ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 31 अगस्त 2013

सीखने वाली आत्मा

   एक दिन हमारे चर्च में आराधना आरंभ होने से थोड़ा सा ही पहले मैंने एक युवक को अपनी माँ के साथ वार्तालाप करते सुना। वे दोनों चर्च के सूचना पटल पर लगी सूचनाएं पढ़ रहे थे जिनमें से एक थी कि चर्च में आने वाले लोग जुलाई और अगस्त के महीनों में प्रतिदिन परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक का एक अध्याय पढ़ने की चुनौती लें; नीतिवचन में 31 अध्याय हैं। उस युवक ने अपनी माँ से पूछा, अगस्त के अन्त पर आकर लोग क्या करेंगे, अगस्त में तो 30 ही दिन होते हैं? उसकी माँ ने उत्तर दिया, नहीं अगस्त में भी 31 दिन होते हैं, वह फिर बोला नहीं, 30 ही दिन होते हैं!

   जब आराधना के समय हमारा एक दूसरे से मिलने और अभिनंदन करने का समया आया तो मैंने पीछे मुड़कर उस जवान से हाथ मिलाया, उसे "हैलो" कहा और मुस्कुराते हुए यह भी कहा कि अगस्त में वास्तव में 31 दिन होते हैं। वह फिर अपनी बात पर अड़ गया और बोला, नहीं, 31 दिन नहीं होते; एक के बाद एक कोई भी दो महीनों में 31 दिन कैसे हो सकते हैं? इतने में आराधना में स्तुति गीत आरंभ हो गया, और मैं मुस्कुराते हुए फिर सामने की ओर मुड़ गई।

   उस छोटे सी मुलाकात और वार्तालाप ने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि एक सीखने वाली आत्मा को विकसित करना हमारे लिए कितना आवश्यक है, अन्यथा हम कभी अपने ही विचारों की सीमाओं के आगे नहीं बढ़ पाएंगे। नीतिवचन के लेखक राजा सुलेमान ने आरंभिक अध्यायों में यही बात समझाई है, एक नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा को अपने अन्दर बनाए रखना जिससे अपने बुज़र्गों के अनुभवों और शिक्षाओं से तथा परमेश्वर और उसके वचन से हम उत्तम बातें सीख सकें: "हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े" (नीतिवचन 2:1); "क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं" (नीतिवचन 2:6); "अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न होना; यहोवा का भय मानना, और बुराई से अलग रहना" (नीतिवचन 3:7)।

   अगस्त में 30 ही दिन होते हैं या 31 दिन, यह जानना चाहे कोई विशेष महत्व ना रखता हो, लेकिन नम्रता का मन और सीखने वाली आत्मा रखना बहुत महत्व रखता है, क्योंकि तभी हम दूसरों से तथा परमेश्वर से सीखने वाले हो सकेंगे। और परमेश्वर से सीखने के लिए प्रतिदिन नीतिवचन से एक अध्याय पढ़ना, उत्तम शिक्षा पाने के लिए एक अच्छा आरंभ है - क्या कल से आरंभ हो रहे नए माह से आप यह करने का संकल्प लेंगे, और उस संकल्प को पूरा भी करेंगे? - ऐनी सेटास


सच्ची बुद्धिमता परमेश्वर से ही आरंभ होती है और उसी पर अन्त भी होती है।

तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण कर के सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन 3:5-6

बाइबल पाठ: नीतिवचन 2:1-9
Proverbs 2:1 हे मेरे पुत्र, यदि तू मेरे वचन ग्रहण करे, और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में रख छोड़े,
Proverbs 2:2 और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
Proverbs 2:3 और प्रवीणता और समझ के लिये अति यत्न से पुकारे,
Proverbs 2:4 ओर उसको चान्दी की नाईं ढूंढ़े, और गुप्त धन के समान उसी खोज में लगा रहे;
Proverbs 2:5 तो तू यहोवा के भय को समझेगा, और परमेश्वर का ज्ञान तुझे प्राप्त होगा।
Proverbs 2:6 क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं।
Proverbs 2:7 वह सीधे लोगों के लिये खरी बुद्धि रख छोड़ता है; जो खराई से चलते हैं, उनके लिये वह ढाल ठहरता है।
Proverbs 2:8 वह न्याय के पथों की देख भाल करता, और अपने भक्तों के मार्ग की रक्षा करता है।
Proverbs 2:9 तब तू धर्म और न्याय, और सीधाई को, निदान सब भली-भली चाल समझ सकेगा;

