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शुक्रवार, 31 मई 2013

गलत चुनाव


   टेलिविज़न पर बुलाए गए मेहमानों से वार्ता करने और भिन्न बातों के प्रति उनके विचार जानने वाले एक कार्यक्रम में प्रस्तुतक्रता लैरी किंग ने एक वृद्ध टेलिविज़न स्टार से पूछा कि स्वर्ग के बारे में उनकी क्या राय है। यह प्रश्न पूछने से पहले लैरी किंग ने सुप्रसिद्ध और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुसमाचार प्रचारक बिली ग्राहम द्वारा दिए गए इसी प्रश्न के उत्तर को उन्हें बताया जिसमें बिली ग्राहम ने कहा था कि वे जानते हैं कि आगे उनके लिए क्या रखा हुआ है - वे स्वर्ग में होंगे। किंग ने उस मेहमान टेलिविज़न स्टार से पूछा, "आप का विश्वास क्या है?" मेहमान ने उत्तर दिया, "मुझे बहुत चहल-पहल और गतिविधि का जीवन पसन्द है। मुझे लगता है कि स्वर्ग एक बहुत शांत और नीरस स्थान होगा जबकि नरक में बहुत गतिविधि होगी - जो मुझे अधिक पसन्द है।"

   दुख की बात है कि यह व्यक्ति इस राय को रखने में अकेला नहीं है; संसार के बहुत से लोग यही या इससे मिलती जुलती राय रखते हैं। उनके लिए शैतान के साथ नरक में रहना एक अधिक रोचक विकल्प है। मैंने बहुत से लोगों को कहते सुना है क्योंकि उनके मित्र नरक में ही होंगे इसलिए वे भी वहीं जाना चाहते हैं। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, "यदि नरक वास्तविक है तो वह कोई बुरा स्थान नहीं होगा क्योंकि बहुत से दिलचस्प लोग वहाँ मिलेंगे।"

   इस प्रकार की विचारधारा रखने वाले भरमाए गए लोगों को यह कैसे समझाया जा सकता है कि नरक उनकी कलपना जैसा कोई विनोद का स्थान नहीं है, और उससे बचकर रहना ही भला है। एक तरीका हो सकता है उन्हें नरक की वास्तविकता के बारे में बताने के द्वारा। परमेश्वर के वचन बाइबल में नरक की कई बातें बताई गई हैं, जैसे, वह आग की झील है (प्रकाशितवाक्य 20:15); एक अनन्त बदनामी और घिनौनेपन का स्थान है (दानिएल 12:2); वह घोर पीड़ा और तड़पने का स्थान है जहाँ से कोई फिर कभी बाहर नहीं निकल सकता (लूका 16:23-26); वहाँ कोई आमोद-प्रमोद या मस्ती नहीं वरन सदाकाल का रोना और दांतों का पीसना ही होगा (मत्ती 8:12) और प्रकाशितवाक्य 14:11 में लिखा है कि जो नरक में होंगे "उन की पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा"।

   स्पष्ट है कि बाइबल के सत्य किसी को यह सोचने की अनुमति नहीं देते कि नरक एक रोचक और मज़ेदार स्थान होगा। ज़रा सोचिए, यदि किसी छोटी सी चोट की पीड़ा, या फिर कुछ समय का सिरदर्द या थोड़ा बुखार तबियत को ऐसा कर देता है कि ना मित्रों और ना आमोद-प्रमोद की बातों और ना किसी हँसी-मज़ाक में कोई रुचि रहती है, वरन ये उस कष्ट को और बढ़ाते ही लगते हैं, तो नरक की भयानक और कलपना से परे पीड़ा में क्या किसी को मित्र मण्डली, दिलचस्प लोगों और हँसी-ठिठोली का कोई होश या इच्छा रह सकेगी? उस भयानक पीड़ा के साथ यदि कुछ होगा तो नरक से बचने के उन जान बूझकर गवाँए गए अवसरों के लिए अति गहन शोक तथा ग्लानि की पीड़ा। आज यह चुनाव करने का अवसर आप के पास है; परमेश्वर की चेतावनियों के बावजूद अपने लिए जो भी चुनाव आप करेंगे, उसी चुनाव का निर्वाह बाद में परमेश्वर को करना पड़ेगा और उन परिणामों के ज़िम्मेदार परमेश्वर नहीं आप स्वयं होंगे।

   अपने हाथों अपना सर्वनाश मत कीजिए, अपने अनन्त भविश्य के लिए नरक को मत चुनिए, यह बहुत गलत चुनाव है - जो एक बार वहाँ गया वह फिर कदापि किसी रीति वहाँ से बाहर नहीं आ सकेगा। प्रभु यीशु मसीह में सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा स्वीकार करके अनन्त काल तक परमेश्वर की संगति तथा अवर्णननीय आनन्द के स्थान स्वर्ग में आज और अभी अपना स्थान सुनिश्चित कर लीजिए। - डेव ब्रैनन


जिस मसीह यीशु ने स्वर्ग के वैभव और आनन्द की बात कही है, वह ही नरक की भयानक पीड़ा तथा वीभत्सता को भी बताता है।

और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये। - दानिएलl 12:2 

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 20:11-15
Revelation 20:11 फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उसको जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिस के साम्हने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उन के लिये जगह न मिली।
Revelation 20:12 फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्‍तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्‍तक खोली गई; और फिर एक और पुस्‍तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्‍तक; और जैसे उन पुस्‍तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।
Revelation 20:13 और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।
Revelation 20:14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
Revelation 20:15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 13-14 
  • यूहन्ना 12:1-26



गुरुवार, 30 मई 2013

श्रद्धा


   अमेरिका में सैनिकों के लिए बने कब्रिस्तानों में से एक है ’आर्लिंगटन नैशनल सिमेट्री’; यहाँ पर एक कब्र बनी है "अनजाने सैनिकों के लिए", अर्थात उन सैनिकों के लिए जिन्होंने देश पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए लेकिन किसी कारणवश उनकी पहचान नहीं हो पाई और उनके शव वापस देश लाकर दफनाए नहीं जा सके। उन बेनाम और बेपहचान शहीदों को सम्मान और श्रद्धा देने के लिए वहाँ लगातार एक सैनिक दस्ता तैनात रहता है जिसके सद्स्य वहाँ अपनी ड्यूटी के समय लगातार मार्च करते रहते हैं, चाहे मौसम कैसा भी हो। जब ड्यूटी बदलने का समय आता है तो एक गंभीर किंतु भव्य सादगी के साथ यह रस्म अदा की जाती है और बहुत से लोग उन अनजाने सैनिकों के प्रति, जिनके नाम केवल परमेश्वर जानता है, दी गई इस श्रद्धांजलि को देखने आते हैं। लेकिन उस कब्र पर कोई देखने वाला हो या ना हो, उन सैनिकों का मार्च करना वैसे ही चलता रहता है।

   सितंबर 2003 में जब एक भारी चक्रवाधी तूफान उस इलाके की ओर बढ़ रहा था तो उस तूफान की तीव्रता को देखते हुए उन सैनिकों को अनुमति दी गई कि यदि वे चाहें तो तूफान की तीव्रता के समय में कब्र से हटकर विश्रामग्रह में जाकर तूफान गुज़र जाने की प्रतीक्षा कर सकते हैं। लेकिन किसी को भी सैनिकों के निर्णय से कोई अचंभा नहीं हुआ जब उन्होंने तूफान के पूरे समय भी अपने दिवंगत साथीयों को श्रद्धांजली देना नहीं छोड़ा और अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी ड्यूटी पर बने रहे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 6:1-6 में प्रभु यीशु की शिक्षाएं भी कुछ इसी आशय की हैं - प्रभु यीशु के प्रति उनके शिष्यों की निरन्तर, निस्वार्थ श्रद्धा और समर्पण। शिष्यों को भले कार्यों और पवित्र जीवन में बने तो रहना है, परन्तु संसार को दिखाने और अपने लिए यश या कीर्ति कमाने के उद्देश्य से नहीं वरन अपने प्रभु की आज्ञाकारिता और उपासना के लिए (पद 4-6)। प्रेरित पौलुस ने भी इसी बात और मसीही जीवन के प्रति ऐसे ही नज़रिए की पुष्टि करी जब रोम के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उसने लिखा, "इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है" (रोमियों 12:1)।

   हे प्रभु, होने दे कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक, दोनों ही जीवन सदा ही आपके प्रति हमारे समर्पण और श्रद्धा के सच्चे गवाह बने रहें। - रैण्डी किल्गोर


हम जितना मसीह की सेवा में बढ़ते जाएंगे, हमारी स्वार्थ की सेवा उतनी ही कम होती जाएगी।

सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। - मत्ती 6:1 

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-6
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे।
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके।
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए।
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 10-12 
  • यूहन्ना 11:30-57



बुधवार, 29 मई 2013

बढ़ते रहो


   हाल ही की एक यात्रा में मेरी पत्नि को सीट एक ऐसी महिला के साथ मिली जिसका छोटा बेटा पहली बार हवाई यात्रा कर रहा था। अपनी इस पहली हवाई यात्रा का भरपूर आनान्द उठाने को वह बच्चा खिड़की के साथ वली सीट पर बैठ गया था और अपना चेहरा बाहर का नज़ारा देखते रहने के लिए खिड़की से लगा लिया। वायुयान के उड़ान भरते ही वह विसमित होकर ऊँची आवाज़ में बोला, "माँ देखो हम कितने ऊँचे आ गए हैं, नीचे सब कुछ कितना छोटा होता जा रहा है।" फिर थोड़ी देर बाद वह फिर वैसे ही बोल उठा, "क्या नीचे वे बादल हैं? वे हमारे नीचे कैसे आ गए?" समय बीतने के साथ बाकी यात्री या तो कुछ पढ़ने लगे, या ऊँघने लगे या अपने सामने लगे टेलिविज़न स्क्रीन पर वीडियो देखने लगे। लेकिन यह बालक खिड़की से चिपका बैठा रहा और आँखें फाड़े जो दिख सकता था मन्त्रमुग्ध होकर वह देखता रहा, पूरी यात्रा में ऐसे ही उसका कौतहूल बना रहा, उसकी टिप्पणियाँ चलती रहीं।

  मसीही जीवन की यात्रा करने वाले ’अनुभवी’ लोगों के लिए इस यात्रा का कौतुहल खो बैठने का खतरा बना रहता है। परमेश्वर का वचन जो कभी हमें बड़ा रोमांचक लगता था अब जाना-पहचाना और महज़ शैक्षणिक लगने लगता है। हम सुस्त होकर केवल दिमाग़ से ही प्रार्थना करने वाले बन जाते हैं ना कि हृदय से निकलने वाली प्रार्थनाएं करने वाले। ये लक्षण हैं कि हमारी मसीही यात्रा एक औपचारिकता बन गई है, परमेश्वर की अदभुत बातों की खोज की यात्रा नहीं रही - हम एक खतरनाक स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं।

