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शुक्रवार, 20 मार्च 2015

तूफान और बारिश


   जब मूसलाधार बारिश ने मेरे बाग़ीचे के फूलों पर आघात किया, उन्हें झुका दिया तो मुझे उनके लिए बहुत बुरा लगा। मेरा मन हुआ कि मैं उन सभी फूलों को घर के अन्दर तूफान तथा बारिश से सुरक्षित स्थान पर ले आऊँ। बारिश के समाप्त होने तक वे फूल पानी के वज़न से नीचे की ओर झुक गए थे, मुर्झाए हुए, कमज़ोर और दुखी प्रतीत हो रहे थे। लेकिन कुछ ही घंटों में वे वापस ऊपर आकाश की ओर उठने लगे थे, और अगले दिन वे सभी सीधे खड़े और मज़बूत दिखाई दे रहे थे! यह एक अद्भुत परिवर्तन था। बारिश ने उन फूलों तथा उनके पौधों पर प्रहार किया, बारिश का पानी उन पर से बह कर नीचे धरती पर पड़ा, धरती ने उसे सोख लिया, और वही पानी उन पौधों की जड़ों से होकर वापस उन की टहनियों और उन्हीं फूलों में आ गया, उन्हें सीधा खड़ा रहने के लिए मज़बूती और ताकत देने लगा!

   क्योंकि मुझे धूप अच्छी लगती है इसलिए जब भी बारिश मेरे बाहर रहने की योजनाओं में बाधा डालती है, मुझे बहुत बुरा लगता है। लेकिन मेरा लिए बारिश के प्रति नकारात्मक विचार रखना सही नहीं है; जिस किसी ने भी सूखे या अकाल को अनुभव किया है वह जानता है कि बारिश कितनी बड़ी आशीष होती है, धरती पर रहने वालों के लिए कितनी आवश्यक है, और धर्मी हों या अधर्मी वर्षा दोनों ही को लाभ पहुँचाती है।

   यह बात केवल पानी की बारिश के लिए ही सत्य नहीं है। जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हम पर आघात कर सकते हैं, ऐसा आघात जो हमें झुका दें, मुर्झाया सा बना दें; लेकिन हम मसीही विश्वासियों के लिए यह हानिकारक कदापि नहीं हो सकता। हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता इन सभी बातों के द्वारा हमें और मज़बूत, और बेहतर बनाता है; वह हमें इन सब से टूटने नहीं देता। जो तूफान और परिस्थितियाँ की बारिश हमें बाहर आहत करती हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें भीतर से बलवन्त कर देता है, सीधा तथा दृढ़ खड़े रहने के क्षमता प्रदान कर देता है। हम मसीही विश्वासियों को यह परमेश्वर का अद्भुत आश्वासन है कि जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हमारे लिए भलाई ही का कारण बन जाएगी।

   किसी भी परिस्थिति में निराश-हताश ना हों, सदैव परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें, सदा उसके धन्यवादी बने रहें, उसे अपना कार्य करने दें और वह आपको बेहतर तथा सामर्थी करता जाएगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जो तूफान और बारिश हमें तोड़ने के प्रयास करते हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें और बलवान बना देता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: यशायाह 55:8-13
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, 
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे। 
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 4-6
  • लूका 1:1-20



1 टिप्पणी:

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