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 132-134 
  • 1 कुरिन्थियों 11:17-34


शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

निर्भर

   आयर्नमैन ट्राएथलन एक बहुत ही कठिन और असाधारण स्पर्धा है। इस स्पर्धा में भाग लेने वाले को 2.4 मील तक तैरना होता है, 112 मील तक साईकिल चलानी होती है और 26.2 मील की दूरी दौड़ कर तय करनी होती है। किसी भी व्यक्ति के लिए इसे पूरा कर पाना सरल नहीं है। लेकिन फिर भी डिक होयट ने इसमें अपने विकलांग पुत्र रिक के साथ भाग लिया और पूरा भी किया। जब डिक तैर रहा था तो अपने बेटे रिक को एक छोटी नाव में बैठा कर खींच भी रहा था, जब उसे साईकिल चलानी थी तो रिक को अपने साथ साईकिल पर सवार कर रखा था, और जब दौड़ना था तब रिक को पहिए वाली कुर्सी पर बैठा कर उसे धक्का देते हुए वह दौड़ता रहा। इस पूरी स्पर्धा को पूरा करने के लिए रिक पूर्णतया अपने पिता डिक पर निर्भर था; अपने पिता के बिना रिक कुछ भी नहीं कर सकता था, परन्तु पिता के साथ तथा उनकी सामर्थ से रिक ने असंभव को संभव कर लिया।

   डिक और रिक की इस कहानी से हम मसीही विश्वासी अपने मसीही जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण शिक्षा ले सकते हैं। जैसे रिक अपने पिता पर स्पर्धा पूरी करने के लिए पूर्णतया निर्भर था, हम मसीही विश्वासी भी अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह पर अपनी जीवन दौड़ सफलतापूर्वक पूरी करने के लिए पूर्णतया निर्भर हैं। परमेश्वर को भाता हुआ जीवन जीने के प्रयास में, चाहे हमारे उद्देश्य, संकल्प और प्रयास कितने ही दृढ़ और उत्तम क्यों ना हों, फिर भी हम अनेक बार ठोकर खाते हैं, चूक जाते हैं, गिर जाते हैं। हम केवल अपनी ही सामर्थ से कुछ भी नहीं कर सकते; हमें अपने प्रभु की सहायता की आवश्यकता है ही।

   आनन्द की बात यह है कि हमारे प्रेमी परमेश्वर पिता द्वारा यह सहायता हमारे माँगने से पहले ही हमारे लिए उपलब्ध करा दी गई है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा: "मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया" (गलतियों 2:20)। प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए कितना प्रेर्णादायक और उत्साहवर्धक है यह आश्वासन - "अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है"। जब मसीह मुझे में जीवित है तो मसीह की सामर्थ भी मुझ में कार्यकारी है, और यदि मसीह यीशु, अर्थात परमेश्वर की सामर्थ मुझे में कार्यकारी है तो फिर ऐसा क्या है जो उसकी सामर्थ की सहायता से मैं कर नहीं सकता?

   हम अपनी मसीही जीवन दौड़ अपनी सामर्थ से पूरी नहीं कर सकते; परन्तु यदि हम मसीह यीशु पर निर्भर रहेंगे, अर्थात, हर बात में उसके आज्ञाकारी रहेंगे, उसे अपने जीवन में प्रथम स्थान देंगे, अपने जीवन से उसे महिमा देंगे, उसके गवाह बन कर संसार के सामने उस में सेंत-मेंत सबके लिए उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार सुनाने वाले होंगे, तो उसकी सामर्थ भी स्वतः ही हमारे अन्दर कार्यकारी रहेगी और हमें हर बात, हर परिस्थिति पर एक जयवन्त जीवन प्रदान करती रहेगी। - एलबर्ट ली


