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शनिवार, 31 अक्टूबर 2020

आशा


         एक दन्त कथा के अनुसार, क्यू यान एक बुद्धिमान और देश भक्त सरकारी अधिकारी था जो चीन में उस समय में रहता था जिसे राज्यों में परस्पर युद्ध का समय (475-246 ईसा पूर्व) कहा जाता है। कहा जाता है कि उसने कई बार अपने राजा को चिताया कि एक संभावित खतरा देश को नाश कर देगा, परन्तु राजा ने उसके परामर्श को स्वीकार नहीं किया। अन्ततः क्यू यान को देश से निकाल दिया गया। बाद में जब उसे मालूम पड़ा कि उसका प्रिय देश उसी शत्रु के हाथों पराजित हो गया है जिसके विषय वह चेतावनी दिया करता था, तो उसने आत्म-हत्या कर ली।

         क्यू यान का जीवन कुछ अंश तक परमेश्वर के वचन बाइबल में यिर्मयाह नबी के जीवन के समान है। यिर्मयाह भी ऐसे राजाओं के समय में सेवकाई करता था जो उसकी चेतावनियों को तुच्छ जानते थे, उनकी अवहेलना करते थे, और उसका देश भी नाश कर दिया गया। किन्तु जबकि क्यू यान ने निराश होकर आत्मा-हत्या कर ली, यिर्मयाह को अपनी निराशा में भी वास्तविक आशा मिली। यह भिन्न प्रतिक्रिया क्यों?

         ऐसा इसलिए क्योंकि यिर्मयाह उस एकमात्र सच्चे जीवते परमेश्वर को जानता था और उसी की सेवकाई करता था जो सच्ची आशा दे सकता था। परमेश्वर ने यिर्मयाह को आश्वासन दिया था, अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपने देश में लौट आएंगे” (यिर्मयाह 31:17)। चाहे यरूशलेम का 586 ईसा पूर्व में नाश कर दिया गया, किन्तु बाद में उसका पुनःनिर्माण भी किया गया (देखें नहेम्याह 6:15)।

         किसी न किसी समय हम सभी को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जिन से निराशा होती है। यह कोई बुरी चिकित्सकीय रिपोर्ट हो सकती है, अचानक ही नौकरी का छूटना हो सकता है, परिवार में कोई त्रासदी या विघटन हो सकता है। परन्तु जब भी जीवन हम मसीही विश्वासियों पर प्रहार कर के हमें गिराए, हम उस परिस्थिति में भी ऊपर अपने प्रभु परमेश्वर की ओर देख सकते हैं – क्योंकि परमेश्वर अपने सिंहासन पर विराजमान है, और सदा रहेगा। वही हमारे सभी दिनों को अपने हाथों में सुरक्षित रखता है, और हमें अपने हृदय के निकट बनाए रखता है। हमारी आशा अटल है। - पोह फैंग चिया

 

संसार सर्वोत्तम की आशा रखता है, 

परन्तु केवल प्रभु ही सर्वोत्तम आशा देता है। - जॉन वेस्ली


तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है। - इब्रानियों 13:5-6

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 31:16-26

यिर्मयाह 31:16 यहोवा यों कहता हे: रोने-पीटने और आंसू बहाने से रुक जा; क्योंकि तेरे परिश्रम का फल मिलने वाला है, और वे शत्रुओं के देश से लौट आएंगे।

यिर्मयाह 31:17 अन्त में तेरी आशा पूरी होगी, यहोवा की यह वाणी है, तेरे वंश के लोग अपने देश में लौट आएंगे।

यिर्मयाह 31:18 निश्चय मैं ने एप्रैम को ये बातें कह कर विलाप करते सुना है कि तू ने मेरी ताड़ना की, और मेरी ताड़ना ऐसे बछड़े की सी हुई जो निकाला न गया हो; परन्तु अब तू मुझे फेर, तब मैं फिरूंगा, क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है।

यिर्मयाह 31:19 भटक जाने के बाद मैं पछताया: और सिखाए जाने के बाद मैं ने छाती पीटी: पुराने पापों को स्मरण कर मैं लज्जित हुआ और मेरा मुंह काला हो गया।

यिर्मयाह 31:20 क्या एप्रैम मेरा प्रिय पुत्र नहीं है? क्या वह मेरा दुलारा लड़का नहीं है? जब जब मैं उसके विरुद्ध बातें करता हूं, तब तब मुझे उसका स्मरण हो आता है। इसलिये मेरा मन उसके कारण भर आता है; और मैं निश्चय उस पर दया करूंगा, यहोवा की यही वाणी है।

यिर्मयाह 31:21 हे इस्राएली कुमारी, जिस राजमार्ग से तू गई थी, उसी में खम्भे और झण्डे खड़े कर; और अपने इन नगरों में लौट आने पर मन लगा।

यिर्मयाह 31:22 हे भटकने वाली कन्या, तू कब तक इधर उधर फिरती रहेगी? यहोवा की एक नई सृष्टि पृथ्वी पर प्रगट होगी, अर्थात नारी पुरुष की सहायता करेगी।

यिर्मयाह 31:23 इस्राएल का परमेश्वर सेनाओं का यहोवा यों कहता है: जब मैं यहूदी बंधुओं को उनके देश के नगरों में लौटाऊंगा, तब उन में यह आशीर्वाद फिर दिया जाएगा: हे धर्म भरे वास-स्थान, हे पवित्र पर्वत, यहोवा तुझे आशीष दे!

