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सोमवार, 9 जून 2014

सरल जीवन


   क्या अभिभावक अपने बच्चों को खुश रखने के लिए आवश्यकता से अधिक प्रयास कर रहे हैं? क्या उनके इस प्रयास का प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है? ये वे प्रश्न हैं जिनके साथ लोरि गौटलिब के एक साक्षातकार का परिचय एवं आरंभ दिया गया। लोरि गौटलिब नाखुश जवान व्यक्तियों पर लिखे गए एक लेख की लेखिका हैं और उपरोक्त दोनों प्रश्नों के लिए उनके उत्तर हैं "हाँ"। उनका कहना है कि वे अभिभावक जो अपने बच्चों को जीवन में पराजय या निराशा का सामना करने से बचाए रखते हैं, वे अपने बच्चों को संसार का एक मिथ्या दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं तथा उन्हें व्यसक होने पर जीवन की कटु सच्चाईयों का सामना करने के लिए तैयार नहीं करने पाते हैं। जब उनके बच्चे बड़े होकर संसार की वास्तविकताओं का सामना करते हैं तो वे उन्हें समझने और सही प्रतिक्रीया देने में असमर्थ होते हैं और अपने आप को अन्दर से खाली और चिंताग्रस्त महसूस करते हैं।

   कुछ मसीही विश्वासी भी यह आशा रखते हैं कि परमेश्वर भी उनके लिए एक ऐसा ही पिता रहेगा जो उन्हें किसी भी निराशा या दुख में नहीं जाने देगा। लेकिन परमेश्वर ने ऐसा कोई आश्वासन कभी अपने लोगों को नहीं दिया है और ना ही वह ऐसा पिता है जो अपने बच्चों को यथार्त से अनभिज्ञ रखता है। परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि परमेश्वर अपने लोगों को अपने द्वारा निर्धारित सीमाओं में और अपनी निगरानी में दुखों और प्रतिकूल परिस्थितियों से होकर निकलने देता है (यशायाह 43:2; 1 थिस्सलुनीकियों 3:3)।

   यदि हम इस धारणा के साथ आरंभ करेंगे कि एक सरल जीवन हमें वास्तविक खुशी देगा, तो अपनी इस गलत धारणा को जीने और निभाने के प्रयास में हम थक जाएंगे। लेकिन जब हम इस सच्चाई का सामना करते हुए कि जीवन कठिन है जीवन जीएंगे तो हम अपने जीवन भली रीति और परमेश्वर की इच्छानुसार व्यतीत करने पाएंगे। सही दृष्टिकोण के साथ जीवन निर्वाह करना हमें कठिन समयों के लिए तैयार करता है।

   परमेश्वर का उद्देश्य हमें केवल खुश रखना ही नहीं वरन साथ ही पवित्र बनाना भी है (1 थिस्स्य्लुनीकियों 3:13)। जब हम पवित्र होंगे तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलेंगे भी जिससे परमेश्वर की आशीषों और उसकी शांति को प्राप्त करके हम सन्तुष्टि और खुशी का जीवन भी बिताने पाएंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सन्तुष्ट वह है जिसने मीठे के साथ कड़ुवा भी स्वीकार करना सीख लिया है।

यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। - फिलिप्पियों 4:11-12

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 3:1-13
1 Thessalonians 3:1 इसलिये जब हम से और भी न रहा गया, तो हम ने यह ठहराया कि एथेन्‍स में अकेले रह जाएं। 
1 Thessalonians 3:2 और हम ने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिये भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए। 
1 Thessalonians 3:3 कि कोई इन क्‍लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंकि तुम आप जानते हो, कि हम इन ही के लिये ठहराए गए हैं। 
1 Thessalonians 3:4 क्योंकि पहिले भी, जब हम तुम्हारे यहां थे, तो तुम से कहा करते थे, कि हमें क्‍लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही हुआ है, और तुम जानते भी हो। 
1 Thessalonians 3:5 इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो। 
1 Thessalonians 3:6 पर अभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की। 
1 Thessalonians 3:7 इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्‍लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्‍ति पाई। 
1 Thessalonians 3:8 क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं। 
1 Thessalonians 3:9 और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें? 
1 Thessalonians 3:10 हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें।
1 Thessalonians 3:11 अब हमारा परमेश्वर और पिता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहां आने के लिये हमारी अगुवाई करे। 
1 Thessalonians 3:12 और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए। 
1 Thessalonians 3:13 ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48