विश्वास हमारी दुर्बलता को परमेश्वर की सामर्थ से जोड़ कर हमें सबल बना देता है।

तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। - यूहन्ना 15:4-5

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-13
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 129-131 
  • 1 कुरिन्थियों 11:1-16


गुरुवार, 29 अगस्त 2013

दृष्टिकोण

   अनेक बार यह प्रश्न किया जाता है: "अरे भई आप समस्या का भाग हैं या समस्या के समाधान का?" चाहे यह प्रश्न किसी व्यावासयिक चर्चा में उठे या पारिवारिक विचार-विमर्श में, या फिर किसी चर्च समिति की बैठक में, या अन्य किसी भी गोष्ठी में, इस प्रश्न के पूछने वाले का भाव रोशपूर्ण और तात्पर्य यह जानने का प्रयास करना होता है कि जिस व्यक्ति से यह प्रश्न किया जा रहा है उसने वह बात वैसे क्यों करी या कही जिस के कारण यह प्रश्न उठा। और अधिकाँशतः इस प्रश्न का कोई सीधा या स्पष्ट उत्तर भी नहीं होता क्योंकि उत्तर का वाजिब होना उत्तर सुनने वाले के दृष्टिकोण पर निर्धर करता है।

   यदि हम उन इस्त्राएलियों में होते जो 400 वर्ष की ग़ुलामी के बाद मिस्त्र से निकल कर जा रहे थे, तो हमारे दृष्टिकोण से निसन्देह मिस्त्र का अधिपति, फिरौन, समस्या ही का भाग होता - और वह था भी। लेकिन परमेश्वर का दृष्टिकोण भिन्न था।

   इस्त्राएलियों को समझ नहीं आया जब परमेश्वर ने उन्हें वापस मिस्त्र देश की ओर मुड़कर अपने डेरे लाल समुद्र के किनारे लगाने को कहा, जिससे फिरौन द्वारा उन पर हमला करना सरल हो गया (निर्गमन 14:1-3)। फिरौन को सेना सहित हमले के लिए आता देखकर इस्त्राएलियों ने समझा कि बस अब उनका अन्त आ गया और वे अत्यंत घबरा गए; लेकिन परमेश्वर का उत्तर था कि इस विकट और जान-लेवा दिखने वाली परिस्थिति में भी फिरौन और उसकी सेना के द्वारा उसे महिमा और आदर मिलेगा, तथा "तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं" (निर्गमन 14:4, 17-18), और अन्ततः ऐसा ही हुआ।

   जब हम यह समझ ना पाएं कि क्यों परमेश्वर हमारे जीवनों में ऐसी कठिन परिस्थितयाँ आने देता है जिनसे हम अपने को खतरे में तथा परिस्थितियों से अभिभूतित अनुभव करते हैं, तो यह ध्यान रखना सदा सहायक होता है कि हर बात और परिस्थिति के द्वारा परमेश्वर केवल हमारी भलाई ही चाहता है और हर बात के द्वारा वह अपनी महिमा करवा सकता है। जब हम मसीही विश्वासियों का दृष्टिकोण भी परमेश्वर के दृष्टिकोण के समान ही होगा, तो हम पूरे मन और विश्वास के साथ हर परिस्थिति में यह प्रार्थना कर सकेंगे: "हे पिता, इस परिस्थिति में भी मैं आप पर अपना विश्वास बनाए रखूँ और आपको आदर तथा महिमा देने वाला हो सकूँ"। तब परिस्थितियाँ हमें विचिलित करने वाली नहीं रहेंगी, परमेश्वर कि अद्भुत शांति हमारे जीवनों में बनी रहेगी और हमारे जीवन परमेश्वर के लिए और भी अधिक उपयोगी तथा एक गवाही हो जाएंगे। - डेविड मैक्कैसलैंड


