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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

द्वार


   ट्रेन चलने को थी; ट्रेन के बन्द होते द्वारों की सूचक ध्वनि बजनी आरंभ हो गई थी। लेकिन फिर भी विलंब से आने वाले कुछ लोग भागकर ट्रेन में चढ़ने का प्रयास करने लगे; उनमें से एक के ऊपर द्वार बन्द भी हुआ, परन्तु उससे टकराकर द्वार फिर से खुल गया, और वह यात्री सुरक्षित ट्रेन के अन्दर आ गया। मैं सोचने लगा कि लोग इतना जोखिम क्यों उठाते हैं जब कि इस से अगली ट्रेन मात्र 4 मिनट में आने वाली थी।

   लेकिन एक द्वार है जो कभी भी, बिना किसी चेतावनी के, सदा के लिए बन्द हो जाएगा और किसी के लिए किसी भी परिस्थिति में फिर कभी नहीं खुलेगा - परमेश्वर के अनुग्रह का द्वार। समस्त मानव जाति को उनके पापों की क्षमा प्रदान करने तथा उन्हें सेंत-मेंत उद्धार का मार्ग देने के लिए परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह को संसार में भेजा और उन्होंने यह कार्य पूरा करके आज सबके लिए यह मार्ग तैयार करके दे दिया है। अब इसे स्वीकार करना और इसपर अग्रसर होना यह प्रत्येक व्यक्ति का अपना निर्णय है; लेकिन परमेश्वर के इस अनुग्रह का द्वार आज सब के लिए खुला है, उसका निमंत्रण सबके लिए है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा है, "...देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है" (2 कुरिन्थियों 6:2)।

   प्रभु यीशु मसीह ने यह भी बताया कि उनके दूसरे आगमन और अनुग्रह के द्वार के बन्द होने से पहले क्या चिन्ह होंगे (मत्ती 24); और आज हम अपनी आँखों के सामने उन बातों को पूरा होते देख रहे हैं, जो इस द्वार के बन्द होने का समय पूरा होने के सूचक हैं। इसलिए यह निश्चित है कि अनुग्रह का यह समय कभी भी पूरा हो जाएगा, द्वार बन्द हो जाएगा, और संसार अपने न्याय के लिए खड़ा किया जाएगा। जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह में विश्वास किया और उससे अपने पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पित किया है, उन्हें प्रभु यीशु कहेगा, "तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है" (मत्ती 25:34), परन्तु शेष सभी उसके पास से अनन्त विनाश में चले जाएंगे, "तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे श्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है" (मत्ती 25:41)।

   प्रभु यीशु मसीह के निमंत्रण और कार्य के प्रति हमारा प्रत्युत्तर हमारे अनन्तकाल को निर्धारित करता है। प्रभु यीशु ने कहा: "द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा" (यूहन्ना 10:9); तथा, "यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता" (यूहन्ना 14:6); और उसका यह निमंत्रण आज आपके लिए खुला है। इससे पहले कि द्वार सदा के लिए बन्द हो जाए, परमेश्वर के अनुग्रह का लाभ उठाएं और अपना अनन्तकाल सुनिश्चित कर लें। - पोह फैंग चिया


परमेश्वर के परिवार में सम्मिलित होने के लिए आज के दिन से अच्छा और कोई समय नहीं है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:14-6:2
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। 
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। 
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे। 
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। 
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। 
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो। 
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।
2 Corinthians 6:1 और हम जो उसके सहकर्मी हैं यह भी समझाते हैं, कि परमेश्वर का अनुग्रह जो तुम पर हुआ, व्यर्थ न रहने दो। 
2 Corinthians 6:2 क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 25-26
  • मत्ती 20:17-34


सोमवार, 30 जनवरी 2017

प्रार्थना


   जब मिशिगन बर्फ से ढक जाता है, तब मैं अपने नाती-पोतों तथा प्लास्टिक की स्लेज को लेकर घर के पिछवाड़े में बर्फ के टीले पर चढ़ जाता हूँ और फिर हम स्लेज पर बैठ, बर्फ पर फिसल कर टीले के नीचे आते हैं जिस में लगभग दस सेकेंड का समय लगता है; हम फिर अपनी स्लेज लेकर वापस टीले पर चढ़ जाते हैं और इस प्रकार बारंबार स्लेज के साथ बर्फ पर फिसलने का खेल खेलते रहते हैं।

   जब मैं कुछ किशोरों के साथ अलास्का जाता हूँ, जहाँ सारे वर्ष बर्फ छाई रहती है, तब हम वहाँ भी इसी प्रकार स्लेज पर बैठ बर्फ पर फिसलने का खेल खेलते हैं; फर्क यह है कि अलास्का में हम बर्फ के पहाड़ों पर चढ़कर ऐसा करते थे जिन पर से फिसल कर नीचे तक आने में 10-20 मिनट तक लगते हैं और स्लेज बहुत तेज़ी से नीचे की ओर आती हैं जिनमें हम दिल थामे हुए बैठे रहते हैं।

   चाहे मेरे घर के पिछवाड़े में 10 सेकेंड का फिसलना हो या अलास्का में 10 मिनट का, दोनों को ही स्लेजिंग कहा जाता है, दोनों के लिए एक ही उपकरण - स्लेज काम आती है, दोनों ही बर्फ के होने पर निर्भर करते हैं और दोनों ही हमको रोमांचित तथा आनन्दित करते हैं।

   मैं विचार कर रहा था कि प्रार्थना के बारे में भी कुछ ऐसा ही है। कभी-कभी हम "घर के पिछवाड़े के 10 सेकेंड" वाली प्रार्थनाएँ करते हैं - जैसे कि भोजन से पहले धन्यवाद देने की प्रार्थना, या किसी आकस्मिक परिस्थिति के लिए की गई क्षण भर की प्रार्थना। अन्य समयों पर हम "पहाड़ से नीचे जाने के लंबे समय" की प्रार्थनाएँ करते हैं, जिनमें समय, एकाग्रता, लालसा और भावनाएँ सम्मिलित होती हैं। हमें दोनों ही प्रकार की प्रार्थनाओं की आवश्यकता होती है और हमारे जीवनों में दोनों ही का स्थान है।

   हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु प्रार्थना करने में अकसर समय व्यतीत करते थे; कभी लंबे समयों तक (लूका 6:12; मरकुस 14:32-42)। चाहे क्षणिक हों या लंबी, आवश्यकता तथा समयानुसार परमेश्वर के साथ अपने मन की बात साझा करने में समय बिताएँ; परमेश्वर को दोनों ही प्रकार की प्रार्थनाएँ स्वीकार हैं, उसे आपसे दोनों ही की लालसा रहती है। प्रार्थना में जितना अधिक संपर्क उसके साथ बनाकर रखेंगे, उसके साथ आपके संबंध उतने ही अधिक घनिष्ठ होते जाएँगे। - डेव ब्रैनन


प्रार्थना का मर्म, हृदय से निकली प्रार्थना है।

और उन दिनों में वह पहाड़ पर प्रार्थना करने को निकला, और परमेश्वर से प्रार्थना करने में सारी रात बिताई। - लूका 6:12

बाइबल पाठ: मरकुस 14:32-42
Mark 14:32 फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उसने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं। 
Mark 14:33 और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा। 
Mark 14:34 और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो। 
Mark 14:35 और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए। 
Mark 14:36 और कहा, हे अब्‍बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो। 
Mark 14:37 फिर वह आया, और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका? 
Mark 14:38 जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है। 
Mark 14:39 और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की। 
Mark 14:40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें। 
Mark 14:41 फिर तीसरी बार आकर उन से कहा; अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। 
Mark 14:42 उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 23-24
  • मत्ती 20:1-16


रविवार, 29 जनवरी 2017

स्त्रोत


   बीस वर्षीय लेगॉन स्टीवेन्स एक अनुभवी पर्वतारोही थीं; इतनी कम आयु में भी उन्होंने मैक्किन्ले पर्वत और रेनियर पर्वत के शिखर, इक्वेडोर में स्थित एण्डियन पर्वत श्रंखला की चार चोटियों और कॉलोराडो के 39 सबसे ऊँचे पहाड़ों की सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी। वह कहती थीं, "मैं इसलिए चढ़ती हूँ क्योंकि मुझे पहाड़ अच्छे लगते हैं, और वहाँ मेरी भेंट परमेश्वर से होती है।" जनवरी 2008 में दक्षिण कॉलोराडो की लिटल बीयर चोटी पर अपने भाई के साथ चढ़ते हुए लेगॉन की मृत्यु हिम-स्खलन के कारण हो गई, परन्तु उसका भाई बच गया।

   लेगॉन की मृत्योपरांत उसके माता-पिता को लेगॉन की डायरियाँ मिलीं, जिनमें उसके द्वारा लिखे गए प्रभु यीशु मसीह के साथ उसकी बहुत घनिष्टता के संबंधों को पढ़कर वे बहुत प्रभावित हुए। उसकी माँ ने कहा, "प्रभु यीशु उसके लिए सदा ही एक चमकती हुई ज्योति थे; लेगॉन ने उनके साथ संबंधों की वह गहराई और खराई अनुभव की थी जो मसीही विश्वास के अनुभवी जन भी पाने की लालसा रखते हैं।"