   प्रेरित पतरस ने मसीही अनुयायियों को लिखी अपनी पत्री में उनसे आग्रह किया कि वे अपने विश्वास, सदगुण, ज्ञान, आत्मसंयम, धीरज, भक्ति, भाईचारे की प्रीति और प्रेम में लगातार बढ़ते चले जाएं (2 पतरस 5-7) - किसी एक स्थान पर रुक नहीं जाएं, शिथिल ना पड़ जाएं, वरन आगे, और आगे की ओर चलते जाएं - इसी से वे अपने उद्धारकर्ता और प्रभु, मसीह यीशु के लिए कार्यकारी और फलवन्त होने पाएंगे: "क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी" (2 पतरस 1:8)। अन्यथा आत्मिक अन्धापन उन्हें घेर लेगा और वे अपने उद्धार पाने को भुला बैठेंगे: "और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है" (2 पतरस 1:9)।

   मसीही जीवन एक स्थान पर पहुँचकर स्थिर होकर बैठ जाने का जीवन नहीं है वरन सारी उम्र परिपक्वता की ओर अग्रसर रहने जीवन है। जब तक जीवन है, प्रत्येक मसीही विश्वासी को मसीह यीशु और उसके वचन को जानने में आगे, और आगे बढ़ते ही रहने के प्रयास में रत रहना है। इस प्रयास के लिए अनिवार्य है हमारे उस आरंभिक कौतहूल का बने रहना। यदि वह कौतहूल ठंडा पड़ गया, यदि परमेश्वर से नित प्रायः कुछ नया प्राप्त करने की जिज्ञासा जाती रही तो आत्मिक अन्धापन और शिथिल जीवन दूर नहीं। प्रभु हम पर अपना अनुग्रह बनाए रखे जिससे अपनी पहली हवाई यात्रा कर रहे उस बालक के समान हम लगातार, अपनी पूरी जीवन यात्रा में कुछ नया देखने और खोजने को लालायित बने रहें। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीह में लगातार बढ़ते जाने के लिए मसीह के वचन की गहराईयों को लगातार खोजते रहना अनिवार्य है।

क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी। - 2 पतरस 1:8

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:2-11
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए।
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से संबंध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है।
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है।
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे।
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल: 

  • 2 इतिहास 7-9 
  • यूहन्ना 11:1-29



मंगलवार, 28 मई 2013

पहले सुनो फिर करो


   वह खिसियाया हुआ था, क्रोधित था और बार-बार हर बात के लिए, वजह-बेवजह दोषी ठहराए जाने से थक चुका था। साल-दर-साल वह उन्हें एक के बाद एक समस्याओं से निकालता आया था; वह लगातार उनके लिए विनती निवेदन करके उन्हें कोप में पड़कर नाश होने से बचाता आया था। लेकिन बड़े धीरज के साथ इतना सब करने पर भी प्रत्युत्तर में उसे केवल और अधिक दुख ही मिला था। अब फिर वही परिस्थिति एक बार फिर बन गई थी और वह अपने आप को बेवजह इलज़ाम में पड़े हुए पा रहा था। रोष से भड़ककर उसने उन लोगों से कहा: "... हे दंगा करने वालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?" (गिनती 20:10)।

   उसकी यह बात सुनने में असंगत लगती है, लेकिन थी नहीं। लगभग चालीस वर्ष पहले उन लोगों की पिछली पीढ़ी ने भी यही शिकायत करी थी - पानी नहीं है। तब परमेश्वर ने मूसा को एक चट्टान दिखाकर उससे कहा कि अपनी लाठी से वह चट्टान को मारे (निर्गमन 17:6)। जब मूसा ने परमेश्वर के निर्देश के अनुसार किया तो उस चट्टान में से बहुतायत से पानी बह निकला। अब जब वही परिस्थिति उसके सामने फिर से खड़ी थी तो मूसा ने फिर एक बार वही किया जो उसने पहले किया था - चट्टान पर लाठी मारी, लेकिन वह नहीं किया जो उसे करना चाहिए था और जो वह इस्त्राएलियों को करना सिखा रहा था - परमेश्वर की सुनना। इस बार परमेश्वर ने मूसा से चट्टान से पानी देने को कहने के लिए बोला था ना कि उसे मारने के लिए। अपने रोष और खिसियाहट में मूसा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता कर बैठा; चट्टान से पानी तो अवश्य निकला लेकिन अनाज्ञाकारिता का दण्ड भी मूसा को उठाना पड़ा, चालीस साल की यात्रा और दिक्कतों का सामना करने के बाद भी परमेश्वर ने उसे उस वाचा किए हुए देश में जाने से रोक दिया जिसकी आस लगाए वह इस्त्राएलियों को लिए चल रहा था।

   कई बार थकान, रोष खिसियाहट आदि में हम परमेश्वर की ओर ध्यान नहीं देते हैं; उसकी सुनने की बजाए बस वही करते जाते हैं जो पहले करते आए हैं। हम यह मान लेते हैं कि जो पहले होता था वही अब भी होगा। परमेश्वर जैसे पहले काम करता था वैसे ही अब भी करेगा; लेकिन सदा ही यह नहीं होता। परमेश्वर कभी हम से कार्य करने को कहता है, कभी करने की बजाए कुछ बोलने को कहता है और कभी ना तो कुछ बोलने को और ना ही कुछ करने को वरन केवल धीरज के साथ प्रतीक्षा करने को कहता है। हमारी आशीष और प्रतिफल उसकी सुनकर समझकर उसके बाद निर्देशानुसार ही कार्य करने में है। बिना जाने-सोचे-समझे अपनी ही इच्छानुसार परमेश्वर के नाम से कोई भी कार्य करने या कुछ कहने के अन्जाम अच्छे नहीं होते क्योंकि परमेश्वर को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

   परमेश्वर के लिए कार्य करना है तो पहले उसकी सुनो फिर उसके कहे अनुसार करो। - जूली एकैरमैन लिंक


पहले आज्ञा जानो - फिर आज्ञा मानो।

उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा कर के उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला। - गिनती 20:8 

बाइबल पाठ: गिनती 20:1-13
Numbers 20:1 पहिले महीने में सारी इस्त्राएली मण्डली के लोग सीनै नाम जंगल में आ गए, और कादेश में रहने लगे; और वहां मरियम मर गई, और वहीं उसको मिट्टी दी गई।
Numbers 20:2 वहां मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; सो वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए।
Numbers 20:3 और लोग यह कहकर मूसा से झगड़ने लगे, कि भला होता कि हम उस समय ही मर गए होते जब हमारे भाई यहोवा के साम्हने मर गए!
Numbers 20:4 और तुम यहोवा की मण्डली को इस जंगल में क्यों ले आए हो, कि हम अपने पशुओं समेत यहां मर जाएं?
Numbers 20:5 और तुम ने हम को मिस्र से क्यों निकाल कर इस बुरे स्थान में पहुंचाया है? यहां तो बीज, वा अंजीर, वा दाखलता, वा अनार, कुछ नहीं है, यहां तक कि पीने को कुछ पानी भी नहीं है।
Numbers 20:6 तब मूसा और हारून मण्डली के साम्हने से मिलापवाले तम्बू के द्वार पर जा कर अपने मुंह के बल गिरे। और यहोवा का तेज उन को दिखाई दिया।
Numbers 20:7 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
Numbers 20:8 उस लाठी को ले, और तू अपने भाई हारून समेत मण्डली को इकट्ठा कर के उनके देखते उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी; इस प्रकार से तू चट्टान में से उनके लिये जल निकाल कर मण्डली के लोगों और उनके पशुओं को पिला।
Numbers 20:9 यहोवा की इस आज्ञा के अनुसार मूसा ने उसके साम्हने से लाठी को ले लिया।
Numbers 20:10 और मूसा और हारून ने मण्डली को उस चट्टान के साम्हने इकट्ठा किया, तब मूसा ने उस से कह, हे दंगा करने वालो, सुनो; क्या हम को इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?
Numbers 20:11 तब मूसा ने हाथ उठा कर लाठी चट्टान पर दो बार मारी; और उस में से बहुत पानी फूट निकला, और मण्डली के लोग अपने पशुओं समेत पीने लगे।
Numbers 20:12 परन्तु मूसा और हारून से यहोवा ने कहा, तुम ने जो मुझ पर विश्वास नहीं किया, और मुझे इस्त्राएलियों की दृष्टि में पवित्र नहीं ठहराया, इसलिये तुम इस मण्डली को उस देश में पहुंचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।
Numbers 20:13 उस सोते का नाम मरीबा पड़ा, क्योंकि इस्त्राएलियों ने यहोवा से झगड़ा किया था, और वह उनके बीच पवित्र ठहराया गया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 4-6 
  • यूहन्ना 10:24-42


सोमवार, 27 मई 2013

मार्गदर्शक


   15वीं तथा 16वीं शताबदी में जब बड़ी समुद्री यात्राओं द्वारा संसार की खोज हो रही थी, तो समुद्री जहाज़ों ने कई विषम यात्राएं करीं, खतरनाक तटों से होकर गुज़रे और विशाल समुद्रों को पार किया। इन जहाज़ों के पोतचालक यात्रा में सहायता के लिए विभिन्न नौचालन विधियों का प्रयोग करते थे, जिनमें से एक थी एक विशेष पुस्तक का उपयोग, जिसे ’रटर’ कहते थे। रटर उस ओर से निकलने वाले पूर्व नाविकों और पोतचालकों के अनुभवों, परिस्थितियों, घटनाओं और सामने आई बाधाओं का लिखित विवरण होता था। उन से पहले उस ओर से निकल चुके नाविकों के इस विवरण के सहारे वर्तमान नाविक उन्हीं खतरों से बचने के उपाय करते थे। यह अनेक बातों में उनके लिए बहुत सहायक होता था।

   मसीही विश्वास का जीवन भी सांसारिकता के खतरनाक गहरे समुद्रों से होकर निकलने वाली एक विषम यात्रा के समान ही है और हर मसीही विश्वासी को जीवन की परिस्थितियों से सुरक्षित होकर निकलने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। हम मसीही विश्वासियों को यह मार्गदर्शन मिलता है परमेश्वर के वचन बाइबल से - इस विषम जीवन यात्रा में बाइबल ही हमारा आत्मिक ’रटर’ है जो हमें खतरों से आगाह करता है तथा उनसे पार पाने का मार्ग देता है। अपने बाइबल अध्ययन में जब हम किसी खण्ड पर मनन करते और उसके अर्थ तथा अपने जीवन के लिए उसकी व्यावाहरिकता को समझते हैं, हम साथ ही परमेश्वर की अपने बच्चों के साथ सदा बनी रहने वाली उपस्थिति और सहायता को भी देखते हैं और सीखते हैं कि कैसे वह उन्हें उन कठिन परिस्थितियों से ना केवल सुरक्षित वरन आशीश के साथ भी निकालता लाया है और यह हमारे विश्वास को बढ़ाता है, हमें स्थिरता देता है।

