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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

शुद्ध और पवित्र


   कहते हैं कि २० सेकेंड तक साबुन-पानी से हाथ धोने से हाथों पर से सभी कीटाणु धुल जाते हैं। किंतु यह स्वच्छता सदा बनी नहीं रहती; थोड़ी देर में इधर-उधर छूने और कार्य करने से फिर से हाथ गन्दे हो जाते हैं, कीटाणु हाथों पर आ जाते हैं और फिर उन्हें हटाने और हाथों को पुनः स्वच्छ करने के लिए पहले के समान ही फिर से हाथ धोने पड़ते हैं।

   बाइबल के पुराने नियम के काल में, अपने पापों के प्रायश्चित के लिए लोगों को बार बार और प्रति वर्ष कुछ भेंट तथा बलिदान चढ़ाने होते थे। किंतु बलिदान का लहु उनके पापों को सदा के लिए दूर नहीं करता था (इब्रानियों १०:११)। केवल प्रभु यीशु के अमूल्य बलिदान और लहू में ही यह क्षमता है। अब इस नए नियम और अनुग्रह के काल में इन बलिदानों की कोई आवश्यक्ता नहीं रह गई है क्योंकि प्रभु यीशु के एक बलिदान और बहाए गए पवित्र लहू के द्वारा पापों की क्षमा का कार्य सबके लिए और सदा के लिए पूर्णतः संपन्न हो गया है। प्रभु यीशु का यह बलिदान और क्षमा का कार्य:

१. एक ही बार के लिए था -  वह पशुओं के बलिदान के समान नहीं है जिनका बार बार प्रति वर्ष बलिदान चढ़ाना पड़ता था (इब्रानियों १०:१-३, १०)।

२. वह हमें सभी पापों से पुरी तरह से शुद्ध और पवित्र करता है - जबकि पशुओं का बलिदान यह स्मरण मात्र कराता था कि एक निर्दोष पशु किसी दोशी मनुष्य के स्थान पर मारा जा रहा है, किंतु वह पशु उस मनुष्य के पापों को धो नहीं सकता था, उन्हें मिटा नहीं सकता था (इब्रानियों १०:३-६, ११)।

   किंतु अब "उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्‍हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है" (इब्रानियों १०:१४)। केवल प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा के द्वारा ही हम पापों से संपूर्णतः शुद्ध और पवित्र हो सकते हैं। अब हमें पापों की क्षमा के लिए अपने किसी प्रकार के प्रयासों या बलिदानों की आवश्यक्ता नहीं है। अब केवल पश्चाताप के साथ प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांगने और उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करने ही की आवश्यक्ता है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रभु यीशु के लहु की सामर्थ प्रत्येक पाप के हर दाग़ को धो डालने में सक्षम है।

क्‍योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे। - इब्रानियों १०:४

बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:१-१८
Heb 10:1  क्‍योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्‍छी वस्‍तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्‍वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं। 
Heb 10:2  नहीं तो उन का चढ़ाना बन्‍द क्‍यों न हो जाता? इसलिये कि जब सेवा करने वाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उन का विवेक उन्‍हें पापी न ठहराता। 
Heb 10:3  परन्‍तु उन के द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। 
Heb 10:4  क्‍योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे। 
Heb 10:5   इसी कारण वह जगत में आने समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया। 
Heb 10:6   होम-बलियों और पाप-बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ। 
Heb 10:7  तब मैं ने कहा, देख, मैं आ गया हूं, (पवित्र शस्‍त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्‍छा पूरी करूं। 
Heb 10:8   ऊपर तो वह कहता है, कि न तू ने बलिदान और भेंट और होम-बलियों और पाप-बलियों को चाहा, और न उन से प्रसन्न हुआ; यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं। 
Heb 10:9  फिर यह भी कहता है, कि देख, मैं आ गया हूं, ताकि तेरी इच्‍छा पूरी करूं; निदान वह पहिले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे। 
Heb 10:10 उसी इच्‍छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं। 
Heb 10:11  और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते, बार बार चढ़ाता है। 
Heb 10:12  पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ा कर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Heb 10:13  और उसी समय से इस की बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें। 
Heb 10:14  क्‍योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्‍हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है। 
Heb 10:15  और पवित्र आ्त्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्‍योंकि उस ने पहिले कहा था। 
Heb 10:16  कि प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उन से बान्‍धूंगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उन के विवेक में डालूंगा। 
Heb 10:17   (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा। 
Heb 10:18  और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २२-२३ 
  • तीतुस १

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

क्षति


   एक किशोर की आदत बन गई थी कि वह कुछ गलत काम या गड़बड़ी करता और जब पकड़ा जाता तो अपने माता-पिता से उसकी क्षमा मांग लेता। अपने इन कामों से उसने अपने माता-पिता को चाहे कितना भी आहत क्यों ना किया हो, फिर भी अगली बार गलती करने से वह रुकता नहीं था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि उसके माता-पिता उसे क्षमा कर देंगे। जब एक और बार ऐसा हुआ तो उसके पिता ने इसके बारे में उसे कुछ सीख देने का निर्णय किया।

   पिता उसे घर के गैराज में ले गए और एक कील उठाई और हथौड़े से उसे दीवार में ठोंक दिया। फिर अपने उस किशोर पुत्र से कहा कि वह उस कील को निकाले। पुत्र ने बेपरवाही से अपने कंधे झटके, औज़ार लिए और दीवार से कील को खींच कर निकाल दिया। पिता ने कहा, बेटा, यह क्षमा के समान है। जब तुम कोई गलती करते हो तो यह उस कील के ठोंके जाने के समान है, जब हम क्षमा करते हैं तो यह उस ठोंकी गई कील के निकाले जाने के समान है; अब एक कार्य और करो, दीवार से कील का वह निशान हटा कर दीवार को पहले के समान निशान रहित कर दो। पुत्र आश्चर्यचकित रह गया और विस्मय से बोला, यह कैसे हो सकता है? निशान थोड़े ही मिटेगा! पिता ने फिर कहा इसी प्रकार क्षमा मांग लेने और दे देने से जीवन से गलती के निशान भी चले नहीं जाते। जितनी अधिक गलतीयां करोगे, क्षमा मिलने पर भी उन गलतीयों के प्रभावों के कारण तुम्हारा जीवन भी उतना ही भद्दा होता चला जाएगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में राजा दाऊद के जीवन की एक घटना इस कहानी को प्रमाणित करती है कि पाप के दुष्परिणाम जीवन को क्षति पहुंचाते हैं। दाऊद ने पाप किया, और जब परमेश्वर ने उस पाप का एहसास उसके सामने रखा तो दाऊद ने पश्चाताप भी किया और क्षमा भी मांगी। परमेश्वर ने उसे क्षमा तो किया लेकिन दाऊद के पाप के प्रभाव उसके अपने जीवन तथा परिवार में बहुत सी परेशानीयां छोड़ कर गए (२ शमूएल १२:१०)।

   पाप के द्वारा जीवन में होने वाली अवश्यंभावी क्षति के प्रति हम सचेत रहें और पाप को हलके में ना लें। जो पाप हो गए हैं उनके लिए पश्चाताप कर के और प्रभु यीशु से क्षमा मांग कर आगे को उसकी आज्ञाकारिता में रहें और अपने जीवनों में पाप को अवसर ना दें। - डेव ब्रैनन


हमारे पाप क्षमा होकर मिटाए जा सकते हैं, परन्तु उनके प्रभाव हमें भोगने होंगे।

इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जानकर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है। - २ शमूएल १२:१०

बाइबल पाठ: २ शमूएल १२:१-१४
2Sa 12:1  तब यहोवा ने दाऊद के पास नातान को भेजा, और वह उसके पास जाकर कहने लगा, एक नगर में दो मनुष्य रहते थे, जिन में से एक धनी और एक निर्धन था। 
2Sa 12:2  धनी के पास तो बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय बैल थे; 
2Sa 12:3  परन्तु निर्धन के पास भेड़ की एक छोटी बच्ची को छोड़ और कुछ भी न था, और उसको उस ने मोल लेकर जिलाया था। और वह उसके यहां उसके बाल-बच्चों के साथ ही बढ़ी थी; वह उसके टुकड़े में से खाती, और उसके कटोरे में से पीती, और उसकी गोद मे सोती थी, और वह उसकी बेटी के समान थी। 
2Sa 12:4  और धनी के पास एक बटोही आया, और उस ने उस बटोही के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाने को अपनी भेड़-बकरियों वा गाय बैलों में से कुछ न लिया, परन्तु उस निर्धन मनुष्य की भेड़ की बच्ची लेकर उस जन के लिये, जो उसके पास आया था, भोजन बनवाया। 
2Sa 12:5  तब दाऊद का कोप उस मनुष्य पर बहुत भड़का; और उस ने नातान से कहा, यहोवा के जीवन की शपथ, जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है; 
2Sa 12:6  और उसको वह भेड़ की बच्ची का चौगुणा भर देना होगा, क्योंकि उस ने ऐसा काम किया, और कुछ दया नहीं की। 
2Sa 12:7  तब नातान ने दाऊद से कहा, तू ही वह मनुष्य है। इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मैं ने तेरा अभिशेक करा के तुझे इस्राएल का राजा ठहराया, और मैं ते तुझे शाऊल के हाथ से बचाया; 
2Sa 12:8  फिर मैं ने तेरे स्वामी का भवन तुझे दिया, और तेरे स्वामी की पत्नियां तेरे भाग के लिये दीं; और मैं ने इस्राएल और यहूदा का घराना तुझे दिया था; और यदि यह थोड़ा था, तो मैं तुझे और भी बहुत कुछ देने वाला था। 
2Sa 12:9  तू ने यहोवा की आज्ञा तुच्छ जान कर क्यों वह काम किया, जो उसकी दृष्टि में बुरा है? हित्ती ऊरिय्याह को तू ने तलवार से घात किया, और उसकी पत्नी को अपनी कर लिया है, और ऊरिय्याह को अम्मोनियों की तलवार से मरवा डाला है। 
2Sa 12:10  इसलिये अब तलवार तेरे घर से कभी दूर न होगी, क्योंकि तू ने मुझे तुच्छ जान कर हित्ती ऊरिय्याह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है। 
2Sa 12:11  यहोवा यों कहता है, कि सुन, मैं तेरे घर में से विपत्ति उठा कर तुझ पर डालूंगा, और तेरी पत्नियों को तेरे साम्हने लेकर दूसरे को दूंगा, और वह दिन दुपहरी में तेरी पत्नियों से कुकर्म करेगा। 
2Sa 12:12  तू ने तो वह काम छिपा कर किया, पर मैं यह काम सब इस्राएलियों के साम्हने दिन दुपहरी कराऊंगा। 
2Sa 12:13  तब दाऊद ने नातान से कहा, मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है। नातान ने दाऊद से कहा, यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है। तू न मरेगा। 
2Sa 12:14  तौभी तू ने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह २०-२१ 
  • २ तिमुथियुस ४