   हिम-स्खलन से हुई मृत्यु के तीन दिन पहले तंबू में बैठे हुए लेगॉन ने डायरी में अपनी अन्तिम बात लिखी, "परमेश्वर भला है, और हमारे जीवनों के लिए उसकी विशेष योजना है, जो उस सब से कहीं अधिक भली और आशीषित है जो हम स्वयं अपने लिए बनाते हैं; और इस बात के लिए मैं उसकी बहुत धन्यवादी हूँ। मैंने अपना सब कुछ, अपना भविष्य उसके हाथों में छोड़ दिया है, और बस उसे हर बात के लिए धन्यवाद कहती हूँ।"

   लेगॉन के यह शब्द, परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार द्वारा कहे गए शब्दों : "मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है" (भजन 121:2) के अनुसार है। लेगॉन के समान हमें भी इस एहसास के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए कि परमेश्वर ही हमारे जीवन, हमारे जीवन की प्रत्येक बात का स्त्रोत है; वही हमारे लिए सब कुछ निर्धारित करता है, और वह हर बात में हमारे लिए भला ही करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


अज्ञात भविष्य के लिए हम अपने सर्वज्ञानी परमेश्वर पर भरोसा रख सकते हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28 

बाइबल पाठ: भजन 121
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? 
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पाँव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। 
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। 
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। 
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 21-22
  • मत्ती 19


शनिवार, 28 जनवरी 2017

इच्छा


   चीनी नव-वर्ष के समय एक-दूसरे से कही जाने वाली शुभ-कामनाओं में से बहुधा प्रयुक्त होने वाली एक शुभ-कामना है, "आपकी इच्छानुसार ही सब कुछ हो।" यह सुनने में चाहे जितनी अनोखी और अच्छी लगे, किंतु जीवन की घटनाओं का सर्वोत्तम परिणाम तब ही आता है जब मेरी नहीं वरन मेरे जीवन में परमेश्वर की इच्छा पूरी होने पाए। उदाहरण स्वरूप परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम के एक पात्र यूसुफ के जीवन को देखें।

   यदि उसकी इच्छानुसार किया जाता तो यूसुफ कभी अपने घर-परिवार से दूर मिस्त्र में गुलामी में जाने के लिए सहमत नहीं होता; परन्तु वह दासत्व में गया (उत्पत्ति 39:1)। परन्तु अपने दासत्व में होने के बावजूद वह "भाग्यवान" हुआ अर्थात सफल हुआ, क्योंकि परमेश्वर उसके साथ था (पद 2); यहाँ तक कि यूसुफ के कारण परमेश्वर ने उसके स्वामी घर पर भी आशीष दी (पद 5)।

   यदि यूसुफ की इच्छानुसार होता, तो वह कभी भी मिस्त्र के बन्दीगृह में डाले जाने को स्वीकार नहीं करता, परन्तु पूरी ईमानदारी और खराई से कार्य करने के बावजूद, उसके स्वामी की पत्नी ने उस पर दुराचार का झूठा आरोप लगाया, जिसके कारण उसे बन्दिगृह में डाला गया, लेकिन हम तब भी उसके विषय में पढ़ते हैं कि परमेश्वर वहाँ भी उसके साथ था (पद 21)। वहाँ भी उसने बन्दीगृह के दारोगा के विश्वास को प्राप्त किया (पद 22) और जो भी वह करता था परमेश्वर उसमें उसे सफलता देता था (पद 23)। बन्दीगृह जाने और वहाँ घटित हुई घटनाओं को देखने से लगता है कि यूसुफ परेशानियों में और भी गहरा धंसता जा रहा था, परन्तु आगे का घटनाक्रम दिखाता है कि वास्तव में जो उसका पतन प्रतीत हो रहा था, वह सब उसके मिस्त्र में राजा के बाद के सर्वोच्च पद तक चढ़ाए जाने के लिए सीढ़ी थी।

   परमेश्वर ने जिस प्रकार से यूसुफ को आशीषित किया और बढ़ाया, शायद ही कोई उस प्रकार से आशीषित होना और बढ़ाया जाना स्वीकार करेगा। परन्तु परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, चाहे कैसी भी विकट और कठिन ही क्यों ना हों, परमेश्वर उन सब के द्वारा अपने बच्चों को आशीष देता है। जैसा बाद में यूसुफ ने अपने उन भाइयों से कहा जिन्होंने द्वेष में होकर उसे मिस्त्र के दासत्व में बेच दिया था, कि परमेश्वर ही उसे एक उद्देश्य के अन्तर्गत मिस्त्र लेकर आया था (उत्पत्ति 50:19-20)।

   हम मसीही विश्वासी इस बात से आश्वस्त रह सकते हैं कि हम आज जहाँ भी हैं, जैसे भी हैं, हमारे वहाँ और वैसा होने के पीछे परमेश्वर का कोई उद्देश्य है। वह जो कर रहा है, हमारे हित के लिए ही कर रहा है। इसलिए बजाए इसके कि हम यही लालसा करते रहें कि सब कुछ हमारी इच्छानुसार ही हो, हमें अपने उद्धारकर्ता और प्रभु यीशु मसीह के समान परमेश्वर से कहते रहना चाहिए: "...तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।" (मत्ती 26:39)। - सी. पी. हिया


परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने का एक उपाय है 
धीरज के साथ उसके निर्देशों की प्रतीक्षा करना।

यूसुफ ने उन से कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूं? यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। - उत्पत्ति 50:19-20

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 39:1-6;  39:19-23
Genesis 39:1 जब यूसुफ मिस्र में पहुंचाया गया, तब पोतीपर नाम एक मिस्री, जो फिरौन का हाकिम, और जल्लादों का प्रधान था, उसने उसको इश्माएलियों के हाथ, से जो उसे वहां ले गए थे, मोल लिया। 
Genesis 39:2 और यूसुफ अपने मिस्री स्वामी के घर में रहता था, और यहोवा उसके संग था; सो वह भाग्यवान पुरूष हो गया। 
Genesis 39:3 और यूसुफ के स्वामी ने देखा, कि यहोवा उसके संग रहता है, और जो काम वह करता है उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता है। 
Genesis 39:4 तब उसकी अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई, और वह उसकी सेवा टहल करने के लिये नियुक्त किया गया: फिर उसने उसको अपने घर का अधिकारी बना के अपना सब कुछ उसके हाथ में सौंप दिया। 
Genesis 39:5 और जब से उसने उसको अपने घर का और अपनी सारी सम्पत्ति का अधिकारी बनाया, तब से यहोवा यूसुफ के कारण उस मिस्री के घर पर आशीष देने लगा; और क्या घर में, क्या मैदान में, उसका जो कुछ था, सब पर यहोवा की आशीष होने लगी। 
Genesis 39:6 सो उसने अपना सब कुछ यूसुफ के हाथ में यहां तक छोड़ दिया: कि अपने खाने की रोटी को छोड़, वह अपनी सम्पत्ति का हाल कुछ न जानता था। और यूसुफ सुन्दर और रूपवान्‌ था। 
Genesis 39:19 अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर, कि तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। 
Genesis 39:20 और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहां राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया: सो वह उस बन्दीगृह में रहने लगा। 
Genesis 39:21 पर यहोवा यूसुफ के संग संग रहा, और उस पर करूणा की, और बन्दीगृह के दरोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई। 
Genesis 39:22 सो बन्दीगृह के दरोगा ने उन सब बन्धुओं को, जो कारागार में थे, यूसुफ के हाथ में सौंप दिया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी की आज्ञा से होता था। 
Genesis 39:23 बन्दीगृह के दरोगा के वश में जो कुछ था; क्योंकि उस में से उसको कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; इसलिये कि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 19-20
  • मत्ती 18:21-35


शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

परमेश्वर का हाथ


   अमेरिका की अंतरिक्ष शोध संस्था नासा ने जब एक नए प्रकार की दूरबीन से प्रकाश के विभिन्न वर्णक्रमों को लेकर अंतरिक्ष की तस्वीरें खींचना आरंभ किया तो शोध कर्ता एक चित्र को देखकर दंग रह गए। उस चित्र में एक हाथ की ऊँगलियों, अँगूठे और खुली हुई हथेली के समान कुछ दिखता है जिसमें नीले, बैंगनी, हरे और सुनहरे रंगों की विलक्षण छटाएं भरी हुई हैं; कुछ लोगों ने इस चित्र को "परमेश्वर का हाथ" नाम दिया है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की बातों का मुख्य बिन्दु परमेश्वर द्वारा हम मनुष्यों की सहायता के लिए अपना हाथ बढ़ाना रहा है। भजन 63 में भजनकार कहता है, "क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूंगा। मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है" (पद 7-8) - भजनकार ने परमेश्वर की सहायता को, सहारे के लिए बढ़ाए गए उसके हाथ के समान अनुभव किया था। कुछ बाइबल ज्ञाताओं का मानना है कि दाऊद ने यह भजन यहूदा के बीहड़ में बिताए अपने जोखिम के समय में लिखा था, जब वह अपने पुत्र अबशालोम के राजद्रोह के समय उससे अपने प्राण बचाता हुआ फिर रहा था। अबशालोम ने अपने पिता के विरुद्ध बलवा किया और उन्हें राजगद्दी से उतार दिया था; अपने प्राण बचाने के लिए दाऊद को बीहड़ में भागना पड़ा था (2 शमूएल 15-16)। इन कठिन समयों में भी दाऊद का विश्वास था कि परमेश्वर उसके साथ है और उसने परमेश्वर पर अपना पूरा विश्वास बनाए रखा; इस संदर्भ में दाऊद ने लिखा, "क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा" (63:3)।

