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बुधवार, 31 जुलाई 2013

मुफ्त

   आर्थिक कठिनाईयों से जूझ रहे लोगों की सहायाता के लिए, जिस चर्च में मैं जाता हूँ वहां के लोगों ने एक "सब के लिए मुफ्त" दिवस आयोजित किया। हम चर्च के लोगों ने अपने घरों से कम प्रयोग करी हुई वस्तुएं लाकर चर्च में रख लीं और चर्च के दरवाज़े समाज के लिए खोल दिए और कह दिया कि जिसे जो आवश्यकता हो वह अपनी आवश्यकतानुसार बिना कोई दाम दिए ले जाए। जिन वस्तुओं को लाकर चर्च में रखा गया था वे दैनिक पारिवारिक जीवन में काम आने वाली वस्तुएं थीं, जिनके दाम किसी हम पहले ही चुका चुके थे। अब लोगों को अपनी आवश्यकता पहचान कर वांछित वस्तु केवल माँगना भर था और वह माँगी हुई वस्तु उन्हें बिना किसी प्रश्न या दाम के दे दी जाती।

   यह दिन बहुत सफल रहा, केवल इसलिए नहीं क्योंकि बहुत से लोग बहुत सी वस्तुएं ले जा सके, वरन इससे भी बढ़कर इसलिए क्योंकि उस दिन छः नए लोगों ने प्रभु यीशु को अपने निज उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया। इन छः लोगों ने केवल मुफ्त मिल रही वस्तुओं का लाभ नहीं लिया, वरन उससे भी अधिक उस मुफ्त मिल रही पापों की क्षमा और उद्धार का भी लाभ उठाया जिसकी कीमत प्रभु यीशु ने उनके लिए अपने बलिदान के द्वारा पहले से ही चुका रखी थी।

   समस्त संसार और समस्त मानवजाति के पापों के दण्ड को अपने ऊपर लेकर और उन के लिए लगभग 2000 वर्ष पहले क्रूस पर अपना बलिदान देकर प्रभु यीशु ने सभी के पापों के दण्ड को चुका दिया, तथा मृत्यु पर जयवन्त होकर तीसरे दिन जी उठने के द्वारा अपने ईश्वरत्व को भी प्रमाणित कर दिया। अब प्रभु यीशु से यह क्षमा और उद्धार सब के लिए मुफ्त में उपलब्ध है, केवल उसके पास जाकर इसे माँगना और स्वीकार करना है "इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे" (रोमियों 3:23-25)।

   संसार के इतिहास में केवल एक प्रभु यीशु ही है जिसने पापियों के उद्धार के लिए अपने प्राण दिए और उनसे पापों की क्षमा का भी वायदा करता है। केवल वही एक मात्र है जो स्वतः ही मृत्यु के तीन दिन के बाद जीवित लौट कर आया है और फिर कभी नहीं मरा। केवल वही एक मात्र है जो किसी जाति या धर्म के आधार पर नहीं वरन सभी के लिए अपने प्रेम के आधार पर व्यवहार करता है और उन्हें ऊँच-नीच, बड़े-छोटे, भले-बुरे, धर्मी-अधर्मी आदि में विभाजित नहीं करता वरन सबको अपने में एक कर लेता है "क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्‍वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो" (गलतियों 3:26-28)।

   हम में से प्रत्येक जन किसी ना किसी बात में या आत्मिक रीति से आवश्यकतामन्द है, और हमारी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति प्रभु यीशु में है। साथ ही संसार के हर जन की आवश्यकता है पापों से क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन, जो केवल प्रभु यीशु में ही उपलब्ध है, और वह भी बिलकुल मुफ्त! क्या आपने इस मुफ्त उपलब्ध उद्धार का लाभ उठा लिया है? - डेव ब्रैनन


पाप क्षमा और उद्धार मुफ्त में उपलब्ध तो हैं, किंतु आपके स्वीकार किए बिना वे आपके लिए कार्यकारी नहीं हो सकते।

अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं। इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। - रोमियों 3:22-23

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-9
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया।
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56 
  • रोमियों 3


मंगलवार, 30 जुलाई 2013

संभाल

   एक दिन अपने बेटे के लिए मैं सौर मंडल का एक नमूना खरीद लाया; घर में पुर्ज़े जोड़कर उसे बनाने और लगाने के लिए मुझे सभी ग्रहों को छत से लटकाना था। यह करने के लिए कई बार सीढ़ी चढ़ने-उतरने से मैं थक गया और मुझे कुछ चक्कर भी आने लगे। यह कार्य पूरा होने के कुछ ही घण्टों में हमें कुछ गिरने की आवाज़ आई; जाकर देखा तो सौर मण्डल से बृहस्पति गृह टूट कर नीचे धरती पर गिरा पड़ा था!

   उस रात को जब मैं सोने के लिए लेटा तो मेरा ध्यान इस घटना की ओर गया और मैं सोचने लगा कि एक सौर मण्डल के नमूने को लगाने भर के लिए मुझे कितना परिश्रम करना पड़ा और फिर कितनी सरलता से सौर मण्डल के उस नमूने से एक गृह टूट कर गिर गया, लेकिन सदियों से हमारा सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ना केवल हमारे सौर मण्डल को वरन इस सारी सृष्टि को बिना थके संभाले हुए है, "और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं" (कुलुस्सियों 1:17) और एक भी ग्रह या नक्षत्र अपनी निर्धारित दिशा से ज़रा भी इधर-उधर नहीं होता। प्रभु यीशु हमारे संसार और इस सृष्टि को अपने बनाए उन नियमों के द्वारा संभाले रहता है जिनको स्वाभाविक मान कर संसार हल्के में ले लेता है और उसके बारे में परवाह भी नहीं करता। प्रभु यीशु ही है जो अपनी सामर्थ से सब कुछ संभाले रहता है, "... और सब वस्‍तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है..." (इब्रानियों 1:3)। यह प्रभु यीशु की सामर्थ का उदाहरण है कि वह केवल अपने वचन के द्वारा ही सारी सृष्टि को संभाले रहता है और संचालित करता रहता है।

   यह सब अद्भुत तो है, लेकिन प्रभु यीशु केवल सौर मण्डल-तारों-नक्षत्रों को संभालने वाला ही नहीं है, वह हमारी, अर्थात संसार के प्रत्येक मनुष्य की हर बात कि जानकारी भी रखता है और सब का पालन-पोषण भी करता है: "जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है" (प्रेरितों 17:24-25)।

   चाहे हमारा प्रभु हमें हर मांगी हुई अथवा ऐच्छित वस्तु ना भी दे, लेकिन फिर भी हम चाहे किसी भी परिस्थिति, तंगी, घटी, बीमारी आदि में क्यों ना हों, वह हर पल हर क्षण हमें संभाले रहता है, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता रहता है और हमारी देख-भाल करता रहता है और जो जिस समय हमारे लिए उपयुक्त और आवश्यक है वह उपलब्ध कराता है। उसने इस संसार में हमारे जितने भी दिन निर्धारित किए हैं, हम उसपर पूरा पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह जो सौर मण्डल, तारों, नक्षत्रों को बिना थके संभालता है और कुछ भी ज़रा सा भी इधर-उधर नहीं होने देता, वही उन सभी दिनों के पूरे होने तक उतनी ही परवाह और बारीकी से हमारी व्यक्तिगत संभाल भी करता रहेगा और फिर अनन्तकाल के लिए हम मसीही विश्वासियों को अपने निकट आनन्द की भरपूरी में रख लेगा। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


जो परमेश्वर सृष्टि को संभालता है, वही मुझे भी संभालता है।

और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं। - कुलुस्सियों 1:17 

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:14-23
Colossians 1:14 जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
Colossians 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Colossians 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Colossians 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Colossians 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
Colossians 1:19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।
Colossians 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप कर के, सब वस्‍तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की।
Colossians 1:21 और उसने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया जो पहिले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे।
Colossians 1:22 ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्‍कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे।
Colossians 1:23 यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्‍टि में किया गया; और जिस का मैं पौलुस सेवक बना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53 
  • रोमियों 2


सोमवार, 29 जुलाई 2013

भरपूरी का जीवन

   दार्शनिक चिन्तन करते हैं "भरपूरी का जीवन क्या है और यह कहाँ मिलता है?" जब कभी मैं यह प्रश्न सुनता हूँ, मुझे अपना मित्र रॉय का स्मरण हो आता है। रॉय एक शान्त, नम्र, सुशील व्यक्ति था जो कभी प्रतिष्ठा या सम्मान पाने की लालसा नहीं रखता था। उसे अपनी दैनिक आवश्यकताओं की भी कोई चिन्ता नहीं रहती थी, उसने यह चिन्ता अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता के हाथों में छोड़ी हुई थी। उसे बस एक ही बात की चिन्ता थी - अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता की इच्छा को पूरा करते रहना। उसका दृष्टीकोण स्वर्गीय था और उसे देख कर मुझे सदा स्मरण आता था कि इस पृथ्वी पर हम केवल यात्री ही तो हैं।

   रॉय पिछले पतझड़ में संसार से जाता रहा। उसकी यादगार में रखी गई सभा में बहुत से मित्रों ने अपने जीवन पर उसके जीवन से पड़े प्रभाव के बारे में बताया। बहुत से लोग उसकी दयालुता, निस्वार्थ दान, नम्रता और विनम्र अनुकंपा के बारे में बोले। वह सब के लिए परमेश्वर के निस्वार्थ प्रेम का सजीव उदाहरण था। उस सभा के बाद रॉय का बेटा उसके रहने के स्थान एक वृद्ध-आश्रम पर गया कि अपने पिता की सांसारिक संपत्ति को ले और वह स्थान खाली करके आश्रम को वापस लौटा दे; उसे वहाँ मिले बस दो जोड़ी जूते, कुछ शर्ट और पैन्ट और कुछ छोटा-मोटा सामान। वह यह सब एक स्थानीय धर्मार्थ कार्य करने वाले संगठन को सौंप कर आ गया।

   जैसा कुछ लोगों के अनुसार एक भरपूर जीवन होता है, वैसा जीवन रॉय के पास कभी नहीं था, लेकिन उसका जीवन परमेश्वर के प्रति भले कार्यों से भरा हुआ था। जॉर्ज मैकडौन्लड ने लिखा था, "कौन है जो स्वर्ग और पृथ्वी का स्वामी है; वह जिसके पास हज़ार बंगले हैं या वह जिसके पास एक भी रहने का ऐसा स्थान नहीं जिसका वह मालिक हो किंतु ऐसे दस स्थान हों जहाँ जाकर यदि वह द्वार खटखटकाए तो वहाँ तुरंत उल्लास की लहर दौड़ जाए?"