रविवार, 8 जून 2014

स्वर्ग में प्रवेश


   मुझे अपने चर्च में आयोजित स्कूल के अवकाश के समय में बच्चों के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम में तीसरी एवं चौथी कक्षा के बच्चों को परमेश्वर के वचन बाइबल की बातें सिखाने का कार्य दिया गया था। मैंने सोचा कि कार्यक्रम के अन्तिम दिन पर मैं अपने सभी छात्रों को एक एक उपहार दूँगा, और यह बात मैंने उन बच्चों को भी बता दी। लेकिन मैंने इसके लिए एक शर्त उनके सामने रखी, उपहार प्राप्त करने के लिए उन्हें मुझे यह बताना होगा कि कोई व्यक्ति स्वर्ग कैसे जा सकता है।

   उस अन्तिम दिन पर उपहार लेने से पहले जो बातें मुझे उन 9 या 10 वर्ष के बच्चों ने बताईं वे काफी रोचक थीं। अधिकांश बच्चे तो यह समझ और जान गए थे कि स्वर्ग पहुंचने का मार्ग प्रभु यीशु से मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार है, लेकिन कुछ अभी भी इस सुसमाचार को समझ नहीं पाए थे, इसलिए वे अपनी समझ के अनुसार जो उन्हें सही लगा वह बता रहे थे। एक बच्चे ने कहा, "अच्छा बनने और सन्डे स्कूल जाने के द्वारा", तो दूसरे ने झिझकते हुए मुझ से ही पूछा "क्या परमेश्वर से प्रार्थना करने के द्वारा?" एक और ने कहा, "यदि आप अपने मित्रों के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे और अपने माता-पिता के आज्ञाकारी रहेंगे।"

   उद्धार पाने तथा स्वर्ग जाने के प्रभु यीशु में उपलब्ध सही मार्ग को समझाने और इन सभी गलत धारणाओं को धीरे से दूर करने के प्रयास में मैंने उन्हें फिर से समझाने का प्रयत्न किया कि प्रभु यीशु द्वारा हमारे पापों को अपने ऊपर उठाकर कलवरी के क्रूस पर बलिदान होने, मारे जाने और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठने के द्वारा हमारे लिए स्वर्ग जाने का मार्ग अब सेंत-मेंत उपलब्ध है। इसलिए अब जो कोई प्रभु यीशु के इस कार्य को स्वीकार कर के पश्चाताप के साथ उससे अपने पापों की क्षमा माँगता है और अपना जीवन उसे समर्पित कर देता है वह उद्धार पाता है, स्वर्ग में जाता है। लेकिन उन बच्चों को एक बार फिर यह सुसमाचार समझाते हुए साथ ही मुझे यह भी ध्यान आया कि इन बच्चों के समान ही संसार में कितने ही जन हैं जो अभी भी सुसमाचार को नहीं समझते और अपनी ही गलत धारणाओं और प्रयासों में जी रहे हैं, अपने ही तरीकों से स्वर्ग जाने के प्रयास कर रहे हैं, जबकि स्वर्ग जाने का मार्ग तो परमेश्वर की ओर से उन्हें सेंत-मेंत उपलब्ध है, उन्हें बस विश्वास के साथ कदम बढ़ाकर उस पर चल निकलना है।

