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सोमवार, 10 जनवरी 2011

पाप का गणित

मैंने कैद में पड़े हुए कैदियों को शोकित होकर अपने सिर हिलाते और यह कहते देखा है कि "मैंने कभी नहीं सोचा था कि बात इस हद तक बिगड़ जाएगी।" जब उन्होंने छोटे छोटे अपराध करने शुरू किये तो बड़े या गंभीर अपराधों में पड़ने का उनका कोई इरादा नहीं था। लेकिन एक के बाद दूसरा अपराध होता गया, वे अपराध के जीवन में फंसते चले गए और अब वे आत्मग्लानि के साथ बन्दीगृह में पड़े हैं।

इन लोगों ने कभी यह नहीं पहचाना कि पाप में सदा पतन ही होता है और उसकी गंभीरता बद से बदतर ही होती है। जब हम जीवन के एक पहलू में परमेश्वर के नियमों को तोड़ते हैं तो जैसे गणित के जोड़ और गुणा के सिद्धांत जीवन में कम करने लग जाते हैं। शीघ्र ही पाप बढ़कर जीवन के अन्य पहलूओं में भी अपने प्रभाव डालने लगता है।

यह सोचना मूर्खता है कि हम बस एक छोटा प्रीय पाप पाल कर रख सकते हैं। वह एक पाप बढ़ता और फैलता रहेगा और हमें पतन की ओर अग्रसर रखेगा जब तक कि हम उसे पूरी तरह अपने से दूर नहीं कर देते। इसीलिये प्रभु यीशु ने पाप करने वाला हाथ काट कर फेंकने और पाप करने वाली आंख निकालने की बात कही (मत्ती १८:८, ९)। ऐसे कठोर शब्द रूपक प्रयोग करने में प्रभु का उद्देश्य यही समझाना था कि पाप को दूर रखने के लिये जो कुछ बन पड़े वह करो।

हम पाप के साथ खिलवाड़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते। पौलुस ने रोमियों की पत्री के पहले अध्याय में तीन बार लिखा परमेश्वर ने पाप में बने रहने वालों को उनके दुष्कर्मों पर छोड़ दिया। वह पाप के पतन को उसका समय पूरा होने तक छोड़ देता है ताकि न केवल पापी को पश्चाताप का पूरा अवसर मिले, वरन न्याय को भी पूरा अवसर मिले और जब न्याय का समय आए तो उससे बचने का कोई बहाना न रहे।

हम प्रभु यीशु पर विश्वास करके पाप के इस अव्श्यंभावी गणित से बच सकते हैं। आज और अभी हमारे जीवन के किसी भी पाप से बचने के लिये उसकी सामर्थ काफी है। नहीं तो एक समय आएगा जब हमें उसके न्याय का सामना करना पड़ेगा और तब कोई और बचाव का मार्ग या उपाय नहीं होगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


कोई भी अचानक ही दुष्ट नहीं हो जाता।

यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। - मत्ती १८:८


बाइबल पाठ: मत्ती १८:६-९

पर जो कोई इन छोटों में से जो मुझ पर विश्वास करते हैं एक को ठोकर खिलाए, उसके लिये भला होता, कि बड़ी चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता, और वह गहिरे समुद्र में डुबाया जाता।
ठोकरों के कारण संसार पर हाय! ठोकरों का लगना अवश्य है, पर हाय उस मनुष्य पर जिस के द्वारा ठोकर लगती है।
यदि तेरा हाथ या तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए, तो काट कर फेंक दे। टुण्‍डा या लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो हाथ या दो पांव रहते हुए तू अनन्‍त आग में डाला जाए।
और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए, तो उसे निकालकर फेंक दे।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २५-२६
  • मत्ती ८:१-१७

रविवार, 9 जनवरी 2011

जान बूझ कर "गलती से"

डगलस कौरिगन, १९३८ में, एक उपनाम, ’गलत राह लेने वाले कौरिगन’ के नाम से मशहूर हो गए, जब उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से कैलिफोर्निया शहर के लिये अपने हवाईजहाज़ में उड़ान भरी और २३ घंटे बाद प्रशांत महासागर पार योरप में आयरलेंड के डबलिन शहर में उतर कर उन्होंने वहां के अधिकारियों से पूछा, "क्या यह लॉस एंजिलिस है?" इस बात के लिये, सालों तक लोग उनका मज़ाक उड़ाते रहे, परन्तु १९६३ में उन्हों ने अन्ततः यह मान लिया कि प्रशांत महासागर के पार की उनकी यह उड़ान "गलती से" नहीं हुई थी वरन योजनाबद्ध थी। क्योंकि उन्हें सागर के पार उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, इसलिये उन्होंने जान बूझ कर यह "गलती" करी।

