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मंगलवार, 31 जनवरी 2012

साथ

   चन्द्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों पर बनी एक लघु फिल्म In the Shadow of the Moon में १९७२ में चांद पर भेजे गए अपोलो १६ यान के यात्री चार्ली ड्यूक की कहानी भी है। चार्ली और उसके साथ एक और अंतरिक्ष यात्री को चांद की सतह पर उतारा गया और वे तीन दिन तक वहां से चांद की चट्टानें एकत्रित करते रहे और प्रयोग करते रहे, फिर सुरक्षित वापस पृथ्वी पर लौट आए।

   बाद में चार्ली का आत्मिक परिवर्तन हुआ। चार्ली ने बताया कि एक मित्र ने उसे एक बाइबल अध्ययन में आमंत्रित किया; उस सभा के बाद चार्ली ने प्रभु यीशु से प्रार्थना करी, "मैं अपना जीवन आप को सौंपता हूं, यदि आप वास्तविक हैं तो मेरे जीवन में आईए।" इस प्रार्थना के बाद चार्ली ने एक अद्भुत शांति अपने अन्दर महसूस करी। यह अनुभव इतना गहरा और गंभीर था कि चार्ली अपने जीवन की यह घटना दूसरों के साथ बांटने लगा। अब चार्ली लोगों को बताने लगा कि "चांद पर मेरा चलना और रहना तीन दिन का ही था, और यह बहुत रोमांचकारी था; लेकिन परमेश्वर के साथ मेरा रहना और चलना अनन्तकाल का रोमांच है।"

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें एक और व्यक्ति के बारे में बताती है जो इस पृथ्वी पर रहते हुए भी परमेश्वर के साथ रहा और चला: "और हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया" (उत्पत्ति ५:२४)। परमेश्वर के साथ हनोक का रहना और चलना इतना घनिष्ठ था कि परमेश्वर उसे सीधे ही अनन्तता में ले गया: "विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है" (इब्रानियों ११:५)।

   चार्ली और हनोक, दोनो ही के जीवन से हम सीख सकते हैं कि मसीही विश्वासी के लिए जीवन यात्रा कैसी भी हो, उसका और परमेश्वर का साथ अनन्तकाल का है। - डेनिस फिशर


प्रतिदिन परमेश्वर की ज्योति में चलकर अनन्तकाल के लिए अपना लक्ष्य सुनिश्चित रखिए।

और हनोक परमेश्वर के साथ साथ चलता था; फिर वह लोप हो गया क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया। - उत्पत्ति ५:२४

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१-६
Heb 11:1  अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Heb 11:2  क्‍योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्‍छी गवाही दी गई।
Heb 11:3  विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Heb 11:4  विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्‍योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Heb 11:5  विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्‍योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उस ने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Heb 11:6  और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्‍योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है, और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २५-२६ 
  • मत्ती २०:१७-३४

सोमवार, 30 जनवरी 2012

परदे के पीछे

   पास्टर और लेखक इर्विन लुटज़र ने लिखा: "जैसे ही परदा आपके प्रवेश के लिए खुलेगा और आप उस परदे के पीछे पहुंचेंगे, उसी क्षण आप या तो मसीह यीशु द्वारा स्वागत का आनन्द अनुभव करेंगे या अपने उस विनाश की पहली झलक देखेंगे, जैसा आपने कभी कल्पना भी नहीं किया होगा। दोनो ही हाल में आपका अनन्तकालीन भविष्य निर्धारित हो चुका होगा और फिर कभी किसी हाल नहीं बदल सकेगा।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के लूका रचित सुसमाचार में एक ऐसी ही घटना का छोटा सा ब्यान है जहां दो व्यक्ति उस परदे के पीछे, अपने अनन्तकालीन भविष्य के लिए पहुंचने वाले हैं। जब प्रभु यीशु मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया तो उनके साथ दो डाकू भी क्रूस पर चढ़ाए गए। मरकुस रचित सुसमाचार में दिए विविरण में, आरंभ में, वे दोनो ही क्रूस पर से प्रभु यीशु की निन्दा और भर्त्सना कर रहे थे (मरकुस १५:३२)।

   कुछ समय बाद, जब उन दोनो में से एक ने प्रभु यीशु की खराई और स्वयं अपनी पापमय दशा की ओर ध्यान किया, तब उस का मन बदला, और उसने दूसरे डाकू को डांटा। फिर उसने प्रभु यीशु से विनती करी कि जब वह अपने राज्य में आए तो उसकी सुधि ले। ये छोटी सी विनती उसके पश्चाताप और प्रभु यीशु में साधारण सच्चे विश्वास की सूचक थी। प्रभु यीशु ने उससे कहा, "...मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा" (लूका २३:४३)। उस पश्चातापी डाकू के लिए उद्धार तत्काल था, उसी क्षण उसका अनन्तकाल का भविष्य निरधारित हो गया। अब उसे सुनिश्चित था कि वह अनन्तकाल कहां व्यतीत करेगा - प्रभु यीशु के साथ स्वर्ग में।

   अपने पापी होने का एहसास करना और पश्चाताप के साथ प्रभु यीशु में विश्वास करके अपना जीवन उसे समर्पित कर देना निर्धारित कर देता है कि हम अनन्तकाल कहां व्यतीत करेंगे; जब हमारे लिए परदा खुलेगा और हम परदे के पीछे लिए जाएंगे, तो हम कहां पहुंचेंगे। - मार्विन विलियम्स


आज प्रभु यीशु पर विश्वास करके अपना कल सुनिश्चित कर लें।

उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा। - लूका २३:४३

बाइबल पाठ: लूका २३:३९-४३
Luk 23:39  जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्‍दा करके कहा; क्‍या तू मसीह नहीं तो फिर अपने आप को और हमें बचा।
Luk 23:40  इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, क्‍या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता तू भी तो वही दण्‍ड पा रहा है।
Luk 23:41  और हम तो न्यायानुसार दण्‍ड पा रहे हैं, क्‍योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया।
Luk 23:42  तब उस ने कहा, हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।
Luk 23:43  उस ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २३-२४ 
  • मत्ती २०:१-१६

रविवार, 29 जनवरी 2012

दौड़

   संसार में कम ही लोग हैं जो स्पिरिडौन ल्युइस को जानते हैं, किंतु ग्रीस देश में वह भली-भांति जाना जाता है। यह १८९६ में ग्रीस के एथेंस शहर में आयोजित ओलंपिक खेलों में जो हुआ था, उस के कारण है। उस वर्ष इन खेलों में ग्रीस ने अच्छा प्रदर्शन किया था और किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक पदक जीते थे। किंतु ग्रीस के लिए सर्वाधिक गर्व का जो कारण रहा था वह थी उन खेलों में पहली बार सम्मिलित करी गई मैरॉथन - लंबी दूरी की दौड़। विश्व भर से १७ खिलाड़ियों ने ४० किलोमीटर (२४.८ मील) दौड़ने की इस प्रतियोगिता में भाग लिया, लेकिन जीत का सेहरा बंधा एक साधारण से मज़दूर स्पिरिडौन ल्युइस के सिर पर। उसके इस प्रयास के लिए वह ग्रीस के राजा द्वारा सम्मानित किया गया और एक राष्ट्र-नायक बन गया।

   पौलुस प्रेरित ने भी दौड़ में भाग लेने के चित्रण को मसीही जीवन की व्याख्या के लिए प्रयोग किया है। पौलुस ने अपनी पत्री १ कुरिन्थियों ९:२४ में चुनौती दी कि मसीही विश्वासी केवल दौड़ में भाग लेने वाले ही न बनें वरन जीतने के उद्देश्य से दौड़ें: "क्‍या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्‍तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो।" पौलुस की केवल यह कथनी ही नहीं थी, यह उसके जीवन में उसकी करनी भी थी। अपनी अन्तिम पत्री में उसने लिखा: "मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है" (२ तिमुथियुस ४:७)। अपनी इस ज़िम्मेवारी को भली भांति पूरा कर लेने के पश्चात वह जानता था कि परमेश्वर की ओर से "भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं" (२ तिमुथियुस ४:८)। परमेश्वर से मिलने वाले इस मुकुट के रोमांच से वह अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी अपने प्रतिफल की लालसा और आनन्द से भरा हुआ था।

   पौलुस के समान, इस पृथ्वी पर की अपनी जीवन दौड़ जीतने और अपने राजाधिराज परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से दौड़ें। - बिल क्राउडर

मसीही जीवन की दौड़ थोड़ी सी दूरी की तेज़ दौड़ नहीं वरन लंबी दूरी और धैर्य की दौड़ है।

क्‍या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्‍तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। - १ कुरिन्थियों ९:२४

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ९:१९-२७
1Co 9:19  क्‍योंकि सब से स्‍वतंत्र होने पर भी मैं ने अपने आप को सब का दास बना दिया है, कि अधिक लोगों को खींच लाऊं।
1Co 9:20  मैं यहूदियों के लिये यहूदी बना कि यहूदियों को खींच लाऊं, जो लोग व्यवस्था के आधीन हैं उन के लिये मैं व्यवस्था के आधीन न होने पर भी व्यवस्था के आधीन बना, कि उन्‍हें जो व्यवस्था के आधीन हैं, खींच लाऊं।
1Co 9:21  व्यवस्थाहीनों के लिये मैं (जो परमेश्वर की व्यवस्था से हीन नहीं, परन्‍तु मसीह की व्यवस्था के आधीन हूं) व्यवस्थाहीन सा बना, कि व्यवस्थाहीनों को खींच लाऊं।
1Co 9:22  मैं निर्बलों के लिये निर्बल सा बना, कि निर्बलों को खींच लाऊं, मैं सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना हूं, कि किसी न किसी रीति से कई एक का उद्धार कराऊं।
1Co 9:23  और मैं सब कुछ सुसमाचार के लिये करता हूं, कि औरों के साथ उसका भागी हो जाऊं।
1Co 9:24  क्‍या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्‍तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो।
1Co 9:25  और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्‍तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं।
1Co 9:26  इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्‍तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्‍तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है।
1Co 9:27  परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन २१-२२ 
  • मत्ती १९

शनिवार, 28 जनवरी 2012

संपर्क

   आज की जीवन शैली का एक मुख्य भाग ’संपर्क में रहना’ हो गया है। ऐसे अनेक लोग हैं जो अपने साथ सदा अपना मोबाइल फोन, लैप्टॉप, आईपौड या अन्य कोई ऐसा उपकरण रखते हैं जिसके द्वारा वे कभी भी कहीं भी दूसरों से संपर्क में रह सकें। अब चौबीसों घंटे उपलब्ध रहना जीवन का उसूल बन गया है। कुछ मनोवैज्ञानिक इस लगातार संपर्क की लालसा को एक व्यसन के रूप में देखते हैं। लेकिन साथ ही ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है जो संपर्क में रहने के इन उपकरणों के अपने प्रयोग को सीमित रखने के प्रयत्न में लगे हैं। वे जीवन में प्रौद्यौगिकी के बढ़ते दख़ल को बढ़ावा देने के बजाए, अपने जीवन में जानकारी और प्रौद्यौगिकी के प्रवाह को सीमित करके, अपना समय शांत रहने में व्यतीत करना चाहते हैं जिससे वे अपने मन-मस्तिष्क को आराम दे सकें।

   एक और भी संपर्क है आज जिसकी अवहेलना होती जा रही है, किंतु जिसका महत्व और जिसकी उपयोगिता संसार के आपसी संपर्क से कहीं अधिक बढ़कर है - परमेश्वर के साथ हमारा नित्यप्रायः संपर्क। मसीही विश्वासी इस बात को पहचानते हैं कि प्रतिदिन परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन और परमेश्वर के साथ प्रार्थना में बिताया गया समय न केवल उनके विश्वास के जीवन वरन प्रतिदिन के जीवन में भी में आगे बढ़ने के लिए कितना महत्व रखता है। उनका यह "शांत समय" संसार से ध्यान हटा कर परमेश्वर के साथ संपर्क साधने का समय होता है, जहां वे अपनी दिनचर्या और अपनी गतिविधियों के लिए परमेश्वर से सामर्थ और क्षमता पाते हैं। भजन २३ के दूसरे पद में भजनकार परमेश्वर द्वारा ’हरी चराईयों’ और ’सुखदायी जल के सोतों’ पर ले जाए जाने की बात करता है; यह किसी सुन्दर प्राकृतिक स्थान में ले जाए जाने की बात नहीं है। यह परमेश्वर से बने संपर्क द्वारा हमारे मन को शांत और बहाल किए जाने के स्रोतों पर जाने तथा परमेश्वर के मार्गों में चलने के बारे में है।

