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सोमवार, 30 अप्रैल 2012

सहारा

   एक सुसमाचार सभा में वक्ता अपने सन्देश में समझा रहा था कि प्रभु यीशु मसीह में बने रहने और हर परीक्षा में उस पर पूर्णतः विश्वास करने का तात्पर्य क्या है। अपने सन्देश को समाप्त करते समय उन्होंने कई बार दोहराया कि इसका अर्थ है कि हर बात और हर परिस्थित के लिए आप विश्वास करेंगे कि ’इस बात के लिए मुझे यीशु का सहारा है’।

   सन्देश के बाद सभा में उपस्थित श्रोताओं को समय दिया गया कि वे अपने अनुभव बताएं और इस संबंध में अपने जीवन से गवाही दें। एक महिला ने उठ कर कहा, "कुछ मिनिट पहले मुझे एक सन्देश मिला कि मेरी माँ बहुत बिमार हैं और मुझे पहली गाड़ी से घर पहुँचकर उनसे मिल लेना चाहिए। तुरंत मैं जान गई कि आज का यह सन्देश मेरे लिए था। मैंने ऊपर की ओर देख कर कहा ’इस बात के लिए मुझे यीशु का सहारा है’ और उसी क्षण एक अद्भुत शांति और सामर्थ्य से मेरा मन भर गया, मेरी चिन्ताएं दूर हो गईं।"

   इस बात के कोई तीन या चार सप्ताह पश्चात उस प्रचारक को उसी महिला का एक पत्र मिला, जिसमें उस ने लिखा था, "उस दिन के दिए गए सन्देश के लिए एक बार फिर आपका धन्यवाद। तब से मेरे लिए जीवन एक निरन्तर विजय का स्तुति गीत बन गया है, क्योंकि मैं अब जान गई हूँ कि जीवन में चाहे जो भी परिस्थिति क्यों ना आए, हर बात के लिए मुझे यीशु का सहारा है।"

   उस मसीही विश्वासी महिला ने अपने उद्धारकर्ता मसीह यीशु में उसे पा लिया था जिसका वायदा है कि वह उन्हें हर आग और जल से उबार कर सुख से भर देगा (भजन ६६:१२)। यदि आप भी किसी परीक्षा में हैं या किसी बात से निराश हैं, तो स्मरण रखिए, हर बात के लिए आपको यीशु का सहारा उपलब्ध है। जो हाथ विश्वास से एक बार उसके हाथ में रख दिया जाता है उसे वह न कभी छोड़ता है और ना कभी त्यागता है। - हेनरी जी. बौश


यदि हर परिस्थिति में हम मसीह में बने हुए पाए जाते हैं, तो हर परिस्थिति में हमें मसीह हमारे साथ खड़ा मिलेगा।
तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो, क्‍योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों १३:५
बाइबल पाठ: भजन ६६:१-२०
Psa 66:1  हे सारी पृथ्वी के लोगों, परमेश्वर के लिये जयजयकार करो;
Psa 66:2  उसके नाम की महिमा का भजन गाओ, उसकी स्तुति करते हुए, उसकी महिमा करो।
Psa 66:3  परमेश्वर से कहो, कि तेरे काम क्या ही भयानक हैं! तेरी महासामर्थ्य के कारण तेरे शत्रु तेरी चापलूसी करेंगे।
Psa 66:4  सारी पृथ्वी के लोग तुझे दण्डवत् करेंगे, और तेरा भजन गाएंगे, वे तेरे नाम का भजन गाएंगे।
Psa 66:5  आओ परमेश्वर के कामों को दखो, वह अपने कार्यों के कारण मनुष्यों को भययोग्य देख पड़ता है।
Psa 66:6  उस ने समुद्र को सूखी भूमि कर डाला, वे महानद में से पांव पावं पार उतरे। वहां हम उसके कारण आनन्दित हुए,
Psa 66:7  जो पराक्रम से सर्वदा प्रभुता करता है, और अपनी आंखों से जाति जाति को ताकता है। हठीले अपने सिर न उठाएं।
Psa 66:8  हे देश देश के लोगो, हमारे परमेश्वर को धन्य कहो, और उसकी स्तुति में राग उठाओ,
Psa 66:9  जो हम को जीवित रखता है, और हमारे पांव को टलने नहीं देता।
Psa 66:10  क्योंकि हे परमेश्वर तू ने हम को जांचा, तू ने हमें चान्दी की नाईं ताया था।
Psa 66:11  तू ने हम को जाल में फंसाया, और हमारी कटि पर भारी बोझ बान्धा था;
Psa 66:12  तू ने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से होकर गए, परन्तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दिया है।
Psa 66:13  मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊंगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूंगा,
Psa 66:14  जो मैं ने मुंह खोल कर मानीं, और संकट के समय कही थीं।
Psa 66:15  मैं तुझे मोटे पशुओं के होमबलि, मेढ़ों की चर्बी के धूप समेत चढ़ऊंगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊंगा।
Psa 66:16  हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उस ने मेरे लिये क्या क्या किया है।
Psa 66:17  मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ।
Psa 66:18  यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता।
Psa 66:19  परन्तु परमेश्वर ने तो सुना है, उस ने मेरी प्रार्थना की ओर ध्यान दिया है।
Psa 66:20  धन्य है परमेश्वर, जिस ने न तो मेरी प्रार्थना अनसुनी की, और न मुझ से अपनी करूणा दूर कर दी है! 
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १४-१५ 
  • लूका १७:१-१९

ईमानदारी दिवस

   अमेरिका में आज का दिन "ईमानदारी दिवस" के नाम से जाना जाता है। अप्रैल की ३० तारीख के लिए यह उपनाम कोई बहुत प्रचलित नाम नहीं है, किंतु फिर भी महत्वपूर्ण अवश्य है। लेखक एम. हिर्ष गोल्डबर्ग ने १९९० के दशक में इसे ईमानदार लोगों का आदर करने और ईमानदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। उनका अप्रैल माह के इस अन्तिम दिन को ईमानदारी दिवस के लिए चुनने का कारण था कि अप्रैल माह का पहला दिन असत्य को समर्पित रहता है, सारे विश्व में इसे ’अप्रैल फूल्स दिवस’ के रूप में माना जाता है और उस दिन असत्य द्वारा लोगों के मूर्ख बनाए जाने के प्रयास किए जाते हैं, इसलिए गोल्डबर्ग ने चाहा कि अप्रैल का अन्त एक उत्तम नैतिक स्तर पर होना चाहिए।

   ईमानदारी दिवस एक अच्छा समय है कि हम इस गुण का मूल्यांकन इस संबंध में परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं के आधार पर करें। जीवन में हर बात में ईमानदारी इतनी सरल नहीं है जितनी प्रतीत होती है, किंतु ईमानदारी का जीवन व्यतीत करने के हमारे सच्चे प्रयास परमेश्वर को प्रसन्न अवश्य करते हैं।

   ईमानदारी की समझ आरंभ होती है, हमारे अनुकर्णीय सर्वोच्च उदाहरण परमेश्वर के चरित्र से। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि परमेश्वर: 
  • सत्य है (व्यवस्थाविवरण ३२:४); 
  • वह कभी झूठ या असत्य नहीं बोल सकता (गिनती २३:१९, इब्रानियों ६:१८); 
  • वह दोगलेपन से घृणा करता है (नीतिवचन ६:१६-१९)। 

बाइबल यह भी बताती है कि सभी असत्य और झूठ का उदग्म शैतान ही से है ( यूहन्ना ८:४४)।

   अपने जीवनों के लिए हम बाइबल से लिए गए इन खण्डों पर ध्यान कर सकते हैं: 
  • धर्मी जन झूठ से घृणा करता है (नीतिवचन १३:५); 
  • प्रेम सत्य से आनन्दित होता है (१ कुरिन्थियों १३:६); 
  • झूठ बोलना पुराने मनुष्यत्व का भाग है (कुलुस्सियों ३:९); 
  • उन्नति के लिए छल, पाखण्ड और कपट को छोड़ना अनिवार्य है (१ पतरस २:१) और 
  • धार्मिकता प्रकट करने के लिए केवल सत्य ही बोलना है (नीतिवचन १२:१७)।

   आईए केवल अप्रैल के इस अन्तिम दिन को ही नहीं, वरन अपने जीवन के प्रत्येक दिन को हम "ईमानदारी दिवस" के रूप में मनाएं। - डेव ब्रैनन


जो लोग परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते हैं उनके अपने वचन भी विश्वासयोग्य रहने चाहिएं।
झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है। - नीतिवचन १२:२२
बाइबल पाठ: नीतिवचन १२:१७-२२
Pro 12:17  जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है।
Pro 12:18  ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।
Pro 12:19  सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है।
Pro 12:20  बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है।
Pro 12:21  धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं।
Pro 12:22  झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा ८-९ 
  • लूका २१:१-१९

रविवार, 29 अप्रैल 2012

व्यस्त जीवन

   क्या आपका लगता हि कि आपका जीवन बहुत व्यस्त है? कारोबार के निर्णय और उन्हें पूरा करने की समय सीमाएं, कार्य को पूरा करने के दबाव, बच्चों को शिक्षा और कार्यक्रमों में लाने-लेजाने के दबाव इत्यादि क्या आपके जीवन में व्यक्तिगत बातों के लिए समय के आभाव को उत्पन्न करते हैं? ऐसी परिस्थितियों में यह सोचना बहुत आसान है कि, "काश मेरे पास निभाने के लिए इतनी सारी ज़िम्मेवारियाँ नहीं होतीं, फिर मैं भी परमेश्वर के साथ एक निकट संबंध में चल पाता।"

   यदि ऐसा है तो लेखक सी.एस.ल्यूइस द्वारा कही बात पर ध्यान कीजिए, उन्होंने कहा कि "प्रभु यीशु के समान व्यस्त व्यक्ति और कोई नहीं था। हमारे लिए अनुसरण करने का नमूना हमारा प्रभु यीशु ही है; वह यीशु जो सदा ही हमें अपनी बढ़ई की दुकान में कार्यरत, या सड़क पर, या भीड़ में, या आलोचनाओं, बाधाओं और विरोध का सामना करते, या उसके निज समय में लोगों के हस्ताक्षेप होते हुए मिलता है। वही मानव परिस्थितियों में ईश्वरीय जीवन सफलता से जी के दिखाने का उदाहरण है।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस १:२१-३५ में हम प्रभु यीशु के जीवन के एक दिन के बारे में पढ़ते हैं; उस व्यस्त दिन के अन्त को देखिए "सन्‍ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्‍हें जिन में दुष्‍टात्मा थीं उसके पास लाए। और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ। और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्‍टात्माओं को निकाला, और दुष्‍टात्माओं को बोलने न दिया, क्‍योंकि वे उसे पहचानती थीं" (मरकुस १:२-३४)। और फिर हम पढ़ते हैं कि अगले दिन यीशु तड़के ही उठकर प्रार्थना करने को एकांत में निकल गया (मरकुस १:३५), जहां उसने फिर अपने पिता परमेश्वर से, उस आरंभ हुए दिन की व्यस्तता के लिए निर्देष और सामर्थ प्राप्त करी। यही हमारे प्रभु की सफलता का राज़ था - पिता परमेश्वर से लगातार बनी संगति और पवित्र आत्मा पर निर्भर होकर कार्य करना।

   आज भी प्रभु के विश्वासियों के लिए यही उनकी भी सफलता की कुंजी है, परमेश्वर पिता के साथ लगातार बनी रहने वाली संगति और परमेश्वर के निर्देषानुसार पवित्र आत्मा की आज्ञाकारिता और सामर्थ में कार्य करना।

   क्या आप का जीवन व्यस्त है? प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण कीजिए, परमेश्वर के साथ बातचीत के लिए एक समय निरधारित करके रख लीजिए और फिर परमेश्वर पर निर्भर कीजिए कि वह प्रत्येक दिन की आवश्यक्ताओं के लिए आपको मार्गदर्शन दे और योग्य सामर्थ से परिपूर्ण करे। - डेनिस फिशर