   कभी कभी जीवन कठिन एवं कष्टदायक हो सकता है; लेकिन उन सभी विपरीत परिस्थितियों में भी सहायता और सहारे के लिए सदैव परमेश्वर का हाथ हमारी ओर बढ़ा हुआ रहता है, हमें उपलब्ध रहता है। हम कभी उसकी पहुँच के बाहर नहीं होते। - डेनिस फिशर

परमेश्वर सृष्टि के बोझ को अपने कंधों पर उठाए रहता है,
 परन्तु अपने बच्चों को अपने हाथों में रखता है।

मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है। - भजन 37:23-24

बाइबल पाठ: भजन 63
Psalms 63:1 हे परमेश्वर, तू मेरा ईश्वर है, मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर, मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। 
Psalms 63:2 इस प्रकार से मैं ने पवित्रस्थान में तुझ पर दृष्टि की, कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूं। 
Psalms 63:3 क्योंकि तेरी करूणा जीवन से भी उत्तम है मैं तेरी प्रशंसा करूंगा। 
Psalms 63:4 इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य कहता रहूंगा; और तेरा नाम ले कर अपने हाथ उठाऊंगा।
Psalms 63:5 मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, और मैं जयजयकार कर के तेरी स्तुति करूंगा। 
Psalms 63:6 जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूंगा, तब रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूंगा; 
Psalms 63:7 क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूंगा। 
Psalms 63:8 मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है।
Psalms 63:9 परन्तु जो मेरे प्राण के खोजी हैं, वे पृथ्वी के नीचे स्थानों में जा पड़ेंगे; 
Psalms 63:10 वे तलवार से मारे जाएंगे, और गीदड़ों का आहार हो जाएंगे। 
Psalms 63:11 परन्तु राजा परमेश्वर के कारण आनन्दित होगा; जो कोई ईश्वर की शपथ खाए, वह बड़ाई करने पाएगा; परन्तु झूठ बोलने वालों का मुंह बन्द किया जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 16-18
  • मत्ती 18:1-20


गुरुवार, 26 जनवरी 2017

सशक्त हाथ


   सिंगापुर के प्रथम प्रधान मंत्री, ली क्वान यू को सिंगापुर को वह बनाने का श्रेय दिया जाता है, जो आज वह देश है। उनके नेतृत्व के दिनों में सिंगापुर उन्नति करके धनी, समृद्ध और एशिया का सबसे विकसित देश बन गया। जब उन से पूछा गया कि उन्हें आलोचनाओं और चुनौतियों का सामना करते हुए कभी निराश होकर ऐसा लगा कि यह सब छोड़ देना चाहिए, तो उनका उत्तर था, "यह तो जीवन भर उठाए रहने का बीड़ा था।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नहेम्याह ने यरुशलेम की दीवार को फिर से बनाने का बीड़ा उठाया, और अनेकों विपरीत परिस्थितियों का सामना करने पर भी निराश होकर उसे छोड़ देना कभी नहीं चाहा। उसे अपने चारों ओर के शत्रुओं से अपमान और धमकियों का, तथा अपने ही लोगों से अन्यायों का सामना करना पड़ा (नहेम्याह 4-5)। उसके शत्रुओं ने उस पर यह दोष भी लगाया कि वह अपने ही स्वार्थ के लिए यह सब कर रहा है (6:6-7)। अपने बचाव के लिए हर संभव कदम उठाने में नहेम्याह ने सदा ही परमेश्वर से सहायता और मार्गदर्शन की प्रार्थना की और उसके अनुसार ही हर कार्य किया।

   सभी चुनौतियों के बावजूद, यरुशलेम की वह दीवार 52 दिन में बनकर तैयार तो हो गई (6:15); परन्तु नहेम्याह का कार्य पूरा नहीं हुआ। उसने इस्त्राएलियों को प्रोत्साहित किया कि वे परमेश्वर के वचन का अध्ययन करें, उसकी आराधना करें, और उसके नियमों का पालन करें। बारह वर्ष तक राज्यपाल होने की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद (5:14) नहेम्याह यरुशलेम यह देखने के लिए वापस आया कि उसके द्वारा आरंभ किए गए सुधार ज़ारी हैं कि नहीं (13:6) और जो कमियाँ उसने पाईं उन्हें सुधारने में वह फिर से जुट गया। अपने लोगों का परमेश्वर के मार्ग पर सही नेतृत्व करना नहेम्याह का जीवन भर का बीड़ा था।

   जीवन में हम सब को चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है; परन्तु जैसे परमेश्वर ने तब नहेम्याह की सहायता और मार्गदर्शन किया था, वह आज भी अपने लोगों के लिए करने को तत्पर और तैयार है। जो भी कार्य वह हमें सौंपता है, उन्हें करने के लिए वह हमारे हाथों को सदा सशक्त करेगा (6:9)। - सी. पी. हिया


जीवन की चुनौतियाँ हमें तोड़ने के लिए नहीं 
वरन हमें परमेश्वर की ओर मोड़ने के लिए होती हैं।

जब हमारे सब शत्रुओं ने यह सुना, तब हमारे चारों ओर रहने वाले सब अन्य जाति डर गए, और बहुत लज्जित हुए; क्योंकि उन्होंने जान लिया कि यह काम हमारे परमेश्वर की ओर से हुआ। - नहेम्याह 6:16

बाइबल पाठ: नहेम्याह 6:1-9
Nehemiah 6:1 जब सम्बल्लत, तोबियाह और अरबी गेशेम और हमारे और शत्रुओं को यह समाचार मिला, कि मैं शहरपनाह को बनवा चुका; और यद्यपि उस समय तक भी मैं फाटकों में पल्ले न लगा चुका था, तौभी शहरपनाह में कोई दरार न रह गया था। 
Nehemiah 6:2 तब सम्बल्लत और गेशेम ने मेरे पास यों कहला भेजा, कि आ, हम ओनो के मैदान के किसी गांव में एक दूसरे से भेंट करें। परन्तु वे मेरी हानि करने की इच्छा करते थे। 
Nehemiah 6:3 परन्तु मैं ने उनके पास दूतों से कहला भेजा, कि मैं तो भारी काम में लगा हूँ, वहां नहीं जा सकता; मेरे इसे छोड़ कर तुम्हारे पास जाने से वह काम क्यों बन्द रहे? 
Nehemiah 6:4 फिर उन्होंने चार बार मेरे पास वैसी ही बात कहला भेजी, और मैं ने उन को वैसा ही उत्तर दिया। 
Nehemiah 6:5 तब पांचवी बार सम्बल्लत ने अपने सेवक को खुली हुई चिट्ठी देकर मेरे पास भेजा, 
Nehemiah 6:6 जिस में यों लिखा था, कि जाति जाति के लोगों में यह कहा जाता है, और गेशेम भी यही बात कहता है, कि तुम्हारी और यहूदियों की मनसा बलवा करने की है, और इस कारण तू उस शहरपनाह को बनवाता है; और तू इन बातों के अनुसार उनका राजा बनना चाहता है। 
Nehemiah 6:7 और तू ने यरूशलेम में नबी ठहराए हैं, जो यह कह कर तेरे विषय प्रचार करें, कि यहूदियों में एक राजा है। अब ऐसा ही समाचार राजा को दिया जाएगा। इसलिये अब आ, हम एक साथ सम्मति करें। 
Nehemiah 6:8 तब मैं ने उसके पास कहला भेजा कि जैसा तू कहता है, वैसा तो कुछ भी नहीं हुआ, तू ये बातें अपने मन से गढ़ता है। 
Nehemiah 6:9 वे सब लोग यह सोच कर हमें डराना चाहते थे, कि उनके हाथ ढीले पड़ें, और काम बन्द हो जाए। परन्तु अब हे परमेश्वर तू मुझे हियाव दे।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 14-15
  • मत्ती 17


बुधवार, 25 जनवरी 2017

शान्त स्थान


   कुछ वर्ष पहले इडाहो प्रांत के एकांत में बसे एक पशु फार्म पर रहने वाले हमारे एक मित्र के लिए, मेरे पुत्र ब्रायन तथा मैंने, कुछ सामान उस तक पहुँचाने का बीड़ा लिया। उस क्षेत्र में कोई सड़कें नहीं हैं, कम से कम ऐसी तो कोई नहीं जिन पर मेरा ट्रक जा सके। इसलिए हमारा मित्र सड़क के अन्तिम स्थान पर दो खच्चरों से खींची जाने वली अपनी बघ्घी लेकर आया। उस बघ्घी में सामान डाल कर, वहाँ से हम बातचीत करते हुए फार्म तक गए, और हमें ज्ञात हुआ कि हमारा वह मित्र उस स्थान पर सारे वर्ष रहता है।

   उस स्थान पर सड़कें ही नहीं वरन ना तो बिजली थी और ना ही टेलिफोन, और सर्दियाँ बहुत लंबी तथा भीषण होती थीं, संपर्क का केवल एक ही साधन था - उनका सेटेलाईट रेडियो। मैंने उस से पूछा कि वह इस एकांत को सहन कैसे कर लेता है? उसने कहा, सच बात तो यह है कि मुझे यह शान्त स्थान और वातावरण बहुत पसन्द है।

   व्यस्तता से भरे हमारे दिनों में हमें भी कभी-कभी शान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। हमारे आस-पास बहुत शोर रहता है, बहुत से लोग, बहुत सी बातें हमारे ध्यान अपनी ओर खींचती हैं; ऐसे में जैसा प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा था, "...तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो..." (मरकुस 6:31) हमें भी शान्ति के स्थान की आवश्यकता होती है। क्या हमारे पास ऐसा कोई स्थान है?