कौरिगन ने जो किया, उसमें और हमारे मसीही जीवन के अनुभवों में बहुत समानान्तर हैं। रोमियों १ में लिखा है कि मनुष्य की स्वभाविक प्रकृति स्वार्थी, पाप करने और परमेश्वर की अवलेहना करने की है। पाप करने की मनशा विश्वासी के जीवन में ज़ोर मारती रहती है (रोमियों७:१५-१९)। यद्यपि विश्वासी मसीह में नई सृष्टि हो जाता है, लेकिन उसमें पाप करने की प्रवृति सिर उठाती रहती है, जिसे लगातार मसीह की सामर्थ से दबा कर काबू में रखना होता है।

कुछ लोग सोचते हैं कि मसीही जान बूझ कर पाप नहीं कर सकते, लेकिन बाइबल स्पष्ट बताती है कि प्रत्येक विश्वासी शरीर की लालसाओं और उस के अन्दर बसने वाली पवित्र आत्मा के बीच के संघर्ष को अनुभव करता है (गलतियों ५:१६, १७)। इसिलिये हमें लगातार अपने आप को परमेश्वर के आधीन करते रहना पड़ता है, क्योंकि वह ही हमें धार्मिकता के सही मार्ग पर चलते रहने की इच्छा और योग्य शक्ति देता है।

इस तरह का जान बूझ कर किया गया परमेश्वर को समर्पण, हमें जान बूझ कर "गलती से" गलत राह पर चल निकलने से बचाए रखेगा। - मार्ट डी हॉन


जो संपूर्ण रीति से परमेश्वर को समर्पित हैं, वे कभी जान बूझ कर शैतान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे।

...उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा... - रोमियों १:२८


बाइबल पाठ: रोमियों १:१८-२५

परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्‍होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्‍तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।
वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्‍तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
इस कारण परमेश्वर ने उन्‍हें उन के मन के अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्वर की सच्‍चाई को बदल कर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २३-२४
  • मत्ती ७

शनिवार, 8 जनवरी 2011

परमेश्वर के लिये घृणित

परमेश्वर पाप से घृणा करता है। नीतिवचन ६ में लेखक ने ७ विशिश्ट पाप गिनाये हैं जिनसे परमेश्वर विशेष घृणा करता है। परमेश्वर के लिये पाप इतना असहनीय है कि क्रूस पर जब उसके सिद्ध पुत्र यीशु मसीह ने संसार के पाप अपने ऊपर ले लिये, तो परमेश्वर पिता ने संसार के पापों को लिये हुए अपने प्रीय पुत्र से मुँह मोड़ लिया। उस घड़ी की तमस और क्रूस की पीड़ा में मसीह पुकार उठा "...हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्‍यों छोड़ दिया?" (मत्ती २७:४६)

यदि पाप परमेश्वर की नज़रों में इतना घृणित है तो हमें भी उससे डरना चाहिये, उससे बचना चाहिये और उससे घृणा करनी चाहिये।

योहन पीटर लैंग ने, जो जर्मनी में १९वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध धर्मशास्त्री थे, एक धार्मिक अगुवे से संबंधित कहानी सुनाई; इस अगुवे से वहां का राजा नफरत करता था। उस राजा के कुछ सलाहकारों ने राजा को सलाह दी कि राजा उस अगुवे को आग में झोंक दें, या उसकी सम्पत्ति ज़ब्त कर लें, या उसे सांकलों में बंध्वा दें, या किसी रीति से मरवा दें। लेकिन कुछ अन्य सलाहकार इन सब बातों से सहमत नहीं थे। उन्होंने राजा से कहा, "ऐसा करके आप कुछ भी लाभ नहीं पाएंगे। देश निकाला देने से भी वह परमेश्वर की संगति में मगन रहेगा; उसे अपनी सांकलों से प्रेम है और मृत्यु उसके लिये स्वर्ग के द्वार खोल देगी। उसे दुख देने का बस एक ही तरीका है, उसे केवल पाप करने से ही डर लगता है, इसलिये किसी तरह उससे पाप करवा दीजिए।"