विश्वास हमें वह स्वीकार करने में सहायता करता है जिसे हम बुद्धि से समझ नहीं पाते।

तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया। -निर्गमन 14:4

बाइबल पाठ: निर्गमन 14:1-18
Exodus 14:1 यहोवा ने मूसा से कहा,
Exodus 14:2 इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिगदोल और समुद्र के बीच पीहहीरोत के सम्मुख, बालसपोन के साम्हने अपने डेरे खड़े करें, उसी के साम्हने समुद्र के तट पर डेरे खड़े करें।
Exodus 14:3 तब फिरौन इस्राएलियों के विषय में सोचेगा, कि वे देश के उलझनों में बझे हैं और जंगल में घिर गए हैं।
Exodus 14:4 तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया।
Exodus 14:5 जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फिरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह क्या किया, कि इस्राएलियों को अपनी सेवकाई से छुटकारा देकर जाने दिया?
Exodus 14:6 तब उसने अपना रथ जुतवाया और अपनी सेना को संग लिया।
Exodus 14:7 उसने छ: सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन मिस्र के सब रथ लिये और उन सभों पर सरदार बैठाए।
Exodus 14:8 और यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन के मन को कठोर कर दिया। सो उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली तो बेखटके निकले चले जाते थे।
Exodus 14:9 पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा कर के उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया।
Exodus 14:10 जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी।
Exodus 14:11 और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
Exodus 14:12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी।
Exodus 14:13 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे।
Exodus 14:14 यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।
Exodus 14:15 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करें।
Exodus 14:16 और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच हो कर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे।
Exodus 14:17 और सुन, मैं आप मिस्रियों के मन को कठोर करता हूं, और वे उनका पीछा कर के समुद्र में घुस पड़ेंगे, तब फिरौन और उसकी सेना, और रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।
Exodus 14:18 और जब फिरौन, और उसके रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 126-128 
  • 1 कुरिन्थियों 10:19-33


बुधवार, 28 अगस्त 2013

अनुशासन

   हमारा घर घने वृक्षों से घिरा हुआ है, इसलिए ग्रीष्म ऋतु में भी हमें धूप दिन भर में थोड़े से समय के लिए ही मिल पाती है। हमें ताज़े टमाटर भी बहुत पसन्द हैं, इसलिए मैं ने सोचा कि हम टमाटर गमलों में उगाएंगे और उन गमलों को उन स्थानों पर रख देंगे जहाँ धूप पड़ती है। हमने ऐसा ही किया और टमाटर के पौधे तेज़ी से बढ़ने लगे। मैं उनकी यह तीव्र बढ़ोतरी देख कर बहुत प्रसन्न थी, लेकिन मेरी यह प्रसन्नता थोड़े ही समय की थी, क्योंकि मुझे मालुम पड़ा के टमाटर के वे पौधे अधिक से अधिक धूप पाने के लिए तेज़ी से लंबे तो होते जा रहे हैं, लेकिन उन पौधों के तनों मे उन्हें और उनके वज़न को संभाल पाने की ताकत नहीं है इस कारण वे एक लता के समान टेढ़े मेढ़े होकर ज़मीन पर भी बिछते जा रहे हैं। मैंने कुछ सीधी डंडीयाँ लीं और उन लता रूपी तनों को सहारा देने के लिए उनके साथ लगाया और उन्हें आपस में बांध  कर सीधा करने का प्रयास करने लगी, जिससे पौधे खड़े रहें और अच्छा फल ला सकें। मैंने प्रयास किया कि मैं पौधों को सीधा करने में हाथ हलका ही रखूँ, लेकिन फिर भी एक पौधे का तना टूट ही गया, और अन्य सभी पौधों के तने भी पूरी तरह से सीधे नहीं हो पाए, वे तने टेढ़े ही रहे।

