रखवाले
पिछले कुछ लेखों में हम इफिसियों 4:11 से देखते आ रहे हैं कि प्रभु ने अपनी कलीसिया के कार्यों के लिए, कलीसिया में कुछ कार्यकर्ताओं, कुछ सेवकों को नियुक्त किया है। मूल यूनानी भाषा में इन सेवकों और उनकी सेवकाई के संबंध में प्रयोग किए गए शब्द दिखाते हैं कि ये सेवकाइयां कलीसिया में परमेश्वर के वचन की सेवकाई से संबंधित हैं। इन सेवकों और उनकी सेवकाइयों के संबंध में हम यह भी देख चुके हैं कि वर्तमान में इन दायित्वों और सेवकाइयों को अपने नाम के साथ जोड़ कर एक उपाधि के समान प्रयोग करने की सामान्यतः देखी जाने वाली प्रवृत्ति का बाइबल में कोई समर्थन नहीं है। इन सभी दायित्वों और सेवकाइयों के लिए प्रभु ने ही नियुक्ति की है, किसी मनुष्य अथवा संस्था या डिनॉमिनेशन ने नहीं; यह तथ्य वर्तमान में इन “उपाधियों” पर मनुष्यों द्वारा स्वयं ही या फिर किसी संस्था अथवा डिनॉमिनेशन द्वारा इन सेवकाइयों से संबंधित की जाने वाली नियुक्तियों की परंपरा का भी समर्थन नहीं करता है। साथ ही वर्तमान में एक और बहुत गलत प्रवृत्ति भी देखी जाती है कि लोग इन सेवकाइयों का प्रयोग परमेश्वर के वचन का पालन करना सीखने और सिखाने के स्थान पर, अपनी ही बातों और शिक्षाओं को सिखाने और पालन करवाने के लिए प्रयोग करते हैं, चाहे उनकी वे बातें और शिक्षाएं बाइबल से मेल न भी खाती हों, बाइबल की शिक्षाओं के अतिरिक्त हों। ऐसा करके ये लोग परमेश्वर के वचन में जोड़ने या घटाने, उसे अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार बदलने का अस्वीकार्य और दण्डनीय कार्य करते हैं (प्रकाशितवाक्य 22:18-19)। यह वही पाप है जो प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई के समय फरीसियों, सदूकियों, और शास्त्रियों ने किया, और जिसके लिए प्रभु ने उनकी तीव्र भर्त्सना की, उन्हें दण्डनीय ठहराया (मत्ती 15:3-9, 12-14)।
आज हम इफिसियों 4:11 में दी गई सूची में प्रभु यीशु द्वारा नियुक्त किए जाने वाले प्रभु यीशु की कलीसिया के चौथे कार्यकर्ता, रखवाले, के बारे में देखेंगे। मूल यूनानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद “रखवाले” किया गया है, उसका शब्दार्थ है “चरवाहे” या “भेड़ों की रखवाली और चरवाही करने वाले”। प्रभु यीशु मसीह के जन्म के समय, लूका 1:9 में जहाँ स्वर्गदूतों ने मैदान में अपने झुण्ड की पहरेदारी और देखभाल करने वाले लोगों को प्रभु के जन्म का समाचार सुनाया, उन गड़रियों के लिए भी मूल यूनानी भाषा में यही शब्द प्रयोग किया गया है, जिसका अनुवाद यहाँ “रखवाले” किया गया है। तात्पर्य यह कि कलीसिया के रखवाले वे हैं जो एक गड़रिये या चरवाहे के समान अपने “झुण्ड” या उसे सौंपे गए लोगों की देखभाल और सुरक्षा प्रदान करते हैं। बाइबल में प्रभु यीशु मसीह को “प्रधान रखवाला” भी कहा गया है (इब्रानियों 13:20; 1 पतरस 5:4); अर्थात वही अपनी विश्व-व्यापी कलीसिया का मुख्य देखभाल और सुरक्षा करने वाला है, शेष सभी उसी की अधीनता और उसके निर्देशों के अनुसार कार्य करते हैं। साथ ही बाइबल यह भी स्पष्ट बताती है कि प्रभु ने जिन्हें अपनी कलीसिया