   रॉय के पास सांसारिक संपत्ति तो नहीं थी, लेकिन बेशक रॉय का जीवन भरपूरी का जीवन था और इस का राज़ था परमेश्वर के साथ उसका संबंध जिसने उसके दृष्टिकोण को सांसारिक नहीं स्वर्गीय बना दिया था। परमेश्वर के साथ उसके ऐसे संबंध के कारण ही संसार तथा संसार के लोगों के साथ उसका हर संबंध विलक्षण था, प्रेरित करने वाला था, सकारात्मक था। क्योंकि उसका जीवन परमेश्वर को प्रशंसा देता था, परमेश्वर ने उसे संसार में प्रशंसनीय बना दिया था। जितना वह हर बात के लिए परमेश्वर की ओर देखता रहता था, परमेश्वर ने उतना ही लोगों को उसकी ओर देखने वाला बना दिया।

   रॉय का जीवन उदाहरण है उस भरपूरी का जो परमेश्वर को अपने जीवन में प्रथम स्थान देने से आती है। - डेविड रोपर


परमेश्वर को जाने बिना भरपूरी का जीवन जान पाना संभव नहीं।

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:1-11
Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है।
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्‍हीं के अनुसार चलते थे।
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50 
  • रोमियों 1


रविवार, 28 जुलाई 2013

उपवास

   कुछ वर्ष पहले हमारे चर्च में हमने परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम में मिलाप वाले तम्बू को विषय बनाकर एक अध्ययन श्रंखला करी थी। जब इस श्रंखला में मेज़ पर रखी भेंट की रोटियों का विषय आया तो मैंने कुछ ऐसा किया जो उससे पहले कभी नहीं किया था - मैंने कई दिनों तक भोजन तज कर उपवास रखा। मैंने उपवास इसलिए रखा क्योंकि मैं परमेश्वर के वचन "...इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है" (व्यवस्थाविवरण 8:3) की सच्चाई को व्यक्तिगत रीति से अनुभव करना चाहता था। मैं चाहता था कि मैं किसी विवशता के अन्तर्गत नहीं वरन पूर्ण स्वेच्छा से एक ऐसी वस्तु का इन्कार करूँ जिससे मैं बहुत प्रेम रखता था - भोजन, उसके लिए जिससे मैं और भी अधिक प्रेम रखता हूँ - परमेश्वर।

   जब मैंने यह उपवास रखा तो प्रभु यीशु मसीह की उपवास से संबंधित शिक्षाओं (मत्ती 6:16-18) का पालन भी किया। इस खंड में प्रभु यीशु ने पहले एक नकारात्मक आज्ञा दी: "जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके" (मत्ती 6:16)। फिर एक सकारात्मक आज्ञा दी: "परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो" (मत्ती 6:17)। इन दोनों आज्ञाओं के द्वारा प्रभु यीशु ने सिखाया कि हमें परमेश्वर के लिए कोई कार्य दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने या उन पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से नहीं करना है। हमारे यह कार्य परमेश्वर के प्रति प्रेम और आराधना का एक व्यक्तिगत बलिदान और उपासना हैं जिसमें किसी प्रकार के धार्मिक घमण्ड या किसी विवशता का कोई स्थान नहीं है। यह समझाने के बाद प्रभु यीशु ने इस बात के पालन पर आधारित आशीष की प्रतिज्ञा भी दी: "ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा" (मत्ती 6:18)।

   मसीही विश्वास में उपवास रखना ना कोई विवशता है और ना ही परमेश्वर हमें इसके लिए बाध्य करता है कि उसकी निकटता में आने के लिए हम अपने आप को किसी भोजन वस्तु से वंचित करें। परमेश्वर की इच्छा यही है कि हम अपने जीवनों को उसके निर्देशों और नियमों के अनुसार संचालित करते रहें और संसार के समान जीने से बचे रहें, यही अपने आप में एक उपवास है जिसका परमेश्वर की नज़रों में बड़ा मोल है और जिसका परमेश्वर से प्रतिफल महान है (यशायाह 58:1-14)। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर के निकट आने के लिए संसार की लालसाओं से दूरी बना लेना लाभदायक होता है।

सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। - मत्ती 6:1

बाइबल पाठ: यशायाह 58:1-14
Isaiah 58:1 गला खोल कर पुकार, कुछ न रख छोड़, नरसिंगे का सा ऊंचा शब्द कर; मेरी प्रजा को उसका अपराध अर्थात याकूब के घराने को उसका पाप जता दे।
Isaiah 58:2 वे प्रति दिन मेरे पास आते और मेरी गति बूझने की इच्छा ऐसी रखते हैं मानो वे धर्मी लोग हैं जिन्होंने अपने परमेश्वर के नियमों को नहीं टाला; वे मुझ से धर्म के नियम पूछते और परमेश्वर के निकट आने से प्रसन्न होते हैं।
Isaiah 58:3 वे कहते हैं, क्या कारण है कि हम ने तो उपवास रखा, परन्तु तू ने इसकी सुधि नहीं ली? हम ने दु:ख उठाया, परन्तु तू ने कुछ ध्यान नहीं दिया? सुनो, उपवास के दिन तुम अपनी ही इच्छा पूरी करते हो और अपने सेवकों से कठिन कामों को कराते हो।
Isaiah 58:4 सुनो, तुम्हारे उपवास का फल यह होता है कि तुम आपस में लड़ते और झगड़ते और दुष्टता से घूंसे मारते हो। जैसा उपवास तुम आजकल रखते हो, उस से तुम्हारी प्रार्थना ऊपर नहीं सुनाई देगी।
Isaiah 58:5 जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं अर्थात जिस में मनुष्य स्वयं को दीन करे, क्या तुम इस प्रकार करते हो? क्या सिर को झाऊ की नाईं झुकाना, अपने नीचे टाट बिछाना, और राख फैलाने ही को तुम उपवास और यहोवा को प्रसन्न करने का दिन कहते हो?
Isaiah 58:6 जिस उपवास से मैं प्रसन्न होता हूं, वह क्या यह नहीं, कि, अन्याय से बनाए हुए दासों, और अन्धेर सहने वालों का जुआ तोड़कर उन को छुड़ा लेना, और, सब जुओं को टुकड़े टुकड़े कर देना?
Isaiah 58:7 क्या वह यह नहीं है कि अपनी रोटी भूखों को बांट देना, अनाथ और मारे मारे फिरते हुओं को अपने घर ले आना, किसी को नंगा देखकर वस्त्र पहिनाना, और अपने जातिभाइयों से अपने को न छिपाना?
Isaiah 58:8 तब तेरा प्रकाश पौ फटने की नाईं चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा।
Isaiah 58:9 तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, मैं यहां हूं। यदि तू अन्धेर करना और उंगली मटकाना, और, दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे,
Isaiah 58:10 उदारता से भूखे की सहायता करे और दीन दु:खियों को सन्तुष्ट करे, तब अन्धियारे में तेरा प्रकाश चमकेगा, और तेरा घोर अन्धकार दोपहर का सा उजियाला हो जाएगा।
Isaiah 58:11 और यहोवा तुझे लगातार लिये चलेगा, और काल के समय तुझे तृप्त और तेरी हड्डियों को हरी भरी करेगा; और तू सींची हुई बारी और ऐसे सोते के समान होगा जिसका जल कभी नहीं सूखता।
Isaiah 58:12 और तेरे वंश के लोग बहुत काल के उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे; तू पीढ़ी पीढ़ी की पड़ी हुई नेव पर घर उठाएगा; तेरा नाम टूटे हुए बाड़े का सुधारक और पथों का ठीक करने वाला पड़ेगा।
Isaiah 58:13 यदि तू विश्रामदिन को अशुद्ध न करे अर्थात मेरे उस पवित्र दिन में अपनी इच्छा पूरी करने का यत्न न करे, और विश्रामदिन को आनन्द का दिन और यहोवा का पवित्र किया हुआ दिन समझ कर माने; यदि तू उसका सम्मान कर के उस दिन अपने मार्ग पर न चले, अपनी इच्छा पूरी न करे, और अपनी ही बातें न बोले,
Isaiah 58:14 तो तू यहोवा के कारण सुखी होगा, और मैं तुझे देश के ऊंचे स्थानों पर चलने दूंगा; मैं तेरे मूलपुरूष याकूब के भाग की उपज में से तुझे खिलाऊंगा, क्योंकि यहोवा ही के मुख से यह वचन निकला है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48 
  • प्रेरितों 28


शनिवार, 27 जुलाई 2013

रिश्वत

   एक देश में यात्रा करते समय हमने पाया कि पक्की सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए थे जिनके कारण ठीक से गाड़ी चलाना कठिन हो गया था। मेरे पति ने हमारे टैक्सी चालक से इस के बारे में पूछा तो उसने कहा कि ये गड्ढे भारी ट्रकों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में भार लेकर चलने के कारण हुए थे। जब भी पुलिस वाले उन ट्रक वालों को रोकते तो वे ट्रक वाले पुलिस वालों को रिश्वत देकर दण्ड से बच निकलते। ऐसा करने से पुलिस और ट्रक वाले तो अपनी कमाई कर लेते थे लेकिन क्षति अन्य वाहन चालकों और सामान्य जनता की होती थी जो इन सड़कों के बनाने के लिए कर भी चुकाती थी, फिर खराब सड़कों के कारण परेशानी भी उठाती थी।

   सभी प्रकार की रिश्वत इतनी प्रत्यक्ष नहीं होती, कुछ प्रकार की रिश्वत अप्रत्यक्ष भी होती है; और हर रिश्वत वित्तीय भी नहीं होती। चापलूसी भी एक प्रकार कि रिश्वत ही है जो शब्दों के द्वारा दी जाती है। यदि कोई हमारे बारे में अच्छी अच्छी बातें कहता रहे और हमारी प्रशंसा करता रहे और हम इस कारण से उसे अन्य लोगों की बजाए अधिक महत्व दें और उसकी गलतीयों की अनदेखी करें या उन पर पर्दा डालें तो यह रिश्वतखोरी के समान  ही है। परमेश्वर की नज़र में हर प्रकार का पक्षपात अन्याय है। इस बारे में हम परमेश्वर के दृष्टिकोण को इस बात से भी समझ सकते हैं कि जब परमेश्वर ने इस्त्राएल को मिस्त्र के दासत्व से निकाल कर कनान देश में लाकर बसाया तो उन्हें चिताया कि उनका वहाँ बना रहना उनके परस्पर न्यायपूर्ण व्यवहार पर निर्भर करेगा: "तुम न्याय न बिगाड़ना; तू न तो पक्षपात करना; और न तो घूस लेना, क्योंकि घूस बुद्धिमान की आंखें अन्धी कर देती है, और धर्मियों की बातें पलट देती है। जो कुछ नितान्त ठीक है उसी का पीछा पकड़े रहना, जिस से तू जीवित रहे, और जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसका अधिकारी बना रहे" (व्यवस्थाविवरण 16:19-20 )।

   रिश्वत दूसरों को न्याय से वंचित करती है, जो परमेश्वर के चरित्र के विरुद्ध है: "क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है" (व्यवस्थाविवरण 10:17)। जैसा परमेश्वर का चरित्र है, वैसा ही चरित्र वह अपने लोगों में भी देखना चाहता है: "पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं" (1 पतरस 1:15-16)।

   परमेश्वर की इस इच्छा को पूरा करना हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


रिश्वतखोरी से पक्षपात होता है; प्रेम से न्याय आता है।

घूस न लेना, क्योंकि घूस देखने वालों को भी अन्धा कर देता, और धर्मियों की बातें पलट देता है। - निर्गमन 23:8 

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 10:12-22
Deuteronomy 10:12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे,
Deuteronomy 10:13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो?
Deuteronomy 10:14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है;
Deuteronomy 10:15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है।
Deuteronomy 10:16 इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो।
Deuteronomy 10:17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान्‌ पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है।
Deuteronomy 10:18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है।
Deuteronomy 10:19 इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
Deuteronomy 10:20 अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना।
Deuteronomy 10:21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिसने तेरे साथ वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपनी आंखों से देखा है।
Deuteronomy 10:22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारों के समान बहुत कर दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45 
  • प्रेरितों 27:27-44


शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

दृढ़ प्रतिज्ञा

   कोहरे के कारण कार के शीशे धुँधला गए थे और ऐन्जी ठीक से बाहर का दृश्य देख नहीं पा रही थी और अन्जाने में ही उसने कार एक सामने से आते हुए ट्रक के मार्ग में मोड़ दी। दुर्घटना भयानक थी, ऐन्जी जीवित तो बच गई लेकिन उसके मस्तिष्क को भारी क्षति पहुँची और वह कुछ भी बोलने में और अपनी देखभाल आप ही कर पाने में बिलकुल असमर्थ हो गई।

   तब से अब तक कई वर्ष बीत चुके हैं और मैं ऐन्जी के माता-पिता का हौंसला देखकर चकित होता हूँ। हाल ही में मैंने उनसे पूछा, "इस कटु अनुभव से होकर आप कैसे निकलने पाए?" ऐन्जी के पिता ने कुछ विचार करके उत्तर दिया, "सच कहूँ तो यह केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि हम परमेश्वर के निकट बने रहे। उसी ने हमें यह सामर्थ दी कि हम इस दुर्घटना को सह सकें और इससे उभर सकें।" ऐन्जी की माँ ने भी सहमति जताते हुए कहा कि दुर्घटना के तुरंत बाद उनका दुख और शोक इतना गहरा था कि उन्हें कोई आशा नहीं थी कि वे फिर कभी आनन्दित हो पाएंगे।

   ऐन्जी के माता-पिता ने इस दुख और निराशा में परमेश्वर को अपना सहारा बनाया और उसपर निर्भर होकर रहने लगे, और उन्होंने पाया कि अनेक अनपेक्षित आत्मिक और भौतिक प्रावधान और मार्ग ऐन्जी की देखभाल करने एवं ऐन्जी तथा सारे परिवार की सहायता के लिए उपलब्ध होने लगे उनके साथ खड़े होने लगे। चाहे ऐन्जी कभी बोलने नहीं पाएगी, लेकिन वह माता-पिता की देखभाल के प्रत्युत्तर में मुस्कराती है, जो उन्हें आनन्दित करता है। आज भी ऐन्जी के माता-पिता का मनपसन्द बाइबल पद है" "क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सबेरे आनन्द पहुंचेगा" (भजन 30:5)।

   क्या आप भी किसी बड़े दुख का सामना कर रहे हैं? प्रभु यीशु को अपना सहारा बना लीजिए, उसके आश्रय में आजाईए। उसकी दृढ़ प्रतिज्ञा है कि वह आपको विश्राम देगा (मत्ती 11:28) और आपके वर्तमान आँसुओं के बावजूद एक आनन्दमय भविष्य आपके लिए तैयार रहेगा। - डेनिस फिशर


अपने सभी दुख प्रभु यीशु को सौंप दें और उससे उसकी अनन्तकाल की शांति ले लें।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है। - मत्ती 11:28-30

बाइबल पाठ: भजन 30:5
Psalms 30:1 हे यहोवा मैं तुझे सराहूंगा, क्योंकि तू ने मुझे खींचकर निकाला है, और मेरे शत्रुओं को मुझ पर आनन्द करने नहीं दिया।
Psalms 30:2 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी और तू ने मुझे चंगा किया है।
Psalms 30:3 हे यहोवा, तू ने मेरा प्राण अधोलोक में से निकाला है, तू ने मुझ को जीवित रखा और कब्र में पड़ने से बचाया है।
Psalms 30:4 हे यहोवा के भक्तों, उसका भजन गाओ, और जिस पवित्र नाम से उसका स्मरण होता है, उसका धन्यवाद करो।
Psalms 30:5 क्योंकि उसका क्रोध, तो क्षण भर का होता है, परन्तु उसकी प्रसन्नता जीवन भर की होती है। कदाचित् रात को रोना पड़े, परन्तु सबेरे आनन्द पहुंचेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42 
  • प्रेरितों 27:1-26


गुरुवार, 25 जुलाई 2013

आनन्द

   मैं सदा ही ग्रीष्म काल के आने की बाट जोहता हूँ। ठंड के एक लम्बे समय के पश्चात धूप की गर्मी में बाहर निकलना, बेसबॉल खेलना, समुद्र तट पर विचरण करना और दोस्तों के साथ रात को बाहर आग पर खाना पकाकर खाना और बातचीत में समय बिताना आदि सब ऐसे आनन्द हैं जिनकी प्रतीक्षा ठंड के मौसम के बाद मुझे रहती है। लेकिन आनन्द मनाना और मौज करना किसी ऋतु पर निर्भर नहीं है; ऋतु कोई भी हो, क्या हम सब को अच्छा भोजन, मित्रों के साथ समय बिताना और बातचीत करना या परिवार के साथ समय बिताना आनन्दित नहीं करता?

   आनन्द मनाना और मौज करना अपने आप में कोई बुरी बात नहीं है, परमेश्वर ने हमें आनन्दित रहने के लिए ही बनाया है और सृष्टि की चीज़ें दी हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस लिखता है: "इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है" (1 तिमुथियुस 6:17)। ना केवल परमेश्वर हमारे सुख के लिए हमें बहुतायत से देता है, वरन बाइबल में अन्य स्थानों पर इस बहुतायत से मिलने वाले अच्छे भोजन, अच्छे मित्रों, अच्छे वैवाहिक संबंधों आदि के सदुपयोग से मिलने वाले भले आनन्द का उल्लेख भी है। लेकिन यह दृष्टिकोण रखना कि इन सांसारिक बातों से स्थाई और वास्तविक आनन्द मिल जाएगा एक भ्रम है।

   स्थाई और वास्तविक आनन्द संसार के अल्प कालीन रोमांच और ऐसा रोमांच देने वाली वस्तुओं में नहीं अपितु सृष्टिकर्ता परमेश्वर के साथ एक दीर्घकालीन निकट संबंध बनाने और उसे गहरा बनाते जाने में है। राजा सुलेमान ने भी इस बात को सीखा और पहचाना, लेकिन कुछ कटु अनुभवों के बाद; उसने अपने आप को संसार और संसार के भोग-विलास में लिप्त कर लिया, लेकिन नतीजा एक व्यर्थता का अनुभव ही था: "और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला। तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं" (सभोपदेशक 2:10-11)। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अपने सब अनुभवों के आधार पर उसने चिताया कि सांसारिक भोग-विलास के आनन्द के पीछे भागने वाले अन्ततः नुक्सान में ही रहेंगे "जो रागरंग से प्रीति रखता है, वह कंगाल होता है; और जो दाखमधु पीने और तेल लगाने से प्रीति रखता है, वह धनी नहीं होता" (नीतिवचन 21:17)।

   जिस स्थाई और वास्तविक आनन्द कि हमें तलाश है, उसकी प्राप्ति और तृप्ति उसी से होती है जो सब वस्तुओं का बनाने वाला और उन्हें हमें देने वाला है। सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के साथ एक दृढ़ संबंध बना लीजिए, उसकी संगति से मिलने वाले अद्भुत आनन्द को चखने के बाद फिर सांसारिक बातों का आनन्द फीका ही लगेगा। - जो स्टोवैल


आपके जीवन का उद्देश्य क्या है - अपना सुख-विलास या परमेश्वर की प्रसन्नता?

सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है। क्योंकि परमेश्वर सब कामों और सब गुप्त बातों का, चाहे वे भली हों या बुरी, न्याय करेगा। - सभोपदेशक 12:13-14 

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 2:1-11
Ecclesiastes 2:1 मैं ने अपने मन से कहा, चल, मैं तुझ को आनन्द के द्वारा जांचूंगा; इसलिये आनन्दित और मगन हो। परन्तु देखो, यह भी व्यर्थ है।
Ecclesiastes 2:2 मैं ने हंसी के विषय में कहा, यह तो बावलापन है, और आनन्द के विषय में, उस से क्या प्राप्त होता है?
Ecclesiastes 2:3 मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे।
Ecclesiastes 2:4 मैं ने बड़े बड़े काम किए; मैं ने अपने लिये घर बनवा लिये और अपने लिये दाख की बारियां लगवाईं;
Ecclesiastes 2:5 मैं ने अपने लिये बारियां और बाग लगावा लिये, और उन में भांति भांति के फलदाई वृक्ष लगाए।
Ecclesiastes 2:6 मैं ने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिये कि उन से वह वन सींचा जाए जिस में पौधे लगाए जाते थे।
Ecclesiastes 2:7 मैं ने दास और दासियां मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए; और जितने मुझ से पहिले यरूशलेम में थे उन से कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़-बकरियों का मैं स्वामी था।
Ecclesiastes 2:8 मैं ने चान्दी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैं ने अपने लिये गवैयों और गानेवालियों को रखा, और बहुत सी कामिनियां भी, जिन से मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं।
Ecclesiastes 2:9 इस प्रकार मैं अपने से पहिले के सब यरूशलेमवासियों अधिक महान और धनाढय हो गया; तौभी मेरी बुद्धि ठिकाने रही।
Ecclesiastes 2:10 और जितनी वस्तुओं के देखने की मैं ने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैं ने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही भाग मिला।
Ecclesiastes 2:11 तब मैं ने फिर से अपने हाथों के सब कामों को, और अपने सब परिश्रम को देखा, तो क्या देखा कि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है, और संसार में कोई लाभ नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 37-39 
  • प्रेरितों 26


बुधवार, 24 जुलाई 2013

निकट रहें

   मैं अपनी सहेली के साथ एक यात्रा पर थी, और किसी कारण से मेरी सहेली काफी विचलित और अधीर थी। अपनी इस मनःस्थिति के कारण, एयरपोर्ट पहुँचने पर उसे ध्यान नहीं रहा कि उसने अपना पासपोर्ट और टिकिट आदि कहाँ रखे हुए हैं। जब लाइन में उसका नम्बर आया तो इन सब को ढूँढ निकालने में काफी समय लगा और उतने समय तक वहाँ के कर्मचारी बड़े धीरज के साथ उसकी सहायता करते रहे। जब जाँच की सारी कार्यवाही हो गई और उसे प्रवेश का अनुमति-पत्र मिल गया तो मेरी सहेली ने उस कर्मचारी से पूछा, "अब आगे क्या करना है और कहाँ जाना है?" उस कर्मचारी ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर इशारा किया और कहा, "बस अपनी सहेली के निकट बनी रहिए और उनके साथ-साथ चलती रहिए।"

   जीवन की परेशानियों और दुख के समयों का सामना करने के लिए यह एक अच्छी सलाह है - अपने मित्रों के निकट बने रहें। हमारा सबसे अच्छा और सबसे निकटतम मित्र है हमारा उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, और उसमें विश्वास द्वारा उसकी मण्डली के सदस्य हो जाने के बाद वह हमें मण्डली के अन्य सदस्यों के साथ सहभागिता में ले आता है जिससे हम एक दूसरे का ध्यान रखें, एक दूसरे का सहारा बनें और आवश्यकतानुसार एक दूसरे को उभारते और सुधारते रहें।

   प्रेरित पतरस ने अपनी पहली पत्री एक ऐसे मसीही विश्वसीयों के समूह को लिखी जो अपने मसीही विश्वास के कारण बहुत दुखों का सामना कर रहे थे और जिन्हें एक दूसरे के साथ और सहायता की आवश्यकता थी। इस पत्री के चौथे अध्याय में पतरस ने उन्हें समझाया कि वे एक दूसरे के प्रति प्रेम को बनाए रखें, एक दूसरे के लिए प्रार्थनाएं करें, एक दूसरे की पहुनाई में लगे रहें और अपने आत्मिक वरदानों का उपयोग एक दूसरे की भलाई और सेवा के लिए करते रहें (पद 7-10)। परमेश्वर के वचन बाइबल में अन्य स्थानों पर भी हम ऐसे ही निर्देश पाते हैं - जैसे परमेश्वर हमें सांत्वना देता है वैसे ही हम भी दूसरों को सांत्वना देने वाले बनें (2 कुरिन्थियों 1:3-4); हम एक दुसरे को प्रेम में बढ़ावा देने और उभारने वाले बनें (1 थिस्सलुनीकियों 5:11)।

   जब जीवन कठिन हो जाए और हम थकित अनुभव करें तो अच्छे मित्रों के निकट रहना सदा ही लाभदायक रहता है, लेकिन सबसे लाभदायक होता है प्रभु यीशु के निकट रहना, वह हमें कभी नहीं छोड़ता और कभी नहीं त्यागता (इब्रानियों 13:5)। - ऐनी सेटास


मसीही मित्रों का साथ मसीह का साथ भी बनाए रखता है।

इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो, निदान, तुम ऐसा करते भी हो। - 1 थिस्सलुनीकियों 5:11

बाइबल पाठ: 1 पतरस 4:7-11
1 Peter 4:7 सब बातों का अन्‍त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी हो कर प्रार्थना के लिये सचेत रहो।
1 Peter 4:8 और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।
1 Peter 4:9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो।
1 Peter 4:10 जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।
1 Peter 4:11 यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे; तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 35-36 
  • प्रेरितों 25


मंगलवार, 23 जुलाई 2013

दृष्टि

   मेरा घर अमेरिका के कोलारैडो में है। एक दिन वहाँ अपने घर बैठे बैठे ही मैंने गूगल मैप्स का उपयोग करके अफ्रीका में स्थित कीन्या देश के नैरोबी शहर के उस इलाके को विस्तार से देखा जहाँ मेरा परिवार दो दशक पहले रहा करता था। अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर सैटलाईट द्वारा लिए और प्रेशित करे गए चित्र पर मैं वहाँ की सड़कें, इमारतें आदि देख सका और उन्हें पहचान सका। कुछ क्षेत्रों पर तो मैं बिलकुल नीचे गली के स्तर तक जा सका और वहाँ से मैं अपने चारों ओर ऐसे देखने पाया मानों मैं स्वयं ही नीचे गली में खड़ा होकर अपने आस-पास के मकान और स्थान आदि देख रहा हूँ। जो मुझे नीचे गली के स्तर पर आने के बाद नहीं दिख पाता था उसे मैं अपने दृश्य स्तर में थोड़ा और ऊपर जाकर देख सकता था। मैं निर्धारित कर सकता था कि मुझे कितना दृश्य, कितनी बारीकी से, किस दिशा से, कितनी देर तक देखना है। अमेरिका में बैठे बैठे अफ्रीका के मनचाहे इलाके को इतने विस्तरपूर्वक देख पाना, यह एक बड़ा अद्भुत अनुभव था। इस अनुभव ने मुझे यह समझने में सहायता करी कि जब मनुष्य अपने द्वारा बनाए उपकरणों की सहायता से दूर बैठे ही इतने विस्तार और प्रकार से किसी भी स्थान को बारीकी से देख सकता है तो परमेश्वर हमारे जीवनों और पृथ्वी की बातों को कितने अधिक विस्तार और बारीकी से देखता होगा तथा उनकी जानकारी रखता होगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने परमेश्वर के पृथ्वी को देखने के बारे में लिखा: "यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है; अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है" (भजन 33:13-14)। भजनकार आगे लिखता है कि परमेश्वर सबके कार्यों पर दृष्टि रखता है, उनके विचारों को जानता है और जो उस पर विश्वास रखते हैं और उसे समर्पित जीवन व्यतीत करते हैं उनकी रक्षा करता है।

   जो एक कंप्यूटर और सैटलाईट नहीं कर सकते, वह परमेश्वर कर सकता है - हमारे मन के अन्दर कि हर बात और हर प्रयोजन को वह भली-भांति जानता है। वह हमारी वास्तविकता जानता है और हमारी कोई मनसा उससे छिपी नहीं है, लेकिन तब भी वह हमसे प्रेम रखता है, हमारे प्रति सहनशील है, हमारी भलाई ही की योजनाएं बनाता है। इसीलिए वह चाहता है कि बजाए उससे दूर रहने के, हम उसपर विश्वास करके उसके निकट बने रहें, हर बात में उसको समर्पित रहें, उसकी आज्ञाकारिता में रहें और चलें, क्योंकि जो हम अपने स्तर पर नहीं देख पाते वह अपने स्तर पर होकर पहले से देखता और जानता है और आने वाली हानि से बचने के उपाय हमें सुझाता है। परमेश्वर की दृष्टि से कोई ओझल नहीं रह सकता, और जिन्होंने उसे अपना जीवन समर्पित किया है उनकी सुरक्षा और भलाई के लिए उन पर तो वह विशेष बारीकी से अपनी दृष्टि बनाए रखता है।

   हम मसीही विश्वासियों के लिए यह एक बहुत शांतिदायक और उत्साहवर्धक बात है कि हम अपने प्रभु और उद्धारकर्ता की दृष्टि से कभी ओझल नहीं रहते। वह सदा हम पर अपनी दृष्टि बनाए रखता है और अपनी आँख की पुतली के समान हमारी रक्षा करता है: "...क्योंकि जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है" (ज़कर्याह 2:8)। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपनी दृष्टि परमेश्वर कि ओर लगाए रखें क्योंकि उसकी दृष्टि सदा आप पर बनी रहती है।

क्योंकि प्रभु की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान उन की बिनती की ओर लगे रहते हैं, परन्तु प्रभु बुराई करने वालों के विमुख रहता है। - 1 पतरस 3:12 

बाइबल पाठ: भजन 33:12-22
Psalms 33:12 क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!
Psalms 33:13 यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;
Psalms 33:14 अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहने वालों को देखता है,
Psalms 33:15 वही जो उन सभों के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।
Psalms 33:16 कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।
Psalms 33:17 बच निकलने के लिये घोड़ा व्यर्थ है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है।
Psalms 33:18 देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करूणा की आशा रखते हैं बनी रहती है,
Psalms 33:19 कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उन को जीवित रखे।
Psalms 33:20 हम यहोवा का आसरा देखते आए हैं; वह हमारा सहायक और हमारी ढाल ठहरा है।
Psalms 33:21 हमारा हृदय उसके कारण आनन्दित होगा, क्योंकि हम ने उसके पवित्र नाम का भरोसा रखा है।
Psalms 33:22 हे यहोवा जैसी तुझ पर हमारी आशा है, वैसी ही तेरी करूणा भी हम पर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 33-34 
  • प्रेरितों 24