यिर्मयाह 31:24 और यहूदा और उसके सब नगरों के लोग और किसान और चरवाहे भी उस में इकट्ठे बसेंगे।

यिर्मयाह 31:25 क्योंकि मैं ने थके हुए लोगों का प्राण तृप्त किया, और उदास लोगों के प्राण को भर दिया है।

यिर्मयाह 31:26 इस पर मैं जाग उठा, और देखा, ओर मेरी नींद मुझे मीठी लगी।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 22-23
  • तीतुस 1

शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020

सहमत


         मुझे ध्यान है कि मेरे पिता बताया करते थे कि परमेश्वर के वचन बाइबल की बातों की भिन्न व्याख्याओं के कारण होने वाले और कभी समाप्त न होने वाले विवादों से अपने आप को पृथक कर लेना कितना कठिन होता था। लेकिन साथ ही वे यह भी स्मरण करते थे कि कितना भला होता था जब दोनों पक्ष आदर के साथ असहमत होने के लिए सहमत हो जाते थे।

         परन्तु क्या यह वास्तव में संभव है कि हम अपने कभी ना सुलझाए जा सकने वाले मतभेदों को एक ओर कर दें, विशेषतः तब जब इतना कुछ दाँव पर लगा हो? यह उन प्रश्नों में से एक है जिसे प्रेरित पौलुस ने नए नियम में रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में संबोधित किया। उसने राजनीतिक, सामाजिक, और धार्मिक संघर्षों में फंसे हुए अपने पाठकों को सुझाव दिया कि वे अपने अत्यधिक विपरीत विचारों के होते हुए भी कुछ परस्पर सामान्य आधार और विचार खोजने के प्रयास करें (14:5-6)।

         पौलुस के अनुसार, असहमत होने के लिए सहमत होने का तरीका है कि हम सभी इस तथ्य को याद करते रहें कि हमें प्रभु परमेश्वर के सामने न केवल अपने विचारों के लिए वरन उन्हें व्यक्त करने के तरीकों और एक दूसरे से अपने मतभेदों के कारण किए गए व्यवहारों के लिए भी उत्तर देना होगा (पद 10)।

         मतभेदों की परिस्थितियाँ यह स्मरण रखने के अवसर बन सकती हैं कि कुछ बातें हमारे अपने विचारों से भी अधिक महत्वपूर्ण होती हैं – बाइबल की व्याख्या करने से भी अधिक महत्वपूर्ण। हम सभी को इसका उत्तर देना होगा कि हम ने एक दूसरे से, यहाँ तक कि अपने शत्रुओं से भी, मसीह यीशु के समान प्रेम किया है कि नहीं?

         और अब जब यह बात ध्यान में आई है, तो मुझे यह भी स्मरण आता है कि पिताजी कहते थे कि कितना अच्छा होता है न केवल असहमत होने के लिए सहमत होना, परन्तु इसके लिए परस्पर प्रेम और आदर के साथ सहमत होना। - मार्ट डीहान

 

हम असहमत होने के लिए सहमत हो सकते हैं – प्रेम के साथ।


सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करुणा और दया है। तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। - फिलिप्पियों 2:1-3

बाइबल पाठ: रोमियों 14:1-13

रोमियों 14:1 जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं।

रोमियों 14:2 क्योंकि एक को विश्वास है, कि सब कुछ खाना उचित है, परन्तु जो विश्वास में निर्बल है, वह साग पात ही खाता है।

रोमियों 14:3 और खानेवाला न-खाने वाले को तुच्छ न जाने, और न-खानेवाला खाने वाले पर दोष न लगाए; क्योंकि परमेश्वर ने उसे ग्रहण किया है।

रोमियों 14:4 तू कौन है जो दूसरे के सेवक पर दोष लगाता है? उसका स्थिर रहना या गिर जाना उसके स्वामी ही से सम्बन्ध रखता है, वरन वह स्थिर ही कर दिया जाएगा; क्योंकि प्रभु उसे स्थिर रख सकता है।

रोमियों 14:5 कोई तो एक दिन को दूसरे से बढ़कर जानता है, और कोई सब दिन एक सा जानता है: हर एक अपने ही मन में निश्चय कर ले।

रोमियों 14:6 जो किसी दिन को मानता है, वह प्रभु के लिये मानता है: जो खाता है, वह प्रभु के लिये खाता है, क्योंकि वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और जा नहीं खाता, वह प्रभु के लिये नहीं खाता और परमेश्वर का धन्यवाद करता है।

रोमियों 14:7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है।

रोमियों 14:8 क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं या मरें, हम प्रभु ही के हैं।

रोमियों 14:9 क्योंकि मसीह इसी लिये मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो।

रोमियों 14:10 तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे।

रोमियों 14:11 क्योंकि लिखा है, कि प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगन्ध कि हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी।

रोमियों 14:12 सो हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।

रोमियों 14:13 सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के सामने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 20-21
  • 2 तिमुथियुस 4

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2020

कृतज्ञ


         निरंतर बने रहने वाली पीड़ा और कुण्ठाओं तथा मेरी बहुत सीमित गतिशीलता के कारण होने वाली निराशाओं ने अन्ततः मुझे दबोच ही लिया था। मैं बहुत अधिक माँग करते रहने वाली और अधन्यवादी हो गई। मैं अपने पति द्वारा की जा रही मेरी देखभाल के बारे में शिकायतें करने लगी। जैसे वो घर की सफाई करते थे, मैं उसे लेकर कुड़कुड़ाती रहती थी। और यद्यपि मेरे पति मेरी जानकारी में सबसे उत्तम खाने बनाने वाले हैं, फिर भी मैं हमारे भोजनों में विविधता को लेकर खिसियाती रहती थी। जब अन्ततः मेरे पति ने मुझे कहा कि मेरे इस व्यवहार से उन्हें ठेस पहुँचती है तो मैं क्रोधित होने लगी। उन्हें पता ही नहीं था कि मैं कैसा अनुभव कर रही हूँ। अन्ततः परमेश्वर ने मुझ पर मेरी गलतियों को प्रकट किया, और मैंने अपने पति से तथा परमेश्वर से क्षमा माँगी।

         परिस्थितियों में बदलाव होने की लालसा से शिकायत करना, कुड़कुड़ाना, और सम्बन्धों को बिगाड़ देने वाले आत्म-केन्द्रित व्यवहार को करना हो सकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि इस्राएली इस दुविधा से परिचित थे। ऐसा लगता है कि वे कभी संतुष्ट नहीं होते थे, वरन हर समय परमेश्वर के प्रावधानों को लेकर कुड़कुड़ाते रहते थे (निर्गमन 17:1-3)। यद्यपि प्रभु अपने लोगों की देखभाल करता था, और उस जंगल में भी उन्हें प्रतिदिन “आकाश से भोजन वस्तु” (16:4) दिया करता था, वे अन्य प्रकार के भोजन की लालसा करने लगे (गिनती 11:4)। परमेश्वर द्वारा की जाने वाली उनकी प्रेम भरी चिंता और देखभाल को लेकर आनन्दित होने के स्थान पर वे इस्राएली कुछ और, कुछ बेहतर, कुछ भिन्न की चाह रखने लगे, या फिर उसकी जो उन्हें पहले मिला करता था (पद 4-6)। उन्होंने अपनी इस कुण्ठा को मूसा पर निकाला (पद 10-14)।