   हम मसीही विश्वासियों को, हम चाहे जहाँ भी हों, जैसे भी हों, ऐसा एक शान्त स्थान सदा उपलब्ध रहता है - परमेश्वर की निकटता। जब हम अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर परमेश्वर के प्रेम और दया पर मनन करते हैं, अपने मन की बात उसे बताने के द्वारा, अपने बोझों को उस पर डालने के द्वारा अपने आप को हलका करते हैं, तो हम पाएंगे कि परमेश्वर की उपस्थिति से भरे उस समय, उस स्थान में ही हमें वह शान्त स्थान मिल जाता है, जिसे संसार की बातों ने हमारी नज़रों से ओझल कर दिया था। - डेविड रोपर


परमेश्वर के साथ शान्त होकर समय बिताना विश्रांति लाता है।

तू ने मेरे मन में उस से कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। मैं शान्ति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है। - भजन 4:7-8

बाइबल पाठ: मरकुस 6:7-13, 30-32
Mark 6:7 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो कर के भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। 
Mark 6:8 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे। 
Mark 6:9 परन्तु जूतियां पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो। 
Mark 6:10 और उसने उन से कहा; जहां कहीं तुम किसी घर में उतरो तो जब तक वहां से विदा न हो, तब तक उसी में ठहरे रहो। 
Mark 6:11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो। 
Mark 6:12 और उन्होंने जा कर प्रचार किया, कि मन फिराओ। 
Mark 6:13 और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। 
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16


मंगलवार, 24 जनवरी 2017

सहायक


   मेरे नाती-पोते उस समय छोटे थे जब मैं उन्हें The Lion King कहानी का नाट्य-रूपांतर दिखाने ले कर गया। उस कहानी में छोटा शेर, सिंबा, अपने मृतक पिता राजा मुफासा, जिसे उसके दुष्ट चाचा ने मार डाला है, के पास खड़ा है, सिंबा अकेला और भयभीत है और रोते हुए पुकार रहा है, सहायता, सहायता, सहायता करो। इस दृश्य को देखकर मेरा तीन वर्ष का पोता उस थिएटर में अपनी कुर्सी पर खड़ा होकर ज़ोर से चिल्लाया, "कोई जाकर उसकी सहायता क्यों नहीं कर रहा है?"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में अनेकों स्थानों पर परमेश्वर के लोगों ने सहायता के लिए दोहाई दी है, यद्यपि जिस कठिनाई में वे थे वह उनके अपने ही दुराचार के कारण उन पर आई थी। परन्तु परमेश्वर फिर भी उनकी सहायता करने के लिए इच्छुक था।

   यशायाह भविष्यद्वक्ता को परमेश्वर के लोगों, इस्त्राएलियों के लिए, उनके परमेश्वर से विमुख होकर अनाज्ञाकारिता में जीने के कारण, बहुत से कठोर और बुरे समाचार देने थे; परन्तु उन सब के मध्य उसने उन से यह भी कहा, "तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊँचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं। हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा" (यशायाह 30:18-19)। ना केवल परमेश्वर अपने पथ भ्रष्ट लोगों की सहायता के लिए इच्छुक रहता है, वरन वह चाहता है कि उसके अपने लोग ही उन पथ भ्रष्ट लोगों की सहायता के लिए आगे बढ़ें (यशायाह 58:10)।

   आज हमारे चारों ओर ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आगे बढ़कर सहायता करें, ज़रूरतमन्दों के सहायक हों। यह बहुत महान कार्य है कि हम परमेश्वर की सहायता के हाथ बनकर सहायता की पुकार करने वालों के सहायक बनें। जो स्टोवैल


सहायता का हाथ बढ़ा कर दिखाएं कि परमेश्वर परवाह करता है।

वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - 2 कुरिन्थियों 1:4

बाइबल पाठ: यशायाह 30:15-22
Isaiah 30:15 प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहते और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, 
Isaiah 30:16 तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़ कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करने वाले उस से भी तेज होंगे। 
Isaiah 30:17 एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं। 
Isaiah 30:18 तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।
Isaiah 30:19 हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा। 
Isaiah 30:20 और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे। 
Isaiah 30:21 और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो। 
Isaiah 30:22 तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूत्तियां मढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूत्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उन को मैले कुचैले वस्त्र की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 9-11
  • मत्ती 15:21-39


सोमवार, 23 जनवरी 2017

क्षमा


   मैं दो ऐसे लोगों के साथ भोजन पर था जिन्होंने अपने कारावास में दण्ड भोगने के दौरान प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किया था। उनमें से छोटी उम्र वाला इस बात से निराश था कि जिस परिवार से उसने चुराया था, वह उसे क्षमा करने के लिए तैयार नहीं था।

   दूसरे व्यक्ति ने, जो उम्र में बड़ा था, अपने अनुभव के आधार पर कहा, "मेरा अपराध हिंसात्मक था; उसका प्रभाव आज भी उस परिवार को परेशान करता है। उन्होंने भी मुझे क्षमा नहीं किया है...उनकी पीड़ा बहुत अधिक है। पहले तो उनसे क्षमा मिलने की लालसा ने मुझे निष्क्रीय बनाए रखा। लेकिन एक दिन मुझे एहसास हुआ कि ऐसा कर के मैं अपने पश्चाताप में अपना स्वार्थ मिला रहा हूँ। उस परिवार द्वारा क्षमा की अपेक्षा रखना बहुत बड़ी बात थी। अपने अतीत से चंगा होने के लिए मैं अपनी इच्छानुसार कुछ होते हुए देखना चाहता था। मुझे यह समझने में कुछ समय लगा कि उस परिवार द्वारा मुझे क्षमा कर देना उनके और परमेश्वर के बीच की बात है।"

   तब पहले व्यक्ति ने पूछा, "आप कैसे इसे सहन करने पाए?"

   तो दूसरे ने समझाया, "परमेश्वर ने मेरे लिए वह किया जिसके लिए मैं कदापि योग्य नहीं था और जो मेरे लिए कोई और कभी नहीं कर सकता था। वह मेरे पापों के लिए मरा, और अपने वायदे के अनुसार मेरे पापों को मुझ से इतना दूर कर दिया जितना उदयाचल से अस्ताचल दूर है (भजन 103:12); और अब वह मेरे पापों को कभी स्मरण नहीं करता है (यशायाह 43:25)।"

   इतने महान प्रेम के समक्ष, उसकी क्षमा को ही अपने लिए पर्याप्त स्वीकार करके हम उसका आदर करते हैं; उसमें और किसी बात की लालसा को जोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है। पुरानी बातों में उलझे रहने की बजाए, जो बीत गया उसे पीछे छोड़कर अब हमें अपने नए जीवन में आगे बढ़ते जाना है। - रैंडी किलगोर


प्रभु यीशु का कार्य प्रत्येक पाप के निवारण के लिए पर्याप्त है।

क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। - 1 कुरिन्थियों 9:24

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:7-16
Philippians 3:7 परन्तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। 
Philippians 3:8 वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूँ। 
Philippians 3:9 और उस में पाया जाऊँ; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है। 
Philippians 3:10 और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी होने के मर्म को जानूँ, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्त करूँ। 
Philippians 3:11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं। 
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था। 
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। 
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊँ, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। 
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा। 
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 7-8
  • मत्ती 15:1-20


रविवार, 22 जनवरी 2017

देखभाल


   अपनी पुस्तक Kisses From Katie में केटी डेविस ने अपने युगाण्डा जाकर बस जाने और युगाण्डा की कई लड़कियों को गोद लेने से मिले आनन्द के बारे में बताया है। एक दिन युगाण्डा की उसकी एक बेटी ने उस से पूछा, "मम्मी, यदि मैं यीशु को अपने हृदय में आने दूँगी, तो क्या मेरे अन्दर एक विस्फोट हो जाएगा?" पहले तो केटी ने उसे उत्तर में कहा कि नहीं, क्योंकि प्रभु यीशु का हमारे हृदयों में आकर बसना एक आत्मिक घटना है।

   परन्तु कुछ समय तक उस प्रश्न के बारे में सोचते रहने के बाद केटी ने समझाते हुए उत्तर दिया कि जब हम अपने जीवन और हृदय प्रभु यीशु को समर्पित कर देते हैं तो, "हमारे अन्दर से प्रेम, अनुकंपा, दुःखी लोगों के साथ शोकित होने तथा आनन्द मनाने वालों के साथ आनन्दित होने का एक विस्फोट होता है।" कहने का तात्पर्य यह था कि प्रभु यीशु से संपर्क हो जाने के बाद हमारे अन्दर संसार के लोगों के प्रति गहन देखभाल का रवैया आ जाता है।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें प्रेरित करती है कि "आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ" (रोमियों 12:15)। क्योंकि परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारे अन्दर निवास करता है, हमारे अन्दर कार्य करता है इसलिए हम संसार के प्रति यह प्रेम भरी प्रतिक्रिया सदैव प्रदर्शित करते रह सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने इसका वर्णन ऐसे किया है: "और उसी में तुम पर भी जब तुम ने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुम ने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की छाप लगी" (इफिसियों 1:13)।