सोमवार, 22 जुलाई 2013

सर्वोत्तम तर्क

   मुझे एक आठ घंटे लंबी रेल यात्रा करनी थी, और संयोग से मेरे साथ वाली सीट पर एक सेवा-निवृत अमेरीकी राजदूत बैठा हुआ था। यात्रा के समय पढ़ने के लिए जैसे ही मैंने अपनी बाइबल निकाली, उसने एक लंबी ठंडी साँस ली, और वहीं से हमारी तकरार आरंभ हो गई। पहले तो हम आपस में एक दूसरे पर उत्तर-प्रत्युत्तर द्वारा ताने कसते रहे, लेकिन धीरे धीरे इस टीका-टिपण्णी और बातचीत में हमारे अपने अपने जीवन के अंश तथा व्यक्तिगत अनुभव भी सम्मिलित होने लगे और हमारा वार्तालाप ताने मारने से हटकर चर्चा करने की ओर मुड़ गया। फिर एक दूसरे के कार्य जीवन तथा संबंधित अनुभवों की जिज्ञासा के कारण हम एक दूसरे के कार्य के बारे में सवाल-जवाब करने लगे - वह राजनीति शास्त्र का अनुभवी और दो महत्वपूर्ण स्थानों पर राजदूत का पद संभाल चुका विद्वान था और मैं राजनीति में हलकी-फुलकी शौकिया रुचि रखने वाला साधारण सा व्यक्ति।

   फिर हमारी बात एक दूसरे के व्यक्तिगत जीवन और अनुभवों की ओर मुड़ी और हम एक दूसरे के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करने लगे। मैंने देखा कि उसकी रुचि मेरे जीवन में कम किंतु मेरे मसीही विश्वास में अधिक थी; उसकी सबसे बड़ी जिज्ञासा थी यह जानना कि मैं एक मसीही विश्वासी कैसे बना। तानेबाज़ी से आरंभ हुआ यह वार्तालाप रेल यात्रा समाप्त होते समय मित्रभाव के साथ अन्त हुआ और हमने विदा होते समय एक दूसरे के साथ अपने परिचय कार्ड भी अदला-बदली किए। जाते जाते वह मेरी ओर मुड़कर बोला, "आपके तर्क और बातचीत का सब से उत्त्म भाग यह नहीं है कि मसीह यीशु मेरे लिए क्या कर सकता है, वरन यह कि उसने आपके लिए और आपके जीवन में क्या किया है।"

   उस राजनितिज्ञ की यह बात बहुत सार्थक है, शायद वह जानता भी नहीं था कि उसकी यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार भी है - हमारे मसीही विश्वास की हमारी गवाही ही हमें पाप तथा शैतान की बातों पर जयवन्त करती है (प्रकाशितवाक्य 12:11) और हमें हमारे उद्धाकर्ता प्रभु के लिए प्रभावी बनाती हैं। हमारे मसीही जीवन की सबसे प्रभावी बात हमारा बाइबल ज्ञान नहीं वरन प्रभु यीशु के साथ हुआ हमारा साक्षात्कार और उसके फलस्वरूप हमारे जीवन में आया परिवर्तन है। यह वह अनुभव है जिसे किसी को हमें सिखाने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि हम से अधिक इस के बारे में कोई नहीं जानता और आपके जीवन परिवर्तन का तर्क ही आपका सबसे प्रभावी तर्क है, क्योंकि उसका किसी रीति से इन्कार हो ही नहीं सकता।

   क्या आप एक मसीही विश्वासी हैं, और अपने उद्धारकर्ता प्रभु के लिए उपयोगी तथा प्रभावी होना चाहते हैं? अपने जीवन की गवाही बाँटना, अर्थात, मसीह यीशु द्वारा आपके जीवन में किए गए कार्यों का बयान करना आरंभ कर दीजिए। परिणाम आपको भी अचंभित कर देंगे। - रैन्डी किल्गोर


लोग विश्वास की सच्ची कहानियों को पहचानना जानते हैं और पहचानते भी हैं।

और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्‍त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली। - प्रकाशितवाक्य 12:11 

बाइबल पाठ: मरकुस 5:1-20
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
Mark 5:2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला।
Mark 5:3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्‍ध सकता था।
Mark 5:4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्‍धा गया था, पर उसने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था।
Mark 5:5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था।
Mark 5:6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया।
Mark 5:7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे।
Mark 5:8 क्योंकि उसने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।
Mark 5:9 उसने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उसने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं।
Mark 5:10 और उसने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज।
Mark 5:11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था।
Mark 5:12 और उन्होंने उस से बिनती कर के कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं।
Mark 5:13 सो उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा।
Mark 5:14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया।
Mark 5:15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उसको जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए।
Mark 5:16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया।
Mark 5:17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा।
Mark 5:18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे।
Mark 5:19 परन्तु उसने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जा कर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया कर के प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।
Mark 5:20 वह जा कर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32 
  • प्रेरितों 23:16-35


रविवार, 21 जुलाई 2013

दृष्टिकोण और भविष्य

   अपने जीवन के एक लम्बे समय तक मैं उन लोगों के समान ही दृष्टीकोण रखता था जो परमेश्वर के विरुद्ध हैं क्योंकि परमेश्वर ने संसार में पीड़ा को होने दिया है। मैं किसी भी रीति से इस भिन्न-भिन्न प्रकार की पीड़ाओं से भरे विषाक्त संसार को तर्कसंगत नहीं मान सकता था। लेकिन जब मेरा मेलजोल उन लोगों से हुआ जो मुझ से भी अधिक दुख अथवा पीड़ा में से हो कर निकल रहे थे, तो उनके जीवन में इसके प्रभाव को देखकर मैं चकित हुआ। मैंने देखा कि दुख और पीड़ा एक समान ही दो भिन्न कार्य कर सकते हैं, परमेश्वर और उसके कार्यों के प्रति सन्देह उत्पन्न करना, या परमेश्वर में विश्वास और भी दृढ़ कर देना।

   दुख और पीड़ा को लेकर परमेश्वर के विरुद्ध मेरा वैमनस्य एक बात के कारण जाता रहा है - क्योंकि अब मैं परमेश्वर को जानने लगा हूँ और उस पर विश्वास रखता हूँ। उसे इस प्रकार व्यक्तिगत रीति से जानने और उस पर विश्वास लाने से मेरे जीवन में आनन्द, प्रेम और भलाई भर गए हैं। अब मेरा विश्वास मनुष्यों द्वारा गढ़ी गई किसी धारणा या विचारधारा, या किसी किंवदंती अथवा काल्पनिक बात पर नहीं वरन एक प्रमाणित और जीवित ऐतिहासिक व्यक्ति - प्रभु यीशु मसीह पर है, और मेरे प्रभु ने मुझे ऐसा दृढ़ विश्वास दिया है जो किसी भी दुख अथवा पीड़ा से काटा नहीं जा सकता और ना ही कम हो सकता है।

   बहुत से लोगों के मन में प्रश्न रहता है - जब दुख और पीड़ा आती हैं तब परमेश्वर कहाँ होता है? उत्तर स्पष्ट और जगविदित है - वहीं जहाँ आपने अपने जीवन में उसे रखा है। यदि परमेश्वर आप के जीवन का स्वामी है, आपने अपना जीवन उसे समर्पित किया है, और उसकी इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत करने के प्रयास में रहते हैं तो वह आपके जीवन का रखवाला भी है, और हर परिस्थिति में वह आपके साथ बना रहता है और आपकी हर पीड़ा को वह सहता भी है और आपको उसे सहने और उस पर जयवंत होने की सामर्थ भी देता है। यदि आपने परमेश्वर को अपने जीवन से दूर कर रखा है, आप स्वयं अपने जीवन के स्वामी हैं और अपनी मन-मर्ज़ी से, अपनी ही लालसाओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीवन व्यतीत करते हैं, तो परमेश्वर भी आपके निर्णय का आदर करते हुए आपके जीवन की किसी बात में दखलंदाज़ी नहीं करता।

   दुख और पीड़ा परमेश्वर द्वारा करी गई सृष्टि की रचना का भाग नहीं हैं; इनका सृष्टि में प्रवेश मनुष्य द्वारा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता और पाप का परिणाम है। जहाँ पाप की उपस्थिति है, वहाँ परमेश्वर कि उपस्थिति नहीं रह सकती है और ऐसी स्थिति शैतान को खुली रीति से अपना कार्य करने की पूरी छूट है। लेकिन परमेश्वर शैतान और उसके कार्यों के प्रति मजबूर नहीं है। परमेश्वर की सामर्थ ऐसी है कि वह शैतान द्वारा लाई गई दुख और पीड़ा की परिस्थितियों को भी अपने बच्चों की भलाई के लिए प्रयोग कर लेता है, उन्हें अपने बारे में और भी गहराई से सिखाने के लिए और अपने प्रति उनके विश्वास को और भी अधिक दृढ़ करने के लिए। इसीलिए आप पाएंगे कि जो लोग मसीही विश्वास में दृढ़ हैं, दुख और पीड़ाएं उनके जीवनों को परमेश्वर के और भी निकट ले आती हैं और उन परिस्थितियों में भी वे एक अद्भुत शांति के साथ रहते हैं, जो संसार की किसी भी शांति से बिलकुल भिन्न तथा श्रेष्ठतम होती है (यूहन्ना 14:27; 16:33)।

   हमारे उद्धाकर्ता प्रभु यीशु ने हमारे लिए दुख और पीड़ा व्यक्तिगत रूप में सहे हैं, वह अपने प्रीयों के दुख को अनुभव करके रोया भी है; आताताईयों द्वारा बड़ी निर्मम रीति से उसका शरीर तोड़ा गया है और उसका लहू बहाया गया है; उसने संसार के हर अपमान, तिरिस्कार और बेवजह क्रूरता को मृत्यु तक सहा है। इसीलिए वह हमारी हर पीड़ा और दुख को जानता है और सदा अपने विश्वासियों के साथ बना रहता है, उन्हें सामर्थ देता रहता है और इन परिस्थितियों द्वारा अपने लोगों को तराश कर, चमका कर, उनके जीवनों से व्यर्थ बातों को निकालकर उन्हें सिद्ध और अपने ही स्वरूप के लोग बना रहा है; "...हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (2 कुरिन्थियों 3:18)। एक दिन आएगा, और संसार के हालात गवाह हैं कि शीघ्र ही आएगा, जब शैतान, पीड़ा और दुख का अन्त किया जाएगा और सृष्टि पर पुनः परमेश्वर का राज्य और शांति स्थापित हो जाएगी।