         परमेश्वर की भलाई तथा विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखना हमें और कृतज्ञ बना देता है। आज हम उन अनगिनत तरीकों के लिए जिनके द्वारा वह हमारी चिंता तथा देखभाल करता है, हम अपने प्रभु परमेश्वर के धन्यवादी एवं कृतज्ञ हो सकते हैं। - सोहचील डिक्सन

 

कृतज्ञता पूर्ण स्तुति हमें संतुष्ट और परमेश्वर को आनन्दित करती है।


यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; - भजन संहिता 23:1-2

बाइबल पाठ: गिनती 11:1-11

गिनती 11:1 फिर वे लोग बुड़बुड़ाने और यहोवा के सुनते बुरा कहने लगे; निदान यहोवा ने सुना, और उसका कोप भड़क उठा, और यहोवा की आग उनके मध्य जल उठी, और छावनी के एक किनारे से भस्म करने लगी।

गिनती 11:2 तब मूसा के पास आकर चिल्लाए; और मूसा ने यहोवा से प्रार्थना की, तब वह आग बुझ गई,

गिनती 11:3 और उस स्थान का नाम तबेरा पड़ा, क्योंकि यहोवा की आग उन में जल उठी थी।

गिनती 11:4 फिर जो मिली-जुली भीड़ उनके साथ थी वह कामुकता करने लगी; और इस्राएली भी फिर रोने और कहने लगे, कि हमें मांस खाने को कौन देगा।

गिनती 11:5 हमें वे मछलियां स्मरण हैं जो हम मिस्र में सेंत-मेंत खाया करते थे, और वे खीरे, और खरबूजे, और गन्दने, और प्याज, और लहसुन भी;

गिनती 11:6 परन्तु अब हमारा जी घबरा गया है, यहां पर इस मन्ना को छोड़ और कुछ भी देख नहीं पड़ता।

गिनती 11:7 मन्ना तो धनिये के समान था, और उसका रंग रूप मोती का सा था।

गिनती 11:8 लोग इधर उधर जा कर उसे बटोरते, और चक्की में पीसते या ओखली में कूटते थे, फिर तसले में पकाते, और उसके फुलके बनाते थे; और उसका स्वाद तेल में बने हुए पुए का सा था।

गिनती 11:9 और रात को छावनी में ओस पड़ती थी तब उसके साथ मन्ना भी गिरता था।

गिनती 11:10 और मूसा ने सब घरानों के आदमियों को अपने अपने डेरे के द्वार पर रोते सुना; और यहोवा का कोप अत्यन्त भड़का, और मूसा को भी बुरा मालूम हुआ।

गिनती 11:11 तब मूसा ने यहोवा से कहा, तू अपने दास से यह बुरा व्यवहार क्यों करता है? और क्या कारण है कि मैं ने तेरी दृष्टि में अनुग्रह नहीं पाया, कि तू ने इन सब लोगों का भार मुझ पर डाला है?

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 18-19
  • 2 तिमुथियुस 3

बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

भरोसा


         जब कामिल और जोएल को पता चला कि उनकी आठ वर्षीय पुत्री, रीमा, को एक असाधारण प्रकार का कैंसर है तो वो टूट गए। उसकी इस बीमारी के कारण रीमा को मस्तिष्क का ज्वर और पक्षाघात हो गया, और रीमा कोमा में चली गई। अस्पताल की चिकित्सकीय टीम ने उन्हें परामर्श दिया कि उसके जीवित बचने की आशा बहुत ही धूमिल है, और वे उसके अंतिम संस्कार के लिए तैयारी करना आरंभ कर लें।

         कामिल और जोएल ने आश्चर्यकर्म होने के लिए प्रार्थना और उपवास किया। कामिल ने कहा कि “जब हम प्रार्थना कर रहे हैं तो साथ ही हमें परमेश्वर पर भरोसा भी रखना है। चाहे जो कुछ भी हो जाए, हमें बस प्रभु यीशु के समान ही प्रार्थना करने है कि पिता मेरी नहीं वरन आपकी इच्छा पूरी हो।” जोएल ने ईमानदारी से कहा, “परन्तु मैं तो बहुत चाहती हूँ कि परमेश्वर उसे चंगा कर दे!” कामिल ने कहा, “ठीक है! और हमें यह प्रार्थना करनी भी चाहिए! परन्तु जब हम अपने आप को परमेश्वर के हाथों में सौंप देते हैं और उसे निर्णय करने देते हैं, चाहे वह कठिन ही क्यों न हो, तो इससे परमेश्वर का आदर होता है; यही प्रभु यीशु ने भी किया था।”

         परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले प्रभु यीशु ने प्रार्थना की, कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो” (लूका 22:42)। प्रभु ने यह कहने के द्वारा कि “इस कटोरे को हटा दे” क्रूस पर नहीं जाने देने की विनती की; परन्तु इसके बाद उन्होंने पिता की इच्छा को समर्पण किया और हमारे प्रति प्रेम के कारण क्रूस पर बलिदान हो गए।

         अपनी इच्छाओं को परमेश्वर को समर्पित कर देना सहज नहीं है, और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उसकी बुद्धिमानी को समझ पाना और भी कठिन होता है। कामिल और जोएल की प्रार्थनाओं का अद्भुत रीति से उत्तर आया – आज रीमा पन्द्रह वर्ष की है। हमारा प्रभु परमेश्वर हमारे प्रत्येक संघर्ष को समझता है। जब हमारे लिए, उसकी विनती को स्वीकार नहीं भी किया गया, तब भी उसने दिखाया कि किस प्रकार हर परिस्थिति में परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखना है। - जेम्स बैंक्स

 

परमेश्वर सदा ही हमारी प्रतिबद्धता एवं स्तुति के योग्य है।


क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई  के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। - हबक्कूक 3:17-18

बाइबल पाठ: लूका 22:39-46

लूका 22:39 तब वह बाहर निकलकर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए।

लूका 22:40 उस जगह पहुंचकर उसने उन से कहा; प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।

लूका 22:41 और वह आप उन से अलग एक ढेला फेंकने के टप्पे भर गया, और घुटने टेक कर प्रार्थना करने लगा।

लूका 22:42 कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।

लूका 22:43 तब स्वर्ग से एक दूत उसको दिखाई दिया जो उसे सामर्थ्य देता था।

लूका 22:44 और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल हो कर और भी हृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू  की बड़ी बड़ी बून्‍दों के समान भूमि पर गिर रहा था।

लूका 22:45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया; और उन से कहा, क्यों सोते हो?

