मेक्सिको देश का एक ज्वालामुखी पर्वत जो सालों से शांत था अचानक ही सक्रीय हो उठा और इतनी ज़ोर से फटा कि संसार का सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी हो गया। ७,३०० फुट ऊंचा एल चिचोन नाम का यह पर्वत सैंकड़ों सालों से निष्क्रीय पड़ा था। १९८० में सेंट हेलेन्स ज्वालामुखी भी अचानक सक्रीय हो उठा और ज्वालामुखी के फटने से उसका बर्फ से ढका सुन्दर शिखर धूल और भाप में बदल गया। इन पर्वतों के समीप रहने वाले लोगों ने इन पर्वतों में कभी इतने उग्र बदलाव की कल्पना भी नहीं की थी।
ये घटनाएं इतिहास में घटने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का एक उदाहरण मात्र हैं, जो नूह के समय से होती आ रही हैं, जब परमेश्वर ने दुष्ट संसार का विनाश किया था। जैसे एल चिचोन और सेंट हेलेंस पर्वतों के समीप रहने वाले लोग निश्चिंत थे, नूह के पड़ौसी भी प्रलय से निश्चिंत थे। लेकिन उनमें विद्यमान दुराचार ने उनकी इस निश्चिंतता को और घातक बना दिया था। वे सोचते थे कि उनके भ्रष्ट और दुराचारी जीवन का कोई हिसाब नहीं लेगा, लेकिन परमेश्वर ने उनसे हिसाब मांगा, अप्रत्याशित रूप से नहीं, वरन उन्हे पूरी चेतावनी और सुधरने का अवसर देकर। किंतु उस चेतावनी और अवसर का उस समय के लोगों ने मज़ाक उड़ाया और मौका गंवा दिया।
कभी कभी हम भी ऐसे ही व्यवहार करते हैं कि जैसे हमें विश्वास हो कि परमेश्वर निष्क्रीय हो गया है, तथा हमें कभी कुछ होने वाला नहीं है, लेकिन यह केवल हमारा भ्रम है। तब, जैसे समय नूह के दिनों में पूरा हुआ और दुष्टता का दुषपरिणाम सामने आ गया, अभी वैसे ही संसार के पाप और दुष्टता के विरुद्ध परमेश्वर की चेतावनी और पश्चताप का अवसर है। प्रभु यीशु ने वायदा किया है कि वह एक दिन अचानक ही आ जाएगा और तब यह अवसर समाप्त हो जाएगा। जैसे नूह के समय में लोगों ने चेतावनी और अवसर का ठठा किया था, आज भी संसार प्रभु की चेतावनी, पश्चाताप के अवसर और प्रभु के दूसरे आगमन का ठठा करते हैं। लेकिन ऐसों को अप्रत्याशित रीति से प्रभु के न्याय का सामना करना पड़ेगा।
यह हमारे ऊपर है कि हम प्रभु और प्रभु की चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं तथा जब आकस्मत उसका दूसरा आगमन हो तब हम अपने पाप में पाए जाते हैं अथवा पापों से पश्चाताप और प्रभु में विश्वास द्वारा प्रभु के साथ हो जाने वालों में। - मार्ट डी हॉन
और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं। - उत्पत्ति ६:५, ७
बाइबल पाठ: मत्ती २४:३४-४४
मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।
जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने न देता।
इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।
एक साल में बाइबल:
ये घटनाएं इतिहास में घटने वाली अप्रत्याशित घटनाओं का एक उदाहरण मात्र हैं, जो नूह के समय से होती आ रही हैं, जब परमेश्वर ने दुष्ट संसार का विनाश किया था। जैसे एल चिचोन और सेंट हेलेंस पर्वतों के समीप रहने वाले लोग निश्चिंत थे, नूह के पड़ौसी भी प्रलय से निश्चिंत थे। लेकिन उनमें विद्यमान दुराचार ने उनकी इस निश्चिंतता को और घातक बना दिया था। वे सोचते थे कि उनके भ्रष्ट और दुराचारी जीवन का कोई हिसाब नहीं लेगा, लेकिन परमेश्वर ने उनसे हिसाब मांगा, अप्रत्याशित रूप से नहीं, वरन उन्हे पूरी चेतावनी और सुधरने का अवसर देकर। किंतु उस चेतावनी और अवसर का उस समय के लोगों ने मज़ाक उड़ाया और मौका गंवा दिया।
कभी कभी हम भी ऐसे ही व्यवहार करते हैं कि जैसे हमें विश्वास हो कि परमेश्वर निष्क्रीय हो गया है, तथा हमें कभी कुछ होने वाला नहीं है, लेकिन यह केवल हमारा भ्रम है। तब, जैसे समय नूह के दिनों में पूरा हुआ और दुष्टता का दुषपरिणाम सामने आ गया, अभी वैसे ही संसार के पाप और दुष्टता के विरुद्ध परमेश्वर की चेतावनी और पश्चताप का अवसर है। प्रभु यीशु ने वायदा किया है कि वह एक दिन अचानक ही आ जाएगा और तब यह अवसर समाप्त हो जाएगा। जैसे नूह के समय में लोगों ने चेतावनी और अवसर का ठठा किया था, आज भी संसार प्रभु की चेतावनी, पश्चाताप के अवसर और प्रभु के दूसरे आगमन का ठठा करते हैं। लेकिन ऐसों को अप्रत्याशित रीति से प्रभु के न्याय का सामना करना पड़ेगा।
यह हमारे ऊपर है कि हम प्रभु और प्रभु की चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेते हैं तथा जब आकस्मत उसका दूसरा आगमन हो तब हम अपने पाप में पाए जाते हैं अथवा पापों से पश्चाताप और प्रभु में विश्वास द्वारा प्रभु के साथ हो जाने वालों में। - मार्ट डी हॉन
न्याय में देर हो सकती है, परन्तु न्याय निश्चित है।
और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं। - उत्पत्ति ६:५, ७
बाइबल पाठ: मत्ती २४:३४-४४
मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी।
आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।
जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी।
और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।
उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा।
दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।
इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।
परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने न देता।
इसलिये तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति ३६-३८
- मत्ती १०:२१-४२
सच कहा आपने , जानकारी से परिपूर्ण रहा आपका लेख ,आभार ।
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