   आज आप की क्या स्थिति है? क्या उद्धार या मोक्ष के बारे में आपके विचार परमेश्वर के विचार और वचन के अनुरूप हैं? क्या आपने कभी प्रभु यीशु द्वारा संसार के सभी लोगों के लिए किए गए कार्य पर गंभीरता से विचार किया है? स्वर्ग में प्रवेश के लिए परमेश्वर आपसे प्रभु यीशु में विश्वास के अलावा और कुछ नहीं मांगता; उसने अपने वचन में लिखवाया है, "प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा" (प्रेरितों 16:31) - क्या आपने यह विश्वास किया है? - डेव ब्रैनन


यह मानना मसीह यीशु मारा गया, इतिहास को मानना है; यह विश्वास करना कि मसीह यीशु मेरे पापों के लिए मारा गया, उद्धार को मानना है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: रोमियों 3:20-28
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है। 
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं। 
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं। 
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। 
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। 
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे। 
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो। 
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण। 
Romans 3:28 इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45


शनिवार, 7 जून 2014

अनियंत्रित अनेपक्षित


   जीवन आक्समिक और आश्चर्यचकित कर देने वाली बातों से भरा हुआ है, जिनमें से कुछ जीवन की धारा को ही किसी अप्रीय दिशा में मोड़ देती हैं। मुझे अभी तक वह सदमा स्मरण है जो कई दशक पहले हमारे पिताजी को नौकरी से निकाले जाने के कारण हमें लगा था, जबकि पिताजी की कोई गलती भी नहीं थी। अब घर चलाने और बच्चों की परवरिश करने का साधन अचानक ही जाता रहा था, और यह हम सब के लिए एक बड़ा आघात था। लेकिन यद्यपि पिताजी की नौकरी जाना उनके नियंत्रण के बिलकुल बाहर था और पूर्णतः अनेपक्षित था, फिर भी वे यह जानते और विश्वास रखते थे कि वे परमेश्वर पर अपने भविष्य के लिए निर्भर रह सकते हैं।

   हम मसीही विश्वासियों को भी यह स्मरण रखना चाहिए कि जीवन में कई बातें हमारे नियंत्रण से बाहर और अनेपक्षित होती हैं। ऐसी परिस्थितियों का सामना करने में सहायाता प्रदान करने के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब की पत्री में कुछ बातें लिखी हैं: "तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जा कर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार कर के लाभ उठाएंगे। और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है। इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे" (याकूब 4:13-15)। याकूब ने जिन लोगों को यह पत्री लिखी थी वे अपनी योजनाएं तो बना रहे थे किंतु इस बात का ध्यान नहीं रख रहे थे कि परमेश्वर ही उनके भविष्य को निर्धारित करने वाला है।

   तो क्या फिर भविष्य के लिए योजनाएं बनाना गलत है? जी नहीं, बिल्कुल नहीं; लेकिन यह बात नज़रंदाज़ कर देना कि परमेश्वर कुछ "अनियंत्रित और अनेपक्षित" भी कर सकता है, गलत है। परमेश्वर अपने बच्चों के लिए और उनके जीवन में जो भी करता है, होने देता है, वह अन्ततः उनके भले के लिए ही होता है; चाहे उस समय वह भला दिखाई ना भी दे। इसलिए अपनी हर योजना में परमेश्वर को स्थान और नियंत्रण देना और उसकी ओर से आने वाली हर परिस्थिति को विश्वास के साथ स्वीकार करना हमारे लिए भला है, चाहे वह "अनियंत्रित और अनेपक्षित" ही क्यों ना हो। - बिल क्राउडर


चाहे हम मसीही विश्वासी यह नहीं जानते कि भविष्य में क्या होगा; लेकिन हम उसे जानते हैं जो भविष्य को निर्धारित करता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: याकूब 4:13-17
James 4:13 तुम जो यह कहते हो, कि आज या कल हम किसी और नगर में जा कर वहां एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार कर के लाभ उठाएंगे। 
James 4:14 और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है। 
James 4:15 इस के विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे। 
James 4:16 पर अब तुम अपनी ड़ींग पर घमण्‍ड करते हो; ऐसा सब घमण्‍ड बुरा होता है। 
James 4:17 इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42