   हम में से प्रत्येक परमेश्वर के साथ समय बिता सकता है, लेकिन क्या हम में से प्रत्येक ऐसा करता है या करना भी चाहता है? अपनी पुस्तक "7 Minutes With God" में रौबर्ट फौस्टर इस संपर्क की साधना को आरंभ करने के लिए एक विधि सुझाते हैं: मार्गदर्शन के लिए एक छोटी सी प्रार्थना के साथ आरंभ करें, फिर कुछ मिनिट बाइबल पढ़ने और पढ़े गए पर मनन में बिताएं, और फिर कुछ समय प्रार्थना में बिताएं जिसमें परमेश्वर की आराधना, पापों का अंगीकार, परमेश्वर को धन्यवाद और दूसरों की आवश्यक्ताओं के लिए विनती सम्मिलित हो।

   परमेश्वर के साथ अपने संपर्क को जोड़िए; संसार के साथ के किसी भी संपर्क से यह कहीं अधिक अनिवार्य और अति लाभप्रद है। - डेविड मैककैसलैंड


परमेश्वर के साथ बिताया गया समय, समय का सदुपयोग है।

वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; - भजन २३:२

बाइबल पाठ: भजन २३
Psa 23:1  यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।
Psa 23:2  वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है;
Psa 23:3  वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त अगुवाई करता है।
Psa 23:4  चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।
Psa 23:5  तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है।
Psa 23:6  निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १९-२० 
  • मत्ती १८:२१-३५

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

प्रभाव

   माना जाता है कि विलियम एडम्स (१५६४-१६२०) जापान पहुंचने वाले प्रथम ब्रिटिश नागरिक थे। उनके व्यवहार से प्रसन्न होकर जापान के तत्कालीन शासक ने उन्हें अपना निज दुभाषिया और पश्चिमी ताकतों के प्रति निर्णयों के लिए अपना सलाहकार बना लिया। आगे चलकर उनकी सेवा के लिए शासक ने उन्हें दो तलवारें भेंट करीं और ’समुराई’ का दर्जा दिया, जो जापान के शासकों के अति विशिष्ट योद्धा और विश्वासपात्र होते थे। क्योंकि एडम्स ने अपने विदेशी राजा की सेवा वफादारी और भली-भांति करी, इसलिए उन्हें और अधिक प्रभावी और आदर्णीय होने के अवसर मिले।

   इससे भी सदियों पहले, एक अन्य व्यक्ति, नहेम्याह ने भी, अपने विदेशी राजा पर बहुत प्रभाव डाला था। नहेम्याह एक यहूदी था जो दास बनाकर लाए गए इस्त्राएलीयों में से था; वह फारसी राजा अर्तक्षत्र को प्याला देनेहारा नियुक्त किया गया था (नहेम्याह १:११)। राजा के दरबार में, राजा को दाखरस देने से पहले उसे पीकर जाँचना और फिर राजा को देना उसका काम था। यह जोखिम भरा भी था, क्योंकि दाखरस में कोई ज़हर भी मिला सकता था, किंतु यह राजा के विश्वासपात्र होने और उसपर प्रभाव डाल पाने की स्थिति में होने का भी प्रमाण था। नहेम्याह की ईमानदारी, प्रशासनीय कार्यकुशलता और बुद्धिमानी ने उसे राजा का विश्वासपात्र और प्रीय बना दिया था। अपने इन ही गुणों के कारण वह राजा से यरुशलेम की टूटी हुई दीवारों के पुनःर्निर्माण के लिए अनुमति और संसाधन उपलब्ध करवा सका।

   नहेम्याह ही के समान हम में से प्रत्येक को कुछ गुण और प्रभाव का क्षेत्र दिया गया है। यह बच्चों का पालन-पोषण, हमारी नौकरी की ज़िम्मेदारियां, चर्च तथा सेवकाई के कार्य आदि कुछ भी ऐसा हो सकता है जिसके द्वारा हम दूसरों पर प्रभाव डालने वाले होते हैं। यह प्रभाव भला भी हो सकता है और बुरा भी; अन्ततः परिणाम ही उस प्रभाव की व्याख्या करते हैं।

   अपने आस-पास देखिए, परमेश्वर ने आप के जीवन में किसे दिया है जिसपर आप का प्रभाव पड़ रहा है - सुनिश्चित कीजिए कि यह प्रभाव भला ही हो। - डेनिस फिशर


एक छोटा उदाहरण भी मसीह के लिए बड़ा प्रभावी हो सकता है।

राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? - नहेम्याह २:४

बाइबल पाठ: नहेम्याह २:१-९
Neh 2:1  अर्तक्षत्र राजा के बीसवें वर्ष के नीसान नाम महीने में, जब उसके साम्हने दाखमधु था, तब मैं ने दाखमधु उठाकर राजा को दिया। इस से पहिले मैं उसके साम्हने कभी उदास न हुआ था।
Neh 2:2  तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रोगी नहीं है, फिर तेरा मुंह क्यों उतरा है? यह तो मन ही की उदासी होगी।
Neh 2:3  तब मैं अत्यन्त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवित रहे ! जब वह नगर जिस में मेरे पुरखाओं की कबरें हैं, उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं, तो मेरा मुंह क्यों न उतरे?
Neh 2:4  राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करके, राजा से कहा;
Neh 2:5  यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं।
Neh 2:6  तब राजा ने जिसके पास रानी भी बैठी थी, मुझ से पूछा, तू कितने दिन तक यात्रा में रहेगा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को प्रसन्न हुआ; और मैं ने उसके लिये एक समय नियुक्त किया।
Neh 2:7  फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से होकर जाने दें।
Neh 2:8  और सरकारी जंगल के रखवाले आसाप के लिये भी इस आशय की चिट्ठी मुझे दी जाए ताकि वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ की कडिय़ों के लिये, और शहरपनाह के, और उस घर के लिये, जिस में मैं जाकर रहूंगा, लकड़ी दे। मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी, इसलिये राजा ने यह बिनती ग्रहण किया।
Neh 2:9  तब मैं ने महानद के पार के अधिपतियों के पास जाकर उन्हें राजा की चिट्ठियां दीं। राजा ने मेरे संग सेनापति और सवार भी भेजे थे। 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १६-१८ 
  • मत्ती १८:१-२०

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

विलंबित परिणाम

   जब मैं बच्चा था, तब मैंने सही व्यवहार परिणामों द्वारा सीखा; जब मैं अच्छा व्यवहार करता था तो व्यसक मुझे पुरुसकार देते थे, यदि बुरा व्यवहार करता था तो डांट या दण्ड मिलता था। क्योंकि मुझे अपने व्यवहार का परिणाम तुरंत ही मिल जाता था इसलिए मुझे भले-बुरे व्यवहार्फ़ में अन्तर सिखाने में यह उपयोगी हुआ। लेकिन मेरे व्यसक होने के बाद जीवन कुछ जटिल हो गया है, और अब मेरे व्यवहार के परिणाम अकसर तुरंत ही नहीं आ जाते हैं। क्योंकि मेरे बुरे व्यवहार के बुरे परिणाम तुरंत मेरे समक्ष नहीं आते इसलिए मुझे यह भी लगने लगा कि मेरे व्यवहार से परमेश्वर को कोई सरोकार नहीं है, और मुझे अपना व्यवहार निरधारित करने की खुली छूट है।

   कुछ ऐसा ही इस्त्राएली लोगों के साथ भी हुआ। जब उन्होंने परमेश्वर की अनाअज्ञाकारिता करी और इसके दुष्परिणाम तुरंत उन पर नहीं आए तो वे लापरवाह हो गए: "...इस्राएल और यहूदा के घरानों का अधर्म अत्यन्त ही अधिक है, यहां तक कि देश हत्या से और नगर अन्याय से भर गया है; क्योंकि वे कहते हें कि यहोवा ने पृथ्वी को त्याग दिया और यहोवा कुछ नहीं देखता" (यहेजकेल ९:९)। किंतु उनका ऐसा सोचना गलत था। अन्ततः उनके अधर्म से उक्ता गया और क्रोधित हुआ: "इसलिये तू उन से कह, प्रभु यहोवा यों कहता है, मेरे किसी वचन के पूरा होने में फिर विलम्ब न होगा, वरन जो वचन मैं कहूं, सो वह निश्चय पूरा होगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है" (यहेजकेल १२:२८)।

   जब परमेश्वर अपने अनुशासन में देरी करता है तो इसका तात्पर्य यह नहीं है कि वह हमारे बुरे व्यवहार और अधर्म को नज़रान्दाज़ कर रहा है या उससे  अनवगत और बेपरवाह है। उसका विलंब उसके प्रेम व्यवहार का अंश है, वह विलंब से कोप करने वाला और करुणामय परमेश्वर है। उसके इस विलंब को बहुतेरे पाप और अधर्म करने के लिए अनुमति मान लेते हैं, किंतु वास्तव में यह विलंब पश्चाताप का अवसर है "क्‍या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्‍छ जानता है और क्या यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है" (रोमियों २:४), इससे पहले कि उसके क्रोध की जलजलाहट उनपर टूट पड़े, क्योंकि उसका न्याय खरा और अवश्यंभावी है "वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा" (रोमियों २:६)। - जूली ऐकरमैन लिंक


अपनी गलती मान कर पश्चाताप कर लेना ही सुधार का एकमात्र उपाय है।

अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़कर अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है।
 
बाइबल पाठ: रोमियों २:१-८
Rom 2:1 सो हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्‍यों न हो; तू निरुत्तर है! क्‍योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है।
Rom 2:2 और हम जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्‍ड की आज्ञा होती है।
Rom 2:3 और हे मनुष्य, तू जो ऐसे ऐसे काम करने वालों पर दोष लगाता है, और आप वे ही काम करता है; क्‍या यह समझता है, कि तू परमेश्वर की दण्‍ड की आज्ञा से बच जाएगा?
Rom 2:4 क्‍या तू उस की कृपा, और सहनशीलता, और धीरजरूपी धन को तुच्‍छ जानता है और कया यह नहीं समझता, कि परमेश्वर की कृपा तुझे मन फिराव को सिखाती है?
Rom 2:5 पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिये, जिस में परमेश्वर का सच्‍चा न्याय प्रगट होगा, अपने निमित्त क्रोध कमा रहा है।
Rom 2:6  वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा।
Rom 2:7 जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्‍हें अनन्‍त जीवन देगा।
Rom 2:8  पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा।
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १४-१५ 
  • मत्ती १७

बुधवार, 25 जनवरी 2012

सर्वदा आनन्दित

   छठी शाताब्दी में सात घातक पापों की सूचि बनाकर प्रचलित करी गई थी; ये पाप थे: कामुक्ता, पेटुपन या अतिभक्षी होना, लालच, आलस, बदले की भावना, जलन और घमंड या अहंकार। एक और सूची इससे भी पहले चौथी शताब्दी में प्रेषित की गई थी जिसमें उपरोक्त सातों के अतिरिक्त एक और भी पाप गिनाया गया था - उदास रहने का पाप! समय के साथ साथ पापों की गिनती से उदासी या दुखी रहना हट गया।

   कुछ लोगों का स्वभाव सदा प्रसन्न रहने का होता है; वे सदा ही आनन्दित प्रतीत होते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कुराहट ऐसे रहती है मानो किसी दन्तमंजन का प्रचार कर रहे हों। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमेशा दुखी ही नज़र आते हैं। उन्हें हर बात में परेशानीयां ही दिखती रहती हैं, वे सदा जीवन और उसकी कठिनाइयों के बारे में शिकायत करते रहते हैं। वे स्वयं भी निराश रहते हैं और दूसरों को भी निराश करते हैं।

   यह ठीक है कि हर किसी के पास जीवन के प्रति स्कारात्मक रवैया नहीं होता, लेकिन मसीही विश्वासी के लिए यह स्मरण रखना आवश्यक है कि प्रभु यीशु द्वारा अपने चेलों से वायदा किए गए वरदानों में से एक है आनन्द। जिस रात प्रभु यीशु को पकड़वाया गए थे, उन्होंने अपने चेलों से कहा था: "...तुम्हारा आनन्‍द कोई तुम से छीन न लेगा। मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्‍तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना १६:२२; ३३)। यह भी स्मरण रखिए कि आनन्द मसीही विश्वासी के अन्दर बसे हुए पवित्र आत्मा के फलों में से एक है: "पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज, और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं" (गलतियों ५:२२, २३)। इसलिए मसीही विश्वासी के लिए यह आवश्यक है कि वह उदासी को अपने ऊपर हावी ना होने दे।

   प्रभु की सामर्थ और सहायता से हम अपने उद्धारकर्ता के समान अपनी परिस्थितियों से आगे देखते रहने वाले हो सकते हैं "और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर से ताकते रहें; जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा या, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा, और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा" (इब्रानियों १२:२); ऐसे लोग जो सदा हर परिस्थिति में परमेश्वर में आनन्दित रह सकें क्योंकि मसीही विश्वासी से परमेश्वर का वचन कहता है "...उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है" (नहेम्याह ८:१०)। - वर्नन ग्राउंड्स


आनन्द आत्मा के फलों में से एक है, ऐसे फल जो हर ऋतु में उपलब्ध रहते हैं।

और तुम्हें भी अब तो शोक है, परन्‍तु मैं तुम से फिर मिलूंगा और तुम्हारे मन में आनन्‍द होगा; और तुम्हारा आनन्‍द कोई तुम से छीन न लेगा। - यूहन्ना १६:२२