   जीवन की कठिनाईयाँ केवल बाहरी परिस्थितियों और घटनाओं से ही नहीं आतीं; अनेक बार हमारी कठिनाईयाँ पाप करने या उसमें आनन्द लेने की हमारी प्रवृति से भी उपजती हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें ना केवल बाहरी परिस्थितियों से आने वाले खतरों में बचाव के लिए मार्गदर्शन देने में सक्षम है, वरन हमारे अन्दर की कमज़ोरियों और प्रवृतियों से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों और खतरों से भी बचने का मार्गदर्शन उतनी ही कुशलता से देता है। इसीलिए बाइबल में एक भजनकार ने लिखा है: "मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे" (भजन 119:133)।

   जब आप बाइबल की शिक्षाओं पर मनन करेंगे, तो साथ ही आपको स्मरण आएगा के कैसे बीते समयों में परमेश्वर ने आपकी देखभाल करी है, आपको सुरक्षित रखा है, आपका मार्गदर्शन किया है। ये बीते अनुभव, और उसके आत्मिक ’रटर’ बाइबल की शिक्षाएं आपके लिए इस बात का भी निश्चय बनेंगे कि परमेश्वर का वही संरक्षण और सुरक्षा आपके लिए आगे भी वैसे ही उपलब्ध रहेगी - हर समय, हर बात के लिए, और ये शिक्षाएं आपको अपने अन्दर की बातों के कारण भी गिरने से बचाती रहेंगी।

   परमेश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद हो उसके इस सहजता से उपलब्ध आत्मिक ’रटर’ के लिए, उसके जीवते सच्चे और खरे वचन के लिए। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन और उसकी पवित्र आत्मा के संरक्षण यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई मसीही विश्वासी भटकेगा नहीं।

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:9, 11 

बाइबल पाठ: भजन 119:129-136
Psalms 119:129 तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।
Psalms 119:130 तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।
Psalms 119:131 मैं मुंह खोल कर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
Psalms 119:132 जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखने वालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिर कर मुझ पर अनुग्रह कर।
Psalms 119:133 मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
Psalms 119:134 मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।
Psalms 119:135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
Psalms 119:136 मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 1-3 
  • यूहन्ना 10:1-23


रविवार, 26 मई 2013

सांत्वना और विश्वास


   बात 1994 की है, हमें पता पड़ा कि अमेरिका की फुटबॉल टीम वर्ल्ड कप के खेल के लिए हमारे शहर मिशिगन में ही खेलने आ रही थी; अब हमें तो उसे देखने जाना ही था। खेल के दिन हमारा परिवार उस विशाल स्टेडियम में अमेरिका को स्विटज़रलैंड के विरुद्ध खेलते देखने गया; यह हमारे जीवनों की एक अविस्मर्णीय घटना थी। बस एक समस्या थी, हमारे चार बच्चों में से एक, 9 वर्षीय मेलिस्सा हमारे साथ नहीं जा सकी थी और उसकी कमी हमें खल रही थी; हमने खेल और उस माहौल का आनन्द तो लिया, किन्तु मेलिस्सा के बिना वह पूरा नहीं था।

   जब भी मैं उस दिन को याद करता हूँ, मुझे यह भी एहसास होता है कि जैसे उस दिन जीवन के आनन्द में एक कमी थी, आज भी वैसी ही कमी हमारे जीवनों में बनी हुई है, क्योंकि अब मेलिस्सा हमारे साथ नहीं है; उस खेल के 8 वर्ष पश्चात एक कार दुर्घटना में मेलिस्सा का देहांत हो गया। जब कभी परिवार के लोग किसी अवसर पर एकत्रित होते हैं मेलिस्सा की खाली कुर्सी हमारे जीवनों में उसके जाने से बने खाली स्थान को दिखाती है। सब प्रकार की शांति और दया के परमेश्वर (2 कुरिन्थियों 1:3) ने हमें भी अनुग्रह दिया कि हम उसकी कमी से उभर सकें, और आज भी हमारी उदासी के समय में हमें सांत्वना देता है, हमारे आँसू पोंछता है - जो उसके अपनी हर सन्तान से किए गए वायदे की पुष्टि है कि वह हर हमेशा हमारे प्रति विश्वासयोग्य है और हर परिस्थिति में हमें सांत्वना देगा। उसके इसी अनुग्रह और प्रेम ने हमें इस दुख का सामना करने और उस से उभरने की सामर्थ दी है। यही नहीं, अन्य अनेक परिस्थितियों में भी हमने अपने प्रेमी परमेश्वर पिता की निकटता और सांत्वना को अनुभव किया है।

   यदि आप का भी कोई प्रीय जाता रहा है या अन्य कोई भी दुख आप के जीवन में है तो बिना किसी हिचकिचाहट परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर आसरा लें, उससे उसकी सांत्वना को प्राप्त करें। अपने दुख से चिंतित ना हों, परमेश्वर के सामने अपने दुख को स्वीकार करने से हिचकिचाएं नहीं और ना ही लज्जाएं क्योंकि दुखी होना स्वाभाविक है और परमेश्वर इस बात को भली-भाँति जानता और समझता है। जैसे हम सांसारिक माता-पिता अपनी सन्तान को उनके दुख में उन्हें झिड़कते नहीं वरन अपनी गोद या आलिंगन में लेकर उन्हें भरसक सांत्वना देते हैं और दुख निवारण के उपाय करते हैं, हमारा परमेश्वर पिता भी हमसे वैसे ही प्रेम और सांत्वना का व्यवहार करता है - मैंने अपने व्यक्तिगत दुख के अनुभव से यह सीखा है।

   परिस्थिति कोई भी हो परमेशवर सदा विश्वासयोग्य है और उसकी सांत्वना सदा उपलब्ध है। - डेव ब्रैनन


पृथ्वी पर ऐसा कोई दुख नहीं है जिसका आभास स्वर्ग नहीं करता।

हंसी के समय भी मन उदास होता है, और आनन्द के अन्त में शोक होता है। - नीतिवचन 14:13 

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 1:3-11
2 Corinthians 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है।
2 Corinthians 1:4 वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों।
2 Corinthians 1:5 क्योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है।
2 Corinthians 1:6 यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं।
2 Corinthians 1:7 और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो।
2 Corinthians 1:8 हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
2 Corinthians 1:9 वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।
2 Corinthians 1:10 उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा; और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।
2 Corinthians 1:11 और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 28-29 
  • यूहन्ना 9:24-41



शनिवार, 25 मई 2013

वास्तविक पुरस्कार


   मेरे बच्चों के जीवन पर मेरी पत्नि के गहरे प्रभाव से मैं बहुत प्रभावित हूँ। मातृत्व के समान शायद ही कोई अन्य जिम्मेदारी होगी जो बिना किसी शर्त या प्रतिफल की आशा रखे, सभी कष्ट सहते हुए भी इतनी लगन, धीरज और सहिष्णुता के साथ निर्वाह की माँग करती हो। मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से जानता हूँ कि मेरा चरित्र और मेरा मसीही विश्वास मेरी माँ के द्वारा ही स्थापित और स्वरूपित किया गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि अच्छी माताएं और पत्नियाँ ना होतीं तो संसार में अच्छे इन्सान भी ना होते।

   इस बात से मुझे खेल इतिहास की एक मार्मिक घटना स्मरण आती है। सन 2010 की मास्टर्स गोल्फ टूर्नमेंट में फिल मिकल्सन गोल्फ के सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार को तीसरी बार जीतने के लिए खेल रहे थे, और उन्होंने वह स्पर्धा जीत भी ली। लेकिन उस जीत की जो याद मेरे मन में बस गई वह जीतने वाला शॉट लगाने के बाद आनन्द के साथ लगाई गई उनकी छलांग नहीं वरन तुरंत ही देखने वालों की भीड़ में उपस्थित उनका अपनी पत्नि के पास जाना और उसे देर तक अपने आलिंगन में लिए रखना था - उनकी पत्नि उस समय जानलेवा कैंसर से जूझ रही थीं। टेलिविज़न कैमरा द्वारा यह पल कैद कर लिया गया और कैमरे के माध्यम से हम फिल के गाल पर बहकर आए आँसू को भी देख सके।

   मसीही विश्वास में मसीह यीशु की कलीसिया अर्थात मण्डली को उसकी दुल्हन कह कर भी संबोधित किया गया है और पति-पत्नि के आपसी प्रेम और समर्पण के द्वारा मसीह यीशु के अपनी मण्डली के प्रति प्रेम को भी दर्शाया गया है। इसी संदर्भ में परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस की लिखी एक पत्री में कहा गया है: "हे पतियों, अपनी अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम कर के अपने आप को उसके लिये दे दिया" (इफिसीयों 5:25)। हम पति-पत्नियों को आपस में ऐसे ही प्रेम को दिखाना है जैसा हमारे उद्धारकर्ता और प्रेमी प्रभु यीशु ने हमारे प्रति दिखाया है।

   पुरस्कार तो आते-जाते रहेंगे, लेकिन वास्तविक पुरस्कार है वह प्रेम है जो हम एक दुसरे के प्रति ना केवल रखते हैं वरन प्रदर्शित करते हैं जैसे हमारे प्रभु यीशु ने हमारे प्रति रखा और प्रदर्शित किया। - जो स्टोवैल


जीवन जीते गए पुरस्कारों से नहीं जीते गए दिलों से बनता है।

हे पतियों, अपनी अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम कर के अपने आप को उसके लिये दे दिया। - इफिसीयों 5:25

बाइबल पाठ: इफिसीयों 5:22-33
Ephesians 5:22 हे पत्‍नियों, अपने अपने पति के ऐसे आधीन रहो, जैसे प्रभु के।
Ephesians 5:23 क्योंकि पति पत्‍नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है; और आप ही देह का उद्धारकर्ता है।
Ephesians 5:24 पर जैसे कलीसिया मसीह के आधीन है, वैसे ही पत्‍नियां भी हर बात में अपने अपने पति के आधीन रहें।
Ephesians 5:25 हे पतियों, अपनी अपनी पत्‍नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम कर के अपने आप को उसके लिये दे दिया।
Ephesians 5:26 कि उसको वचन के द्वारा जल के स्‍नान से शुद्ध कर के पवित्र बनाए।
Ephesians 5:27 और उसे एक ऐसी तेजस्‍वी कलीसिया बना कर अपने पास खड़ी करे, जिस में न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन पवित्र और निर्दोष हो।
Ephesians 5:28 इसी प्रकार उचित है, कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखें। जो अपनी पत्‍नी से प्रेम रखता है, वह अपने आप से प्रेम रखता है।
Ephesians 5:29 क्योंकि किसी ने कभी अपने शरीर से बैर नहीं रखा वरन उसका पालन-पोषण करता है, जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है
Ephesians 5:30 इसलिये कि हम उस की देह के अंग हैं।
Ephesians 5:31 इस कारण मनुष्य माता पिता को छोड़कर अपनी पत्‍नी से मिला रहेगा, और वे दोनों एक तन होंगे।
Ephesians 5:32 यह भेद तो बड़ा है; पर मैं मसीह और कलीसिया के विषय में कहता हूं।
Ephesians 5:33 पर तुम में से हर एक अपनी पत्‍नी से अपने समान प्रेम रखे, और पत्‍नी भी अपने पति का भय माने।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 25-27 
  • यूहन्ना 9:1-23