क्या हम भी उस अगुवे की तरह हैं, जिन्हें संसार में केवल पाप ही से डर लगता हो? परन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि अकसर हम पाप से डरने की बजाए उसमें मज़ा लेते हैं। लेकिन इस बात का सदा ध्यान रखिये कि परमेश्वर पाप के प्रति कैसा नज़रिया रखता है। यदि हम परमेश्वर से प्रेम रखते हैं तो उसके समान पाप से घृणा भी करेंगे। - रिचर्ड डी हॉन


बागबानों के लिये केवल फूलों से प्रेम रखना ही काफी नहीं है, उन्हें बगीचा खराब कर देने वाली खर-पतवार से भी घृणा रखनी चाहिये।

हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो। - भजन ९७:१०


बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१२-१९

ओछे और अनर्थकारी को देखो, वह टेढ़ी टेढ़ी बातें बकता फिरता है,
वह नैन से सैन और पांव से इशारा, और अपनी अगुंलियों से संकेत करता है,
उसके मन में उलट फेर की बातें रहतीं, वह लगातार बुराई गढ़ता है और झगड़ा रगड़ा उत्पन्न करता है।
इस कारण उस पर विपत्ति अचानक आ पड़ेगी, वह पल भर में ऐसा नाश हो जाएगा, कि बचने का कोई उपाय न रहेगा।
छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है
अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ,
अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग दौड़ने वाले पांव,
झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २०-२२
  • मत्ती ६:१९-३४

शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

सर्वोत्तम तो अभी आना है

१९वीं सदी के महान अंग्रेज़ी प्रचारक, चार्ल्स सिमियोन, जब बिमारी की अवस्था में अपनी मृत्यु शैया पर पड़े थे, तो अपने आसपास खड़े लोगों से उन्होंने कहा, "आप जानते हैं कि इस समय मुझे क्या चीज़ शान्ति दे रही है? मैं इस बात से बेबयान सांतव्ना पाता हूँ कि आरंभ में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।" उसके मित्रों ने पूछा कि यह बात अब मृत्यु के समक्ष उन्हें कैसे शान्ति दे सकती है? उन्होंने प्रभु से मिलने जाने वाले जन की तरह बड़े आत्मविश्वास से कहा, "क्यों? यदि परमेश्वर शून्य से इतनी अद्भुत सृष्टि बना सकता है, तो अवश्य ही वह मुझसे भी कुछ अच्छा बना सकता है।"

उस महिमा की कलपना भी करना जो परमेश्वर की सन्तानों के लिये रखी गई है - एक परमसिद्ध आत्मा और एक पुनरुत्थान पाई देह जो स्वर्गीय अनन्तता का, उसकी संपूर्णता में आनन्द लेने देने में सक्षम है, हमारे विचार की सामर्थ के परे है।

अभी भी परमेश्वर की परवर्तित करने वाली सामर्थ, उसकी सन्तानों में काम कर रही है। मसीही विश्वास में आने से हम परमेश्वर की सन्तान बने और उसने "हमें मसीह के साथ जिलाया" (इफिसियों २:५)। लेकिन केवल इतना ही नहीं, पौलुस कहता है कि यह इसलिये हुआ जिससे परमेश्वर भविष्य में "अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए" (इफिसियों २:७)। कोई अचंभा नहीं कि प्रेरित यूहन्ना ने कहा "हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।" (१ यूहन्ना ३:२)

परमेश्वर का कार्य अभी हम में पूरा नहीं हुआ है। अनन्त महिमा में अपने में हम जिन परिवर्तनों को अनुभव करेंगे वे हमारी कलपना के परे हैं। कितना रोमांचकारी है यह सोचना कि हमारे लिये हमारा सर्वोत्तम तो अभी आना है! - पौल वैन गौर्डर


प्रभु जब आप हमारे लिये स्थान तैयार कर रहे हैं, तो हमें भी उस स्थान के लिये तैयार कीजिए।

हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है। - १ यूहन्ना ३:२


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१-१२

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्‍तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्‍योंकि उस ने उसे भी नहीं जाना।
हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्‍तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्‍या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्‍योंकि उस को वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।
जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है और पाप तो व्यवस्था का विरोध है।
और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्‍वभाव में पाप नहीं।
जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उस ने न तो उसे देखा है, और न उस को जाना है।
हे बालको, किसी के भरमाने में न आना, जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्‍योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता, क्‍योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्‍योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
इसी से परमेश्वर की सन्‍तान, और शैतान की सन्‍तान जाने जाते हैं, जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
क्‍योंकि जो समाचार तुम ने आरम्भ से सुना, वह यह है, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १८-१९
  • मत्ती ६:१-१८