   क्या आप उस दिन के लिए और उस दिन परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो आज अवसर है, हो जाईए; प्रभु यीशु से पापों की क्षमा और उसे जीवन समर्पण की मन से निकली एक प्रार्थना आपका दृष्टिकोण और भविष्य दोनों ही भले के लिए बदल देगी। - फिलिप यैन्सी


दुख और पीड़ा संसार के लोगों को परमेश्वर के विमुख कर सकते हैं परन्तु एक मसीही विश्वासी को परमेश्वर के और निकट ले आते हैं।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:51-58
1 Corinthians 15:51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।
1 Corinthians 15:54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
1 Corinthians 15:55 हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?
1 Corinthians 15:56 हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है।
1 Corinthians 15:57 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है।
1 Corinthians 15:58 सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30 
  • प्रेरितों 23:1-15


शनिवार, 20 जुलाई 2013

बैडलैम

   इंगलैंड का शाही युद्ध संग्रहालय एक ऐसी इमारत में बनाया गया जो कभी बैथलैहम रॉयल अस्पताल हुआ करती थी और जहाँ मानसिक रोगियों का इलाज किया जाता था। इस अस्पताल का एक लघु नाम ’बैडलैम’ भी होता था, और धीरे धीरे यह शब्द बैडलैम एक संज्ञा बन गया किसी अव्यवस्था और पागलपन की स्थिति के लिए। यह एक विचित्र विडंबना है कि शाही संग्रहालय उस इमारत में स्थित है जो कभी ’बैडलैम’ होती थी। संग्रहालय में विचरण करते हुए आप युद्ध के समयों की वीरता और बलिदान की अद्भुत गाथाएं तो पाएंगे ही, लेकिन साथ ही आपको दिल दहला देने वाले और शरीर में ठंडी सिहरन उत्पन्न करने वाले मनुष्य के प्रति मनुष्य के अमानुषिक कृत्यों, वीभत्सता और पागलपन की कहानीयां भी मिलेंगी; ऐसे हृदयविदारक कुकृत्य जो जातिवाद और नस्लवाद को आधार बना कर करे गए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक राजा सुलेमान ने मानव जाति के बुराई करने के प्रति रुझान के विषय में लिखा: "जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं" (नीतिवचन 2:14)। चाहे सुलेमान का यह कथन हमारे चारों ओर विद्यमान और व्याप्त बुराई का वर्णन हो सकता है, लेकिन मसीह यीशु के अनुयायियों के पास जीवन को संचालित करने का भिन्न और उत्साहवर्धक दृष्टिकोण उपलब्ध रहता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो" (रोमियों 12:21)। इस विजय का आधार है हमारे तथा जगत के उद्धारकर्ता मसीह यीशु के स्वभाव के अनुसार जीया गया जीवन, जिसमें बदला ना लेना (पद 17), भरसक शांति तथा मेल-मिलाप बनाए रखना (पद 18) तथा अपने बैरियों के प्रति भी नेक व्यवहार रखना (पद 20) आदि बातें प्राथमिकता पाती हैं और ये संसार पर एक भला प्रभाव डालती हैं।

   यदि हम में से प्रत्येक परमेश्वर के प्रेम को प्रतिबिंबित करने वाला जीवन जीने लगे तो संसार में ’बैडलैम’ बहुत ही कम रह जाएगा। - बिल क्राउडर


पाप और उत्पीड़न के अंधकार से ग्रस्त संसार को प्रेम और सहानुभूति रखने वाले मसीही विश्वासीयों की ज्योति की बहुत आवश्यकता है।

जो सीधाई के मार्ग को छोड़ देते हैं, ताकि अन्धेरे मार्ग में चलें; जो बुराई करने से आनन्दित होते हैं, और दुष्ट जन की उलट फेर की बातों में मगन रहते हैं; - नीतिवचन 2:13-14

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-20
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28 
  • प्रेरितों 22


शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

भय

   यदि आप सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी नाट्यकार शेक्सपियर के लिखे नाटकों को पसन्द करते हैं तो आपने एक बात उनके नाटकों में देखी होगी - उनके नायकों के चरित्र में कोई ना कोई गंभीर दोष अवश्य होता है। यह बात कहानी को रोचक तो बनाती ही है, साथ ही उन चरित्रों से सीखने के लिए भी कई अवसर प्रदान करती है। कुछ यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक अब्राहम के विषय में भी सत्य है; उसके चरित्र में दोष था उसका भय।

   बाइबल में लिखी उसके जीवनी में हम पाते हैं कि दो बार वह अपने इस भय के आगे झुक गया कि शासक उसे मारकर उसकी पत्नि सारा को अपनी कर लेंगे (उत्पत्ति 12:11-20; 20:2-13)। अपनी जान को खतरा जान कर उसने फिरौन और राजा अभिमेलेक दोनों को यह कह कर धोखा दिया कि उसकी पत्नि सारा उसकी बहन है; यह एक तरह से उन अधिपतियों को छूट देना था कि वे चाहें तो सारा को अपने हरम में ले लें! अपनी जान बचाने के लिए अब्राहम ने ना केवल सारा की जान और जीवन जोखिम में डाली, वरन परमेश्वर की योजना कि सारा और अब्राहम से वह एक बड़ी जाति उत्पन्न करेगा, को भी जोखिम में डाल दिया। लेकिन परमेश्वर की योजनाएं मनुष्य की कमज़ोरियों से नहीं टलतीं; परमेश्वर ने सारा और अब्राहम दोनों ही को सुरक्षित रखा और अन्ततः उन दोनों से ही इस्त्राएली जाति का उद्गम हुआ।

   लेकिन इससे पहले कि हम अब्राहम पर ऊँगुली उठाएं और उसे कायर या दोषी कहें, भला होगा कि आज के अपने मसीही विश्वास के संदर्भ में हम अपने आप से कुछ प्रश्न कर लें: क्या अपनी नौकरी खो बैठने के डर से या अपने उच्च अधिकारियों को प्रसन्न करने के लिए हम अपनी सत्यनिष्ठा, सच्चाई और खराई के साथ कोई समझौता तो नहीं करने लगते हैं? लोगों में ’पुरानी विचारधारा’ का कहलाने और मज़ाक उड़ाए जाने के भय से क्या हम कभी अपने विश्वास और अपनी मान्यतओं को आवश्यकतानुसार एक किनारे तो नहीं कर देते? अपमानित होने या गलत समझे जाने के भय से क्या हम प्रभु यीशु में संसार के सभी लोगों के लिए पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को लोगों के सामने रखने से लज्जाते हैं और दूसरों का अनन्त भविष्य खतरे में डालते हैं?

   ये और ऐसे ही बहुत से भय हैं जिनका सामना हमें प्रतिदिन करना होता है, और जिन पर विजयी होना हमें बहुत कठिन या असंभव लगता है, तथा जिनसे समझौता करना बहुत सरल और स्वाभाविक। केवल एक ही बात है जो हमारे हर भय पर हमें विजयी करेगी - परमेश्वर की हमारे साथ सदा बनी रहने वाली उपस्थिति, सुरक्षा, सामर्थ और प्रतिज्ञाओं पर दृढ़ एवं अडिग विश्वास।

   यदि आपके भय परमेश्वर द्वारा आपके लिए निर्धारित करी गई अद्भुत योजनाओं के आड़े आ रहे हैं, तो सदा समरण रखिए कि वह आपसे कभी कुछ भी ऐसा करने को नहीं कहेगा जिसे पूरा करने की सामर्थ उसने आपको प्रदान नहीं करी है। अपनी निर्धारित हर बात को पूरा करवाने के लिए वह सदा आपके साथ है, और आपसे पूरा करवाएगा भी; चाहे इसके लिए उसे कोई चमत्कारिक हस्तक्षेप ही क्यों ना करना पड़े। - जो स्टोवैल


अपने विश्वास को अपने भय पर हावी हो जाने दें और परमेश्वर आपकी चिन्ताओं को आराधना में बदल देगा।

इब्राहीम ने कहा, मैं ने यह सोचा था, कि इस स्थान में परमेश्वर का कुछ भी भय न होगा; सो ये लोग मेरी पत्नी के कारण मेरा घात करेंगे। - उत्पत्ति 20:11

बाइबल पाठ: 20:2-13
Genesis 20:1 फिर इब्राहीम वहां से कूच कर दक्खिन देश में आकर कादेश और शूर के बीच में ठहरा, और गरार में रहने लगा।
Genesis 20:2 और इब्राहीम अपनी पत्नी सारा के विषय में कहने लगा, कि वह मेरी बहिन है: सो गरार के राजा अबीमेलेक ने दूत भेज कर सारा को बुलवा लिया।
Genesis 20:3 रात को परमेश्वर ने स्वप्न में अबीमेलेक के पास आकर कहा, सुन, जिस स्त्री को तू ने रख लिया है, उसके कारण तू मर जाएगा, क्योंकि वह सुहागिन है।
Genesis 20:4 परन्तु अबीमेलेक तो उसके पास न गया था: सो उसने कहा, हे प्रभु, क्या तू निर्दोष जाति का भी घात करेगा?
Genesis 20:5 क्या उसी ने स्वयं मुझ से नहीं कहा, कि वह मेरी बहिन है? और उस स्त्री ने भी आप कहा, कि वह मेरा भाई है: मैं ने तो अपने मन की खराई और अपने व्यवहार की सच्चाई से यह काम किया।
Genesis 20:6 परमेश्वर ने उस से स्वप्न में कहा, हां, मैं भी जानता हूं कि अपने मन की खराई से तू ने यह काम किया है और मैं ने तुझे रोक भी रखा कि तू मेरे विरुद्ध पाप न करे: इसी कारण मैं ने तुझ को उसे छूने नहीं दिया।
Genesis 20:7 सो अब उस पुरूष की पत्नी को उसे फेर दे; क्योंकि वह नबी है, और तेरे लिये प्रार्थना करेगा, और तू जीता रहेगा: पर यदि तू उसको न फेर दे तो जान रख, कि तू, और तेरे जितने लोग हैं, सब निश्चय मर जाएंगे।
Genesis 20:8 बिहान को अबीमेलेक ने तड़के उठ कर अपने सब कर्मचारियों को बुलवा कर ये सब बातें सुनाई: और वे लोग बहुत डर गए।
Genesis 20:9 तब अबीमेलेक ने इब्राहीम को बुलवा कर कहा, तू ने हम से यह क्या किया है? और मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा था, कि तू ने मेरे और मेरे राज्य के ऊपर ऐसा बड़ा पाप डाल दिया है? तू ने मुझ से वह काम किया है जो उचित न था।
Genesis 20:10 फिर अबीमेलेक ने इब्राहीम से पूछा, तू ने क्या समझ कर ऐसा काम किया?
Genesis 20:11 इब्राहीम ने कहा, मैं ने यह सोचा था, कि इस स्थान में परमेश्वर का कुछ भी भय न होगा; सो ये लोग मेरी पत्नी के कारण मेरा घात करेंगे।
Genesis 20:12 और फिर भी सचमुच वह मेरी बहिन है, वह मेरे पिता की बेटी तो है पर मेरी माता की बेटी नहीं; फिर वह मेरी पत्नी हो गई।
Genesis 20:13 और ऐसा हुआ कि जब परमेश्वर ने मुझे अपने पिता का घर छोड़ कर निकलने की आज्ञा दी, तब मैं ने उस से कहा, इतनी कृपा तुझे मुझ पर करनी होगी: कि हम दोनों जहां जहां जाएं वहां वहां तू मेरे विषय में कहना, कि यह मेरा भाई है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 23-25 
  • प्रेरितों 21:18-40