बाइबल पाठ: प्रेरितों ५:२८-४२
Act 5:28  क्‍या हम ने तुम्हें चिताकर आज्ञा न दी थी, कि तुम इस नाम से उपदेश न करना तौभी देखो, तुम ने सारे यरूशलेम को अपने उपदेश से भर दिया है और उस व्यक्ति का लोहू हमारी गर्दन पर लाना चाहते हो।
Act 5:29  तब पतरस और, और प्रेरितों ने उत्तर दिया, कि मनुष्यों की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना ही कर्तव्य कर्म है।
Act 5:30  हमारे बाप-दादों के परमेश्वर ने यीशु को जिलाया, जिसे तुम ने क्रूस पर लटका कर मार डाला था।
Act 5:31 उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारक ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्‍च कर दिया, कि वह इस्‍त्राएलियों को मन फिराव की शक्ति और पापों की क्षमा प्रदान करे।
Act 5:32 और हम इन बातों के गवाह हैं, और पवित्र आत्मा भी, जिसे परमेश्वर ने उन्‍हें दिया है, जो उस की आज्ञा मानते हैं।
Act 5:33 यह सुनकर वे जल गए, और उन्‍हें मार डालना चाहा।
Act 5:34 परन्‍तु गमलीएल नाम एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, न्यायालय में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी।
Act 5:35 तब उस ने कहा, हे इस्‍त्राएलियों, जो कुछ इन मनुष्यों से किया चाहते हो, सोच समझ के करना।
Act 5:36 क्‍योंकि इन दिनों से पहले यियूदास यह कहता हुआ उठा, कि मैं भी कुछ हूं; और कोई चार सौ मनुष्य उसके साथ हो लिये, परन्‍तु वह मारा गया; और जितने लोग उसे मानते थे, सब तित्तर बित्तर हुए और मिट गए।
Act 5:37  उसके बाद नाम लिखाई के दिनों में यहूदा गलीली उठा, और कुछ लोग अपनी ओर कर लिये: वह भी नाश हो गया, और जितने लागे उसे मानते थे, सब तित्तर बित्तर हो गए।
Act 5:38 इसलिये अब मैं तुम से कहता हूं, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उन से कुछ काम न रखो; क्‍योंकि यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा।
Act 5:39 परन्‍तु यदि परमेश्वर की ओर से है, तो तुम उन्‍हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्वर से भी लड़ने वाले ठहरो।
Act 5:40 तब उन्‍होंने उस की बात मान ली और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना।
Act 5:41 वे इस बात से आनन्‍दित होकर महासभा के साम्हने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे।
Act 5:42 और प्रति दिन मन्‍दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रूके।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १२-१३ 
  • मत्ती १६

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

सामर्थी वचन

   जब पोह फैंग नामक एक किशोरी ने प्रभु यीशु के अपने प्रति प्रेम के बारे में जाना और उसे अपने निज उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया तो उसके माता-पिता को मसीही विश्वास के प्रति कुछ शंकाएं हुईं। उन्होंने पोह फैंग की बड़ी बहन से कहा कि उसके साथ साथ चर्च जाया करे ताकि वह अपनी बहन पर नज़र रख सके और वहां कि गतिविधियों की खबर भी उन तक पहुंचती रहे। लेकिन वहां कुछ अप्रत्याशित हो गया। परमेश्वर के सामर्थी वचन ने बड़ी बहन के मन में भी असर किया और उसने भी प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया।

   भजनकार ने लिखा कि "मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है" (भजन ११९:९३)। यही गवाही पोह फैंग और उन सभी लोगों की भी है जिन्होंने प्रभु यीशु को अपना निज उद्धारकर्ता जाना है; "क्‍योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, आर पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों ४:१२)।

   परमेश्वर का वचन हमें: 
  • हमारे पापों को दिखाता है और उनके परिणाम के लिए कायल करता है: "इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं" (रोमियों ३:२३); " क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्‍तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है" (रोमियों ६:२३)। 
  • वह हमें परमेश्वर के प्रेम और उद्धार के बारे में बताता है: "परन्‍तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है)" (इफिसियों २:४, ५)। 
  • वह हमें प्रतिदिन के जीवन के लिए समझ-बूझ और मार्ग दर्शन देता है: "तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है" (भजन ११९:१०५)।
   हे पिता परमेश्वर आपके प्रबल और सामर्थी वचन के लिए, जो हमें जीवन और जीवन की सही दिशा देता है, आपका कोटि कोटि धन्यवाद हो। - ऐनी सेटास

बहुत सी पुस्तकें हैं जो ज्ञान सिखाती हैं, किंतु बाइबल ही वह एकमात्र पुस्तक है जो मन परिवर्तित कर देती है।

क्‍योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, आर पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। - इब्रानियों ४:१२

बाइबल पाठ: भजन ११९:९७-१०४
Psa 119:97  अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
Psa 119:98  तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
Psa 119:99  मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
Psa 119:100  मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
Psa 119:101  मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।
Psa 119:102  मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
Psa 119:103  तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
Psa 119:104  तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।
 
एक साल में बाइबल:  
  • निर्गमन ९-११ 
  • मत्ती १५:२१-३०

सोमवार, 23 जनवरी 2012

हताश किंतु उपयोगी

   क्या कभी आप ने हताश होकर अपने कार्य अथवा सेवकाई को छोड़ देना चाहा है? परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता एलिय्याह ने ऐसा करना चाहा था। इस्त्राएल के सामने यह प्रमाणित करने के लिए कि कोई अन्य देवता नहीं वरन यहोवा ही एकमात्र परमेश्वर है, परमेश्वर ने उसे अभी बड़े सामर्थी रूप में प्रयोग किया ही था (१ राजा १८), कि इसी घटना के कारण रानी इज़ेबेल से मिलने वाली जान की धमकी ने एलिय्याह को भयग्रस्त कर दिया, और वह अपने जीवन में परमेश्वर की सामर्थ के महान प्रमाण को भूलकर, अपनी जान बचाने के लिए १०० मील दक्षिण को भागा (१ राजा १९:३); फिर और १५० मील दक्षिण में परमेश्वर के पर्वत होरेब पर जाकर बैठ गया।

   दो बार परमेश्वर ने एलिय्याह से पूछा कि वह वहाँ क्या कर रहा है (पद ९, १३) और दोनो बार एलिय्याह ने एक ही उत्तर दिया: "मैं अकेला ही रह गया हूँ और वे मेरे प्राण के खोजी हैं" (पद १०, १४)। वह अपने भय से इतना ग्रसित हो गया था कि परमेश्वर ने उसके द्वारा जो कर्मेल पर्वत पर महान सामर्थी काम किया था, उसे वह बिलकुल भूल गया और रानी इज़ेबेल की सामर्थ के सामने केवल अपनी ही सामर्थ पर नज़र गड़ा ली। अपनी ही ओर देखने से, परमेश्वर कि प्रगट सामर्थ और उसके द्वारा उसे मिली महान विजय को भूलकर, एलिय्याह निराशा की गर्त में गिर गया, हताश हो गया और अपनी सेवकाई को छोड़ने की इच्छा करने लगा। हमारे साथ भी ऐसा ही कितनी ही बार हो जाता है, जब हम हममें कार्यकारी पर्मेश्वर की सामर्थ को भू्लाकर संसार, संसार के लोगों और संसार की सामर्थ से अपनी व्यक्तिगत सामर्थ की तुलना करके अपने आप को कमज़ोर और असहाय आंकने लगते हैं, भय ग्रस्त हो जाते हैं, निराश और हताश हो जाते हैं।

   लेकिन परमेश्वर ने एलिय्याह का ’इस्तीफा’ स्वीकार नहीं किया, परमेश्वर ने एलिय्याह को समझाया कि वह अकेला नहीं है, उसके समान ७००० अन्य लोग हैं जो परमेश्वर की सामर्थ ही से बाल देवता के आगे घुटने टेकने से बचे हुए हैं (पद १८); और उसे फिर से परमेश्वर के विरोद्धियों के नाश के लिए तीन बड़ी ज़िम्मेदारियां सौंपने के द्वारा (पद १५-१७) आश्वस्त किया कि वह अभी भी परमेश्वर के लिए उतना ही उपयोगी है।

   हो सकता है कि एलिय्याह के समान आप भी अपने जीवन की परिस्थितियों और निराशाओं के कारण हताश हो गए हों और सब कुछ छोड़ देना चाहते हों। एलिय्याह के समान ही, कुछ और करने से पहले, परमेश्वर आपसे क्या कह रहा है वह सुन लीजिए (पद१२)। परमेश्वर आपको बताएगा कि उसकी सामर्थ के साथ आप क्या कुछ कर सकते हैं; वह आपको हताश होकर बैठ जाने और सब कुछ छोड़ देने नहीं देगा; उसकी सन्तान होने के कारण आप परमेश्वर के लिए बहुत बहुमूल्य और उपयोगी हैं और उसकी सामर्थ सदैव आपके साथ है। - सी. पी. हीया


यदि आप यीशु के लिए कार्यरत हैं तो कभी भी घबरा कर उस कार्य से पीछे हट जाना या उसे छोड़ देना जल्दबाज़ी में किया गया गलत निर्णय है।

...मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। - १ राजा १९:१०

बाइबल पाठ: १ राजा १९:११-१८
1Ki 19:11  उस ने कहा, निकलकर यहोवा के सम्मुख पर्वत पर खड़ा हो। और यहोवा पास से होकर चला, और यहोवा के साम्हने एक बड़ी प्रचणड आन्धी से पहाड़ फटने और चट्टानें टूटने लगीं, तौभी यहोवा उस आन्धी में न था; फिर आन्धी के बाद भूंईडोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूंईडोल में न था।
1Ki 19:12  फिर भूंईडोल के बाद आग दिखाई दी, तौभी यहोवा उस आग में न था; फिर आग के बाद एक दबा हुआ धीमा शब्द सुनाई दिया।
1Ki 19:13  यह सुनते ही एलिय्याह ने अपना मुंह चद्दर से ढांपा, और बाहर जाकर गुफा के द्वार पर खड़ा हुआ। फिर एक शब्द उसे सुनाई दिया, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम?
1Ki 19:14  उस ने कहा, मुझे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त बड़ी जलन हुई, क्योंकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, और तेरी वेदियों को गिरा दिया है और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है; और मैं ही अकेला रह गया हूँ, और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं।
1Ki 19:15  यहोवा ने उस से कहा, लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुंचकर अराम का राजा होने के लिये हजाएल का,
1Ki 19:16  और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना।
1Ki 19:17  और हजाएल की तलवार से जो कोई बच जाए उसको येहू मार डालेगा, और जो कोई येहू की तलवार से बच जाए उसको एलीशा मार डालेगा।
1Ki 19:18  तौभी मैं सात हजार इस्राएलियों को बचा रखूंगा। ये तो वे सब हैं, जिन्होंने न तो बाल के आगे घुटने टेके, और न मुंह से उसे चूमा है।
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ७-८ 
  • मत्ती १५:१-२०

रविवार, 22 जनवरी 2012

पुनर्मिलन

   चीनी समाज में चाँद पर आधारित कलैण्डर के अनुसार आरंभ होने वाले नववर्ष की संध्या को परंपरागत पारिवारिक पुनर्मिलन और प्रीति भोज आयोजित करने का बहुत महत्व है। यह आयोजन माता-पिता के घर या सबसे बड़े भाई के घर किया जाता है। जो चीनी लोग विदेशों में रह रहे होते हैं, उन्हें इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए बहुत पहले ही से यात्रा के अपने प्रबन्ध कर लेने होते हैं अन्यथा बाद में यात्रा के लिए बसों या वायुयानों में स्थान मिल पाना कठिन हो जाता है। यदि पहले से यह प्रबन्ध नहीं किया गया, तो इसका नतीजा इस पारिवारिक पुनर्मिलन से वंचित रह जाना होता है।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें इससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण पारिवारिक मिलन और भोज के बारे में बताती है जो स्वर्ग में आयोजित होने वाला है। प्रकाशितवाक्य १९:९ इसे "मेम्ने के ब्याह के भोज" की संज्ञा देता है। चीनी समाज के पारिवारिक मिलन के भोज के विपरीत, सिवाए परमेश्वर के इस भोज का समय कोई नहीं जानता (मत्ती २४:३६); कभी भी परमेश्वर की ओर से परमेश्वर की सन्तान को इसके लिए बुलावा आ सकता है। इस भोज में सम्मिलित होने के लिए भी अभी से ही अपनी तैयारी करनी आवश्यक है - यात्रा के माध्यम के लिए नहीं वरन भोज में निमंत्रित होने की।