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

झूठ या सच


   स्टीव अकसर अपने सह-कर्मियों के साथ प्रभु यीशु और उद्धार के बारे में बातें करता है। किंतु जब भी वह सीधे परमेश्वर के वचन बाइबल से कोई बात कहता है तो कोई न कोई अवश्य यह कह उठता है कि "जरा ठहरो! किसी भी अन्य पुस्तक के समान यह भी तो मनुष्यों द्वारा ही लिखा गया है।" एक स्थानीय अखबार में छपे संपादक को लिखे पत्र में एक पाठक ने भी यही बात कही; उस पाठक ने लिखा: "मसीही विश्वासी बाइबल को परमेश्वर का वचन और अचूक बताते हैं, लेकिन मुझे कोई ऐसा कारण नहीं दीख पड़ता कि मैं स्वीकार कर लूँ कि बाइबल में मनुष्यों द्वारा लिखे शब्द किसी विज्ञान पत्रिका में लिखे मनुष्यों के शब्दों से अधिक विश्वासयोग्य हैं।"

   जब ऐसी आलोचना और परमेश्वर के वचन को मानव रचना एवं त्रुटिपूर्ण कहकर उसकी उपेक्षा का सामना करना पड़े तो हम मसीही विश्वासी प्रत्युत्तर में क्या कहें? संभव है कि हम में से बहुत से बाइबल के ज्ञाता नहीं हैं, इसलिए हम से कोई उत्तर बन ना पड़े। इसीलिए सबसे पहली आवश्यकता है कि हम परमेश्वर के वचन बाइबल का नियमित रूप से प्रार्थना के साथ अध्ययन करें और बाइबल के इतिहास तथा उससे संबंधित पुरातत्व खोजों के बारे में जानकारी अपने पास रख लें। जब हम ध्यान और नियम से बाइबल का अध्ययन करेंगे (२ तिमुथियुस २:१५) तो हम जानेंगे कि उसका परमेश्वर की प्रेर्णा से लिखा होना स्वयं बाइबल ही का दावा है (२ तिमुथियुस ३:१६) और विश्वासयोग्य है; ऐसा दावा जिसे आज तक कभी कोई गलत साबित नहीं कर पाया है।

   बाइबल से संबंधित थोड़े से तथ्यों पर विचार कीजिए - यह १६०० वर्षों के अन्तराल में लिखी ६६ भिन्न पुस्तकों का संकलन है। ये पुस्तकें ४० लेखकों द्वारा, जिनका सामाजिक और शैक्षिक स्तर बिलकुल भिन्न था, तीन भिन्न भाषाओं में, भिन्न परिस्थितियों में लिखी गईं। ये लेखक किसी दूसरे लेखक की कृति से अनभिज्ञ थे और ना ही उन्हें इस बात का आभास भी था कि कभी उनके द्वार लिखी बात एक पुस्तक के रूप में संकलित होगी। ना ही उनमें से कोई स्वभाव या पेशे लेखक था, वे सब परमेश्वर द्वारा प्रेरित होकर जो परमेश्वर उन्हें बताता गया लिखते गए, और जब उनका कार्य पूरा हो गया तो उनकी लेखनी भी शांत हो गई। बाइबल के प्रथम खंड ’पुराने नियम’ और दूसरे खंड ’नए नियम’ के बीच ४०० वर्षों की शांत अवधि है जब परमेश्वर द्वारा कोई वचन नहीं दिया गया। इतनी भिन्नता के बावजूद इस संकलन की प्रथम पुस्तक ’उत्पत्ति’ से लेकर अन्तिम पुस्तक ’प्रकाशितवाक्य’ तक एक ही वृतांत का वर्णन है, उसमें कोई परसपर विरोधाभास नहीं है और सभी पुस्तकें एक दुसरे की पूरक हैं। यह तभी संभव है जब उनका मानवीय लेखक चाहे जो भी हो, किंतु उन सब का मूल लेखक एक ही हो जो ना केवल बाइबल वरन सृष्टि के आरंभ से अन्त तक सब कुछ जानता हो - अर्थात परमेश्वर।

   यद्यपि हम बाइबल को परमेश्वर का वचन विश्वास द्वारा मानते हैं, तो भी यह कोई अन्ध-विश्वास नहीं है, क्योंकि परमेश्वर का वचन उसे परखने और जांचने का खुला निमंत्रण देता है। जिसने भी खुले और निषपक्ष मन से जांचा है, बाइबल को खरा और विश्वासयोग्य ही पाया है।

   परमेश्वर के वचन का नियमित अध्ययन कीजिए और उसकी आशीषें दूसरों के साथ भी बांटिए और आपका अपना जीवन आशीशों से भरपूर रहेगा। - ऐनी सेटास


बदलते और अस्थिर संसार में आप कभी ना बदलने वाले परमेश्वर के स्थिर और अटल वचन बाइबल पर पूरा भरोसा रख सकते हैं।

अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्‍न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। - २ तिमुथियुस २:१५

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ३:१२-१७
2Ti 3:12   पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। 
2Ti 3:13  और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे। 
2Ti 3:14  पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह कि तू ने उन्‍हें किन लोगों से सीखा था; 
2Ti 3:15  और बालकपन से पवित्र शास्‍त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्‍त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 
2Ti 3:16  हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। 
2Ti 3:17  ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १८-१९ 
  • २ तिमुथियुस ३

रविवार, 28 अक्टूबर 2012

आपत्काल की तैयारी


   सालों से मैं अपने साथ कार में आपत्काल में प्रयोग करने के सामान को रखता रहा हूँ, परन्तु कभी उसे प्रयोग करने का अवसर कभी नहीं आया। यह सामान मेरी कार में रखे सामान का एक भाग बन गया और इतना सामन्य हो गया कि जब उसे प्रयोग करने का अवसर आया तो मुझे याद भी नहीं रहा कि मेरे पास यह सब सामान है; किंतु सौभाग्यवश मेरी पत्नी को इस सामान का ध्यान रहा।

   हम रात को एक गांव के रास्ते से लौट रहे थे कि हमारी कार एक हिरण से टकराई और क्षतिग्रस्त हो गई। मैं एक छोटी से टॉर्च के सहारे कार को हुई क्षति देखने लगा और कार को गैराज तक ले जाने के लिए खींच कर ले जाने वाली गाड़ी से संपर्क करने का प्रयास करने लगा। मेरी पत्नी ने आपात्कालीन सामान को खोला और दूर से ही दिख जाने वाले संकट सूचक को कार के पास लगाया, फिर सामान में रखी तेज़ रौशनी वाली बड़ी बत्ती जला ली जिस से कार के सर्वेक्षण का मेरा काम आसान हो गया। बाद में हम बात कर रहे थे कि कैसे संकट के समय हम हमारे पास उपलब्ध आपात्कालीन साधनों को प्रयोग करना ही भूल जाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इफिसियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें शैतान के हमलों से बचने के विषय में लिखा; पौलुस ने कहा: "परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको" (इफिसीयों ६:११)। उसने उन्हें इन हथियारों का ब्यौरा भी दिया - सच्चाई, धार्मिकता, मेल, विश्वास, उद्धार, प्रार्थना और परमेश्वर का वचन (इफिसीयों ६:१४-१८)। परमेश्वर के ये हथियार एक रक्षा कवच के समान हैं जिन्हें जब हम बांधे रहते हैं तो वे हम मसीही विश्वासियों की रक्षा करते रहते हैं। जब कभी शैतान परमेश्वर और उसके प्रेम में हमारे मसीही विश्वास को डगमगाने और हमें गिराने के प्रयास करे, या कोई आपदा आए, तो इन हथियारों के बारे में स्मरण और मनन तथा इनका उपयोग और भी आवश्यक हो जाता है।

   इस पूरे कवच को पहने रहें और उपयोग करते रहें "इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको" (इफिसीयों ६:१३)। - डेविड मैक्कैसलैंड


रक्षा कवच और हथियार परमेश्वर उपलब्ध कराता है, उन्हें धारण करके उपयोग करना हमारा कार्य है।

इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको। - इफिसीयों ६:१३

बाइबल पाठ: (इफिसीयों ६:१०-१८)
Eph 6:10  निदान, प्रभु में और उस की शक्ति में बलवन्‍त बनो। 
Eph 6:11  परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको। 
Eph 6:12  क्‍योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्‍तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्‍धकार के हाकिमों से, और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं। 
Eph 6:13  इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको। 
Eph 6:14   सो सत्य से अपनी कमर कसकर, और धार्मीकता की झिलम पहिन कर। 
Eph 6:15   और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर। 
Eph 6:16  और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको। 
Eph 6:17   और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो। 
Eph 6:18   और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और विनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार विनती किया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १५-१७ 
  • २ तिमुथियुस २

शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

लालच


   चन्द्रमा पर कदम रखने वाले प्रथम मानव नील आर्मस्ट्रौंग को अपनी अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद समाचार पत्रों, रेडियो तथा टी.वी. के संवादाताओं और उनसे मिलने की इच्छा रखने वाले बहुत से लोगों की भीड़ के कारण परेशानी रहती थी। इन सबसे बचकर अपने तथा अपने पारिवारिक जीवन की शांति बनाए रहने के लिए वे अपने परिवार सहित एक छोटे से नगर में रहने चले गए। किंतु ख्याति की परेशानी ने उन्हें वहां भी नहीं छोड़ा। आर्मस्ट्रौंग के नाई को पता चला कि कुछ लोग हैं जो इस अंतरिक्ष नायक के बालों के लिए एक अच्छी रकम देने को तैयार हैं; इसलिए उसने आर्मस्ट्रौंगे के बालों को कई बार काटने के बाद उन्हें एकत्रित करके $३००० में एक खरीददार को बेच दिया। आर्मस्ट्रौंग को उस नाई के इस लालच और विश्वासघात से बहुत धक्का लगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी विश्वासघात और बालों के काटे जाने की एक घटना दर्ज है। परमेश्वर ने जन्म से ही शिमशौन को इस्त्राएल का न्यायी होने के इए बुलाया था और उसे नाज़िर ठहराया था, और नाज़िर होने के चिन्ह के लिए शिमशौन को कभी अपने बाल नहीं काटने थे (न्यायियों १३:५)। जब आवश्यक्ता हुई तो परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ से उसने अलौकिक शक्ति पाई और इस्त्राएल तथा अपने दुशमनों पलिश्तियों पर विजयी हुआ (न्यायियों १५:१४)। उसे हराने और बन्धुवा बनाने के लिए पलिश्तियों नें एक स्त्री दलीला को नियुक्त किया। दलीला ने उससे प्रेम का नाटक करके उससे शादि करी कि उसकी उस अलौकिक शक्ति का रहस्य जान सके। शिमशौन ने अन्ततः उसकी बातों में आकर अपनी शक्ति का रहस्य अर्थात बालों का ना काटा जाना उसे बता दिया। यह जानने के बाद दलीला ने उसे अपनी गोद में सुलाया और जब वह गहरी नींद में था तो उसके बाल कटवा दिए तथा उसे पलिश्तियों के हाथों दे दिया (न्यायियों १६:५, १९)।