शुक्रवार, 6 जून 2014

बेहतर स्थान


   मेरी सहेली मार्सी के ससुर के देहांत के पश्चात मार्सी ने उनकी मन-पसन्द मिठाई पाइनैप्पल सैलड बनाना बन्द कर दिया। एक दिन उसके छोटे बेटे ने उससे पूछा कि अब वह उस मिठाई को बनाकर भोजन के साथ क्यों नहीं परोसती है? मार्सी ने उत्तर दिया, "उससे मुझे पापा की याद हो आती है और मैं दुखी होती हूँ; उन्हें वह बहुत पसन्द थी।" उसके बेटे ने तुरंत मासूमियत से उत्तर दिया, "स्वर्ग से अधिक तो पसन्द नहीं होगी!"

   उस छोटे बच्चे का विचार सही था; स्वर्ग वास्तव में एक बहुत बेहतर स्थान है। जब कभी हम अपने किसी दिवंगत प्रीय जन को याद करके दुखी हों तो स्वर्ग का यह दृष्टिकोण हमारे दुख को कम कर सकता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि स्वर्ग पृथ्वी से बेहतर क्यों है, और हमारे दिवंगत प्रीय जन जो वहाँ पहुँचे हैं वे वहाँ पर अधिक प्रसन्न क्यों होंगे:
  • स्वर्ग परमेश्वर का घर है जहाँ परमेश्वर के अनुयायी अनन्त काल तक उसकी उपस्थिति में आनन्दित रहेंगे (प्रकाशितवाक्य 21:3-4)।
  • स्वर्ग हर तरह से अधिक आरामदेह है, वहाँ के निवासी ना तो बीमार होते हैं और ना परेशान (प्रकाशितवाक्य 21:4), और ना ही वे भूखे या प्यासे होते हैं (प्रकाशितवाक्य 7:16)।
  • स्वर्ग एक अति सुन्दर स्थान है, वहाँ परमेश्वर के सिंहासन से "...बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की एक नदी..." बहती है (प्रकाशितवाक्य 22:1), और परमेश्वर स्वयं ही वहाँ की ज्योति है (प्रकाशितवाक्य 22:5)।

   क्या इस संसार की चीज़ें कभी आपको उन मसीही विश्वासियों का स्मरण कराती हैं जो अगली दुनिया में चले गए हैं? यदि हाँ, तो साथ ही यह भी ध्यान रखिए कि वे लोग एक बेहतर स्थान में हैं, अधिक प्रसन्न हैं। - जेनिफर बेनसन शुल्ट


पृथ्वी के सुखों की तुलना स्वर्ग के आनन्द से कभी करी नहीं जा सकती।

तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। - भजन 16:11

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 21:4-11
Revelation 21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। 
Revelation 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं। 
Revelation 21:6 फिर उसने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा। 
Revelation 21:7 जो जय पाए, वही इन वस्‍तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा। 
Revelation 21:8 पर डरपोकों, और अविश्वासियों, और घिनौनों, और हत्यारों, और व्यभिचारियों, और टोन्‍हों, और मूर्तिपूजकों, और सब झूठों का भाग उस झील में मिलेगा, जो आग और गन्‍धक से जलती रहती है: यह दूसरी मृत्यु है।
Revelation 21:9 फिर जिन सात स्‍वर्गदूतों के पास सात पिछली विपत्तियों से भरे हुए सात कटोरे थे, उन में से एक मेरे पास आया, और मेरे साथ बातें कर के कहा; इधर आ: मैं तुझे दुल्हिन अर्थात मेम्ने की पत्‍नी दिखाऊंगा। 
Revelation 21:10 और वह मुझे आत्मा में, एक बड़े और ऊंचे पहाड़ पर ले गया, और पवित्र नगर यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते दिखाया। 
Revelation 21:11 परमेश्वर की महिमा उस में थी, ओर उस की ज्योति बहुत ही बहुमूल्य पत्थर, अर्थात बिल्लौर के समान यशब की नाईं स्‍वच्‍छ थी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 37-39