   परमेश्वर की दिव्य सहायता के साथ औरों की देखभाल करना, संसार के समक्ष प्रमाणित करता है कि हम प्रभु यीशु के अनुयायी हैं (यूहन्ना 13:35)। साथ ही ऐसा करना हमें स्मरण दिलाता है कि क्योंकि प्रभु यीशु ने हमसे प्रेम किया है, इसलिए वह कहता है कि "मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो" (यूहन्ना 13:34)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


प्रेम बाँटना प्रेम पाने को दिखाता है।

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - 1 कुरिन्थियों 13:13

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:7-17
John 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। 
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। 
John 15:17 इन बातों की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 4-6
  • मत्ती 14:22-36


शनिवार, 21 जनवरी 2017

निर्भर


   अफ्रीका के एक देश घाना के राष्ट्रगीत की प्रथम पंक्ति है, "परमेश्वर हमारे देश घाना को आशीष दे।" अफ्रीका के कुछ अन्य देशों के राष्ट्रगानों में भी कुछ ऐसी ही बात पाई जाती है: "हे यूगाण्डा, परमेश्वर तुझे संभाले रहे", "परमेश्वर हमारे देश को आशीष दे" (दक्षिणी अफ्रीका), "हे सृष्टि के महान परमेश्वर, हमारे महान उद्देश्य को दिशा दे" (नाईजीरिया)। देश के राष्ट्रगानों को प्रार्थना के रूप में प्रयोग करके, उनके संस्थापक पिताओं ने परमेश्वर से देश और वहाँ के लोगों के लिए आशीष चाही। ना केवल अफ्रीका में वरन संसार भर के अनेकों अन्य देशों के राष्ट्रगानों में परमेश्वर को सृष्टिकर्ता और पालनहार माना गया है। राष्ट्रगानों की अन्य पंक्तियों में भी, जातिवाद, राजनैतिक विचार-धारा और सामाजिक असमानताओं द्वारा विभाजित समाज के लिए परमेश्वर से परस्पर मेल-मिलाप, परिवर्तन और आशा की प्रार्थनाएं हैं।

   लेकिन फिर भी आज अनेकों राष्ट्रीय अगुए और नागरिक परमेश्वर को भुला कर, इन पंक्तियों के अनुसार नहीं वरन अपनी ही इच्छा के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं, विशेषकर तब जब सब कुछ अच्छा चल रहा हो। परन्तु परमेश्वर को स्मरण करने के लिए युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकियों के हमलों, बीमारियों, राजनैतिक चुनावों की हिंसा आदि की प्रतीक्षा क्यों की जाए? परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगों, इस्त्राएलियों को मूसा के द्वारा चिताया कि वे परमेश्वर को भुला ना दें और उसके मार्गों पर चलना ना छोड़ें, विशेषकर तब जब जीवन अच्छे से चल रहा हो (व्यवस्थाविवरण 8:11)। बाइबल में एक अन्य स्थान पर परमेश्वर हमें सचेत करता है कि: "अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख, इस से पहिले कि विपत्ति के दिन और वे वर्ष आएं, जिन में तू कहे कि मेरा मन इन में नहीं लगाता" (सभोपदेशक 12:1)।

   ऐसे समयों में, जब हम स्वस्थ और सबल होते हैं, परमेश्वर के निकट आना और बने रहना हमें उन समयों के लिए तैयार करता है जब हम कठिन परिस्थितियों में आएं; और तब ऐसे में हम निःसंकोच अपने सहारे और आशा के लिए उस पर निर्भर हो सकते हैं। - लॉरेंस दरमानी


अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता को स्मरण रखने को अपना व्यक्तिगत गान बना लें।

मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा। मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा। हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है? अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।  - भजन 77:11-14

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 8:11-18
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; 
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, 
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, 
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, 
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला, 
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे। 
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। 
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 1-3
  • मत्ती 14:1-21


शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

उपस्थिति


   मुझे मिशिगन झील पर सूर्यास्त की तसवीरें लेना पसन्द है। उन तसवीरों में से कुछ में तो एक समान हल्के रंग दिखाई देते हैं, तो कुछ में कई चटकीले और चमकदार रंग होते हैं। कभी सूर्य धीमे से झील के पीछे ओझल हो जाता है, तो कभी अन्य समय पर उसका ढलना एक अग्निमय विस्फोट के समान होता है। चाहे तसवीरों में हो या प्रत्यक्ष मुझे वह नाटकीय अधिक पसन्द है।

   संसार में परमेश्वर के कार्य के संबंध में भी मेरी पसन्द ऐसी ही है। मुझे अपनी प्रार्थनाओं के नाटकीय उत्तर मिलना अधिक पसन्द है बजाए इसके कि दैनिक आवश्यकताओं के सामान्य तथा शान्त प्रबंध होते रहें। परन्तु मैं यह जानती हूँ कि दोनों ही परमेश्वर की ओर से होते हैं।

   परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता एलिय्याह की पसन्द भी संभवतः ऐसी ही रही होगी। परमेश्वर द्वारा अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए उसकी सामर्थ्य के महान प्रदर्शनों का वह आदि हो गया था। जब एलिय्याह ने प्रार्थना की तो परमेश्वर ने उत्तर में नाटकीय रीति से अपनी उपस्थिति को दिखाया - पहले बाल के पुजारियों की पराजय में और फिर एक लंबे और विनाशकारी अकाल के अन्त द्वारा (1 राजा 18)। लेकिन फिर एलिय्याह भयभीत होकर अपने प्राण बचाने के लिए भागने लगा। परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर उसे भोजन करवाया और सामर्थ दी कि वह अपनी यात्रा पूरी कर सके। चालीस दिन की यात्रा के पश्चात वह होरेब पहुँचा। वहाँ परमेश्वर ने उसे दिखाया कि अब परमेश्वर उसके साथ नाटकीय आश्चर्यकर्मों द्वारा नहीं वरन धीमी शान्त आवाज़ में बातें कर रहा है (19:11-12)।

   यदि आज आप इसलिए निराश हैं क्योंकि परमेश्वर अपनी उपस्थिति अपनी महिमा के तेजोमय प्रदर्शन द्वार नहीं दर्शा रहा है, तो ध्यान कीजिए कि शान्त परिस्थितियों, आपकी देख-भाल, आपकी सुरक्षा और आवश्यकताओं की पूर्ति के द्वारा वह आपके साथ अपनी उपस्थिति दर्शा रहा है; दोनों ही आपके साथ उसकी उपस्थिति के सूचक हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर महान कार्यों में भी है और छोटे कार्यों में भी।

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: 1 राजा 19:1-16
1 Kings 19:1 तब अहाब ने ईज़ेबेल को एलिय्याह के सब काम विस्तार से बताए कि उसने सब नबियों को तलवार से किस प्रकार मार डाला। 
1 Kings 19:2 तब ईज़ेबेल ने एलिय्याह के पास एक दूत के द्वारा कहला भेजा, कि यदि मैं कल इसी समय तक तेरा प्राण उनका सा न कर डालूं तो देवता मेरे साथ वैसा ही वरन उस से भी अधिक करें। 
1 Kings 19:3 यह देख एलिय्याह अपना प्राण ले कर भागा, और यहूदा के बेर्शेबा को पहुंच कर अपने सेवक को वहीं छोड़ दिया। 
1 Kings 19:4 और आप जंगल में एक दिन के मार्ग पर जा कर एक झाऊ के पेड़ के तले बैठ गया, वहां उसने यह कह कर अपनी मृत्यु मांगी कि हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूँ। 
1 Kings 19:5 वह झाऊ के पेड़ तले लेटकर सो गया और देखो एक दूत ने उसे छूकर कहा, उठ कर खा। 
1 Kings 19:6 उसने दृष्टि कर के क्या देखा कि मेरे सिरहाने पत्थरों पर पकी हुई एक रोटी, और एक सुराही पानी धरा है; तब उसने खाया और पिया और फिर लेट गया। 
1 Kings 19:7 दूसरी बार यहोवा का दूत आया और उसे छूकर कहा, उठ कर खा, क्योंकि तुझे बहुत भारी यात्रा करनी है। 
1 Kings 19:8 तब उसने उठ कर खाया पिया; और उसी भोजन से बल पाकर चालीस दिन रात चलते चलते परमेश्वर के पर्वत होरेब को पहुंचा। 
1 Kings 19:9 वहां वह एक गुफा में जा कर टिका और यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
1 Kings 19:10 उन ने उत्तर दिया सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त मुझे बड़ी जलन हुई है, क्योकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, तेरी वेदियों को गिरा दिया, और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है, और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
1 Kings 19:11 उसने कहा, निकलकर यहोवा के सम्मुख पर्वत पर खड़ा हो। और यहोवा पास से हो कर चला, और यहोवा के साम्हने एक बड़ी प्रचण्ड आन्धी से पहाड़ फटने और चट्टानें टूटने लगीं, तौभी यहोवा उस आन्धी में न था; फिर आन्धी के बाद भूंईडोल हूआ, तौभी यहोवा उस भूंईडोल में न था। 
1 Kings 19:12 फिर भूंईडोल के बाद आग दिखाई दी, तौभी यहोवा उस आग में न था; फिर आग के बाद एक दबा हुआ धीमा शब्द सुनाईं दिया। 
1 Kings 19:13 यह सुनते ही एलिय्याह ने अपना मुंह चद्दर से ढांपा, और बाहर जा कर गुफा के द्वार पर खड़ा हुआ। फिर एक शब्द उसे सुनाईं दिया, कि हे एलिय्याह तेरा यहां क्या काम? 
1 Kings 19:14 उसने कहा, मुझे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के निमित्त बड़ी जलन हुई, क्योंकि इस्राएलियों ने तेरी वाचा टाल दी, और तेरी वेदियों को गिरा दिया है और तेरे नबियों को तलवार से घात किया है; और मैं ही अकेला रह गया हूँ; और वे मेरे प्राणों के भी खोजी हैं। 
1 Kings 19:15 यहोवा ने उस से कहा, लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुंचकर अराम का राजा होने के लिये हजाएल का, 
1 Kings 19:16 और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिये आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलीशा का अभिषेक करना।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 49-50
  • मत्ती 13:31-58