   लालच मनुष्य को एक दुसरे के प्रति ही नहीं, परमेश्वर के प्रति भी विश्वासघाती बना देता है, जैसे प्रभु यीशु के चेले यहूदा इस्करियोती ने तीस चांदी के टुकड़ों के लिए यीशु को मारे जाने के लिए पकड़वा दिया। हम मसीही विश्वासियों को संसार के लाभ और संसार की वस्तुओं को प्राप्त करने के लालच से बचकर अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के प्रति पूरी तरह समर्पित मन, तथा दूसरों के प्रति प्रेम और सहायता का रवैया रखना है। परमेश्वर में विश्वास और संतुष्टि ही हमें लालच से बचाए रख सकती है, और हमें फलता-फूलता कर सकती है क्योंकि "यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए" (२ इतिहास १६:९)।

   परमेश्वर से सहायता और संसार का लालच एक साथ नहीं हो सकते। - डेनिस फिशर


वफादारी ही सच्चे प्रेम का वास्तविक प्रमाण है।

यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए। - २ इतिहास १६:९

बाइबल पाठ: न्यायियों १६:४-२१
Jdg 16:4  इसके बाद वह सोरेक नाम नाले में रहने वाली दलीला नाम एक स्त्री से प्रीति करने लगा। 
Jdg 16:5  तब पलिश्तियों के सरदारों ने उस स्त्री के पास जाके कहा, तू उसको फुसला कर बूझ ले कि उसके महाबल का भेद क्या है, और कौन उपाय करके हम उस पर ऐसे प्रबल हों, कि उसे बान्धकर दबा रखें? तब हम तुझे ग्यारह ग्यारह सौ टुकड़े चान्दी देंगे। 
Jdg 16:6  तब दलीला ने शिमशोन से कहा, मुझे बता दे कि तेरे बड़े बल का भेद क्या है, और किसी रीति से कोई तुझे बान्धकर दबा रख सके। 
Jdg 16:7  शिमशोन ने उस से कहा, यदि मैं सात ऐसी नई नई तातों से बान्धा जाऊं जो सुखाई न गई हों, तो मेरा बल घट जाएगा, और मैं साधारण मनुष्य सा हो जाऊंगा। 
Jdg 16:8  तब पलिश्तियों के सरदार दलीला के पास ऐसी नई नई सात तातें ले गए जो सुखाई न गई थीं, और उन से उस ने शिमशोन को बान्धा। 
Jdg 16:9  उसके पास तो कुछ मनुष्य कोठरी में घात लगाए बैठे थे। तब उस ने उस से कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! तब उस ने तांतों को ऐसा तोड़ा जैसा सन का सूत आग में छूते ही टूट जाता है। और उसके बल का भेद न खुला। 
Jdg 16:10  तब दलीला ने शिमशोन से कहा, सुन, तू ने तो मुझ से छल किया, और झूठ कहा है; अब मुझे बता दे कि तू किस वस्तु से बन्ध सकता है। 
Jdg 16:11  उस ने उस से कहा, यदि मैं ऐसी नई नई रस्सियों जो किसी काम में न आई हों कस कर बान्धा जाऊं, तो मेरा बल घट जाएगा, और मैं साधारण मनुष्य के समान हो जाऊंगा। 
Jdg 16:12  तब दलीला ने नई नई रस्सियां लेकर और उसको बान्ध कर कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! कितने मनुष्य तो उस कोठरी में घात लगाए हुए थे। तब उस ने उनको सूत की नाईं अपनी भुजाओं पर से तोड़ डाला। 
Jdg 16:13  तब दलीला ने शिमशोन से कहा, अब तक तू मुझ से छल करता, और झूठ बोलता आया है; अब मुझे बता दे कि तू काहे से बन्ध सकता है? उस ने कहा यदि तू मेरे सिर की सातों लटें ताने में बुने तो बन्ध सकूंगा। 
Jdg 16:14  सो उस ने उसे खूंटी से जकड़ा। तब उस से कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! तब वह नींद से चौंक उठा, और खूंटी को धरन में से उखाड़ कर उसे ताने समेत ले गया। 
Jdg 16:15  तब दलीला ने उस से कहा, तेरा मन तो मुझ से नहीं लगा, फिर तू क्यों कहता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं? तू ने ये तीनों बार मुझ से छल किया, और मुझे नहीं बताया कि तेरे बड़े बल का भेद क्या है। 
Jdg 16:16  सो जब उस ने हर दिन बातें करते करते उसको तंग किया, और यहां तक हठ किया, कि उसके नाकों में दम आ गया, 
Jdg 16:17  तब उस ने अपने मन का सारा भेद खोल कर उस से कहा, मेरे सिर पर छुरा कभी नहीं फिरा, क्योंकि मैं मां के पेट ही से परमेश्वर का नाजीर हूं, यदि मैं मूढ़ा जाऊं, तो मेरा बल इतना घट जाएगा, कि मैं साधारण मनुष्य सा हो जाऊंगा। 
Jdg 16:18  यह देख कर, कि उस ने अपने मन का सारा भेद मुझ से कह दिया है, दलीला ने पलिश्तियों के सरदारों के पास कहला भेजा, कि अब की बार फिर आओ, क्योंकि उस ने अपने मन का सब भेद मुझे बता दिया है। तब पलिश्तियों के सरदार हाथ में रूपया लिए हुए उसके पास गए। 
Jdg 16:19  तब उस ने उसको अपने घुटनों पर सुला रखा; और एक मनुष्य बुलवाकर उसके सिर की सातों लटें मुण्डवा डालीं। और वह उसको दबाने लगी, और वह निर्बल हो गया। 
Jdg 16:20  तब उस ने कहा, हे शिमशोन, पलिश्ती तेरी घात में हैं! तब वह चौंक कर सोचने लगा, कि मैं पहिले की नाईं बाहर जाकर झटकूंगा। वह तो न जानता था, कि यहोवा उसके पास से चला गया है। 
Jdg 16:21  तब पलिश्तियों ने उसको पकड़ कर उसकी आंखें फोड़ डालीं, और उसे अज्जा को ले जाके पीतल की बेडिय़ों से जकड़ दिया; और वह बन्दीगृह में चक्की पीसने लगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १२-१४ 
  • २ तिमुथियुस १

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2012

निर्भर


   जब बच्चे कुछ अपने आप करना सीखते हैं और करने लगते हैं, जैसे अपने आप तैयार होना, अपने दांत खुद साफ करना, जूतों के तसमे स्वयं बांधना, साइकिल चलाने लगाना इत्यादि तो माता-पिता आनन्दित होते हैं। हम व्यस्क लोग भी किसी पर निर्भर नहीं होना चाहते; हम अपने खर्चे खुद उठाना चाहते हैं, अपने घरों में रहना चाहते हैं, अपने निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं, आदि। यदि अनायास ही कोई चुनौती सामने आ जाती है तो किसी की सहायता लेने से पहले हम उस विषय पर किसी सहायता की पुस्तक पढ़कर मार्ग निकालने के प्रयास करते हैं।

   किंतु संसार की वासत्वकिता इससे उलट है; हम एक ऐसे संसार में जीते और रहते हैं जहां हमें एक दूसरे की सहायता की आवश्यकता होती ही है। एक के कार्य के लिए दुसरे के किसी उत्पाद का प्रयोग करना होता है, एक के स्वास्थ्य लाभ के लिए किसी अन्य की सहायता लेनी पड़ती ही है, एक को बढ़ने और उठने के लिए औरों के सहायक हाथों की आवश्यकता पड़ती ही है। इसीलिए किसी को सहायता देने के लिए तैयार रहना एक सदगुण माना जाता है। परन्तु यह जानते हुए भी, अपने स्वावलंबी होने के स्वभाव को निभाने और उसके साथ ही कार्य करने तथा जीवन बिताने से हम ना केवल औरों से दूर होने लगते हैं वरन हम अनजाने में ही अपने मनों में परमेश्वर से भी दूर होने लगते हैं, उसपर भी निर्भर रहने से कतराने लगते हैं। जबकि इसी निर्भरता की परमेश्वर को अपने लोगों से चाह रहती है। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा "...मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)।

   नॉर्वे के एक धर्मशास्त्री ओले हैलस्बी ने कहा कि "परमेश्वर को ग्रहणयोग्य प्रार्थना का सिद्धांत है निस्सहायता"। जो अपने आप और संसार से जितना निस्सहाय होगा वह उतने ही अधिक सच्चे मन से प्रार्थना करेगा, उसकी प्रार्थना में परमेश्वर से पाने की उतनी ही अधिक लालसा होगी और ऐसी प्रार्थना ही वह प्रार्थना है जिसका उत्तर देने में परमेश्वर प्रसन्न होगा। परन्तु जो अपनी सामर्थ और योग्यता के दंभ में परमेश्वर के पास आएगा, उसकी प्रार्थना में समर्पण की भी कमी होगी और परमेश्वर से पाने की लालसा भी नहीं होगी, इसलिए उसकी प्रार्थना प्रभावी भी नहीं होगी। जैसे हम संसार में एक दुसरे पर निर्भर हैं वैसे ही यह संसार परमेश्वर पर निर्भर है।

   जब बच्चे बड़े होकर माता-पिता पर निर्भर होना कम कर देते हैं तो इसे बड़े होने की निशानी और एक स्वाभाविक बात मान कर माता-पिता स्वीकार तो करते हैं, परन्तु साथ ही उनके दिल में एक कसक भी उठती है। परन्तु परमेश्वर पिता के साथ यह लागू नहीं है। हम कभी उसपर निर्भर होने में कम नहीं हो सकते। यदि हम यह सोचते और मानने लगते हैं कि किसी समय या किसी बात में अब हमें परमेश्वर पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है, तो यह हमारा भ्रम है जो हमें ही नुकसान पहुँचाएगा।

   परमेश्वर पर हर बात और हर विषय में निर्भरता ही जीवन में सफलता की कुंजी है और प्रार्थना उस निर्भरता की घोषणा है। - फिलिप यैन्सी


ऐसे भाव के साथ प्रार्थना करें कि मानो आपका जीवन ही उस प्रार्थना पर निर्भर है। सच मानिए यही सत्य है।

मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। - यूहन्ना १५:५

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:१-८
Joh 15:1 सच्‍ची दाखलता मैं हूं, और मेरा पिता किसान है। 
Joh 15:2  जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। 
Joh 15:3  तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 
Joh 15:4  तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 
Joh 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। 
Joh 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाई फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्‍हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 
Joh 15:7  यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
Joh 15:8  मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ९-११ 
  • १ तिमुथियुस ६

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

ढोंगी


   मैं अपने बाग़ीचे की सफाई कर रही थी। यद्यपि मैं सावधानी बरत रही थी, तो भी एक विषाक्त बेल के सम्पर्क में आ गई और मेरी खाल पर लाल दाने हो गए जिनमें होने वाले दर्द और खुजली ने मुझे परेशान रखा। यह बेल अन्य बहुत से साधारण से दिखने वाले पौधों के समान ही दिखती है, और कई सुन्दर पौधों के आस-पास उगती है। मेरी एक सहेली समझ नहीं पा रही थी कि जब भी वह अपने गुलाब के पेड़ों की देख-भाल करती है तो उसे यह दाने और खुजली क्यों हो जाते हैं। उसने जब ध्यान से देखा तो पता चला कि उसके प्रीय गुलाब के पौधों में छिपी हुई यह विषाक्त बेल भी थी और उसके द्वारा गुलाबों की प्रेम भरी देख-भाल का भरपूर लाभ ले कर उसे ही परेशान कर रही थी!