गुरुवार, 5 जून 2014

बस एक बार


   अपने लड़कपन में मैं गो-कार्ट चलाया करता था, जो लकड़ी के तखते पर लगा एक छोटा ईंजन, चार पहिए और उसे दाएं-बाएं मोड़ने के लिए एक हत्था होता था। यह गो-कार्ट कुछ खास गति से तो नहीं चल पाती थी, लेकिन बच्चों को गाड़ी चलाने का सा अनुभव अवश्य कराती थी। मेरे माता-पिता के कड़े निर्देश थे कि गो-कार्ट चलाते हुए अपने घर की गली से सड़क पर आते समय मैं सड़क पर दोनों तरफ देखकर सुनिश्चित कर लूँ कि कोई अन्य गाड़ी तो नहीं आ रही है, तभी अपनी गो-कार्ट को सड़क पर मोड़ूँ। एक दिन जब मैं गो-कार्ट चलाते हुए गली से सड़क पर मुड़ने लगा तो मेरे मन में आया, "क्या फर्क पड़ता है, बस एक बार आज ऐसे ही मोड़ लेता हूँ" और मैंने बिना सड़क पर ध्यान करे अपनी गो-कार्ट सड़क पर मोड़ ली। तुरंत ही बड़े ज़ोर से ब्रेक लगने की आवाज़ आई और एक कार मुझसे टकराते टकराते बची। अपने माता-पिता के निर्देशों की अवहेलना करना मेरे लिए घातक होते होते रह गया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ लोगों ने, यह जानते हुए भी कि ऐसा करना परमेश्वर के निर्देशों के खिलाफ है, सोचा बस एक बार ऐसा कर लेने से कुछ होने वाला नहीं है, कुछ गलत किया और फिर अपने जीवन में उस अनाज्ञाकारिता के बड़े दुषपरिणाम उन्हें उठाने पड़े।

   दाऊद बचपन से ही, जब वह अपनी भेड़ें चरा रहा होता था, परमेश्वर की आज्ञाओं और बातों पर मनन करता आया था। वह जानता था कि परमेश्वर द्वारा दी गई दस आज्ञाओं में से सातवीं आज्ञा सिखाती है कि व्यभिचार गलत है और परमेश्वर उसकी भर्तसना करता है। लेकिन राजा बन जाने के बाद जब दाऊद ने एक सुन्दर स्त्री को स्नान करते देखा तो उसने अपनी राजसी ताकत का दुरुपयोग किया और उस स्त्री को अपने पास बुलवा लिया और व्यभिचार में पड़ गया। वह स्त्री उसके एक सेनापति उरियाह की पत्नि थी, इसलिए अपने पाप को छुपाने के लिए दाऊद ने उरियाह को युद्ध में घात भी करवा दिया। उसके ये पाप उसे बहुत भारी पड़े और परिणामस्वरूप उसे अपने परिवार तथा राज्य में बहुत मुसीबतों और ताड़नाओं का सामना करना पड़ा (2 शमूएल 11-12)। इसीलिए वह अपने एक भजन में लिखता है, "तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा" (भजन 19:13)।

   क्या कभी आप इस प्रलोभन में पड़े हैं कि "बस एक बार" यह करके देखते हैं, यह जानते हुए भी कि जो आप करना चाह रहे हैं वह गलत है, अनुचित है? यह उन सामन्य सी लगने वाली बातों के लिए हो सकता है जैसे कि इंटरनैट पर अश्लील चित्रों पर एक झलक मार लेना, किसी के द्वारा या दफतर से कार्य करने के लिए दिए गए पैसों में से अपने कार्यों के लिए कुछ पैसे "उधार" ले लेना, या किसी सत्य को वैसा ना बता कर उसे बढ़ा-चढ़ा कर या फिर गोल-मोल करके बयान करना, आदि। इनमें से या इनके समान कोई भी गलत कार्य अपने आप में किया गया अकेला ही कार्य हो सकता है, लेकिन उसके दुषपरिणाम बहुत बड़े और परेशान करने वाले हो जाएंगे।