अपने जीवन के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए प्रभु यीशु पर आलम्बित हो जाइए।
और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा। - मरकुस १:३५
बाइबल पाठ: मरकुस १:२१-३५
Mar 1:21  और वे कफरनहूम में आए, और वह तुरन्‍त सब्‍त के दिन सभा के घर में जाकर उपदेश करने लगा।
Mar 1:22  और लोग उसके उपदेश से चकित हुए, क्‍योंकि वह उन्‍हें शास्‍त्रियों की नाईं नहीं, परन्‍तु अधिकारी की नाईं उपदेश देता था।
Mar 1:23   और उसी समय, उन की सभा के घर में एक मनुष्य था, जिस में एक अशुद्ध आत्मा थी।
Mar 1:24  उस ने चिल्लाकर कहा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्‍या काम? क्‍या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं, तू कौन है परमेश्वर का पवित्र जन!
Mar 1:25   यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह, और उस में से निकल जा।
Mar 1:26  तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़ कर, और बड़े शब्‍द से चिल्ला कर उस में से निकल गई।
Mar 1:27  इस पर सब लोग आश्‍चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्‍या बात है यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानती हैं।
Mar 1:28  सो उसका नाम तुरन्‍त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया।
Mar 1:29  और वह तुरन्‍त आराधनालय में से निकल कर, याकूब और यूहन्ना के साय शमौन और अन्‍द्रियास के घर आया।
Mar 1:30  और शमौन की सास ज्‍वर से पीड़ित थी, और उन्‍होंने तुरन्‍त उसके विषय में उस से कहा।
Mar 1:31  तब उस ने पास जाकर उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया, और उसका ज्‍वर उस पर से उतर गया, और वह उन की सेवा-टहल करने लगी।
Mar 1:32  सन्‍ध्या के समय जब सूर्य डूब गया तो लोग सब बीमारों को और उन्‍हें जिन में दुष्‍टात्मा थीं उसके पास लाए।
Mar 1:33   और सारा नगर द्वार पर इकट्ठा हुआ।
Mar 1:34  और उस ने बहुतों को जो नाना प्रकार की बीमारियों से दुखी थे, चंगा किया; और बहुत से दुष्‍टात्माओं को निकाला, और दुष्‍टात्माओं को बोलने न दिया, क्‍योंकि वे उसे पहचानती थीं।
Mar 1:35   और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा ६-७ 
  • लूका २०:२७-४७

शनिवार, 28 अप्रैल 2012

सेवकाई का जीवन

   एमी कारमाईकल (१८६७-१९५१) जब एक छोटी लड़की थी तो अपनी भूरी आंखों की बजाए अपने समाज के अन्य लोगों के समान नीली आंखें चाहती थी। उसने परमेश्वर से इसके बारे में बहुत प्रार्थनाएं भी करीं, और जब परमेश्वर ने उसकी नहीं सुनी, तो वह बहुत निराश भी हुई। फिर जब वह २० वर्ष की हुई तो उसे परमेश्वर की ओर से परमेश्वर की सेवकाई के लिए बुलाहट अनुभव हुई, और कई स्थानों पर सेवकाई के बाद वह दक्षिण भारत में आकर सेवकाई करने लगी, जहां उन्होंने ५५ वर्ष तक यह सेवकाई करी। भारत में अपनी सेवकाई के समय एमी ने परमेश्वर द्वारा उसे नीली नहीं वरन भूरी आंखें दिए जाने और इस विषय में उसकी प्रार्थनाओं के अनसुने होने की बुद्धिमता को पहचाना, क्योंकि अपनी सेवकाई के दौरान कई बार उसे ऐसे स्थानों पर जाना पड़ा जहां उसके रंग-रूप के कारण उसे कठिनाई हो सकती थी। वह अपने शरीर पर रंग लगाकर, अन्य निवासियों जैसे गहरे रंग की तो हो जाती थी किंतु यदि उसकी आंखें नीली होतीं तो वह झट पहचान ली जाती; अब लगाए गए गहरे रंग और भूरी आंखों के कारण वह सरलता से उन स्थानों में प्रवेश कर सकती थी।

   परमेश्वर के वचन में भजनकार लिखता है कि, "निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं" (भजन १००:३)। जिसने हमें बनाया है, उसने हमारी रचना के अनुसार ही हमारे लिए उद्देश्य भी निर्धारित किया है। जब हम अपनी इच्छाओं को सर्वोपरी करने के बजाए, अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर की बुद्धिमता और योजनाओं पर अपने आप को छोड़ देते हैं, और उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करते हैं, तब ही हम उसके लिए कार्यकारी हो सकते हैं। इसी में हमारी आशीशें हैं, हमारी स्वतंत्रता और सुरक्षा है।

   एमी ने समर्पण की इस सामर्थ और सत्य को जाना और माना। उससे जब मसीही सेवकाई के जीवन के बारे में पूछा गया तो उसका उत्तर था, "मसीही सेवकाई का जीवन मसीह के लिए मरने के अवसर हैं।" एमी का यह उत्तर उसके प्रभु मसीह यीशु के कथन पर आधारित था, "क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा" (मत्ती १६:२५)।

   मसीही सेवकाई का जीवन इस से कुछ भिन्न नहीं है - मसीह को सच्चा संपूर्ण समर्पण और प्रभु की आज्ञाकारिता में प्राण देने तक आज्ञाकरी तथा विश्वासयोग्य रहना। प्रभु करे कि सेवकाई के प्रति यही हमारी भी भावना हो। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के हाथों में निर्विवाद छोड़े गए जीवन से अधिक सुरक्षित और स्वतंत्र कोई जीवन नहीं है।
क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा। - मत्ती १६:२५
बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८
Mat 16:24  तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप का इन्‍कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
Mat 16:25  क्‍योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिए अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।
Mat 16:26  यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्‍या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्‍या देगा?
Mat 16:27  मनुष्य का पुत्र अपने स्‍वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा में आएगा, और उस समय वह हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
Mat 16:28  मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कितने ऐसे हैं कि जब तक मनुष्य के पुत्र को उसके राज्य में आते हुए न देख लेंगे, तब तक मृत्यु का स्‍वाद कभी न चखेंगे।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा ३-५ 
  • लूका २०:१-२६

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

अपने बड़े नाम के कारण

   प्राचीन इस्त्राएल का समाज गिलगाल में एकत्रित हुआ कि अपने प्रथम राजा, शाउल, का राज्याभिषेक करे (१ शमूएल ११:१५)। परमेश्वर ने इस्त्राएल से वायदा किया था कि वह ही उनकी देखभाल करेगा और उनकी सुरक्षा होगा, और परमेश्वर ऐसा करता भी आया था। किंतु अपने आस-पास की अन्य जातियों और उनके व्यवहार को देख कर इस्त्राएल ने परमेश्वर से मांग करी कि उन्हें भी अन्य जातियों के समान एक राजा चाहिए। परमेश्वर इस बात से प्रसन्न तो नहीं हुआ लेकिन फिर भी उसने अपने नबी शमूएल से कहा कि शाउल को राजा नियुक्त कर दे, और साथ ही अपनी प्रजा को आश्वासन दिलवाया, "यहोवा तो अपने बड़े नाम के कारण अपनी प्रजा को न तजेगा, क्योंकि यहोवा ने तुम्हें अपनी ही इच्छा से अपनी प्रजा बनाया है" (१ शमूएल १२:२२)। यह परमेश्वर के प्रेम और विश्वासयोग्यता का प्रमाण है कि जिसे वह अपना लेता है, उसे फिर कभी नहीं तजता; किसी परिस्थिति में नहीं, किसी भी कारण से नहीं।

    परमेश्वर का वचन बाइबल प्रत्येक मसीही विश्वासी को आज भी यही आश्वासन देती है। हम विश्वासी उसकी निज प्रजा हैं (१ पतरस २:९), और वह हमें कभी नहीं तजेगा, यद्यपि वह जानता है कि हम कमज़ोर पड़कर उसे छोड़ देंगे; वह यह भी जानता है कि हम कमज़ोर, टूट जाने वाले और पाप में पड़ जाने में भी सक्षम हैं। परन्तु उसके लिए यह कोई नई बात नहीं है, वह हमारे विषय में यह बातें पहले से ही जानता है, फिर भी उसने हमें अपने निकट बुलाया है और हमें यह अधिकार दिया कि हम उसे "हे अब्बा, हे पिता" कह कर संबोधित कर सकें (रोमियों ८:१५)। हम मसीही विश्वासियों के उद्धार की निश्चितता हमारे अपने किसी प्रयास, किसी योग्यता अथवा किसी कार्य पर निर्भर नहीं है, वरन परमेश्वर के चरित्र पर आधारित है (१ यूहन्ना ५:२०)।

   यह निश्चितता और परमेश्वर का यह आश्वासन हमें पाप करते रहने या पाप में बने रहने के लिए कदापि कोई बहाना या अवसर नहीं प्रदान करता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा, "सो हम क्‍या कहें? क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? कदापि नहीं, हम जब पाप के लिए मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍योंकर जीवन बिताएं?" (रोमियों ६:१, २)। हमारा व्यवहार और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में हमारे चुनाव परमेश्वर के नाम और प्रतिष्ठा, संसार के समक्ष मसीही गवाही और परमेश्वर के साथ हमारी सहभागिता की ओर संसार के लोगों का ध्यान लेकर जाते हैं। इसलिए अपनी जीवन शैली और व्यवहार में हमें संपूर्ण प्रयास के साथ परमेश्वर और उसके नाम के प्रति वफादार रहना है कि हम में होकर उसपर कोई आंच नहीं आए। किंतु साथ ही हमें यह आश्वासन भी है कि यदि हम कहीं कमज़ोर भी पड़ गए, और हमसे कोई गलती या पाप भी हो गया, तौ भी परमेश्वर हमें, जो मसीह यीशु में होकर वास्तव में उसके हो चुके हैं, कभी नहीं छोड़ेगा, कभी नहीं त्यागेगा ( इब्रानियों १३:५)।

   हम निश्चिंत रह सकते हैं कि जिसे प्रभु परमेश्वर अपने अनुग्रह में होकर उद्धार देता है, अपने बड़े नाम के कारण उसकी रक्षा भी करता है - सदैव और सर्वदा। - डेविड रोपर


परमेश्वर के कभी न बदलने वाले अनुग्रह में रोप कर स्थापित किए हुए जीवन वहां से कभी उखाड़े नहीं जा सकते।
तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो? क्‍योंकि उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों १३:५
बाइबल पाठ: रोमियों ८:२८-३९
Rom 8:28  और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिए सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है? अर्थात उन्‍हीं के लिए जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29  क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30  फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
Rom 8:31  सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Rom 8:32  जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिए दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
Rom 8:33   परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
Rom 8:34  फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिए निवेदन भी करता है।
Rom 8:35  कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
Rom 8:36   जैसा लिखा है, कि तेरे लिए हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
Rom 8:37  परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़ कर हैं।
Rom 8:38  क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
Rom 8:39  न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा १, २ 
  • लूका १९:२८-४८

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

मानवता का विश्व

   फोटोग्राफर औगस्ट सैन्डर्स, १९२० और ३० में जर्मन समाज को चित्रों द्वारा दर्शाने के लिए निकला। अपने कैमरे द्वारा उसने कारखानों के मज़दूरों, उद्योगपतियों, अभिनेत्रियों, गृहणियों, नाट्ज़ियों और यहूदियों के चित्र उतारे और समाज की एक रूपरेखा प्रदर्शित करी। चाहे उसका यह प्रयास उसके अपने निवास स्थान कोलोन और उसके आस-पास के इलाके तक ही सीमित था, तो भी वह, जैसे पत्रकार डेविड प्रौपसन ने Wall Street Journal में लिखा, "मानवता के एक विश्व को सीमाओं में बंधा हुआ" दिखा सका।

   डेविड प्रौपसन द्वार प्रयुक्त यह वाक्यांश मुझे आज भी समाज और लोगों पर उतना ही लागू दिखता है। हम जहां कहीं भी जाएं, हमारे मार्ग विभिन्न लोगों के मार्गों से मिलते और उन्हें काटते हुए निकलते हैं; सभी अपनी अपनी सीमाओं और चिन्ताओं में बंधे हुए, जीवन के अर्थ को खोजते हुए।

   कई वर्षों तक, रोमी कैद में डाले जाने से पहले, प्रेरित पौलुस मसीही विश्वास के प्रचार के लिए यात्राएं करता रहा। वह जहां कहीं भी जाता, प्रभु यीशु में मिलने वाले उद्धार के बारे में लोगों को बताता क्योंकि उसे उनकी परवाह थी और वह उन्हें पाप और पाप के प्रतिफल अनन्त विनाश से बचाना चाहता था। परमेश्वर के वचन में ’प्रेरितों के काम’ नामक पुस्तक का अन्त पौलुस के रोमी कैद में पड़े होने के साथ होता है, और उस स्थिति में भी वह "जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा" (प्रेरितों २८:३१)।

   अपनी सीमाओं और बन्धनों से चिन्तित होने के बजाए, पौलुस ने उन बन्धनों को ही सुसमाचार प्रचार का अवसर बना लिया। यह हमारे लिए भी मार्गदर्शक है; हमारे चहुंओर भी मानवता का एक विश्व विद्यमान है, हमारी पहुंच में है; आवश्यकता है पौलुस के समान ही उन तक मसीह यीशु में सेंतमेंत पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को पहुंचाने की। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