शुक्रवार, 24 मई 2013

चिन्ता से मुक्त


   एक रेडियों साक्षात्कार में एक बास्केटबॉल के उत्कृष्ठ खिलाड़ी से निर्णायक और जटिल परिस्थितियों में उसकी खेल जिताने वाले अंक बना लेने के कौशल के बारे में प्रश्न किया गया। प्रश्नकर्ता ने उससे जानना चाहा कि इन तनावपूर्ण स्थितियों में वह अपने आप को शांत कैसे रखता है। उस खिलाड़ी का उत्तर था उस परिस्थिति को अपने लिए सरल बना लेने के द्वारा; वह अपने आप से कहता था कि बस एक यही शॉट ही तो खेलना है, केवल एक शॉट। वह ना तो अपनी टीम और ना ही अपने प्रशिक्षक की उससे लगी आशाओं के बारे में सोचता था, बस उस अवसर पर जो सामने है अपना पूरा ध्यान लगा देता था। जो सामने है, जो विद्यमान है बस उसी की ओर ध्यान लगाना उसके लिए स्थिति को सरल और तनावरहित कर देता था।

   इस प्रकार से केवल वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करके अपने लिए स्थिति को सरल करना कोई नई बात नहीं है। जीवन की जटिल और अभिभूत कर देने वाली समस्याओं पर विजयी होने के लिए प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों को यही मार्ग दिया था। उन्हों ने चेलों को सिखाया कि भविष्य की चिन्ता छोड़कर केवल वर्तमान पर ध्यान लगाएं: "इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे? सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है" (मत्ती 6:31,34)। 

   चिन्ता की दुर्बल कर देने वाली सामर्थ पर विजयी होने के लिए प्रभु यीशु की यह शिक्षा थी। चिन्ता करने से हम कुछ सकारात्मक अर्जित नहीं कर पाते हैं; बस अपनी समस्याओं में विवश होकर डूबते चले जाने की भावना को बढ़ावा ही देते हैं। चिन्ता के फन्दे से बाहर निकलना है तो परमेश्वर पर भरोसा रखें; परमेश्वर के संसाधनों और आपूर्ति की क्षमता पर विश्वास रखें और समस्या को परमेश्वर के हाथों में समर्पित करें, उससे समस्या का सामना करने की सामर्थ और समझ माँगें और फिर समस्या को पूरा का पूरा अपने सामने रखने की बजाए, उसे उसके भागों में विभाजित करके बारी बारी एक एक भाग का हल परमेश्वर द्वारा दी गई सामर्थ और समझ के द्वारा निकालते जाएं। परमेश्वर पर भरोसा रखकर और उसके दिखाए मार्ग पर कदम कदम चलकर ही आप चिन्ता से मुक्त और जयवन्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं। - बिल क्राउडर


भविष्य की चिन्ता वर्तमान के आनन्द को भी नष्ट कर देती है।

सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती 6:34

बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्‍ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
Matthew 6:28 और वस्‍त्र के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिएं।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 22-24 
  • यूहन्ना 8:28-59



गुरुवार, 23 मई 2013

निर्भर


   हमारे परिवार में एक नए शिशु का आगमन हुआ और मैं उस शिशु और उस परिवार के लोगों के लिए आनन्दित तथा धन्यवादी थी। उस शिशु की देखभाल होते देख मुझे स्मरण हो आया कि नवजात शिशु की देखभाल करना कितनी लगन और मेहनत का कार्य है और एक माँ बिना अपनी कुछ भी परवाह किया कितने आनन्द के साथ उसकी देखभाल करती है, उसके लिए कष्ट उठाती रहती है। यह छोटी सी सृष्टि अपनी देखभाल ज़रा भी नहीं कर पाती और उसका पेट भरा रखने, उसे कपड़े पहनाए और गर्म रखने, उसकी साफ-सफाई करने आदि सभी कार्यों के लिए वह अपने आस-पास के व्यसक और अनुभवी लोगों पर पूर्णतया निर्भर है। यदि यह देखभाल उपलब्ध ना हो तो उसका जीवित रह पाना भी संभव नहीं होगा।

   कुछ यही दशा संसार में रहकर संसार को परमेश्वर के जीवन को दिखाने के लिए हम मसीही विश्वासीयों की भी है - परमेश्वर पिता पर पूरी तरह से निर्भर। हम उसी में जीवित रहते और चलते फिरते हैं (प्रेरितों 17:28); हमारा जीवन और हमारी हर श्वास उसी की दी हुई है (प्रेरितों 17:25); वह ही हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है (फिलिप्पियों 4:19)। 

   हमें अपने स्वर्गीय प्रेमी पिता परमेश्वर कि आवश्यकता रहती है:
  • परेशानियों में शांति के लिए (यूहन्ना 16:33)
  • प्रेम के लिए (1 यूहन्ना 3:1)
  • आवश्यकताओं में सहायता के लिए (भजन 46:1; इब्रानियों 4:16)
  • परीक्षा और प्रलोभनों पर विजय के लिए (1 कुरिन्थियों 10:13)
  • अपराधों की क्षमा के लिए (1 यूहन्ना 1:9)
  • उद्देश्यों की पूर्ति के लिए (यर्मियाह 29:11)
  • अनन्त जीवन के लिए (यूहन्ना 10:28)


   बिना परमेश्वर की सहायता के हम कुछ नहीं कर सकते (यूहन्ना 15:5); उससे ही हमने बार बार अनुग्रह पर अनुग्रह प्राप्त किया है और करते रहते हैं (यूहन्ना 1:16)।

   यदि परमेश्वर की इच्छा के अनुसार और परमेश्वर को भावता हुआ, उसे प्रसन्न करने वाला जीवन व्यतीत करना है तो कभी अपने या अपनी योग्यताओं और क्षमताओं, अपनी बल-बुद्धि-ज्ञान पर भरोसा ना करें। परमेश्वर पिता पर पूरी तरह से निर्भर और समर्पित रहें, और वह दिन प्रति दिन आपकी हर आवश्यकता को पूरा करता रहेगा, एक नवजात शिशु के समान आपको संभाले रहेगा, आपकी देख-भाल और सुरक्षा करता रहेगा और आपको अपने लिए उपयोगी तथा कार्यकारी बनाए रखेगा और इस पृथ्वी पर भी तथा अनन्त जीवन में भी अपनी आशीषों से परिपूर्ण करता रहेगा।  - ऐनी सेटास


परमेश्वर पर निर्भर रहना दुर्बलता नहीं वरन उसकी सामर्थ को अपने में प्रवाहित और कार्यकारी होने देने का माध्यम है।

न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। - प्रेरितों 17:25

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 2:24-3:3
1 John 2:24 जो कुछ तुम ने आरंभ से सुना है वही तुम में बना रहे: जो तुम ने आरंभ से सुना है, यदि वह तुम में बना रहे, तो तुम भी पुत्र में, और पिता में बने रहोगे।
1 John 2:25 और जिस की उसने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है।
1 John 2:26 मैं ने ये बातें तुम्हें उन के विषय में लिखी हैं, जो तुम्हें भरमाते हैं।
1 John 2:27 और तुम्हारा वह अभिषेक, जो उस की ओर से किया गया, तुम में बना रहता है; और तुम्हें इस का प्रयोजन नहीं, कि कोई तुम्हें सिखाए, वरन जैसे वह अभिषेक जो उस की ओर से किया गया तुम्हें सब बातें सिखाता है, और यह सच्चा है, और झूठा नहीं: और जैसा उसने तुम्हें सिखाया है वैसे ही तुम उस में बने रहते हो।
1 John 2:28 निदान, हे बालकों, उस में बने रहो; कि जब वह प्रगट हो, तो हमें हियाव हो, और हम उसके आने पर उसके साम्हने लज्ज़ित न हों।
1 John 2:29 यदि तुम जानते हो, कि वह धार्मिक है, तो यह भी जानते हो, कि जो कोई धर्म का काम करता है, वह उस से जन्मा है।
1 John 3:1 देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
1 John 3:2 हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
1 John 3:3 और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 19-21 
  • यूहन्ना 8:1-27



बुधवार, 22 मई 2013

प्रेम


   मेरा एक मित्र एक छोटे से चर्च का पास्टर है जो पहाड़ों में एक छोटी से आबादी वाले बहुत सुन्दर इलाके में स्थित है। उस चर्च की भूमि में चर्च भवन के पीछे एक छोटी से नदी बहती है, साथ ही पेड़ों का एक झुरमुट है, घास का मैदान है और नदी के किनारे रेतीला सपाट स्थान है। इस कारण वहां की आबादी के लोगों के लिए पिकनिक मनाने का वह बहुत लोकप्रीय स्थान है, और चर्च के लोग भी उन्हें वहाँ आकर आनन्द मनाने से नहीं रोकते। एक दिन चर्च के लोगों में से एक ने चिंता व्यक्त करी कि क्योंकि वह पिकनिक स्थल चर्च के पीछे और चर्च की भूमि पर स्थित है, इसलिए यदि पिकनिक मनाने आए लोगों के साथ नदी में कोई दुर्घटना हो जाती है तो चर्च को उचित व्यवस्था ना करने और आवश्यक सहायता ना पहुँचा पाने का दोषी मानकर दण्डित किया जा सकता है। उसका उद्देश्य था कि लोगों को वहाँ आने से रोका जाए।

   चर्च के अगुवे इस संबंध में कोई कार्यवाही करने से संकोच कर रहे थे, लेकिन वह व्यक्ति विवश करता रहा, इसलिए अन्ततः निर्णय लिया गया कि वहाँ इस आशय की सूचना लगाई जाएगी कि यह सामन्य नहीं वरन एक निजि भूमि है और लोग बिना अनुमति प्रवेश ना करें। मेरा पास्टर मित्र इससे प्रसन्न नहीं था, लेकिन चर्च के संचालक अगुवों के ज़ोर देने पर सूचना लगाने को तैयार हो गया। अगली बार चर्च आने वाले लोगों ने वहाँ लिखा देखा: "सावधान! इस नदी के तट को प्रयोग करने वालों को चेतावनी दी जाती है कि किसी भी पल, बिना पूर्व-सूचना के आप अपने आप को आप से प्रेम करने वाले बहुत से लोगों से घिरा हुआ पा सकते हैं।" मैंने भी सूचना लगाए जाने के अगले ही सप्ताह इस सूचना को पढ़ा और मैं उसके इस विनोद से प्रभावित हुआ। मैंने कहा, "बिलकुल सही! एक बार फिर अनुग्रह कानून के ऊपर विजयी हुआ है।"

   अपने पड़ौसी के प्रति यह प्रेम, हमारे प्रति परमेश्वर द्वारा दिखाए गए प्रेम, अनुग्रह, दया, धैर्य और सहिष्णुता का ही प्रतिफल है। परमेश्वर के नियम नहीं परमेश्वर का प्रेम ही मनुष्यों को उसके प्रति आकर्षित करता है और उन्हें पापों के प्रति पश्चातापी होने तथा प्रभु यीशु मसीह में मिलने वाले उद्धार को ग्रहण करने के लिए उभारता है (रोमियों 2:4)। अपने जीवन से प्रभु यीशु मसीह का प्रेम प्रगट कीजिए, लोग स्वतः ही आकर्षित होंगे। - डेविड रोपर