   परमेश्वर और उसके वचन बाइबल के आधीन रहें, पापों से पश्चाताप करें और परमेश्वर द्वारा दिए गए मार्ग - प्रभु यीशु मसीह में होकर उन दुषपरिणामों से निकलें। - डेनिस फिशर


प्रलोभन तो आपका द्वार खटखटाएंगे ही, उनके लिए ना तो द्वार खोलें और ना ही उन्हें अन्दर आने का अवसर दें।

वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है। इसलिये परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा। - याकूब 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 19:7-14
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 34-36


बुधवार, 4 जून 2014

अन्दरूनी परिवर्तन


   मुझे नाटकीय मोड़ों और जीवन के लिए बहुमूल्य शिक्षाओं से भरी हुई योना नबी की कहानी बहुत पसन्द है। परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई इस कहानी का नायक, परमेश्वर का नबी योना, परमेश्वर से निर्देश पाता है कि गैरयहूदी और दुष्ट निनवे-वासियों के पास जाए और उन्हें पश्चाताप कर के परमेश्वर की ओर मुड़ने को कहे क्योंकि उनकी दुष्टता बहुत बढ़ गई है और परमेश्वर का न्याय उन पर आने वाला है। योना, जो निनवे-वासियों से बैर रखता था, अपनी ढिठाई में परमेश्वर के निर्देश की अवहेलना करता है, परन्तु परमेश्वर उसे उस ज़िम्मेदारी से भागने नहीं देता और अन्ततः योना निनवे जाकर वहाँ पापों से पश्चाताप और परमेश्वर की ओर मुड़ने का प्रचार करता है। उसके एक ही प्रचार से वहाँ बड़ा परिवर्तन आता है और वहाँ के राजा से लेकर प्रजा तक का हर व्यक्ति पश्चाताप में परमेश्वर के सामने झुक जाता है। उनके इस पश्चाताप को देख कर परमेश्वर उन पर आने वाले दण्ड की अपनी आज्ञा रोक लेता है और उन्हें क्षमा कर देता है।

   योना के इस प्रचार और उसके अद्भुत प्रभाव से निश्चय ही वह अपने समय का सफलतम प्रचारक बन गया होगा, और हर कोई यह आशा रखेगा कि निनवे के लोगों के पश्चाताप और परमेश्वर की ओर मुड़ने तथा परमेश्वर के उन्हें क्षमा कर देने को देख कर योना बहुत प्रसन्न हुआ होगा; लेकिन इसके विपरीत योना परमेश्वर की इस क्षमा को देखकर बहुत खिसिया! यद्यपि योना ने बाहर से परिवर्तित प्रतीत होकर परमेश्वर के निर्देशानुसार सही स्थान पर सही कार्य तो करा, लेकिन उसका व्यवहार दिखाता है कि योना में अन्दरूनी परिवर्तन नहीं हुआ था; वह निनवे के लोगों के प्रति अपने बैर को दबाए नहीं रख सका, और परमेश्वर के महान कार्य को वहाँ होता देख कर भी वह निनवे-वासियों के प्रति अपने बैर में बना ही रहा।

   यदि हम मसीही विश्वासी भी सचेत ना रहें तो हम भी योना के समान ही बाहर से परमेश्वर के आज्ञाकारी दिखने वाले किंतु अन्दर से परमेश्वर से दूर रहने वाले हो सकते हैं। परमेश्वर हमारे बाहरी स्वरूप और कार्यों को नहीं देखता वरन हमारे हृदय की दशा और अन्दरूनी विचार-व्यवहार पर नज़र रखता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि, "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों 4:12); और परमेश्वर अपने इसी वचन से हमारी आत्मिक शल्य-चिकित्सा करता है, हमारे हृदय की गहराइयों में छिपे और बसे लोभ, बेईमानी, घृणा, घमण्ड, स्वार्थ आदि दुर्भावनाओं को प्रकट करता, उन्हें काटता तथा बाहर निकालता है।