   कौन हैं जो इस स्वर्गीय भोज में सम्मिलित होंगे? वे सब जो इस पृथ्वी पर परमेश्वर के परिवार में सम्मिलित हो जाते हैं, वे जो प्रभु यीशु को अपना व्यक्तिगत उद्धारकर्ता मान कर उस पर विश्वास करते हैं: "परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्‍छा से, न मनुष्य की इच्‍छा से, परन्‍तु परमेश्वर से उत्‍पन्न हुए हैं" (यूहन्ना १:१२, १३) केवल वे ही वहां उस भोज में सम्मिलित हो सकेंगे।

   क्या आपका नाम और स्थान उस भोज में सम्मिलित होने वालों में है? यदि नहीं, तो आप अभी यह सुनिश्चित कर सकते हैं; सच्चे मन से करी गई एक समर्पण की प्रार्थना, "प्रभु यीशु मेरे पापों को क्षमा करें और मुझे अपनी शरण में ले लें" आपका वर्तमान तथा भविष्य दोनो बना देगी तथा आपको उस भोज में परमेश्वर के परिवार के सदस्य के रूप में सम्मिलित करवा देगी। जो उस पारिवारिक पुनर्मिलन के भोज में सम्मिलित होने की तैयारी इस पृथ्वी पर रहते हुए नहीं करेंगे उन्हें फिर अनन्त काल के लिए परमेश्वर के परिवार और संगति के आनन्द से वंचित ही रहना पड़ेगा। - सी. पी. हीया


मसीह पर किया गया विश्वास अनन्त काल के लिए उद्धार और स्वर्ग में निवास सुनिश्चित कर देता है।

उस ने मुझ से कहा, यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के ब्याह के भोज में बुलाए गए हैं; फिर उस ने मुझ से कहा, ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं। - प्रकाशितवाक्य १९:९

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १९:१-९
Rev 19:1  इस के बाद मैं ने स्‍वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊंचे शब्‍द से यह कहते सुना, कि हल्लिलूय्याह उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है।
Rev 19:2  क्‍योंकि उसके निर्णय सच्‍चे और ठीक हैं, इसलिये कि उस ने उस बड़ी वेश्या का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।
Rev 19:3  फिर दूसरी बार उन्‍होंने हल्लिलूय्याह कहा: और उसके जलने का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा।
Rev 19:4  और चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिरकर परमेश्वर को दण्‍डवत किया; जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, आमीन, हल्लिलूय्याह।
Rev 19:5  और सिंहासन में से एक शब्‍द निकला, कि हे हमारे परमेश्वर से सब डरनेवाले दासों, क्‍या छोटे, क्‍या बड़े; तुम सब उस की स्‍तुति करो।
Rev 19:6  फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा, और बहुत जल का सा शब्‍द, और गर्जनों का सा बड़ा शब्‍द सुना, कि हल्लिलूय्याह, इसलिये कि प्रभु हमारा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान राज्य करता है।
Rev 19:7  आओ, हम आनन्‍दित और मगन हों, और उस की स्‍तुति करें; क्‍योंकि मेम्ने का ब्याह आ पहुंचा: और उस की पत्‍नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है।
Rev 19:8  और उस को शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया, क्‍योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम है।
Rev 19:9  और उस ने मुझ से कहा, यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के ब्याह के भोज में बुलाए गए हैं; फिर उस ने मुझ से कहा, ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ४-६ 
  • मत्ती १४:२२-३६

शनिवार, 21 जनवरी 2012

आपसी मित्र

   कल्पना कीजिए कि आप विदेश में किसी स्थान पर पहली बार गए हैं और एक सभा में अप्रत्याशित रूप से पहुंच जाते हैं - ऐसे लोगों के बीच जिनसे आप पहले कभी नहीं मिले, जो आपको ज़रा नहीं जानते और ना ही आप उन्हें जानते हैं, लेकिन फिर भी कुछ ही मिनिटों में एक ऐसा आपसी घनिष्ठ संबंध बन जाता है कि वे लोग आपसे सभा को संबोधित करने का अनुरोध करते हैं। यह तब ही संभव है जब दोनो लोगों के बीचे कोई ऐसा आपसी मित्र हो जो दोनो को जानता हो और दोनो के बीच के अनजानेपन की दूरी को दूर कर सके।

   यह घटना मेरे साथ हुई, जब मैं एक मिशनरी टीम को लेकर जमैका की डिस्कवरी बे पहुंचा। हमारे अमेरिका से रवाना होने से पहले, मेरे एक मित्र डोरेंट ब्राउन ने, जो जमैका के एक पास्टर हैं, हमसे वहां के एक चर्च में संगति के लिए जाने की सिफारिश करी। जब मैं और मेरा दल उस चर्च में पहुंचे तो हमने पास्टर डोरेंट ब्राउन का उल्लेख किया; हमें ना केवल चर्च के लोगों से स्वागत मिला वरन मुझ से चर्च में सन्देश देने के लिए भी आग्रह किया गया और हमारी टीम को वहां एक स्तुती गीत गाने का भी अवसर दिया गया।

   य्द्यपि इस घटना में पास्टर डोरेंट का नाम लेना महत्वपूर्ण तथा प्रभावी था, लेकिन मेरे विचार से इस गर्मजोशी से मिले स्वागत और आदर के लिए उससे भी अधिक महत्वपुर्ण और प्रभावी था वह आपसी मित्र जो मुझे पास्टर डोरेंट से, पास्टर डोरेंट को जमैका के उस चर्च तथा उसके सदस्यों से तथा हमारी टीम के प्रत्येक सदस्य को एक दूसरे से जोड़ता है - हमारा प्रभु यीशु।

   प्रभु यीशु में हम सबका विश्वास और उस विश्वास के द्वारा प्रभु की विश्व्यापी मण्डली का सद्स्य होना, संसार के प्रत्येक मसीही विश्वासी को एक परस्पर पारिवारिक संबंध में ले आता है जिसके कारण अनजानेपन के अवरोध दूर हो जाते हैं और अनजाने लोग प्रेम के बन्धन में जुड़कर एक साथ प्रभु के लिए कार्यकारी हो पाते हैं, प्रभु की महिमा करने पाते हैं। प्रभु यीशु एक ऐसा आपसी मित्र है जिसने हम सबके लिए अपनी जान दी (यूहन्ना १५:१३), और जितने उसपर विश्वास लाते हैं उन्हें वह पारिवारिक संबंध में ले आता है (१ पतरस २:१७)। जब आप किसी अनजाने व्यक्ति से मिलें और दोनो को पता लगे कि दोनो ही प्रभु यीशु के विश्वासी हैं, तब क्या आपने इस संबंध के प्रभाव को अनुभव किया है?

   प्रभु यीशु, हमारा उद्धारकर्ता, हमारा आपसी मित्र, जो अपने प्रेम ध्वजा के तले समस्त संसार के लोगों के हृदय को आपस में मिला देता है। - डेव ब्रैनन


जो मसीह यीशु की ओर आकर्षित हैं वे आपस में भी आकर्षित रहते हैं।

...परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। - यूहन्ना १५:१५

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:९-१७
Joh 15:9  जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
Joh 15:10  यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
Joh 15:11  मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए।
Joh 15:12  मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
Joh 15:13  इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
Joh 15:14  जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
Joh 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्‍योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्‍या करता है: परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
Joh 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्‍तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ, और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
Joh 15:17  इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन १-३ 
  • मत्ती १४:१-२१

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

पुनःनिर्देशित

   प्यानो वादक लिओन फ्लेशर ने अपने प्यानो वादन का औप्चारिक आरंभ १६ वर्ष की छोटी आयु में न्यू यॉर्क फिलहारमोनिक वाद्यवृंद के साथ कर लिया। इसके बाद उन्होंने कई अन्तर्राष्ट्रीय संगीत प्रतियोज्ञाताएं भी जीतीं और संसार भर के सर्वोत्तम संगीत गोष्ठियों में अपनी योग्यता प्रमाणित करी और यश पाया। किंतु ३७ वर्ष की आयु में वे नाड़ीतंत्र से संबंधित डिस्टोनिया नामक बिमारी का शिकार हो गए, जिसके कारण उनके दाहिने हाथ ने काम करना बन्द कर दिया। निराशा और एकाकीपन की एक अवधि के पश्चात उन्होंने संगीत सिखाना और वाद्यवृंद संचालन करना आरंभ कर दिया, क्योंकि, जैसा कि उन्होंने स्वयं कहा, उन्हें प्यानो से नहीं संगीत से अधिक प्रेम था।

   जब याकूब का प्रीय पुत्र युसुफ अपने ही भाईयों की ईर्ष्या के कारण, उनके द्वारा गुलामी में बेच दिया गया (उत्पत्ति ३७:१२-३६) तो वह भी अपनी निराशा और कुंठाओं में अकेला और खिसिया हुआ रह सकता था। परन्तु, युसुफ ने ऐसा नहीं किया, वह इन अनापेक्षित तथा विपरीत और निराशाजनक परिस्थितियों में भी परमेश्वर में मग्न रहा, और उत्पत्ति के ३९ अध्याय में हम चार बार लिखा हुआ पाते हैं कि परमेश्वर उसके साथ था (पद २, ३, २१, २३) तथा उसके कार्य परमेश्वर के प्रति उसके विश्वास को दिखाते थे। उसके उत्तम व्यवहार के द्वारा मिस्त्र के उसके स्वामियों ने पहचाना कि परमेश्वर उसके साथ है।

   अवश्य ही यूसुफ अपने गुलामी के समय में अपने अतीत और जीवन में जो कुछ उसने खोया था उसको सोचकर बहुत दुखी होता होगा, किंतु उसने इन बातों को अपने परमेश्वर और उसकी भलाई पर विश्वास पर हावी नहीं होने दिया, और परमेश्वर ने उचित समय पर उसे उन्नति के ऐसे शिखर पहुंचाया जिसकी कल्पना भी उस की सोच समझ से परे थी।

   जब हमारे सपने टूट जाते हैं तो हमारी प्रतिक्रिया कैसी होती है? क्या हम परमेश्वर से अपने सपनों से बढ़कर प्रेम करते हैं? क्या विपरीत और समझ से परे निराशाजनक परिस्थितियां परमेश्वर में हमारे विश्वास को डगमगा देती हैं? वह जो भला ही करने वाला परमेश्वर है, हमारी भलाई के ही लिए हमें संभवतः किसी अन्य ओर ले जाने का प्रयास कर रहा है; क्या हम उसके द्वारा पुनःनिर्देशित होने को तैयार हैं? क्या एक नई दिशा में जाने के उसके निर्देशों का पालन करने को रज़ामन्द हैं? अपने हर बच्चे के लिए परमेश्वर की हर योजना भलाई ही की है। उसके हाथों में समर्पित हो जाईए, आपका भविष्य आपकी कल्पना से भी अधिक भला और महिमामय होगा। - डेविड मैककैसलैंड


मनुष्य मन में अपने मार्ग पर विचार करता है, परन्तु यहोवा ही उसके पैरों को स्थिर करता है। - नीतिवचन १६:९

और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया। - उत्पत्ति ३९:२

बाइबल पाठ: उत्पत्ति ३९:१-९
Gen 39:1  जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उस ने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया।
Gen 39:2  और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया।
Gen 39:3  और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सुफल कर देता है।
Gen 39:4  तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया : फिर उस ने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौप दिया।
Gen 39:5  और जब से उस ने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी।
Gen 39:6  सो उस ने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपके खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान था।
Gen 39:7  इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ, कि उसके स्वामी की पत्नी ने यूसुफ की ओर आंख लगाई, और कहा, मेरे साथ सो।
Gen 39:8  पर उस ने अस्वीकार करते हुए अपने स्वामी की पत्नी से कहा, सुन, जो कुछ इस घर में है मेरे हाथ में है; उसे मेरा स्वामी कुछ नहीं जानता, और उस ने अपना सब कुछ मेरे हाथ में सौप दिया है।
Gen 39:9  इस घर में मुझ से बड़ा कोई नहीं, और उस ने तुझे छोड़, जो उसकी पत्नी है, मुझ से कुछ नहीं रख छोड़ा; सो भला, मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्योंकर बनूं?
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४९-५० 
  • मत्ती १३:३१-५८

गुरुवार, 19 जनवरी 2012

आवश्यक विश्वासयोग्य सहायक

जब मैं और मेरी पत्नि किसी यात्रा की तैयारी कर रहे होते हैं, तो हमारे प्रथामिक कार्यों में से एक होता है उस इलाके के सड़कों के मानचित्र का अध्ययन करना। सड़कों के उस मार्गदर्शक मानचित्र को हम बड़े ध्यान से अध्ययन करते हैं, सबसे अच्छे मार्ग खोजते हैं, मार्गों के विकल्प खोजते हैं, कितनी दूरी हमें तय करनी होगी पता करते हैं, एक दिन में हम कितनी दूरी तय कर पाएंगे इसका अंदाज़ा लेते हैं, उस इलाके में देखने लायक रोचक स्थान और पर्यटल स्थल पता करते हैं और इस सारी जानकारी के आधार पर हहोने वाले अपने खर्चे का अंदाज़ा लगाते हैं। सारी यात्रा में यह मार्गदर्शक मानचित्र हमारे साथ रहता है, और हम बार बार उसे देखते रहते हैं, उसके अनुसार अपनी स्थिति का आंकलन करते रहते हैं और अपने विकल्प तैयार रखते हैं। हमारी यात्रा में वह हमारा ऐसा सहायक होता है जिसके बिना सुरक्षित और भली भांति यात्रा कर पाना संभव नहीं है।