सुसमाचार वह अन्मोल तोहफा है जो समस्त मानव जाति को मुफ्त दिया गया है।
और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा। - प्रेरितों २८:३१
बाइबल पाठ: प्रेरितों २८:१६-३१
Act 28:16  जब हम रोम में पहुंचे, तो पौलुस को एक सिपाही के साथ जो उस की रखवाली करता था, अकेले रहने की आज्ञा हुई।
Act 28:17  तीन दिन के बाद उस ने यहूदियों के बड़े लोगों को बुलाया, और जब वे इकट्ठे हुए तो उन से कहा, हे भाइयों, मैं ने अपने लोगों के या बापदादों के व्यवहारों के विरोध में कुछ भी नहीं किया, तौभी बन्‍धुआ होकर यरूशलेम से रोमियों के हाथ सौंपा गया।
Act 28:18  उन्‍होंने मुझे जांच कर छोड़ देना चाहा, क्‍योंकि मुझ में मृत्यु के योग्य कोई दोष न था।
Act 28:19  परन्‍तु जब यहूदी इस के विरोध में बोलने लगे, तो मुझे कैसर की दोहाई देनी पड़ी: न यह कि मुझे अपने लोगों पर कोई दोष लगाना था।
Act 28:20  इसलिये मैं ने तुम को बुलाया है, कि तुम से मिलूं और बातचीत करूं, क्‍योंकि इस्‍त्राएल की आशा के लिये मैं इस जंजीर से जकड़ा हुआ हूं।
Act 28:21  उन्‍होंने उस से कहा, न हम ने तेरे विषय में यहूदियों से चिट्ठियां पाईं, और न भाइयों में से किसी ने आकर तेरे विषय में कुछ बताया, और न बुरा कहा।
Act 28:22  परन्‍तु तेरा विचार क्‍या है वही हम तुझ से सुनना चाहते हैं, क्‍योंकि हम जानते हैं, कि हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।
Act 28:23  तब उन्‍होंने उसके लिये एक दिन ठहराया, और बहुत लोग उसके यहां इकट्ठे हुए, और वह परमेश्वर के राज्य की गवाही देता हुआ, और मूसा की व्यवस्था और भाविष्यद्वक्ताओं की पुस्‍तकों से यीशु के विषय में समझा समझाकर भोर से सांझ तक वर्णन करता रहा।
Act 28:24  तब कितनों ने उन बातों को मान लिया, और कितनों ने प्रतीति न की।
Act 28:25  जब आपस में एक मत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, कि पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे बापदादों से अच्‍छा कहा, कि जाकर इन लोगों से कह।
Act 28:26  कि सुनते तो रहोगे, परन्‍तु न समझोगे, और देखते तो रहोगे, परन्‍तु न बूझोगे।
Act 28:27  क्‍योंकि इन लोगों का मन मोटा, और उन के कान भारी हो गए, और उन्‍होंने अपनी आंखें बन्‍द की हैं, ऐसा न हो कि वे कभी आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें और फिरें, और मैं उन्‍हें चंगा करूं।
Act 28:28  सो तुम जानो, कि परमेश्वर के इस उद्धार की कथा अन्यजातियों के पास भेजी गई है, और वे सुनेंगे।
Act 28:29  जब उस ने यह कहा तो यहूदी आपस में बहुत विवाद करने लगे और वहां से चले गए।
Act 28:30  और वह पूरे दो वर्ष अपने भाड़े के घर में रहा।
Act 28:31  और जो उसके पास आते थे, उन सब से मिलता रहा और बिना रोक टोक बहुत निडर होकर परमेश्वर के राज्य का प्रचार करता और प्रभु यीशु मसीह की बातें सिखाता रहा।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल २३-२४ 
  • लूका १९:१-२७

बुधवार, 25 अप्रैल 2012

सह-चालक?

   कार पर लिखे शब्द, "यीशु मेरा सह-चालक है" चाहे एक अच्छे उद्देश्य से लिखे गए हों किंतु मुझे सदा ही विचलित करते हैं। मैं जानता हूँ कि अपनी जीवन-गाड़ी की चालक सीट पर जब भी "मैं" विराजमान होता हूँ, मंज़िल सदा ही अस्पष्ट और गलत ही होती है। मसीही विश्वासी के जीवन में प्रभु यीशु का वास्तविक स्थान सह-चालक के रूप में नहीं होना है, जहां से वह हमें, अर्थात चालक को, यदा-कदा कोई कोई निर्देष देता रहे; वरन हमें प्रभु को सदा सर्वदा अपनी जीवन-गाड़ी की चालक सीट पर ही बैठाए रखना है, और इसमें कोई मतभेद या दो राय का स्थान नहीं है।

   हम अकसर कहते हैं कि मसीह हमारे लिए मरा, जो सत्य भी है, किंतु बात बस इतने तक ही सीमित नहीं है। क्योंकि मसीह हमारे लिए क्रूस पर मरा, उसमें होकर उसके विश्वासियों के लिए कुछ और भी उनके अन्दर से मर गया - उनके पाप करते रहने और पाप में बने रहने का स्वभाव। परमेश्वर के वचन में जब प्रेरित पौलुस ने गलतिया की मण्डली को लिखा कि "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलतियों २:२०), तो उसका यही तात्पर्य था।

   परमेश्वर के इस वचन से पौलुस द्वारा परमेश्वर समझा रहा है कि हम मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाए गए हैं, उसके साथ पाप के लिए मर गए हैं और अब मसीह के साथ ही उसकी धार्मिकता में जीवित हैं। मसीही विश्वासी का जीवन मसीह से है, इसलिए अब प्रत्येक विश्वासी के लिए पुरानी बातें और पुरानी मंज़िलें अस्वीकार्य हैं। अब मसीह ही अपने प्रत्येक विश्वासी का संचालक है, इसलिए विश्वासी अपना मार्ग छोड़कर अब से स्वार्थ, लोभ और वासना की गलियों में नहीं मुड़ सकता; ना ही वह मार्ग के किनारों में विद्यमान घमण्ड के दलदल या कुड़्कुड़ाने और कटुता के गढ़हों में पहिए डालते हुए निकल सकता है। अब हम तो उसके साथ क्रूस पर चढ़ाए गए हैं, अब मसीह ही हमारे जीवन के नियंत्रण में है और केवल उसे ही जीवन गाड़ी को चलाना है और हमारी मंज़िल तय करवानी है।

   इसलिए यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो आप मर गए हैं और मसीह आप में जीवित है और वह आपका सह-चालक नहीं वरन एकमात्र चालक है। आपका आनन्द और स्वतंत्रता उसके हाथ में सब कुछ छोड़कर यात्रा का मज़ा लेने में है। संभव है कि मार्ग में कुछ कठिनाईयों का सामना भी करना पड़े, किंतु वह सदा साथ है और अन्ततः आपको सुरक्षित आपकी अनन्त मंज़िल तक पहुँचाएगा - आप उस पर विश्वास कर सकते हैं। - जो स्टोवैल


क्या अभी भी जीवन गाड़ी स्वयं ही चला रहे हैं? यही समय है उसे मसीह को सौंप देने का।

मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों २:२०
बाइबल पाठ: गलतियों २:१६-२१
Gal 2:16  तौभी यह जान कर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा।
Gal 2:17  हम जो मसीह में धर्मी ठहरना चाहते हैं, यदि आप ही पापी निकलें, तो क्‍या मसीह पाप का सेवक है कदापि नहीं।
Gal 2:18  क्‍योंकि जो कुछ मैं ने गिरा दिया, यदि उसी को फिर बनाता हूं, तो अपने आप को अपराधी ठहराता हूं।
Gal 2:19  मैं जो व्यवस्था के द्वारा व्यवस्था के लिये मर गया, कि परमेश्वर के लिये जीऊं।
Gal 2:20  मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।
Gal 2:21  मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता, क्‍योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धामिर्कता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता। 
  • एक साल में बाइबल: २ शमूएल २१-२२ 
  • लूका १८:२४-४३

मंगलवार, 24 अप्रैल 2012

स्वच्छ पर्यावरण

   प्रदूषण कितनी कुण्ठित कर देने वाली समस्या है! हर कोई इसके दुषप्रभाव का मारा हुआ है, किंतु फिर भी हर कोई इसके बढ़ते जाने में योगदान करता रहता है।

   प्रदूषण के अनेक रूप हैं, एक ऐसा रूप भी है जो समाज में व्याप्त तो है, किंतु जिसकी अकसर अवहेलना होती है; लेखक चार्ल्स स्विंडौल ने इसे ’शब्दों के प्रदूषण’ की संज्ञा दी है। यह वह प्रदूषण है जो कुड़कुड़ाने वालों, आलोचकों और निन्दकों के द्वारा बड़ी सहजता से फैलाया जाता है और समाज द्वारा इसे उतनी ही सहजता से स्वीकार भी किया जाता है। स्विंडौल लिखते हैं "नकारात्मक रवैये का यह विष अपने चारों ओर ऐसा निषेधात्मक वातावरण उत्पन्न कर देता है जहां हर बात की केवल बुराई पर ही ध्यान केंद्रित हो।"

   कुछ मसीही विश्वासी मित्रों को इस नकारत्मक शब्दों के प्रदूषण के विषय में चिंता हुई और उन्होंने निर्णय लिया कि वे इसके विरुद्ध कुछ अपने प्रयास करेंगे। उन्होंने निर्णय लिया कि आपसी बातचीत में एक सप्ताह तक किसी भी विषय पर कोई आलोचनात्मक या नकारात्मक शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे। उन्हें अचंभा हुआ यह देख कर कि उस सप्ताह में वे आपस में कितनी कम बातचीत कर पाए। उन्होंने अपना यह प्रयास ज़ारी रखा और उन्होंने पाया कि आपसी बातचीत को ज़ारी रखने के लिए उन्हें अपने संवाद कौशल और भाषा की शब्दावली को पुनः सीखने की आवश्यकता पड़ी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने भी मसीही विश्वासियों को ऐसे ही निर्णायक कदम उठाने का आवाहन किया; इफीसियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने लिखा कि वे अपने पुराने मनुष्यत्व और उसके व्यवहार को जो परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित करता है उतार फेंकें और मसीह से मिला वह नया मनुष्यत्व पहन ले जो दूसरों को बनाने और बढ़ाने में सक्रीय रहता है। हमारे व्यवहार, विचार और वाणी में यह परिवर्तन केवल परमेश्वर के पवित्र आत्मा पर निर्भर रहने से ही संभव है, "आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे" (गलतियों ५:१६)।

   यदि हमें नकारात्मक शब्दों के प्रदूषण से बच कर अपने जीवन के पर्यावरण को स्वच्छ करना है तो पहले हमें इसका निर्णय लेना होगा, फिर परमेश्वर से सहायता कि प्रार्थना के साथ, परमेश्वर की आत्मा की सामर्थ से परमेश्वर के वचन और आज्ञाओं के पालन के द्वारा हम अपने आत्मिक पर्यावरण को स्वच्छ कर पाएंगे। - जोनी योडर


अपनी वाणी को स्वच्छ कीजीए और अपने वातावरण को प्रदूषित होने से बचाइए।
कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। - इफिसीयों ४:२९
बाइबल पाठ: इफिसीयों ४:१७-३२
Eph 4:17  इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अपने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
Eph 4:18 क्‍योंकि उनकी बुद्धि अन्‍धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
Eph 4:19 और वे सुन्न होकर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्‍दे काम लालसा से किया करें।
Eph 4:20  पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Eph 4:21  वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Eph 4:22  कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Eph 4:23  और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Eph 4:24  और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Eph 4:25  इस कारण झूठ बोलना छोड़ कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्‍योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Eph 4:26  क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Eph 4:27  और न शैतान को अवसर दो।
Eph 4:28  चोरी करने वाला फिर चोरी न करे, वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Eph 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Eph 4:30  और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Eph 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Eph 4:32  और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो। 
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १९-२० 
  • लूका १८:१-२३

सोमवार, 23 अप्रैल 2012

धन्य और एकमात्र आशा

   एक लेखक ने लिखा, "मैं जब पहले पहल मसीही विश्वास में आया, और उसके कुछ वर्षों पश्चात तक, मेरे लिए प्रभु यीशु मसीह का दूसरा आगमन एक रोमांच से भर देने वाला विचार, एक धन्य आशा, एक महिमामय प्रतिज्ञा और चर्च के सबसे अधिक प्रोत्साहित कर देने वाले स्तुति गीतों का विषय था। बाद में यह मेरे विश्वास का एक मूल सिद्धांत, अनिवार्य शिक्षा और मेरी मसीही सेवकाई पर विद्यमान अदृश्य छाप बन गया। दूसरे आगमन का यह विचार मेरी धार्मिक चर्चाओं का प्रीय विषय बन गया, चाहे वे मौखिक अथवा लिखित सन्देश के रूप में हों। अब मसीह का दूसरा आगमन मेरे लिए और भी कुछ अधिक हो गया है; प्रेरित पौलुस ने तो इसे ’धन्य आशा’ कहा है, किंतु आज मुझे यह संसार के लिए एकमात्र आशा लगता है।"

   मानवीय दृष्टिकोण से इस संसार के संघर्षों का कोई हल नहीं है। संसार के हर स्थान में समाज और परिस्थितियाँ बद से बदतर ही होती जा रही हैं, अर्थ व्यवस्था बिखरती जा रही है, नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, स्वार्थ, अनुशासनहीनता और अराजक्ता बढ़ते जा रहे हैं और प्रत्येक संभावित समाधान अपने साथ नई समस्याएं और विभाजन ले कर आता है। मनुष्य के ज्ञान बुद्धि और समझ ने संसार की किसी समस्या का कोई स्थाई हल कभी नहीं दिया, वरन हर ’विकास’ के नाम पर इस संसार को तरह तरह के प्रदूषण - भौतिक अथवा अभौतिक, से भर दिया है। 
   संसार के नेता और अगुवे केवल आश्वासन देना जानते हैं और सुनहरे भविष्य के सपने ही दिखा सकते हैं। वे हर समस्या का समाधान आने वाले कल पर टालने में और अपना आज संवारने की कला में निपुण हैं। उनके अपने जीवन अशांति से भरे और अपराध में लिप्त हैं, वे दूसरों को शांति कहां से देंगे, वे दूसरों के लिए अपराध रहित समाज कैसे बनाएंगे?

   संसार की स्मस्याओं को सुलझाने का एकमात्र और पूर्ण हल है पृथ्वी पर मसीह का दूसरा आगमन. क्योंकि तब वह संसार में अपना राज्य स्थापित करेगा, धार्मिकता और न्याय से राज्य करेगा, और तब "पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसे समुद्र जल से भर जाता है" (हबक्कूक २:१४)।

   हम मसीही विश्वासी जो अपने प्रभु के दूसरे आगमन की प्रतीक्षा में हैं, प्रार्थना में, प्रभु के कार्य में और प्रभु की गवाही देने में लगे रहें; अपनी उस धन्य और एकमात्र आशा की बाट जोहते रहें जब स्वर्ग का राज्य पृथ्वी पर होगा। - रिचर्ड डी हॉन


संसार का अंधकार जैसे जैसे बढ़ता जाता है, प्रभु के आगमन की आशा और अधिक ज्योतिर्मय होती जाती है।
...हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेर कर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। - तीतुस २:१२, १३
बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों ४:१३-१८
1Th 4:13  हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाई शोक करो जिन्‍हें आशा नहीं।
1Th 4:14  क्‍योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्‍हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।
1Th 4:15  क्‍योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।
1Th 4:16  क्‍योंकि प्रभु आप ही स्‍वर्ग से उतरेगा, उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्‍द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
1Th 4:17  तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।
1Th 4:18  सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो। 
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १६-१८ 
  • लूका १७:२०-३७

स्तुति की सामर्थ्य

   स्तुति में बहुत सामर्थ्य है। जब भी स्कॉटिश पास्टर रौबर्ट मर्रे मैक्शेय्न परमेश्वर और परमेश्वर से संबंधित बातों के प्रति अपने मन को ठंडा पाते थे तो तब तक स्तुति के गीत गाते रहते थे जब तक वे अपनी आत्मा में फिर से ताज़गी अनुभव नहीं करने लगते थे। उनके घर के लोग उनके प्रातः उठने के समय को जान जाते थे क्योंकि वे अपने दिन का आरंभ स्तुति के भजन से करते थे।

   एक दिन, अपने मन को प्रचार के सन्देश के लिए तैयार करते समय उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, "क्या मेरे मन की यह कामना है कि मैं पूर्ण्तः पवित्र बनूँ?...प्रभु, आप सब बातों को जानते हैं... मैं अपने अन्दर इतना ठंडापन और हताशा अनुभव कर रहा हूँ कि अपनी इस दशा के लिए दुखी भी नहीं हो सकता। शाम होते होते मेरे अन्दर गर्मजोशी आ गई और मेरे मन को शांति मिल गई, सब स्तुति के भजन गाने और प्रार्थना के द्वारा।"

   क्या आप भी अपने आप को निराशा की गहराईयों में पड़ा अनुभव कर रहे हैं? प्रभु की स्तुति में गीत गाईए। भजनकार ने लिखा, "मैं यहोवा की सारी करूणा के विषय सदा गाता रहूंगा, मैं तेरी सच्चाई पीढ़ी पीढ़ी तक जताता रहूंगा" (भजन ८९:१)। जब हम भी ऐसा ही करेंगे तो स्तुति ना केवल हमारे होठों से वरन हमारे हृदय से भी प्रवाहित होने लग जाएगी। परमेश्वर "हर्ष का तेल, और यश का ओढ़ना" (यशायाह ६१:३) देने में आनन्दित होता है।

   हाँ, परमेश्वर की स्तुति करना भला है, स्तुति में सामर्थ्य है। - पौल वैन गोर्डर


यदि आप अपने ऊपर उदासी की चादर पाते हैं तो उसके स्थान पर स्तुति के वस्त्र पहन कर देखें।
प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं; - यशायाह ६१:१
बाइबल पाठ: यशायाह ६१:१-३
Isa 61:1  प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिये भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिये स्वतंत्रता का और कैदियों के लिये छुटकारे का प्रचार करूं;
Isa 61:2  कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूं, कि सब विलाप करनेवालों को शान्ति दूं;
Isa 61:3  और सिय्योन के विलाप करने वालों के सिर पर की राख दूर कर के सुन्दर पगड़ी बान्ध दूं, कि उनका विलाप दूर करके हर्ष का तेल लगाऊं और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाऊं; जिस से वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिस से उसकी महिमा प्रगट हो।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १२-१३ 
  • लूका १६

कहें सो करें

   एक स्त्री अपने पोते के साथ १०३ मील प्रति घंटा की रफतार से गाड़ी चलाती हुई पकड़ी गई। जब पुलिस ने उस से इसके बारे में पूछा तो उसका उत्तर था कि वह अपने पोते को सिखाना मांग रही थी कि गाड़ी कभी इतनी तेज़ नहीं चलानी चाहिए; संभ्वतः वह उसे सिखाना चाह रही थी कि जो मैं कर रही हूँ उसे नहीं, वरन वह करो जो मैं कह रही हूँ!

   प्रभु यीशु की पृथ्वी की सेवकाई के दिनों में भी धर्म के अगुवों फरीसी और शास्त्रीयों के साथ भी ऐसी ही समस्या थी। प्रभु यीशु के मूल्यांकन में वे आत्मिक दिवलियापन से ग्रस्त थे और उनकी यह दशा ही इस्त्राएली समाज की दयनीय आत्मिक दशा का कारण थी। परमेश्वर की व्यवस्था को लोगों तक पहुँचाने वाले मूसा के उत्तराधिकारी होने के कारण उन्हें लोगों को उस व्यवस्था को सिखाने और समझाने की ज़िम्मेदारी थी जिससे समाज परमेश्वर की विधियों और नियमों का पालन करते हुए परमेश्वर के साथ एक सजीव और खरे संबंध को बना के रह सके (व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३)।

   लेकिन उन धर्म के अगुवों के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ के अनतर्गत परमेश्वर के वचन की विवेचना और शिक्षा प्रदान करना परमेश्वर के वचन की सच्चाई से अधिक महत्वपूर्ण हो गया था। जो वे प्रचार करते थे, उसका वे स्वयं पालन नहीं करते थे। जिसका पालन करते थे, वह परमेश्वर को महिमा देने के लिए नहीं वरन स्वयं महिमा पाने के लिए होता था। प्रभु यीशु से वे इसीलिए घृणा करते थे क्योंकि प्रभु यीशु उनकी वास्तविकता को पहचानता था और उनकी पोल खोलता रहता था कि वे कैसे ढोंगी, स्वार्थी, दोगले और केवल दिखाने के लिए कार्य करने वाले हैं।

   आज भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने का प्रमाण हमारे प्रचार मात्र द्वारा नहीं है, वरन हमारे आचरण द्वारा है। हम प्रभु के लिए तब ही प्रभावी और सच्चे गवाह हो सकते हैं जब हम जो कहें सो कर के भी दिखाएं। क्या आज हम लोगों से परमेश्वर के वचन का प्रचार तो करने, किंतु स्वयं उसी वचन की अवहेलना करने के दोषी हैं? भला हो कि हम केवल शब्दों से ही नहीं, कार्यों से भी प्रभु यीशु के अनुयायी होने की गवाही दें; हमारे जीवन हमारे प्रचार को सजीव दिखाएं। - मार्विन विलियम्स


एक अच्छा सजीव उदाहरण, अपने आप में एक प्रभावी प्रचार होता है।
इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। - मत्ती २३:३
बाइबल पाठ: मत्ती २३:१-१२
Mat 23:1  तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा।
Mat 23:2  शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं।
Mat 23:3  इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना, परन्‍तु उन के से काम मत करना; क्‍योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं।
Mat 23:4  वे एक ऐसे भारी बोझ को जिस को उठाना कठिन है, बान्‍ध कर उन्‍हें मनुष्यों के कन्‍धों पर रखते हैं, परन्‍तु आप उन्‍हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते ।
Mat 23:5  वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्‍त्रों की कोरें बढ़ाते हैं।
Mat 23:6   जेवनारों में मुख्य मुख्य जगहें, और सभा में मुख्य मुख्य आसन।
Mat 23:7  और बाजारों में नमस्‍कार और मनुष्य में रब्‍बी कहलाना उन्‍हें भाता है।
Mat 23:8  परन्‍तु, तुम रब्‍बी न कहलाना, कयोंकि तुम्हारा एक ही गुरू है: और तुम सब भाई हो।
Mat 23:9  और पृथ्वी पर किसी को अपना पिता न कहना, कयोंकि तुम्हारा एक ही पिता है, जो स्‍वर्ग में है।
Mat 23:10 और स्‍वामी भी न कहलाना, क्‍योंकि तुम्हारा एक ही स्‍वामी है, अर्थात मसीह।
Mat 23:11  जो तुम में बड़ा हो, वह तुम्हारा सेवक बने।
Mat 23:12  जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा, वह छोटा किया जाएगा: और जो कोई अपने आप को छोटा बनाएगा, वह बड़ा किया जाएगा।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल ९-११ 
  • लूका १५:११-३२

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

सांत्वना के लिए सामर्थ

   लोगों की कुछ आवश्यक्ताएं मन की गहराईयों से संबंधित होती हैं। अंग्रेज़ी भाषा के कवि एल्फ्रेड लॉर्ड टेनिसन ने लिखा, "कोई ऐसी सुबह नहीं है जिसकी शाम होते होते कहीं न कहीं कोई न कोई दिल न टूटा हो।"

   कभी कभी हमें ऐसे दुखी और टूटे हृदय वाले मित्रों या संबंधियों के पास जाना होता है जो मन की किसी गहरी पीड़ा से होकर निकल रहे होते हैं, और हमें समझ नहीं आता कि उन से क्या कहें, कैसे कहें। जो हमने अपने शिक्षकों और बुज़ुर्गों से सीखा है, वह उस दुख की घड़ी में, उन पर कुछ प्रभाव तो डाल सकता है, लेकिन जो शांति परमेश्वर के वचन से मिलती है, उस दुख की घड़ी में उन्हें वह कैसे प्रदान करें? परमेश्वर के वचन बाइबल में जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता कहता है, "प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं" (यशायाह ५०:४), वैसी सामर्थ हम कैसे प्राप्त कर सकते हैं? यह तब ही संभव है जब जैसे यशायाह को वैसे ही हमें भी परमेश्वर स्वयं सिखाए।

   इसके लिए अनिवार्य है कि हम प्रभु यीशु के कदमों में बैठ कर उससे सीखें। जितना अधिक हम उससे पाएंगे, उतना अधिक हमारे पास दूसरों को देने के लिए होगा। जॉर्ज मैक्डौनल्ड परमेश्वर के साथ बिताए गए इस समय का चित्रण करते हुए कहते हैं "यह ऐसे है मानो परमेश्वर ही में हमें एक स्थान दिया गया है। उस स्थान में जा कर हमें दूसरों को प्रदान करने के लिए सामर्थ और प्रकाशन लाना है। हम इसी सेवा के लिए बने हैं।"

   जब हम एकांत में प्रार्थना के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल पर मनन करते हैं, तो हम उस स्थान में होते हैं और परमेश्वर हम से बातें करता है। यह निजी एकांत मनन का समय ही वह स्थान है जहां से हम यशायाह के समान "सीखने वालों की जीभ" पाकर दुख की गहराईयों में पड़े लोगों के साथ सांत्वना बांटने के लिए सामर्थ और समझ पाते हैं जिस से हम निराश में डूबे लोगों को संभाल सकें। - डेविड रोपर


पहले परमेश्वर के हृदय से पाईए, फिर अपने हृद्य से उसे दूसरे के हृदय के साथ बांट लीजीए।
जो मैं तुम से अन्‍धियारे मे कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे कोठों पर से प्रचार करो। - मत्ती १०:२७
बाइबल पाठ: यशायाह ५०:४, ५
Isa 50:4  प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं।
Isa 50:5  प्रभु यहोवा ने मेरा कान खोला है, और मैं ने विरोध न किया, न पीछे हटा।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल ६-८ 
  • लूका १५:१-१०

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

गलत अर्थ

   विलियम स्कोर्सबे १९वीं शताब्दी के एक समुद्री नाविक और अन्वेषक थे, जिन्होंने मसीही सेवकाई के लिए परमेश्वर की बुलाहट को माना और मसीही सेवकाई में लग गए। उनके सेवकाई के समय में भी नाविकों के दिशा सूचक यंत्र - कुतुबनुमा और उसकी कार्यविधि में उनकी रुचि बनी रही और अपने अनुसंधान से उन्होंने स्थापित किया कि सभी नवनिर्मित लोहे के जहाज़ अपना चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं जो उन के कुतुबनुमा पर प्रभाव डालता है और यह प्रभाव समुद्र में विभिन्न परिस्थितियों में बदलता रहता है, जिससे नाविक दिशा सूचक यंत्र से गलत दिशा लेकर घोर संकट में पड़ जाते हैं।

   कुतुबनुमा से मिली गलत दिशा और परमेशवर के वचन बाइबल के गलत अर्थ निकाले जाने के प्रभावों में बड़ी समानता है। प्रेरित पौलुस ने तिमुथियुस को आगाह किया कि वह "...कहानियों और अनन्‍त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं" (१ तिमुथियुस १:४)। पौलुस ने आगे सिखाया कि परमेश्वर के वचन के सिद्धांतों में फेर-बदल करके लोग गलत शिक्षाओं में फंस जाते हैं और उससे कितनों का विश्वास रूपी जहाज़ डुब जाता है (पद १९); उसने ऐसे दो लोगों के नाम बताए - हुमिनयुस और सिकन्दर (पद २०) जो परमेश्वर के वचन के सही सिद्धांतों के स्थान पर गलत शिक्षाओं में पड़ने से इस नुकसान को उठा चुके थे।

   आज परमेश्वर के वचन बाइबल के सत्य पर हर ओर से प्रहार हो रहा है, यहां तक कि चर्च में भी कई गलत शिक्षाओं ने स्थान बना लिया है। हमारी व्यक्तिगत राय और विचार परमेश्वर के सिद्धांत बदल नहीं सकते। जीवन की यात्रा में परमेश्वर का वचन ही वह स्थिर दिशा सूचक है जो परिस्थितियों और लोगों के अनुसार नहीं बदलता; और बदलती परिस्थितियों में हमें उस वचन को ही अपना दिशा सूचक बनाना है, किंतु हर एक गलत  शिक्षा और गलत अर्थ से बच कर रहना है। इसीलिए परमेश्वर के वचन में लिखा है कि "मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ..." (कुलुस्सियों ३:१६)। - डेनिस फिशर


बुद्धिमानी की पहली पहचान है सत्य को जानना, और दूसरी है असत्य को पहचान पाना।
हे पुत्र तीमुथियुस, उन भविष्यद्ववाणियों के अनुसार जो पहिले तेरे विषय में की गई थीं, मैं यह आज्ञा सौंपता हूं, कि तू उन के अनुसार अच्‍छी लड़ाई को लड़ता रहे। और विश्वास और उस अच्‍छे विवेक को थामें रह जिसे दूर करने के कारण कितनों का विश्वास रूपी जहाज डूब गया। - १ तिमुथियुस १:१८-१९
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों २:४-९
Col 2:4  यह मैं इसलिये कहता हूं, कि कोई मनुष्य तुम्हें लुभाने वाली बातों से धोखा न दे।
Col 2:5 क्‍योंकि मैं यदि शरीर के भाव से तुम से दूर हूं, तौभी आत्मिक भाव से तुम्हारे निकट हूं, और तुम्हारे विधि-अनुसार चरित्र और तुम्हारे विश्वास की जो मसीह में है दृढ़ता देखकर प्रसन्न होता हूं।
Col 2:6  सो जैसे तुम ने मसीह यीशु को प्रभु करके ग्रहण कर लिया है, वैसे ही उसी में चलते रहो।
Col 2:7 और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ, और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्वास में दृढ़ होते जाओ, और अत्यन्‍त धन्यवाद करते रहो।
Col 2:8 चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्‍व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न करे ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।
Col 2:9 क्‍योंकि उस में ईश्वरत्‍व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल ३-५ 
  • लूका १४:२५-३५

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

खामोशी

   कभी कभी किसी झूठे दोषारोपण के लिए खामोशी ही सही प्रत्युत्तर होता है, और कभी कभी किसी बात के लिए खामोश रहना अनुचित होता है। 
   जब प्रभु यीशु को धर्मसभा के सामने ला कर खड़ा किया गया और उसपर दोष मढ़े गए तो वह खामोश रहा (मरकुस १४:५३-६१)। वह जानता था कि उस परिस्थिति में अपना बचाव करना व्यर्थ है क्योंकि अधिकारी तो उसे दोषी ठहराकर उस का दण्ड निर्धारित भी कर चुके थे, जो चल रहा था वह उस दण्ड के निर्णय को लागू करने से पहले करी जाने वाली मात्र औपचारिकता थी, वहां उसे अपनी कोई सफाई देने का अवसर नहीं दिया जा रहा था और ना ही दण्ड के बदले जाने की कोई संभावना थी। खामोश रहकर वह यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा उसके विष्य में करी गई भविष्यवाणी "वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला" (यशायाह ५३:७) भी पूरी कर रहा था। किंतु इसी प्रभु यीशु ने, इन्हीं धर्मशास्त्रियों को उनके झूठ और दोषारोपण के लिए लताड़ा भी था, और उन्हें चुनौती भी दी थी कि उसमें कोई पाप साबित कर के दिखा दें (यूहन्ना ८:१३-५९)।

   एक पास्टर ने अपने चर्च के कार्य से इस्तीफा दे दिया क्योंकि चर्च के कुछ सदस्यों ने उसके बारे में गलत बातें चर्च मण्डली में फैलाईं थीं। उस पास्टर का मानना था कि उन परिस्थितियों में उसका अपनी प्रतिरक्षा करना उसके मसीही विश्वास के आचार के विरुद्ध होता। कभी कभी ऐसा होता है, किंतु उस परिस्थिति में बेहतर होता कि वह पास्टर स्वभाव ही से बखेड़ा खड़ा करने वाले उन लोगों का सामना करता, उनके झूठे आरोपों की पोल खोलता और अपना इस्तीफा देने की बजाए उन लोगों को चर्च के सामने गलती मानने या फिर अनुशासन का सामना करने में से एक चुनने को कहता।

   खामोश रहना गलत करने वालों को गलती करते रहने के लिए प्रोतसाहित भी कर सकता है। किंतु यदि हम केवल अपने आहत अहम के बचाव के लिए या मनुष्यों में अपनी महत्वता को प्रमाणीत करने के लिए ही प्रत्युत्तर देना चाहते हैं, तो मौन रहना और परमेश्वर के समय और न्याय की प्रतीक्षा करना ही बेहतर है।

   क्या आप पर झूठा दोषारोपण किया जा रहा है? यदि आप को लगता है कि प्रत्युत्तर देना व्यर्थ है, या आपका प्रत्युत्तर आपके चोट खाए अहम की रक्षा ही के अन्तर्गत है, तो परमेश्वर से सहने का अनुग्रह मांगें और खामोश रहें। परन्तु यदि आप समझते हैं कि गलत करने वालों को और उनकी गलती को सुधारने या किसी अन्याय को सुधारने का आपके पास उचित अवसर है तो उसके लिए परमेश्वर से सामर्थ और सदबुद्धि मांग कर अवश्य ही अपनी खामोशी तोड़िए और उचित कार्यवाही कीजिए। - हर्ब वैण्डर लुग्ट


खामोशी बहूमूल्य होती है; यदि आप बात को सुधार नहीं सकते तो खामोशी को बनाए रखिए।
तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा, कि तू कोई उत्तर नहीं देता ये लोग तेरे विरोध में क्‍या गवाही देते हैं? परन्‍तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया: महायाजक ने उस से फिर पूछा, क्‍या तू उस परम धन्य का पुत्र मसीह है? - मरकुस १४:६०-६१
बाइबल पाठ: मरकुस १४:५३-६५
Mar 14:53  फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए, और सब महायाजक और पुरिनए और शास्त्री उसके यहां इकट्ठे हो गए।
Mar 14:54  पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे पीछे महायाजक के आंगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठ कर आग तापने लगा।
Mar 14:55  महायाजक और सारी महासभा यीशु के मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली।
Mar 14:56 क्‍योंकि बहुतेरे उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उन की गवाही एक सी न थी।
Mar 14:57  तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी।
Mar 14:58 कि हम ने इसे यह कहते सुना है कि मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्‍दिर को ढ़ा दूंगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊंगा, जो हाथ से न बना हो।
Mar 14:59  इस पर भी उन की गवाही एक सी न निकली।
Mar 14:60 तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा, कि तू कोई उत्तर नहीं देता ये लोग तेरे विरोध में क्‍या गवाही देते हैं?
Mar 14:61 परन्‍तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया: महायाजक ने उस से फिर पूछा, क्‍या तू उस परम धन्य का पुत्र मसीह है?
Mar 14:62  यीशु ने कहा, हां मैं हूं: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी और बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।
Mar 14:63 तब महायाजक ने अपने वस्‍त्र फाड़कर कहा, अब हमें गवाहों का क्‍या प्रयोजन है?
Mar 14:64 तुम ने यह निन्‍दा सुनी: तुम्हारी क्‍या राय है? उन सब ने कहा, वह वध के योग्य है।
Mar 14:65 तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुंह ढांपने और उसे घूंसे मारने, और उस से कहने लगे, कि भविष्यद्वाणी कर: और प्यादों ने उसे लेकर थप्‍पड़ मारे।
एक साल में बाइबल: 
  • २ शमूएल १-२ 
  • लूका १४:१-२४

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

खज़ाने के पात्र

   यह कहा जाता है कि प्राचीन रोमी साम्राज्य जैतून के तेल से चलता था। जैतून का तेल उस समय भोजन पकाने, स्नान, सौन्दर्य-प्रसाधन बनाने, धार्मिक अनुष्ठान और संस्कारों, दीए जलाने और औषधि के रूप में होता था। कई दशकों तक दक्षिणी स्पेन से जैतून का तेल मिट्टी के घड़ों में पानी जहाज़ों द्वारा रोम तक लाया जाता था। फिर, क्योंकि वे घड़े वापस भेजने के लायक नहीं होते थे इसलिए फेंक दिए जाते थे, और लगभग २५ करोड़ टूटे घड़ों के उन टुकड़ों से वहां एक पहाड़ सा बन गया जो Monte Testaccio कहलाता है और रोम की टाइबर नदी के किनारे स्थित है। उन घड़ों की अपनी ना कोई सुन्दरता थी और ना कोई कीमत, जो भी उनकी कीमत और उपयोगिता थी वह उसमें रखी गई वस्तु के द्वारा ही थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित द्वारा कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी दूसरी पत्री में, मण्डली के लोगों को उसके कथन "परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे" (२ कुरिन्थियों ४:७) का अर्थ समझना कठिन नहीं रहा होगा।

   उन मिट्टी के घड़ों के समान, हमारे शरीर भी क्षणिक, कभी भी टूट सकने या क्षतिग्रस्त हो सकने वाले और दीर्घकालीन उपयोग के लिए अयोग्य हैं। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे शरीरों की वास्तविक कीमत हमारे बाहरी स्वरूप और सुन्दरता से नहीं वरन जो हम में विद्यमान है, उससे है। यदि मसीह और परमेश्वर का आत्मा हम में वास करता है, तो यही है जो हमारे शरीरों को वास्तव में बहूमूल्य और उपयोगी बनाता है।

   हम तो अपने आप में असामर्थी मिट्टी के पात्र हैं, जो प्रभु यीशु में विश्वास और पापों से पश्चाताप के द्वारा परमेश्वर के उपयोग के लिए बहूमूल्य बन जाते हैं और परमेश्वर का आत्मा हम में निवास करता है। परमेश्वर के इस अनुग्रह को अपना कर ऐसे जीवन जीएं जो संसार में मसीह की गवाही दे और दूसरों को भी इस बहूमूल्य खज़ाने का पात्र बनने के लिए आकर्षित करे। - डेविड मैक्कैसलैंड


मेरे जीवन से तब ही मसीह सबसे स्पष्ट दिखाई देता है जब मैं पृष्ठभूमि में हो जाता हूँ।
परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे। - २ कुरिन्थियों ४:७
बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:१-११
2Co 4:1  इसलिये जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते।
2Co 4:2  परन्‍तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्‍तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं।
2Co 4:3  परन्‍तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है।
2Co 4:4  और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।
2Co 4:5  क्‍योंकि हम अपने को नहीं, परन्‍तु मसीह यीशु को प्रचार करते हैं, कि वह प्रभु है; और उसके विषय में यह कहते हैं, कि हम यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं।
2Co 4:6  इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिस ने कहा, कि अन्‍धकार में से ज्योति चमके; और वही हमारे हृदयों में चमका, कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो।
2Co 4:7  परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
2Co 4:8  हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
2Co 4:9  सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2Co 4:10  हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं, कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2Co 4:11 क्‍योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल ३०-३१ 
  • लूका १३:२३-३५

रविवार, 15 अप्रैल 2012

बदलाव के पात्र

   धर्मशास्त्र और धर्म संबंधी ४ वर्ष के प्रशिक्षण के बाद जब मैंने अपनी प्रथम सेवकाई में प्रवेश किया, तो मेरे पास परिवर्तन लाने की एक लंबी सूची थी। एक नया पास्टर होने के नाते, मेरा विचार था कि मेरी सेवकाई के स्थान में परिवर्तन लाने के लिए मुझे वहां लाया गया है, किंतु परमेश्वर ने उस स्थान और वहां के लोगों के द्वारा मुझे ही बदल दिया।

   उस स्थान की चर्च समीति के सदस्य मेरे सहायता में तत्पर तो थे किंतु प्रत्येक प्राशासनिक महत्व की बात में वे बड़ी सूक्ष्मता से मेरे द्वारा सावधानी बरत जाने को निश्चित करते थे। उन्होंने कभी मेरे पाँव ज़मीन से हटने नहीं दिए; उन्होंने सुनिश्चित किया कि मैं दूसरों के साथ मिल कर और दूसरों के विचारों का ध्यान रखते हुए ही प्रत्येक निर्णय लूँ और प्रत्येक कार्य करूँ जिससे अन्ततः सारे चर्च की मण्डली की बढ़ोतरी हो और किसी को मनमुटाव का अवसर ना रहे।

   हम अकसर सोचते हैं कि परमेश्वर ने हमें अपने आस-पास के स्थान पर वहां बदलाव लाने के लिए रखा है, परन्तु वास्तविकता यह होती है कि परमेश्वर हमें छाँट-तराश के हमें बदलना और निखारना चाहता है। जो कोई परमेश्वर की इस योजना के आधीन होकर अपने आप को उसके हाथों में छोड़ देता है, वह "...वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा" (२ तिमुथियुस २:२१)। अपनी इस योजना के अन्तर्गत परमेश्वर कुछ बड़े ही अनपेक्षित व्यक्तियों, अनपेक्षित स्थानों और अनपेक्षित अनुभवों को हमें जीवन के कुछ कठिन पाठ सिखाने के लिए उपयोग करता है। और फिर, जब हमें प्रतीत होता है कि हम सीख चुके हैं, तो जीवन का एक और नया पाठ हमारे सामने आ जाता है।

   अभी कुछ समय पहले ही मैंने अपनी सेवकाई में एक नया कार्य आरंभ किया है। अब इतने वर्षों के कार्य के बाद तो मुझे एक बुज़ुर्ग और अनुभवी कार्यकर्ता होना चाहिए था, किंतु मैं पाता हूँ कि मैं अभी भी सीख ही रहा हूँ, परमेश्वर अभी भी मुझ में बदलाव ला रहा है, मैं अभी भी बेहतर किया जा रहा हूँ। मैं अचंभित हूँ कि परमेश्वर अपने श्रेष्ठ उद्देश्यों के लिए मुझे अभी भी निखार रहा है, मेरे लिए कुछ और नई योजनाएं बना रहा है, मुझे कुछ नए तरीकों से कार्य करना सिखा रहा है।

   यदि आप भी बदलाव के पात्र बनना चाहते हैं तो बदलाव के सच्चे कर्ता के हाथों में अपने आप को छोड़ दें, उसका प्रतिरोध ना करें। हर बदलाव में परमेश्वर का उद्देश्य केवल आपकी भलाई और आप में होकर उसकी महिमा का होना ही है। - जो स्टोवैल


जब हम स्वयं बदले जाएंगे, हम बदलाव के पात्र तब ही बन सकेंगे।
 
यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। - २ तिमुथियुस २:२१
 
बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१९-२६
2Ti 2:19  तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है, और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।
2Ti 2:20 बड़े घर में न केवल सोने-चान्‍दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये।
2Ti 2:21 यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।
2Ti 2:22  जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
2Ti 2:23 पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्‍योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं।
2Ti 2:24 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
2Ti 2:25 और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्‍या जाने परमेश्वर उन्‍हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
2Ti 2:26 और इस के द्वारा उस की इच्‍छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल २७-२९ 
  • लूका १३:१-२२

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

अदृश्य सेवक

   मैं अपने हाथों के नाखून साफ करने और संवारने में लगी हुई थी, मेरा ध्यान अपने दोनो हाथों के कार्यों के प्रति गया, और मुझे अपने दाहिने हाथ पर दया आई। मेरा दाहिना हाथ ही सबसे अधिक कार्य करता है, किंतु मेरे बाएं हाथ को अधिक प्रशंसा मिलती है! मेरा दाहिना हाथ, बाएं हाथ के नाखूनों पर कुशलता और सुन्दरता से पॉलिश लगाता है, उनकी सफाई करता है और उन्हें सुन्दर बना के रखता है; मेरे बाएं हाथ में यह निपुणता नहीं है, इसलिए दाहिने हाथ के लिए प्रत्युत्तर में वह वैसे कार्य ही नहीं कर पाता। बाएं हाथ से दाहिने हाथ पर लगी पॉलिश बिखरी हुई और असमान होती है, इसलिए कम निपुण बाएं हाथ की अपेक्षा, निपुण और कार्यकुशल दाहिना हाथ देखने में भद्दा, और बांया हाथ सुन्दर प्रतीत होता है। काम कोई करता है, प्रशंसा का पात्र कोई और बन जाता है।

   इन बातों के बारे में सोचते सोचते, मेरा ध्यान इसी से संबंधित एक और बात की ओर गया - मेरे चर्च के लोगों की ओर। जहां मैं आराधना के लिए जाती हूँ उस चर्च में बहुत से लोग हैं जो अपने कौशल और मेहनत के द्वारा दूसरों के लिए जीवन आसान कर देते हैं। किंतु ये मेहनती लोग शायद ही कभी किसी की नज़रों में आते हों, क्योंकि वे ऐसे काम करते हैं कि लोगों का ध्यान उनकी बजाए किसी अन्य की ओर जाता है। यह अनुचित लगता है कि इतनी मेहनत कोई करे और फिर उसे, प्रशंसा तो दूर, कोई पहिचान भी ना मिले।

   किंतु वे मसीही विश्वासी जो वास्तव में सेवा-भाव से कार्य करते हैं, इस नज़रिए से इन बातों को नहीं देखते। वे सदा दूसरों को महत्व देते हैं (रोमियों १२:१०), क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर वह देखता है जो मनुष्य नहीं देखता - और सही समय पर उन्हें परमेश्वर से अपना प्रतिफल भी भरपूरी से मिलेगा (मत्ती ६:४, ६, १८; १ कुरिन्थियों १२:२४)।

   क्या आज आप इस बात को लेकर दुखी हैं कि आपकी कड़ी मेहनत का श्रेय और प्रशंसा कोई और ले रहा है? निराश मत हों, धैर्य रखें। परमेश्वर हर बात का हिसाब रखता है, और न्याय तथा धार्मिकता के साथ हर बात का हिसाब चुकाएगा भी। मसीह का कोई भी अदृश्य सेवक अपने प्रतिफल से कभी भी वंचित न रहेगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मसीह के लिए किए गए किसी भी कार्य की उपेक्षा नहीं होती।

तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है? - भजन ५६:८
बाइबल पाठ: रोमियों १२:१-११
Rom 12:1  इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।
Rom 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो, परन्‍तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्‍छा अनुभव से मालूम करते रहो।
Rom 12:3 क्‍योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़ कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
Rom 12:4 क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
Rom 12:5  वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Rom 12:6  और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
Rom 12:7  यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे।
Rom 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे, दान देने वाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्‍साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।
Rom 12:9 प्रेम निष्‍कपट हो, बुराई से घृणा करो, भलाई मे लगे रहो।
Rom 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Rom 12:11 प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो, प्रभु की सेवा करते रहो।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल २५-२६ 
  • लूका १२:३२-५९

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

सदैव जागरूक

   सभी स्तनधारी जीवों में, जिराफ सबसे कम सोता है। जिराफ के सोने का समय, २४ घंटों में से १०मिनिट से २ घंटे के बीच, और औसतन १.९ घंटे प्रतिदिन का ही होता है। लगभग लगातार ही जागते रहने वाले इस जीव की हम मनुष्यों के साथ इस मामले में कोई समानता नहीं है। यदि किसी मनुष्य में इतना कम सोने की प्रवृति हो तो उसे अनिद्रारोग (Insomnia) माना जाता है और चिकित्सा लेने की आवश्यक्ता पड़ती है। किंतु जिराफ के लिए यह "कम" सोना कोई रोग नहीं है, परमेश्वर ने उसे ऐसा ही बनाया है, यह उसके लिए सामन्य है।

   यदि आप सोचते हैं कि २४ में से केवल १.९ घंटे की नींद कोई खास नींद नहीं है, तो अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर के बारे में सोचिए जो कभी नहीं सोता, सदा अपनी सृष्टि के लिए जागरूक रहता है।

   हमारे प्रति परमेश्वर के लगातार बने रहने वाले ध्यान के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार कहता है, "वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा" (भजन १२१:३)। इस भजन में भजनकार स्पष्ट करता है कि परमेश्वर का यह सदैव जागरूक रहना हमारी भलाई के लिए है। इसी भजन के ५वें पद में भजनकार परमेश्वर को हमारा रक्षक बताता है। परमेश्वर हमें संभाले रहता है, हमारी चिंता करता है, हमारी रक्षा करता है। हमारा सदैव जागरूक परमेश्वर सदैव हमारी भलाई ही में लगा रहता है। एक स्तुति गीत में जैसे गीतकार ने लिखा: "वह ना कभी सोता है, ना कभी ऊँघता है; वह रात-दिन मेरी रखवाली करता है"।

   क्या आज आप परेशानियों का सामना कर रहे हैं? उसकी ओर मुड़िए जो आपके लिए सदैव जागरूक रहता है। अपना जीवन और अपने जीवन का हर पल उस परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दीजिए क्योंकि, "यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा" (भजन १२१:८)। - बिल क्राउडर


वह जो सृष्टि को थामे और संभाले हुए है, आपको भी कभी अस्थिर होने या गिरने नहीं देगा।

वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। - भजन १२१:३
 
बाइबल पाठ: भजन १२१
Psa 121:1  मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?
Psa 121:2  मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता है।
Psa 121:3  वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।
Psa 121:4  सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psa 121:5  यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दहिनी ओर तेरी आड़ है।
Psa 121:6  न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psa 121:7  यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
Psa 121:8  यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल २२-२४ 
  • लूका १२:१-३१

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

सच्ची गलती

   मैं परेशानी में था। मैं घर के लिए खरीददारी करने एक दुकान में आया हुआ था, मेरे हाथ में मेरी पत्नी के द्वारा खरीदने की वस्तुओं की सूची थी, और मैं दुकान की अल्मारियों और शेल्फ से सुची के अनुसार चीज़ें लेकर अपने साथ रखता जा रहा था। अब एक चीज़ पर आकर मैं अटक गया था। सूची में लिखा था "सोया", और मेरे सामने दुकान में "सोया" के अनेक प्रकार और "सोया" से बनी कई वस्तुएं पड़ीं थीं, और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरी पत्नी का तात्पर्य किस "सोया" से था। मैंने वहां कार्य करने वाले एक कर्मचारी से भी सहायता के लिए पूछा, फिर अपनी समझ के अनुसार "सोया सौस" उठाया और आगे चल दिया। घर पहुंच कर ही मुझे मालूम पड़ा कि मेरी पत्नी को "सोया सौस" की नहीं, वरन हमारी पोती के लिए "सोया दूध" की आवश्यकता थी। लेकिन अब तो बहुत देर हो चुकी थी।

   मैं अपने प्रयास में सच्चा था, मैंने असमंजस के समय सहायता भी ली, और मैंने जो निर्णय लिया वह मेरी समझ में सही भी था, लेकिन फिर भी मैं गलत था। किंतु अब मेरी इस गलती के एहसास से ना मुझे कोई लाभ था और ना ही मेरी पोती के लिए मेरा यह एहसास किसी रीति से उपयोगी था। यदि मैंने अपने असमंजस के समय दुकान के कर्मचारी की बजाए अपनी पत्नि से सहायता ली होती और अपनी समझ का सहारा लेने की बजाए, जिसके लिए मैं दुकान में था उससे पूछा होता, तो बात कुछ और होती और यह गलती होने से पहले ही सुधर जाती।

   ऐसी ही "सच्ची गलतीयाँ" आज संसार में अनेकों लोग कर रहे हैं। वे इस पृथ्वी की अपनी यात्रा में स्वर्ग का मार्ग ढूंढ़ रहे हैं, किंतु जो उन्हें स्वर्ग पहुँचा सके उसे पहिचान और मान नहीं रहे हैं। उनकी लालसा सच्ची है, उनके प्रयास खरे हैं, वे सच्चे मन से अपनी नज़रों में सही लगने वालों से सहायता भी ले रहे हैं, लेकिन फिर भी वे गलत हैं। उस दुकान में मेरे ही समान करी गई गलती को वे भी दोहरा रहे हैं, सच्चे परमेश्वर को पुकारने की बजाए, वे भी अपनी समझ का ही सहारा ले रहें; धर्म और धर्म के कामों, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा और भले कार्यों, रीति-रिवाज़ों के पालन इत्यादि के द्वारा वे वहाँ पहुंचना चाहते हैं जहाँ का इन बातों से कोई सरोकार ही नहीं है। उनकी इस गलती का परिणाम भी उनके लिए, मेरी गलती के परिणाम के समान ही होगा - जब हकीकत का एहसास होगा और सच्चाई सामने आएगी, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी; गलती का एहसास किसी लाभ का नहीं होगा और गलती पलटी नहीं जा सकेगी।

   प्रभु यीशु ने कहा, "मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता" (यूहन्ना १४:६)। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के और इस बात के सम्दर्भ में लिखा है कि, "और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें" (प्रेरितों ४:१२)।

   किसी अन्य या अन्य बात पर विश्वास करने की "सच्ची गलती" ना करें; केवल प्रभु यीशु ही है जिसने आप के पापों का दण्ड अपने ऊपर ले लिया और उनके प्रायश्चित के लिए अपनी जान दे दी। केवल वही है जो कहता है "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्रम दूंगा" (मत्ती ११:२८)। केवल वही है जिसके लिए लिखा है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह नाश ना होगा वरन अनन्त जीवन पाएगा (यूहन्ना ३:१६)।

    प्रभु यीशु को अपना के आज ही अपना भविष्य सुनिश्चित कर लें। - डेव ब्रैनन


स्वर्ग का एकमात्र मार्ग प्रभु यीशु ही है।
और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों ४:१२
बाइबल पाठ: यूहन्ना १४:१-६
Joh 14:1  तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
Joh 14:2  मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।
Joh 14:3  और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपके यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।
Joh 14:4  और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।
Joh 14:5  थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू हां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?
Joh 14:6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १९-२१ 
  • लूका ११:२९-५४

बुधवार, 11 अप्रैल 2012

स्मारक

   भारत में स्थित ताजमहल एक भव्य मकबरा है, सफेद संगमरमर से बना यह स्मारक बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी की याद में बनवाया था। इसके बनने में २२ वर्ष लगे और आज भी हर साल लाखों सैलानी एक शहनशाह द्वारा अपने पत्नी के प्रति अपने प्रेम की यादगार, इस सुन्दर कब्र को देखने देश विदेश से आते हैं।

   यरुशलेम में भी एक और कब्र है, एक खाली कब्र, जिसे देखने के लिए भी हर साल लाखों सैलानी जाते हैं, जो मानव जाति के प्रति परमेश्वर के प्रेम को स्मरण दिलाती है। यह कब्र प्रभु यीशु की कब्र मानी जाती है। प्रभु यीशु चाहे जिस भी कब्र में रहे हों, वे केवल थोड़े से समय के लिए ही उस में रहे थे। उनके मृतकों में से पुरुत्थान के बाद, पिछले २००० वर्षों से, उनकी कब्र खाली पड़ी है।

   प्रभु यीशु ने किसी पार्थिव या नाशमान वस्तु से अपने लिए बने किसी स्मारक की इच्छा कभी नहीं रखी। वरन, उन्होंने स्वयं ही अपना स्मारक अपने अनुयायियों को बना के दे दिया और उन्हें निर्देश दिए कि उनके पुनः आगमन तक उस यादगार को मनाते रहें। यह स्मारक है उनके द्वारा स्थापित किया गया प्रभु भोज। जिस रात उन्हें पकड़वाया गया, उन्होंने रोटी ली और परमेश्वर को धन्यवाद कर के उसे तोड़ा और अपने चेलों को दे दिया और फिर प्याला भी लिया और परमेश्वर का धन्यवाद करके उसे भी चेलों को दे दिया (लूका २२:१४-२१), और कहा कि उनके दोबारा आने तक यही करते रहें।

   चर्च में प्रभु यीशु के विश्वासी अनुयायी जब कभी प्रभु भोज में सम्मिलित हों, उनके लिए प्रभु के निर्देश हैं कि वे पहले अपने आप को जाँच लें (१ कुरिन्थियों ११:२८), और बीते दिनों के अपने पाप, गलतियां प्रभु यीशु के सामने मानते और उनसे पश्चाताप करते हुए ही इसमें सम्मिलित हों। प्रभु यीशु के विश्वासी जब इस प्रभु भोज में सम्मिलित होते हैं तो वे उस पवित्र प्रभु की देह और लहु के स्मारकों में सम्मिलित होते हैं, उन स्मारकों को अपनी देह और लहु के साथ सम्मिलित करते हैं, इसलिए यह जांचने और पश्चाताप करने की बात अति अनिवार्य और महत्वपूर्ण है।

   प्रभु यीशु का स्मारक कोई रीति-रिवाज़ नहीं है जिसमें सैलानियों के समान किसी को भी, किसी भी और मनमानी रीति से सम्भागी होने की छूट हो। यह बहुत गंभीरता और श्रद्धा के साथ संभागी होने वाला स्मारक है, जिसमें सम्मिलित होने की जवाबदेही भी है; ऐसी जवाबदेही जो परमेश्वर स्वयं लेता है।

   प्रभु यीशु ने जो हमारे लिए किया, उसका एक स्थायी स्मारक भी हमें दे दिया। उसके इस महान प्रेम और बलिदान के महत्व और गंभीरता को सदा स्मरण रखें। - सी. पी. हीया


प्रभु भोज - प्रभु द्वारा अपने चेलों के लिए छोड़ा गया प्रेम और बलिदान का स्मारक।
 
क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। - १ कुरिन्थियों ११:२६
 
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ११:२३-३२
1Co 11:23  क्‍योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी, कि प्रभु यीशु ने जिस रात पकड़वाया गया रोटी ली।
1Co 11:24  और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा, कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:25  इसी रीति से उस ने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा, यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1Co 11:26 क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
1Co 11:27  इसलि्ये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा।
1Co 11:28  इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए।
1Co 11:29 क्‍योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है।
1Co 11:30  इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए।
1Co 11:31 यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते।
1Co 11:32 परन्‍तु प्रभु हमें दण्‍ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलि्ये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १७-१८ 
  • लूका ११:१-२८

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

सही रवैया

   परमेश्वर के वचन बाइबल के खंड, पुराने नियम, की सबसे छोटी पुस्तक है ओबद्याह। इस छोटी सी पुस्तक के पदों में एक बड़े प्रश्न का उत्तर है; एक ऐसा प्रश्न जो सभी के लिए महत्वपूर्ण है - जब हमारा कोई शत्रु किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना का शिकार हो तो हमारी प्रतिक्रीया कैसी होनी चाहिए?

   ओबद्याह भविष्यद्वक्ता की सेवकाई उस समय पर थी जब यरूशलेम पर बाबुल की सेना का घोर आक्रमण हुआ था। यरूशलेम की दशा को देखकर उनके पड़ौसी एदोमियों ने आतातई आक्रमणकारियों को प्रोत्साहित किया और चाहा कि वे यरूशलेम को बरबाद कर दें, सब को मार डालें (भजन १३७:७-९)। और भी दुख देने वाली बात यह थी कि एदोमी इस्त्राएलियों के रिश्तेदार थे। दोनो जातियों के मूल पिता इसहाक की दो सन्तानें थीं, इसाऊ और याकूब। इसाऊ के वंशज एदोमी थे और याकूब के वंशज इस्त्राएली।

   ओबद्याह के द्वारा परमेश्वर ने एदोमियों की, उनके इस रवैये के लिए, भर्त्सना करी। परमेश्वर ने कहलवाया: "परन्तु तुझे उचित न था कि तू अपने भाई के दिन में, अर्थात उसकी विपत्ति के दिन में उसकी ओर देखता रहता, और यहूदियों के नाश होने के दिन उनके ऊपर आनन्द करता, और उनके संकट के दिन बड़ा बोल बोलता" (ओबद्याह १:१२)।

   यदि कोई बार बार हमारी हानि के प्रयास करता रहा है तो उसके किसी दुखदायी स्थिति में पड़ने पर, उससे बदला चुकाए जाने की भावना जैसी संतुष्टि होना स्वाभाविक प्रतिक्रीया समझी जाती है। किंतु परमेश्वर का वचन हमें ऐसी भावना के विरुद्ध सचेत करता है: "जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो" (नीतिवचन २४:१७)। इसके विपरीत हमें सहानुभूति और क्षमा का रवैया रखना चाहिए, और न्याय तथा दण्ड को परमेश्वर के हाथों में छोड़ देना चाहिए। - डेनिस फिशर


अपने सबसे बुरे दुश्मन के प्रति दिखाया गया हमारा प्रेम, परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम का सही नाप है।
जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। - नीतिवचन २४:१७
 
बाइबल पाठ: रोमियों १२:१२-२१
Rom 12:12  आशा मे आनन्‍दित रहो, क्‍लेष मे स्थिर रहो, प्रार्थना मे नित्य लगे रहो।
Rom 12:13   पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने मे लगे रहो।
Rom 12:14   अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Rom 12:15  आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो, और रोने वालों के साथ रोओ।
Rom 12:16  आपस में एक सा मन रखो, अभिमानी न हो, परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो।
Rom 12:17  बुराई के बदले किसी से बुराई न करो, जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो।
Rom 12:18  जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Rom 12:19  हे प्रियो अपना पलटा न लेना, परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Rom 12:20  परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला, यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला, क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Rom 12:21  बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १५-१६ 
  • लूका १०:२५-४२

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

सामर्थी भुजाएं

   क्या आपने कभी स्वपन में देखा है कि आप किसी ऊँचाई से या पलंग से गिर रहे हैं, और इससे घबरा कर आप उठ बैठे हों, किंतु अपने आप को सुरक्षित अपने बिसतर पर ही पाया। लड़कपन में मेरे साथ ऐसा बहुत बार हुआ है और फिर मैं भयभीत बैठा रहता था।

   मैंने एक व्यक्ति के बारे में सुना है जिसे सोने के कुछ समय पश्चात ही ऐसा अनुभव होता था। उसे लगता था कि वह मरने पर है और एक अंतहीन के गढ़हे में गिरता ही जा रहा है। वह इस गिरने के एहसास से इतना भयभीत हो जाता था कि फिर उसके लिए सो पाना कठिन हो जाता था।

   एक संध्या जब वह व्यक्ति घूमने निकला, उसका मार्ग एक कब्रिस्तान से होकर निकला। वहां उसने एक कब्र के पत्थर पर खुदा हुआ पढ़ा, "संभालने को सनातन भुजाएं हैं"। यह पढ़ने के बाद उसे अत्यंत शांति मिली क्योंकि उसे चेत आया कि मसीही विश्वासी होने के नाते उसे डरने की कोई आवश्यक्ता नहीं है; मृत्यु के बाद प्रभु अपने लोगों को अपनी भुजाओं में लेकर उन्हें उनके स्वर्गीय घर में ले जाता है। उसे भजनकार का आश्वासन स्मरण हो आया, "चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूं, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है" (भजन २३:४)।

   अनजाने भविष्य और मृत्यु के भय से ग्रसित उस व्यक्ति ने तसल्ली पाई, भय से छुटकारा पाया क्योंकि अब वह आश्वस्त था कि चाहे सोते या जागते, जीवन में या जीवनोपरांत, वह अपने प्रभु की सनातन सामर्थी भुजाओं में सर्वदा सुरक्षित है। उस प्रेमी प्रभु परमेश्वर की भुजाओं से उसे कोई छीन नहीं सकता, गिरा नहीं सकता और उनके होते हुए कोई उसका कुछ भी नुकसान नहीं कर सकता। उस रात उसने अपने बचपन में सीखा हुआ एक गीत गाया: "मुझे ऐसे जीवन जीना सिखा कि मैं कब्र के प्रति अपनी आशंकाओं को, प्रतिदिन अपने बिस्तर में जाने की आशंकाओं से भी कमतर समझूँ।" अनन्तः वह बिना किसी भय के सो सका।

   प्रभु यीशु की सामर्थी भुजाएं आपके लिए भी खुली हैं, अपने हर भय को उसे सौंप दीजिए और उसकी सनातन भुजाओं की सुरक्षा को अपना लीजिए। - एम.आर. डी हॉन


अन्धेरा हो या उजियाला, आप परमेश्वर पर सदा भरोसा रख सकते हैं।
 
अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं। - व्यवस्थाविवरण ३३:२७
 
बाइबल पाठ: भजन ४६
Psa 46:1  परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psa 46:2  इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psa 46:3  चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठे।
Psa 46:4  एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात् परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psa 46:5  परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psa 46:6  जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psa 46:7  सेनाओं का यहोवा हमारे संगे है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psa 46:8  आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उस ने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psa 46:9  वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है, वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psa 46:10  चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं!
Psa 46:11  सेनाओं का यहोवा हमारे संग है, याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १३-१४ 
  • लूका १०:१-२४

रविवार, 8 अप्रैल 2012

अनेक गवाह

   एक ईस्टर इतवार की प्रातः ७:३० बजे, न्यूयॉर्क शहर के उस होटल में बैठा हुआ मैं एकमात्र ग्राहक था। होटल का द्वार खुला, एक व्यक्ति अन्दर आया, मुझे बैठा हुआ देखकर मेरी मेज़ के निकट आया, मुझे संबोधित करते हुए उसने कहा, "नमस्कार, प्रभु आपको आशीष दे", फिर मेरे सामने एक सुसमाचार लेख का पर्चा रखा और चला गया। मैं मुस्कुराया, उसकी इस गवाही की मन ही मन प्रशंसा करी और एहसास किया कि परमेश्वर के गवाह सब स्थानों पर उपस्थित हैं। उस रात्रि को मैं और मेरी बेटी डेबी चर्च में ३०० उत्साहपूर्ण लोगों के साथ आराधना में सम्मिलित हुए जिनमें अधिकांश जवान थे। प्रभु यीशु के प्रति उनके प्रेम और उस प्रेम के कारण अन्य लोगों से भी उनके प्रेम और सहभागिता को देखना, उस आत्मिक अन्धकार से भरे हुए शहर में मानो अन्धेरे में प्रकाश देखने के समान था।

   प्रथम ईस्वीं में प्रेरित पौलुस यूनान के कुरिन्थुस शहर आया, जो अपनी अनैतिकता, भ्रष्टाचार और वहां के समाज में व्याप्त व्यभिचार के लिए जाना जाता था। जब वहां पौलुस ने प्रभु यीशु के सुसमाचार का प्रचार करने का प्रयास किया तो उसका बहुत विरोध हुआ। किंतु प्रभु ने उसे दर्शन देकर उससे प्रचार करते रहने को कहा, और प्रभु की सामर्थ से पौलुस उस पाप और आत्मिक अन्धकार से भरे शहर में डेढ़ वर्ष तक प्रचार करता रहा: "और प्रभु ने रात को दर्शन के द्वारा पौलुस से कहा, मत डर, वरन कहे जा, और चुप मत रह। क्‍योंकि मैं तेरे साथ हूं: और कोई तुझ पर चढ़ाई करके तेरी हानि न करेगा; क्‍योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं। सो वह उन में परमेश्वर का वचन सिखाते हुए डेढ़ वर्ष तक रहा" (प्रेरितों १८:९-११)।

   हम चाहे कहीं भी जाएं, परमेश्वर के लोग सब जगह विद्यमान हैं, और उनमें होकर प्रभु यीशु की सामर्थी उपस्थिति भी विद्यमान है। आप जहां हैं, प्रभु यीशु के गवाह वहां भी उपस्थित हैं, उनका पता कीजिए और उनके साथ संगति कीजिए। आप को जहां प्रभु यीशु ने रखा है वहीं प्रभु यीशु के गवाह भी बनिए और सुसमाचार का प्रचार कीजिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


आप जहां हैं, वहीं प्रभु यीशु के अनेक गवाह भी हैं।
क्‍योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं। - प्रेरितों १८:१०
 
बाइबल पाठ: प्रेरितों १८:१-११
Act 18:1  इस के बाद पौलुस अथेने को छोड़कर कुरिन्थुस में आया।
Act 18:2  और वहां अक्‍विला नाम एक यहूदी मिला, जिस का जन्म पुन्‍तुस का था और अपनी पत्‍नी प्रिस्‍किल्ला समेत इतालिया से नया आया था, क्‍योंकि क्‍लौदियुस ने सब यहूदियों को रोम से निकल जाने की आज्ञा दी थी, सो वह उन के यहां गया।
Act 18:3  और उसका और उन का एक ही उद्यम था इसलिथे वह उन के साथ रहा, और वे काम करने लगे, और उन का उद्यम तम्बू बनाने का था।
Act 18:4 और वह हर एक सब्‍त के दिन आराधनालय में वाद-विवाद करके यहूदियों और यूनानियों को भी समझाता था।
Act 18:5  जब सीलास और तीमुथियुस मकिदुनिया से आए, तो पौलुस वचन सुनाने की धुन में लगकर यहूदियों को गवाही देता था कि यीशु ही मसीह है।
Act 18:6 परन्‍तु जब वे विरोध और निन्‍दा करने लगे, तो उस ने अपने कपड़े झाड़कर उन से कहा, तुम्हारा लोहू तुम्हारी गर्दन पर रहे: मैं निर्दोष हूं: अब से मैं अन्यजातियों के पास जाऊंगा।
Act 18:7 और वहां से चलकर वह तितुस युस्‍तुस नाम परमेश्वर के एक भक्त के घर में आया, जिस का घर आराधनालय से लगा हुआ था।
Act 18:8 तब आराधनालय के सरदार क्रिस्‍पुस ने अपने सारे घराने समेत प्रभु पर विश्वास किया, और बहुत से कुरिन्थी सुनकर विश्वास लाए और बपतिस्मा लिया।
Act 18:9  और प्रभु ने रात को दर्शन के द्वारा पौलुस से कहा, मत डर, वरन कहे जा, और चुप मत रह।
Act 18:10 क्‍योंकि मैं तेरे साथ हूं: और कोई तुझ पर चढ़ाई कर के तेरी हानि न करेगा; क्‍योंकि इस नगर में मेरे बहुत से लोग हैं।
Act 18:11  सो वह उन में परमेश्वर का वचन सिखाते हुए डेढ़ वर्ष तक रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल १०-१२ 
  • लूका ९:३७-६२

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

"सामान्य"

   जब मेरे डॉक्टर ने कहा कि मुझे कैंसर है, तो उसके आगे मैं उसकी कोई बात सुन ही नहीं पाई; मैंने सुनने का प्रयास तो किया किंतु कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैं वापस घर आई, कंबल ओढ़ कर बिस्तर पर पड़ गई और सो गई, मानो मेरे आँखें मूँद लेने से मेरी बिमारी बदल जाएगी या ठीक हो जाएगी।

   फिर जब मैं अपनी बीमारी के बारे में अपने रिश्तेदारों और प्रीय जनों को बता पाने का साहस जुटाने पाई, तो मेरी सहेली जूडी ने जो कहा वह मेरे लिए अविस्मरणीय है। जूडी ने मेरी बिमारी के बारे में जानने के बाद पहले अपनी संवेदनाएं जताईं, फिर बोली; "अब ऐसा होगा, तीन दिनों तक तो तुम्हें बहुत बुरा लगेगा। फिर तुम इस बात पर ध्यान देना आरंभ करोगी कि अब इससे आगे मुझे क्या करना है। उसके बाद जीवन का तुम्हारा एक नया "सामान्य" बन जाएगा और तुम अपनी दिनचर्या निभाना आरंभ कर दोगी।" कुछ ठहर कर वह बोली, "यह कुछ ऐसा ही है जैसा मरना, गाड़े जाना और फिर पुनरुत्थान के साथ नया जीवन।"

   उस समय मैंने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। मुझे पूरा विश्वास था कि जीवन, जैसा मैंने जाना है, मेरे लिए अब अन्त हो गया है; अब कभी कुछ पहले जैसा नहीं रहेगा। मैं दोबारा "सामान्य" अनुभव करने के बारे में सोच भी नहीं पा रही थी। लेकिन मेरी सहेली की बात सही थी। तीन दिन पश्चात जब मैं सो कर उठी तो मुझे अनुभव हुआ कि मेरी दशा इतनी बुरी भी नहीं है। फिर धीरे धीरे, कैंसर की दवाओं के कारण होने वाले क्लेष के बावजूद, मेरी शारीरिक और मानसिक दशा काफी सुधर गई; जैसे मैं अपने पुराने असतित्व के लिए मर कर अब नए असतित्व में, एक नए "सामान्य" के साथ पुनर्जीवित हो गई और मैं अपने नए "सामान्य" के साथ अपनी दिनचर्या जीने लगी।

   प्रभु यीशु मसीह में विश्वास द्वारा "नए जन्म" में भी कुछ ऐसा ही होता है। पापों से पश्चाताप करके प्रभु यीशु में विश्वास लाने और उसे अपना निज उद्धारकर्ता ग्रहण करने वाला मनुष्य भी अपने पुराने मनुष्यत्व के लिए तो "मर" जाता है और साथ ही प्रभु यीशु में एक नए मनुष्यत्व के साथ नया जन्म प्राप्त करता है, जिसमें उसके लिए अब एक नया "सामान्य" होता है - संसार के माप-दंडों के अनुसार नहीं वरन प्रभु यीशु के माप दंडों के अनुसार।

   हम जो मसीह यीशु में पाप और संसार के लिए "मर" गए, वे उस "मरने" के द्वारा एक असतित्व से निकलकर एक दूसरे ही असतित्व में "नया जन्म" भी पा लेते हैं; एक ऐसे असतित्व में जो महिमामयी है, जिसका "सामान्य" अलौकिक है, जिससे हम अब उस नए जीवन की चाल चलें (रोमियों ६:४)। - जूली ऐकरमैन लिंक


मसीह "में" होने का अर्थ है उसके जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान में उसके साथ संभागी होना।
 
सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। - रोमियों ६:४
 
बाइबल पाठ: रोमियों ६:१-१३
Rom 6:1  सो हम क्‍या कहें क्‍या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो?
Rom 6:2  कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्‍योंकर जीवन बिताएं?
Rom 6:3  क्‍या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया?
Rom 6:4   सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।
Rom 6:5  क्‍योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
Rom 6:6  क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें।
Rom 6:7  क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
Rom 6:8   सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।
Rom 6:9  क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
Rom 6:10  क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया, परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12  इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13  और न अपने अंगों को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगों को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल ७-९ 
  • लूका ९:१८-३६

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

बलिदान

   इटली के एक चित्रकार ने १६०२ में एक चित्र बनाया, जिसका शीर्षक है "The Taking of Christ" (प्रभु यीशु का पकड़वाया जाना)। गहरे रंगों में बना यह चित्र वशीभूत कर देने वाला है। इसमें गतसमनी के बाग़ में प्रभु यीशु के पकड़वाए जाने की घटना का चित्रण है। चित्र में दो बातें दर्शक का ध्यान अपनी ओर खेंचती हैं: पहली है प्रभु यीशु का पकड़वाने वाला यहूदा, जिसे पहचान कि निशानी के रुप में प्रभु यीशु को प्रेम का चुंबन देते दिखाया गया है, और दूसरी है दोनो हाथ बांधे शान्त स्वभाव के साथ खड़ा हुआ प्रभु यीशु, जो अपने साथ हो रहे अन्याय के लिए कोई प्रतिरोध नहीं कर रहा है। यद्यपि प्रभु यीशु सृष्टि का सृष्टिकर्ता है और सर्वसामर्थी है, किंतु उस गतसमनी के बाग़ में उसने अपने आप को अपने पकड़ने वालों के हाथ में क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सौंप दीया।

   अपने पकड़वाए के बहुत पहले प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कह दिया था कि कोई उसका जीवन उस से नहीं ले सकता, वह स्वयं ही अपने प्राण आप देगा (यूहन्ना १०:१८)। इतना ही नहीं, प्रभु यीशु के जन्म से सैकड़ों वर्ष पूर्व, परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता, यशायाह ने प्रभु यीशु से संबंधित अपनी भविष्यवाणियों में यह बात बता दी थी: "वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला" (यशायाह ५३:७)।

   प्रभु यीशु का यह बलिदान उसके महान प्रेम का सूचक है; उसने कहा था: "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो" (यूहन्ना १५:१३)।

   ज़रा सोचिए, उसने आप से इतना प्रेम किया कि अपने आप को आपके लिए बलिदान कर दिया। आपने उसके इस प्रेम के लिए उसे क्या दिया? - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु के कीलों से छिदे हाथ परमेश्वर के प्रेम से छिदे हृदय को दिखाते हैं।

वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला। - यशायाह ५३:७
बाइबल पाठ: यशायाह ५३:१-१२
Isa 53:1  जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास कया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isa 53:2  क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isa 53:3  वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी, और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isa 53:4  निश्चय उस ने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isa 53:5  परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isa 53:6  हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे, हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isa 53:7  वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला।
Isa 53:8  अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया; मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isa 53:9  और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उस ने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isa 53:10  तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा, उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isa 53:11  वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा, और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isa 53:12  इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा, क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया, तौभी उस ने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल ४-६ 
  • लूका ९:१-१७