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

सूर्यास्त में परमेश्वर की वाणी

सूर्यास्त की सुन्दरता पर किसने अचंभा नहीं किया होगा? सूर्य जब पश्चिमी क्षितिज की ओर बढ़ता है तो आकाश पर छाई रंगों की छटा से हम मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। कुछ पल को हिचकिचाता सा सूर्य, आकाश पर गुलाबी, नारंगी और लाल रंगों की रंगत बिखेरता हुआ आंखों से ओझल हो जाता है। सूर्यास्त के इस महिमामय दृश्य में परमेश्वर की महिमामयी किंतु शांतिदायक आवाज़ से दिन भर की कुण्ठाएं शान्त हो जाती हैं।

धरती के वायुमण्डल के कारण सूर्य की किरणों की गति कुछ धीमी हो जाती है और वे कुछ मुड़ जाती हैं, इसलिये डूबता सूर्य अंडाकार दिखाई देता है; वायुमण्डल में विद्यमान धूल और धुएं के कारण विभिन्न रंग दिखाई देते हैं, जो हमें इतने सुखद लगते हैं। जितना सुन्दर हमने उसे देखा है, सूर्यास्त का दृश्य उससे भी अधिक सुन्दर हो सकता है। नक्षत्र वैज्ञानिक जौन बी. इरविन "Encyclopedia Science Supplement" में लिखते हैं कि, "जब परिस्थितियां सही हों तो, सूर्यास्त के अंतिम पीले-नारंगी रंग अचानक चमकीले हरे रंग में बदल जाते हैं। यह चमकदार हरा रंग दिन को उत्तेजक विस्मयबोधक चिन्ह के साथ अन्त करता है।"

मसीही विश्वासी के लिये, प्रत्येक सूर्यास्त, दिन के अन्त पर परमेश्वर की ओर से लगा विस्मयबोधक चिन्ह है; जैसे परमेश्वर कह रहा हो, "अपनी चिन्ताएं किनारे कर दो। अपने कार्यों से विश्राम लो। अपनी निराशाओं को भूल जाओ। मैं अभी भी यहीं हूँ, अपनी सृष्टि का ध्यान रख रहा हूँ, उसे नियंत्रित रख रहा हूँ। मैं बदला नहीं हूँ। सूर्य से आगे, मेरी ओर देखो और शान्त हो जाओ।" - डेव एग्नर


सृष्टि में परमेश्वर की आवाज़ हमें उसके पराक्रम का आश्वासन देती है।

ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है। - भजन ५०:१


बाइबल पाठ: भजन ५०:१-६

ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है।
सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है।
हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी।
वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर से आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा:
मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बान्धी है!
और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १६-१७
  • मत्ती ५:२७-४८

बुधवार, 5 जनवरी 2011

हमारी सुनने वाला परमेश्वर

कुछ वैज्ञानिक अपना ध्यान आकाश की ओर लगा रहे हैं, परन्तु यह स्वर्ग और परमेश्वर की ओर नहीं है। उन्होंने अनुमन लगाया है कि अंतरिक्ष में लगभग ५ करोड़ सभ्यताएं विद्यमान हो सकती हैं, और उनका यह भी विश्वास है कि उनमें से कुछ ने जीवन को सुधारने और मृत्यु के समय को नियंत्रित करने के उपाय भी खोज लिये होंगे। नवम्बर १९७४ में इन वैज्ञानिकों ने एके सन्देश हमारी आकाशगंगा के छोर की ओर भेजा। समस्या यह है कि यदि वह सन्देश किसी को मिल भी जाए, और वे उसका उत्तर भी दें, तो भी उस उत्तर पृथ्वी तक आने में ४८००० वर्ष लग सकते हैं।

मसीही विश्वासियों को ये प्रयास चाहे बेतुके लगें, लेकिन वे वैज्ञानिक अपने इन प्रयासों को लेकर बहुत गंभीर हैं, जबकि हम विश्वासी, जो वास्तव में एक अलौकिक संसार से संबंध बना कर रखते हैं कभी कभी ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे हमारी प्रार्थनाएं कोई नहीं सुनता। परमेश्वर के हर सन्तान को यह अधिकार और अवसर है कि वह परमेश्वर से कभी भी संपर्क कर सके। जिसने इस सृष्टि को बनाया और नक्षत्रसमूहों (galaxies) को आकार देकर स्थापित किया, हमें उसके साथ क्षण भर में संपर्क स्थापित करने का अधिकार और विधि है। जिस क्षण हम प्रार्थना में उसके पास आते हैं, वह हमारी सुनता है और अपनी इच्छा में उसका उत्तर भी देता है। प्रार्थना की अद्भुत सुविधा के माध्यम से प्रत्येक मसीही विश्वासी सर्वश्क्तिमान के सन्मुख आ सकता है, उसके जो स्वर्ग में होकर भी उनकी सुनता है और जो मनुष्यों की परिस्थितियों को बदलने की सामर्थ रखता है और उन्हें बदलता भी है।