   मसीही विश्वासियों के लिए, उनकी मसीही जीवन यात्रा में परमेश्वर का वचन बाइबल भी यही भूमिका निभाती है। उनकी जीवन यात्रा में ना केवल वह उनका मार्गदर्शन करती है, सही निर्णय लेने में सहायता करती है, वरन वह इससे भी कहीं बढ़कर है। परमेश्वर के वचन बाइबल को अनेक प्रकार से संबोधित किया गया है, जो उसके गुणों को दिखाता है; जैसे: 
  • मधु से मीठा (भजन १९:१०; ११९:१०३) 
  • मार्ग का दीपक और उजियाला (भजन ११९:१०५) 
  • वर्षा एवं हिम (यशायह ५५:१०, ११) 
  • आग (यर्मियाह २३:२९) 
  • हथौड़ा (यर्मियाह २३:२९) 
  • जल (इफिसियों ५:२६) 
  • तलवार (इफिसियों ६:१७) 
  • ठोस आहार (इब्रानियों ५:१२) 
  • दर्पण (याकूब १:२३) 
  • दूध (१ पतरस २:२)

   राजमार्ग के यात्रियों के समान, हम मसीही विश्वासी भी एक लंबी यात्रा पर हैं, जो जोखिम भरी भी हो सकती है। अपनी इस यात्रा में हमें कई निर्णय लेने होंगे, कई आवश्यक्ताएं हमारे सामने आएंगी, कई परिस्थितियों का सामना करना होगा। यह वचन हमें इन निर्णयों, आवश्यक्ताओं और परिस्थितियों को सही रीति से समझने और निभाने के लिए दिया गया है। हमारी जीवन यात्रा में यह हमारा आवश्यक तथा विश्वासयोग्य सहायक है, जिसे हमें अपने साथ सदा रखना चाहिए तथा जिसका ध्यानपूर्वक अध्ययन और परामर्श हमें करते रहना चाहिए। मसीही जीवन यात्रा इसके बिना संभव नहीं है। - डेव एग्नर


बाइबल एक कुतुबनुमा (कम्पास) के समान सदा सही दिशा दिखाती रहती है।

हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा। - भजन ११९:३३

बाइबल पाठ: भजन ११९:१२९-१३६
Psa 119:129  तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।
Psa 119:130  तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।
Psa 119:131  मैं मुंह खोलकर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
Psa 119:132  जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखने वालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर।
Psa 119:133  मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
Psa 119:134  मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।
Psa 119:135  अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
Psa 119:136  मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४६-४८ 
  • मत्ती १३:१-३०

बुधवार, 18 जनवरी 2012

महिमा का पात्र

   पुरातत्वशास्त्री बारबरा मर्टज़ को मिस्त्र के प्राचीन फिरौन रैम्सेज़ द्वतीय से शिकायत है। अपनी पुस्तक Temples, Tombs, and Heiroglyphs में बारबरा लिखती हैं कि: "मिस्त्र की प्राचीन दीवारों पर हर जगह रैम्सेज़ के चेहरे, आकृति या नाम की उपस्थिति बेहद उबा देने वाली हो जाती है।" अपनी महिमा करवाने से कभी ना उबने वाले इस राजा ने मिस्त्र के धर्म का, जिस में राजा को देवता मानकर पूजा जाता था, भरपूरी से लाभ उठाया, और हर संभव स्थान पर अपनी कोई न कोई छवि स्थापित करवा दी जिससे उसे महिमा मिलती रहे।

   रैम्सेज़ के महिमा पाते रहने के इस व्यवहार की तुलना पौलुस और बरनाबास के व्यवहार से कीजिए। अपनी एक मिशनरी यात्रा के दौरान उन्हें ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ा जहाँ लोग उन्हें महिमा देना चाहते थे, पर उन्होंने इन्कार कर दिया। लुस्त्रा नामक एक नगर में, जो मूर्तिपूजा में लिप्त था, उन्होंने यीशु के नाम में एक जन्म के लंगड़े को चंगा किया; चंगाई का यह अद्भुत कार्य देखकर उस नगर के लोग विस्मित हो गए और: "लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊंचे शब्‍द से कहा; देवता हमारे पास उतर आए हैं" (प्रेरितों १४:११); फिर तुरंत ही लोगों ने उन्हें बलिदान चढ़ाने और उनकी पूजा करने के लिए तैयारी आरंभ कर दी। यह सब देखकर पौलुस और बरनाबास बहुत दुखी हुए और लोगों को ऐसा करने से रोकते हुए कहा: "हम भी तो तुम्हारे समान दु:ख-सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्‍तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरो, जिस ने स्‍वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उन में है बनाया" (प्रेरितों १४:१५)।

   आज हम मसीही विश्वासी चाहे अपौलुस और बरनाबास के समान परमेश्वर के लिए अद्भुत आश्चर्याकर्म ना कर पाते हों, लेकिन हर विश्वासी मसीह के लिए कुछ न कुछ तो कर ही सकता है, और बहुतेरे करते भी हैं। हमारा मसीही जीवन और कार्य संसार और संसार के लोग को प्रभावित कर, उन्हें इन कार्यों के कारण हमें आदर और महिमा देने को प्रेरित कर सकता है। यदि ऐसी स्थिति आए, तो पौलुस और बरनाबास के समान ही हमें महिमा के पात्र नहीं बनना, वरन उस सारी महिमा, यश, कीर्ति और आदर को महिमा के सच्चे पात्र - परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह ही की ओर केंद्रित करना है तथा लोगों को उस जीवते सच्चे परमेश्वर के बारे में बताना है। - डेनिस फिशर


मनुष्य का सबसे महान लक्ष्य स्वयं महिमा पाना नहीं, महिमा के सच्चे पात्र - परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह को महिमा देना है।

[परमेश्वर:] अपने निमित्त, हां अपने ही निमित्त मैं ने यह किया है, मेरा नाम क्यों अपवित्र ठहरे? अपनी महिमा मैं दूसरे को नहीं दूंगा। - यशायाह ४८:११

बाइबल पाठ: प्रेरितों १४:४-१८
Act 14:4  परन्‍तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इस से कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए।
Act 14:5  परन्‍तु जब अन्यजाति और यहूदी उन का अपमान और उन्‍हें पत्थरवाह करने के लिये अपने सरदारों समत उन पर दौड़े।
Act 14:6  तो वे इस बात को जान गए, और लुकाउनिया के लुस्‍त्रा और दिरबे नगरों में, और आसपास के देश में चले गए।
Act 14:7   और वहां सुसमाचार सुनाने लगे।
Act 14:8  लुस्‍त्रा में एक मनुष्य बैठा था, जो पांवों का निर्बल था: वह जन्म ही से लंगड़ा था, और कभी न चला था।
Act 14:9   वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और इस ने उस की ओर टकटकी लगाकर देखा कि इस को चंगा हो जाने का विश्वास है।
Act 14:10  और ऊंचे शब्‍द से कहा, अपने पांवों के बल सीधा खड़ा हो: तब वह उछलकर चलने फिरने लगा।
Act 14:11  लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊंचे शब्‍द से कहा; देवता हमारे पास उतर आए हैं।
Act 14:12  और उन्‍होंने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिरमेस कहा, क्‍योंकि यह बातें करने में मुख्य था।
Act 14:13  और ज्यूस के उस मन्‍दिर का पुजारी जो उस के नगर के साम्हने था, बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाकर लोगों के साथ बलिदान करना चाहता था।
Act 14:14  परन्‍तु बरनबास और पौलुस प्रेरितों ने जब सुना, तो अपने कपड़े फाड़े, और भीड़ में लपक गए, और पुकारकर कहने लगे; हे लोगो तुम क्‍या करते हो?
Act 14:15  हम भी तो तुम्हारे समान दु:ख-सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्‍तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरो, जिस ने स्‍वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उन में है बनाया।
Act 14:16  उस ने बीते समयों में सब जातियों को अपने अपने मार्गों में चलने दिया।
Act 14:17  तौभी उस ने अपने आप को बे-गवाह न छोड़ा; किन्‍तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्‍त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्‍द से भरता रहा।
Act 14:18  यह कहकर भी उन्‍होंने लोगों को कठिनता से रोका कि उन के लिये बलिदान न करें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४३-४५ 
  • मत्ती १२:२४-५०

मंगलवार, 17 जनवरी 2012

सबका मामला

   घटना १९५५ की है जब अमेरिका के दक्षिणी प्रांतों में अपनी रंग-भेद नीतियाँ गहरी पैठ बनाए हुई थीं। उत्तरी प्रांत शिकागो से एमेट टिल नामक एक काला युवक अपने रिशतेदारों से मिलने दक्षिणी प्रांत मिसिस्सिपी गया। एमेट ने वहाँ एक श्वेत महिला से बात करने का ’दुसाहस’ किया और उसके इस ’अपराध’ के कारण दो श्वेत लोगों ने उसकी निर्मम हत्या कर दी। उन दोनो पर मुकदमा चला और पंचों ने, जो सभी श्वेत तथा पुरुष थे, एक घंटे से भी कम समय में विचार-विमर्ष कर के उन दोनो को निर्दोष कहा तथा न्यायाधीश ने उन पंचों के निर्णय को सही माना तथा दोनो अभियुक्तों को बरी कर दिया। बाद में दोनो ने ’लाईफ’ पत्रिका को दिये एक साक्षात्कार में अपने अपराध को स्वीकार भी कर लिया किंतु उन्हें कोई सज़ा नहीं हुई।

   न्यायाधीश के पैसले के बाद एमेट की माँ ने कहा, "दो महीने पहले मेरे पास शिकागो में एक अच्छा घर था। मेरी अच्छी नौकरी थी। मेरा एक बेटा था। जब दक्षिणी प्रांतों में नीग्रो लोगों के साथ कुछ दुर्व्यवहार होता था तो मैं कहती थी, ’ये उनका अपना मामला है, मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है’। अब मैं जानती हूँ कि मैं कितनी गलत थी। मेरे पुत्र की हत्या ने मुझे दिखा दिया है कि संसार में कहीं भी कोई भी अन्याय हो, वह हम सब का मामला होता है।"

   दूसरों की चिंताओं को अपना बनाना ही परमेश्वर के वचन बाइबल में लैव्यवस्था १९:१८ "...एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना" का आह्वाहन है। प्रभु यीशु ने इस पद को उध्वत कर के उसकी व्याखया करी और समझाया कि इसका सार है कि प्रेम दिखाने के लिए स्थान या व्यक्ति की कोई सीमा ना रखें (मत्ती २२:३९; लूका १०:२५-३७)। हमारा पड़ौसी केवल वही नहीं है जो हमारे निकट रहता है; हर वह व्यक्ति जिसे हमारी सहायता की आवश्यक्ता है, हमारा पड़ौसी है। जैसे हम अपना ध्यान रखते हैं, वैसे ही दुसरों का भी ध्यान रखना चाहिए।

   अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखने का तात्पर्य है कि दूसरों पर हो रहे अत्याचार, उनके दुख और अन्यायों को अपना लेना। यह प्रत्येक मसीही विश्वासी का कर्तव्य है। - मार्विन विलियम्स


प्रेम का व्यावाहरिक रूप ही करुणा है।

पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं। - लैव्यवस्था १९:१८

बाइबल पाठ: लैव्यवस्था १९:११-१८
Lev 19:11  तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।
Lev 19:12  तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं।
Lev 19:13  एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाएं।
Lev 19:14  बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं।
Lev 19:15  न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना।
Lev 19:16  लूतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं।
Lev 19:17  अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा।
Lev 19:18  पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ४१-४२ 
  • मत्ती १२:१-२३