   कुछ लोग भी इस विशाक्त बेल के समान होते हैं। वे दिखने में बिलकुल भी हानिकारक प्रतीत नहीं होते, भले लोगों के साथ मिले रहते हैं जैसे वह बेल गुलाब के पौधों में मिली हुई थी, किंतु समय आने पर उन के दुषप्रभाव बहुत परेशानियां उत्पन्न करते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरितों के कार्यों में एक व्यक्ति शमौन टोना करने वाले का वृतांत है जो इस प्रवृत्ति का अच्छा उदाहरण है। शमौन ने समाज के अन्य लोगों के समान ही प्रभु यीशु के अनुयायी फिलिप्पुस से परमेश्वर के वचन को सुना, उसका अनुसरण किया और बपतिस्मा भी ले लिया। किंतु शीघ्र ही उसका असली चरित्र सामने आ गया जब उसने प्रभु के प्रति समर्पण और प्रभु की सामर्थ को धन कमाने और लोगों पर प्रभाव रखने का साधन बनाना चाहा। पतरस प्रेरित ने उसकी यह भावना देखकर उसे चिताया कि वह पश्चाताप करे नहीं तो विनाश में जाएगा (प्रेरितों ८:२२)।

   कभी कभी लोग एक भली संगति और मण्डली का प्रयोग अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए करते हैं। वे भले होने का ढोंग करके चर्च के भले लोगों के साथ मिल जाते हैं, उनमें होकर चलते फिरते हैं, किंतु उनका व्यवहार चर्च और समाज दोनो में परेशानी उत्पन्न करता है और मसीही विश्वास की बदनामी का कारण ठहरता है। ये ढोंगी जन दिखते तो अच्छे हैं, परन्तु उनके प्रभाव बहुत हानिकारक होते हैं। जैसे पतरस ने शमौन टोना करने वाले को चिताया, आज भी परमेश्वर ऐसे ढोंगियों को मन फिराने के लिए चिताता है, क्योंकि वह प्रेम करने वाला परमेश्वर है और नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो "परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे" (यहेजकेल ३३:११); वरन यह चाहता है कि सब पश्चाताप करें और बच जाएं, उद्धार पाएं "वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें" (१ तिमुथियुस २:४)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


एक झूठा जीवन सच्चे विश्वास को व्यर्थ कर देता है।

इसलिये अपनी इस बुराई से मन फिराकर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार क्षमा किया जाए। - प्रेरितों ८:२१

बाइबल पाठ: प्रेरितों ८:९-२३
Act 8:9  इस से पहिले उस नगर में शमौन नाम एक मनुष्य था, जो टोना करके सामरिया के लोगों को चकित करता और अपने आप को कोई बड़ा पुरूष बनाता था; 
Act 8:10  और सब छोटे से बड़े तक उसे मान कर कहते थे, कि यह मनुष्य परमेशवर की वह शक्ति है, जो महान कहलाती है। 
Act 8:11  उस ने बहुत दिनों से उन्‍हें अपने टोने के कामों से चकित कर रखा था, इसी लिये वे उस को बहुत मानते थे। 
Act 8:12  परन्‍तु जब उन्‍होंने फिलप्‍पुस की प्रतीति की जो परमेश्वर के राज्य और यीशु के नाम का सुसमाचार सुनाता था तो लोग, क्‍या पुरूष, क्‍या स्त्री बपतिस्मा लेने लगे। 
Act 8:13  तब शमौन ने आप भी प्रतीति की और बपतिस्मा लेकर फिलप्‍पुस के साथ रहने लगा और चिन्‍ह और बड़े बड़े सामर्थ के काम होते देखकर चकित होता था। 
Act 8:14   जब प्ररितों ने जो यरूशलेम में थे सुना कि सामरियों ने परमेश्वर का वचन मान लिया है तो पतरस और यूहन्ना को उन के पास भेजा। 
Act 8:15  और उन्‍होंने जाकर उन के लिये प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा पाएं। 
Act 8:16  क्‍योंकि वह अब तक उन में से किसी पर न उतरा था, उन्‍होंने तो केवल प्रभु यीशु में नाम में बपतिस्मा लिया था। 
Act 8:17  तब उन्‍होंने उन पर हाथ रखे और उन्‍होंने पवित्र आत्मा पाया। 
Act 8:18   जब शमौन ने देखा कि प्ररितों के हाथ रखने से पवित्र आत्मा दिया जाता है, तो उन के पास रूपये लाकर कहा। 
Act 8:19   कि यह अधिकार मुझे भी दो, कि जिस किसी पर हाथ रखूं, वह पवित्र आत्मा पाए। 
Act 8:20  पतरस ने उस से कहा, तेरे रूपये तेरे साथ नाश हों, क्‍योंकि तू ने परमेश्वर का दान रूपयों से मोल लेने का विचार किया। 
Act 8:21  इस बात में न तेरा हिस्‍सा है, न बांटा; क्‍योंकि तेरा मन परमेश्वर के आगे सीधा नहीं। 
Act 8:22   इसलिये अपनी इस बुराई से मन फिरा कर प्रभु से प्रार्थना कर, सम्भव है तेरे मन का विचार क्षमा किया जाए। 
Act 8:23  क्‍योंकि मैं देखता हूं, कि तू पित्त की सी कड़वाहट और अधर्म के बन्‍धन में पड़ा है।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ६-८ 
  • १ तिमुथियुस ५

बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

सुगन्ध


   मुझे अभी भी स्मरण है कि हम कैसे आनन्द के साथ छुट्टी मनाने के लिए एक परिवार के रूप में निकलते थे, किंतु कार की पिछली सीट पर बैठे बच्चों के आपसी झगड़ों के कारण छुट्टी के आनन्द का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता था। ऐसा कौन सा परिवार है जो छोटी छोटी और बिना महत्व की बातों पर बच्चों के आपसी झगड़ों, एक दूसरे की शिकायतों, बच्चों की एक दूसरे से तुलना और एक दूसरे के प्रति माता-पिता के प्रेम के आंकलन से दुखी नहीं हुआ होगा?

   यदि आप ऐसे अनुभव से होकर निकले हैं तो आप भली भांति समझ सकेंगे कि हमारे पिता परमेश्वर को कैसा प्रतीत होता है जब उनकी सन्तान उनके प्रेम को संसार में फैलाने की बजाए आपस में लड़ती-झगड़ती है, एक दूसरे से दुर्व्यहार और एक दूसरे की शिकायतें करने में लगी रहती है। हमारा आपस में मेल-मिलाप से रहना परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले अपने वर्तमान और भविष्य के चेलों की आपसी एकमनता के लिए प्रार्थना करी: "मैं केवल इन्‍हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्‍तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ने ही मुझे भेजा है" (यूहन्ना १७:२०-२१)। प्रभु यीशु ने आपस में बड़ा-छोटा होने का विवाद करने वाले अपने चेलों को निर्देष भी दिया कि वे परस्पर डाह और विरोध नहीं वरन प्रेम और सेवा-भाव रखें (यूहन्ना १३:३४-३५; मत्ती २०:२०-२८)। जिन सात बातों से परमेश्वर को जी से घृणा है, उनमें से एक है "... भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य" (नीतिवचन ६:१९)।

   यह अचरज की बात नहीं कि भजनकार ने परमेश्वर की प्रेर्णा से लिखे गए भजन में लिखा है कि जब भाई लोग आपस में मेल-मिलाप से रहते हैं तो "देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया" (भजन १३३:१-२)। प्राचीन समयों में अभिषेक के तेल में कई सुगन्धित द्रव्यों को मिश्रित किया जाता था, और इस तेल से अभिषिक्त जन जब कहीं जाता था तो इस विशेष सुगन्ध के द्वारा ही वह पहचान लिया जाता था; उसके पास से आने वाली सुगन्ध जहां भी वह होता था उस स्थान और वहां के वातावरण को सुगन्धित और मनोहर कर देती थी।

   हम मसीही विश्वासियों का यही प्रयास रहे कि हमारे आपसी प्रेम और सेवा-भाव की सुगन्ध ना केवल हमारे परिवार और चर्च को महकाए वरन हमारे समाज और कार्य-स्थल को भी मसीह के प्रेम की सुगन्ध से भर दे। - जो स्टोवैल


जो मसीही विश्वासी प्रेम और मेल-मिलाप में रहते हैं उन से मसीह यीशु की सुगन्ध फैलती रहती है।

देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! - भजन १३३:१

बाइबल पाठ: भजन १३३:१-३; २ कुरिन्थियों २:१४-१६
Psa 133:1  देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! 
Psa 133:2  यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया। 
Psa 133:3  वह हेर्मोन् की उस ओस के समान है, जो सिरयोन के पहाड़ों पर गिरती है! यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है।
2Co 2:14  परन्‍तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्‍सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान का सुगन्‍ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है। 
2Co 2:15  क्‍योंकि हम परमेश्वर के निकट उद्धार पाने वालों, और नाश होने वालों, दोनो के लिये मसीह के सुगन्‍ध हैं। 
2Co 2:16  कितनों के लिये तो मरने के निमित्त मृन्यु की गन्‍ध, और कितनों के लिये जीवन के निमित्त जीवन की सुगन्‍ध, और इन बातों के योग्य कौन है?