लूका 22:46 उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 15-17
  • 2 तिमुथियुस 2

मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020

देना


         मेरी एक सहेली किराने की दुकान में पंक्ति में खड़ी होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी, जिससे अपने समान का भुगतान करे, और घर जाकर आराम करे। इतने में उसके सामने खड़े आदमी ने पीछे मुड़कर उसे खरीददारी में दस पौण्ड (लगभग 750-800 रुपए) की छूट मिलाने का एक कूपन पकड़ा दिया। मेरी सहेली की नींद पूरी नहीं हो रही थी, और वह थकी हुई थी; ऐसे में एक अजनबी के द्वारा की गई इस अनपेक्षित सहायता के कारण उसकी आँखों में आँसू आ गए और फिर इस प्रकार रो उठने के लिए वह अपने आप पर हंसने लगी। इस अनपेक्षित दया ने उसके हृदय को स्पर्श किया था और उस थकान के समय में उसे एक आशा प्रदान की थी।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देने के बारे में बहुत कुछ लिखा हुआ पाते हैं। इफिसुस के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में यह पौलुस प्रेरित का एक प्रमुख विषय है। पौलुस ने उन लोगों से अपने पुराने जीवन को पीछे छोड़कर नए जीवन को अपनाने के लिए कहा, क्योंकि वो अनुग्रह के द्वारा बचाए गए थे। उसने समझाया कि प्रभु यीशु के इस बचाने वाले अनुग्रह में होकर हम में “भले कार्य” करने की इच्छा आती है क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं और उसके द्वारा पहले से निर्धारित भले कार्यों के लिए सृजे गए हैं (2:10)। उस आदमी के समान, जिसने मेरी सहेली की सहायता की थी, हम भी परमेश्वर के प्रेम को अपने प्रतिदिन के कार्यों के द्वारा प्रकट कर सकते हैं।

         यह आवश्यक नहीं कि हम परमेश्वर के अनुग्रह को दर्शाने के लिए भौतिक वस्तुओं को बाँटें; हम अन्य अनेकों तरीकों से परमेश्वर के प्रेम को दिखा सकते हैं। जब कोई हम से बात करना चाह रहा हो तो उसकी बात सुनने के लिए उसे समय दे सकते हैं। यदि कोई हमारी सेवा कर रहा हो, तो उसके हाल-चाल पूछ कर उससे प्रेम दिखा सकते हैं। यदि कोई आवश्यकता में पड़ा हो तो उसकी सहायता करने के लिए हम अपने आप को उपलब्ध करवा सकते हैं। जब हम औरों को देने लगेंगे, तो हमें भी प्रत्युत्तर में आनन्द मिलने लगेगा (प्रेरितों 20:35)। - एमी बाउचर पाई

 

हमें परमेश्वर के प्रेम तथा भेंटों को औरों के साथ बांटने के लिए सृजा गया है।


मैं ने तुम्हें सब कुछ कर के दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्हालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है; कि लेने से देना धन्य है। - प्रेरितों 20:35

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10

इफिसियों 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।

इफिसियों 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है।

इफिसियों 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।

इफिसियों 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया।

इफिसियों 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।)

इफिसियों 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।

इफिसियों 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।

इफिसियों 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है।

इफिसियों 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।

इफिसियों 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 12-14
  • 2 तिमुथियुस 1

सोमवार, 26 अक्टूबर 2020

चरमोत्कर्ष


         मेरे माता-पिता ने मुझे हर प्रकार के संगीत, लोक-संगीत से लेकर शास्त्रीय संगीत तक, की सराहना करना सिखाया था। इसलिए जब मैं रूस के एक भव्य संगीत हॉल में मॉस्को राष्ट्रीय सिम्फनी द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे संगीत समारोह का आनन्द लेने जा रहा था, तो मेरे हृदय की धड़कनें बढ़ रही थीं। संगीत मण्डली के संचालक ने संगीत वाद्य बजाने वालों द्वारा, रूस के प्रसिद्ध संगीतकार चाईकोव्स्की, की संगीत रचना बजाने का संचालन करना आरंभ किया, और धुन विकसित होते-होते एक प्रबल चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई। वह एक जादुई पल था, और समापन होते ही सभी श्रोताओं ने खड़े होकर ऊँची आवाज़ में उस उत्तम प्रस्तुतीकरण का अनुमोदन किया।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में वचन के लेख इतिहास के चरमोत्कर्ष के पल की ओर बढ़ते हैं: प्रभु यीशु मसीह का क्रूस और पुनरुत्थान। अदन की वाटिका में आदम और हव्वा के पाप में गिरने के कुछ ही समय बाद, परमेश्वर ने प्रतिज्ञा दी कि एक मुक्तिदाता आएगा (उत्पत्ति 3:15), और संपूर्ण पुराने नियम में यह विषय विकसित होता रहता है। इस प्रतिज्ञा की पूर्ति की पूर्व-झलक हम फसह के पर्व के मेमने के बलिदान में (निर्गमन 12:21), और भविष्यद्वक्ताओं की आशा में (1 पतरस 1:10), और परमेश्वर के लोगों की लालसा में देखते हैं।

         पहला यूहन्ना 4:14 पुष्टि करता है कि वह कहानी किस ओर बढ़ रही थी: “और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है” कैसे? परमेश्वर ने इस पाप से ग्रसित संसार के उद्धार की अपनी प्रतिज्ञा की पूर्ति प्रभु यीशु के क्रूस पर बलिदान और मृतकों में से उसके पुनरुत्थान के द्वारा की, जिससे संसार के उद्धार का मार्ग बन गया, और प्रभु यीशु ने हम मनुष्यों का परमेश्वर के साथ पुनर्मिलन का मार्ग तैयार कर के दे दिया। अब जो कोई उसके इस बलिदान और पाप क्षमा के मार्ग को स्वीकार करता है, उससे अपने पापों की क्षमा मांगकर अपने जीवन उसे समर्पित करता है, वह प्रभु परमेश्वर से पापों की क्षमा प्राप्त कर के, अनंतकाल तक उसके साथ स्वर्ग में रहने की प्रतिज्ञा को प्राप्त कर लेता है। एक दिन प्रभु यीशु आकर अपने विश्वासियों को अपने साथ स्वर्ग ले जाएगा।