गुरुवार, 19 जनवरी 2017

वचन


   मेरे लड़कपन के दिनों में, हमारा परिवार कभी-कभी नेवाडा प्रांत से होकर यात्रा करता था, जो मरुभूमि का इलाका है। उन यात्राओं में हमें मरुभूमि में आने वाले तूफान बहुत अच्छे लगते थे। बिजली के कड़कने और बादलों के ज़ोर से गर्जने के साथ मूसलाधार बारिष मरुभूमि की तपती हुई रेत पर छा जाती। ठण्डक देने वाली वह वर्षा हमें तथा धरती दोनों ही को तर-ओ-ताज़ा कर देती थी।

   सूखे इलाकों में जल अद्भुत परिवर्तन ले आता है; उदाहरण के लिए, सूखे में निर्जीव से दिखने वाले नागफनी के झाड़, ग्रीष्म ऋतु की पहली बारिष के बाद ही फूलने लगते हैं, गुलाबी, सुनहले, और सफेद फूलों से भर जाते हैं। इसी प्रकार इस्त्राएल के सूखे इलाकों में, वर्षा होने के साथ ही भूमि से वनस्पति अँकुरित होने लग जाती है।

   वर्षा द्वारा तर-ओ-ताज़गी देने तथा नया जीवन आरंभ करने के गुण को परमेश्वर के वचन बाइबल में मनुष्यों पर परमेश्वर के वचनों के प्रभाव को समझाने के लिए प्रयुक्त किया गया है: "जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा" (यशायाह 55:10-11)।

   परमेश्वर के वचन में आत्मिक जीवन है, इसीलिए वह निष्फल कभी नहीं लौटता है। जहाँ कहीं भी उसे एक खुला और ग्रहणशील हृदय मिलता है, वहाँ यह वचन ताज़गी, पोषण और नया जीवन ले आता है। - डेनिस फिशर


जैसे मरुभूमि के लिए जल वैसे ही प्यासी आत्मा के लिए परमेश्वर का वचन है।

तू भूमि की सुधि ले कर उसको सींचता हैं, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्वर की नहर जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार कर के मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है। तू रेघारियों को भली भांति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है। - भजन 65:9-10

बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; 
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा। 
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, 
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे। 
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 46-48
  • मत्ती 13:1-30


बुधवार, 18 जनवरी 2017

समानता


   livescience.com वेबसाईट पर मैंने मानव आँख के बारे में कुछ अद्भुत बातें पढ़ीं: "यदि आप एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर खड़े हैं जिससे पृथ्वी का सामान्य से अधिक भाग देखा जा सकता है, तो आप को सैंकड़ों मील दूर की चमकीली रौशनी का भी आभास हो सकता है। अंधेरी रात में, तीस मील (48 किलोमीटर) दूर स्थित जलती हुई मोमबत्ती की लौ भी आप देख सकते हैं। किसी दूरबीन या रात में देखने वाले चश्मे की आवश्यकता नहीं है - मानव आँख इतनी विलक्षण रीति से बनाई गई है कि स्पष्ट वातावरण में लंबी दूरी पर स्थित चीज़ें भी देखी जा सकती हैं।

   ये तथ्य हमारे अद्भुत सृष्टिकर्ता की रचनात्मक सामर्थ के अद्भुत गवाह हैं, जिसने ना केवल मानव आँख वरन हमारी सृष्टि की प्रत्येक ची़ज़ बड़ी बारीकी से बनाई है। और सृष्टि की किसी भी अन्य वस्तु से हटकर, उस परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में बनाया है (उत्पत्ति 1:26-27)। "उसके स्वरूप" में होने का अर्थ केवल देख पाने तक ही सीमित नहीं है; इसका तात्पर्य है परमेश्वर की समानता में होना जिससे हम उसके साथ सम्पर्क तथा संगति रखने की क्षमता प्राप्त करते हैं।

   हम दाऊद की अभीव्यक्ति "मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं" (भजन 139:14) के साथ अपनी सहमति घोषित कर सकते हैं। परमेश्वर पिता द्वारा ना केवल हमें सृष्टि को देखने के लिए आँखें दी गईं हैं, वरन हमें ऐसा रचा गया है कि प्रभु यीशु मसीह में लाए गए विश्वास द्वारा एक दिन हम परमेश्वर को भी द्खेंगे, उसकी समानता में सिद्ध हो जाएंगे और उसके साथ अनन्तकाल तक संगति में रहेंगे। - बिल क्राउडर


परमेश्वर की संपूर्ण सृष्टि उसके सृष्टिकर्ता होने की गवाही देती है।

फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:26-27

बाइबल पाठ: भजन 139:1-16
Psalms 139:1 हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psalms 139:2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है।
Psalms 139:3 मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। 
Psalms 139:4 हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। 
Psalms 139:5 तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। 
Psalms 139:6 यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गम्भीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? 
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! 
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, 
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। 
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, 
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। 
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। 
Psalms 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। 
Psalms 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 43-45
  • मत्ती 12:24-50


मंगलवार, 17 जनवरी 2017

छोड़ दिया


 किशोरावस्था में अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करके अपनी जेब में बटुआ रखना आरंभ करने के पश्चात हमारे पुत्र के संबंध में हमें अनेकों लोगों से फोन आने लगे - जो उसके द्वारा अपना बटुआ यहाँ-वहाँ भूल जाने या छोड़ देने के पश्चात बटुआ ले जाने के लिए होते थे। हमें बारंबार उसे सचेत करना पड़ा कि वह अपने बटुए का ध्यान रखे और उसे ऐसे ही कहीं भी नहीं छोड़ दिया करे।

   लेकिन अपनी चीज़ें छोड़ देना सदा ही बुरा नहीं होता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 4 में हम एक स्त्री के बारे में पढ़ते हैं जो कुएं पर पानी भरने आई थी। उसी कुएं पर प्रभु यीशु भी बैठे थे; उनसे उस स्त्री के वार्तालाप के पश्चात, उस स्त्री का उद्देश्य बिलकुल बदल गया और वह पानी भरने के अपने बरतन को वहीं छोड़कर वापस नगर को लौट गई ताकि जो बातें प्रभु यीशु ने उससे कहीं उन्हें लोगों को बता सके (पद 28-29)। प्रभु यीशु के बारे में बताने के उत्साह के सामने पानी की उसकी शारीरिक आवश्यकता फीकी पड़ गई।

   प्रभु यीशु की सेवकाई के आरंभ में, झील के तट पर काम करते हुए पतरस और अन्द्रियास उन्हें मिले, और प्रभु ने उन्हें अपने पीछे हो लेने के लिए बुलाया। वे दोनों तुरंत अपने मछली पकड़ने के जाल, जो उनके जीविका कमाने के साधन थे, छोड़कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिए (मत्ती 4:18-20)। इसी प्रकार जब प्रभु यीशु ने उन्हें बुलाया तो यूहन्ना और याकूब भी अपने जाल, नाव और पिता को छोड़कर प्रभु यीशु के पीछे हो लिए (पद 21-22)।

   प्रभु यीशु मसीह के पीछे हो लेने के हमारे नए जीवन में हमें कई बातों, कई चीज़ों को पीछे छोड़ना हो सकता है, जिनमें से कई ऐसी भी हैं जिनसे स्थायी संतुष्टि प्राप्त नहीं होती है। जिनकी कभी हमें तीव्र लालसा रहती थी, प्रभु यीशु से मिलने वाले जीवन जल और उसकी तृप्ति के सामने वे बातें व्यर्थ हो जाती हैं, उन्हें छोड़ देना कोई घाटे का सौदा नहीं रह जाता। - सिंडी हैस कैस्पर

प्रभु यीशु ने हमारे प्रति अपना प्रेम हमारे लिए अपने प्राण बलिदान करके दिखाया; 
आज, उसके प्रति हम अपना प्रेम उसके लिए जीवन व्यतीत करके दिखाते हैं।

इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे? क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए। इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। - मत्ती 6:31-33

बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:6-14; 24-30
John 4:6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। 
John 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 
John 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 
John 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 
John 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 
John 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 
John 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 
John 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 
John 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। 
John 4:24 परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें। 
John 4:25 स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्‍तुस कहलाता है, आनेवाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा। 
John 4:26 यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं।
John 4:27 इतने में उसके चेले आ गए, और अचंभा करने लगे, कि वह स्त्री से बातें कर रहा है; तौभी किसी ने न कहा, कि तू क्या चाहता है? या किस लिये उस से बातें करता है। 
John 4:28 तब स्त्री अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई, और लोगों से कहने लगी। 
John 4:29 आओ, एक मनुष्य को देखो, जिसने सब कुछ जो मैं ने किया मुझे बता दिया: कहीं यह तो मसीह नहीं है? 
John 4:30 सो वे नगर से निकलकर उसके पास आने लगे।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 41-42
  • मत्ती 12:1-23