प्रेम ही वह चुँबक है जो मसीही विश्वासियों को साथ जोड़ कर रखता है और लोगों को मसीही विश्वास की ओर आकर्षित करता है।

क्या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरज रूपी धन को तुच्छ जानता है और क्या यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है? - रोमियों 2:4

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:14-18
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।
John 1:15 यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी, और पुकारकर कहा, कि यह वही है, जिस का मैं ने वर्णन किया, कि जो मेरे बाद आ रहा है, वह मुझ से बढ़कर है क्योंकि वह मुझ से पहिले था।
John 1:16 क्योंकि उस की परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह।
John 1:17 इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्तु अनुग्रह, और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची।
John 1:18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 16-18 
  • यूहन्ना 7:28-53



मंगलवार, 21 मई 2013

सदा जवान


   हाल ही में मैंने एक सुन्दर, सफेद बालों वाली वृद्ध महिला को देखा, उसकी टी-शर्ट पर लिखा था, "मैं 80 की नहीं, 18 की ही हूँ; साथ में बस 62 का अनुभव है।" समाचार पत्रों के निधन एवं शोक सूचनाओं में छपी तस्वीरें और उनके नीचे लिखे वाक्य भी कभी कभी रोचक होते हैं; वहाँ एक नौजवान फौजी के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीर के नीचे लिखा मिलेगा "उम्र 92 वर्ष; देश के लिए दूसरे विश्व युद्ध में भाग लिया"। या किसी चमकती हुई आंखों वाली नवयुवती की तस्वीर के नीचे लिखा होगा, "89 वर्ष की जवान; आर्थिक मन्दी के काल में पली-बड़ी हुई।" इन सभी सन्देशों का अर्थ स्पष्ट है - "हम सदा ही ऐसे नहीं थे; कभी हम भी जवान थे।"

   अकसर जो एक लंबा जीवन जी चुके होते हैं वे अपने आप को घर-परिवार तथा समाज में हाशिए पर रखा हुआ अनुभव करते हैं, मानो कि अब उनका समय बीत गया है, उनकी उपयोगिता समाप्त हो गई है और अब बस समय पूरा होने का ही इंतिज़ार है। लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें इससे अलग ही दृष्टिकोण देती है। भजन 92 हमें बताता है कि हम चाहे उम्र में कितने भी वृद्ध हों लेकिन हम फिर भी नए फलों से लदे जीवन व्यतीत कर सकते हैं। परमेश्वर के विश्वासी, सदा उपजाऊ रहने वाली तथा भली भांति सींची हुई भूमि के बगीचे में रोपे गए वृक्ष अर्थात परमेश्वर की संगति में रोपे गए हैं और "वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे" (भजन 92:14)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वायदा किया कि "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है..." (यूहन्ना 15:5)।

   हाँ, एक अवस्था में आकर माँसपेशियाँ दुखने लगती हैं, जोड़ों में दर्द रहने लगता है, जीवन की गति कुछ शिथिल पड़ जाती है, लेकिन हर मसीही विश्वासी को परमेश्वर का यह आश्वासन है: "इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है" (2 कुरिन्थियों 4:16)। यदि हम परमेश्वर की संगति में बने रहे हैं तो हमारी शारीरिक अवस्था चाहे कितनी भी क्यों ना हो जाए, हम मन से सदा ’जवानी और उसके साथ कुछ वर्षों के अनुभव वाल’ ही रह सकते हैं; ऐसे अनुभव जो बहुमूल्य हैं, परमेश्वर की संगति से मिले हैं और हर उम्र के व्यक्ति के लिए लाभकारी हैं तथा जिनकी उपयोगिता हमें जवानों के समान ही उपयोगी और फलवन्त बनाए रखती है। - सिंडी हैस कैस्पर


विश्वासयोग्यता परमेश्वर की माँग है; फलवन्त जीवन उसका पुरुस्कार।

वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे - भजन 92:14

बाइबल पाठ: भजन 92
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना;
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना,
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है।
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं!
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता:
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं,
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा।
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं।
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे।
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 13-15 
  • यूहन्ना 7:1-27


सोमवार, 20 मई 2013

नम्रता से ग्रहण करो


   परमेश्वर के वचन बाइबल के अपने अध्ययन में, याकूब की पत्री के पहले अध्याय को पढ़ते हुए, वहाँ लिखित एक वाक्याँश को पढ़कर मैं चौंक गया; जिस पद पर मैं पहुँचा था वह था: "इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है" (याकूब 1:21) और वाक्याँश था "उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है"। तुरंत मुझे वह निर्णय स्मरण हो आया जिस से मैं जूझ रहा था, और साथ ही यह विचार भी कि, "मुझे इस निर्णय के लिए कोई अन्य पुस्तक पढ़ने, किसी गोष्ठी या परिसंवाद में भाग लेकर सीखने, या किसी मित्र से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे केवल वह करना है जो बाइबल मुझे इस विषय के बारे में सिखाती है।" याकूब ने प्रभु यीशु के अनुयायियों को लिखी इस पत्री में आगे यह भी लिखा: "परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं" (याकूब 1:22) और मैंने एहसास किया कि मेरा परमेश्वर के वचन को और अधिक तथा और गहराई से सीखने के प्रयास ही मेरे लिए परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं की उपेक्षा के कारण बन गए थे; मैं उस जीवित वचन को मानने वाला बनने की बजाए केवल सीखने वाला ही बन कर रह गया था।

   बाइबल विद्वान डब्ल्यु. ई. वाईन ने, जो बाइबल में प्रयुक्त मूल यूनानी भाषा के शब्दों के अर्थों को समझाने के लिए विख्यात हैं, इन पदों में प्रयुक्त शब्द जिसका अनुवाद "ग्रहण करो" हुआ है, के बारे में लिखा है कि मूल भाषा में इस शब्द का तात्पर्य है, "भली-भांति जानते, विचारते और पूर्ण सहमति के साथ प्रदान की हुई वस्तु को ग्रहण करो या स्वीकार करो" और इस पद में याकूब इस सब के साथ एक सदगुण और जोड़ रहा है - नम्रता। एक नम्र मन परमेश्वर के साथ विवाद नहीं करता, ना ही उससे कोई झगड़ा करता है, वरन समर्पण के साथ उसकी सहर्ष मान लेता है। याकूब के कहने का तात्पर्य यह बना कि "अपने प्रति परमेश्वर की बातों और कार्यों का किसी रीति से कोई प्रतिरोध नहीं करो वरन उन्हें सहर्ष मान लो, स्वीकार कर लो क्योंकि परमेश्वर हर बात में हमारा भला ही चाहता है और हमारे लिए वही करता है जो हमारे लिए सर्वोत्तम है।"

   परमेश्वर अपना सामर्थी वचन हमारे हृदयों में इसलिए बोता है जिससे कि वह वचन हमारे लिए आत्मिक समझ-बूझ और सामर्थ का विश्वासयोग्य और बहुमूल्य स्त्रोत बन कर हमारा मार्गदर्शन करे। परमेश्वर के वचन की यह आशीष हमें तब प्राप्त होती है जब हम उसे नम्रता से ग्रहण करते और आदर से उसका पालन करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपनी बाइबल प्रार्थनापूर्वक खोलें, ध्यान लगाकर उसे पढ़ें और आनन्द के साथ उसका पालन करें।

इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। - याकूब 1:21

बाइबल पाठ: याकूब 1:13-22
James 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है।
James 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है।
James 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है।
James 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
James 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
James 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 10-12 
  • यूहन्ना 6:45-71



रविवार, 19 मई 2013

वापसी


   कगार से लौट के आने वालों की कहानीयाँ प्रेरणादायक होती हैं - लोग या कंपनियाँ जो बर्बादी की कगार तक पहुँच कर फिर सफलता की ओर लौट आए, उनके अनुभवों की कहानी से मिलने वाली शिक्षा हमारे जीवनों में भी उपयोगी सिद्ध हो सकती है। अमेरिका की फोर्ड मोटर कंपनी इसका एक उदाहरण है। 1940 के दशक में कंपनी के अधिकारियों ने आधुनिकीकरण की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और उनके निर्णयों ने फोर्ड कंपनी को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। बात यहाँ तक पहुँच गई थी की उस समय चल रहे विश्व-युद्ध में उपयोग के लिए इस कंपनी में बन रहे सामान की आपूर्ति को बनाए रखने के लिए, सरकार इस कंपनी को अपने हाथों में ले लेने के लिए गंभीरता से विचार करने लगी। लेकिन ऐसा हो पाने से पहले ही हेनरी फोर्ड (द्वितीय) अपनी सैन्य कार्य-अवधि पूरी करके वापस आ गए और इस कंपनी की कमान संभाल ली। उनके नेतृत्व तथा निर्णयों से कंपनी की स्थिति बदलने लगी और कुछ ही समय में फोर्ड संसार की सबसे बड़ी कंपनीयों में से एक हो गई; बर्बादी के कगार से लौट कर सफलता की ऊँचाईयों को छूने वाली कंपनी।

   अपने व्यक्तिगत जीवनों में भी कभी कभी हमें वापसी के लिए ऐसे ही किसी अगुवे और सहारे की आवश्यकता होती है। कई बार हम गलत दिशा में चल निकलते हैं, अपने मार्ग से भटक जाते हैं, प्रलोभनों और लालच में या गलत संगति और सलाह में पड़कर बर्बादी के कगार पर पहुँच जाते हैं। समाचारों में ऐसे ही बर्बादी के कगार पर पहुँचे व्यक्तियों द्वारा आत्म-हत्या करने या प्रयास करने की घटनाएं आम सुनने-पढ़ने को मिलती हैं। उन गलत दिशाओं और दशाओं से पलटकर जीवन में वापसी की आवश्यकता कभी भी पड़ सकती है - मसीही विश्वासियों, प्रभु यीशु के अनुयायियों को भी! परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका एक सजीव उदाहरण है प्रभु यीशु का एक शिष्य - पतरस।

