज्जित होना पड़ता है, अर्थात यरूशलेम के निवासी आदि सब यहूदी, क्या समीप क्या दूर के सब इस्राएली लोग जिन्हें तू ने उस विश्वासघात के कारण जो उन्होंने तेरा किया था, देश देश में बरबस कर दिया है, उन सभों को लज्जित होना पड़ता है।
Daniel 9:8 हे यहोवा हम लोगों ने अपने राजाओं, हाकिमों और पूर्वजों समेत तेरे विरुद्ध पाप किया है, इस कारण हम को लज्जित होना पड़ता है।
Daniel 9:9 परन्तु, यद्यपि हम अपने परमेश्वर प्रभु से फिर गए, तौभी तू दयासागर और क्षमा की खानि है।
Daniel 9:20 इस प्रकार मैं प्रार्थना करता, और अपने और अपने इस्राएली जाति भाइयों के पाप का अंगीकार करता हुआ, अपने परमेश्वर यहोवा के सम्मुख उसके पवित्र पर्वत के लिये गिड़गिड़ाकर बिनती करता ही था,
Daniel 9:21 तब वह पुरूष जिब्राएल जिस मैं ने उस समय देखा जब मुझे पहिले दर्शन हुआ था, उसने वेग से उड़ने की आज्ञा पाकर, सांझ के अन्नबलि के समय मुझ को छू लिया; और मुझे समझाकर मेरे साथ बातें करने लगा।
Daniel 9:22 उसने मुझ से कहा, हे दानिय्येल, मैं तुझे बुद्धि और प्रविणता देने को अभी निकल आया हूं।
Daniel 9:23 जब तू गिड़गिड़ाकर बिनती करने लगा, तब ही इसकी आज्ञा निकली, इसलिये मैं तुझे बताने आया हूं, क्योंकि तू अति प्रिय ठहरा है; इसलिये उस विषय को समझ ले और दर्शन की बात का अर्थ बूझ ले।
Daniel 9:24 तेरे लोगों और तेरे पवित्र नगर के लिये सत्तर सप्ताह ठहराए गए हैं कि उनके अन्त तक अपराध का होना बन्द हो, और पापों को अन्त और अधर्म का प्रायश्चित्त किया जाए, और युगयुग की धामिर्कता प्रगट हो; और दर्शन की बात पर और भविष्यवाणी पर छाप दी जाए, और परमपवित्र का अभिषेक किया जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 28-29 
  • मरकुस 14:54-72

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

दृष्टिकोण


   अमेरिका के टैक्सस प्रांत के लोग अपने पशु-पालन के बड़े-बड़े फार्म और हर बात में शेखी बघारने के लिए जाने जाते थे और इन बातों से संबंधित उनके विषय में अनेक विनोदी लघु-कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी ही कथाओं में से मेरी एक प्रीय कथा है:  "टैक्सस का एक फार्म मालिक जर्मनी गया हुआ था और वहां के एक पशु-पालन फार्म के मालिक को उसके काम के बारे में सलाह देने लगा। इसी वार्तालाप के दौरान टेक्सस वाले ने जर्मनी वाले से पूछा कि उसकी ज़मीन का नाप कितना है; जर्मनी वाले ने उत्तर दिया ’एक वर्ग मील’। फिर जर्मनी वाले ने टैक्सस वाले से भी यही बात पूछी, तो टैक्सस वाले ने अपने अंदाज़ में उत्तर दिया, ’यदि मैं सूर्योदय के साथ अपनी गाड़ी में चलना आरंभ करूँ, तो सूर्यास्त होने तक भी मैं अपनी ज़मीन के एक छोर से दूसरे छोर तक नहीं पहुँच पाता।’ जर्मनी वाले ने संवेदना में सिर हिलाते हुए उत्तर दिया, ’ मैं आपकी व्यथा समझ सकता हूँ; मेरे पास भी कभी ऐसी ही परेशान कर देने वाली पुरानी और बेकार गाड़ी हुआ करती थी!’ "