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ३-५ 
  • १ तिमुथियुस ४

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

प्रथम आंकलन


   कुछ समय पहले Our Daily Bread में मेरे द्वारा लिखित एक लेख छपा था। इस लेख में मैंने एक नवयुवती द्वारा पहनी हुई टी-शर्ट पर लिखे वाक्य "Love is for Losers" को आधार बना कर अपने विचार रखे थे, और कहा था कि टी-शर्ट पर लिखा हुआ यह कितना निराशाजनक सन्देश है, क्योंकि मेरे लिए Love अर्थात प्रेम एक अति उत्तम और सकारात्मक भावना है जो जीवन में हारने वाला (Loser) नहीं वरन विजयी बनाती है।

   इस लेख के प्रकाशन के कुछ समय पश्चात मुझे एक महिला पाठक का पत्र मिला जिसमें उस वाक्य पर एक बिलकुल भिन्न टिप्पणी करी गई थी। उस महिला ने मुझे बताया कि उसकी पुत्री और पुत्री की सहेलियां, जो सब टेनिस की खिलाड़ी हैं, वे सब यही वाक्य लिखी टी-शर्ट पहनती हैं। टेनिस के खेल में "Love" का अर्थ होता है शून्य अंक; और यदि खिलाड़ी "Love" अर्थात शून्य अंक पर ही अटका रह जाता है तो वह अवश्य ही खेल हार जाएगा। इसलिए टेनिस के संदर्भ में यह कहना कि "Love is for Losers" एक सच्चाई को बयान करना है। इस महिला द्वारा समझाए जाने से मुझे उस वाक्य की एक नई समझ मिली और मैंने उस वाक्य के अपने प्रथम आंकलन में जो गलती करी थी उसका एहसास किया।

   इस घटना ने मुझे स्मरण कराया कि हमारे लिए प्रथम आंकलन में गलत निर्णय कर लेना कितना सरल होता है। गलत या अधूरी जानकारी के कारण हम दूसरों के बारे में गलत निष्कर्ष निकाल सकते हैं, उनके बारे में गलत धारणाएं बना सकते हैं और उनका बहुत नुकसान करवा सकते हैं।

   प्रभु यीशु ने ऐसे कुछ लोगों को, जो उनके बारे में गलत धारणा बनाए हुए थे, चिताते हुए कहा: "मुंह देखकर न्याय न चुकाओ, परन्‍तु ठीक ठीक न्याय चुकाओ" (युहन्ना ७:२४)। यही चेतावनी आज हमारे लिए भी लागू है। हमें अपने दैनिक व्यवहार में सावधान रहना है कि हमारे निष्कर्ष सही जानकारी, अर्थात सत्य पर आधारित हों और हम सब के प्रति सही रवैया, अर्थात मसीह यीशु की सी सहनशीलता दिखाने वाले हों। हमारा ध्यान इस बात पर रहे कि खरे और सच्चे निर्णय ही जीवन में विजयी बनाते हैं। - बिल क्राउडर


जल्दबाज़ी में लिए गई निर्णय के गलत होने की संभावना अधिक होती है।

मुंह देखकर न्याय न चुकाओ, परन्‍तु ठीक ठीक न्याय चुकाओ। - युहन्ना ७:२४

बाइबल पाठ: युहन्ना ७:१४-२४
Joh 7:14  और जब पर्ब्‍ब के आधे दिन बीत गए, तो यीशु मन्‍दिर में जाकर उपदेश करने लगा। 
Joh 7:15   तब यहूदियों ने अचम्भा करके कहा, कि इसे बिन पढ़े विद्या कैसे आ गई? 
Joh 7:16  यीशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, कि मेरा उपदेश मेरा नहीं, परन्‍तु मेरे भेजने वाले का है। 
Joh 7:17  यदि कोई उस की इच्‍छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपदेश के विषय में जान जाएगा कि वह परमेश्वर की ओर से है, या मैं अपनी ओर से कहता हूं। 
Joh 7:18  जो अपनी ओर से कुछ कहता है, वह अपनी ही बड़ाई चाहता है; परन्‍तु जो अपने भेजने वाले की बड़ाई चाहता है वही सच्‍चा है, और उस में अधर्म नहीं। 
Joh 7:19  क्‍या मूसा ने तुम्हें व्यवस्था नहीं दी तौभी तुम में से कोई व्यवस्था पर नहीं चलता। तुम क्‍यों मुझे मार डालना चाहते हो? 
Joh 7:20  लोगों ने उत्तर दिया, कि तुझ में दुष्‍टात्मा है; कौन तुझे मार डालना चाहता है?
Joh 7:21   यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि मैं ने एक काम किया, और तुम सब अचम्भा करते हो। 
Joh 7:22  इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है (यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्‍तु बाप-दादों से चली आई है), और तुम सब्‍त के दिन को मनुष्य का खतना करते हो। 
Joh 7:23  जब सब्‍त के दिन मनुष्य का खतना किया जाता है ताकि मूसा की व्यवस्था की आज्ञा टल न जाए, तो तुम मुझ पर क्‍यों इसलिये क्रोध करते हो, कि मैं ने सब्‍त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया। 
Joh 7:24  मुंह देखकर न्याय न चुकाओ, परन्‍तु ठीक ठीक न्याय चुकाओ।

एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह १-२ 
  • १ तिमुथियुस ३

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

दीन और ऊँचा


   उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागर के तट के पास उगने वाले रेडवुड वृक्ष संसार के सबसे बड़े वृक्षों में से हैं। इनमें जो सबसे ऊँचा नापा गया पेड़ है, उसकी उँचाई धरती से ३७९ फुट ऊपर है। कैलिफोर्निया राज्य के मुयिर राष्ट्रीय उद्यान में इन विशाल वृक्षों के बीच खड़ा होकर मुझे बहुत विसमय हुआ; मेरे लिए यह एक अभिभूत कर देने वाला अनुभव था। ३० मंज़िली इमारत के समान ऊँचाई वाले ये वृक्ष मानो मुझे धरती से जोड़ रहे थे और मेरे विचारों को ऊँचाईयों की ओर ले जा रहे थे।

   इन विशाल वृक्षों की जड़ के पास खड़े होकर जो मैंने अनुभव किया था, उसका स्मरण मुझे उनके आरंभ के बारे में सोचने को बार बार बाध्य करता है। मानव जाति के इतिहास के समान इन विशाल वृक्षों का आरंभ भी उसी सृष्टिकर्ता के साथ जुड़ा है जो अपनी सृष्टि से असीम और अनन्त रूप में महान तथा विशाल है।

   इस सृष्टिकर्ता परमेश्वर की एक झलक यशायाह भविष्यद्वक्ता ने एक दर्शन में देखी। इस दर्शन में यशायाह ने मसीह के राज्य और नई धरती तथा नए स्वर्ग को देखा जहां आकाश परमेश्वर का सिंहासन और पृथ्वी उसके पांव तले की चौकी है (यशायाह ६६:१)। यशायाह ने दर्शन में इससे भी अधिक अचरज की बात देखी - एक ऐसा परमेश्वर जो चाहता है कि उसकी प्रजा उसकी सृष्टि में सदा हर्षित और मगन रहे (यशायाह ६५:१८) और वह उन लोगों की ओर ध्यान लगाए रखता है जो खेदित मन रखते हैं और उसके वचन का भय मानते हैं (यशायाह ६६:२)।

   यही परमेश्वर संसार को पापों से मुक्ति देने के लिए संसार में प्रभु यीशु के रूप में एक साधारण मनुष्य के समान आया; ऐसा मनुष्य "जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है। कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है" (फिलिप्पियों २:५-११)। आज जो अपने आप को उसके सामने दीन कर देता है, उसे वह सदा काल के लिए स्वर्ग की ऊँचाईयों तक उठा देता है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर की सृष्टि उसे समर्पण और उसकी आराधना के लिए प्ररित करती है।

...क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। - यशायाह ६५:२२

बाइबल पाठ: यशायाह ६५:१७-६६:२
Isa 65:17  क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूं, और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी। 
Isa 65:18  इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हषिर्त हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा। 
Isa 65:19  मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हषिर्त हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा। 
Isa 65:20  उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरने वाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा। 
Isa 65:21  वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे। 
Isa 65:22  ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। 
Isa 65:23  उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे। 
Isa 65:24  उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा। 
Isa 65:25  भेडिय़ा और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाईं भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दु:ख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।
Isa 66:1  यहोवा यों कहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा? 
Isa 66:2  यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ६५-६६ 
  • १ तिमुथियुस २

रविवार, 21 अक्टूबर 2012

सुरक्षित स्थान


   कुछ घरों में मकान-मालिक ऐसे सुरक्षित कमरे बनवाते हैं जहां वे किसी विपदा या हमले के समय में छुप कर सुरक्षित रह सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल के नीतिवचन १८:१० में राजा सुलेमान परमेश्वर की प्रजा से कहता है कि परमेश्वर का नाम उनका सुरक्षित स्थान है जहां वे समपूर्ण सुरक्षा पा सकते हैं।

   नीतिवचन १८:१०-११ में वह दो प्रकार की सुरक्षा के बारे में बताता है जिनकी शरण लेने के लिए लोग जाते हैं: एक, परमेश्वर का नाम और दुसरा, धन-संपदा। यहां परमेश्वर के नाम को एक दृढ़ गढ़ कहा गया है। जैसे किसी हमले में पराजय का सामना कर रहे लोग अपनी सुरक्षा के लिए एक दृढ़ दुर्ग में शरण ले लेते थे, वैसे ही धर्मी जन परमेश्वर की शरण में समपूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकता है।

   दूसरी ओर धनवान लोग अपनी धन-संपदा को ही अपनी सुरक्षा का साधन मानते हैं। राजा सुलेमान ने समझाया कि धन-संपदा में सुरक्षा का आभास तो हो सकता है, लेकिन वह सुरक्षा स्थाई और विश्वासयोग्य नहीं है। ऐसी सुरक्षा मिथिया है क्योंकि सांसारिक धन में भरोसे से आलस, घमण्ड और अन्ततः विनाश आता है। लेकिन जो नम्र होते हैं वे परमेश्वर के कभी ना बदलने वाले नाम और चरित्र में, उसे समर्पण के द्वारा, वास्तविक और स्थाई सुरक्षा पा लेते हैं।

   हो सकता है कि आपने अपनी सुरक्षा का स्थान ’धन-संपदा’ को नहीं वरन किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति को बना रखा हो। किंतु यदि परमेश्वर आपका सुरक्षित स्थान नहीं है, तो वह अन्य कोई या कुछ भी हो, समपूर्ण सुरक्षा का स्थान नहीं है। हमें प्रतिदिन और हर बात में परमेश्वर पर निर्भर रहने और उसमें अपनी सुरक्षा को पहचानने की आवश्यक्ता है। 

   सबसे सुरक्षित पर ही भरोसा कीजिए; ना जाने कब, कौन सी बात या परिस्थिति, आपके सुरक्षा-स्थान की विश्वासयोग्यता को परख ले! - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर का नाम हमारा दृढ़ गढ़ है।

यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है। - नीतिवचन १८:१०

बाइबल पाठ: नीतिवचन १८:९-१२
Pro 18:9  जो काम में आलस करता है, वह खोने वाले का भाई ठहरता है। 
Pro 18:10  यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है। 
Pro 18:11  धनी का धन उसकी दृष्टि में गढ़ वाला नगर, और ऊंचे पर बनी हुई शहरपनाह है। 
Pro 18:12  नाश होने से पहिले मनुष्य के मन में घमण्ड, और महिमा पाने से पहिले नम्रता होती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ६२-६४ 
  • १ तिमुथियुस १

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

उचित शब्द


   अपने बचपन में मैंने एक बड़ा शब्द सीखा जिसका उच्चारण भी कठिन था; शब्द था "antidisestablishmentarianism" इसे बोलने में भी मेहनत करनी पड़ती थी। ना मैं और ना मेरे स्कूल के मित्र जानते थे कि इसका अर्थ क्या है, किंतु इस बड़े से शब्द के बोलने से मैं बहुत ज्ञानवान प्रतीत होता था। अभी हाल ही में मैंने शब्दकोष में इस शब्द का अर्थ देखा; अर्थ था: "एक ऐसा राजनैतिक सिद्धांत जो किसी स्थापित चर्च को मिली उसकी सरकारी मान्यता को रद्द करने का विरोध करे" - जैसा कठिन शब्द वैसा ही कठिन उसका अर्थ!

   जब पौलुस प्रेरित ने मसीही सेवकाई में अपने आप को समर्पित किया तब वह अपने समय के सबसे अधिक पढ़े-लिखे और ज्ञानवान लोगों में से था और परमेश्वर के वचन की गहन शिक्षा प्राप्त व्यक्ति था। लेकिन अपनी मसीही सेवकाई में वह अपने ज्ञान के द्वारा लोगों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करता था। उसने कुरिन्थुस के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उनसे कहा: "और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया" (१ कुरिन्थियों २:१)। पौलुस द्वारा प्रयुक्त जिस युनानी भाषा के शब्द का अनुवाद "वचन या ज्ञान की उत्तमता" हुआ है उसका तात्पर्य बड़े-बड़े और जटिल शब्दों के प्रयोग से है; अर्थात ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे श्रोता सीखते तो कम ही हैं किंतु वक्ता और उस के ’ज्ञान’ की महिमा अधिक होती है। पौलुस एक महान पंडित और शास्त्री था जो परमेश्वर के गहन रहस्यों को जानता था, लेकिन अपनी इस महानता जताने के लिए उसने भाषा और अपने ज्ञान का दुरुपयोग कभी नहीं किया।

   हम सभी मसीही विश्वासियों को इस बात का ध्यान रखना है कि जैसे जैसे हम परमेश्वर की निकटता और ज्ञान में बढ़ें, हम भी पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करें और केवल अपना ज्ञान लोगों पर प्रगट करने के लिए ही शब्दों का अनुचित प्रयोग ना करें; वरन उचित शब्द प्रयोग करके जिन्हें लोग सरलता से समझ सकें, लोगों को परमेश्वर की निकटता में आने और बढ़ने के लिए उभारने और प्रोत्साहित करने वाले बनें। - डेनिस फिशर


हमारी समझ-बूझ केवल हमारे शब्दों की जानकारी ही से नहीं वरन उन्हें उचित रीति से प्रयोग करने के द्वारा प्रगट होती है।

और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। - १ कुरिन्थियों २:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-९
1Co 2:1   और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1Co 2:2  क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1Co 2:3   और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1Co 2:4  और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं, परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1Co 2:5  इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1Co 2:6  फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। 
1Co 2:7  परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। 
1Co 2:8  जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 
1Co 2:9  परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५९-६१ 
  • २ थिस्सलुनीकियों ३

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

जमाखोर या उदार?


   अगस्त १९१४ में जब ब्रिटेन प्रथम विश्वयुद्ध में प्रवेश हुआ तो प्रसिद्ध मसीही प्रचारक ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ४० वर्ष के थे, उनके साथ उनकी पत्नि और १ वर्षीय पुत्री भी थी। ब्रिटेन के युद्ध में जाने के कुछ ही दिनों में प्रतिदिन ३०,००० लोग तक सेना में भर्ती होने लगे, नागरिकों से कहा गया कि वे अपनी गाड़ियां तथा घोड़े सरकार को बेच दें, और फिर कुछ दिन पश्चात युद्ध में घायल तथा मृतकों की सूचियां भी प्रकाशित होनी आरंभ हो गईं। राष्ट्र के सामने आर्थिक अनिश्चितता तथा अस्थिरता आ गई।

   युद्ध में जाने के एक महीने के अन्दर ही ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने मसीही विश्वासियों के सामने खड़ी आत्मिक चुनौती पर एक सन्देश दिया। उन्होंने अपने सन्देश में कहा: "हमें ध्यान देना है कि वर्तमान चुनौतियों में जब युद्ध और विनाश के कारण संसार भर में दुख आ पड़ा है, तो हम विश्वासी अपने आप को अपने ही संसार में सबसे अलग करके, परमेश्वर द्वारा हमें हमारे संगी नागरिकों और सैनिकों के लिए सेवा, देखभाल और प्रार्थना की जो ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, उसे अनदेखा ना कर दें।"

   हर युग में परमेश्वर की बुलाहट अपने लोगों के लिए स्पष्ट रहती है: "उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा" (यशायाह ५८:१०)। भय हमें, जो हमारे पास है उसे जमा करके अपने प्रयोग के लिए रख लेने को उकसाता है; परन्तु परमेश्वर में विश्वास और उसका प्रेम हमें उदार बनाकर जो हमारे पास है उसे दूसरों की सहायता के लिए उपयोग करने वाला बनाता है।

   जो परमेश्वर के प्रेम और भय में जीते हैं उनके जीवनों में जमाखोरी नहीं उदारता दिखाई देती है। संसार के इस कठिन दौर में आपकी प्रवृत्ति कैसी है - जमाखोरी की या उदारता की? - डेविड मैक्कैसलैंड


जब मसीह का प्रेम हम में बढ़ने लगता है तब वह हम में से प्रवाहित भी होने लगता है।

उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। - यशायाह ५८:१०

बाइबल पाठ: यशायाह ५८:६-१२
Isa 58:6  जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहने वालों का जुआ तोड़ कर उनको छुड़ा लेना, और, सब जुओं को टूकड़े टूकड़े कर देना? 
Isa 58:7  क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जाति-भाइयों से अपने को न छिपाना? 
Isa 58:8  तब तेरा प्रकाश पौ फटने की नाईं चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा। 
Isa 58:9  तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे, 
Isa 58:10  उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा। 
Isa 58:11  और यहोवा तुझे लगातार लिए चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा, और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता। 
Isa 58:12  और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५६-५८ 
  • २ थिस्सलुनीकियों २

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

सतत सेवार्थ


   इस श्रंखला के मूल कार्यस्थल RBC Ministries में, जो Our Daily Bread के मूल संचालक तथा प्रकाशक हैं, एक स्वयं-सेवी कार्यक्रम भी है जिस के द्वारा लोगों को अपने समय और कौशल को परमेश्वर की सेवकाई के लिए दान करने का अवसर मिलता है, और हम जो इस कार्यक्रम के संचालक हैं उन्हें अपने उद्देश्य "बाइबल के जीवन बदलने वाले ज्ञान को सभी के लिए उपलब्ध और सहज बनाना" पूरा करने में सहायता मिलती है।

   हमारे कुछ स्वयं-सेवी तो कार्य से अवकाश प्राप्त लोग हैं जो अपने बुढ़ापे की तकलीफों और मजबूरियों के बावजूद प्रतिदिन नियमित रूप से आते हैं, प्रसन्नता पूर्वक कार्य में भाग लेते हैं, ज़िम्मेदारियां पूरी करते हैं और विविध कार्यों में हाथ बंटाते हैं। इस कार्यक्रम के आरंभ होने से लेकर सन २००९ तक, ऐसे स्वयं-सेवियों ने, कुल मिलाकर १००,००० घंटों का कार्य पूरा कर लिया था। ये स्वयं-सेवी बस कार्य में लगे ही रहते हैं, उन्हें रुक जाने की इच्छा नहीं होती।

   उनका उदाहरण इस बात को स्मरण कराता है कि हमारे पार्थिव जीवन में परमेश्वर की सेवकाई कर पाने के लिए उम्र का कोई बन्धन नहीं है। परमेश्वर का वचन परमेश्वर के विश्वासियों के लिए कोई अवकाश लेने की उम्र निर्धारित नहीं करता है। पौलुस प्रेरित ने लिखा कि परमेश्वर ने अपनी मण्डली में "...कितनों को भविष्यद्वकता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध जो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए" (इफिसीयों ४:११-१२)। यही हम विश्वासियों का उद्देश्य है कि मसीह की देह अर्थात उसकी मण्डली उन्नति पाए; और इस कार्य की लगन हमें सतत सेवा के लिए प्रेरित करती रहती है। - डेव ब्रैनन


जवान हों या बुज़ुर्ग, यदि आप तैयार हैं तो परमेश्वर अपनी सेवकाई में आपको उपयोगी बना सकता है।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्‍तु प्रभु के लिये करते हो। - कुलुस्सियों ३:२३

बाइबल पाठ:
Eph 4:7  पर हम में से हर एक को मसीह के दान के परिमाण से अनुग्रह मिला है। 
Eph 4:8  इसलिये वह कहता है, कि वह ऊंचे पर चढ़ा, और बन्‍धुवाई को बान्‍ध ले गया, और मनुष्यों को दान दिए। 
Eph 4:9  (उसके चढ़ने से, और क्‍या पाया जाता है केवल यह, कि वह पृथ्वी की निचली जगहों में उतरा भी था। 
Eph 4:10  और जो उतर गया यह वही है जो सारे आकाश के ऊपर चढ़ भी गया, कि सब कुछ परिपूर्ण करे)। 
Eph 4:11  और उस ने कितनों को भविष्यद्वकता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। 
Eph 4:12  जिस से पवित्र लोग सिद्ध जो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए। 
Eph 4:13  जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५३-५५ 
  • २ थिस्सलुनीकियों १

बुधवार, 17 अक्टूबर 2012

सदा सुरक्षित

   दुकान से सामान लेकर निकलते हुए मैंने बस यूँ ही गैस से भरा एक बड़ा सा लाल गुब्बारा खरीद लिया जिस पर लिखा था "मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।" मैं अपनी खरीददारी का सामान अपनी कार में रख रही थी कि गुब्बारे के धागे पर मेरी पकड़ ढीली हो गई और वह मेरे हाथों से फिसल गया। मैं वहां खड़ी उसे ऊपर की ओर उड़ते हुए देखती रह गई; थोड़ी सी देर ही में वह एक छोटा सा बिंदु मात्र बनकर रह गया और फिर अन्ततः केवल एक याद।

   उस गुब्बारे को खो देने से मुझे याद आय कि कैसे हमारे जीवनों से प्रेम कभी कभी अनायास ही जाता रहता है। हमारे बच्चे विद्रोह करके अलग हो जाते हैं; कभी जीवन-साथी अलग हो कर अपनी अलग राह चल निकलते हैं; संबंधी और प्रीय जन दूर हो जाते हैं, अकेला छोड़ देते हैं; घनिष्ठ मित्र संपर्क में रहना छोड़ देते हैं।

   ऐसे में मैं बहुत धन्यवादी हूँ कि परमेश्वर का प्रेम सदा स्थिर बना रहता है और जब संसार के लोगों का प्रेम हमें अकेला छोड़ देता है, तो उसका प्रेम फिर भी हमारे साथ रहता है, हमें थामे रहता है। इसीलिए प्रभु यीशु ने संसार के सभी लोगों को निमंत्रण दिया है कि उसके प्रेम में बने रहें: "जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए" (युहन्ना १५:९-११)। वह चाहता है कि उसके प्रेम के आनन्द में सब आनन्दित रहें।

   हम सब परमेश्वर के प्रेम आलिंगन में स्थिर बने रह सकते हैं, क्योंकि जैसे पौलुस प्रेरित ने लिखा: "क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों ८:३८-३९)। एक बार जब हम प्रभु यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर लेते हैं, तो उसमें होकर मिलने वाला परमेश्वर का प्रेम हमारे लिए एक अटल, स्थाई, अनन्तकाल की निश्चितता हो जाता है।

   क्या आपने अपने जीवन से संसार के किसी प्रेम को जाते हुए अनुभव किया है? परमेश्वर के प्रेम में शरण तथा विश्राम लें, क्योंकि अपने बच्चों के प्रति उसकी सदा बनी रहने वाली देख-भाल आपके मन को उसके प्रेम, शांति और सुरक्षा में बनाए रखेगी। - जैनिफर बेन्सन शुल्ट


क्योंकि परमेश्वर का वचन अटल और सदा के लिए है इसीलिए हमारा उद्धार भी अटल और सदा के लिए है।

जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। - युहन्ना १५:९

बाइबल पाठ: रोमियों ८:३५-३९
Rom 8:35  कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 
Rom 8:36   जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं। 
Rom 8:37  परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं। 
Rom 8:38  क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, 
Rom 8:39  न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५०-५२ 
  • १ थिस्सलुनीकियों ५

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

"परमेश्वर ने कहा है!"