         जब हम स्मरण करते हैं कि परमेश्वर के पुत्र ने हमारे लिए क्या किया है, तो हम हम पापी मनुष्यों के लिए परमेश्वर द्वारा किए गए कार्यों के चरमोत्कर्ष को प्रभु यीशु में होकर प्राप्त होने वाले अनुग्रह और छुटकारे में देखते हैं। - बिल क्राउडर

 

प्रभु के अनुग्रह और प्रेम की भेंट का आनन्द मनाएँ।


इसी उद्धार के विषय में उन भविष्यद्वक्ताओं ने बहुत ढूंढ़-ढांढ़ और जांच-पड़ताल की, जिन्होंने उस अनुग्रह के विषय में जो तुम पर होने को था, भविष्यवाणी की थी। - 1 पतरस 1:10

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:14-21

1 यूहन्ना 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है।

1 यूहन्ना 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में।

1 यूहन्ना 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है।

1 यूहन्ना 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं।

1 यूहन्ना 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।

1 यूहन्ना 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया।

1 यूहन्ना 4:20 यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता।

1 यूहन्ना 4:21 और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 9-11
  • 1 तिमुथियुस 6

रविवार, 25 अक्टूबर 2020

शान्ति


         एक पत्रकार ने बॉब डिलन से 1984 में पूछा था, “क्या आप अभी भी शान्ति की आशा रखते हैं?” डिलन का उत्तर था, “कोई शान्ति नहीं होने वाली है।” उनके इस उत्तर की बहुत आलोचना हुई, किन्तु इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि शान्ति को हो पाना मायावी है।

         प्रभु यीशु मसीह के संसार में आने के लगभग 600 वर्ष पहले, बहुतेरे भविष्यद्वक्ता शान्ति की भविष्यवाणी कर रहे थे। परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि उन भविष्यद्वक्ताओं में परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता सम्मिलित नहीं थे। यिर्मयाह ने लोगों को स्मरण दिलाया कि परमेश्वर ने कहा  है, परन्तु मैं ने तो उन को यह आज्ञा दी कि मेरे वचन को मानो, तब मैं तुम्हारा परमेश्वर हूंगा, और तुम मेरी प्रजा ठहरोगे; और जिस मार्ग की मैं तुम्हें आज्ञा दूं उसी में चलो, तब तुम्हारा भला होगा” (यिर्मयाह 7:23)। किन्तु फिर भी वो लोग बारंबार परमेश्वर और उसकी आज्ञाओं की अवहेलना करते रहे। उन लोगों के झूठे भविष्यद्वक्ता उनसे “शान्ति, शान्ति” कहते रहे (8:11), परन्तु यिर्मयाह ने विनाश की भविष्यवाणी की, और यरूशलेम 586 ई.पू. में नष्ट कर दिया गया।

         शान्ति दुर्लभ है। परन्तु यिर्मयाह द्वारा की गई भयानक भविष्यवाणियों के मध्य भी हम एक ऐसे परमेश्वर को पाते हैं जो निरंतर प्रेम करता है। प्रभु परमेश्वर ने अपने बलवाई लोगों से कहा, यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। हे इस्राएली कुमारी कन्या! मैं तुझे फिर बसाऊंगा; वहां तू फिर सिंगार कर के डफ बजाने लगेगी, और आनन्द करने वालों के बीच में नाचती हुई निकलेगी” (यिर्मयाह 31:3-4)।

         परमेश्वर शान्ति और प्रेम का परमेश्वर है। संघर्ष और विरोध उसके प्रति हमारे विद्रोह के कारण आता है। पाप हम सब के अन्दर की शान्ति को चुरा लेता है, और संसार की शान्ति को नाश कर देता है। प्रभु यीशु इस पृथ्वी पर हमारा परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप करवाने आए थे तथा हमें वह भीतरी शान्ति देने आए थे। प्रेरित पौलुस ने लिखा, सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें” (रोमियों 5:1)। उसके ये शब्द, लिखे गए सबसे आशापूर्ण शब्दों में से हैं।

         हम चाहे युद्ध-भूमि में रहते हों या सबसे शांत पड़ौस में जहाँ पर किसी लड़ाई की फुसफुसाहट भी नहीं है, प्रभु यीशु हम सभी को अपनी शान्ति देने के लिए आमंत्रित करता है। - टिम गुस्ताफसन

 

परमेश्वर हमें अपने आप से पृथक प्रसन्नता और शान्ति नहीं दे सकता है, 

क्योंकि वह है ही नहीं। - सी. एस. ल्युईस


मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: यिर्मयाह 8:8-15

 यिर्मयाह 8:8 तुम क्योंकर कह सकते हो कि हम बुद्धिमान हैं, और यहोवा की दी हुई व्यवस्था हमारे साथ है? परन्तु उनके शास्त्रियों ने उसका झूठा विवरण लिख कर उसको झूठ बना दिया है।

यिर्मयाह 8:9 बुद्धिमान लज्जित हो गए, वे विस्मित हुए और पकड़े गए; देखो, उन्होंने यहोवा के वचन को निकम्मा जाना है, उन में बुद्धि कहां रही?