   मज़ाक तो अपने स्थान पर अच्छा है, लेकिन साथ ही यह कहानी हमें सही दृष्टिकोण के महत्व को भी सिखाती है। यह सही दृष्टिकोण होना केवल सांसारिक जीवन की बातों में ही नहीं, आत्मिक जीवन की बातों में भी महत्वपूर्ण है। परमेश्वर के वचन बाइबल में ग़लत दृष्टिकोण रखने वाली एक मसीही मण्डली का उल्लेख है - प्रकाशितवाक्य 3:14-22। अपने बाह्य स्वरूप में वह मण्डली काफी धनी थी। उनके पास सांसारिक वस्तुओं की बहुतायत थी और वे सोचने लगे थे कि अब उन्हें किसी भी बात की आवश्यकता नहीं है, यहाँ तक कि प्रभु यीशु की भी नहीं, जिसे उन्होंने मण्डली के बाहर कर दिया था।

   लेकिन प्रभु यीशु का दृष्टिकोण उनके लिए भिन्न था। वह उनकी वास्तविक दशा भली-भांति जानता था। उनके दुर्व्यवहार के बावजूद वह उनसे प्रेम रखता था, उनका भला चाहता था और वापस उनमें आकर उनके साथ संगति करना चाहता था। प्रभु यीशु ने उन्हें उन की वास्तविक दशा बताई: "...यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है" (पद 17), उन्हें सलाह दी कि वे मन फिराएं और उससे असली और कभी नष्ट ना होने वाला धन ले लें, अर्थात पवित्रता, अच्छा चरित्र, धार्मिकता और बुद्धिमता तथा उनके पास वापस अन्दर आकर उनके साथ संगति करने की अपनी इच्छा प्रगट करी।

   कहीं सांसारिक उपलब्धियों और बातों की चकाचौंध ने हमें भी तो अपनी वास्तविक दशा से अनभिज्ञ बनाकर किसी गलत दृष्टिकोण में तो नहीं फंसा लिया है? प्रभु यीशु का निमंत्रण संसार के प्रत्येक जन के लिए खुला है, वह हर एक से प्रेम रखता है, उसने हर एक जन के पापों के लिए अपने प्राण दिए और आज स्वेच्छा से उसके पास आने वाले हर जन को वह पापों की क्षमा, उद्धार और परमेश्वर की संगति में अनन्त जीवन देने को तैयार है; उनके पाप स्वभाव के स्थान पर उन्हें अपनी धार्मिकता का स्वभाव देने को तैयार है।

   सही दृष्टिकोण अपनाएं, वास्तविकता को जांचें-परखें और पहचानें और प्रभु यीशु से अनन्त आशीषों को प्राप्त कर लें। - जो स्टोवैल


सबसे ग़रीब वही है जिसके पास केवल संसार का धन ही है।

तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है। - प्रकाशितवाक्य 3:17

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 3:14-22
Revelation 3:14 और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
Revelation 3:15 कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
Revelation 3:16 सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं।
Revelation 3:17 तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
Revelation 3:18 इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
Revelation 3:19 मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
Revelation 3:20 देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं; यदि कोई मेरा शब्द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आ कर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
Revelation 3:21 जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पा कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
Revelation 3:22 जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 26-27 
  • मरकुस 14:27-53


गुरुवार, 14 मार्च 2013

प्रश्न और उत्तर


   मेरे एक मित्र का वयस्क पुत्र एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गया और उसकी देखभाल करने के लिए मेरे मित्र को दो बार नौकरी छोड़नी पड़ी। उसी वर्ष उसकी पत्नि भी ३० वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद एक बीमारी से जाती रही। तब से उसके पास कोई उत्तर नहीं होता जब उसका पुत्र प्रश्न करता है कि यह सब उनके साथ क्यों हुआ।

   लेकिन उसने अपने एक स्वपन के बारे में बताया जिसे देखने के बाद वह बहुत सन्तुष्ट और शांत अनुभव करने लगा। उसने स्वपन देखा कि वह एक ऐसे स्थान पर है जहाँ बहुत प्रकाश है, बहुत से लोगों की भीड़ है और एक व्यक्ति उसके सभी प्रश्नों के उत्तर दे रहा है। प्रत्येक उत्तर इतना सटीक और सार्थक था कि उसकी सारी शंकाएं जाती रहीं और वह यह भी समझ सका कि क्यों पृथ्वी पर वह इन उत्तरों को नहीं पा सका। फिर उसी स्वपन में वह अपने पुत्र के पास आया, लेकिन जब उसने अपने पुत्र को वही उत्तर समझाने चाहे तो उसे कोई भी उत्तर याद नहीं आया, लेकिन इससे भी उसे कोई परेशानी नहीं हुई। और तब वह जाग उठा।

