ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 8 जून 2019

क्षमा



      मैं जब अपने हाथों को देखती हूँ तो मुझे स्मरण हो आता है कि मैंने अपनी सगाई और विवाह, दोनों की अंगूठियाँ खो दीं हैं। मैं एक यात्रा की तैयारी करते हुए कई कार्य एक साथ करने का प्रयास कर रही थी और उसी में वे अंगूठियाँ कहीं रखी गईं, और मुझे अब तक समझ नहीं आता है कि वे गई कहाँ। मैं अपने इस लापरवाही के बार में अपने पति को बताने से बहुत घबरा रही थी, यह सोच कर कि उनपर इसका क्या प्रभाव होगा और वे क्या प्रतिक्रिया देंगे। परन्तु उनकी प्रतिक्रया मेरे प्रति प्रेम और सहानुभूति की थी न कि उन अंगूठियों को लेकर परेशान होने की। लेकिन अभी भी मुझे लगता है कि मुझे उनके इस अनुग्रह के लिए कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे मैं उसकी कीमत चुका सकूँ। परन्तु वे इस घटना को मेरे विरुद्ध याद ही नहीं रखते हैं, उसके प्रतिफल में कुछ चाहते ही नहीं हैं।

      ऐसे ही कितनी ही बार हमें अपने पाप स्मरण आते हैं और हमें लगता है कि हमें परमेश्वर से उन पापों की क्षमा पाने के प्रत्युत्तर में कुछ करना चाहिए। परन्तु परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में कहा है कि उसकी यह क्षमा और प्रेम, उसका प्रदान किया गया उद्धार, हमारे किन्ही कर्मों द्वारा नहीं परन्तु उसके अनुग्रह से है (इफिसियों 2:8-9)। परमेश्वर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा इस नई वाचा के विषय भविष्यवाणी की थी: “और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा” (यिर्मयाह 31:34)। हमारा ऐसा परमेश्वर है जो क्षमा करता है और हमारे पापों को फिर कभी स्मरण नहीं करता है।

      हम अपने अतीत के विषय दुखी हो सकते हैं, परन्तु हमें परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना है और उसकी बात का विश्वास करना है कि हमारे द्वारा प्रभु यीशु मसीह में लाए गए विश्वास में होकर हमारे प्रति उसका अनुग्रह और क्षमा वास्तविक हैं, हमारे जीवनों में सदा सक्रीय हैं। इस सुसमाचार के द्वारा हमें परमेश्वर का धन्यवादी और कृतज्ञ होना चाहिए, तथा औरों को बताने वाला होना चाहिए कि हमारे प्रभु परमेश्वर से मिलने वाली क्षमा सँसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है। - कीला ओकोआ


परमेश्वर का अनुग्रह और क्षमा सभी के लिए सेंत-मेंत उपहारस्वरूप उपलब्ध हैं।

क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। - इफिसियों 2:8-9

बाइबल पाठ: इब्रानियों 8:6-13
Hebrews 8:6 पर उसको उन की सेवकाई से बढ़कर मिली, क्योंकि वह और भी उत्तम वाचा का मध्यस्थ ठहरा, जो और उत्तम प्रतिज्ञाओं के सहारे बान्‍धी गई है।
Hebrews 8:7 क्योंकि यदि वह पहिली वाचा निर्दोष होती, तो दूसरी के लिये अवसर न ढूंढ़ा जाता।
Hebrews 8:8 पर वह उन पर दोष लगाकर कहता है, कि प्रभु कहता है, देखो वे दिन आते हैं, कि मैं इस्त्राएल के घराने के साथ, और यहूदा के घराने के साथ, नई वाचा बान्‍धूंगा।
Hebrews 8:9 यह उस वाचा के समान न होगी, जो मैं ने उन के बाप दादों के साथ उस समय बान्‍धी थी, जब मैं उन का हाथ पकड़ कर उन्हें मिसर देश से निकाल लाया, क्योंकि वे मेरी वाचा पर स्थिर न रहे, और मैं ने उन की सुधि न ली; प्रभु यही कहता है।
Hebrews 8:10 फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्त्राएल के घराने के साथ बान्‍धूंगा, वह यह है, कि मैं अपनी व्यवस्था को उन के मनों में डालूंगा, और उसे उन के हृदय पर लिखूंगा, और मैं उन का परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरे लोग ठहरेंगे।
Hebrews 8:11 और हर एक अपने देश वाले को और अपने भाई को यह शिक्षा न देगा, कि तू प्रभु को पहिचान क्योंकि छोटे से बड़े तक सब मुझे जान लेंगे।
Hebrews 8:12 क्योंकि मैं उन के अधर्म के विषय मे दयावन्‍त हूंगा, और उन के पापों को फिर स्मरण न करूंगा।
Hebrews 8:13 नई वाचा के स्थापन से उसने प्रथम वाचा को पुरानी ठहराई, और जो वस्तु पुरानी और जीर्ण जो जाती है उसका मिट जाना अनिवार्य है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 इतिहास 30-31
  • यूहन्ना 18:1-18



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें