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रविवार, 30 सितंबर 2012

आराधना


   कई वर्ष पहले की बात है, मेरे पति टॉम कुछ हाई-स्कूल छात्रों के एक दल को लेकर एक कसबे के मिशन स्कूल में स्वयं-सेवी कार्य के लिए लेकर गए। टॉम ने उससे कुछ दिन पहले ही अपनी टांग तोड़ ली थी इसलिए वे एक पहिए वाली कुर्सी पर बैठकर मिशन स्कूल में हो रहे कार्य का संचालन कर रहे थे। वे इस बात से कुछ निराश भी थे क्योंकि वे इस कार्य के लिए आवश्यक्तानुसार कार्यस्थल के प्रत्येक स्थान में घूमने और संचालन करने में असमर्थ थे।

   जब वे स्कूल भवन के ज़मीनी तल पर कार्य करवा रहे थे तो कुछ लड़कियां ऊपर तीसरी मंज़िल पर दीवारों को रंगने का कार्य कर रहीं थीं। अपना कार्य करते हुए वे परमेश्वर की आराधाना और स्तुति के गीत भी गाती जा रहीं थीं। उनकी आवाज़ उस खाली स्कूल भवन में गूँज रही थी और उनका एक साथ मिलकर लय-ताल में गाना बहुत अच्छा लग रहा था। टॉम ने बाद में इसके बारे में बताया और कहा कि आराधना के गीतों की यह आवाज़ें उनके लिए सबसे मधुर आवाज़ें थीं और निराशा में पड़ी उनकी आत्मा उन गीतों से प्रफुल्लित हुई।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में कुलुस्सियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस मसीही विश्वासियों से कहता है: "मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ" (कुलुस्सियों ३:१६)।" टॉम के साथ गई वे लड़कियां ना केवल परमेश्वर की आराधना कर रहीं थीं, वरन साथ ही, अनजाने में, वे एक निराश साथी को उभारने की सेवकाई भी कर रहीं थीं।

   आप जो भी कार्य करें, उसे करते समय अपने रवैये में स्तुति और आराधना की प्रवृत्ति अवश्य प्रकट करें, चाहे यह स्तुति गीत के द्वारा हो या बातचीत के द्वारा, प्रभु में अपने आनन्द को दूसरों तक पहुंचने दें। ऐसा करके क्या जाने आप किसी निराशा में पड़े हुए को कब उभार दें।

   सच्चे परमेश्वर की सच्ची आराधना सदा भली ही होती है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रोत्साहन की चिंगारी आशा की ज्वाला प्रज्वल्लित कर सकती है।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों ३:१६

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१२-१७
Col 3:12  इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 
Col 3:13  और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। 
Col 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो। 
Col 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लि्ये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो। 
Col 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। 
Col 3:17  और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ९-१० 
  • इफिसियों ३

शनिवार, 29 सितंबर 2012

लौट आएं


   परमेश्वर की प्रजा इस्त्राएल परमेश्वर से विमुख हो गई थी; इस बात से हुए दुख को परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता होशे के द्वारा उन्हें समझाया। इसके लिए परमेश्वर ने होशे से एक विचित्र कार्य करवाया: परमेश्वर ने होशे को निर्देश दिए कि वह गोमेर नामक एक वैश्या को ब्याह लाए और उसके साथ एक विश्वासयोग्य और प्रेम करना वाला पति बन कर रहे। ऐसा करने पर भी गोमेर होशे के प्रति अविश्वासयोग्य रही जिससे होशे को बहुत दुख पहुँचा और इस्त्राएल की आत्मिक अविश्वासयोग्यता को लेकर परमेश्वर के दुख का बयान वह इस्त्राएल के सामने कर सका।

   होशे ने अपनी पुस्तक के अन्त में जैसे लिखा है, परमेश्वर ने अपनी प्रजा इस्त्राएल पर यह बात स्पष्ट कर दी कि जो दुख उन्होंने उसे पहुँचाया है उसके बावजूद यदि वे उसकी ओर लौट कर आएंगे तो वह उनके पापों को क्षमा कर देगा, उन्हें चंगा करेगा और उन्हें फलवंत करेगा: "मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। मैं इस्राएल के लिये ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाई फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा। उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी। जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्न की नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाई फूले-फलेंगे; और उसकी कीर्ति लबानोन के दाखमधु की सी होगी" (होशे १४:४-७)।

   जो लोग परमेश्वर से अपना मुँह मोड़ लेते हैं उनके लिए जीवन असंतुष्टि और अपराध-बोध से भरा होता है; जो मसीही विश्वास विश्वास में आने के बाद भी पुनः पाप में पड़ जाते हैं वे इस बात को भली-भांति जानते हैं, उन्हें अनुभव रहता है कि इस आत्मिक अविश्वासयोग्यता की उन्हें एक कीमत चुकानी पड़ती है। किंतु जैसे अनुग्रह के परमेश्वर ने इस्त्राएल को क्षमा और बहाली का सन्देश दिया, उन्हें जो वास्तव में सच्चे मन से पश्चाताप और क्षमा-प्रार्थी हैं, वैसे ही आज भी वह पश्चाताप के साथ लौट आने वालों की क्षमा और बहाली का वायदा करता है "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ युहन्ना १:९)।

   क्या आपने जीवन में कोई गलत निर्णय लिए हैं जिनके कारण आप परमेश्वर और उसके प्रेम से दूर हो गए हैं? पश्चाताप के साथ परमेश्वर की ओर लौट आएं, उसके अनुग्रह और क्षमा द्वारा फिर से परमेश्वर कि निकटता में जीवन व्यतीत करने वाले बन जाएं। उसका वायदा है कि जो लौट आयगा "...उसे मैं कभी न निकालूंगा" (यूहन्ना ६:३७)। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के साथ एक नई शुरुआत करने का मार्ग सदा खुला रहता है।

मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। - होशे १४:४

बाइबल पाठ: होशे १४:१-८
Hos 14:1  हे इस्राएल, अपने परमेश्वर यहोवा के पास लौट आ, क्योंकि तू ने अपने अधर्म के कारण ठोकर खाई है। 
Hos 14:2  बातें सीखकर और यहोवा की ओर फिरकर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे। 
Hos 14:3  अश्शूर हमारा उद्धार न करेगा, हम घोड़ों पर सवार न होंगे, और न हम फिर अपनी बनाई हुई वस्तुओं से कहेंगे, तुम हमारे ईश्वर हो; क्योंकि अनाथ पर तू ही दया करता है।
Hos 14:4  मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। 
Hos 14:5  मैं इस्राएल के लिये ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाईं फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा। 
Hos 14:6  उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी। 
Hos 14:7  जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्न की नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाईं फूले-फलेंगे; और उसकी कीर्ति लबानोन के दाखमधु की सी होगी।
Hos 14:8  एप्रैम कहेगा, मूरतों से अब मेरा और क्या काम? मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूंगा। मैं हरे सनौवर सा हूं, मुझी से तू फल पाया करेगा।
Hos 14:9  जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ७-८ 
  • इफिसियों २

शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

सृष्टि


   जब हम सृष्टि के आश्चर्य के बारे में सोचते हैं - कैसे परमेश्वर ने कहा और यह सारी सृष्टि उत्पन्न हो गई, यह पृथ्वी और इसमें विद्यमान सब कुछ भी, तो हमारा ध्यान परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खंड में लिखित विवरण की ओर जाता है। किंतु नए नियम में भी सृष्टि के बारे में लिखा गया है, और वह भी कुछ कम अद्भुत नहीं है। इस संदर्भ में कुछ प्रमुख पदों को देखिए:
  • "...मैं दृष्‍टान्‍त कहने को अपना मुंह खोलूंगा: मैं उन बातों को जो जगत की उत्‍पत्ति से गुप्‍त रही हैं प्रगट करूंगा" (मत्ती १३:३५) - परमेश्वर हमें इस समय में वे बातें प्रगट करता है जो सृष्टि के पूर्व से गुप्त रखी गईं थीं।
  • "...हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है" (मत्ती २५:३४) - इस पृथ्वी की रचना से पहले से ही परमेश्वर हमें और हमारे भविष्य के बारे में जानता है।
  • "...उस ने हमें जगत की उत्‍पत्ति से पहिले उस में चुन लिया..." (इफिसियों १:४) - सृष्टि के सृजन का कार्य आरंभ होने से पहले ही वह अपनी आने वाली संतान के बारे में जानता है।

   सृष्टि से संबंधित ये पद दिखाते हैं कि जैसे उत्पत्ति की पुस्तक में वर्णित है, मनुष्य परमेश्वर की विशेष रचना है और परमेश्वर की मानव जाति के लिए योजना है। परमेश्वर के विष्य में यह ज्ञान हमारे मनों को सांत्वना देता है कि वह हमारा ध्यान सृष्टि के आरंभ से भी पहले से रखता आया है। ऐसे अद्भुत ज्ञान और सृष्टि-सामर्थ रखने वाले परमेश्वर के सामने हम केवल आदर, श्रद्धा और भय के साथ अपने सिरों को झुका कर उसकी आराधना ही कर सकते हैं - वह जिसका ज्ञान और सृष्टि करने की सामर्थ अनन्त और असीम है किंतु जिसका ध्यान उसकी सृष्टि के एक एक जन पर लगा रहता है। - डेव ब्रैनन


प्रत्येक जन परमेश्वर की प्रेम भरी योजना की अनुपम अभिव्यक्ति है।

जैसा उस ने हमें जगत की उत्‍पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। - इफिसियों १:४

बाइबल पाठ: इफिसियों १:३-११
Eph 1:3  हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, कि उस ने हमें मसीह में स्‍वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है। 
Eph 1:4  जैसा उस ने हमें जगत की उत्‍पति से पहिले उस में चुन लिया, कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों। 
Eph 1:5  और अपनी इच्‍छा की सुमति के अनुसार हमें अपने लिये पहिले से ठहराया, कि यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लेपालक पुत्र हों, 
Eph 1:6  कि उसके उस अनुग्रह की महिमा की स्‍तुति हो, जिसे उस ने हमें उस प्यारे में सेंत मेंत दिया। 
Eph 1:7   हम को उस में उसके लोहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। 
Eph 1:8   जिसे उस ने सारे ज्ञान और समझ सहित हम पर बहुतायत से किया। 
Eph 1:9  कि उस ने अपनी इच्‍छा का भेद उस सुमति के अनुसार हमें बताया जिसे उस ने अपने आप में ठान लिया था। 
Eph 1:10  कि समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबन्‍ध हो कि जो कुछ स्‍वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे। 
Eph 1:11  उसी में जिस में हम भी उसी की मनसा से जो अपनी इच्‍छा के मत के अनुसार सब कुछ करता है, पहिले से ठहराए जाकर मीरास बने।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५-६ 
  • इफिसियों १