सोमवार, 16 जनवरी 2012

जीवन का आदर

   दाऊद ने अपनी रचना किए जाने का वर्णन भजन १३९ में लिखा है, कैसे उसकी माँ के गर्भ में परमेश्वर ने उसे बनाया। इससे पहले कि दाऊद इस पृथ्वी पर जन्म लेता परमेश्वर उसके साथ संलग्न था, उसे जानता था, उससे प्रेम करता था।
   परमेश्वर ने अपनी पूर्वनिश्चित योजना के अनुसार दाऊद को व्यक्तित्व और रूप दिया। इस भजन में दाऊद एक अलंकार का रोचक प्रयोग करके कहता है कि परमेश्वर ने अपनी पुस्तक में उससे संबंधित अपनी योजना को लिखा और उस योजना को उसकी माता के गर्भ में कार्यान्वित किया: "तेरी आंखों ने मेरे बेड़ौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे" (भजन १३९:१६)।
   इसे दूसरे रूप में देखें तो दाऊद अपने परमेश्वर पिता के प्रेम में उस पिता की एक अनुपम सृष्टि है। वह परमेश्वर के मन से निकली, परमेश्वर ही की कल्पनाओं का, परमेश्वर ही के हाथों द्वारा सृजा गया साकार रूप था। यह जो बात दाऊद के विषय में सत्य है, वही बात संसार के हर मनुष्य के विष्य में भी उतनी ही सत्य है। हम में से प्रत्येक परमेश्वर की अनुपम सृष्टि है।
   क्योंकि यह बात हम सब के लिए सत्य और खरी है, इसलिए हमें प्रत्येक जीवन का आदर करना चाहिए। हर मनुष्य हमारे आदर और प्रेम का पात्र है; चाहे वह गर्भस्थ शिशु हो या नया जन्मा बच्चा, सुन्दर और प्रीय लगने वाला बच्चा हो या थका-मान्दा झुर्रीदार बुज़ुर्ग, अमीर और संभ्रांत व्यक्ति हो या कंगाल और फटेहाल - सभी मनुष्य हमारे सृष्टिकर्ता की अद्भुत बुद्धि की रचना हैं।
   आईये दाऊद के साथ मिलकर अपने सृष्टिकर्ता से कहें, "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन १३९:१४) और उसकी आराधना करें। - डेविड रोपर

समस्त जीवन परमेश्वर की रचना है और उसके द्वारा हस्ताक्षरित है।

मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। - भजन १३९:१४

बाइबल पाठ: भजन १३९:१३-१८
Psa 139:13  मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा।
Psa 139:14  मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।
Psa 139:15  जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं।
Psa 139:16  तेरी आंखों ने मेरे बेड़ौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।
Psa 139:17  और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है।
Psa 139:18  यदि मैं उनको गिनता तो वे बालू के किनकों से भी अधिक ठहरते। जब मैं जाग उठता हूं, तब भी तेरे संग रहता हूं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३९-४० 
  • मत्ती ११

रविवार, 15 जनवरी 2012

एक और अवसर

   घटना १५ जनवरी २००९ की है, अमेरिका की यू.एस.ऐरवेज़ की उड़ान संख्या १५४९ के १५५ यात्रियों को यह निश्चित लगा कि अब वे मृत्यु से कुछ ही पल दूर हैं। न्यू-यॉर्क शहर से उड़ान भरते समय उनका वायुयान उड़ती हुई बतखों के एक झुंड से टकराया और उसके दोनो इंजन क्षतिग्रस्त होकर बन्द हो गए। बिना इंजनों की शक्ति के वायुयान के चालकों ने यान को घने आबादी वाले इलाके के ऊपर से निकाला और फिर वायुयान के लाउडस्पीकर पर कप्तान ने यात्रियों के लिए घोषणा करी कि वे टकराव के झटके के लिए तैयार हो जाएं। इसके ९० सेकेंड बाद उन्होंने वह विमान न्यू-यॉर्क के साथ बहती हडसन नदी के बर्फीले पानी में उतार दिया, जहाँ बचाव नौकाएं यात्रियों की रक्षा के लिए तैयार थीं और उन्होंने तुरंत ही सभी यात्रियों और यान के चालक दल के सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। लोगों ने इस घटना को हडसन का आश्चर्यकर्म कहा; सभी ने वायुयान के कप्तान और चालक दल की प्रशंसा करी तथा उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद दिया। एक कृतज्ञ यात्री ने एक ही वाक्य में सारी बात बयान कर दी; उसने कहा, "हमें जीवन का एक और अवसर मिला है।"

   जब खतरे और विषम स्थितियाँ हमारे सामने होती हैं, तब हमें हर पल की कीमत का एहसास होता है। किंतु जब जीवन सामन्य रीति से चल रहा होता है तो समय कि बहुमूल्यता का ध्यान नहीं रहता और ना ही हम यह सोचते हैं कि हर दिन, हर पल हमारे लिए जीवन का एक और अवसर है। ना जाने कौन कौन से खतरे हमारे पास से होकर निकल गए, ना जाने किस किस बात से परमेश्वर ने हमें सुरक्षित रखा: "हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा" (विलापगीत ३:२२-२४)।

   परमेश्वर हमारा रक्षक और रखवाला है; हमें सदा उसके कृतज्ञ और धन्यवादी बने रहना चाहिए। परमेश्वर की भलाईयों, अनुग्रह, विश्वासयोग्यता और हमारे साथ उसकी लगातार बनी रहने वाली उपस्थिति के लिए हमें उसे अपनी आशा का अडिग और स्थिर आधार बना लेना चाहिए। सच्चे मन से निकली पाप-क्षमा और समर्पण की एक छोटी प्रार्थना अनन्त काल के लिए आपका भविष्य सुनिश्चित कर देगी।

   परमेश्वर हमें जीवन के जो अवसर दे रहा है, उन्हें व्यर्थ ना गवांएं, उनका भरपूरी से लाभ उठाएं, उसके लिए उपयोगी बनें और अपने जीवनों से उसे महिमा दें। - डेविड मैककैसलैंड


हमारा परमेश्वर अवसर देने वाला परमेश्वर है।

हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है। मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा। - विलापगीत ३:२२-२४

बाइबल पाठ: विलापगीत ३:२२-३३
Lam 3:22  हम मिट नहीं गए यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।
Lam 3:23  प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।
Lam 3:24  मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
Lam 3:25  जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है।
Lam 3:26  यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है।
Lam 3:27  पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है।
Lam 3:28  वह यह जान कर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है;
Lam 3:29  वह अपना मुंह धूल में रखे, क्या जाने इस में कुछ आशा हो?
Lam 3:30  वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे।
Lam 3:31  क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता,
Lam 3:32  चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है;
Lam 3:33  क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३६-३८ 
  • मत्ती १०:२१-४२

शनिवार, 14 जनवरी 2012

सफाई

   सदियों से संसार के कई स्थानों में पवन-चक्कियाँ कुओं से पानी निकालने और अनाज पीसने के लिए प्रयोग की जा रही हैं। पिछले कुछ दशकों से इसी वायु वेग की ऊर्जा का प्रयोग बिजली उत्पादन के लिए भी किया जाने लगा है। इस प्रक्रिया के लिए भी पवन-चक्की के समान ही वायु वेग की ऊर्जा को बिजली बनाने के जनेरेटर को चलाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे जैसे यह पवन-बिजली उत्पादन बढ़ा और इससे संबंधित प्रक्रियाओं पर शोध हुआ, एक अनपेक्षित बात प्रगट हुई - पवन-बिजली उत्पादक जनेरेटर, जब वायु धीमी चल रही होती है, तब चाहे ठीक काम करते हों, किंतु तेज़ वायु चलने के समय यदि उनके फलकों (blades) पर - जो वायु वेग से घूमते हैं, यदि छोटे छोटे मरे हुए कीड़े जमा हुए हों तो उनका कार्य बाधित हो जाता है और बिजली का उत्पादन कम हो जाता है। इसलिए उनके सही काम करते रहने के लिए, उनके फलकों को समय समय पर धो कर, मरे हुए उन कीड़ों को उन पर से हटाना और उन्हें साफ रखना आवश्यक होता है।

   मसीही विश्वासी के जीवन में भी यही सिद्धांत कार्यकारी होता है। यदि जीवन में छोटे छोटे पाप जमा होते रहें, तो वे मसीही जीवन के लिए बाधा बन जाते हैं और विश्वास के जीवन को सही तरह से चलने नहीं देते, कार्यकारी नहीं रहने देते। परमेश्वर ने हमारे जीवनों को पाप से साफ रखने के लिए एक विधि दी है। परमेश्वर के वचन बाइबल के १ यूहन्ना १:९ में परमेश्वर का प्रत्येक मसीही विश्वासी को आश्वासन है कि, "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है"। हमारे जीवनों में पापों के जमाव को होने से बचने के लिए, हमें अपने जीवनों को परमेश्वर के वचन की रौशनी में लगातार जांचते रहना चाहिए, और जहां कहीं कोई ऐसी बात नज़र आए, तुरंत उसे परमेश्वर के सामने स्वीकार करके उस के लिए क्षमा मांगना तथा पुनः उसे दोहराने से बचने का निर्णय लेना आवश्यक है।

   मसीही विश्वासी के लिए यह इस लिए भी आवश्यक है, क्योंकि उसकी सामर्थ परमेश्वर से आती है, और पाप उसके तथा परमेश्वर के संबंध में बाधा डालता है, परमेश्वर की संगति में रहने नहीं देता और विश्वासी तक परमेश्वर की सामर्थ पहुँचने नहीं देता। नतीजा होता है एक कमज़ोर, शिथिल, प्रभाव रहित मसीही जीवन - मानो बिना वायु-ऊर्जा की पवन-चक्की, जो स्वयं और दूसरों, दोनो के लिए बोझिल होता है तथा परमेश्वर के लिए अनुपयोगी।

   परमेश्वर की सामर्थ में बने रहने और काम करते रहने के लिए प्रतिदिन जीवन से पापों की सफाई अनिवार्य है। - सिंडी हैस कैस्पर


पाप हमारी आत्मिक सामर्थ बाधित कर देता है; पाप का अंगीकार तथा उससे पश्चाताप उस सामर्थ को पुनःस्थापित कर देता है।

परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे। - २ कुरिन्थियों ४:७

बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:५-१०
1Jn 1:5 जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है कि परमेश्वर ज्योति हैं: और उस में कुछ भी अन्‍धकार नहीं।
1Jn 1:6 यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्‍धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते।
1Jn 1:7  पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु मसीह का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1Jn 1:8  यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
1Jn 1:9  यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1Jn 1:10  यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३३-३५ 
  • मत्ती १०:१-२०

शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

विश्वासयोग्यता

   पिछले कुछ समय से सारा संसार जिस आर्थिक संकट से जूझ रहा है, उसने लोगों को अपने कर्ज़ की स्थिति की ओर बारीकी से ध्यान देने को बाध्य किया है। जब कर्ज़ लेना आसान था तो लोग उसके प्रति लापरवाह हो गए और उसका ठीक उपयोग नहीं किया। उन्होंने इस बात का आँकलन नहीं किया कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए; बस जो चाहा, उसे कर्ज़ के माध्यम से ले लिया; कर्ज़ चुकाना उनके लिए कोई ध्यान देने वाली बात नहीं थी। किंतु वर्तमान संकट में अब ऐसा नहीं है। अब अचानक ही कर्ज़ लेने वाले लोगों की आर्थिक विश्वासयोग्यता एक बहुत अहम मुद्दा बन गई है।

   एक कर्ज़ चुकाने के तरीकों में सहायता करने वाली एक कंपनी के विज्ञापन के तुरंत बाद सन्देश दिया गया, "आर्थिक विश्वासयोग्यता कहीं से खरीदी नहीं जा सकती, इसे सतत प्रयास सहित कार्य करके बनाना पड़ता है।"

   यही सिद्धांत हमारे जीवनों की विश्वासयोग्यता पर भी लागू होता है। हम अपनी विश्वासयोग्यता कहीं से खरीद नहीं सकते, इसे पाने के लिए हमें उसके अनुरूप कार्य करने पड़ते हैं, जीवन शैली दिखानी पड़ती है। हो सकता है कि कुछ विश्वासयोग्य लोगों की संगति में रहकर हम कुछ समय के लिए थोड़ी विश्वासयोग्यता ’उधार’ ले लें, किंतु यह अधिक समय नहीं चल सकता, देर-सवेर हमें अपनी निज विश्वासयोग्यता प्रकट करने की आवश्यक्ता पड़ ही जाती है।

   विश्वासयोग्यता बनाने के लिए हमें ऐसा बनना पड़ता है जिसके द्वारा लोग हम पर विश्वास रख सकें। मसीह विश्वासियों के लिए तो यह अति अनिवार्य है क्योंकि उनके जीवन परमेश्वर के नाम और प्रतिष्ठा को प्रभावित करते हैं (१ पतरस २:१२)। जब हम अपने आप को मसीही विश्वासी कहते हैं तो मसीह की प्रतिष्ठा हमारे नाम के साथ जुड़ जाती है। यदि लोग हमें विश्वासयोग्य नहीं पाएंगे तो वे हमारे आदर्श और हमारे प्रभु पर भी विश्वास नहीं ला पाएंगे।

   विश्वासयोग्य बनने के लिए सम्मान्नीय जीवन जीना होगा। तभी लोग हम पर विश्वास कर सकेंगे, जिससे फिर वे हमारे प्रभु पर भी विश्वास कर के परमेशवर की महिमा कर सकेंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि हम अपने चरित्र का ध्यान रखें तो हमारी विश्वास्योग्यता स्वतः ही बन जाएगी।

अन्यजातियों में तुम्हारा चाल-चलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्‍हीं के कारण कृपा दृष्‍टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें। - १ पतरस २:१२