यिर्मयाह 8:10 इस कारण मैं उनकी स्त्रियों को दूसरे पुरुषों को और उनके खेत दूसरे अधिकारियों के वश में कर दूंगा, क्योंकि छोटे से ले कर बड़े तक वे सब के सब लालची हैं; क्या भविष्यद्वक्ता क्या याजक, वे सब के छल से काम करते हैं।

यिर्मयाह 8:11 उन्होंने, “शान्ति है, शान्ति” ऐसा कह कहकर मेरी प्रजा के घाव को ऊपर ही ऊपर चंगा किया, परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं है।

यिर्मयाह 8:12 क्या वे घृणित काम कर के लज्जित हुए? नहीं, वे कुछ भी लज्जित नहीं हुए, वे लज्जित होना जानते ही नहीं। इस कारण जब और लोग नीचे गिरें, तब वे भी गिरेंगे; जब उनके दण्ड का समय आएगा, तब वे भी ठोकर खाकर गिरेंगे, यहोवा का यही वचन है।

यिर्मयाह 8:13 यहोवा की यह भी वाणी है, मैं उन सभों का अन्त कर दूंगा। न तो उनकी दाखलताओं में दाख पाई जाएंगी, और न अंजीर के वृक्षों में अंजीर वरन उनके पत्ते भी सूख जाएंगे, और जो कुछ मैं ने उन्हें दिया है वह उनके पास से जाता रहेगा।

यिर्मयाह 8:14 हम क्यों चुप-चाप बैठे हैं? आओ, हम चलकर गढ़ वाले नगरों में इकट्ठे नाश हो जाएं; क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा हम को नाश करना चाहता है, और हमें विष पीने को दिया है; क्योंकि हम ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।

यिर्मयाह 8:15 हम शान्ति की बाट जोहते थे, परन्तु कुछ कल्याण नहीं मिला, और चंगाई की आशा करते थे, परन्तु घबराना ही पड़ा है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 6-8
  • 1 तिमुथियुस 5

शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

स्वतंत्र


         कैतिलिन अपने मित्रों के साथ मेक्सिको की खाड़ी में तैर रही थी, कि एक शार्क ने उसके पाँव को पकड़ लिया और उसे खींचने लगी। शार्क के आक्रमण का मुकाबला करते हुए कैतिलिन ने शार्क की नाक पर जोर से एक प्रहार किया। प्रहार के कारण शार्क ने अपने जबड़े खोले, और कैतिलिन ने उसके मुँह में से अपना पैर बाहर निकाल लिया। यद्यपि शार्क के दांतों की पकड़ के कारण उसके पैर पर अनेकों घाव थे, जिनके लिए उसे 100 से भी अधिक टाँके लगवाने पड़े, किन्तु वह शार्क उसे अपनी पकड़ में नहीं रखने पाई, कैतिलिन उससे स्वतंत्र हो सकी।

         यह कहानी मुझे इस तथ्य को स्मरण करवाती है कि प्रभु यीशु ने भी मृत्यु पर घातक प्रहार किया, और उसकी प्रभु के अनुयायियों को आतंकित तथा पराजित करने की शक्ति को निष्क्रिय कर दिया। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस ने कहा, परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता” (प्रेरितों 2:24)।

         पतरस ने ये शब्द यरूशलेम में एकत्रित एक बड़ी भीड़ को कहे थे। संभव है कि उस भीड़ में उपस्थित लोगों में से बहुत से वो लोग भी होंगे जो प्रभु यीशु को दोषी ठहराकर उसे क्रूस पर चढ़ाने की माँग कर रहे थे (मत्ती 27:22)। उनके इस चिल्लाने के कारण रोमी सैनिकों ने प्रभु यीशु को क्रूस पर कीलों से ठोक दिया और वे वहाँ तब तक टंगे रहे जब तक कि यह निश्चित नहीं कर लिया गया कि वे मर गए हैं। प्रभु यीशु की मृत देह को ले जाकर कब्र में रखा गया, जहाँ वह तीन दिन तक रही, जब तक परमेश्वर ने उन्हें मृतकों में से जिला नहीं दिया। प्रभु के पुनरुत्थान के पश्चात पतरस तथा अन्य शिष्यों ने उनके साथ बातचीत की, भोजन किया, और पुनरुत्थान के चालीस दिन के बाद वे उन शिष्यों के देखते-देखते स्वर्ग पर उठा लिए गए (प्रेरितों 1:9)।

         प्रभु यीशु के पृथ्वी के जीवन का अन्त शारीरिक और मानसिक वेदना के साथ हुआ था, परन्तु परमेश्वर ने कब्र की शक्ति को पराजित कर दिया। इस के कारण, मृत्यु, या अन्य कोई भी संघर्ष अब हम मसीही विश्वासियों को सदा ही दबाए रखने की शक्ति नहीं नहीं रखता है। एक दिन सभी मसीही विश्वासी अनन्त जीवन तथा परमेश्वर की उपस्थिति में रहने से होने वाली परिपूर्णता का अनुभव करेंगे। अपने इस भविष्य पर ध्यान केन्द्रित करने के द्वारा हम आज शैतान के बंधनों से स्वतंत्र होने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। - जेनिफर बेनसन शुल्ट

 

कब्र का बंधन परमेश्वर की सामर्थ्य का मुकाबला नहीं कर सकता है।


इसलिये जब कि लड़के मांस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले। - इब्रानियों 2:14-15

बाइबल पाठ: प्रेरितों 2:22-36

प्रेरितों के काम 2:22 हे इस्राएलियों, ये बातें सुनो: कि यीशु नासरी एक मनुष्य था जिस का परमेश्वर की ओर से होने का प्रमाण उन सामर्थ्य के कामों और आश्चर्य के कामों और चिह्नों से प्रगट है, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बीच उसके द्वारा कर दिखलाए जिसे तुम आप ही जानते हो।

प्रेरितों के काम 2:23 उसी को, जब वह परमेश्वर की ठहराई हुई मनसा और होनहार के ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तो तुम ने अधर्मियों के हाथ से उसे क्रूस पर चढ़वा कर मार डाला।

प्रेरितों के काम 2:24 परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता।

प्रेरितों के काम 2:25 क्योंकि दाऊद उसके विषय में कहता है, कि मैं प्रभु को सर्वदा अपने सामने देखता रहा क्योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊं।

प्रेरितों के काम 2:26 इसी कारण मेरा मन आनन्दित हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई; वरन मेरा शरीर भी आशा में बसा रहेगा।

प्रेरितों के काम 2:27 क्योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा; और न अपने पवित्र जन को सड़ने ही देगा!

