ब्रिटेन
के लेखक एवलिन वॉ शब्दों को ऐसे प्रयोग करते थे कि उनके चरित्र की त्रुटियाँ और
अधिक विदित हो जाती थीं। अन्ततः वह उपन्यासकार मसीही विश्वासी बन गया, परन्तु वह
फिर भी अपने चरित्र को लेकर संघर्ष करता रहा। एक दिन एक महिला ने उससे पूछा,
“श्रीमान वॉ, ऐसा कैसे हो सकता है कि आप अपने आप को मसीही भी कहें और वैसे व्यवहार
भी करें जैसा आप दिखाते हैं?” उन्होंने उस महिला को उत्तर दिया, “महोदया, आप मुझे
जितना बुरा समझती हैं, संभव है कि मैं वैसा हूँ। परन्तु मेरा विश्वास कीजिए कि यदि
मेरा यह धर्म न होता तो मैं मनुष्य कहलाने के योग्य भी न होता।”
वॉ
एक आंतरिक आत्मिक युद्ध लड़ रहे थे, जिसका अनुभव स्वयं पौलुस ने भी किया था और जिसके
विषय परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी
अपनी पत्री में लिखा है। अपने इस संघर्ष के बारे में पौलुस लिखता है, कि वह भला तो
करना चाहता है, परन्तु कर नहीं पाता है (रोमियों 7:18)। वह बताता है कि ऐसा
व्यवस्था में कोई दोष होने के कारण नहीं है, वरन उसके मानव स्वभाव के कारण है
(रोमियों 7:14)। इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए वह कहता है कि अपने भीतरी मनुष्यत्व
में तो वह परमेश्वर की व्यवस्था से प्रसन्न रहता है, परन्तु उसके शरीर में एक अन्य
ही व्यवस्था कार्य करती है, और वह प्रश्न करता है कि वह कैसे इस मरणहार शरीर की इस
प्रवृत्ति से बच सकता है (रोमियों 7: 22-24)? और फिर वह उल्लास के साथ इस प्रश्न
का उत्तर बताता है कि यह प्रभु यीशु मसीह द्वारा संभव है (रोमियों 7:25–8:2)।
हम,
अपने पापों और गलतियों का अंगीकार कर के, और अपने लिए एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता
को स्वीकार करके, जब प्रभु यीशु मसीह में विश्वास लाते हैं तो तुरंत ही हम एक नई
सृष्टि हो जाते हैं (2 कुरिन्थियों 5: 17)। परन्तु शारीरिक से आत्मिक हो जाने का यह
परिवर्तन एक आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके विषय प्रेरित यूहन्ना लिखता है,
“हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं,
और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ
होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके
समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है” (1 यूहन्ना 3:2)। परमेश्वर हम मसीही विश्वासियों को अपने पुत्र, हमारे
उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में ढालता जा रहा है; एक दिन हम प्रभु के समान
होंगे। - टिम गुस्ताफासन
मसीही होने का अर्थ है अक्षम्य को क्षमा
करने वाला होना,
क्योंकि परमेश्वर ने हम में विद्यमान अक्षम्य को क्षमा कर दिया। -
सी. एस. ल्यूइस
सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि
है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे
सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5: 17
बाइबल पाठ: रोमियों 7:12–8:2
Romans 7:12 इसलिये व्यवस्था पवित्र है,
और आज्ञा भी ठीक और अच्छी है।
Romans 7:13 तो क्या वह जो अच्छी थी,
मेरे लिये मृत्यु ठहरी? कदापि नहीं! परन्तु
पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ कि उसका
पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय
ठहरे।
Romans 7:14 क्योंकि हम जानते हैं कि
व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शरीरिक और पाप के हाथ
बिका हुआ हूं।
Romans 7:15 और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है,
वही करता हूं।
Romans 7:16 और यदि, जो
मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
Romans 7:17 तो ऐसी दशा में उसका करने वाला
मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा
हुआ है।
Romans 7:18 क्योंकि मैं जानता हूं,
कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती,
इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से
बन नहीं पड़ते।
Romans 7:19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं
इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु
जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
Romans 7:20 परन्तु यदि मैं वही करता हूं,
जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला
मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:21 सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं,
कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई
मेरे पास आती है।
Romans 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व
से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
Romans 7:23 परन्तु मुझे अपने अंगो में
दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की
व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में
डालती है जो मेरे अंगों में है।
Romans 7:24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं!
मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
Romans 7:25 मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के
द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की
व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता
हूं।
Romans 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं,
उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन
आत्मा के अनुसार चलते हैं।
Romans 8:2 क्योंकि जीवन की आत्मा की
व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की
व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन 14-15
- मत्ती 17
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