जैसे उसके अन्य मित्र कर रहे थे, मेरी बेटी मेलिस्सा भी व्यसक होने और तब की ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी। स्कूल में वो अपने भविष्य की योजना के अनुसार के विषयों के पाठ्यक्रमों के अध्ययन के द्वारा कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी, और एक कॉलेज में प्रवेश परीक्षा देने के लिए उसने अपना नाम भी लिखवा लिया था। स्कूल से बाहर अपने मित्रों, सहपाठियों और अन्य लोगों के साथ समय बिता कर तथा उनसे संवाद तथा विचारविमर्श द्वारा वो सामाजिक दायित्वों को निभाना सीख रही थी। अपने कार्य स्थल में वो विभिन्न स्तर के लोगों के साथ संपर्क तथा व्यवहार के द्वारा अपने भविष्य के कार्य की ज़िम्मेदारियों के लिए अपने आप को तैयार कर रही थी। घर पर मेलिस्सा घर के कार्यों में हाथ बंटाने और पारिवारिक संबंधों को निभाने के द्वारा एक मसीही विश्वासी परिवार के निर्वाह को सीख रही थी।
व्यसक जीवन की तैयारी काफी मेहनत भरी होती है और मेलिस्सा उसमें पूरी तन्मयता के साथ लगी हुई थी तथा भली भांति उन्नति भी कर रही थी। लेकिन अनायास ही हुई उस अनेपक्षित दुर्घटना ने प्रगट कर दिया कि इनमें से कोई भी तैयारी वह तैयारी नहीं थी जिसकी उसे सबसे अधिक आवश्यकता थी। सन 2002 के जून माह की एक मनोरम शाम को 17 वर्षीय मेलिस्सा के जीवन का एक कार दुर्घटना में आक्समिक अन्त हो गया। उस अन्त के लिए उसे केवल एक ही तैयारी की आवश्यकता थी - परमेश्वर के सामने खड़े होकर अपने जीवन का हिसाब देने की; और उस शाम जब अचानक ही वह समय आ पहुँचा, मेलिस्सा अपने अनन्त के लिए तैयार थी, क्योंकि प्रभु यीशु में विश्वास और पापों से पश्चाताप एवं प्रभु यीशु को किए गए जीवन समर्पण के द्वारा (यूहन्ना 3:16; रोमियों 5:8-9) मेलिस्सा पहले से ही अपना अनन्त सुनिश्चित कर चुकी थी।
जब उसकी तैयारियों को परखने की वास्तविक घड़ी अनायास ही आ पहुँची, मेलिस्सा तैयार थी - क्या आप भी उस घड़ी के लिए तैयार हैं? जैसे मेलिस्सा पर, वैसे ही आप पर भी, वह घड़ी कभी भी अनेपक्षित रूप से आ सकती है और तब तैयारी का कोई समय नहीं मिलेगा। संसार की ज़िम्मेदारियों के लिए करी गई सभी तैयारियाँ संसार में ही रह जाएंगी; असली आवश्यकता तो अनन्त काल की तैयारी की है - उस के लिए आप की तैयारी की क्या स्थिति है? - डेव ब्रैनन
यदि आज मृत्यु आपको उठा ले जाए तो क्या आप परमेश्वर के सामने जीवन का लेखा देने के लिए खड़े होने को तैयार हैं?
जैसा कहा जाता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मनों को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय किया था। - इब्रानियों 3:15
बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-11
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज।
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है।
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
एक साल में बाइबल:
- 1 राजा 5-7