   मेरे मित्र के अनुभव ने मुझे परमेश्वर के एक मित्र का स्मरण कराया जिसके प्रश्न भी अनुत्तरित थे (अय्युब 7:20-21)। अन्ततः जब परमेश्वर ने अय्युब से अपनी सृष्टि के अद्भुत आश्चर्यों के दर्शन में होकर बात करी तब अय्युब परमेश्वर की योजना को समझने पाया और उसने अपने प्रश्नों के उत्तर से भी कुछ उत्तम प्राप्त किया - अनन्त जीवन। तब ही अय्युब शांति पा सका और समझ सका कि परमेश्वर की हर योजना भली ही है और परमेश्वर पर हर परिस्थिति में और हर बात के लिए विश्वास रखना ही सबसे उत्तम बात है। - मार्ट डी हॉन


प्रश्नों के उत्तर पाने से भी भला है उस परमेश्वर पर विश्वास रखना जिसके पास उत्तर भी हैं और कारण भी।

मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; - अय्युब 42:5

बाइबल पाठ: अय्युब 42:1-6
Job 42:1 तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया;
Job 42:2 मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती।
Job 42:3 तू कौन है जो ज्ञान रहित हो कर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिन को मैं जानता भी नहीं था।
Job 42:4 मैं निवेदन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, तू मुझे बता दे।
Job 42:5 मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं;
Job 42:6 इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 23-25 
  • मरकुस 14:1-26


बुधवार, 13 मार्च 2013

ऊर्जा का स्त्रोत


   चौकलेट सामान्यतः लोगों का एक पसंदीदा पदार्थ है जिससे मिठास और उर्जा दोनो ही प्राप्त होते हैं। ब्रिटिश औटो टैक्निशियन्स ने इस मीठे खाद्य पदार्थ का एक अनूठा उपयोग निकाला है। वारविक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक रेसिंग कार बनाई है जो वनस्पति तेलों और चौकलेट से चलती है। इस अनोखे इन्धन से चलने वाली यह कार 135 मील प्रति घंटा की रफतार तक जा सकती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी भोजन से मिली ऊर्जा का एक विलक्षण उदाहरण दिया गया है। कार्मेल पर्वत पर परमेश्वर ने एलियाह के द्वारा एक अद्भुत और महान कार्य करवाया और यहोवा ही परमेश्वर है प्रमाणित करने के लिए एलियाह के कहने पर आसमान से आग गिराई और वेदी पर रखी हुई बलि को भस्म कर दिया। इस आत्मिक पराकाष्ठा के बाद एलियाह को हत्या की धमकी मिली जिससे वह घोर निराशा में आ गया और वहाँ से भाग खड़ा हुआ। एलियाह की निराशा के समय में परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत द्वारा उसे भोजन और जल पहुँचाया; उस भोजन से मिली ऊर्जा असाधारण थी: "...और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा" (1 राजा 19:8)।

   जैसे हमारे शरीरों को शारीरिक बल के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारी आत्मा को भी आत्मिक बल के लिए आत्मिक ऊर्जा कि आवश्यकता होती है। परमेश्वर का वचन बाइबल ही वह आत्मिक भोजन है जो आत्मा को सामर्थ देता है। इसीलिए भजनकार ने परमेश्वर के वचन के लिए लिखा: "यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;" (भजन 19:7-8)। 

   प्रभु यीशु के लिए परमेश्वर की आज्ञाकारिता ही उसका भोजन अर्थात ऊर्जा का स्त्रोत थी: "यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं" (यूहन्ना 4:34); और प्रभु यीशु ने कहा: "जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।...यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे" (यूहन्ना 14:21, 23)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल को अपनी आत्मिक ऊर्जा का स्त्रोत बना लीजिए, वह जीवन की हर परिस्थिति में काम आएगी, सही मार्गदर्शन देगी और आपको परमेश्वर की संगति में बनाए रखेगी। - डेनिस फिशर