गुरुवार, 18 जुलाई 2013

विजयी

   भजनकार "अहंकारियों के अपमान" से बहुत आहत और परेशान हो गया था (भजन 123:4); संभवतः आप भी हो गए हों। आपके पड़ौस के, दफतर के, या कक्षा के लोग शायद आपके मसीही विश्वास का उपहास करते हों और मसीह यीशु का अनुकरण करने के आपके निर्णय को ठट्ठों में उड़ाते हों। लाठी और पत्थर तो केवल हमारे शरीरों को ही घाव देते और हमारी हड्डियाँ ही तोड़ते हैं, लेकिन शब्दों के घाव और भी गहरे तथा पीड़ादायक होते हैं, और उन उपहास करने वालों के शब्द-बाणों ने आपको गहरे और पीड़ादायक घाव दे रखे हों।

   ऐसे अहंकारियों के उपहास का प्रत्युत्तर देने के दो तरीके हो सकते हैं; या तो हम उन के समान हो जाएं और ईंट का जवाब पत्थर से देने लगें, अन्यथा उनके इस उपहास को अपने लिए आदर की बात और सही मार्ग पर होने का प्रमाण समझें! परमेश्वर का वचन भी हमें यही, दूसरा विकल्प ही सिखाता है: "फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है" (1 पतरस 4:14)। हमारे लिए थोड़े समय के लिए यह निन्दा सहना, अनन्तकाल तक क्लेष सहने से कहीं उत्तम है।

   मसीह यीशु ने अपने चेलों को सिखाया "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो" (मत्ती 5:44); इसलिए पहला विकल्प - उपहास का वैसा ही प्रत्युत्तर देना, और "ईंट का जवाब पत्थर से देना" हम मसीही विश्वासीयों के लिए नहीं है। इसके विपरीत परमेश्वर का वचन हमें निर्देश देता है कि "अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो" (रोमियों 12:14)। ऐसा करने से ही हम बुराई पर विजयी होने पाएंगे अन्यथा अपना पलटा आप लेने से तो हम बुराई को और बढ़ावा ही देंगे, उसे मिटाने नहीं पाएंगे - क्या मानव जति के इतिहास में आज तक कभी किसी युद्ध या बदले में किए गए वार ने किसी समस्या का अन्त किया है? जो भी समाधान निकले हैं वे आपसी समझौते और परस्पर एक दूसरे को आदर देने से ही संभव हुए हैं, पलटा लेने से नहीं।

   परमेश्वर हमारी हर परिस्थिति को जानता है और वह हर बात में हमारे लिए भलाई भी उत्पन्न करता है। लोगों के उपहास और निन्दा के द्वारा भी: "हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे" (याकूब 1:2-4)। जब हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता को भी इन बातों का सामना करना पड़ा तो हम जो उसके अनुयायी हैं, इन सब से कैसे बच कर रह सकते हैं? लेकिन जैसे मसीह यीशु के लिए, वैसे ही हम मसीही विश्वासियों के लिए भी ये दुख आदर और आशीष का कारण ही बनेंगे: "सो जब कि मसीह ने शरीर में हो कर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण कर के हथियार बान्‍ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया। ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करो" (1 पतरस 4:1-2)।

   बिना युद्ध भूमि में जाए विजय प्राप्त नहीं होती; लेकिन अपने प्रत्येक संतान से परमेश्वर का यह वायदा भी है कि हमें केवल युद्ध भूमि में जाकर खड़ा ही होना है, युद्ध परमेश्वर का है और विजयी सामर्थ भी वही देगा। इसलिए, "बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो" (रोमियों 12:21)। - डेविड रोपर


जब औरों के व्यवहार से आप अपने आप को आहत और अपमानित अनुभव करें तो मसीह यीशु की ओर देखिए।

हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है। - भजन 123:4 

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-21
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 20-22 
  • प्रेरितों 21:1-17


बुधवार, 17 जुलाई 2013

फिट

   जब मैं अपने पहनने के लिए कपड़े खरीदने जाती हूँ तो कुछ बातें हैं जो वहाँ उपस्थित लोगों को सुनने को मिलती हैं - बहुत लंबा है; बहुत छोटा है; बहुत बड़ा है; बहुत तंग है; बहुत ढीला है आदि! सही रीति से ’फिट’ आने वाले वस्त्र ढूँढ पाना लगभग असंभव लगता है।

   बहुत से लोगों के लिए यही समस्या एक ऐसा चर्च ढूँढने में भी होती है जो उनके लिए बिलकुल ’फिट’ हो! उन्हें प्रत्येक चर्च में कुछ ना कुछ ऐसा दिखता ही है जो उनके अनुसार सही नहीं है। कहीं उन्हें लगता है कि उनके गुण और उपयोगिता का सही आँकलन और आदर नहीं होता, तो कहीं उनके मस्खरेपन का गलत अर्थ लगाया जाता है, तो किसी चर्च में उन्हें औरों के आचरण, विश्वास, कार्यक्रमों या उपस्थित लोगों से परेशानी रहती है। बस उन्हें यही लगता रहता है कि वे उस चर्च में ’फिट’ नहीं हो पा रहे हैं; उन्हें उस मण्डली के लोगों में उनका सही स्थान नहीं मिल पा रहा है।

   लेकिन हम मसीही विश्वासी यह भी जानते हैं कि यह परमेश्वर कि आज्ञा है कि हम आपस में मेल-मिलाप के साथ और एक-दूसरे की सहायतार्थ चर्च में रहें। प्रेरित पौलुस ने इफिसियों की मण्डली को लिखा कि "जिस में सारी रचना एक साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है। जिस में तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिये एक साथ बनाए जाते हो" (इफिसियों 2:21-22)। अर्थात सभी मसीही विश्वासी मिलकर परमेश्वर का निवास स्थान बनते जा रहे हैं, जैसे मूसा के समय में मिलापवाला तम्बू (निर्गमन 26) और राजा सुलेमान के दिनों में वह भव्य मन्दिर (1 राजा 6:1-14) था। जैसे उस तम्बू और फिर उस मन्दिर में सभी भिन्न वस्तुएं मिलकर एक ऐसी इकाई बन गई थीं जो एक साथ मिलकर परमेश्वर के आदर, आरधना और निवास का स्थान हो गईं, वैसे ही आज हम मसीही विश्वासीयों को भी भिन्न होते हुए भी मिलजुल कर और एक मन होकर एक ऐसा समाज होना है जहाँ संसार परमेश्वर के आदर, आराधना और निवास को देख सके।

   हमें कभी भी कोई भी चर्च हमारे अपने आँकलन के अनुसार सिद्ध नहीं मिलेगा, लेकिन मसीही स्वभाव को लेकर यह हमारा प्रयास रहना चाहिए कि बजाए दूसरों को अपने प्रति ’फिट’ करने के, हम ही पहल करके उनके साथ ’फिट’ होने का प्रयास करें और हम सभी एक मन और एक उद्देश्य के लोग हों जो परमेश्वर की महिमा के लिए एक दूसरे के साथ ’फिट’ होकर रहें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मसीह यीशु का प्रेम भिन्नता में भी एकता और प्रेम उत्पन्न कर सकता है।

क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? - 1 कुरिन्थियों 3:16 

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 18-19 
  • प्रेरितों 20:17-38


मंगलवार, 16 जुलाई 2013

खाली रखें

   "कितनी खराब बनावट है इसकी" मैं खिसियाकर बोली; मैं कूड़ेदान को खाली कर रही थी और सदा ही खाली करते समय कुछ कूड़ा बाहर कालीन पर गिर जाता था जो मेरी मेहनत और खिसियाहट को और बढ़ा देता था। एक दिन जब मैं फिर से कूड़ेदान को खाली करने लगी तो खाली करने के विषय में कुछ शंका उठी, क्योंकि कूड़ेदान अभी आधा ही भरा था। फिर मैंने सोचा चलो कर ही देती हूँ, और कूड़ेदान के मूँह पर पहले के समान ही प्लास्टिक की थैली लगाकर जैसे ही उसे उल्टा किया, तो आशा के विपरीत इस बार कूड़े का एक अंश भी बाहर कालीन पर नहीं गिरा। मुझे थोड़ा विस्मय हुआ, फिर थोड़ा विचार करने पर बात समझ में आ गई।

   जिस बात को लेकर मैं खिसियाती रहती थी, वह कूड़ेदान की बनावट का दोष नहीं था वरन मेरी ही गलती थी। मैं ही कूड़ेदान को खाली करने से पहले उसे ऊपर तक भर जाने देती थी, जिससे जैसे ही कूड़ेदान ज़रा सा टेढ़ा होता तो कूड़ा प्लास्टिक की थैली में जाने से पहले ही बाहर गिरने लग जाता। अब क्योंकि कूड़ा ऊपर तक नहीं भरा था इसलिए खाली करने को पलटने के समय वह बाहर नहीं गिर पाया, लगी हुई थैली में ही गिरा और कालीन गन्दा होने से बच गया तथा मैं खिसियाने से।