   स्पष्ट लिखने के मेरे भरसक प्रयास के बावजूद भी कभी कभी मेरे लिखे हुए का गलत अर्थ निकाला जाता है। मुझे इस बात से दुख होता है और मैं एक लेखक के रूप में अपने आप को असफल अनुभव करती हूँ और प्रयास करती हूँ कि अपनी गलतियां सुधार कर और स्पष्ट लिख सकूँ। लेकिन पाठक कभी मेरे शब्दों को संदर्भ से बाहर निकाल कर प्रयोग करते हैं तो कभी उन शब्दों में वह पढ़ते हैं जो मैंने वहां ना लिखा और जो ना मेरा तात्पर्य था। यह बहुत कुण्ठित करता है क्योंकि एक बार लेख के छपने के बाद लोग उसको किस रीति से प्रयोग करेंगे यह निरधारित या नियंत्रित नहीं किया जा सकता।

   यह बात एक अन्य किंतु और भी गंभीर बात को स्मरण दिलाती है - परमेश्वर के वचन का दुरुपयोग। यर्मियाह भविष्यद्वक्ता के दिनों में भी लोगों ने यह किया। उन्होंने परमेश्वर के नाम से अपने मन की बातें लोगों से कहीं; ऐसी बातें जिन्हें वे लोग स्वयं तो चाहते थे किंतु परमेश्वर की ओर से उन्हें उनके बारे में कोई निर्देश नहीं थे। इसलिए परमेश्वर ने यर्मियाह के द्वारा लोगों को सन्देश दिया: "सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्सद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं" (यर्मियाह २३:१६)। साथ ही परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी भी दी और कहा कि जो उसके नाम से अपने मन की बात कहते हैं या फिर उसके वचनों को बिगाड़ कर बताते हैं वह उन्हें त्याग देगा और अपने सामने से निकाल देगा (पद ३६, ३९)।

   उन भविष्यद्वक्ताओं की तुलना पौलुस प्रेरित की जीवन-शैली से कीजिए: "परन्‍तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्‍तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं" (२ कुरिन्थियों ४:२)। उसे परमेश्वर के नाम से अपने मन की बात कहने के दुष्परिणाम भली भांति पता थे। यही मनसा हम सभी की भी होनी चाहिए कि परमेश्वर के नाम का दुरुपयोग स्वार्थ सिद्धि के लिए ना होने पाए। परमेश्वर ने अपना वचन बाइबल हमें हमारी शिक्षा के लिए दिया है ना कि उसमें जोड़-तोड़ करके उसका अपनी इच्छानुसार दुरुपयोग करने के लिए। जो ऐसा करते हैं वे सचेत हों क्योंकि ऐसा करने के परिणाम गंभीर हैं: "मैं हर एक को जो इस पुस्‍तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं, कि यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए, तो परमेश्वर उन विपत्तियों को जो इस पुस्‍तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। और यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्‍तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के पेड़ और पवित्र नगर में से जिस की चर्चा इस पुस्‍तक में है, उसका भाग निकाल देगा" (प्रकाशितवाक्य २२:१८-१९)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमें अपने आप को बाइबल के अनुसार करने का प्रयास करते रहना है, ना कि बाइबल को अपने अनुसार।

क्‍योंकि हम उन बहुतों के समान नहीं, जो परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं; परन्‍तु मन की सच्‍चाई से, और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते हैं। - २ कुरिन्थियों २:१७

बाइबल पाठ: यर्मियाह २३:१६; ३०-४०
Jer 23:16  सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं। 
Jer 23:30  यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन औरों से चुरा चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ। 
Jer 23:31  फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता “उसकी यह वाणी है”, ऐसी झूठी वाणी कहकर अपनी अपनी जीभ डुलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ। 
Jer 23:32  यहावा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न हेगा। 
Jer 23:33  यदि साधारण लोगों में से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा ने क्या प्रभावशाली वचन कहा है, तो उस से कहना, क्या प्रभावशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा। 
Jer 23:34  और जो भविष्यद्वक्ता वा याजक वा साधारण मनुष्य “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन” ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूंगा। 
Jer 23:35  तुम लोग एक दूसरे से और अपने अपने भाई से यों पूछना, यहोवा ने क्या उत्तर दिया? 
Jer 23:36  वा, यहोवा ने क्या कहा है? “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन”, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगों ने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं। 
Jer 23:37  तू भविष्यद्वक्ता से यों पूछ कि यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया? 
Jer 23:38  वा, यहोवा ने क्या कहा है? यदि तुम “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन”: इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, मैं ने तो तुम्हारे पास कहला भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” 
Jer 23:39  इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, 
Jer 23:40  त्यागकर अपने साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४७-४९ 
  • १ थिस्सलुनीकियों ४

सोमवार, 15 अक्टूबर 2012

बताएं


   मैं अपने उपचार के लिए अपने चिकित्सक के पास था और वह मुझे एक सुई लगाने की तैयारी में था। मैं जानता था कि वह चिकित्सिक परमेश्वर को नहीं मानता; उसके हाथ में तैयार सुई को देखकर मेरे मन में विचार आया कि यह समय बात करने के लिए उचित नहीं है। परन्तु फिर भी मैंने हिम्मत बांधकर उससे कहा कि अपनी सृष्टि के लिए उसे परमेश्वर का धन्यवादी होना चाहिए। उसने मुझ से पूछा कि क्या मैं वाकई में परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ? मैंने उत्तर दिया, "अवश्य; यदि हम परमेश्वर की सृष्टि होने की बजाए अभी भी क्रमिक विकास के सिद्धांत के अनुसार विकास क्रम में ही होते तो आप कैसे निर्धारित करते कि किस व्यक्ति के लिए सुई लगाने की कौन सी जगह सही है, क्योंकि सभी अलग अलग गति और रीति से विकास के कारण एक दुसरे से बहुत भिन्न होते?" बाद में अपनी अस्वस्थता के द्वारा उस चिकित्सक से परमेश्वर के बारे में बातचीत कर पाने के इस अवसर के लिए मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया।

   आज के बाइबल पाठ में पौलुस प्रेरित ने तिमुथियुस को यह ज़िम्मेदारी सौंपी है कि वह लोगों को उद्धारकर्ता की ओर लेकर जाए। पौलुस का कथन "...तू वचन को प्रचार कर..." (२ तिमुथियुस ४:२) केवल प्रचारकों के लिए दिया गया निर्देश नहीं है। मूल भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद प्रचार किया गया है उसका अर्थ है बताएं या सुनाएं। परमेश्वर के विश्वासी जन यह सुसमाचार बताने या सुनाने का कार्य मित्रों के साथ बैठकर कुछ खाते-पीते हुए कर सकते हैं, स्कूल या कॉलेज में अपने संगी विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप में कर सकते हैं।

   जो परमेश्वर ने हमारे साथ किया है, या हमारे लिए किया है और कैसे वह हमारे प्रति विश्वासयोग्य रहा है, समस्याओं से हमें निकाला है इत्यादि बातें हम कभी भी, कहीं भी और सुनने के लिए तैयार किसी भी जन के साथ कर सकते हैं। हम उन्हें बता सकते हैं कि हमने परमेश्वर के प्रेम को अनुभव किया है, हमने व्यक्तिगत रीति से जाना है कि परमेश्वर हमारे दुखों, कमज़ोरियों और असफलताओं को जानता है और उसने इन बातों से उभरने में हमारी सहायता करी, हमें इन से निकाला है। हम उन के समक्ष अपने जीवन कि गवाही रख सकते हैं कि कैसे प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान, मारे जाने, गाड़े जाने और तीसरे दिन जी उठने के द्वारा हमने पापों से क्षमा और पापों के बन्धनों से छुटकारा पाया है; और यही क्षमा तथा छुटकारा उन सभों के लिए भी उपलब्ध है जो विश्वास के साथ उसे ग्रहण करते हैं और उसके पीछे चलने का निर्णय लेते। आवश्यकता किसी धर्म परिवर्तन की नहीं वरन पापी मन के परिवर्तन की है।

   जो परमेश्वर ने हमारे लिए किया है उसे लोगों को बताएं, घबराएं नहीं। - एलबर्ट ली


सुसमाचार बांटना अर्थात एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को परमेश्वर के प्रेम की अच्छी खबर देना।

परन्‍तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों ५:८

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ४:१-५
2Ti 4:1  परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं। 
2Ti 4:2  कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डांट, और समझा। 
2Ti 4:3 क्‍योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। 
2Ti 4:4  और अपने कान सत्य से फेरकर कथा-कहानियों पर लगाएंगे। 
2Ti 4:5  पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४५-४६ 
  • १ थिस्सलुनीकियों ३

रविवार, 14 अक्टूबर 2012

सहायता का हाथ


   सन १९३० की बात है, घुड़दौड़ प्रतिस्पर्धा में घोड़ा दौड़ाते हुए, एक घुड़सवार जौनी लौंगडेन को धक्का लगा और वह अपने घोड़े पर एक तरफ को झुक गया। उसके पीछे अन्य घोड़े तेज़ दौड़ते हुए आ रहे थे जिनसे टकराकर उसकी जान तक जा सकती थी। उसकी गंभीर हालत को देखकर साथ दौड़ रहे एक और घुड़सवार ने उसका हाथ पकड़कर उसे सीधा करने का प्रयास किया, किंतु दुर्भाग्यवश उसके प्रयास में इतना ज़ोर था कि जौनी अब दूसरी तरफ को लटक गया। यह देखकर दूसरी ओर घोड़ा दौड़ा रहे एक और घुड़सवार ने उसे पकड़ा और सीधा होने में सहायता करी। सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह रही कि जौनी लौंगडेन वह दौड़ जीत गया! एक समाचार पत्र ने यह समाचार प्रकाशित करते हुए इसे "अविश्वसनीय रीति से असंभव" कहा। उन सहायता के हाथों के कारण ना केवल जौनी की जान बची वरन वह दौड़ भी जीत सका।

   हम मसीही विश्वासियों का भी यह कर्तव्य है कि हम दूसरों की सहायता के लिए अपने हाथ बढ़ाएं। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन ३१ अध्याय में हम एक सदगुणी स्त्री के चरित्र के बारे में पढ़ते हैं। इस स्त्री का एक गुण है कि "वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है" (नीतिवचन ३१:२०)। सदियों से इस स्त्री का चरित्र के अनेकों स्त्री-पुरुषों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा है। यह स्त्री हमें स्मरण दिलाती है कि अपने आप को दुसरों की सहायता के लिए देना बाइबल के अनुसार सभी मसीही विश्वासियों के लिए दिया गया सदगुण है।