गुरुवार, 27 सितंबर 2012

पहुनाई


   परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खंड में पहुनाई को मसीही जीवन का प्रमाण चिन्ह बताया गया है। इसे चर्च का अगुवा होने वालों का एक गुण कहा गया है (१ तिमुथियुस ३:२; तीतुस १:८) और मसीह के प्रत्येक अनुयायी के लिए प्रेम प्रदर्शित करने की विधि तथा आज्ञा के रूप में दिया गया है (रोमियों १२:१३; १ पतरस ४:९)। किंतु पहुनाई का अर्थ केवल अपने घरों को मेहमानों के लिए खुला रखने या एक अच्छा मेज़बान होना ही नहीं है; वह तो उस से कहीं अधिक गहरा है।

   मूल युनानी भाषा में प्रयुक्त जिस शब्द का अनुवाद ’पहुनाई’ किया गया है उसका अर्थ ’अपरिचितों से प्रेम’ था। जब प्रेरित पौलुस कहता है "पहुनाई करने में लगे रहो" (रोमियों १२:१३), तो उसका तात्पर्य था कि ज़रूरतमन्दों के साथ संबंध बनाओ और फिर उन संबंधों को भलि-भांति निभाओ। यह कोई सरल कार्य नहीं है।

   लेखक हेनरी नौवेन के अनुसार यह उन लोगों की ओर हाथ बढ़ाना और उनकी सहायता करना है जिनसे हम अपनी जीवन यात्रा में मिलते हैं - लोग जो अपने देश, संसकृति, दोस्तों, संबंधियों, परिवारजनों से दूर हैं, और शायद परमेश्वर से भी दूर हैं। नौवेन ने लिखा: "इसलिए पहुनाई का अर्थ है अपने जीवन में एक ऐसा स्थान बनाना जहां कोई अपरिचित अन्दर आ सके और शत्रु नहीं वरन मित्र बन सके। पहुनाई का अर्थ लोगों को बदलना नहीं है, वरन वह स्थान उपलब्ध कराना है जहां उनके अन्दर एक परिवर्तन संभव हो सके।"

   चाहे हम किसी घर में हों, या किसी छात्रावास में, किसी सैनिक बैरक में हों या कैदखाने में, पहुनाई के अवसर सदा उपलब्ध रहते हैं; हम लोगों का स्वागत कर सकते हैं और उन्हें मसीही प्रेम दिखा सकते हैं। पहुनाई आवश्यकता में पड़े लोगों की सहायता करना है। - डेविड मैक्कैसलैंड


किसी एकाकी मन के खालीपन को पहुनाई से भरा जा सकता है।

बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो। - १ पतरस ४:९

बाइबल पाठ: रोमियों १२:९-२१
Rom 12:9  प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो, भलाई में लगे रहो। 
Rom 12:10  भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Rom 12:11  प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Rom 12:12  आशा में आनन्‍दित रहो; क्‍लेश मे स्थिर रहो; प्रार्थना मे नित्य लगे रहो। 
Rom 12:13   पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Rom 12:14   अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Rom 12:15  आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो, और रोने वालों के साथ रोओ। 
Rom 12:16  आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। 
Rom 12:17  बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो। 
Rom 12:18   जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 
Rom 12:19  हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 
Rom 12:20  परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला, यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा। 
Rom 12:21  बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३-४ 
  • गलतियों ६

बुधवार, 26 सितंबर 2012

भुलाए हुए


   संसार भर में लोग अमेरिका के दक्षिणी डकोटा में स्थित रशमोर पहाड़ पर चट्टान पर विशालाकाय रूप में खुदी हुई भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपतियों के चेहरों की प्रतिमाओं के बारे में जानते हैं और प्रति वर्ष लाखों सैलानी उन्हें देखने के लिए आते हैं। यद्यपि लाखों लोग उन प्रतिमाओं के बारे में जानते हैं, बहुत ही कम हैं जिन्होंने डोएन रौबिन्सन का नाम सुना है जो कि द्क्षिणी डकोटा के इतिहासकार और इन विशाल भव्य प्रतिमाओं को बनाने की योजना के जन्मदाता तथा इस योजना को कार्यान्वित करके व्यावाहरिक रूप देने वाले थे। इस स्मारक की प्रशंसा भी होती है और प्रसिद्धी भी है किंतु इनके योजनाकार को बहुत कम जानते हैं, और मान्यता देते हैं।

   कभी कभी प्रभु की सेवा में हमें भी ऐसा लग सकता है कि या तो हमें भुला दिया गया है या हमें गौण और पृष्ठभूमि में कर दिया गया है। मसीही सेवकाई एक ऐसा जीवन भी हो सकती है जहां वे ही लोग जिनके लिए आप कार्य कर रहें हैं आपके योगदान और मेहनत को कोई महत्व अथवा मान्यता नहीं देते, कोई आपकी सराहना नहीं करता, कोई प्रोत्साहित नहीं करता। लेकिन शुभ समाचार यह है कि चाहे संसार के लोग जाने या ना जानें, परमेश्वर अवश्य ही हर बात को जानता है और उसका लेखा रखता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों ६:१० में लिखा है: "क्‍योंकि परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर रहे हो।"

   यह परमेश्वर का कैसा अद्भुत आश्वासन है; हमारा स्वर्गीय पिता उसके लिए करी गई हमारी सारी सेवकाई का ध्यान रखता है और उसे कभी नहीं भुलाता। परमेश्वर के समक्ष हम भुलाए हुए कार्यकर्ता नहीं हैं; उसे हमारा और हमारे सारे कार्यों का बोध भी है और ध्यान भी। यह एक तथ्य और इसका महत्व सारे संसार के लोगों की प्रशंसा का पात्र होने से कहीं अधिक मूल्यवान और महत्वपूर्ण है। अपनी सेवकाई में लगे रहिए, उचित समय पर प्रतिफल और मान्यता परमेश्वर की ओर से अवश्य मिलेगी। - बिल क्राउडर


मसीह की प्रसन्नता के लिए कार्य करना संसार से प्रशंसा प्राप्त करने के लिए कार्य करने से उत्तम ध्येय है।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझकर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्‍तु प्रभु के लिये करते हो। क्‍योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। - कुलुस्सियों ३:२३-२४

बाइबल पाठ: - १ पतरस ५:६-११
1Pe 5:6  इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। 
1Pe 5:7  और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है। 
1Pe 5:8  सचेत हो, और जागते रहो, क्‍योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए। 
1Pe 5:9   विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जान कर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं। 
1Pe 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्‍त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा। 
1Pe 5:11  उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १-२ 
  • गलतियों ५

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

विश्वास


   मैं और मेरे पति, पिछली गर्मियों में वापस अपने शहर ट्रेन से लौट रहे थे। हमें जो बैठने की सीटें मिली थीं उनका रुख ट्रेन के पीछे की ओर था, अर्थात हमारी पीठ ट्रेन के आगे की ओर और हमारे मुख ट्रेन के पीछे की ओर थे। ट्रेन की खिड़की से बाहर का दृश्य दिखाई दे रहा था, किंतु हम केवल वह देख रहे थे जो हमसे पीछे की ओर निकलता जा रहा था, हमारे सामने से आने वाला दृश्य हम देख नहीं सकते थे। मुझे यह अच्छा नहीं लग रहा था; मैं देखना चाहती थी कि मैं जिस ओर जा रही हूँ वहां आगे क्या है।

   कुछ ऐसा ही जीवन के संबंध में भी हमारे साथ होता है - हम उत्सुक्त रहते हैं कि हम जान सकें कि आगे क्या होने वाला है। हमारी इच्छा रहती है कि हम जान सकें कि परिस्थितियों का क्या परिणाम होगा; परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर किस प्रकार से देगा। लेकिन हमारी उस ट्रेन यात्रा के समान, हम केवल वह ही देख पाते हैं जो पीछे की ओर निकल गया है, आगे से आने वाला नहीं। लेकिन हमारे विश्वास की आंखें हमें दिखातीं हैं कि हमारे लिए आगे क्या रखा हुआ है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों का ११वां अध्याय ’विश्वास का अध्याय’ कहा जाता है, क्योंकि इसमें उन लोगों का उल्लेख है जो विश्वास के साथ परमेश्वर के साथ बने रहे और आगे बढ़ते रहे। इस अध्याय में इन विश्वास के योद्धाओं में से कुछ ने दो प्रकार की बातें अपनी विश्वास की आंखों से देखीं। एक प्रकार की बात देखने वाले लोग थे नूह, इब्राहिम और सारा: "ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्‍होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं नहीं पाईं, पर उन्‍हें दूर से देखकर आनन्‍दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। पर वे एक उत्तम अर्थात स्‍वर्गीय देश के अभिलाषी हैं..." (इब्रानियों ११:१३, १६)। विश्वास द्वारा दूसरी प्रकार की बात देखने वाला है मूसा जिसने ’अनदेखे’ अर्थात प्रभु यीशु को विश्वास की आंखों से देखा: "इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा। और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्‍योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं। विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्‍योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा" (इब्रानियों ११:२५-२७)।

   अपने जीवन में आज के संघर्षों के फल को हम चाहे देख ना पाएं, लेकिन प्रत्येक मसीही विश्वासी अपने विश्वास की आंखों से देख सकता है कि वह कहां जा रहा है - अपने स्वर्गीय वतन और घर जहां वह अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के साथ अनन्त तक रहेगा और वहां "वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य २१:४)। - ऐनी सेटास


स्वर्ग की प्रतिज्ञा हमारी अनन्त आशा है।

सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्‍तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ। - कुलुस्सियों ३:१-२ 

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:१३-१६; २३-२७
Heb 11:13  ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्‍होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्‍तुएं नहीं पाई, पर उन्‍हें दूर से देखकर आनन्‍दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। 
Heb 11:14  जो ऐसी ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्‍वदेश की खोज में हैं। 
Heb 11:15  और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्‍हें लौट जाने का अवसर था। 
Heb 11:16  पर वे एक उत्तम अर्थात स्‍वर्गीय देश के अभिलाषी हैं, इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उस ने उन के लिये एक नगर तैयार किया है।
Heb 11:23  विश्वास ही से मूसा के माता पिता ने उस को, उत्‍पन्न होने के बाद तीन महीने तक छिपा रखा; क्‍योंकि उन्‍होंने देखा, कि बालक सुन्‍दर है, और वे राजा की आज्ञा से न डरे। 
Heb 11:24  विश्वास ही से मूसा ने सयाना होकर फिरौन की बेटी का पुत्र कहलाने से इन्‍कार किया। 
Heb 11:25   इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा। 
Heb 11:26  और मसीह के कारण निन्‍दित होने को मिसर के भण्‍डार से बड़ा धन समझा: क्‍योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं। 
Heb 11:27  विश्वास ही से राजा के क्रोध से न डरकर उस ने मिसर को छोड़ दिया, क्‍योंकि वह अनदेखे को मानों देखता हुआ दृढ़ रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ६-८ 
  • गलतियों ४

सोमवार, 24 सितंबर 2012

आवाज़


   मैंने वियतनाम के युद्ध में वायुसेना के एक विमान चालक कप्तान रे बेकर के बारे में पढ़ा। युद्ध के समय में वायुसेना के प्रशिक्षण में उन विमान चालकों को प्रशिक्षित किया गया था कि चेतावनी की घंटी की आवाज़ सुनते ही वे अपने आवास स्थान या जहां कहीं भी वे हों वहां से भाग कर अपने अपने विमानों तक तुरंत उड़ान भरने के लिए पहुँचें। कई बार तो भोजन करते समय उन्हें भोजन और बर्तन छोड़कर भागना पड़ता था। उनका प्रशिक्षण उन्हें घंटी की आवाज़ सुनते ही कुछ सोचने के लिए रुकने का नहीं वरन तुरंत प्रतिक्रीया देने का था। यह प्रशिक्षण इतना उत्तम था कि एक दिन जब रे बेकर अपनी छुट्टी पर घूमने बाहर गया हुआ था और एक होटल में बैठा खाना खा रहा था, तो बाहर कहीं बजी किसी घंटी की आवाज़ सुनते ही वह अपना भोजन छोड़कर होटल से बाहर भाग निकला!

   जब प्रभु यीशु ने अपने पहले चेलों को बुलाया, उनके अन्दर भी उसकी आवाज़ को सुनकर उसके पीछे हो लेने की तत्परता थी। उन चेलों के लिए, जो व्यवसाय से मछुआरे थे, प्रभु की बुलाहट अनायास थी; परन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है कि "वे तुरन्‍त जालों को छोड़ कर उसके पीछे हो लिए" (मरकुस १:१८)। इस सुसमाचार लेख का लेखक, मरकुस, संभवतः अपने पाठकों पर प्रभु यीशु की बुलाहट और आवाज़ में विद्यमान अधिकार को दर्शाना चाह रहा था। जब प्रभु ने बुलाया तो ये लोग सब कुछ छोड़कर उसके हो लिए क्योंकि संभवतः परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने में लोगों की सहायता करना उन्हें मछली पकड़ने से अधिक रोचक और उत्तम लगा।

   जब प्रभु यीशु अपने पीछे हो लेने की आवाज़ किसी को देता है तो वह नहीं चाहता कि उसकी इस पुकार के पालन में कोई विलंब हो। सुसमाचार को दुसरों तक पहुँचाने के कार्य में वह तत्परता चाहता है। उसकी पुकार आज भी उसके सभी विश्वासियों के लिए यही है: "...स्‍वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्‍हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्‍हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं" (मत्ती २८:१८-२०)। - मार्विन विलियम्स


प्रभु को आज भी संसार को सुसमाचार सुनाने वालों की आवश्यकता है।

वे तुरन्‍त जालों को छोड़ कर उसके पीछे हो लिए। - मरकुस १:१८

बाइबल पाठ: मरकुस १:१६-२०
Mar 1:16 गलील की झील के किनारे किनारे जाते हुए, उस ने शमौन और उसके भाई अन्‍द्रियास को झील में जाल डालते देखा, क्‍योंकि वे मछुवे थे। 
Mar 1:17  और यीशु ने उन से कहा, मेरे पीछे चले आओ, मैं तुम को मनुष्यों के मछुवे बनाऊंगा। 
Mar 1:18 वे तुरन्‍त जालों को छोड़ कर उसके पीछे हो लिए। 
Mar 1:19 और कुछ आगे बढ़कर, उस ने जब्‍दी के पुत्र याकूब, और उसके भाई यहून्ना को, नाव पर जालों को सुधारते देखा। 
Mar 1:20 उस ने तुरन्‍त उन्‍हें बुलाया, और वे अपने पिता जब्‍दी को मजदूरों के साथ नाव पर छोड़ कर, उसके पीछे चले गए।

एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ४-५ 
  • गलतियों ३

रविवार, 23 सितंबर 2012

शब्द - बाण या मरहम


   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन का लेखक ऐसे बुद्धिहीन लोगों के बारे में लिखता है "...जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है..." (नीतिवचन १२:१८) - हमारी जीभ कई फालियों वाले ’स्विस’ चाकू के समान कई प्रकार से काटने और घायल करने की क्षमता रखती है।

   ऐसे हानिकारक रवैये का कारण होता है हमारे अन्दर का क्रोध, खिसियाहट, कुण्ठाएं, निराशाएं, अधीरताएं, तनाव, स्वदोष-बोध, असुरक्षाएं इत्यादि। अपने शब्दों द्वारा जब हम लोगों को घायल करते हैं तो साथ ही हम मित्रता और अन्य संबंधों को भी काटते और विच्छेदित करते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि उन सात बातों की सूचि में जिन से परमेश्वर घृणा करता है, एक है वह व्यक्ति जो भाइयों के बीच झगड़ा उत्पन्न करता है (नीतिवचन ६:१६-१९)।

   परमेश्वर के समक्ष घृणित बातों की इस सूचि में सम्मिलित होने से हम अपने आप को कैसे बचाकर रख सकते हैं? सबसे पहली बात तो यह कि हमें अपने बोल-चाल का ध्यान रखना होगा; कानाफूसी और द्वेषपूर्ण बातें हमारे जीवनों में बिलकुल स्वीकार्य नहीं हैं और ना ही ऐसे शब्द जो आहत करते हैं। फिर, डींग मारना, घमण्ड दिखाना, झूठ बोलना और शब्दों के अन्य सभी ऐसे प्रयोग जिनके द्वारा फूट पड़ती है या चोट पहुँचती है भी हमारे जीवनों में नहीं पाए जाने हैं।

   शब्दों और जीभ के ऐसे दुरुपयोग के स्थान पर हमें ऐसा व्यवहार दिखाना और ऐसे शब्द प्रयोग करने हैं जिनसे प्रेम, क्षमा, करुणा, दया प्रगट होती है; वे जो घायल मन पर मरहम का काम करें। नम्रता सहित सत्य ही हमारे जीवन, आपसी संबंधों और बोलचाल का आधार होना चाहिए; और हमारी जीभ का प्रयोग दूसरों को उभारने तथा संवारने के लिए होना चाहिए ना कि किसी को नीचा दिखाने या गिराने के लिए।

   यदि प्रभु यीशु ने हमारे साथ ऐसे प्रेम, क्षमा और अनुग्रह से पूर्ण मधुर वचनों का प्रयोग एवं मृदु व्यवहार ना किया होता तो हम कहाँ होते? इसलिए प्रत्येक मसीही विश्वासी का भी कर्तव्य है कि वह शब्दों का प्रयोग बाण के समान बेधने के लिए नहीं वरन ढांपने और चंगा करने वाले मरहम के समान करे, जैसा कि हमारे उद्धाकर्ता प्रभु यीशु ने अपने शब्दों और व्यवहार का प्रयोग सबकी भलाई के लिए किया। - जो स्टोवैल


हमारे शब्दों में बनाने और बिगाड़ने दोनो की शक्ति है।

ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं। - नीतिवचन १२:१८

बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१६-१९; १२:१७-२२
Pro 6:16  छ: वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिन से उसको घृणा है 
Pro 6:17 अर्थात घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलने वाली जीभ, और निर्दोष का लोहू बहाने वाले हाथ, 
Pro 6:18  अनर्थ कल्पना गढ़ने वाला मन, बुराई करने को वेग से दौड़ने वाले पांव, 
Pro 6:19  झूठ बोलने वाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य। 
Pro 12:17  जो सच बोलता है, वह धर्म प्रगट करता है, परन्तु जो झूठी साक्षी देता, वह छल प्रगट करता है। 
Pro 12:18  ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं। 
Pro 12:19  सच्चाई सदा बनी रहेगी, परन्तु झूठ पल ही भर का होता है। 
Pro 12:20  बुरी युक्ति करने वालों के मन में छल रहता है, परन्तु मेल की युक्ति करने वालों को आनन्द होता है। 
Pro 12:21  धर्मी को हानि नहीं होती है, परन्तु दुष्ट लोग सारी विपत्ति में डूब जाते हैं। 
Pro 12:22  झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत १-३ 
  • गलतियों २

शनिवार, 22 सितंबर 2012

सत्य और सत्यापित


   मेरे पति को भूतपूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति रौनल्ड रियगन द्वारा कही बात "विश्वास करो, परन्तु स्त्यापित भी करो" बहुत पसन्द है। जब रियगन राष्ट्रपति थे तो राजनैतिक आदान-प्रदान और व्यवहार में उनसे कही गई बातों का वे विश्वास करना तो चाहते थे; परन्तु क्योंकि उनके देश की सुरक्षा उन्हें बताई गई बात के सत्य होने पर निर्भर थी इसलिए वे हर बात को सत्यापित भी करवाते थे और सत्यापित सत्य के अनुसार ही कार्यवाही करते थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों १७:११ में, भी कुछ ऐसे लोगों का उल्लेख है जिन्होंने केवल इसलिए प्रचार किए हुए वचन को मान नहीं लिया क्योंकि परमेश्वर के नाम से एक नामी प्रचारक ने उनके मध्य आकर कुछ प्रचार किया। राष्ट्रपति रियगन ही के समान उनमें भी सत्यापित करने की लालसा थी, इसलिए "ये लोग तो थिस्‍सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्‍होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्‍त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों हीं हैं, कि नहीं।" अर्थात बेरिया के उन मसीही विश्वासियों ने वचन को सुना और ग्रहण किया, किंतु मानने से पहले स्वयं पवित्र-शास्त्र से प्रचार किए हुए वचन के बारे में जांचकर देखा और तब उसे स्वीकार किया; और ऐसा वे प्रतिदिन किया करते थे। उनके इस व्यवहार के कारण परमेश्वर का वचन उनकी आलोचना नहीं करता वरन उन्हें ’भले’ कह कर के संबोधित करता है।

  यह बात आज हम सभी के लिए भी अति आवश्यक है। हमें हमारी बाइबल शिक्षा चाहे किसी चर्च, सण्डे स्कूल, रेडियो या टी.वी. पर प्रचार या अन्य किसी भी माध्यम से मिले, जो हम सुनते हैं उसे परमेश्वर के वचन के समक्ष रखकर जांचना आवश्यक है, हमारी ज़िम्मेदारी है (२ तिमुथियुस ३:१६-१७)। हमें ऐसे मनुष्य बनना है जो "अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्‍न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो" (२ तिमुथियुस २:१५)।

   यदि हम ऐसा करेंगे तो हम किसी गलत या दूसरे ही सुसमाचार के सुनाने वालों के शिकार नहीं बनेंगे जो परमेश्वर के वचन को बिगाड़ना चाहते हैं (गलतियों १:६-७) - ऐसे झूठे शिक्षक जो भेड़ के भेस में नाश करने वाले भेड़िए हैं (मत्ती ७:१५)।

   स्मरण रखिए - "विश्वास करो, परन्तु स्त्यापित भी करो।" सिंडी हैस कैसपर


सत्य को भली भांति जानना झूठ को पहचानने के लिए पहला कदम है।

ये लोग तो थिस्‍सलुनीके के यहूदियों से भले थे और उन्‍होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्‍त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों हीं हैं, कि नहीं। - प्रेरितों १७:११

बाइबल पाठ: गलतियों १:१-१२
Gal 1:1   पौलुस की, जो न मनुष्यों की ओर से, और न मनुष्य के द्वारा, वरन यीशु मसीह और परमेश्वर पिता के द्वारा, जिस ने मरे हुओं में से जिलाया, प्रेरित है। 
Gal 1:2   और सारे भाइयों की आरे से, जो मेरे साथ हैं, गलतिया की कलीसियाओं के नाम। 
Gal 1:3  परमेश्वर पिता, और हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे। 
Gal 1:4  उसी ने अपने आप को हमारे पापों के लिये दे दिया, ताकि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्‍छा के अनुसार हमें इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए। 
Gal 1:5  उस की स्‍तुति और बड़ाई। युगानुयुग होती रहे। आमीन।
Gal 1:6  मुझे आश्‍चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। 
Gal 1:7  परन्‍तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। 
Gal 1:8  परन्‍तु यदि हम या स्‍वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। 
Gal 1:9  जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्‍या मनुष्यों को मानता हूं या परमेश्वर को? क्‍या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? 
Gal 1:10  यदि मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता।
Gal 1:11  हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं। 
Gal 1:12 क्‍योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।

एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक १०-१२ 
  • गलतियों १

शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

मार्गनिर्देशक


   क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया कि वायुयान चालक एक स्थान से दूसरे स्थान तक वायुयान को कैसे ले जा पाते हैं? यह सम्भव होता है एक विमान दिशानिर्देशन और संचालन पद्वति के द्वारा जिसका अविषकार १९५० में हुआ था, और जो आज भी वायुयानों को उनके गन्तव्य स्थानों तक पहुँचाने में कारगर है। इस पद्वति के अन्तर्गत वायुयान चालक अपने सूचक यंत्र पर एक दिशा निर्धारित करता है, और यदि वायुयान उस निर्धारित दिशा से इधर-उधर होता है तो वह यन्त्र चालक को दिखा देता है कि वायुयान मार्ग से हट रहा है, जिससे चालक यान को पुनः सही दिशा में ला सके।

   यशायाह भविष्यद्वक्ता के दिनों में इस्त्राएल को एक सही दिशा सूचक की आवश्यक्ता थी, और परमेश्वर ने उनके लिए वह मार्गदर्शक बनना चाहा। परन्तु परमेश्वर की चेतावनियों के बावजुद इस्त्राएल ने परमेश्वर की बजाए मिस्त्र के साथ संधि कर ली (यशायाह ३०:१-२)। लेकिन परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में इस्त्राएल से वायदा किया कि एक दिन वह ही उनका मार्गनिर्देशक होगा: "और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो" (यशायाह ३०:२१)।

   आज प्रत्येक मसीही विश्वासी को परमेश्वर ने एक आंतरिक मार्गनिर्देशक प्रदान किया है जो उसके अन्दर रहकर उसका मार्गदर्शन करता रहता है। प्रभु यीशु ने अपनी पवित्र आत्मा अपने प्रत्येक विश्वासी को उसके मार्गदर्शन के लिए दीया है: "परन्‍तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा..." (यूहन्ना १६:१३)। यदि आपको अपने जीवन की दिशा निर्धारित करने के लिए मार्गदर्शन चाहिए तो इधर-उधर ताकने की आवश्यक्ता नहीं है, परमेश्वर द्वारा प्रदित मार्गनिर्देशक पर विश्वास रखें और उससे दिशा निर्देशन लें; वह आपको सदा सही दिशा ही दिखाएगा। - सी. पी. हिया


परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी का सच्चा मार्गदर्शक है।

परन्‍तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्‍योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्‍तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना १६:१३

बाइबल पाठ: यशायाह ३०:१५-२२
Isa 30:15  प्रभु यहोवा, इस्राएल का पवित्र यों कहता है, लौट आने और शान्त रहने में तुम्हारा उद्धार है; शान्त रहने और भरोसा रखने में तुम्हारी वीरता है। परन्तु तुम ने ऐसा नहीं किया, 
Isa 30:16  तुम ने कहा, नहीं, हम तो घोड़ों पर चढ़कर भागेंगे, इसलिये तुम भागोगे; और यह भी कहा कि हम तेज सवारी पर चलेंगे, सो तुम्हारा पीछा करने वाले उस से भी तेज होंगे। 
Isa 30:17  एक ही की धमकी से एक हजार भागेंगे, और पांच की धमकी से तुम ऐसा भागोगे कि अन्त में तुम पहाड़ की चोटी के डण्डे वा टीले के ऊपर की ध्वजा के समान रह जाओगे जो चिन्ह के लिये गाड़े जाते हैं। 
Isa 30:18  तौभी यहोवा इसलिये विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे, और इसलिये ऊंचे उठेगा कि तुम पर दया करे। क्योंकि यहोवा न्यायी परमेश्वर है; क्या ही धन्य हैं वे जो उस पर आशा लगाए रहते हैं।
Isa 30:19  हे सिय्योन के लोगों तुम यरूशलेम में बसे रहो; तुम फिर कभी न रोओगे, वह तुम्हारी दोहाई सुनते ही तुम पर निश्चय अनुग्रह करेगा: वह सुनते ही तुम्हारी मानेगा। 
Isa 30:20  और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे। 
Isa 30:21  और जब कभी तुम दाहिनी वा बाईं ओर मुड़ने लगो, तब तुम्हारे पीछे से यह वचन तुम्हारे कानों में पड़ेगा, मार्ग यही है, इसी पर चलो। 
Isa 30:22  तब तुम वह चान्दी जिस से तुम्हारी खुदी हुई मूर्त्तियां गढ़ी हैं, और वह सोना जिस से तुम्हारी ढली हुई मूर्त्तियां आभूषित हैं, अशुद्ध करोगे। तुम उनको मैले कुचैले वस्त्र की नाईं फेंक दोगे और कहोगे, दूर हो।

एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ७-९ 
  • २ कुरिन्थियों १३

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

दृढ़ भक्ति


   मैग्गी को टेलिविज़न में कोई रुचि नहीं है; उसकी अपेक्षा उसे खिड़की से बाहर देखना ज़्यादा पसन्द है। ना ही उसे पढ़ने का शौक है, उसे किताबें चबाते हुए तो देखा गया है, पर पढ़ते हुए कभी नहीं। किंतु फिर भी जब मैं और मेरे पति टेलिविज़न देखने बैठते हैं या बैठकर कुछ पढ़ रहे होते हैं तो मैग्गी भी साथ ही रहती है। जो हम कर रहे हैं वह चाहे उसे बिलकुल पसन्द नहीं है, लेकिन बस हमारे साथ और आस-पास रहना उसे अच्छा लगता है, इसलिए वह पास बनी रहती है। मैग्गी हमारी पालतु कुतिया है और उसे जीवन में एक ही बात प्रीय है - हमारे साथ रहना, चाहे हमारी बातें उसे समझ आएं या ना आएं, उसे पसन्द हों या ना हों। अपने स्वामी के प्रति दृढ़ वफादारी - हर बात में और हर परिस्थिति में एक पालतु कुत्ते का गुण है और मैग्गी में भी यही पाया जाता है।

   परमेश्वर भी हमसे, जो उसकी सन्तान हैं एक दृढ़ वफादारी और भक्ति की आशा रखता है। यदि हम वास्तव में परमेश्वर को समर्पित हैं, उसके भक्त हैं, तो हम भी हर समय उसके साथ रहना चाहेंगे, चाहे उसकी बातें हमारी समझ में आएं या ना आएं। जब वह हमसे नाराज़ प्रतीत हो (भजन ८८:१४); जब लगे कि वह सो गया है (भजन ४४:२३) या जब दुष्ट लोग फलते-फूलते दिखाई दें तब हो सकता है कि हम उससे सवाल करें कि "ऐसा क्यों प्रभु?" लेकिन मन में प्रश्न होने के बावजूद भी जब हम उसके प्रति वफादारी और भक्ति में दृढ़ बने रहते हैं तो उसकी उपस्थिति में हमें आनन्द की भरपूरी मिलती है (भजन १६:११)।

   प्रभु यीशु जानते थे कि हमारे पास कई प्रश्न होंगे। उनके लिए हमें तैयार करने के लिए उसने कहा कि हम उसके प्रेम में बने रहें (युहन्ना १५:११)। चाहे परमेश्वर के मार्ग हमारी समझ से परे हों, किंतु उसका प्रेम सदा ही विश्वसनीय रहता है। इसलिए उस प्रेम में होकर उसके प्रति अपनी भक्ति में दृढ़ रहें। उसका साथ ही सबसे भला साथ है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब हम प्रभु यीशु के प्रेम में बने रहते हैं तो आनन्द की भरपूरी में भी बने रहते हैं।

तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। - भजन १६:११

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:९-१७
Joh 15:9  जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
Joh 15:10  यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
Joh 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए। 
Joh 15:12  मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
Joh 15:13  इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
Joh 15:14  जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
Joh 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्‍योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्‍या करता है: परन्‍तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्‍योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
Joh 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्‍तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ, और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। 
Joh 15:17  इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ४-६ 
  • २ कुरिन्थियों १२

बुधवार, 19 सितंबर 2012

प्रतीक्षा


   जब हमारे बच्चे छोटे थे, तब हम एडवेंट को मनाते थे - यह क्रिसमस से चार इतवार पहले से लेकर क्रिसमस तक मनाया जाने वाला वह समय होता था जिसमें पत्तों से भरी डालियों और फूलों से एक गोलाकार माला बना कर सजाई जाती और रोज़ शाम को मोमबत्तियां जलाई जाती थीं तथा अपने मनों को क्रिसमस के लिए तैयार करने के लिए हम लोग परमेश्वर के वचन बाइबल से प्रभु यीशु के जन्मे से संबंधित खंड पढ़ते और स्तुति गीत गाते। यह एक विशेष समय होता था।

   लेकिन एडवेंट का महत्व इससे कहीं अधीक होता है। जब चौथी इसवीं में इसाई समाज ने इसे मनाना आरंभ किया था, तो वे लोग इसे केवल प्रभु यीशु के जन्म का त्यौहार मनाने की तैयारी ही नहीं मानते थे, परन्तु साथ ही प्रभु यीशु के दूसरे आगमन की आशा को भी स्मरण करते थे। प्रभु यीशु के पुनःआगमन की निश्चितता को स्मरण करके वे उसमें आशा और आनन्द पाते थे।

   लूका रचित सुसमाचार परमेश्वर की उस महिमा के तेज के बारे में बताता है जो प्रभु यीशु के जन्म के समाचार के उन तक पहुंचने के समय उनके चारों ओर चमका था (लूका २:९)। लूका रचित सुसमाचार में ही हम प्रभु यीशु के बड़ी सामर्थ और महिमा के साथ पुनःआगमन का वायदा भी पाते हैं। प्रभु यीशु के पहले और दूसरे आगमन की घटनाओं में उनके पृथ्वी पर आने का उद्देश्य निहित है - संसार के लिए पापों से मुक्ति और उद्धार का मार्ग देना तथा संसार के अन्त और न्याय के समय में अपने विश्वासियों को अपने साथ निवास के लिए स्वर्ग में अनन्त काल के लिए लेकर जाना।

   लैटिन भाषा में एडवेंट शब्द का अर्थ होता है आगमन। क्रिसमस से पहले के यह सप्ताह पश्चाताप और आशा के लिए एक अच्छा समय हैं जब हम संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के बैतलहम में पहले आगमन का त्यौहार मनाते हैं और उसके अपनी महिमा में दूसरे आगमन की प्रतीक्षा करते हैं।

   संसार का उद्धारकर्ता मसीह यीशु आ चुका है! संसार का न्यायी मसीह यीशु आने वाला है! क्या आप उसके आगमन के लिए तैयार हैं? - डेविड मैक्कैसलैंड


संसार का उद्धारकर्ता मसीह यीशु आ चुका है! संसार का न्यायी मसीह यीशु आने वाला है!

और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। - लूका २:९

बाइबल पाठ: लूका२:८-१२; २१:२५-२८
Luk 2:8  और उस देश में कितने गड़ेरिये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्‍ड का पहरा देते थे। 
Luk 2:9   और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luk 2:10 तब स्‍वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्‍योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्‍द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luk 2:11  कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luk 2:12  और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े मे लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे। 

Luk 21:25 और सूरज और चान्‍द और तारों में चिन्‍ह दिखाई देंगें, और पृथ्वी पर, देश देश के लोगों को संकट होगा; क्‍योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएंगे। 
Luk 21:26 और भय के कारण और संसार पर आने वाली घटनाओं की बांट देखते देखते लोगों के जी में जी न रहेगा क्‍योंकि आकाश की शक्तियां हिलाई जाएंगी। 
Luk 21:27  तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे। 
Luk 21:28 जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्‍योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ३०-३२ 
  • १ पतरस ४

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

समझ से बाहर


   अमेरिका के मध्य-पश्चिम इलाके के जंगलों और बहते पानी के सोतों के आस-पास रहने और बड़े होने से उस इलाके के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा वन्य-जीवन से मैं सदा ही बहुत प्रभावित रहा हूँ। परन्तु हाल ही में कैलिफोर्निया के समुद्र-तट पर अपनी एक यात्रा में बड़े बड़े समुद्री जीव-जन्तुओं के दृश्यों और समुद्र में उनकी अटखेलियों तथा कैलिफोर्निया के अति विशाल रेडवुड पेड़ों के जंगल को देखकर मैं मन्त्र-मुग्ध सा रह गया। यह सब, जो परमेश्वर द्वारा रचि गयी प्रकृति के लाखों जीव-जन्तुओं और उनके आपसी ताल-मेल के साथ रहने और बढ़ने के कुछ नमूने ही हैं, हमें परमेश्वर की बुद्धि और समझ-बूझ का आभास देते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, प्रकृति की अनुपम जटिल विविधता और सौन्दर्यता का उद्देश्य केवल विसमय उत्पन्न करना ही नहीं है। प्रकृति के रहस्य हमें परमेश्वर के कार्य करने के तरीकों को भी दिखाते और समझाते हैं और कई बार किसी किसी के जीवन में बयान और समझ से बाहर तकलीफों और परेशानियों को भी आ लेने देने को समझने में सहायता करते है।

   इसका एक उदाहरण हम अय्युब की गाथा में पाते हैं। जब अय्युब को अपनी उन तकलीफों का सामना करना पड़ रहा था तब वह नहीं जानता था कि परमेश्वर उसका और उसके विश्वास का इतना आदर करता है कि उसने शैतान को उसे और परमेश्वर में उसके विश्वास को तकलीफों और नुकसानों के द्वारा परखने की अनुमति दी है, क्योंकि परमेश्वर जानता था कि अय्युब उन सब में खरा उतरेगा और उसका विश्वास डगमगाएगा नहीं।

   अय्युब की गाथा के अध्ययन के बाद जो निष्कर्ष निकल कर सामने आता है वह यह है कि वह सृष्टिकर्ता जिसके पास प्रकृति के अचरज बनाने की समझ-बूझ है, उसके पास हमारी अपनी समझ से बाहर तकलीफों को हमारे जीवन में आने देने के उद्देश्यों और कारणों की भी समझ है और हम उसपर इन सब बातों में भी पूरा पूरा भरोसा रख सकते हैं।

   अपनी परीक्षा के अंत में, अय्युब अपनी स्वधार्मिकता के छल को और परमेश्वर की पवित्रता को और भी बेहत्र समझने पाता है और परमेश्वर के सामने नतमस्तक, अय्युब कहता है: "मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ" - (अय्युब ४२:२,५,६)। 

   समझ से बाहर अपनी परिस्थितियों और क्लेषों में भी अय्युब के समान ही हम भी अपने परमेश्वर में ऐसा ही विश्वास रख सकते हैं; क्योंकि चाहे जो कुछ भी क्यों ना हो जाए, वह जो करेगा हमारे भले ही के लिए करेगा। - मार्ट डी हॉन


प्रकृति और जीवन के अचरज प्रकृति और जीवन के सृष्टिकर्ता परमेश्वर को जानने और उसकी आराधना करने को प्रेरित करते हैं।

मैं कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ। - (अय्युब ४२:५-६)

बाइबल पाठ: अय्युब ३६:२२-३३
Job 36:22  देख, ईश्वर अपने सामर्ध्य से बड़े बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है? 
Job 36:23  किस ने उसके चलने का मार्ग ठहराया है? और कौन उस से कह सकता है, कि तू ने अनुचित काम किया है? 
Job 36:24  उसके कामों की महिमा और प्रशंसा करने को स्मरण रख, जिसकी प्रशंसा का गीत मनुष्य गाते चले आए हैं। 
Job 36:25  सब मनुष्य उसको ध्यान से देखते आए हैं, और मनुष्य उसे दूर दूर से देखता है। 
Job 36:26  देख, ईश्वर महान और हमारे ज्ञान से कहीं परे है, और उसके वर्ष की गिनती अनन्त है। 
Job 36:27  क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह होकर टपकती हैं, 
Job 36:28  वे ऊंचे ऊंचे बादल उंडेलते हैं और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं। 
Job 36:29  फिर क्या कोई बादलों का फैलना और उसके मणडल में का गरजना समझ सकता है? 
Job 36:30  देख, वह अपने उजियाले को चहुँ ओर फैलाता है, और समुद्र की थाह को ढांपता है। 
Job 36:31  क्योंकि वह देश देश के लोगों का न्याय इन्हीं से करता है, और भोजन-वस्तुएं बहुतायत से देता है। 
Job 36:32  वह बिजली को अपने हाथ में लेकर उसे आज्ञा देता है कि दुश्मन पर गिरे। 
Job 36:33  इसकी कड़क उसी का समाचार देती है पशु भी प्रगट करते हैं कि अन्धड़ चढ़ा आता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ३०-३१ 
  • २ कुरिन्थियों ११:१-१५

सोमवार, 17 सितंबर 2012

प्रोत्साहन


   मैं अपने पोते के आठवीं कक्षा के फुटबाल खेल को देखने गया हुआ था। खेल के समय रेफरी ने पेनल्टी की सूचना दी और खेल को रोका। खेलने वालों ने कुछ गलती करी थी और रेफरी को उसके लिए खेल रोकना पड़ा। खेल का आंखों देखा हाल वर्णन करने वाले ने घोषणा करी, ’खेल मैदान पर पेनलटी दिए जाने का समय है और गलती करने वाले इसके भागी हैं।" मैंने मन में सोचा, आज ऐसे ही कई चर्चों में भी उनकी गतिविधियां रोक कर उन्हें सुधारे जाने की आवश्यक्ता है।

   ऐसा नहीं है कि चर्च की अगुवाई करने वाले पास्टर सिद्ध होते हैं, उन से कोई गलती नहीं होती। यदि हम ऐसे किसी चर्च की तलाश में हैं तो वह कहीं नहीं मिलेगा। परमेश्वर की बुलाहट है कि हम अपने आत्मिक जीवन के अगुवों का आदर करें, विशेषकर उनका जो हमें वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं (१ तिमुथियुस १:५)। मेरे विचार से इस संसार का सबसे कठिन काम पास्टर का काम है। हम एक जटिल, द्रुत गति से चलने वाले और कृत्रिमता से भरे संसार में रहते हैं, और पास्टरों के लिए हमारी अपेक्षाएं भी बहुत ऊँची तथा असंभव होती हैं; जो हम अपने जीवन में सोच नहीं सकते उसे पास्टर के जीवन में देखना चाहते हैं।

   इसलिए हमें एक परिवर्तन लाने की आवश्यक्ता है। केवल पास्टरों से ऊँची ऊँची उम्मीदें रखने की बजाए, हम स्वयं ही उच्च स्तर के चर्च सदस्य क्यों ना बन जाएं और अपने पास्टरों का धन्यवाद और प्रोत्साहन के शब्दों द्वारा आदर करना आरंभ कर दें। हमारा थोड़ा सा प्रयास हमारे पास्टरों को आनन्द और उत्साह के साथ हमारे बीच में सेवकाई करने के लिए उत्तेजित करेगा, उन से होने वाली गलतियां भी कम हो जाएंगीं और हम भी उनकी सेवकाई से और अधिक लाभान्वित हो सकेंगे। प्रत्येक सदस्य द्वारा व्यक्तिगत रवैये में किए गए सुधार का एक छोटा सा प्रयास समस्त मण्डली में बड़े प्रतिफल लाएगा। - जो स्टोवैल


अपने पास्टर के केवल आलोचक ही मत बनें, वरन साथ ही उनके सहपरिश्रमी और उन्हें प्रोत्साहित करने वाले भी बनें।

जो प्राचीन अच्‍छा प्रबन्‍ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं। - १ तिमुथियुस ५:१७

बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ५:१७-२५
1Ti 5:17 जो प्राचीन अच्‍छा प्रबन्‍ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं। 
1Ti 5:18 क्‍योंकि पवित्र शास्‍त्र कहता है, कि दांवने वाले बैल का मुंह न बान्‍धना, क्‍योंकि मजदूर अपनी मजदूरी का हकदार है। 
1Ti 5:19  कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उस को न सुन। 
1Ti 5:20  पाप करने वालों को सब के साम्हने समझा दे, ताकि और लोग भी डरें। 
1Ti 5:21 परमेश्वर, और मसीह यीशु, और चुने हुए स्‍वर्गदूतों को उपस्थित जानकर मैं तुझे चितौनी देता हूं कि तू मन खोलकर इन बातों को माना कर, और कोई काम पक्षपात से न कर। 
1Ti 5:22  किसी पर शीघ्र हाथ न रखना और दूसरों के पापों में भागी न होना: अपने आप को पवित्र बनाए रख। 
1Ti 5:23  भविष्य में केवल जल ही का पीने वाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर। 
1Ti 5:24  कितने मनुष्यों के पाप प्रगट हो जाते हैं, और न्याय के लिये पहिले से पहुंच जाते हैं, पर कितनों के पीछे से आते हैं। 
1Ti 5:25  वैसे ही कितने भले काम भी प्रगट होते हैं, और जो ऐसे नहीं होते, वे भी छिप नहीं सकते।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २७-२९ 
  • २ कुरिन्थियों १०

रविवार, 16 सितंबर 2012

एक और इतवार?


   एक इतवार चर्च के बाद, दोपहर के समय, मैं अपने पड़ौस में टहलने निकला। एक पडौसी अपने घर के सामने, सड़क के किनारे की घास काट रहा था और हम दोनो ने एक दुसरे से औपचारिकता वाला ’नमस्कार; कैसे हैं’ कहा; उसने उत्तर दिया, ’बस एक और इतवार’ बाद में मैं सोचने लगा कि ऐसा कहने से उसका क्या तात्पर्य था? क्या वह कहना चाह रहा था कि, ’कुछ विशेष नहीं, मैं तो हमेशा की तरह, अपनी नित्यक्रियाएं ही पूरी कर रहा हूँ।’

   कई बार लोगों के लिए चर्च जाना भी एक नित्यकर्म बन कर रह जाता है; बस एक और इतवार, एक और बार उन्हीं क्रियाओं का वैसे ही दोहराया जाना, इससे अधिक कुछ नहीं। लेकिन आरंभिक चर्च में ऐसा नहीं था (प्रेरितों २:४१-४७)। लोगों का परमेश्वर की आराधना के लिए एक साथ जमा होना उनके लिए एक आनन्द और उत्तेजना का विषय होता था। उस समय चर्च आरंभ ही हुआ था और सभी नए विश्वासी थे, इसलिए वे सभी उत्साहित रहते थे। लेकिन हमारे लिए क्या है? हम इतवार कि आराधना को उत्साहवर्धक और आनन्दमय बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? यदि पहले चर्च की वह उत्सुक्ता और परमेश्वर की उपस्थिति में होने का एहसास हमारे साथ हो तो पहले चर्च वाली उत्तेजना और आनन्द भी हमारे साथ रहेगा। 

   प्रत्येक इतवार हम व्यक्तिगत रीति से कम से कम चार बातें अपने लिए अवश्य कर सकते हैं:

   १. परमेश्वर के साथ मिलने के पूर्वाभास के साथ जाएं। यद्यपि परमेश्वर हर समय हमारे साथ रहता है (इब्रानियों १३:५), लेकिन जब हम उसके चाहने और जानने वालों के साथ सामूहिक रूप से एकत्रित होते हैं तो उसकी एक विशेष उपस्थिति वहां पर होती है (मत्ती १८:२०; याकूब ४:८)। ऐसे में हम एक दूसरे के साथ और परमेश्वर के साथ अपने बोझ और अपने धन्यवाद तथा आराधना की बातें बांट सकते हैं, एक दूसरे के लिए प्रार्थना कर सकते हैं और एक दुसरे के लिए परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं।

   २. परमेश्वर के बारे में सीखने की इच्छा से जाइए। परमेश्वर के वचन के सत्य हमें सदा ही प्रोत्साहित करने और मार्ग दिखाने वाले होते हैं (भजन ११९:१०५)। परमेश्वर से उसकी बात सुनने सीखने की मनसा और इस इच्छा के अनुसार तैयार किया गया मन, आते दिनों के लिए परमेश्वर के वचन से कुछ न कुछ नया मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करेगा।

   ३. दूसरों के साथ संगति करने की इच्छा से जाईए। मसीही विश्वास की इस यात्रा में हमें एक दुसरे के साथ की आवश्यक्ता है। एक दुसरे को प्रोत्साहित करने, विश्वास में बढ़ने में उत्तेजित करने और एक दूसरे के लिए प्रार्थनाएं करने से हम एक दुसरे को इस यात्रा में प्रोत्साहित कर सकते हैं, एक दूसरे का साथ निभा सकते हैं (इब्रानियों १०:२४-२५); उन्हें अकेलेपन या भटकने से बचा कर रख सकते हैं।

   ४. परमेश्वर से प्रार्थना के साथ जाएं कि वह हमारे मनों को तैयार करे, एक नया जोश हम में भरे, कि यह हमारे लिए ’बस एक और इतवार’ न बने। - ऐने सेटास


यदि आप आत्मिक भोजन से तृप्त होना चाहते हैं तो परमेश्वर के वचन की भूख के साथ चर्च जाएं।

और वे प्ररितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे। - प्रेरितों २:४२

बाइबल पाठ: प्रेरितों २:४१-४७
Act 2:41  सो जिन्‍होंने उसका वचन ग्रहण किया उन्‍होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए। 
Act 2:42   और वे प्ररितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे।
Act 2:43  और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्‍ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे। 
Act 2:44  और वे सब विश्वास करने वाले इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्‍तुएं साझे की थीं। 
Act 2:45   और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे। 
Act 2:46  और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्‍दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्‍द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे। 
Act 2:47  और परमेश्वर की स्‍तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे: और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २५-२६ 
  • २ कुरिन्थियों ९

शनिवार, 15 सितंबर 2012

वास्तविक


   मेरे घर में, मेरे कार्यस्थल में दीवार पर लटका वास्तविकता का एक प्रमाणपत्र मेरे सबसे मनपसन्द चीज़ों में से एक है। उस प्रमाण पत्र पर अमेरिका की अंतरिक्ष यान की उड़ान ११० की मुहर लगी है जो अप्रैल २००२ में अंतरिक्ष भेजा गया था। एटलांटिस नामक अंतरिक्ष यान में रेक्स वॉलहैम एक उड़ान विशेषज्ञ थे, जो अपने साथ अंतरिक्ष में हमारी Our Daily Bread का एक लेख ’परमेश्वर की महिमा देखना’ ले कर गए थे। रेक्स वॉलहैम ने ही मुझे वह प्रमाणपत्र भेजा था, यह प्रमाणित करने के लिए कि वह लेख-पृष्ठ वास्तव में धरती के वायुमण्डल से बाहर अंतरिक्ष में गया है।

   हमें कभी कभी ऐसे दस्तावेज़ों की आवश्यक्ता होती है - वे जो सच को प्रमाणित कर सकें। यदि मैं वह लेख-पृष्ठ किसी को दिखा कर कहता कि यह आंतरिक्ष में होकर आया है तो लोग मुझ पर शक करते क्योंकि मेरे पास इस बात का कोई प्रमाण नहीं होता। लेकिन रेक्स वॉलहैम द्वारा भेजे गए उस प्रमाणपत्र ने मुझे वह प्रमाण दे दिया जिससे किसी के लिए अब शक की कोई संभावना नहीं रही, और जो चाहे उस की जांच कर सकता है और भरोसा कर सकता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पतरस ने अपनी पहली पत्री में परमेश्वर के अनुग्रह के अपने सन्देश के विषय में ऐसा ही एक प्रमाणपत्र दिया है। उस पत्री के पांचवें अध्याय में पतरस ने लिखा, "मैं ने सिलवानुस के हाथ, जिस मैं विश्वासयोग्य भाई समझता हूं, संक्षेप में लिख कर तुम्हें समझाया है और यह गवाही दी है कि परमेश्वर का सच्‍चा अनुग्रह यही है, इसी में स्थिर रहो" (पद १२)। पतरस अपने पाठकों को आश्वस्त कर रहा था कि उस पत्री में जो आशा, साहस और क्लेष उठाने के सन्देश उसने लिखे हैं, वे परमेश्वर के अनुग्रह को दिखाते हैं और सब वास्तविक हैं।

   क्या आप परमेश्वर के अनुग्रह के प्रमाणों के खोजी हैं? पतरस कि पहली पत्री पढ़कर देख लीजिए और आश्वस्त हो जाईए कि उसके सन्देश वास्तविक हैं, सार्थक हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर पर विश्वास का अर्थ है उसके जीवते और पवित्र वचन पर विश्वास रखना।

मैं ने सिलवानुस के हाथ, जिस मैं विश्वासयोग्य भाई समझता हूं, संक्षेप में लिख कर तुम्हें समझाया है और यह गवाही दी है कि परमेश्वर का सच्‍चा अनुग्रह यही है, इसी में स्थिर रहो। - १ पतरस ५:१२

बाइबल पाठ: १ पतरस १:३-१२
1Pe 1:3  हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया। 
1Pe 1:4  अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये। 
1Pe 1:5 जो तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में रखी है, जिस की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है। 
1Pe 1:6  और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो। 
1Pe 1:7  और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे। 
1Pe 1:8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्‍दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है। 
1Pe 1:9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्‍त करते हो। 
1Pe 1:10 इसी उद्धार के विषय में उन भविष्यद्वक्ताओं ने बहुत ढूंढ़-ढांढ़ और जांच-पड़ताल की, जिन्‍होंने उस अनुग्रह के विषय में जो तुम पर होने को था, भविष्यद्वाणी की थी। 
1Pe 1:11 उन्‍होंने इस बात की खोज की कि मसीह का आत्मा जो उन में था, और पहिले ही से मसीह के दुखों की और उन के बाद होने वाली महिमा की गवाही देता था, वह कौन से और कैसे समय की ओर संकेत करता था। 
1Pe 1:12  उन पर यह प्रगट किया गया, कि वे अपनी नहीं वरन तुम्हारी सेवा के लिये ये बातें कहा करते थे, जिन का समाचार अब तुम्हें उन के द्वारा मिला जिन्‍होंने पवित्र आत्मा के द्वारा जो स्‍वर्ग से भेजा गया: तुम्हें सुसमाचार सुनाया, और इन बातों को स्‍वर्गदूत भी ध्यान से देखने की लालसा रखते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन २२-२४ 
  • २ कुरिन्थियों ८

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

ज्ञान और ध्यान


   एक सन्ध्या, एक छोटी गौरैया उड़कर हमारे घर के अन्दर आ गई। हम उसे बाहर का रास्ता दिखाने में लग गए। जैसे ही उसके निकट पहुँचते, वह डर के मारे उड़कर किसी अन्य स्थान पर जा बैठती। इससे पहले कि हम उसे बाहर निकाल पाते, उस गौरैया ने अपनी घबराहट में घर के कई चक्कर लगा लिए। उसकी घबराहट उसकी छाती में दिखाई दे रही उसके दिल के तेज़ धड़कन से प्रगट थी। हमारी सहायता के प्रयास वह समझ नहीं पा रही थी और अपने ही प्रयासों में थकती जा रही थी।

   कभी कभी हम भी उस घबराई हुई छोटी चिड़िया के समान ही होते हैं - चिंतित, अस्त-व्यस्त और आगे क्या होगा इससे आशंकित। अपनी इस मनःस्थिति में हमें परमेश्वर की सहायता और मार्गदर्शन के हाथ भी भयावह लगते हैं। लेकिन परमेश्वर हमारी प्रत्येक परिस्थिति को जानता है; हमारे संसार की हर बात को वह देखता और जानता है। क्योंकि "यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं" (नीतिवचन १५:३), उसकी निगाहों तथा ध्यान से कुछ भी बचकर नहीं निकल सकता, और वह हमारी छोटी से छोटी बात को भी जानता है "तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं" (मत्ती १०:३०); ऐसे में मुझे प्रभु यीशु की कही बात "क्‍या पैसे में दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती" (मत्ती १०:२९) से बहुत सांत्वना मिलती है।

   यह अद्भुत बात है कि परमेश्वर हमारी छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रखता है और संसार में एक छोटा पक्षी भी उसके ज्ञान के बिना नहीं गिर सकता। जिसे हमारी इन छोटी छोटी बातों का ध्यान है, उसे हमारी बड़ी और महत्वपुर्ण बातों तथा आवश्यक्ताओं और चिंताओं का भी ज्ञान है, वह उनका ध्यान रखता है। जब कभी हम सहायता के लिए उससे प्रार्थना करते हैं, उसका उत्तर उसके इसी ज्ञान और ध्यान के अनुसार होता है।

   चिंतित रहकर फड़फड़ाते रहने और थकने की बजाए उसके हाथों में शांत होकर अपने आप को छोड़ दें। वह जो करेगा, भला और सर्वोत्तम ही करेगा। - जेनिफर बेन्सन शुल्ड्ट


उसकी दृष्टि गौरैये पर भी रहती है, और मैं जानता हूँ कि वह मेरा भी ध्यान रखता है।

क्‍या पैसे में दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। - मत्ती १०:२९

बाइबल पाठ: मत्ती १०:२७-३३
Mat 10:27  जो मैं तुम से अन्‍धियारे मे कहता हूं, उसे उजियाले में कहो; और जो कानों कान सुनते हो, उसे कोठों पर से प्रचार करो। 
Mat 10:28  जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है। 
Mat 10:29 क्‍या पैसे मे दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। 
Mat 10:30  तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। 
Mat 10:31  इसलिये, डरो नहीं; तुम बहुत गौरैयों से बढ़ कर हो। 
Mat 10:32 जो कोई मनुष्यों के साम्हने मुझे मान लेगा, उसे मैं भी स्‍वर्गीय पिता के साम्हने मान लूंगा। 
Mat 10:33 पर जो कोई मनुष्यों के साम्हने मेरा इन्‍कार करेगा उस से मैं भी अपने स्‍वर्गीय पिता के साम्हने इन्‍कार करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १९-२१ 
  • २ कुरिन्थियों ७

गुरुवार, 13 सितंबर 2012

संयम


   दुसरे विश्वयुद्ध के निर्णायक समय में संगठित सेना के सर्वोच्च सेनापति ड्वाईट डी. आईज़नहावर संसार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे। उनके नेतृत्व में, संसार के इतिहास में जल-थल सेना का सबसे बड़ा जमावड़ा, युरोप को नाट्ज़ी प्रभुसत्ता से छुड़ाने के लिए तैयार हुआ। इतनी विशाल सेना का संचालन आईज़नहावर कैसे करने पाए? इस प्रश्न के उत्तर का एक भाग है उनकी अन्य और भिन्न प्रवृत्ति के लोगों के साथ भी मिलकर कार्य कर पाने की विलक्षण प्रतिभा।

   लेकिन जो बात बहुत से लोग नहीं जानते वह यह है कि आईज़नहावर बचपन से ऐसे नहीं थे, वरन इसके विपरीत स्कूल के दिनों में वे अकसर अन्य बच्चों के साथ लड़ते-झगड़ते रहते थे। लेकिन उनकी माता एक बहुत संयमी और ध्यान रखने वाली महिला थीं जो उन्हें परमेश्वर के वचन बाइबल से सिखाती रहती थीं। एक बार जब वे ऐसी ही किसी लड़ाई में लगी आईज़नहावर की चोटों की मरहम-पट्टी कर रहीं थीं तो उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन १६:३२ में लिखे पद को उनके सामने रखा, "विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है"। वर्षों बाद आईज़नहावर ने इसके बारे में लिखा, "माँ से हुए उस वार्तालाप को मैं अपने जीवन के सबसे मुल्यवान समयों में मानता हूँ।" निश्चय ही संयम और क्रोध को वश में करने की उस शिक्षा ही ने आईज़नहावर को दुसरों के साथ मिलकर कार्य करने और प्रभावी होने वाला बनाया और इतनी ऊँचाईयों तक पहुँचाया।

   हम सब के जीवनों में ऐसे समय अवश्य ही आएंगे जब किसी अन्य व्यक्ति पर क्रोध और आवेश में आकर कुछ कहने और करने का मन होगा। लेकिन ये ही संयम दिखाने के सबसे बहुमूल्य अवसर हैं जहां परमेश्वर और उसके वचन की सहायता से, अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के समान, हम ना केवल अपने क्रोध को वश में रखना और धैर्य से काम लेना सीख सकते हैं, वरन ऐसा करके संसार के लोगों में प्रभावी और परमेश्वर की महिमा का कारण भी बन सकते हैं।

   एक नम्र और संयमी आत्मा ही प्रभावी और प्रभु को प्रीय आत्मा है। - डेनिस फिशर


जो क्रोध पर जयवन्त है वह एक बहुत प्रबल शत्रु पर जयवन्त है।

विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है। - नीतिवचन १६:३२

बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:२१-३३
Pro 16:21  जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है। 
Pro 16:22  जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है। 
Pro 16:23  बुद्धिमान का मन उसके मुंह पर भी बुद्धिमानी प्रगट करता है, और उसके वचन में विद्या रहती है। 
Pro 16:24  मनभावने वचन मधुभरे छते की नाईं प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं। 
Pro 16:25  ऐसा भी मार्ग है, जो मनुष्य को सीधा देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। 
Pro 16:26  परिश्रमी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उसको उभारती रहती है। 
Pro 16:27  अधर्मी मनुष्य बुराई की युक्ति निकालता है, और उसके वचनों से आग लग जाती है। 
Pro 16:28  टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है। 
Pro 16:29  उपद्रवी मनुष्य अपने पड़ोसी को फुसलाकर कुमार्ग पर चलाता है। 
Pro 16:30  आंख मूंदने वाला छल की कल्पनाएं करता है, और ओंठ दबाने वाला बुराई करता है। 
Pro 16:31  पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं। 
Pro 16:32  विलम्ब से क्रोध करना वीरता से, और अपने मन को वश में रखना, नगर के जीत लेने से उत्तम है। 
Pro 16:33  चिट्ठी डाली जाती तो है, परन्तु उसका निकलना यहोवा ही की ओर से होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १६-१८ 
  • २ कुरिन्थियों ६

बुधवार, 12 सितंबर 2012

भिन्न लक्ष्य


   व्यावसायिक गोल्फ खिलाड़ी बायर्न नेल्सन के लिए १९४५ विलक्षण वर्ष था। जिन ३० प्रतियोगिताओं में उसने भाग लिया, उनमें से १८ उसने जीतीं, जिनमें से ११ में वह लगातार विजयी रहा। यदि वह चाहता तो अपने इस व्यवसायिक खेलने को आगे बढ़ा कर और ऊँचाईयों पर ले कर जा सकता था और अपने समय का सर्वश्रेष्ठ गोल्फ खिलाड़ी बन सकता था। किंतु यह उसका लक्ष्य नहीं था। उसका लक्ष्य था गोल्फ द्वारा इतना पैसा कमा लेना कि वह एक पशु-पालन और कृषि फार्म खरीद सके जहां वह अपनी शेष आयु वह कार्य करने में व्यतीत करे जो उसकी पहली पसन्द है। नेल्सन ने ३४ वर्ष की आयु में ही गोल्फ से अवकाश ले लिया और कृषि तथा पशु-पालन करने वाला बन गया। उसके लक्ष्य भिन्न थे।

   संसार इस प्रकार की विचारधारा को मूर्खता मान सकता है क्योंकि वह उस हृदय को नहीं समझता जो संसार से संसार की धन-दौलत और प्रसिद्धि अर्जित करने की बजाए मन की सच्ची शांति और संतुष्टि की लालसा रखता है। यह विशेषकर तब और भी अधिक लागू होता है जब कोई यह निर्णय उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के लिए जीने के लिए करता है। किंतु संसार की समझ में जो मूर्खता है वह ही हमारे लिए अपने प्रभु से संबंधित और संसार के लक्ष्यों से भिन्न लक्ष्यों को संसार ही के समक्ष रखने के लिए एक उत्तम अवसर बन जाता है। इसी संदर्भ में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "परन्‍तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे" (१ कुरिन्थियों १:२७)।

   परमेश्वर के राज्य के मूल्यों के अनुसार जीवन व्यतीत करना हमें संसार की नज़रों में मूर्ख ठहरा सकता है, लेकिन यही निर्णय संसार के सामने परमेश्वर को महिमा देने का माध्यम भी बन जाता है, जिसका प्रतिफल परमेश्वर से मिलने वाली ऐसी मूल्यवान, अद्भुत और चिरस्थायी अशीष है जो संसार ना कभी दे सकता है और ना कभी जिसकी कलपना भी कर सकता है। - बिल क्राउडर


जीवन के आदर्श मूल्य व्यर्थ हैं यदि वे परमेश्वर के मूल्यों के अनुरूप नहीं।

परन्‍तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। - १ कुरिन्थियों १:२७

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १:१८-३१
1Co 1:18  क्‍योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्‍तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। 
1Co 1:19  क्‍योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्‍छ कर दूंगा। 
1Co 1:20  कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्‍या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया? 
1Co 1:21  क्‍योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्‍छा लगा, कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे। 
1Co 1:22  यहूदी तो चिन्‍ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं। 
1Co 1:23  परन्‍तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है। 
1Co 1:24  परन्‍तु जो बुलाए हुए हैं क्‍या यहूदी, क्‍या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है। 
1Co 1:25  क्‍योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।
1Co 1:26   हे भाइयों, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। 
1Co 1:27  परन्‍तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करें। 
1Co 1:28  और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्‍हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। 
1Co 1:29  ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्‍ड न करने पाए। 
1Co 1:30  परन्‍तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा। 
1Co 1:31  ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्‍ड करे वह प्रभु में घमण्‍ड करे।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १३-१५ 
  • २ कुरिन्थियों ५

मंगलवार, 11 सितंबर 2012

बुराई पर जयवंत


   किसी भी अखबार को देख लीजिए, उसमें छपी खबरों के शीर्षक बता देंगे कि संसार में क्या कुछ गलत है। चाहे टी.वी. देखें या रेडियो सुनें या मित्रों से बातचीत करें, सब लोग जानते हैं कि इस संसार में क्या कुछ गलत है और संसार का यह हाल क्यों है। बुराई और इन बातों के बारे में सबकी अपनी अपनी राय है, क्योंकि दोष लगाना और खामियां निकालना तो सरल है, किंतु उन के समाधान के लिए कुछ सार्थक उपाय करना सरल नहीं है, चाहे वह अपने व्यक्तिगत जीवन में कुछ परिवर्तन लाना ही क्यों ना हो।