   यही हमारे जीवन में गलतियों और पापों के साथ भी होता है। यदि हम अपने मनों को गलतीयों और पापों से भर जाने देंगे, तो वे हमारे और हमारे आस-पास के लोगों के जीवन में कुछ ना कुछ दुष्प्रभाव अवश्य ही दिखाएंगे, क्योंकि "... बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्‍डार से बुरी बातें निकालता है; क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है" (लूका 6:45)। लेकिन कितना भला हो यदि हम जैसे ही हमारे अन्दर कुछ अनुचित या बुरा आए उसे परमेश्वर के सामने मान लें और उसे सौंप दें - अपने मन को ’खाली’ कर लें; क्योंकि परमेश्वर का वायदा है कि "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)। ऐसा करने से हमारे मन की गन्दगी कहीं और प्रभाव डालने से पहले ही साफ हो जाएगी और हमारे जीवन भी स्वच्छ बने रहेंगे।

   कूड़ेदान तो गन्दगी जमा रखने के लिए ही बनाए गए हैं, लेकिन एक सीमा से अधिक गन्दगी उनमें एकत्रित होगी तो इधर उधर फैलेगी भी और दुष्प्रभाव भी लाएगी। लेकिन हमारे शरीर और मन तो गन्दगी के लिए नहीं बने हैं। इसलिए भला रहेगा यदि हम अपने जीवनों को हर प्रकार की मलिनता से खाली रखें क्योंकि "क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? क्योंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो" (1 कुरिन्थियों 6:19-20)।


भलाई इसी में है कि हम अपने पापों को मान लें - वैसे भी परमेश्वर से तो उन्हें छिपा नहीं सकते!

क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? - 1 कुरिन्थियों 3:16

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:17-32
Ephesians 4:17 इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
Ephesians 4:18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्‍धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
Ephesians 4:19 और वे सुन्न हो कर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्‍दे काम लालसा से किया करें।
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 16-17 
  • प्रेरितों 20:1-16


सोमवार, 15 जुलाई 2013

सीमा

   गोल्फ के खेल मैदान में विशेष चिन्ह लगे होते हैं जो खेल मैदान की सीमा को दिखाते हैं। यदि गोल्फ की गेंद उन चिन्हों के बाहर जाती है तो खिलाड़ी को एक दण्ड चुकाकर ही उसे वापस सीमा के अन्दर लेने और फिर खेल में बने रहने का अवसर लेना होता है।

   जीवन यात्रा में भी परमेश्वर ने हम सभी के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित करी हैं, जिन का उल्लंघन करने पर एक कीमत चुकानी ही पड़ती है। यर्मियाह भविष्यद्वक्ता ने इस्त्राएल के लोगों को उनके द्वारा बार बार परमेश्वर की सीमाओं के उल्लंघन के बारे में चिताया। अपनी चेतावनी में उस ने उन से कहा समुद्र भी अपनी सीमा जानता है (यर्मियाह 5:22) लेकिन परमेश्वर के नाम से जाने वाले इस्त्राएली लोग हठीले और बलवाई हो गए (पद 23), उन में उस परमेश्वर का भय ही नहीं रहा जो उन्हें उपज के लिए समयानुसार बरसात का पानी देता है (पद 24)। वे छल से भर गए और कंगालों को भी उनका हक नहीं देते (पद 26-28)।

   परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में मनुष्यों के लिए कुछ नैतिक सीमाएं निर्धारित कर के दी हैं। इन सीमाओं का उद्देश्य हमें बांधे रखने और कुंठित करना नहीं है, वरन नुकसान से बचाए रखना और परमेश्वर की आशीषों से परिपूर्ण रखना है। भजनकार ने अपने अनुभव के आधार पर परमेश्वर के वचन में लिखा है: "हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है" (भजन 119:75)। परमेश्वर ने अपने वचन और नियम मूसा के द्वारा इस्त्राएल के लोगों को देने के बाद मूसा के द्वारा ही उन से कहा: "मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें" (व्यवस्थाविवरण 30:19)।

   हमारी भलाई इसी में है कि हम परमेश्वर द्वारा निर्धारित सीमाओं को जाने, उन्हें भली भांति पहचाने और उनके अन्दर ही जीवन व्यतीत करें। अन्यथा सीमा का उल्लंघन करने के बाद एक कीमत चुकाकर, कुछ कष्ट उठाकर ही जीवन दोबारा सही मार्ग पर लाया जा सकेगा। - सी० पी० हीया


परमेश्वर की आज्ञाकारिता में उठाया गया एक छोटा कदम उससे आशीष पाने का एक बड़ा माध्यम होता है।

मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है। - भजन 119:93

बाइबल पाठ: यर्मियाह 5:20-31
Jeremiah 5:20 याकूब के घराने में यह प्रचार करो, और यहूदा में यह सुनाओ:
Jeremiah 5:21 हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगो, तुम जो आंखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो।
Jeremiah 5:22 यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम लोग मेरा भय नहीं मानते? क्या तुम मेरे सम्मुख नहीं थरथराते? मैं ने बालू को समुद्र का सिवाना ठहराकर युग युग का ऐसा बान्ध ठहराया कि वह उसे लांघ न सके; और चाहे उसकी लहरें भी उठें, तौभी वे प्रबल न हो सकें, या जब वे गरजें तौभी उसको न लांघ सकें।
Jeremiah 5:23 पर इस प्रजा का हठीला और बलवा करने वाला मन है; इन्होंने बलवा किया और दूर हो गए हैं।
Jeremiah 5:24 वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिये हम उसका भय मानें।
Jeremiah 5:25 परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ही के कारण वे रुक गए, और तुम्हारे पापों ही के कारण तुम्हारी भलाई नहीं होती।
Jeremiah 5:26 मेरी प्रजा में दुष्ट लोग पाए जाते हैं; जैसे चिड़ीमार ताक में रहते हैं, वैसे ही वे भी घात लगाए रहते हैं। वे फन्दा लगाकर मनुष्यों को अपने वश में कर लेते हैं।
Jeremiah 5:27 जैसा पिंजड़ा चिडिय़ों से भरा हो, वैसे ही उनके घर छल से भरे रहते हैं; इसी प्रकार वे बढ़ गए और धनी हो गए हैं।
Jeremiah 5:28 वे मोटे और चिकने हो गए हैं। बुरे कामों में वे सीमा को लांघ गए हैं; वे न्याय, विशेष कर के अनाथों का न्याय नहीं चुकाते; इस से उनका काम सफल नहीं होता: वे कंगालों का हक़ भी नहीं दिलाते।
Jeremiah 5:29 इसलिये, यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं इन बातों का दण्ड न दूं? क्या मैं ऐसी जाति से पलटा न लूं?
Jeremiah 5:30 देश में ऐसा काम होता है जिस से चकित और रोमांचित होना चाहिये।
Jeremiah 5:31 भचिष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते हैं; और याजक उनके सहारे से प्रभुता करते हैं; मेरी प्रजा को यह भाता भी है, परन्तु अन्त के समय तुम क्या करोगे?

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15 
  • प्रेरितों 19:21-41


रविवार, 14 जुलाई 2013

पूर्वधारणा

   घटना अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना प्रांत के ग्रीन्सबोरो शहर में 1 फरवरी 1960 की है, जहाँ चार काले विद्यार्थी जाकर एक ऐसे स्थान पर भोजन करने बैठ गए जो केवल गोरे लोगों के लिए निर्धारित करी हुई थी। उन चार छात्रों में से एक, फ्रांसिस मक्कैन ने देखा कि पास ही के स्थान पर बैठी एक वृद्ध श्वेत महिला उन्हें बड़े ध्यान से देख रही है। मक्कैन को निश्चित था कि उस महिला के विचार उनके और रंगभेद नीति के विरुद्ध उनके इस विरोधप्रदर्शन के प्रति अच्छे नहीं होंगे। थोड़ी ही देर में वह महिला उठी और उन की ओर बढ़ी, पास आकर उसने अपना हाथ उठाया और फिर उनकी पीठ थपथपाते हुए बोली, "लड़कों, मुझे तुम पर बहुत नाज़ है।"

   कई वर्षों के बाद एक राष्ट्रीय रेडियो प्रसारण पर इस घटना का उल्लेख करते हुए मक्कैन ने कहा कि इस घटना से मैंने सीखा कि किसी के बारे में ऐसे ही कोई पूर्वधारणा नहीं बनानी चाहिए; वरन उस व्यक्ति को अवसर देकर, उससे वार्तालाप और संपर्क करके तब ही उसके विषय में कोई आंकलन करना चाहिए।

   जैसा हम आज चर्च कि दशा को देखते हैं, प्रथम शताब्दी के चर्च में भी जाति, भाषा, संसकृति आदि के आधार पर लोगों में भेदभाव पाए जाते थे। इस प्रवृति को सही करने के लिए प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मण्डली को अपनी दूसरी पत्री में लिखा, कि वे बाहरी स्वरूप और व्यवहार पर नहीं लेकिन मन की बात के अनुसार लोगों को आंकें (2 कुरिन्थियों 5:12)। पौलुस ने उन्हें समझाया, क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने सब के पापों के बदले में और सबके उद्धार के लिए मृत्यु सही और फिर मृत्कों में से जी उठा, इसलिए "सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे..." (2 कुरिन्थियों 5:16)।

   हम सब मसीही विश्वासियों की यही सोच होनी चाहिए कि हम किसी के प्रति कभी कोई पूर्वधारणा नहीं रखें वरन प्रत्येक जन को सही समझ-बूझ के साथ और पूरा-पूरा अवसर देकर ही आंकें क्योंकि हम सब परमेश्वर ही के बनाए हुए हैं और उसने हमें अपने ही स्वरूप में रचा है; और फिर जिन्होंने प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण कर लिया है वे तो मसीह यीशु में एक नई सृष्टि हो ही गए हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जो मायने रखती है वह व्यक्ति के अन्दर की बात है ना कि उसके बाहरी स्वरूप की।

सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे। - 2 कुरिन्थियों 5:16

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:12-21
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 10-12 
  • प्रेरितों 19:1-20