   पतरस का जीवन मसीह यीशु के साथ चलने के बावजूद गलत निर्णयों से भरा पड़ा था जिनके कारण वह बर्बादी की कगार तक पहुँच गया था। एक बार अपने विश्वास की कमी के कारण वह लगभग पानी में डूब ही गया था, प्रभु यीशु को उसे हाथ थामकर निकालना पड़ा (मत्ती 14:30); जब उसने पहाड़ पर प्रभु यीशु को रुपान्तरित होकर मूसा और एल्लियाह के साथ वार्तालाप करते देखा, तो बिना सोचे समझे ही वह प्रभु को वहाँ मण्डप बनाने का सुझाव देने लगा, और परमेश्वर ने आकशवाणी में उसे प्रभु यीशु की मानने को कहा (मत्ती 17:1-5)। एक अन्य अवसर पर जब प्रभु अपने आते भविष्य के बारे में और अपने आने के उद्देश्य के बारे में शिष्यों को समझा रहे थे तो पतरस अपनी गर्मजोशी में, बिना प्रभु यीशु की बात को समझे, प्रभु यीशु को ही उसका कार्य ना करने की सलाह देने और उसे झिड़कने के लिए भी खड़ा हो गया, और प्रभु को बड़े कठोर शब्दों में उसे संबोधित करना पड़ा (मत्ती 16:22-23)। प्रभु यीशु के पकड़वाए जाने से कुछ पहले ही, प्रभु यीशु के उससे तीन बार आग्रह करने पर भी, पतरस ने प्रभु यीशु के साथ प्रार्थना में समय नहीं बिताया वरन सोता रहा। प्रभु के प्रति अपने प्रेम तथा समर्पण के बड़े बड़े दावे करने के बावजूद, जब प्रभु यीशु को पकड़ने के लिए लोग आए तो अन्य चेलों के समान ही पतरस भी प्रभु यीशु को अकेला छोड़कर भाग गया। प्रभु यीशु के प्रति उसके दावों और बातों के खोखलेपन का प्रत्यक्ष उदाहरण था एक छोटी दासी लड़की तथा अन्य विरोधियों के सामने पतरस का तीन बार प्रभु यीशु को जानने से भी इन्कार करना (मत्ती 26)। प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बाद भी पतरस द्वारा गलत निर्णयों की गाथा समाप्त नहीं हुई; प्रभु यीशु का अनुयायी बनने के बाद उसने अपना मछली पकड़ने का धंधा छोड़ दिया था, परन्तु प्रभु यीशु के पुनरुत्थान के बाद जीवते प्रभु यीशु के दर्शन पाने के बाद भी अब वह फिर अपने पुराने जीवन - मछली पकड़ने की ओर लौट गया, और उसकी देखा-देखी छः और शिष्य भी उसके साथ उसी पुराने जीवन की ओर लौट गए (यूहन्ना 21:2-7)।

   लेकिन यह पतरस की कहानी का अन्त नहीं है। पतरस ने चाहे प्रभु का इन्कार कर दिया हो, वापस अपने पुराने जीवन की ओर लौट गया हो, प्रभु यीशु ने पतरस को नहीं छोड़ा और ना ही उसके प्रति प्रभु यीशु का प्रेम कम हुआ। प्रभु ने फिर से उसके साथ धैर्य और सहिष्णुता दिखाई, तथा सबके सामने उससे प्रेम से व्यवहार करके फिर से उसे अपने लिए कार्य करने की ज़िम्मेदारी सौंप दी (यूहन्ना 21:15-17)। प्रभु यीशु के प्रेम और पवित्र आत्मा की सामर्थ से पतरस बर्बादी के कगार से लौट आया। पेन्तकुस्त के दिन जब लोग प्रभु के चेलों का ठठ्ठा कर रहे थे तो इसी पतरस ने उठकर उन्हें प्रबल रीति से संबोधित किया और प्रभु यीशु के बारे में बताया। उसके इस प्रचार में इतनी सामर्थ थी कि उसी समय 3000 लोगों ने अपने पापों से पश्चाताप किया और प्रभु यीशु की मण्डली में जुड़ गए। इसके बाद पतरस प्रभु के लिए बहुत प्रभावी और उपयोगी हुआ। प्रभु यीशु का प्रेम, अनुग्रह और क्षमा बर्बादी की कगार से पतरस की वापसी का आधार बने और उसे एक अति प्रभावी एवं उपयोगी व्यक्तित्व तथा आरंभिक मसीही मण्डली के अगुवों मे से एक प्रमुख अगुवा बना दिया।

   क्या आज आप जीवन और परिस्थितियों से निराश हैं, संघर्ष कर रहे हैं? समस्याओं का समाधान सूझ नहीं पड़ता? गलत निर्णयों ने बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है और संसार तथा संसार के लोग आताताई बनकर आप पर हावी होते जा रहे हैं? प्रभु यीशु की ओर अपना हाथ बढ़ाईए; वह आप का हाथ थाम कर आपको उभारने और आप को अपनी प्रेम भरी बाहों में सहारा तथा सहायता देने के लिए सदा तैयार है। प्रभु यीशु के अनुग्रह, प्रेम, दया, करुणा और क्षमा की सीमा मनुष्य के दुराचार तथा पतन की हर क्षमता से कहीं अधिक बढ़कर है। यदि पतरस वापसी कर सकता है और प्रभु से क्षमा एवं सामर्थ पा सकता है तो फिर ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जो जीवन में पुनः वापसी ना कर सके, प्रभु यीशु से सामर्थ ना पा सके, और फिर से खड़ा होकर एक नया जीवन आरंभ ना कर सके। अपनी ओर मत देखिए, बस प्रभु यीशु पर भरोसा कीजिए, और उसे अपने जीवन में बुला लीजिए। - डेव ब्रैनन


बर्बादी से सफलता की ओर लौटने के लिए प्रभु यीशु का हाथ थाम लीजिए।

पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, कि हे यहूदियो, और हे यरूशलेम के सब रहने वालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो। - प्रेरितों 2:14

बाइबल पाठ: प्रेरितों 2:14-21, 37-42
Acts 2:14 पतरस उन ग्यारह के साथ खड़ा हुआ और ऊंचे शब्द से कहने लगा, कि हे यहूदियो, और हे यरूशलेम के सब रहने वालों, यह जान लो और कान लगाकर मेरी बातें सुनो।
Acts 2:15 जैसा तुम समझ रहे हो, ये नशे में नहीं, क्योंकि अभी तो पहर ही दिन चढ़ा है।
Acts 2:16 परन्तु यह वह बात है, जो योएल भविष्यद्वक्ता के द्वारा कही गई है।
Acts 2:17 कि परमेश्वर कहता है, कि अन्‍त के दिनों में ऐसा होगा, कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे, और तुम्हारे पुरिनए स्वप्न देखेंगे।
Acts 2:18 वरन मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी उन दिनों में अपने आत्मा में से उंडेलूंगा, और वे भविष्यद्वाणी करेंगे।
Acts 2:19 और मैं ऊपर आकाश में अद्भुत काम, और नीचे धरती पर चिन्ह, अर्थात लोहू, और आग और धूएं का बादल दिखाऊंगा।
Acts 2:20 प्रभु के महान और प्रसिद्ध दिन के आने से पहिले सूर्य अन्‍धेरा और चान्‍द लोहू हो जाएगा।
Acts 2:21 और जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वही उद्धार पाएगा।
Acts 2:37 तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो, हम क्या करें?
Acts 2:38 पतरस ने उन से कहा, मन फिराओ, और तुम में से हर एक अपने अपने पापों की क्षमा के लिये यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे।
Acts 2:39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्‍तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।
Acts 2:40 उसने बहुत और बातों में भी गवाही दे देकर समझाया कि अपने आप को इस टेढ़ी जाति से बचाओ।
Acts 2:41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।
Acts 2:42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9 
  • यूहन्ना 6:22-44

शनिवार, 18 मई 2013

परिवर्तित


   थॉमस डिबैजियो नामक एक व्यक्ति को जब ज्ञात हुआ कि वह एलज़ाईमर्स रोग से संक्रमित हो चुका है, और यह रोग अभी अपने शुरुआती दौर में ही है तो उसने अपने स्मरण शक्ति के धीरे-धीरे खोते जाने को पुस्तकबद्ध करना आरंभ किया; उसका यह विवरण "Loosing My Mind" (अपना दिमाग खोते जाना) नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ। यह पुस्तक थॉमस की उस कष्टपूर्ण यात्रा का अभिलेख है जिसमें वह धीरे धीरे अपने भलि-भांति जाने-पहनचाने कार्यों, स्थानों, लोगों आदि सबको भूलता चला गया। एलज़ाईमर्स रोग एक लाइलाज रोग है जिसका रोगी धीरे धीरे अपनी स्मरण शक्ति खोता चला जाता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के मस्तिष्क में स्नायु कोषिकाएं धीरे धीरे क्षतिग्रस्त होती चली जाती हैं जिससे रोगी की स्मरण शक्ति क्षीण होती जाती है, वह उलझा या चक्राया हुआ रहने लगता है और उसके लिए समय-स्थान-व्यक्ति का बोध रखना असंभव हो जाता है। एक समय में पूर्ण रूप से चैतन्य और कार्यकारी व्यक्ति को धीरे धीरे अपने मित्रों और प्रीय जनों को भूलते हुए देखना, जाने-पहचाने स्थानों पर भी अनजान होकर घूमते हुए देखना, उसका कपड़े तक ठीक से ना पहन पाने से भी अनजान होते जाना आदि देखना बहुत कष्टदायक होता है; इस पीड़ा को और भी अधिक बढ़ा देती है यह मजबूरी कि अपने प्रीय जन की इस बद से बदतर होती स्थिति को हम बेबस होकर बस उसे देखते ही रह सकते हैं किंतु उसके लिए कुछ कर नहीं सकते। यह मृत्यु से पूर्व ही प्रीय जन को खो देने के समान है।

   स्मरण शक्ति की हानि अन्य कारणों से भी हो सकती है, जैसे किसी चोट अथवा गहरे सदमे के द्वारा। और हम में से जो वृद्धावस्था में जाते हैं उनके शरीरों और शरीर की क्षमताओं का क्षीण होना अवश्यंभावी है। लेकिन चाहे स्मरण शक्ति की हानि हो या शरीर के अन्य किसी अंग या क्षमता की, प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास यह आशा है कि एक दिन वे बिलकुल सिद्ध, स्वस्थ और निरोग अवस्था में होंगे - जब पुनरुत्थान के समय वे अपनी महिमाय देह को पाएंगे (1 कुरिन्थियों 5:1-5)। इसके साथ ही स्वर्ग में वे अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु को भी देखेंगे जिसने उन्हें उद्धार देने के लिए अपने शरीर को यातना सहने के लिए दे दिया, उनके सन्ति अपमानजनक मृत्यु की पीड़ा सह ली और अनन्त काल के लिए अपने महिमाय शरीर में भी क्रूस की उस यातना के चिन्ह लिए हुए है (यूहन्ना 20:25; 1 कुरिन्थियों 13:12)।

   इस पृथ्वी पर हम शरीर और मन के रोगों से त्रस्त हो सकते हैं, हमारी देह क्षीण और अयोग्य हो सकती है; लेकिन उस स्वर्गीय देह में हम अपने प्रभु के समान ही होंगे, यह प्रभु यीशु का अपने प्रत्येक विश्वासी से वायदा है: "हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है" (1 यूहन्ना 3:2)।