परमेश्वर अपने वचन के द्वारा हमारा पोषण करता है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। - 2 तिमुथियुस 3:16

बाइबल पाठ: 1 राजा 19:1-8
1 Kings 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उसने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला।
1 Kings 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें।
1 Kings 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण ले कर भागा, और यहूदा के बेर्शेबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया।
1 Kings 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ।
1 Kings 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेटकर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठ कर खा।
1 Kings 19:6 उसने दृष्टि कर के क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उसने खाया और पिया और फिर लेट गया।
1 Kings 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है।
1 Kings 19:8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22 
  • मरकुस 13:21-37


मंगलवार, 12 मार्च 2013

दर्शन


   संसार की सबसे शक्तिशाली दूरबीनों में से एक ’ग्रैन टेलिस्कोपियो कैनरिस’ कैनरी द्वीप समूह के ला पालोमा में एक शान्त हो चुके ज्वालामुखी के शिखर पर स्थित है। इसका उद्घाटन सन २००९ में स्पेन के राजा कार्लोस ने किया था। इस दूरबीन से नक्षत्र और सितारे का बहुत ही स्पष्ट दिखाई देते हैं क्योंकि 7,870 फीट की ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यह बादलों के ऊपर है, वहाँ की हवा साफ और बिना नमी की है तथा हवा के प्रवाह में हलचल नहीं होती। भूमध्य रेखा के निकट स्थित होने के कारण खगोलशास्त्रियों के लिए इस दूरबीन से समस्त उत्तरी खगोलीय गोलार्ध तथा दक्षिणी खगोलीय गोलार्ध के कुछ भाग का अध्ययन करना संभव है।

   प्रभु यीशु भी अपने चेलों को परमेश्वर को समर्पित जीवन के गुण सिखाने के लिए एक पहाड़ पर ले गए। वहाँ पर उन्होंने चेलों को सिखाया कि उनका व्यवहार उनके लिए परमेश्वर के दर्शन को निर्धारित करेगा। परमेश्वर को स्पष्ट जानने के लिए पहाड़ की नहीं वरन चरित्र और परमेश्वर की आज्ञाकारिता कि ऊँचाई आवश्यक है। प्रभु यीशु के उस पहाड़ी उपदेश में से एक वाक्य है: "धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे" (मत्ती 5:8)। यह उन थोड़े से लोगों के लिए नहीं है जो अपने प्रयासों से इसे संभव करना चाहते हैं, वरन उन सभी के लिए है जो दीन और नम्र होकर प्रभु यीशु को स्वीकार कर लेते हैं।

   मन की शुद्धि उन्हीं के लिए संभव है जिनके पाप प्रभु यीशु में क्षमा हो गए हों। यह पाप क्षमा का अवसर आज भी संसार के सब लोगों के लिए परमेश्वर की ओर से सेंत-मेंत उपलब्ध है। परमेश्वर का संसार के सभी लोगों को आश्वासन है कि "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)।

   पहाड़ की ऊँचाई सितारों को देखने के लिए एक उत्तम स्थान है, लेकिन परमेश्वर के दर्शन के लिए पाप से क्षमा पाया हुआ तथा पाप से परिवर्तित हृदय चाहिए। क्या आपने परमेश्वर के आश्वासन को मानकर प्रभु यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लिया है? - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर के स्पष्ट दर्शन पाने के लिए प्रभु यीशु पर दृष्टि केंद्रित करें।

धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। - मत्ती 5:8

बाइबल पाठ: मत्ती 5:1-12
Matthew 5:1 वह इस भीड़ को देखकर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
Matthew 5:2 और वह अपना मुंह खोल कर उन्हें यह उपदेश देने लगा,
Matthew 5:3 धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:4 धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे।
Matthew 5:5 धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
Matthew 5:6 धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किये जाएंगे।
Matthew 5:7 धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।
Matthew 5:8 धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
Matthew 5:9 धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
Matthew 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
Matthew 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण तुम्हारी निन्दा करें, और सताएं और झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
Matthew 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्योंकि तुम्हारे लिये स्वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19 
  • मरकुस 13:1-20