बोथियुस छठवीं शताब्दी में इटली के राज दरबार में सेवा करने वाला एक निपुण राजनितिज्ञ था। दुर्भाग्यवश वह राजा की नज़रों से गिर गया, उस पर राजद्रोह का दोष लगा कर उसे कैदखाने में मृत्युदण्ड भोगने के लिए डाल दिया गया। मृत्युदण्ड दिए जाने के समय की प्रतीक्षा करते हुए उसने लिखने की सामग्री माँगी जिस से वह अपने विचार और संस्मरण लिख सके। बाद में उसके ये संस्मरण दिलासा और संतुष्टि के लिए आत्मिक आदर्श लेख बन गए। बोथियुस ने कैद में बैठे हुए, अपने भविष्य को लेकर लिखा: "यदि उसे वैसा ना समझे जाए तो कुछ भी दयनीय नहीं है; और इसके विपरीत हर दशा आनन्दमय है यदि उसे भोगने वाला उसमें संतुष्ट है"; मसीह यीशु पर उसका दृढ़ विश्वास उसके इस दृष्टिकोण का जनक था। उसने भली भांति समझ लिया था कि बदलते हुए हालात के प्रति क्या दृष्टिकोण रखना है यह हमारा व्यक्तिगत चुनाव है।
बोथियुस के वे विचार प्रेरित पौलुस के ऐसे ही विचारों के अनुसार थे। पौलुस ने भी यही दिखाया कि परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है परिस्थितियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण। जब पौलुस भी अपनी मसीही सेवकाई के लिए कैद में डाला गया और अपने मृत्युदण्ड की प्रतीक्षा कर रहा था, तो कैद से लिखी फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों के नाम अपनी पत्री में वह कहता है, "यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्तोष करूं" (फिलिप्पियों 4:11)। पौलुस तथा बोथियुस, दोनों ही ने अपनी संतुष्टि का आधार अपनी परिस्थितियों को नहीं वरन अपने प्रभु परमेश्वर को बनाया था; उस प्रभु को जो कभी नहीं बदलता, जिसका प्रेम अपने अनुयायियों के प्रति कभी कम नहीं होता और जो हर बात और हर परिस्थिति में होकर उनका भला ही करता है।
आज क्या आप किसी कठिन परिस्थिति को लेकर परेशान और कुंठित अनुभव कर रहे हैं? परमेश्वर आपको संतुष्टि दे सकता है, क्योंकि उसी में होकर चिरस्थाई और वास्तविक संतुष्टि तथा आनन्द मिलता है, जैसा कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा है: "तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है" (भजन 16:11)। - डेनिस फिशर
जब किसी परिस्थिति में आपके पास केवल परमेश्वर ही है,
तो उस परिस्थिति में जो सर्वोत्तम आपको चाहिए वह आपके पास है।
और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। - 2 कुरिन्थियों 9:8
बाइबल पाठ: भजन 16
Psalms 16:1 हे ईश्वर मेरी रक्षा कर, क्योंकि मैं तेरा ही शरणागत हूं।
Psalms 16:2 मैं ने परमेश्वर से कहा है, कि तू ही मेरा प्रभु है; तेरे सिवाए मेरी भलाई कहीं नहीं।
Psalms 16:3 पृथ्वी पर जो पवित्र लोग हैं, वे ही आदर के योग्य हैं, और उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूं।
Psalms 16:4 जो पराए देवता के पीछे भागते हैं उनका दु:ख बढ़ जाएगा; मैं उनके लोहू वाले तपावन नहीं तपाऊंगा और उनका नाम अपने ओठों से नहीं लूंगा।
Psalms 16:5 यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है।
Psalms 16:6 मेरे लिये माप की डोरी मनभावने स्थान में पड़ी, और मेरा भाग मनभावना है।
Psalms 16:7 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।
Psalms 16:8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा।
Psalms 16:9 इस कारण मेरा हृदय आनन्दित और मेरी आत्मा मगन हुई; मेरा शरीर भी चैन से रहेगा।
Psalms 16:10 क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।
Psalms 16:11 तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 16-17
- प्रेरितों 20:1-16
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