की देखभाल की ज़िम्मेदारी सौंपी है, जिन्हें अपने “झुण्ड” के अगुवे बनाया है, उन्हें अन्ततः प्रभु को इस ज़िम्मेदारी का हिसाब भी देना होगा, और उनके कार्य के अनुसार उन्हें प्रतिफल मिलेगा (इब्रानियों 13:17; 1 पतरस 5:1-4)। अर्थात, कलीसिया में “रखवाला” या चरवाहा होना बहुत ज़िम्मेदारी का कार्य है, यह लोगों पर अधिकार रखने के लिए नहीं (1 पतरस 5:3), वरन विनम्रता तथा सहनशीलता के साथ प्रभु के लिए उसके लोगों की देखभाल के लिए है (1 पतरस 5:2)। यह सेवकाई केवल नए नियम में ही दी जाने वाली सेवकाई नहीं है, वरन, जैसा हम अभी देखेंगे, पुराने नियम में भी इस्राएल के अगुवों को यही ज़िम्मेदारी, यही सेवकाई सौंपी गई थी।
प्रभु के लोगों में, एक रखवाले या चरवाहे के क्या कार्य होते हैं, उसे प्रभु के “झुण्ड” की चरवाही करने की इस ज़िम्मेदारी को कैसे निभाना है? परमेश्वर के वचन बाइबल में इसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रकार से, पुराने नियम में ही बता दिया गया था। जैसा हमने ऊपर देखा है, प्रभु यीशु को ही कलीसिया का प्रधान रखवाला बताया गया है। इसलिए स्वाभाविक है कि प्रभु परमेश्वर के जीवन और उदाहरण से ही हम इस ज़िम्मेदारी के सर्वश्रेष्ठ निर्वाह के बारे में सीख सकते हैं। इसका सकारात्मक और सर्वोत्तम उदाहरण दाऊद द्वारा लिखित भजन 23 है, जो संक्षेप में किन्तु प्रत्येक बिन्दु का ध्यान करते हुए चरवाहे के कार्य को बता देता है। भजन 23 का आरंभ यहोवा परमेश्वर को चरवाहा बताने के साथ होता है; फिर इससे आगे परमेश्वर द्वारा चरवाहे के रूप में किए गए कार्यों का उल्लेख है:
पद 1 - वह अपनी भेड़ों को कुछ घटी नहीं होने देता है। पौलुस ने परमेश्वर पवित्र आत्मा की अगुवाई में अपने जीवन के उदाहरण से सीखने को बताते हुए लिखा कि जैसे हर दशा में प्रभु उसकी देखभाल करता है, उसे सब कुछ बहुतायत से उपलब्ध है और परमेश्वर उसकी हर आवश्यकता को पूरा करता है - फिलिप्पियों 4 अध्याय पढ़िए, और विशेषकर पद 13, 18, और 19 पर ध्यान कीजिए, वैसे ही प्रभु पौलुस के पाठकों के लिए भी करेगा। कलीसिया के रखवाले को भी उसके झुण्ड के लोगों की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए, उन को उनकी आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त सहायता और प्रावधान उपलब्ध करवाते रहना है जिससे उन्हें कुछ घटी न हो।
पद 2 - वह अपनी भेड़ों को उत्तम भोजन और जल उपलब्ध करवाता है - प्रभु यीशु स्वयं हमारे लिए “जीवन की रोटी” और “जीवन का जल” है (यूहन्ना 4:10, 14; 5:33, 35)। कलीसिया के रखवाले को प्रभु यीशु के वचन और शिक्षाओं के उत्तम आत्मिक भोजन को लोगों तक पहुँचाते रहना है जिससे उनका आत्मिक स्वास्थ्य अच्छा रहे, वे किसी गलत शिक्षा या सांसारिक बातों में भटक कर प्रभु से दूर न चले जाएं।
पद 3 - वह अशान्ति के समय में अपनी भेड़ों को शांति प्रदान करता है, और परमेश्वर के मार्गों में चलने की अगुवाई प्रदान करता है। कलीसिया के रखवाले को भी उसकी कलीसिया के लोगों को शांति, ढाढ़स, सांत्वना, दुख के समय में सहारा और निराशाओं में प्रोत्साहन देने वाला, और संसार की बातों की मिलावट से बचाकर परमेश्वर के खरे मार्गों में अपने झुण्ड को लिए चलने वाला होना चाहिए।