सोमवार, 16 जनवरी 2017

विवश


   जॉन ल्युइस, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सभा के सदस्य हैं, उस समय 23 वर्ष के थे जब उन्होंने डा० मार्टिन लूथर किंग के 1963 के एतिहासिक मानवाधिकार अभियान "मार्च ऑन वॉशिंगटन" में भाग लिया। अब उस घटना के अर्ध-शताब्दी पश्चात, जब पत्रकार बिल मौयेर्स ने ल्युइस से पूछा कि उस समय डा० किंग के द्वारा दिए गए प्रसिद्ध भाषण, "आई हैव ए ड्रीम" का उन पर क्या प्रभाव हुआ, तो श्री. ल्युइस ने उत्तर दिया, "आप उन्हें सुनने के पश्चात बिना प्रभावित हुए वापस पहले जैसे कार्य पर नहीं जा सकते थे। आप कुछ करने, किसी कार्य में लगने के लिए विवश हो गए। आपको आगे बढ़ना था, आपको जाकर इस बात का समाचार फैलाना ही था।"

   प्रभु यीशु के संपर्क में आने वाले अनेकों लोगों के साथ भी यही होता है; एक बार प्रभु यीशु को सुन लेने के बाद, वे उसके विषय में तटस्थ नहीं रह पाते, वे कुछ निर्णय लेने और कार्य करने के लिए विवश अनुभव करते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 7:25-46 में प्रभु यीशु के प्रति दो भिन्न प्रतिक्रियाएं दिखाई गई हैं। जबकि उसकी बातें सुनकर "बहुत से लोगों ने उस पर विश्वास किया" (पद 31), उस समय के धर्म के अगुवों ने उसे शान्त कर देने के लिए प्रभु को पकड़ने के लिए सिपाहियों को भेजा (पद 32)। जब प्रभु यीशु लोगों से कह रहे थे, "...यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी" (पद 37-38) तब संभवतः वे सिपाही वहाँ थे और प्रभु की बात सुन रहे थे, और वे सिपाही प्रभु यीशु को गिरफ्तार किए बिना ही लौट गए। जब उन सिपाहियों से पूछा गया कि वे प्रभु यीशु को बन्दी बना कर क्यों नहीं लाए (पद 45), तो उनका उत्तर था "किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं" (पद 46)।

   प्रभु यीशु के वचन हमें विवश करते हैं कि हम उसके बारे में अपने जीवनों में कोई निर्णय लें, अपने सामान्य कार्यों से ऊपर उठकर उसके लिए कुछ करें, आगे बढ़ें और उसके सुसमाचार को औरों तक पहुँचाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड


क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान मेरे पापों से छुटकारे का 
और उसके प्रति मेरे समर्पण एवं आज्ञाकारिता का कारण है।

शमौन पतरस ने उसको उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है। - यूहन्ना 6:68-69

बाइबल पाठ: यूहन्ना 7:31-46
John 7:31 और भीड़ में से बहुतेरों ने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, कि मसीह जब आएगा, तो क्या इस से अधिक आश्चर्यकर्म दिखाएगा जो इस ने दिखाए? 
John 7:32 फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपके चुपके करते सुना; और महायाजकों और फरीसियों ने उसके पकड़ने को सिपाही भेजे। 
John 7:33 इस पर यीशु ने कहा, मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूं; तब अपने भेजने वाले के पास चला जाऊंगा। 
John 7:34 तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते। 
John 7:35 यहूदियों ने आपस में कहा, यह कहां जाएगा, कि हम इसे न पाएंगे: क्या वह उन के पास जाएगा, जो यूनानियों में तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा? 
John 7:36 यह क्या बात है जो उसने कही, कि तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु न पाओगे: और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते? 
John 7:37 फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। 
John 7:38 जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी। 
John 7:39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था; क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुंचा था। 
John 7:40 तब भीड़ में से किसी किसी ने ये बातें सुन कर कहा, सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है। 
John 7:41 औरों ने कहा; यह मसीह है, परन्तु किसी ने कहा; क्यों? क्‍या मसीह गलील से आएगा? 
John 7:42 क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था? 
John 7:43 सो उसके कारण लोगों में फूट पड़ी। 
John 7:44 उन में से कितने उसे पकड़ना चाहते थे, परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला।
John 7:45 तब सिपाही महायाजकों और फरीसियों के पास आए, और उन्होंने उन से कहा, तुम उसे क्यों नहीं लाए? 
John 7:46 सिपाहियों ने उत्तर दिया, कि किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 39-40
  • मत्ती 11


रविवार, 15 जनवरी 2017

विश्राम-स्थल



   न्यू-यॉर्क में भूमिगत रेल में हुए एक साधारण से भलाई के कार्य का समाचार विश्व-भर में फैल गया और सराहा गया। एक जवान पुरुष, अपने साथ बैठे एक वृद्ध यात्री के कंधे पर सिर रखकर सो गया। जब किसी ने उसे उठाने का प्रयास करना चाहा तो उस वृद्ध ने मना करते हुए कहा, "उसका दिन बड़ा थकाने वाला रहा होगा, उसे सोने दो; हम सबने यह अनुभव किया है" और लगभग एक घंटे तक उस वृद्ध यात्री ने उस थके हुए जवान को अपने कंधे पर सिर रखकर सोते रहने दिया जब तक कि उसके उतरने का स्थान नहीं आ गया, और तब उसने बड़े धीरे से उस जवान के सिर को अपने कंधे पर से हटाया। इस दौरान एक अन्य यात्री ने इसकी फोटो खींच कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी, और तुरंत ही वह सब जगह फैल गई, सराही गई।

   उस वृद्ध की वह भलाई हम सबके अन्दर की इच्छा को दर्शाती है - परमेश्वर के हृदय को प्रतिबिंबित करने वाली दया का अनुभव प्राप्त होना। इस दया को हम प्रभु यीशु मसीह में सजीव देखते हैं; एक बार जब प्रभु के चेलों ने छोटे बच्चों से होने वाले शोर और परेशानी से उन्हें बचाने के लिए बच्चों को प्रभु के पास आने से रोकने का प्रयास किया तो प्रभु ने चेलों से कहा कि वे बच्चों को उनके पास आने दें; प्रभु ने बच्चों को गोद में लिया, उन्हें आशीष दी (मरकुस 10:16), और साथ ही उन बच्चों में होकर हम सबके लिए यह शिक्षा भी रखी कि हम व्यसकों में भी, उन बच्चों के समान ही, प्रभु के प्रति प्रेम और विश्वास होना चाहिए (पद 13-16)।

   प्रभु यीशु हमें आश्वस्त करता है कि उसमें हम सभी सुरक्षित हैं; हम चाहे जागते हों या सो रहे हों, हम उस का सहारा ले सकते हैं, उस पर अपने जीवनों को टिका सकते हैं; जब हम जीवन की परिस्थितियों से थकित होते हैं, तो वह हमारे लिए सर्वोत्तम विश्राम-स्थल होता है। - मार्ट डीहॉन

परमेश्वर से बढ़कर सुरक्षित विश्राम-स्थल कोई अन्य नहीं है।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1 पतरस 5:6-7

बाइबल पाठ: मरकुस 10:13-16
Mark 10:13 फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे, पर चेलों ने उन को डांटा। 
Mark 10:14 यीशु ने यह देख क्रुध हो कर उन से कहा, बालकों को मेरे पास आने दो और उन्हें मना न करो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है। 
Mark 10:15 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाईं ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा। 
Mark 10:16 और उसने उन्हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्हें आशीष दी।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 36-38
  • मत्ती 10:21-42


शनिवार, 14 जनवरी 2017

योग्य तथा लाभदायक


   हमारे 9 वर्षीय पुत्र रॉबर्ट ने अपनी पेन्सिल फेंकते हुए निराशा के साथ कहा, "मैं यह नहीं कर सकता; यह बहुत कठिन है!" रॉबर्ट को डिस्लेक्सिया है, जिसके कारण अक्षरों का ज्ञान, अर्थात उन्हें पढ़ना, लिखना और समझना बहुत कठिन हो जाता है; और रॉबर्ट प्रयास करते-करते निराश हो चुका था। उसकी इस निराशा एवं परेशानी का एक समाधान निकाला गया, परन्तु वह कठिन था; उसके साथ हमें भी प्रतिदिन संध्या को, बिना किसी भी अपवाद के, 20 मिनिट तक पढ़ना और अक्षरों की वर्तनी का अभ्यास करना होगा। कभी-कभी हमारा मन भी यह करने को कदापि तैयार नहीं होता था, और कभी उसकी धीमी प्रगति के कारण हमें भी निराशा होती थी। परन्तु हम रॉबर्ट को उसकी शारीरिक आयु के अनुसार पढ़ने-लिखने वाला बनाने के लिए दृढ़-संकल्प थे, इसलिए हमारे प्रयास ज़ारी रहे।