पलक झपकते ही ... हम बदल जाएंगे! - प्रेरित पौलुस

क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। - 1 कुरिन्थियों 15:53-54 

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:16 - 5:8
2 Corinthians 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2 Corinthians 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।
2 Corinthians 4:18 और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।
2 Corinthians 5:1 क्योंकि हम जानते हैं, कि जब हमारा पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर गिराया जाएगा तो हमें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा, जो हाथों से बना हुआ घर नहीं परन्तु चिरस्थाई है।
2 Corinthians 5:2 इस में तो हम कराहते, और बड़ी लालसा रखते हैं; कि अपने स्‍वर्गीय घर को पहिन लें।
2 Corinthians 5:3 कि इस के पहिनने से हम नंगे न पाए जाएं।
2 Corinthians 5:4 और हम इस डेरे में रहते हुए बोझ से दबे कराहते रहते हैं; क्योंकि हम उतारना नहीं, वरन और पहिनना चाहते हैं, ताकि वह जो मरनहार है जीवन में डूब जाए।
2 Corinthians 5:5 और जिसने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिसने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
2 Corinthians 5:6 सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं; कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
2 Corinthians 5:7 क्योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
2 Corinthians 5:8 इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग हो कर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।

एक साल में बाइबल: 

  • 1 इतिहास 4-6 
  • यूहन्ना 6:1-21




शुक्रवार, 17 मई 2013

प्रतिशोध का विकल्प


   एक इतवार को चर्च में सन्देश देते समय, एक पास्टर पर हमला हुआ और उसे मारा-पीटा गया। पास्टर ने प्रत्युत्तर में उस व्यक्ति को कुछ नहीं कहा, बस अपना सन्देश पूरा किया और फिर उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना भी करी। बाद में वह हमलावर पकड़ा गया और उसे हिरासत में रखा गया। जब पास्टर को मालूम पड़ा तो वह पुलिस थाने में उससे मिलने भी गया और उसके लिए प्रार्थना कर के भी आया। संसार में दिखने वाले सामान्य व्यवहार की तुलना में, अपने प्रति अनादार तथा अत्याचार का अनूठा प्रत्युत्तर देने का यह एक अनुपम और आदर्श उदाहरण था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के लोगों को अपना बदला आप ना लेने की शिक्षा दी गई है। आत्म-रक्षा वर्जित नहीं है, किन्तु प्रतिशोध वर्जित है; पुराने नियम में भी और नए नियम में भी। बाइबल में लैव्यवस्था की पुस्तक इस्त्राएल, अर्थात परमेश्वर के लोगों को, परमेश्वर द्वारा दिए गए नियमों की पुस्तक है। इस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा है: "अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना; नहीं तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा। पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं" (लैव्यवस्था 19:17-18)। एक अन्य स्थान पर परमेश्वर ने इस्त्राएल को निर्देश दिया कि "पलटा लेना और बदला देना मेरा ही काम है..." (व्यवस्थाविवरण 32:35)। नए नियम में भी प्रभु यीशु मसीह और उनके अनुयायियों की शिक्षाएं पलटा ना लेने और अपना न्याय परमेश्वर के हाथ में छोड़ देने के लिए ही थीं (मत्ती 5:38-45; रोमियों 12:17; 1 पतरस 3:9)।

   यद्यपि पुराने नियम में हम "जैसे को तैसा" के सिद्धांत के नियम भी पाते हैं (निर्गमन 21:23-25; व्यवस्थाविवरण 19:21), लेकिन ये नियम केवल इसलिए थे जिससे प्रत्येक आताताई उचित दण्ड का भागी हो और सब को सही न्याय मिले। ये नियम व्यक्तिगत रीति से बदला लेने के लिए नहीं थे; इन नियमों का उपयोग समाज के निर्धारित न्याय अधिकारीयों को ही करना था। उचित न्याय मिलना सब का अधिकार था, लेकिन न्याय करना या तो परमेश्वर या फिर परमेश्वर के निर्देषों के अनुसार नियुक्त किए गए न्यायियों का ही कार्य था। व्यक्तिगत प्रतिशोध की कोई अनुमति नहीं थी।

   आज हम मसीही विश्वासियों को भी अपने परमेश्वर पिता द्वारा दिए गए प्रेमपूर्ण व्यवहार के निर्देषों को अपने जीवन से जी कर दिखाना है। बजाए अत्याचार या अपमान के बदले में वही कड़ुवाहट वापस लौटाने के, अपने अन्दर बसने वाले परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सामर्थ से तथा मसीह यीशु के नाम को आदर देने वाले भले विकलपों को अपने प्रत्युत्तर और व्यवहार में प्रदर्शित करना है। जहाँ तक बन पड़े, सब के साथ शान्ति से रहें (रोमियों 12:18) और आपसी विवादों को सुलझाने के लिए एक आत्मिक मध्यस्थ की सहायता लें तथा उसके आधीन रहें (1 कुरिन्थियों 6:1-6), और अपने न्याय को निर्धारित न्याय अधिकारीयों तथा सबसे बढ़कर उस सच्चे और निष्पक्ष न्यायी, अपने परमेश्वर पिता के हाथों में छोड़ दें। - मारविन विलियम्स


अन्तिम न्याय सच्चे और निष्पक्ष न्यायी परमेश्वर के हाथों में ही है।

हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। - रोमियों 12:19

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 19:16-21; मत्ती 5:38-45
Deuteronomy 19:16 यदि कोई झूठी साक्षी देने वाला किसी के विरुद्ध यहोवा से फिर जाने की साक्षी देने को खड़ा हो,
Deuteronomy 19:17 तो वे दोनों मनुष्य, जिनके बीच ऐसा मुकद्दमा उठा हो, यहोवा के सम्मुख, अर्थात उन दिनों के याजकों और न्यायियों के साम्हने खड़े किए जाएं;
Deuteronomy 19:18 तब न्यायी भली भांति पूछपाछ करें, और यदि यह निर्णय पाए कि वह झूठा साक्षी है, और अपने भाई के विरुद्ध झूठी साक्षी दी है
Deuteronomy 19:19 तो अपने भाई की जैसी भी हानि करवाने की युक्ति उसने की हो वैसी ही तुम भी उसकी करना; इसी रीति से अपने बीच में से ऐसी बुराई को दूर करना।
Deuteronomy 19:20 और दूसरे लोग सुनकर डरेंगे, और आगे को तेरे बीच फिर ऐसा बुरा काम नहीं करेंगे।
Deuteronomy 19:21 और तू बिलकुल तरस न खाना; प्राण की सन्ती प्राण का, आंख की सन्ती आंख का, दांत की सन्ती दांत का, हाथ की सन्ती हाथ का, पांव की सन्ती पांव का दण्ड देना।
Matthew 5:38 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत।
Matthew 5:39 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उस की ओर दूसरा भी फेर दे।
Matthew 5:40 और यदि कोई तुझ पर नालिश कर के तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे।
Matthew 5:41 और जो कोई तुझे कोस भर बेगार में ले जाए तो उसके साथ दो कोस चला जा।
Matthew 5:42 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तुझ से उधार लेना चाहे, उस से मुंह न मोड़।
Matthew 5:43 तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
Matthew 5:44 परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।
Matthew 5:45 जिस से तुम अपने स्‍वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।

एक साल में बाइबल: 

  • 1 इतिहास 1-3 
  • यूहन्ना 5:25-47



गुरुवार, 16 मई 2013

सही दृष्टिकोण


   क्या आपको कभी लगा कि जीवन न्यायी नहीं है? जो संसार के स्वामी तथा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह में विश्वास नहीं करते और उसकी कोई परवाह भी नहीं करते, उनकी समृद्धि और सामर्थ देख कर हम मसीही विश्वासियों को कई बार कुण्ठित एवं निराश होना बहुत स्वभाविक लगता है। एक अविश्वासी व्यवसायी बेईमानी करता है लेकिन फिर भी बड़े ठेके और दौलत उसे मिलते हैं; एक ऐसा जन जो भोग-विलास का जीवन बिताता है, स्वस्थ बना रहता है - जबकि हमें या हमारे रिश्तेदारों को आर्थिक तथा स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझते रहना पड़ता है, मानो हम ही दोषी और अयोग्य रहे हों और वे सब भले!

   यदि आप ने ऐसा अनुभव किया है या फिर कर रहे हैं तो आप अच्छी संगति में हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 73 का लेखक भी ऐसी ही भावना से होकर निकल रहा था; उसने दुराचारियों को फलते-फूलते देखा, और सोचने लगा कि "निश्चय, मैं ने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;" (भजन 73:13)। लेकिन यह तब तक ही रहा, "जब तक कि मैं ने ईश्वर के पवित्र स्थान में जा कर उन लोगों के परिणाम को न सोचा" (भजन 73:17); जब उसने परमेश्वर की उपस्थिति में और परमेश्वर के दृष्टिकोण से उन दुराचारियों को देखा तो उसके विचार एकदम बदल गए और शेष भजन में उन लोगों के अन्त और परमेश्वर के लोगों की उत्तम स्थिति को पहचान कर वह परमेश्वर का धन्यवादी हो गया।

   जब हम परमेश्वर के साथ समय बिताते हैं और उसके दृष्टिकोण से परिस्थितियों और बातों का आंकलन करते हैं, तब हमारा जीवन और जीवन की परिस्थितियों के प्रति रवैया बिलकुल बदल जाता है। हम आज मसीही अविश्वासियों की समृद्धि को देख कर उनसे ईर्ष्या कर सकते हैं लेकिन अन्तिम न्याय के समय ऐसा नहीं रहेगा। यदि एक छोटी लड़ाई जीत कर भी पूरा युद्ध हार जाएं, तो उस छोटी जीत का क्या लाभ? संसार में कुछ समय की सुख-समृद्धि पाकर अनन्त जीवन कष्ट में बिताने के लिए खाली हाथ प्रवेश करें तो फिर क्या पाया और क्या कमाया? और फिर हमारा यह दुख उठाना व्यर्थ तो नहीं, परमेश्वर हमारी हर एक बात का हिसाब रख रहा है और स्वर्ग में हमारे लिए एक बड़ा प्रतिफल तैयार हो रहा है जिसका आनन्द हम अनन्त काल तक लेते रहेंगे।

   भजन 73 के लेखक के समान ही हम भी अपने दृष्टिकोण को सही करें और परमेश्वर कि प्रशंसा और धन्यावाद करें कि वह ना केवल आते जीवन में हमारे साथ होगा, वरन इस जीवन में भी है और हर परिस्थिति, हर परेशानी में हमारे साथ बना रहता है। जीवन के अनुचित और अन्यायी प्रतीत होने वाले व्यवहार में भी यदि परमेश्वर हमारे साथ बना है और हमारा सहारा है तो फिर और किसी बात की आवश्यकता नहीं है। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के साथ समय बिताने से सब बातों के प्रति दृष्टिकोण सही हो जाता है।