परमेश्वर के साथ हमारे संबंध के अनुसार हम स्वर्ग को अपने सन्देश पूरे विश्वास के साथ भेज सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि वह हमारी सुनता भी है और उत्तर भी देता है। - मार्ट डी हॉन


जब हम प्रार्थना में अपने घुटने झुकाते हैं तो परमेश्वर हमारी सुनने के लिये अपने कान हमारी ओर झुकाता है।

...तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्‍या क्‍या आवश्यक्ता है। - मत्ती ६:८


बाइबल पाठ: मत्ती ६:५-८

और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्‍योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उन को अच्‍छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
परन्‍तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर, और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाई बक बक न करो क्‍योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
सो तुम उन की नाई न बनो, क्‍योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्‍या क्‍या आवश्यक्ता है।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १३-१५
  • मत्ती ५:१-२६

मंगलवार, 4 जनवरी 2011

तरबूज़ की गवाही

विलियम जैनिंग ब्रायन्स को यह जानकर अचंभा हुआ कि १ पौंड (आधा किलो से कुछ कम) वज़न पूरा करने के लिये तरबूज़ के लगभग ५००० बीज चाहिये होते हैं। उसने लिखा, "हाल ही में किसी ने तरबूज़ का एक छोटा बीज बो दिया। पानी और धूप के प्रभाव से, उस बीज ने अपना बाहरी छिलका उतार दिया और अपना काम करना आरंभ कर दिया। उसने अपने वज़न से २००,००० गुणा वज़न का सामान धरती और आकाश से जमा किया, उसे पतले से तने और डालियों में प्रवाहित किया और फिर उस बेल की डालियों में नये तरबूज़ बना दिये। हर तरबूज़ का हरे रंग का सख्त बाहरी खोल था, उसके अन्दर सफेद रंग की मोटी और कुछ कम सख्त रक्षा देने वाली परन्तु स्वाद में फीकी परत थी और फिर उसके अन्दर लाल रंग का नरम, मीठे रस से भरा गूदा था जिसमें ढेर सारे बीज जगह जगह रखे हुए थे, और हर बीज इसी प्रक्रिया को दोहराने की क्षमता रखता था। किस योजनाकार ने यह सब सिसिलेवार इतनी निपुणता से करने की योजना बनाई? उस छोटे से बीज में इतनी सामर्थ कैसे आई? उसे कैसे पता चला कि भिन्न रंग, सखती और स्वाद देने के लिये किस चीज़ को कितनी मात्रा में, कहां से लेकर, कब और कैसे औरों के साथ मिश्र्ति करना है कि हर तरबूज़ में यही नतीजा निकले, तथा हर तरबूज़ लगभग एक सी आकृति और आकार का ही हो?"

ब्रायन्स ने कहा कि यदि हम एक तरबूज़ की रचना को नहीं समझ और समझा पाते तो हम परमेश्वर को और उसकी असीम सामर्थ और कार्यविधी को कैसे समझ पाएंगे! इस तरह के अनेक और अद्भुत उदाहरण सृष्टि के प्रत्येक पहलू में रखकर परमेश्वर ने अपनी असीम सामर्थ और ज्ञान का उदाहरण दिया है जिसे हम अपने सीमित बुद्धि से कभी समझ नहीं सकते।

एक तरबूज़ की रचना में विदित परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि हमें अचंभित कर सकती है। उसके अवर्णनीय आश्चर्यकर्मों को देखकर हम भजनकार के साथ नम्रता और विस्मय सहित उसके सन्मुख झुककर इतना ही कह सकते हैं "हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।" - भजन १०४:२४ - हेनरी बौश


परमेश्वर की सृष्टि पर उसके हस्ताक्षर उसकी महिमा की घोषणा करते हैं।

हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है? पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है। - भजन १०४:२४


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १:९-१३

फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे, और वैसा ही हो गया।
और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें, और वैसा ही हो गया।
तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति १०-१२
  • मत्ती ४