प्रेरितों के काम 2:28 तू ने मुझे जीवन का मार्ग बताया है; तू मुझे अपने दर्शन के द्वारा आनन्द से भर देगा।

प्रेरितों के काम 2:29 हे भाइयों, मैं उस कुलपति दाऊद के विषय में तुम से साहस के साथ कह सकता हूं कि वह तो मर गया और गाड़ा भी गया और उस की कब्र आज तक हमारे यहां वर्तमान है।

प्रेरितों के काम 2:30 सो भविष्यद्वक्ता हो कर और यह जानकर कि परमेश्वर ने मुझ से शपथ खाई है, कि मैं तेरे वंश में से एक व्यक्ति को तेरे सिंहासन पर बैठाऊंगा।

प्रेरितों के काम 2:31 उसने होनहार को पहिले ही से देखकर मसीह के जी उठने के विषय में भविष्यवाणी की, कि न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया, और न उस की देह सड़ने पाई।

प्रेरितों के काम 2:32 इसी यीशु को परमेश्वर ने जिलाया, जिस के हम सब गवाह हैं।

प्रेरितों के काम 2:33 इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्च पद पाकर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त कर के जिस की प्रतिज्ञा की गई थी, उसने यह उडेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो।

प्रेरितों के काम 2:34 क्योंकि दाऊद तो स्वर्ग पर नहीं चढ़ा; परन्तु वह आप कहता है, कि प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा;

प्रेरितों के काम 2:35 मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों तले की चौकी न कर दूं।

प्रेरितों के काम 2:36 सो अब इस्राएल का सारा घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, प्रभु भी ठहराया और मसीह भी।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 3-5
  • 1 तिमुथियुस 4

शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

मार्ग,

 

         मेरे पास कोलोराडो के पहाड़ों की पतझड़ के समय की एक बहुत सुन्दर फोटो है, जिसमें एक जवान व्यक्ति घोड़े की पीठ पर बैठा आगे के मार्ग को देख रहा है और विचार कर रहा है कि उसे कौन सा मार्ग चुनना चाहिए। इससे मुझे रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता “The Road Not Taken” स्मरण हो आती है। उस कविता में फ्रॉस्ट उसके सामने आए दो-राहे पर खड़ा है और उसे निर्णय लेना है कि उन में से किस मार्ग पर वह आगे बढ़ेगा। दोनों ही मार्ग समान रीति से आकर्षक हैं, किन्तु उसे संशय है कि वह दोबारा कभी इस स्थान पर लौट कर आने पाएगा, और इसलिए उसे एक मार्ग बुद्धिमानी से चुनना है।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रभु यीशु के पहाड़ी उपदेश (मत्ती 5 - 7) में  प्रभु ने अपने शिष्यों से कहा, सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं। क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं” (मत्ती 7:13-14)।

         हमारी जीवन यात्रा में हमारे सामने मार्ग चुनने के लिए अनेकों विकल्प आ सकते हैं; बहुत से मार्ग आकर्षक और आश्वासन देने वाले प्रतीत हो सकते हैं परन्तु सच्चे जीवन का मार्ग एक ही है, जो प्रभु की आज्ञाकारिता का मार्ग है। प्रभु यीशु हमें शिष्यता और परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता का मार्ग चुनने और उस पर चलने के लिए कहता है – भीड़ के पीछे नहीं, उसके पीछे चलें।

         जब हम आगे के मार्ग के बारे में विचार करते हैं, तो प्रभु हमें बुद्धिमानी दे और हमारा मार्गदर्शन करे कि हम उसके मार्ग पर चलने वाले बनें – जीवन के मार्ग पर। यही हमारे लिए और जिनसे हम प्रेम करते हैं उनके लिए सबसे उत्तम मार्ग होगा। - डेविड सी. मेक्कैसलैंड

 

प्रभु यीशु के साथ जीवन के मार्ग पर चलना ही चुनें।


और जब कभी तुम दाहिनी या बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो। - यशायाह 30:21

बाइबल पाठ: मत्ती 7:12-23

मत्ती 7:12 इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की शिक्षा यही है।

मत्ती 7:13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।

मत्ती 7:14 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।।

मत्ती 7:15 झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्दर में फाड़ने वाले भेड़िए हैं।

मत्ती 7:16 उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोग क्या झाड़ियों से अंगूर, या ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?

मत्ती 7:17 इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है।

मत्ती 7:18 अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है।

मत्ती 7:19 जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है।

मत्ती 7:20 सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।

मत्ती 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है।

मत्ती 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?

मत्ती 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यिर्मयाह 1-2
  • 1 तिमुथियुस 3

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

सामर्थ्य

 

         एक युवा माँ होने के नाते, मैं अपनी बेटी के जीवन के पहले वर्ष की बातों को संभाल कर रखना चाहती थी। मैं हर महीने उसकी फोटो लिया करती थी, यह दिखाने के लिए कि वह किस तरह से बढ़ी और बदली। मेरी एक पसंदीदा फोटो में, वो बड़ी खुशी के साथ एक खोखला किए हुए कद्दू, जिसे मैंने एक स्थानीय किसान से खरीदा था, में बैठी है। आने वाले दिनों में वह कद्दू तो सूख कर मुरझा गया, लेकिन मेरी बेटी बढ़ती रही, पनपती रही।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस जिस प्रकार से प्रभु यीशु की सच्चाई को जानने को बताता और समझता है, वह मुझे अपनी बेटी की उस फोटो को स्मरण दिलाता है। पौलुस ने प्रभु यीशु मसीह के हमारे हृदय में वास करने की तुलना मिट्टी के बर्तन में रखे हुए खजाने से की है। प्रभु यीशु ने जो कुछ हमारे लिए किया है, वह हमें साहस और सामर्थ्य प्रदान करता है कि हम जीवन के संघर्षों के बावजूद उसके कार्यों में लगे रहें, चाहे चारों ओर से दबाव आ रहे हों (2 कुरिन्थियों 4:8)। क्योंकि परमेश्वर की सामर्थ्य हमारे जीवनों में कार्य करती है इसलिए हम उन दबावों में भी नाश नहीं होते, वरन प्रभु यीशु का जीवन हमारे जीवनों में से प्रगट होता है।

         जैसे वह कद्दू मुरझा कर सूख गया था, हम भी अपने जीवन के संघर्षों में शारीरिक सूखेपन और दुर्बलताओं  का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन उन चुनौतियों के होते हुए भी, हम में विद्यमान प्रभु यीशु का आनन्द बढ़ता जाएगा, कार्य करता जाएगा। हमारे जीवनों में उसकी कार्यकारी सामर्थ्य, उसके बारे में हमारी समझ-बूझ, हमारे दुर्बल मिट्टी के शरीरों में रखा हुआ अद्भुत स्वर्गीय खज़ाना है। हम सभी कठिनाइयों के होते हुए भी पनप और बढ़ सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर की सामर्थ्य हमारे जीवनों में कार्य करती है। - कर्स्टन होल्मबर्ग