बाइबल पाठ: १ पतरस २:११-२१
1Pe 2:11  हे प्रियों मैं तुम से बिनती करता हूं, कि तुम अपने आप को परदेशी और यात्री जान कर उस सांसारिक अभिलाषाओं से जो आत्मा से युद्ध करती हैं, बचे रहो।
1Pe 2:12  अन्यजातियों में तुम्हारा चाल-चलन भला हो; इसलिये कि जिन जिन बातों में वे तुम्हें कुकर्मी जान कर बदनाम करते हैं, वे तुम्हारे भले कामों को देखकर उन्‍हीं के कारण कृपा दृष्‍टि के दिन परमेश्वर की महिमा करें।
1Pe 2:13  प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्‍ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है।
1Pe 2:14  और हाकिमों के, क्‍योंकि वे कुकिर्मयों को दण्‍ड देने और सुकिर्मयों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं।
1Pe 2:15  क्‍योंकि परमेश्वर की इच्‍छा यह है, कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्‍द कर दो।
1Pe 2:16  और अपने आप को स्‍वतंत्र जानो पर अपनी इस स्‍वतंत्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ, परन्‍तु अपने आप को परमेश्वर के दास समझकर चलो।
1Pe 2:17  सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्वर से डरो, राजा का सम्मान करो।
1Pe 2:18  हे सेवकों, हर प्रकार के भय के साथ अपने स्‍वामियों के आधीन रहो, न केवल भलों और नम्रों के, पर कुटिलों के भी।
1Pe 2:19  क्‍योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दुख उठाता हुआ क्‍लेश सहता है, तो यह सुहावना है।
1Pe 2:20  क्‍योंकि यदि तुम ने अपराध करके घूंसे खाए और धीरज धरा, तो उस में क्‍या बड़ाई की बात है पर यदि भला काम करके दुख उठाते हो और धीरज धरते हो, तो यह परमेश्वर को भाता है।
1Pe 2:21  और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्‍योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्‍ह पर चलो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति ३१-३२ 
  • मत्ती ९:१८-३८

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

पूरे कार्य

   बचपन में मैं कराटे में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त कर ब्लैक बेल्ट पाना चाहता था। कई वर्ष पहले मैंने कराटे का प्रशिक्षण लेना आरंभ भी किया, और अपने लक्ष्य के निकट भी आ गया, किंतु अपने लक्ष्य से दो स्तर पूर्व ही मैंने अपना प्रशिक्षण छोड़ दिया। छोड़ने के दो कारण थे - मेरे प्रशिक्षक ने प्रशिक्षण की शैली मेरे मध्य प्रशिक्षण में बदल दी, तथा मैं कुछ अन्य बातों में व्यस्त हो गया और अपने प्रशिक्षण को उचित समय नहीं दे पाया।

   अब लगभग हर सप्ताह मुझे यह बात परेशान करती है कि परमेश्वर चाहता है कि मैं अपने जीवन के हर क्षेत्र में, अपने कार्यों को पूरा करने वाला बनूँ, ना कि अधूरा छोड़ देने वाला - विशेषकर उन क्षेत्रों में जो उसकी सेवकाई से संबंधित हैं। हमारे प्रभु यीशु ने इस बात को हमारे लिए उदाहरणस्वरूप रखा, जब क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़े जाने से पूर्व अपनी प्रार्थना में उसने परमेश्वर से कहा, "जो काम तू ने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है" (यूहन्ना १७:४)।

   जब प्रेरित पौलुस अपने जीवन के अन्त की बात कर रहा था तो उस के मन में किसी अधूरे छोड़े हुए कार्य या सेवकाई को लेकर कोई परेशानी नहीं थी। तिमुथियुस को लिखी अपनी दूसरी पत्री में, जो उसकी विदाई की तथा मृत्यु पूर्व उसके द्वारा लिखी अन्तिम पत्री थी (२ तिमुथियुस ४:६), पौलुस मसीह के लिए अपनी सेवकाई को पूरा करने के संबंध में सुन्दर रूपकों का प्रयोग करता है। उसने अपने जीवन और सेवकाई को एक मल्लयुद्ध के समान बताया: "मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं..."; फिर वह एक धावक और दौड़ के रूपक को सामने लाता है: "...मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है..." कुश्ती तथा दौड़ दोनो ही अच्छे थे क्योंकि वे परमेश्वर और सुसमाचार के लिए थे: "...मैं ने विश्वास की रखवाली की है" (२ तिमुथियुस ४:७)। पौलुस ने यह सुदृढ़ किया कि जो भी ज़िम्मेदारी परमेश्वर ने उसे सौंपी थी, परमेश्वर के अनुग्रह और सामर्थ से उसने उसे पूरा भी किया।

   मसीही विश्वासियों के लिए पौलुस का जीवन एक उदाहरण और प्रेरक है कि हम भी वे लोग हों जो अपनी ज़िम्मेदारियों को गंभीरता से लेते हैं तथा उन्हें पूरा करते हैं, विशेषकर मसीह के लिए अपनी सेवकाई से संबंधित ज़िम्मेदारियों को। - मारविन विलियम्स


अपनी जीवन दौड़ अपने अनन्त जीवन को ध्यान में रखते हुए दौड़ें।

मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। - २ तिमुथियुस ४:७

बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस ४:१-८
2Ti 4:1  परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह करके, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं।
2Ti 4:2  कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डांट, और समझा।
2Ti 4:3 क्‍योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपके लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे।
2Ti 4:4  और अपने कान सत्य से फेरकर कथा-कहानियों पर लगाएंगे।
2Ti 4:5  पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।
2Ti 4:6 क्‍योंकि अब मैं अर्घ की नाई उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
2Ti 4:7 मैं अच्‍छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2Ti 4:8  भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २९-३० 
  • मत्ती ९:१-१७

बुधवार, 11 जनवरी 2012

अनुसर्णीय

 छोटी बच्ची अलीसा, जो अभी ६ वर्ष ही की है और जिसने अभी केवल पढ़ना सीखना ही आरंभ किया है, अपने माता-पिता तथा दादा-दादी को रोज़ सुबह अपनी अपनी बाइबल पढ़ते देखती थी। एक प्रातः उसकी दादी ने उठने पर पाया कि अलीसा घर में सब से पहले ही उठ गई थी, और सोफे पर अपनी बाइबल एवं प्रार्थना तथा मनन से संबंधित एक पुस्तक लिए बैठी हुई थी। वह बच्ची भी, जैसा वह अपने परिवार में देखती आई थी, दिन के आरंभ में परमेश्वर के साथ समय बिताने के उदाहरण का अनुसरण करना चाहती थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम एक युवा पास्टर तिमुथियुस का उल्लेख पाते हैं, जिसके पास इफिसुस के चर्च की बड़ी ज़िम्मेदारियाँ थीं। उसे मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु मसीह तथा मसीही जीवन और विश्वास के बारे में सिखाना होता था, आराधना की तैयारी तथा नेतृत्व करना होता था, गलत शिक्षाओं तथा धारणाओं के झूठ को उजागर कर लोगों को उनसे बच कर रहना समझाना होता था। अनुभवी तथा बुज़ुर्ग प्रेरित पौलुस ने उसे इस इलाके के चर्चों के संचालन की ज़िम्मेदारी उसे सौंपी थी और इस कार्य से संबंधित निर्देश भी दिए थे। पौलुस ने ही तिमुथियुस को समझाया था कि उसे अपने व्यक्तिगत जीवन के उदाहरण के प्रति कैसा सचेत रहना है; अपनी पत्री में पौलुस ने तिमुथियुस को लिखा, "कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा" (१ तिमुथियुस ४:१२)।

   पौलुस ने उसे आगे लिखा, "जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह" तथा " इन बातों पर स्थिर रह, क्‍योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा" (१ तिमुथियुस ४:१३, १६)। तिमुथियुस के लिए यह आवश्यक था कि वह स्वयं अपने आत्मिक जीवन और शिक्षाओं पर ध्यान देता रहे और उन में दृढ़ बना रहे; तब ही वह दूसरों के लिए अच्छा आदर्श बना रह सकता था।

   हम सब के आस-पास लोग हैं जो हमें देख रहे हैं और हमारे जीवन उन पर प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए हमें ऐसे जीवन बिताने का यत्न करते रहना चाहिए जो दूसरों को परमेश्वर की निकटता में लाएं; फिर वे लोग भी अपने जीवनों के द्वारा औरों को परमेश्वर की निकटता में लाने वाले हो सकेंगे। जो शिक्षा पौलुस ने तिमुथियुस को समझाई और सिखाई, वही प्रत्येक मसीही विश्वासी को अनुसर्णीय बनाने के लिए उपयोगी तथा आवश्यक है। - ऐनी सेटस


श्रेष्ठ उदाहरण श्रेष्ठ परमर्श से कहीं अधिक लाभकारी होता है।

कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा। - १ तिमुथियुस ४:१२

बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ४:१२-१६
1Ti 4:12 कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
1Ti 4:13  जब तक मैं न आऊं, तब तक पढ़ने और उपदेश और सिखाने में लौलीन रह।
1Ti 4:14 उस वरदान से जो तुझ में है, और भविष्यद्वाणी के द्वारा प्राचीनों के हाथ रखते समय तुझे मिला था, निश्‍चिन्‍त न रह।
1Ti 4:15  उन बातों को सोचता रह, ताकि तेरी उन्नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख।
1Ti 4:16 इन बातों पर स्थिर रह, क्‍योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुनने वालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २७-२८ 
  • मत्ती ८:१८-३४

मंगलवार, 10 जनवरी 2012

अनुकरण

   अमेरिका के इडाहो प्रांत में एक बहुत पुराना मार्ग है जो ओरिगोन मार्ग के नाम से जाना जाता है। १९वीं शताबदी में पश्चिम की ओर जाकर बसने वाले आरंभिक यात्री कठिन और विषम परिस्थितियों से जूझते हुए इसी मार्ग से होकर जाते थे। इस मार्ग में उनके द्वारा पड़ाव डालने का एक स्थल है जहां ज्वालामुखी से निकले लावा से बनी एक बड़ी चट्टान है। इस चट्टान को लोग रेजिस्टर रौक या पंजीकरण की चट्टान भी कहते हैं क्योंकि उस स्थान से होकर निकलने वाले उन साहसी यात्रियों में से अनेकों ने उस चट्टान पर अपना नाम खोद रखा है। यह चट्टान आज उनके उस मार्ग से होकर जाने और उनके साहस का स्मारक है।

   जब मैं रेजिस्टर रौक के बारे में सोचता हूँ, तो मुझे उन यात्रियों का ध्यान आता है जो मुझ से पहले इस मार्ग से होकर गए हैं। हमारी आत्मिक यात्रा में भी हमसे पहले इस आत्मिक मार्ग पर जाने वाले कई साहसी गवाह रहे हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों के ११ अध्याय में उन में से कुछ साहसी लोगों का उल्लेख है, जैसे - गिदोन, बराक, शिमशोन, यफ्ताह, दाउद, शमूएल आदि। किंतु इन प्राचीनों के अलावा, जिन के नाम परमेश्वर के वचन में दर्ज हैं, हम में से प्रत्येक मसीही विश्वासी के जीवन में भी कई लोग रहे हैं जिन्होंने हमें आत्मिक मार्गदर्शन दिया है। मेरे जीवन में, मेरे माता-पिता, सन्डे स्कूल की मेरी अध्यापिका श्रीमति लिंकन, हमारे चर्च के युवा समूह के अध्यक्ष जौन रिचर्ड्स, मेरे शिक्षक तथा मार्गदर्शक रे स्टैडमैन एवं हौवर्ड हेंड्रिक्स और ऐसे ही कई अन्य लोग रहे हैं जिन्होंने मेरे जीवन में अपनी भली छाप छोड़ी और सही मार्गदर्शन दिया। इन लोगों ने किसी चट्टान पर अपने नाम तो नहीं खोदे परन्तु मेरे मन में उनका नाम अमिट है।

   इब्रानियों की पत्री का लेखक हमें स्मरण दिलाता है कि हम उन ’यात्रियों’ को स्मरण रखें जो हमसे पहले इस मार्ग से होकर निकल चुके हैं, विशेषकर उन को जिन्होंने परमेश्वर का वचन हमें सिखाया है, और साथ ही उनके विश्वास के प्रतिफल को जो उन्हें प्राप्त हुआ, भी कभी ना भूलें। लेखक हमें उत्साहित करता है कि हम उनके मार्ग का अनुकरण करें। - डेविड रोपर


जो मसीह का अनुकरण करते हैं, वे औरों को भी सही दिशा में ले चलते हैं।

इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। - इब्रानियों १२:१

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:३२-४०
Heb 11:32  अब और क्‍या कहूँ क्‍योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33  इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं प्राप्‍त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34  आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Heb 11:35  स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरूत्थान के भागी हों।
Heb 11:36  कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने, और कोड़े खाने, वरन बान्‍धे जाने, और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Heb 11:37  पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए, वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Heb 11:38  और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Heb 11:39  संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्‍छी गवाही दी गई, तोभी उन्‍हें प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तु न मिली।
Heb 11:40  क्‍योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २५-२६ 
  • मत्ती ८:१-१७

सोमवार, 9 जनवरी 2012

अज्ञात का भय

   क्या कभी परमेश्वर ने आप से कुछ ऐसा करने को कहा है जो आपको ज़रा भी युक्तिसंगत नहीं लगता हो? या किसी ऐसे काम के लिए जो आपको किसी सर्वथा अनजानी स्थिति में ले जाए? आपका प्रत्युत्तर क्या होगा यदि वह आप से कहे कि आप किसी लंबे समय से प्रतीक्षित तरक्की को स्वीकार करने से इन्कार कर दें, या किसी ऐसे संबंध से मूँह मोड़ लें जिसकी आप बहुत लालसा कर रहे हों? या यदि वह आपसे संसार के किसी दूरस्त देश में जाने को कहे या आपसे मांगे कि आप अपने बच्चों को उसकी सेवकाई के लिए किसी दूर स्थान में भेज दें?