   हमारे इन प्रयासों के 2  1/2 वर्ष के पश्चात, सारे संघर्ष और आँसु योग्य और लाभप्रद लगने लगे - रॉबर्ट ने पढ़ना, लिखना और वर्तनी, तथा हमने धैर्य रख कर प्रयास करते रहना सीख लिया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख पात्र - प्रेरित पौलुस को परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह में पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार के प्रचार के लिए नियुक्त किया था, उन लोगों के बीच में जिन्होंने कभी यह नहीं सुना था; और ऐसा करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों में पौलुस को हर प्रकार की कठिनाई एवं परेशानी सहनी पड़ी। ऐसा करते हुए उसे सताया गया, मारा-पीटा गया, बन्दी बनाया गया, गलत समझा गया और उसे मृत्यु के जोखिम भी उठाने पड़े (2 कुरिन्थियों 11:23-27)। लेकिन सुसमाचार सुनने तथा उसपर विश्वास करने और मानने से लोगों के जीवनों में आने वाले परिवर्तन तथा आनन्द को देखना उस के लिए उन सभी विपरीत परिस्थितियों को योग्य बना देता था।

   यदि आज आपको लगता है कि परमेश्वर ने आपको जिस कार्य के लिए बुलाया है वह बहुत कठिन है, तो स्मरण रखिए कि इस कठिन और असंभव प्रतीत होने वाली यात्रा में अद्भुत आनन्द और बहुमूल्य आत्मिक पाठ छुपे हुए हैं, जो आपको अभी चाहे ना दिखाई पड़ें, परन्तु जैसे जैसे आप अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे, परमेश्वर उन्हें आपको दिखाता और देता जाएगा; और वह आनन्द तथा संबंधित पाठ इस सब को योग्य तथा लाभदायक बना देंगे। - मेरियन स्ट्राउड


केवल लक्ष्य ही नहीं, वरन उसका मार्ग भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है। मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है। भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं। - 2 तिमुथियुस 4:6-8

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 11:22-33
2 Corinthians 11:22 क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? 
2 Corinthians 11:23 (मैं पागल की नाईं कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। 
2 Corinthians 11:24 पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए। 
2 Corinthians 11:25 तीन बार मैं ने बेंतें खाईं; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। 
2 Corinthians 11:26 मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जोखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जोखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में; 
2 Corinthians 11:27 परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में। 
2 Corinthians 11:28 और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रति दिन मुझे दबाती है। 
2 Corinthians 11:29 किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता? 
2 Corinthians 11:30 यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा। 
2 Corinthians 11:31 प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता। 
2 Corinthians 11:32 दमिश्क में अरितास राजा की ओर से जो हाकिम था, उसने मेरे पकड़ने को दमिश्कियों के नगर पर पहरा बैठा रखा था। 
2 Corinthians 11:33 और मैं टोकरे में खिड़की से हो कर भीत पर से उतारा गया, और उसके हाथ से बच निकला।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 33-35
  • मत्ती 10:1-20


शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

विश्राम


   मैं नहीं जानता कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार आसप किस निराशाजनक स्थिति में आ गया था जब उसने भजन 77 लिखा; लेकिन मैंने वैसे ही विलाप सुने भी हैं और करे भी हैं। मेरी युवा पुत्री की आकस्मिक मृत्यु को लगभग बारह वर्ष हुए हैं, इस दौरान अनेकों ऐसे लोगों ने जिन्होंने किसी प्रीय जन के जाने के दुःख को अनुभव किया है, मेरे साथ अपने दुःख भरे अनुभवों को बाँटा है। उन लोगों के विलाप में भी, आसप के विलाप के समान ही:
परमेश्वर की दोहाई देना (पद 1); आकाश की ओर खाली हाथों को फैलाना (पद 2); हताश कर देने वाली परिस्थितियों के कारण परमेश्वर के विषय परेशान करने वाले विचारों का सामना करना (पद 3); वर्णन से बाहर परेशानी उठाना (पद 4); त्याग दिए जाने, या अकेले छोड़ दिए जाने की भावना से आतंकित होना (पद 7); की गई प्रतिज्ञाओं को ना निभाने, तथा करुणा, दया, अनुकंपा आदि का अभाव होने के भय (पद 8) सम्मिलित थे।

   लेकिन आसप के लिए पद 10 से एक परिवर्तन आता है, जब वह परमेश्वर के महान कार्यों को स्मरण करना आरंभ करता है। उसके विचार परमेश्वर के प्रेम की ओर मुड़ते हैं; जो परमेश्वर ने किया है उनकी यादों की ओर जाते हैं। प्राचीन समय में परमेश्वर के द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों, उसकी सदा बनी रहने वाली विश्वासयोग्यता, दया और करुणा की ओर जाते हैं। वह परमेश्वर की सृष्टि और सृष्टि में विदित उसकी महानता, उसकी सामर्थ पर और उसके द्वारा हमारे छुटकारे के कार्य पर विचार केंद्रित करता है; और इन सब बातों के द्वारा उसका दृष्टिकोण परिवर्तित हो जाता है।

   इस जीवन में हताशा वास्तविक है, और उस से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सरलता से नहीं आते। लेकिन, जब हम परमेश्वर की महिमा, वैभव और गौरव, सामर्थ तथा महान एवं वर्णन से बाहर प्रेम पर विचार करते हैं, तो अभिभूत कर देने वाले उस अन्धकार में भी जीवन की ज्योति स्पष्ट चमकती हुई दिखाई देती है, हताशा बैठ जाती है। अपने कठिन समय में, आसप के समान ही, हमें भी परमेश्वर के गुणों और कार्यों पर मनन करना चाहिए, विशेषकर प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाने से मिलने वाले सेंत-मेंत उद्धार पर; और यह हमें पुनः उसके प्रेम और संगति में विश्राम प्रदान कर देगा। - डेव ब्रैनन

बीते समय में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता एवं सहायता को स्मरण करने से 
हम आज की परिस्थितियों में विश्राम पा सकते हैं।

तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। - भजन 73:24

बाइबल पाठ: भजन 77:1-15
Psalms 77:1 मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा। 
Psalms 77:2 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं। 
Psalms 77:3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला) 
Psalms 77:4 तू मुझे झपक्की लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Psalms 77:5 मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है। 
Psalms 77:6 मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं: 
Psalms 77:7 क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा? 
Psalms 77:8 क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है? 
Psalms 77:9 क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला) 
Psalms 77:10 मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Psalms 77:11 मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा। 
Psalms 77:12 मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा। 
Psalms 77:13 हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है? 
Psalms 77:14 अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है। 
Psalms 77:15 तू ने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है। (सेला)

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 31-32
  • मत्ती 9:18-38


गुरुवार, 12 जनवरी 2017

कथा-वाचक


   अमेरिका के गृह-युद्ध (1861-1865) के बाद के वर्षों में मेजर जनरल ल्यु वॉलेस न्यू-मेक्सिको इलाके के; जो अभी तक अन्य संयुक्त राज्यों के साथ जोड़ा नहीं गया था, राज्यपाल थे। उस इलाके में उनके कार्य ने उन्हें उस समय के उन जाने-माने चरित्रों के साथ संपर्क करवाया, जिनके किस्सों को आज हम अमेरिका के ’वाइल्ड वेस्ट’ (प्रशासनिक नियंत्रण-विहीन पश्चिमी क्षेत्र) की कहानियों, कुछ सच्ची और अनेकों काल्पनिक, में पढ़ते हैं; जैसे कि ’बिल्ली द किड’ और ’शेरिफ़ पैट गैरट’। इसी समय में वॉलेस ने अपना सुप्रसिद्ध उपन्यास, ’बेन-हर: ए टेल ऑफ़ क्राईस्ट’ भी लिखा, जिसे उन्नीसवीं सदी की सबसे प्रभावशाली मसीही पुस्तक कहा गया है।

   गृह-युद्ध और ’वाइल्ड वेस्ट’ के समय की हिंसा में वॉलेस ने पाप का मानव जाति पर बहुत बुरा और भयानक प्रभाव देखा था। अपने जीवन काल के अनुभवों से ल्यु वॉलेस ने समझा कि केवल मसीह यीशु ही में पापों से मुक्ति और परमेश्वर के साथ मिल-मिलाप की सामर्थ है, और अपने लिखे लोक प्रीय उपन्यास में इस बात को दिखाया और समझाया।

   मसीह यीशु के अनुयायी के लिए, जीवन का सबसे उत्कृष्ट पल वह होता है जब, "उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है" (कुलुस्सियों 1:13-14)। यह क्षमा और छुटकारा पा लेने के पश्चात हम परमेश्वर द्वारा हमारे जीवन में किए गए इस अद्भुत कार्य के गवाह, उस कार्य से जीवन में आए परिवर्तन की कहानी को औरों को बताने वाले ’कथा-वाचक’ हो जाते हैं। - रैंडी किलगोर


मसीह यीशु द्वारा आपके जीवन में लाए परिवर्तन की कहानी, 
पाप से परेशान संसार को आप को अवश्य सुनानी चाहिए।

और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्‍त हुए, और उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली। - प्रकाशितवाक्य 12:11

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:13-23
Colossians 1:13 उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। 
Colossians 1:14 जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है। 
Colossians 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है। 
Colossians 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। 
Colossians 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Colossians 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे। 
Colossians 1:19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे। 
Colossians 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप कर के, सब वस्‍तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की। 
Colossians 1:21 और उसने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया जो पहिले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे। 
Colossians 1:22 ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्‍कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे। 
Colossians 1:23 यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्‍टि में किया गया; और जिस का मैं पौलुस सेवक बना।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 29-30
  • मत्ती 9:1-17