   आज इस संसार में ऐसे बहुत से लोग हैं जो जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, या कठिन समयों का सामना कर रहे हैं, और उन्हें किसी की सहायता की आवश्यकता है। क्या आप अपने जीवन में किसी ऐसे को जानते हैं जिसे आपकी सहायता के हाथ की आवश्यक्ता है? जीवन की इस दौड़ में किसी को संभालने के लिए अपनी सहायता का हाथ बढ़ायें - यह उसके लिए सफलता-असफलता या जीवन-मरण का अन्तर ला सकता है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर अकसर अपनी सहायता मनुष्यों के हाथों भेजता है।

वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है। - नीतिवचन ३१:२०

बाइबल पाठ: नीतिवचन ३१:१०-३१
Pro 31:10  भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है। उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है। 
Pro 31:11  और उसे लाभ की घटी नहीं होती। 
Pro 31:12  वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन भला ही व्यवहार करती है। 
Pro 31:13  वह ऊन और सन ढूंढ़ ढूंढ़कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है। 
Pro 31:14  वह व्योपार के जहाजों की नाईं अपनी भोजनवस्तुएं दूर से मंगवाती हैं। 
Pro 31:15  वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है और अपनी लौण्डियों को अलग अलग काम देती है। 
Pro 31:16  वह किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है और उसे मोल ले लेती है; और अपने परिश्रम के फल से दाख की बारी लगाती है। 
Pro 31:17  वह अपनी कटि को बल के फेंटे से कसती है, और अपनी बाहों को दृढ़ बनाती है। 
Pro 31:18  वह परख लेती है कि मेरा व्योपार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता। 
Pro 31:19  वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है। 
Pro 31:20  वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है। 
Pro 31:21  वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहिनते हैं। 
Pro 31:22  वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्षम सन और बैंजनी रंग के होते हैं। 
Pro 31:23  जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है। 
Pro 31:24  वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है, और व्योपारी को कमरबन्द देती है। 
Pro 31:25  वह बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आने वाले काल के विषय पर हंसती है। 
Pro 31:26  वह बुद्धि की बात बोलती है, और उसके वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं। 
Pro 31:27  वह अपने घराने के चालचलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती। 
Pro 31:28  उसके पुत्र उठ उठकर उसको धन्य कहते हैं, उनका पति भी उठकर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है: 
Pro 31:29  बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभों में श्रेष्ट है। 
Pro 31:30  शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी। 
Pro 31:31  उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४३-४४ 
  • १ थिस्सलुनीकियों २

शनिवार, 13 अक्टूबर 2012

पोशाक


   एक मसीही मठ के निवासी माइकल सेंट जैक्स ने Hemispheres पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में बताया कि उनकी विशिष्ट पोशाक देखकर लोग उनकी ओर आकर्षित होते हैं। मठ की ओर से यह बाध्य नहीं है कि वे इस पोशाक को पहनें; पहनना या ना पहनना उनका अपना निर्णय है, किंतु वे और मठ के अनेक अनुयायी इसे पहनते हैं क्योंकि इससे लोग उनके साथ बातें करने के लिए आते हैं, मन खोलकर अपने अन्दर की बातें बताते हैं, ऐसी बातें जो वे किसी अन्य के साथ कभी नहीं बांटते। बिलकुल अनजान लोग अपने बीते जीवन की गलतियां स्वीकार कर के पूछते हैं कि क्या परमेश्वर उन्हें क्षमा करेगा? माइकल और उसके साथ के अन्य मठ अनुयायियों की पोशाक ने उन्हें लोगों के लिए सुगम्य बना दिया है। आज के समय में जब किसी जानकार या संबंधी के पास जाकर मन की बात करना भी लोगों को कठिन लगता है, और हम संसार में एक दूसरे से अपने आप को अलग रखने का एक ’कवच’ सा पहने चलते रहते हैं, एक पोशाक से मिली यह सुगमता एक अद्भुत बात है।

   प्रभु यीशु के विषय में हम परमेश्वर के वचन बाइबल में पाते हैं कि वह जहां कहीं भी जाते थे, हर तरह के लोग उनके पास बड़ी सहजता से आते थे। लोग प्रभु के पास आते थे कि उनसे सीखें, सहायता प्राप्त करें, बीमारियों से चंगाई पाएं, आत्मियता पाएं और क्षमा प्राप्त करें। जब समाज के कुछ अगुवों ने प्रभु यीशु की इस बात के लिए आलोचना करी कि वे महसूल लेने वालों और पापियों के साथ संगति रखता है तो "यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्‍तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को बुलाने आया हूं" (मरकुस २:१७)।

   हम जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, हमसे परमेश्वर का वचन कहता है कि "प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाय ना करो" (रोमियों १३:१४)। आज हमारे आस-पास के लोग हमें किस रूप में जानते हैं - अलग रहने वाले या मिलनसार और सुगम्य? यदि आज हमारे कार्यों और व्यवहार ने हमें ऐसा व्यस्त कर दिया है कि हमारे पास लोगों के लिए समय नहीं है, हम उनके साथ बैठकर बात नहीं कर सकते, उन्हें शांति और सांत्वना नहीं दे सकते तो हमें अपने बारे में गंभीरता से सोचने और जांचने की आवश्यक्ता कि क्या वास्तव में हमने मसीह यीशु को पहन लिया है? क्या वह वाकई हमारी पोशाक है?

   यदि जगत का उद्धारकर्ता प्रभु यीशु वास्तव में हमारी पोशाक होगा तो लोग हमारी ओर आकर्षित होंगे, सहजता के साथ हमसे बातें करने पाएंगे, अपने मन के बोझ हमारे साथ बांट कर हलके करने पाएंगे और अपने प्रभु के समान हम भी उन्हें वह शांति देने पाएंगे जिसकी उन्हें आवश्यक्ता है। - डेविड माइक्कैसलैंड


दूसरों की सहायता के लिए उपलब्ध रहना मसीह यीशु को आदर देता है।

यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्‍तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को बुलाने आया हूं। - मरकुस २:१७

बाइबल पाठ: मरकुस २:१३-१७
Mar 2:13  वह फिर निकल कर झील के किनारे गया, और सारी भीड़ उसके पास आई, और वह उन्‍हें उपदेश देने लगा। 
Mar 2:14   जाते हुए उस ने हलफई के पुत्र लेवी को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। 
Mar 2:15  और वह उठकर, उसके पीछे हो लिया: और वह उसके घर में भोजन करने बैठे; क्‍योंकि वे बहुत से थे, और उसके पीछे हो लिये थे। 
Mar 2:16  और शास्‍त्रियों और फरीसियों ने यह देखकर, कि वह तो पापियों और चुंगी लेने वालों के साथ भोजन कर रहा है, उसक चेलों से कहा; वह तो चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ खाता-पीता है! 
Mar 2:17  यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्‍तु बीमारों को है: मैं धमिर्यों को नहीं, परन्‍तु पापियों को बुलाने आया हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ४१-४२ 
  • १ थिस्सलुनीकियों १

शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

रंग


   पेड़ जो बसन्त और गर्मियों में हरे होते हैं वे शरतकाल में पीले, नारंगी या भूरे क्यों हो जाते हैं? पेड़ों की पत्तियों का हरा रंग उनमें पाए जाने वाले क्लोरोफिल नामक पदर्थ के कारण होता है जो सूर्य की रौशनी से लाल और नीले रंग की किरणें सोख कर उनकी ऊर्जा से हवा की कार्बन-डाई-ऑक्साईड को अपने भोजन के लिए प्रयुक्त करता है और हवा में ऑक्सीजन वापस दे देता है। लाल और नीले रंग की किरणें सोख लेने से बची हुई प्रतिबिंबित हरी किरणें हमें दिखाई देती हैं और इसीलिए हमें पत्ते और पेड़ हरे दिखाई देते हैं। शरत ऋतु में जब दिन छोटे होते हैं तो कम रौशनी के कारण पत्तों में क्लोरोफिल के बनने और कार्य करने में फर्क आता है और उसकी मात्रा भी पत्तों में बदलती जाती है जिससे अलग अलग रंग दिखने लगते हैं।

   हम रंगों को जीवन की बातों से जोड़ कर देखते हैं, जैसे हरे रंग को नवजीवन और सही का सूचक होने, लाल रंग को खतरे का सूचक, सफेद को सादगी, ईमानदारी और पवित्रता का सूचक इत्यादि। हमारे द्वारा पहने हुए वस्त्रों का रंग भी हमारे मन की स्थिति को दर्शाता है और देखने वालों को हमारे बारे में एक मूक सन्देश देता है। यदि कोई किसी बात में लिप्त हो जाता है, तो उसके लिए हम कहते हैं कि यह तो उस रंग में रंग गया है। जैसे रंग बिना शब्दों के बहुत कुछ कह जाते हैं और उन्हें देखकर समझने वाले बहुत कुछ समझ सकते हैं, वैसे ही प्रकृति की अन्य वस्तुएं भी परमेश्वर के अस्तित्व, उसकी सामर्थ और उसकी महिमा के बारे में बहुत कुछ कहती रहती हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित ने रोमियों के विश्वासियों को इस संदर्भ में लिखा: "...उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं..." (रोमियों १:२०)।

   परमेश्वर ने अपने आप को हम पर अनेक रीति से प्रकट किया है। वह हमारे मनों में भी अपनी बातों को डालता है: "इसलिये कि परमेश्वर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है" (रोमियों १:१९); वह अपनी सृष्टि में होकर भी हमसे बातें करता है; उसने अपना जीवित वचन भी हमारे हाथों में रखा है; और "इन दिनों के अन्‍त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उस ने सारी वस्‍तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्‍टि रची है" (इब्रानियों १:२)।

   अपने चारों ओर शांत मन से देखिए और विचार कीजिए। परमेश्वर अपने आप को प्रकट कर रहा है और आप से बातें करना चाहता है। जैसे हम सामन्य रीति से अपने जीवन और कार्यों से संबंधित बातों का विशलेषण करते हैं और उन्हें जांचने तथा परखने के बाद उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करते हैं, वैसे ही परमेश्वर की सृष्टि की बातों का विशलेषण करके देखिए। सृष्टि का ताना-बाना और उसका अविराल सुचारू रूप से कार्य करते रहना उसके सृष्टिकर्ता की ओर इशारा कर रहा है। अविश्वास के रंग में ना रंगें, परमेश्वर पर विश्वास करें क्योंकि उसके रंग हर ओर विद्यमान हैं।


परमेश्वर की महिमा उसकी सृष्टि से विदित है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन १९:१

बाइबल पाठ: भजन १९:१-१४
Psa 19:1  आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psa 19:2  दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psa 19:3  न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psa 19:4  उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उस ने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psa 19:5  जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psa 19:6  वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सबको पहुंचती है।
Psa 19:7  यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psa 19:8  यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psa 19:9  यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psa 19:10  वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psa 19:11  और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psa 19:12  अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psa 19:13  तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psa 19:14  मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करनेवाले!

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३९-४० 
  • कुलुस्सियों ४