   अज्ञात हमेशा ही कई प्रकार के "तब क्या होगा" से भरा रहता है। किंतु अपने अनुसरण में परमेश्वर कई बार हमें अन्जान क्षेत्रों में जाने को कहता है; या अपनी आज्ञाकारिता में हमें क्षमा करने, अपने खज़ाने बांट देने को कहता है, या ऐसी वस्तुओं को छोड़ देने को कहता है जिनसे हमें सुरक्षा तथा आनन्द मिलता है। इन सभी बातों से हम अज्ञात के उसी "तब क्या होगा" के भय अन्तर्गत आ जाते हैं। अनजाने भविष्य और घटनाओं का भय हम पर हावी होने लगता है।

   ज़रा कल्पना कीजिए अब्राहम को कैसा लगा होगा जब परमेश्वर ने उसे अपना परिवार लेकर कूच करने को कहा, एक ऐसे स्थान की ओर जिसका उसने कोई पता तो नहीं दिया बस इतना कहा कि उसे बाद में बता दिया जाएगा (उत्पत्ति १२:१-३)। फिर परमेश्वर ने अब्राहम को दृढ़ता से डटे रहने को भी कहा - एक अनजान देश की कठिनाईयों में, चाहे उसके पित्रों के देश उर और वहां के सुख उसे कितना भी ललचाएं और वापस लौट चलने की लालसा कितनी भी प्रबल हो। अब्राहम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में डटा रहा और अन्ततः उसने ऐसा उत्तम प्रतिफल पाया जिसकी वह कभी कल्पना भी नहीं कर सका होगा, और जो उसके वंश के लिए आज भी कायम है।

   नए वर्ष में प्रवेश भी कुछ ऐसे ही अनजाने क्षेत्र में प्रवेश के समान है। अज्ञात तथा "तब क्या होगा" का भय आते दिनों में परमेश्वर की आज्ञाकारिता में हमारे आगे बढ़ने को बाधित कर सकता है, हमें कमज़ोर बना सकता है। किंतु अब्राहम ही के समान यदि हम उस परमेश्वर की जो सब कुछ जानता है आज्ञाकारिता में डटे रहें और उसके साथ बने रहें, तो हम और हमारा भविष्य ना केवल सुरक्षित है, वरन आशीषमय भी है। - जो स्टोवैल


अन्जाने भविष्य को सर्वज्ञानी परमेश्वर के हाथों में समर्पित करने से कभी न हिचकिचाएं।

विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेनेवाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया। - इब्रानियों ११:८

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:८-१२
Heb 11:8  विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेनेवाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया।
Heb 11:9  विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रहकर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया।
Heb 11:10  क्‍योंकि वह उस स्थिर नेववाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचनेवाला और बनानेवाला परमेश्वर है।
Heb 11:11  विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्‍योंकि उस ने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्‍चा जाना था।
Heb 11:12  इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र के तीर के बालू की नाईं, अनगिनित वंश उत्‍पन्न हुआ।
 
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २३-२४ 
  • मत्ती ७

रविवार, 8 जनवरी 2012

अन्तिम उद्घाटन समारोह

   सन २००८ के ग्रीष्म ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह के वर्णन के लिए प्रयोग करे गए शब्दों में से कुछ हैं ’अद्भुत’, ’स्तब्ध कर देने वाले’, ’असीम’। एक टिप्पणीकार ने लिखा, "यह दिखाता है कि जब किसी कलाकार को खर्च का ध्यान किए बिना कार्य करने की छूट दी जाए तो क्या होता है।"

   जब मैंने यह सब सुना तो मुझे ध्यान आया, "परमेश्वर ने भी तो सृष्टि के समय यही किया!" उसने किसी बात की कोई कमी रख ना छोड़ी। इसीलिए यह सृष्टि सुन्दरता में अनुपम, अपनी जटिलता में अद्भुत और हर बात में लाजवाब है।

   ओलंपिक खेलों का उद्घाटन समारोह अपनी हर एक बात में पूर्णतः लयबद्ध था; यदि किसी एक भी नर्तक अथवा बजाने वाले ने कलाकार द्वारा निर्धारित लय, संगीत और नृत्य मुद्रा की बजाए, अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी किया होता तो सारा समारोह बिगड़ जाता।

   सृष्टि के कुछ समय पश्चात यही हुआ। ओलंपिक समारोह के निर्देशक से भिन्न, परमेश्वर ने अपनी सृष्टि की सर्वोच्च कृति को स्वेच्छा की स्वतंत्रता दी और उन्होंने इस स्वतंत्रता का दुरुप्योग किया। आदम और हव्वा ने स्वेच्छा का प्रयोग करते हुए वह किया जो परमेश्वर की इच्छा के विपरीत था और परमेश्वर की सृष्टि बिगड़ गई। आज भी संसार की समस्या यही है - मनुष्य द्वारा परमेश्वर की इच्छा को नज़रंदाज़ करते हुए अपनी ही इच्छा को सर्वोपरि रखना। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता ने लिखा, "...हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया" (यशायाह ५३:६)। हमारी इस मनमानी करने की प्रवृति का परमेश्वर ने मानवीय समझ से परे हल निकाला - हमारी बर्बादी की बहाली की कीमत उस सृष्टिकार ने स्वयं ही चुका दी और मानव द्वारा अपने ही हाथों से लिखे अपने ही विनाश से बचने तथा मानव जाति की संपूर्ण बहाली का मार्ग बना दिया।

   एक दिन एक और उद्घाटन समारोह होगा, वहाँ सभी एकत्रित होंगे और स्वर्ग तथा पृथ्वी का हर प्राणी प्रभु यीशु के आगे घुटने टेकेगा (फिलिप्प्यों २:१०)। जिन्होंने मसीह यीशु में हो कर मिलने वाली बहाली की परमेश्वर की योजना को स्वीकार कर लिया है, वे सब ही स्वर्ग में अनन्त काल तक एक साथ मिलकर सिद्ध परमेश्वर की सिद्ध आराधना में सम्मिलित होंगे। - जूली एकरमैन लिंक


हम अनन्तकाल तक परमेश्वर की स्तुति करेंगे - उसे आज ही क्यों ना आरंभ करें।

हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं। - प्रकाशितवाक्य १५:४

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य १५
Rev 15:1  फिर मैं ने स्‍वर्ग में एक और बड़ा और अद्भुत चिन्‍ह देखा, अर्थात सात स्‍वर्गदूत जिन के पास सातों पिछली विपत्तियां थीं, क्‍योंकि उन के हो जाने पर परमेश्वर के प्रकोप का अन्‍त है।
Rev 15:2  और मैं ने आग से मिले हुए कांच का सा एक समुद्र देखा, और जो उस पशु पर, और उस की मूरत पर, और उसके नाम के अंक पर जयवन्‍त हुए थे, उन्‍हें उस कांच के समुद्र के निकट परमेश्वर की वीणाओं को लिए हुए खड़े देखा।
Rev 15:3  और वे परमेश्वर के दास मूसा का गीत, और मेम्ने का गीत गा गाकर कहते थे, कि हे र्स्‍वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, तेरे कार्य बड़े, और अद्भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्‍ची है।
Rev 15:4  हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा और तेरे नाम की महिमा न करेगा क्‍योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्‍डवत करेंगी, क्‍योंकि तेरे न्याय के काम प्रगट हो गए हैं।
Rev 15:5  और इस के बाद मैं ने देखा, कि स्‍वर्ग में साक्षी के तम्बू का मन्‍दिर खोला गया।
Rev 15:6  और वे सातों स्‍वर्गदूत जिन के पास सातों विपत्तियां थीं, शुद्ध और चमकती हुई मणि पहिने हुए छाती पर सुनहले पटुके बान्‍धे हुए मन्‍दिर से निकले।
Rev 15:7  और उन चारों प्राणियों में से एक ने उन सात स्‍वर्गदूतों को परमेश्वर के, जो युगानुयुग जीवता है, प्रकोप से भरे हुए सात सोने के कटोरे दिए।
Rev 15:8  और परमेश्वर की महिमा, और उस की सामर्थ के कारण मन्‍दिर धुएं से भर गया और जब तक उन सातों स्‍वर्गदूतों की सातों विपत्तियां समाप्‍त न हुई, तब तक कोई मन्‍दिर में न जा सका।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २०-२२ 
  • मत्ती ६:१९-३४

शनिवार, 7 जनवरी 2012

समर्पित कार्य

   व्याकरण में ’क्रिया’ किसी किए जा रहे, होने वाले अथवा किए गए कार्य को बताती है तथा ’क्रियाविशेषण’ उस ’क्रीया’ की गुणवन्ता को बताता है। मसीही विश्वास में एक कहावत है कि, "परमेश्वर ’क्रियाविशेषण’ से प्रेम करता है; ’कितने’ को नहीं”कितनी भलि-भांति किए गए’ को देखता है।" कहने का अर्थ है कि परमेश्वर हमारे कार्यों की मात्रा की बजाए उन कार्यों के करने के हमारे उद्देश्य और हमारे समर्पण तथा वफादारी को देखता है, तथा कितनी लगन और खराई से हम उन्हें करते हैं, उस बात का आंकलन करता है।

   परमेश्वर को प्रसन्न करने का अर्थ यह नहीं कि हम अपने आप को स्व-निर्धारित ’आत्मिक’ कार्यों में लगा लें; वरन परमेश्वर द्वारा दी गई प्रत्येक ज़िम्मेवारी का सही निर्वाह और उसे परमेश्वर के भय में करना, परमेश्वर की महिमा के लिए करना है। यह प्रतिदिन के हमारे साधारण कार्य भी हो सकते हैं जैसे, घर की सफाई, किसी बुज़ुर्ग के साथ समय बिताना, बच्चे द्वारा करी गई गन्दगी को साफ करना, बाज़ार से सामान ले कर आना, अपने व्यावास्यिक जीवन और कार्य की ज़िम्मेवारियों को निभाना, जानवारों की देख रेख करना इत्यादि; अथवा यह प्रभु के सन्देश का प्रचार, परमेश्वर के वचन को किसी अन्य भाषा में अनुवाद द्वारा उपलब्ध कराना, मिशनरी कर्यों में सहयोग देना आदि भी हो सकता है। महत्व कार्य के नाम का नहीं हमारे द्वारा किए गए कार्य की गुणवन्ता का है। प्रभु का दास प्रेरित पौलुस कहता है, "सो तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो" (१ कुरिन्थियों १०:३१); क्योंकि, "...हम में मसीह का मन है" (१ कुरिन्थियों २:१६)।

   मसीही विश्वासी द्वारा प्रभु यीशु को उसका जीवन-समर्पण और उसके अन्दर बसा हुआ परमेश्वर पवित्र आत्मा उसे प्रेरित करते हैं कि वह अपने प्रभु की महिमा के लिए जीए, उसके हर कार्य में उसके प्रभु का अंश संसार को दिखाई दे। उसके लिए कोई कार्य छोटा नहीं है; कोई ज़िम्मेवारी - सांसारिक हो या आत्मिक, हलके में नहीं ली जा सकती क्योंकि वह जो कुछ करता है अपने प्रभु के नाम से, उससे प्रार्थना करके, उसी की सामर्थ से, और उसी की महीमा के लिए करता है। मसीही विश्वासी का हर कार्य प्रभु को समर्पित है क्योंकि उसके कार्य की समीक्षा करने वाला और उसे प्रतिफल देने वाला परमेश्वर है। - फिलिप यैन्सी


संसार सफलता को सम्मानित करता है; परमेश्वर विश्वासयोग्यता को।

...हम में मसीह का मन है। - १ कुरिन्थियों २:१६

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:८-१७
Col 3:8  पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Col 3:9  एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्‍योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उस के कामों समेत उतार डाला है।
Col 3:10  और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्‍त करने के लिये नया बनता जाता है।
Col 3:11  उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Col 3:12  इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Col 3:13  और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Col 3:14  और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Col 3:15  और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Col 3:16  मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Col 3:17  और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १८-१९ 
  • मत्ती ६:१-१८