 

परमेश्वर की सामर्थ्य हम में होकर कार्य करती है।

क्योंकि आज का दिन हमारे प्रभु के लिये पवित्र है; और उदास मत रहो, क्योंकि यहोवा का आनन्द तुम्हारा दृढ़ गढ़ है। - नहेम्याह 8:10

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 4:7-18

2 कुरिन्थियों 4:7 परन्तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ्य हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।

2 कुरिन्थियों 4:8 हम चारों ओर से क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।

2 कुरिन्थियों 4:9 सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।

2 कुरिन्थियों 4:10 हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं; कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।

2 कुरिन्थियों 4:11 क्योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरनहार शरीर में प्रगट हो।

2 कुरिन्थियों 4:12 सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।

2 कुरिन्थियों 4:13 और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय में लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।

2 कुरिन्थियों 4:14 क्योंकि हम जानते हैं, जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने सामने उपस्थित करेगा।

2 कुरिन्थियों 4:15 क्योंकि सब वस्तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक हो कर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।

2 कुरिन्थियों 4:16 इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।

2 कुरिन्थियों 4:17 क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है।

2 कुरिन्थियों 4:18 और हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह 65-66
  • 1 तिमुथियुस 2

बुधवार, 21 अक्टूबर 2020

वास्तविक

 

         कई वर्षों तक मेरा अतीत का जीवन और उसकी कमियां तथा बुराइयां, मेरे वर्तमान जीवन पर बहुत प्रभाव डालता रहा। मुझे यही भय रहता था कि क्या होगा यदि लोगों को मेरे अतीत और बुराइयों के बारे में पता चलेगा? यद्यपि परमेश्वर ने मेरी सहायता की और मैं साहस कर के इसके विषय चर्चा करने के लिए एक मसीही सेवकाई की अगुवाई करने वाली महिला को दोपहर के भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित कर सकी। किन्तु फिर भी मैं उसके सामने अपने आप को बिलकुल ठीक और भली दिखाना चाह रही थी। मैंने अपने घर की अच्छे से सफाई करके उसे खूब चमका दिया, कोई दाग़-धब्बा नहीं रहने दिया, अच्छा सा भोजन बना लिया, और अपनी सबसे अच्छी जींस और ब्लाउज़ पहन लिया, और उसकी प्रतीक्षा करने लगी।

         तभी मुझे ध्यान आया कि बाहर लॉन पर पानी छिड़कने का फव्वारा चल रहा है, और मैं उसे बन्द करने के लिए दौड़कर बाहर गई। उसके बल खाए हुए पाईप को सीधा कर के मैं उसे बन्द करने का प्रयास कर रही थी, कि उसकी नाली मेरी तरफ घूमी और मुझे पानी की तेज़ धार ने पूरा भिगो दिया। मैं चिल्लाई, अन्दर जाकर तौलिये से अपने बाल सुखाने का प्रयास करने लगी, मेरा मेकप पानी से बहकर मेरे चेहरे को खराब कर रहा था, और मुझे अपने कपड़े  बदल कर सामान्य कपड़े पहनने पड़े। मैं अपने आप को अभी ठीक कर ही रही थी कि दरवाज़े की घंटी बजी – मेरी मेहमान भोजन के लिए पहुँच गई थी। मैंने अपनी उस अस्त-व्यस्त हालत में ही उसका स्वागत किया, उसे अन्दर बिठाया, अपनी दशा को समझाया, और उसे भोजन पर आमंत्रित करने के अपने उद्देश्य को बताया। मेरी उस नई सहेली ने मेरे साथ उसके अपने अतीत के कारण होने वाली असुरक्षा और भय, और दोष बोध की भावनाओं को बताया। हमने मिलकर प्रार्थना की, और उसने मुझे अपने साथ परमेश्वर की अपूर्ण सेविकाओं की टीम में सम्मिलित कर लिया।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस ने मसीह यीशु में अपने नए जीवन को स्वीकार करने पर अपने अतीत की बातों को स्वीकार करने से मुँह नहीं मोड़ा, और न ही अपने अतीत को परमेश्वर की सेवा करने में बाधा बनने दिया (1 तिमुथियुस 1:12-14)। क्योंकि पौलुस अच्छे से समझता था कि क्रूस पर किए गए प्रभु यीशु के कार्य के द्वारा वह बचाया गया है, और प्रभु ने उसे बदल दिया है – सबसे अधम पापी  को भी अपने योग्य बना लिया है – इसलिए उसने परमेश्वर की स्तुति और बड़ाई की तथा औरों को प्रोत्साहित किया कि वे भी परमेश्वर को आदर दें और उसकी आज्ञाकारिता में रहें (पद 15-17)।

         जब हम परमेश्वर के अनुग्रह और क्षमा को स्वीकार कर लेते हैं, तब हम अपने अतीत से मुक्त हो जाते हैं। चाहे हम में कमियाँ हों, परन्तु प्रभु परमेश्वर हम से बहुत प्रेम करता है। इसलिए अपने वास्तविक जीवन को लेकर हमें शर्मिंदा रहने की आवश्यकता नहीं है; हम परमेश्वर द्वारा हमें दिए गए वरदानों के द्वारा, उसके द्वारा निर्धारित की गई सेवकाई को निःसंकोच निभा सकते हैं। - सोहचील डिक्सन

 

हम जैसे भी हैं, परमेश्वर हमें स्वीकार करता है, और अपने लिए उपयोगी बना लेता है।


परन्तु मैं जो कुछ भी हूं, परमेश्वर के अनुग्रह से हूं: और उसका अनुग्रह जो मुझ पर हुआ, वह व्यर्थ नहीं हुआ परन्तु मैं ने उन सब से बढ़कर परिश्रम भी किया: तौभी यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था। - 1 कुरिन्थियों 15:10

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:12-17

1 तीमुथियुस 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने मुझे सामर्थ्य दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।

1 तीमुथियुस 1:13 मैं तो पहिले निन्दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।

1 तीमुथियुस 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।

1 तीमुथियुस 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।

1 तीमुथियुस 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।

1 तीमुथियुस 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

 

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह 62-64
  • 1 तिमुथियुस 1