   इसलिए जब अगली बार परमेश्वर का वचन आपकी वास्तविकता आपको दिखाए तथा परमेश्वर का पवित्र आत्मा आपको किसी बात के लिए कायल करे तो अपनी आत्मिक-शल्यचिकित्सा के लिए अपने आप को उसे पूर्ण रूप से सौंप दीजिए, उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनिए और जो कुछ दूर करना है उसे कीजिए जिससे वह अन्दरूनी परिवर्तन के द्वारा आपको वास्तविक रीति से और भी बेहतर एवं आशीशित बना सके। - जो स्टोवैल


जब परमेश्वर आपको अन्दर से नियंत्रित करेगा तब ही आप बाहर से खरे रहेंगे।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमिथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: योना 4:1-11
Jonah 4:1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का। 
Jonah 4:2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलम्ब से कोप करने वाला करूणानिधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता। 
Jonah 4:3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है। 
Jonah 4:4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है? 
Jonah 4:5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा? 
Jonah 4:6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ। 
Jonah 4:7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया। 
Jonah 4:8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है। 
Jonah 4:9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता। 
Jonah 4:10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाई है। 
Jonah 4:11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहिचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-33


मंगलवार, 3 जून 2014

शब्द एवं व्यवहार


   मैं अपनी पत्नि के साथ एक विशेष मसीही संगीत कार्यक्रम देखने के लिए एक चर्च में गया। वहाँ बैठने के लिए अच्छा स्थान लेने के उद्देश्य से हम कार्यक्रम आरंभ होने के समय से पहले ही पहुँच गए और स्थान ग्रहण कर लिए। हमारे निकट ही उस चर्च के दो सदस्य बैठे थे जो आपस में बातचीत कर रहे थे और उनकी बातचीत हम तक स्पष्ट सुनाई दे रही थी। उनकी बातचीत अपने चर्च और उसकी हर बात से संबंधित आलोचना थी। उन्होंने वहाँ के पादरियों की, नेतृत्व की, संगीत की, सेवकाई प्राथमिकताओं की और चर्च के कार्य से संबंधित अन्य सभी बातों की, सभी की आलोचना करी। अपनी इस आलोचना और कटुता को करते हुए वे या तो अपने मध्य हम दो आगन्तुकों के बारे में बेपरवाह थे या फिर अनभिज्ञ।

   मैं सोचने लगा कि यदि हम इस शहर में नए होते तथा आराधना और संगति के लिए कोई स्थान ढूँढ़ रहे होते तो उनकी यह आलोचनात्मक बातचीत सुनकर इस चर्च से चले जाते। इससे भी बुरी बात यह कि यदि हम परमेश्वर के खोजी होकर इस चर्च में आए होते तो फिर परमेश्वर के संबंध में हमारे विचारों और हमारी खोज का क्या परिणाम होता? उनकी यह आलोचना तथा कटुता केवल शब्द एवं व्यवहार की ही बात नहीं थी, वरन और भी गंभीर बात यह थी कि उन्होंने अपने शब्दों के दूसरों पर होने वाले दुषप्रभाव की भी कोई परवाह नहीं करी।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि हमें अपने शब्दों को कैसे प्रयोग करना चाहिए; राजा सुलेमान ने नीतिवचनों में लिखा, "जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है" (नीतिवचन 17:27)। कहने का तात्पर्य यह है कि हम ऐसे शब्द बोलें और ऐसा व्यवहार करें जो शांति और मेल-मिलाप को बढ़ावा दें ना कि नासमझी के साथ वह सब कुछ बोलते रहें जो हम सोचते हैं या जानते हैं या समझते हैं कि हम जानते हैं, क्योंकि कौन हमारे शब्द सुन रहा है और उनका क्या प्रभाव होगा संभवतः हम इस बात से अनभिज्ञ हों! - बिल क्राउडर


सावधानी और सोच-समझ कर कहे गए शब्द वाकपटुता से कहीं भले होते हैं।

जहां बहुत बातें होती हैं, वहां अपराध भी होता है, परन्तु जो अपने मुंह को बन्द रखता है वह बुद्धि से काम करता है। - नीतिवचन 10:19

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 28-30