क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था। - भजन 73:3 

बाइबल पाठ: भजन 73
Psalms 73:1 सचमुच इस्त्राएल के लिये अर्थात शुद्ध मन वालों के लिये परमेश्वर भला है।
Psalms 73:2 मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे।
Psalms 73:3 क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।
Psalms 73:4 क्योंकि उनकी मृत्यु में वेदनाएं नहीं होतीं, परन्तु उनका बल अटूट रहता है।
Psalms 73:5 उन को दूसरे मनुष्यों की नाईं कष्ट नहीं होता; और और मनुष्यों के समान उन पर विपत्ति नहीं पड़ती।
Psalms 73:6 इस कारण अहंकार उनके गले का हार बना है; उनका ओढ़ना उपद्रव है।
Psalms 73:7 उनकी आंखें चर्बी से झलकती हैं, उनके मन की भवनाएं उमण्डती हैं।
Psalms 73:8 वे ठट्ठा मारते हैं, और दुष्टता से अन्धेर की बात बोलते हैं;
Psalms 73:9 वे डींग मारते हैं। वे मानों स्वर्ग में बैठे हुए बोलते हैं, और वे पृथ्वी में बोलते फिरते हैं।
Psalms 73:10 तौभी उसकी प्रजा इधर लौट आएगी, और उन को भरे हुए प्याले का जल मिलेगा।
Psalms 73:11 फिर वे कहते हैं, ईश्वर कैसे जानता है? क्या परमप्रधान को कुछ ज्ञान है?
Psalms 73:12 देखो, ये तो दुष्ट लोग हैं; तौभी सदा सुभागी रहकर, धन संपत्ति बटोरते रहते हैं।
Psalms 73:13 निश्चय, मैं ने अपने हृदय को व्यर्थ शुद्ध किया और अपने हाथों को निर्दोषता में धोया है;
Psalms 73:14 क्योंकि मैं दिन भर मार खाता आया हूं और प्रति भोर को मेरी ताड़ना होती आई है।
Psalms 73:15 यदि मैं ने कहा होता कि मैं ऐसा ही कहूंगा, तो देख मैं तेरे लड़कों की सन्तान के साथ क्रूरता का व्यवहार करता,
Psalms 73:16 जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूं, तो यह मेरी दृष्टि में अति कठिन समस्या थी,
Psalms 73:17 जब तक कि मैं ने ईश्वर के पवित्र स्थान में जा कर उन लोगों के परिणाम को न सोचा।
Psalms 73:18 निश्चय तू उन्हें फिसलने वाले स्थानों में रखता है; और गिराकर सत्यानाश कर देता है।
Psalms 73:19 अहा, वे क्षण भर में कैसे उजड़ गए हैं! वे मिट गए, वे घबराते घबराते नाश हो गए हैं।
Psalms 73:20 जैसे जागने हारा स्वप्न को तुच्छ जानता है, वैसे ही हे प्रभु जब तू उठेगा, तब उन को छाया सा समझ कर तुच्छ जानेगा।
Psalms 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था,
Psalms 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था।
Psalms 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा।
Psalms 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा।
Psalms 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता।
Psalms 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।
Psalms 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है।
Psalms 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 24-25 
  • यूहन्ना 5:1-24


बुधवार, 15 मई 2013

सुनिश्चित कीजिए


एक पुस्तक जिसका शीर्षक है "UnChristian" (गैरमसीही) उन कारणों को बताती है जिनके कारण बहुत से ऐसे लोग जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं रखते, मसीह यीशु पर विश्वास रखने वालों से चिढ़ते हैं। दिए गए कारणों में प्रमुख है मसीही अविश्वासियों के प्रति मसीही विश्वासियों का व्यवहार। इस पुस्तक के लिए किए गए शोध में पाया गया कि मसीह यीशु पर विश्वास ना रखने वालों की दृष्टि में मसीही विश्वासी पाखण्डी, आलोचनात्मक एवं ऊँगुली उठाने वाले, कठोर, और अपने समान विश्वास ना रखने वालों के प्रति प्रेम या सहिषुण्ता ना दिखाने वाले होते हैं।

   मुझे पूरा विश्वास है कि मसीही विश्वासियों के प्रति यह दृष्टिकोण जैसे मुझे कतई पसन्द नहीं आया था, एक मसीही विश्वासी होने के नाते आपको भी यह पसन्द नहीं आएगा। लेकिन प्रश्न मेरी और आपकी पसन्द-नापसन्द का नहीं है; बहुत बार नापसन्द आने वाली बातें भी सत्य होती हैं, और हम मसीही विश्वासियों को सत्य का सच्चाई से सामना करना अवश्य है। प्रभु यीशु के शिष्य प्रेरित यूहन्ना ने अपनी लिखी पहली पत्री में कुछ सशक्त शब्दों का प्रयोग किया है। एक स्थान पर वह लिखता है: "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना" (1 यूहन्ना 3:1)। परमेश्वर के साथ एक मसीही विश्वासी के संबंध के आधार को लिखने के बाद यूहन्ना आगे तीक्ष्ण तुलनात्मक अन्तर प्रस्तुत करता है: एक मसीही विश्वासी धार्मिकता से प्रेम करता है, पाप से बचकर रहता है, और अन्य लोगों के प्रति प्रेम में बने रहता है; इसकी तुलना में मसीह में अविश्वासी रहने वालों के जीवन में पाप करने और पाप में बने रहने की प्रवृति, एक दुसरे के प्रति भेद-भाव, तिरिस्कार और नफरत की भावनाएं रहती हैं, और वे अनन्त मृत्यु के भागी हैं।

   यूहन्ना ने बहुत चुभने वाले प्रबल शब्द प्रयोग करे हैं जिससे कि पढ़ने वाले पहचान सकें कि हम या तो प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर की सन्तान हैं अन्यथा प्रभु यीशु से दूर रहकर, जानते बूझते हुए या अनजाने में, शैतान की आधीनता में रहने वाले लोग - बीच का या तीसरा कोई स्थान है ही नहीं। साथ ही यूहन्ना यह भी चिताता है कि केवल एक ही मानक है जो प्रमाणित करता है कि हम वास्तव में परमेश्वर की सन्तान हैं - प्रत्यक्ष व्यवहार और जीवन में सर्वविदित प्रेम (यूहन्ना 3:10, 18-19; 4:7-8)। यह नहीं हो सकता कि हम पाप का जीवन भी व्यतीत करें और परमेश्वर की सन्तान होने का दावा भी करें - हमारा प्रचार नहीं वरन हमारा चरित्र और व्यवहार, हमारा आचरण हमारी वास्तविकता को प्रगट करता है।

   आप यदि मसीही विश्वासी हैं तो यह सुनिश्चित करना भी आपका कर्तव्य है कि आपका जीवन और कार्य आपके शब्दों और आपके विश्वास का सजीव उदाहरण हों। अपने जीवन की गवाही से मसीह यीशु के लिए लोगों को ठोकर देने वाले नहीं वरन लोगों को आकर्षित करने वाले बनें। - डेव एग्नर



मसीह यीशु के अनुयायी होने की दो आवश्यकताएं हैं - पहला मसीह यीशु में विश्वास, दूसरा उस विश्वास के अनुरूप आचरण।

इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। - 1 यूहन्ना 3:10 

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:1-10,14-18
1 John 3:1 देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
1 John 3:2 हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
1 John 3:3 और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।
1 John 3:4 जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; ओर पाप तो व्यवस्था का विरोध है।
1 John 3:5 और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्‍वभाव में पाप नहीं।
1 John 3:6 जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उसने न तो उसे देखा है, और न उसको जाना है।
1 John 3:7 हे बालकों, किसी के भरमाने में न आना; जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
1 John 3:8 जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
1 John 3:9 जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
1 John 3:10 इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
1 John 3:14 हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार हो कर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।
1 John 3:15 जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता।
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 22-23 
  • यूहन्ना 4:31-54


मंगलवार, 14 मई 2013

धैर्य


   बच्चे स्वभाव से ही अधीर होते हैं; उन्हें हर चीज़ हर उत्तर, हर इच्छा की पूर्ति तुरन्त चाहिए: "लेकिन मैंने तो मिठाई अभी ही खानी है!"; "क्या हम वहाँ पहुँचे कि नहीं? कब पहुँचेंगे?"; "मुझे तो अपने उपहार अभी खोलकर देखने हैं।" आदि कुछ वाक्य हैं जिन्हें बच्चों के मुख से हम आम सुनते हैं। इसकी तुलना में, जैसे जैसे हम बड़े और परिपक्व होते जाते हैं हम प्रतीक्षा करना भी सीखते जाते हैं। डॉक्टर बनने के लिए कई वर्षों के लंबे शिक्षा और प्रशिक्षण काल से होकर गुज़रना पड़ता है। माता-पिता धैर्य रखते हैं कि कभी तो उनका ग़ैरज़िम्मेदार पुत्र अपनी ज़िम्मेदारी को समझेगा और परिवार के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने लगेगा। प्रतीक्षा करना ही हमें धैर्य रखना सीखाता है।

   परमेश्वर समय से बन्धा नहीं है, वह हमसे एक परिपक्व विश्वास की आशा रखता है जिसके अन्तर्गत कार्य करते हुए हमारे दृष्टिकोण से ’विलंब’ आ सकते हैं, जिन्हें हम परीक्षाएं कहकर बुलाते हैं। इस परिपक्वता का एक चिन्ह है धैर्य - एक ऐसा गुण जो समय बीतने के साथ ही सीखा जा सकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इस धैर्य और परिपक्वता और इससे संबंधित प्रार्थनाओं के अनेक उदाहरण हैं। जैसे, याकूब ने 7 वर्ष अपनी पत्नि के लिए धैर्य रखकर परिश्रम किया, और फिर पाया कि उसके ससुर ने उसे धोखा देकर एक अन्य से उसकी शादी कर दी; उसने अपनी पसन्द कि पत्नि के लिए पुनः 7 वर्ष फिर से मेहनत करना स्वीकार किया और मेहनत करी। इस्त्राएलियों ने मिस्त्र की ग़ुलामी से छूटने के लिए 4 शताब्दी अपने छुड़ाने वाले की प्रतीक्षा करी। मूसा ने उन इस्त्राएलियों को छुड़ाने का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी परमेश्वर से मिलने के लिए 4 दशक तक प्रतीक्षा करी; ज़िम्मेदारी मिलने के बाद फिर और 4 दशक तक वह उन्हें बियाबान में लेकर वाचा किए हुए उस देश की ओर लेकर चलता रहा जिसमें उसे प्रवेश नहीं करने की आज्ञा परमेश्वर ने दी थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा: "पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं" (भजन 130:6); तात्पर्य था कि जैसे पहरुए रात ढलने और अपनी बारी समाप्त होने और घर पहुँचने की प्रतीक्षा करते हैं उससे भी अधिक चाह से भजनकार भी परमेश्वर से मिलने की प्रतीक्षा करता है।

   मैं भी परमेश्वर के पास होने की प्रतीक्षा करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ; प्रार्थना करता हूँ कि मैं धरती पर अपने प्रतीक्षा के समय को योग्य रीति से धैर्य के साथ बिता सकूँ, मेरी आशा बनी रहे, मेरा विश्वास कमज़ोर ना पड़े और मैं धैर्य तथा परिपक्वता के साथ अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के काम आता रहूँ। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर जल्दबाज़ी में कार्य नहीं करता।

मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है; - भजन 130:5 

बाइबल पाठ: भजन 130
Psalms 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है!
Psalms 130:2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें!
Psalms 130:3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा?
Psalms 130:4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है; जिस से तेरा भय माना जाए।
Psalms 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है;
Psalms 130:6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।
Psalms 130:7 इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है।
Psalms 130:8 इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 19-21 
  • यूहन्ना 4:1-30