   जब कुछ आतंकवादियों ने वायुयान अगुवा कर के उन्हें पेंटागन, न्यूयॉर्क की जुड़वां गगनचुंबी इमारतों और पैन्सिलवेनिया के एक खेत में टकरा दिया जिससे सैकड़ों जाने गईं तो सारे संसार ने तुरंत इसे बहुत बुरा कहा। बुराई की इस विनाशकारी सामर्थ के प्रदर्शन के समक्ष लोगों ने अपने आप को असहाय और लाचार अनुभव किया। और यही बुराई का सबसे ताकतवर प्रभाव है; वह अपने शिकार को उसके सामर्थहीन होने का आभास देती है।

   लेकिन हम सामर्थहीन नहीं हैं। हम में से अधिकांशतः बुराई को व्यक्तिगत और छोटे रूप में अनुभव करते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में, पौलुस ने रोमियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में, बुराई के प्रति की जाने वाली प्रतिक्रीया के विषय में लिखा कि: बुराई से घृणा करें (रोमियों १२:९); उसका प्रत्युत्तर और बुराई करके ना दें (रोमियों १२:१७) और उससे हारें नहीं (रोमियों १२:२१)।

   बुराई का वास्तविक शिकार भलाई है - वह भलाई जिसे परमेश्वर ने सृष्टि का एक भाग करके बनाया था कि सब आनन्द के साथ रह सकें (उत्पत्ति १:४-३१)। किंतु आश्चर्य की बात यह है कि परमेश्वर का वचन हमें यह भी सिखाता है कि बुराई की शिकार बनी भलाई अन्ततः उपरोक्त प्रतिक्रियाओं के पालन द्वारा उस पर जयवंत भी है (रोमियों १२:२१)। आवश्यक्ता है तो इन्हें व्यक्तिगत रीति से अपने अपने जीवनों में लागू करने की।

   चाहे अखबारों और समाचार प्रसारण के माध्यमों में बुराई ही को प्रमुख शीर्षक मिलते हों, और लोगों का ध्यान बुराई पर अधिक और भलाई पर कम जाता हो, लेकिन परमेश्वर की भलाई संसार की किसी भी बुराई से कहीं अधिक सामर्थी है। परमेश्वर चाहता है कि हम उसके द्वारा दी गई विधि से उसके इस शत्रु, अर्थात बुराई पर जयवंत हो जाएं; भलाई ही से बुराई को जीत लें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जैसे ज्योति अंधकार पर जयवंत रहती है, भलाई भी बुराई पर जयवंत होती है।

बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो। - रोमियों १२:२१

बाइबल पाठ: रोमियों १२:९-२१
Rom 12:9 प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो, भलाई मे लगे रहो। 
Rom 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Rom 12:11 प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Rom 12:12 आशा मे आनन्‍दित रहो; क्‍लेश मे स्थिर रहो, प्रार्थना मे नित्य लगे रहो। 
Rom 12:13  पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Rom 12:14  अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Rom 12:15 आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। 
Rom 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। 
Rom 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो। 
Rom 12:18  जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 
Rom 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 
Rom 12:20 परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा। 
Rom 12:21 बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन १०-१२ 
  • २ कुरिन्थियों ४

सोमवार, 10 सितंबर 2012

खोए हुए


   अपने कॉलेज के दिनों में मैं कोलैराडो के रॉकी माउन्टेन राष्ट्रीय उद्यान में मार्गदर्शक का कार्य करता था और युवकों के दलों को पहाड़ी मार्गों पर घूमाने के लिए ले कर जाया करता था। एक बार मेरे दल का एक लड़का, जो छोटा और सुस्त था, शेष दल से पीछे रह गया और किसी जगह एक गलत मोड़ लेकर भटक गया। जब हम वापस अपने शिविर पर पहुँचे तो उसका कोई अता-पता नहीं था। मैं घबराया हुआ उसे ढ़ूंढ़ने के लिए निकल पड़ा। अन्धेरा होने से कुछ देर पहले मैंने उसे एक छोटी सी झील के किनारे बिलकुल अकेला और खोया हुआ बैठा पाया। आनन्द के मारे मैंने ज़ोर से उसका आलिंगन किया और उसे उठा कर अपने कंधे पर बैठा लिया, और ऐसे उठाए हुए ही शिविर में उसके अन्य साथियों के पास लेकर आ गया।

   एक स्कॉटिश कहानीकार जौर्ज मैकडॉनल्ड द्वारा लिखी एक कहानी में एक जवान महिला का उल्लेख है जिसे जंगल में एक खोया हुआ और अकेला छोटा बालक मिलता है। महिला उस बालक को गोदी में उठाकर उसके घर उसके पिता के पास लेकर आती है और पिता को उसे सौंपते हुए उस महिला को एक ऐसी समझ मिलती है जो फिर जीवन भर उसे कभी नहीं छोड़ती: "अब वह मनुष्य के पुत्र (प्रभु यीशु का एक उपनाम) के मन को समझ सकी जो पाप और संसार में खोए हुए लोगों को ढ़ूंढ़ने और उन्हें वापस परमेश्वर पिता के पास ले जाने के लिए आया था।"

   मैं चाहता हूँ कि आप भी मनुष्य के पुत्र, प्रभु यीशु, के हृदय को समझने पाएं जो कि संसार के हर एक पाप में पड़े और संसार में खोए हुए को वापस परमेश्वर के पिता के पास ले जाने के लिए आया। प्रभु यीशु ने कहा: "क्‍योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है" (लूका १९:१०)। आप चाहे कहीं भी क्यों ना खो गए हों, चाहे कितनी भी दूर क्यों ना भटक गए हों, वह आपको ढ़ूंढ़ने और बचा कर लौटा लाने के लिए आया है। उसकी सहायता आपकी बस एक पुकार भर की दूरी पर ही है। सच्चे मन से उसे पुकारिए और अनन्त जीवन के भागी हो जाइए।- डेविड रोपर


उद्धार का मार्ग पाने के लिए आपको बस मान लेना है कि आप पाप में भटक गए हैं।

...मेरे साथ आनन्‍द करो, क्‍योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। - लूका १५:६

बाइबल पाठ: लूका १५:१-१०
Luk 15:1  सब चुंगी लेने वाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उस की सुनें। 
Luk 15:2  और फरीसी और शास्त्री कुडकुडाकर कहने लगे, कि यह तो पापियों से मिलता है और उन के साथ खाता भी है।
Luk 15:3 तब उस ने उन से यह दृष्‍टान्‍त कहा। 
Luk 15:4  तुम में से कौन है जिस की सौ भेड़ें हों, और उन में से एक खो जाए तो निन्नानवे को जंगल में छोड़कर, उस खोई हुई को जब तक मिल न जाए खोजता न रहे? 
Luk 15:5 और जब मिल जाती है, तब वह बड़े आनन्‍द से उसे कांधे पर उठा लेता है। 
Luk 15:6 और घर में आकर मित्रों और पड़ोसियों इकट्ठे करके कहता है, मेरे साथ आनन्‍द करो, क्‍योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है। 
Luk 15:7 मैं तुम से कहता हूं, कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में भी स्‍वर्ग में इतना ही आनन्‍द होगा, जितना कि निन्नानवे ऐसे धमिर्यों के विषय नहीं होता, जिन्‍हें मन फिराने की आवश्यकता नहीं।
Luk 15:8  या कौन ऐसी स्त्री होगी, जिस के पास दस सिक्के हों, और उन में से एक खो जाए तो वह दीया बारकर और घर झाड़ बुहारकर जब तक मिल न जाए, जी लगाकर खोजती न रहे 
Luk 15:9 और जब मिल जाता है, तो वह अपने सखियों और पड़ोसिनियों को इकट्ठी करके कहती है, कि मेरे साथ आनन्‍द करो, क्‍योंकि मेरा खोया हुआ सिक्का मिल गया है। 
Luk 15:10 मैं तुम से कहता हूं, कि इसी रीति से एक मन फिराने वाले पापी के विषय में परमेश्वर के स्‍वर्गदूतों के साम्हने आनन्‍द होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नीतिवचन ८-९ 
  • २ कुरिन्थियों ३

रविवार, 9 सितंबर 2012

प्रेम की आज्ञा


   सिंगापुर में कुछ बूढ़े माँ-बाप पनए जीवन-यापन के लिए परोपकारी संस्थाओं और सरकारी विभागों से सहायता मांगने और उनपर निर्भर रहने को मजबूर हैं क्योंकि उन की व्यस्क सन्तान उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है। यह रवैया बढ़ता ही जा रहा है और इस संबंध में एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "हम प्रेम करना कानून बाध्य तो कर नहीं सकते!"

   किंतु परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेम करना परमेश्वर की आज्ञा है। यही बात मूसा ने इस्त्राएली समाज से कही: "क्योंकि मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं, कि अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना, और उसके मार्गों पर चलना, और उसकी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को मानना, जिस से तू जीवित रहे, और बढ़ता जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में जिसका अधिकारी होने को तू जा रहा है, तुझे आशीष दे" (व्यवस्थाविवरण ३०:१६)। प्रभु यीशु ने भी कहा कि "सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन, प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना" (मरकुस १२:२९-३०)।

   भला परमेश्वर प्रेम करने की आज्ञा क्योंकर दे सकता है? प्रेम तो एक भावना है, उसे आज्ञा कैसे बनाया जा सकता है? परमेश्वर ने स्वयं पहले होकर हमसे हमारी पाप की दशा में ही प्रेम किया और प्रदर्शित किया; कलवरी के क्रूस पर अपने महान प्रेम में होकर दिया गया उसका महान बलिदान ही उसे यह अधिकार देता है कि अब वह हमें भी प्रेम प्रदर्शित करने की आज्ञा दे सके। प्रेरित युहन्ना ने अपनी पत्री में लिखा: "हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए। और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें" (१ युहन्ना ३:१६, २३)।

   आज आपके पास परमेश्वर की प्रेम करने की आज्ञा को निभाने के लिए क्या क्या अवसर हैं? अपने माता-पिता का आदर करना और उनकी देखरेख करना? किसी बीमार साथी या मित्र की सेवा करना? किसी ऐसे से जिसे प्रेम करना कठिन है, प्रेम और अनुग्रह के दो शब्द कहना?

   प्रभु यीशु से प्रार्थना करें, "प्रभु क्योंकि आपने अपने महान प्रेम में होकर हमारे लिए अपने प्राण दिये, हमारी सहायता करें कि हम भी दुसरों के प्रति प्रेम दिखा सकें।" - सी. पी. हिया


जो प्रेम हम एक-दुसरे के प्रति प्रदर्शित करते हैं, वह परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम को दिखाता है।

और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें। - १ युहन्ना ३:२३

बाइबल पाठ: १ युहन्ना ३:१६-२४
1Jn 3:16  हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उस ने हमारे लिए अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1Jn 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्‍योंकर बना रह सकता है?
1Jn 3:18  हे बालको, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
1Jn 3:19  इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
1Jn 3:20 क्‍योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।
1Jn 3:21  हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है।
1Jn 3:22 और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है, क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं।
1Jn 3:23  और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
1Jn 3:24 और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह इस में, और यह उस में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है।


एक साल में बाइबल: 

  • नीतिवचन ६-७ 
  • २ कुरिन्थियों २