पद 4 - परमेश्वर के लोग उसकी उनके साथ निरंतर बनी उपस्थिति से आश्वस्त और सुरक्षित रहते हैं; अपने सोंटे और लाठी के द्वारा परमेश्वर अपनी भेड़ों को हाँकता भी है, जो इधर-उधर होने लगती हैं, उन्हें हांक कर वापस सही मार्ग में ले आता है; और भक्षक पशुओं से उनकी रक्षा करता है। कलीसिया के रखवाले को वचन रूपी लाठी और सोंटे से अपनी कलीसिया के लोगों को समझाना, सुधारना, सिखाना है, और जहाँ आवश्यक हो उलाहना देना और डांटना भी है (2 तीमुथियुस 3:16; 4:2-4)।
पद 5 - परमेश्वर अपने लोगों की कठिनाइयों में उनकी रक्षा और सहायता करता है; उनके लिए आवश्यक भली वस्तुएं उन्हें उपलब्ध करवाता है। कलीसिया के रखवाले को भी अपने लोगों के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहकर उनकी सहायता करते रहना है, उन्हें सुरक्षा प्रदान करनी है, इधर-उधर भटकने और लज्जित होने से रोक कर रखना है, बचाना है।
पद 6 - परमेश्वर अपने साथ रहने और उस पर भरोसा रखने वाले लोगों को न केवल इस जीवन में उनकी भलाई के लिए आश्वस्त रखता है वरन साथ ही उनके परलोक के अनन्त जीवन के विषय भी आश्वस्त रखता है। कलीसिया के रखवाले को भी अपने लोगों को इस लोक और परलोक के विषय बताना और सिखाना है, तथा उन्हें इस जीवन में तथा परलोक के अनन्त जीवन में सही स्थान पर और सुरक्षित रहना सिखाना है।
कलीसिया के रखवाले के लिए भजन 23 के इस सकारात्मक उदाहरण की तुलना में, यहेजकेल 34 अध्याय में इस्राएल के चरवाहों की अनेकों प्रकार की परमेश्वर की भेड़ों के प्रति लापरवाही और परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता के नकारात्मक व्यवहार का उदाहरण और परमेश्वर द्वारा उनकी भर्त्सना, और उन्हें दण्ड देने, तथा अपनी भेड़ों को संभालने का वर्णन है। यहेजकेल 34 अध्याय में इस्राएल के उन चरवाहों ने जो कुछ किया, आज, कलीसिया के रखवाले को वह नहीं करना है, वरन परमेश्वर के निर्देशों के अनुसार कलीसिया के लोगों की रखवाली करनी है।
यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, और यदि प्रभु परमेश्वर ने आपको अपनी कलीसिया के लोगों के मध्य कोई ज़िम्मेदारी दी है, तो आपकी उन्नति और आशीष अपने मसीही जीवन तथा प्रभु परमेश्वर द्वारा सौंपी गई ज़िम्मेदारी को भली भांति निभाने और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली सही रीति से उसका निर्वाह करते रहने से ही है। परमेश्वर के वचन के सच्चाइयों को सीखने और सिखाने में समय लगाएं, शैतान द्वारा गलत शिक्षाओं को फैलाने वाले झूठे प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की गलत शिक्षाओं को समझने, जाँचने-परखने और उनसे बच कर चलने, तथा औरों को सचेत करने में संलग्न रहें।
यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।” सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।
एक साल में बाइबल पढ़ें:
निर्गमन 39-40
मत्ती 23:23-29
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