   इस अनुभव से मैंने एक महत्वपूर्ण आत्मिक शिक्षा भी पाई - चरित्र के टेढ़े-मेढ़े होने से पहले ही अनुशासन रखना आवश्यक है, अन्यथा एक बार चरित्र में स्थाई विकृति और इधर-उधर का झुकाव आ गया तो फिर उसे वापस सीधा कर पाना बहुत कठिन हो जाएगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में एली नामक एक याजक (पुरोहित) का वृतांत है। एली के दो पुत्र थे, दोनों ही पथ-भ्रष्ट हो गए और एली ने उन्हें समय रहते अनुशासित नहीं किया। जब उन दोनों पुत्रों की दुष्टता इतनी बढ़ गई कि एली उनके दुषकर्मों की और उपेक्षा नहीं कर सका, तो एली ने केवल हलकी सी डाँट लगाकर ही काम चलाना चाहा (1 शमूएल 2:24-25), लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी, वे नहीं सुधरे और अन्ततः परमेश्वर ने उनके विषय में अपना निर्णय सुना दिया: "क्योंकि मैं तो उसको यह कहकर जता चुका हूं, कि मैं उस अधर्म का दण्ड जिसे वह जानता है सदा के लिये उसके घर का न्याय करूंगा, क्योंकि उसके पुत्र आप शापित हुए हैं, और उसने उन्हें नहीं रोका। इस कारण मैं ने एली के घराने के विषय यह शपथ खाई, कि एली के घराने के अधर्म का प्रायश्चित न तो मेलबलि से कभी होगा, और न अन्नबलि से" (1 शमूएल 3:13-14)।

   टेढ़े को सीधा करना पीड़ादायक और कठिन होता है, लेकिन टेढ़ा बने रहना ना केवल अपने लिए वरन दूसरों के लिए भी पीड़ादायक होता है और साथ ही विनाशकारी भी होता है। भला है कि अनुशासन के द्वारा आरंभ से ही चरित्र और चाल-चलन सुधार कर रखा जाए, अन्यथा परिणाम बहुत दुखदायी होंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर का प्रेम सामना भी करता है और सुधारता भी है।

और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है। - इब्रानियों 12:11 

बाइबल पाठ: इब्रानियों 12:5-15
Hebrews 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाईं दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़।
Hebrews 12:6 क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है।
Hebrews 12:7 तुम दुख को ताड़ना समझकर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता?
Hebrews 12:8 यदि वह ताड़ना जिस के भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे!
Hebrews 12:9 फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी आधीन न रहें जिस से जीवित रहें?
Hebrews 12:10 वे तो अपनी अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उस की पवित्रता के भागी हो जाएं।
Hebrews 12:11 और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।
Hebrews 12:12 इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।
Hebrews 12:13 और अपने पांवों के लिये सीधे मार्ग बनाओ, कि लंगड़ा भटक न जाए, पर भला चंगा हो जाए।
Hebrews 12:14 सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।
Hebrews 12:15 और ध्यान से देखते रहो, ऐसा न हो, कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूट कर कष्‍ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 123-125 
  • 1 कुरिन्थियों 10:1-18


मंगलवार, 27 अगस्त 2013

विनम्रता

   अपने कॉलेज छात्र होने के दिनों में मैंने जोड़े बनने की अनेकों कहानियाँ सुनी थीं। किसी कन्या के प्रति प्रेम भाव से भरे मेरे मित्रों ने अपने उस प्रेम को व्यक्त करने के लिए चकाचौंध कर देने वाले रेस्टोरेन्ट, पहाड़ की चोटी से सूर्यास्त के मनोहर दृश्य, घोड़ा गाड़ी की सवारी आदि अनेक माध्यमों का उपयोग करा। मुझे एक युवक की विलक्षण कहानी अभी तक स्मरण है, जिसने अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए अपनी प्रेमिका के पैर धोए! उसकी यह ’विनम्रता’ यह दर्शाने के लिए थी कि वह आजीवन वचनबद्धता में विनम्रता के महत्व को समझता था।

   प्रेरित पौलुस ने भी विनम्रता के महत्व को समझा और यह भी कि कैसे विनम्रता ही हमें आपस में जोड़ कर रख सकती है। यह बात विवाह संबंध में विशेष रूप से लागू होती है। पौलुस ने चिताया कि संबंधों को प्रगाढ़ बनाए रखने के लिए सबसे पहले निज स्वार्थ की भावनाओं को त्याग देना है: "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो" (फिलिप्पियों 2:3)। स्वार्थ तथा निज हित के स्थान पर हमें अपने जोड़ीदार को अपने से अधिक महत्व देना चाहिए और उनकी इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए।

   विनम्रता को कार्यकारी रूप में दिखाने का अर्थ है अपने जोड़ीदार की सेवा करना, और कोई भी सेवा छोटी या बड़ी नहीं होती। आखिरकर प्रभु यीशु ने भी "मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली" (फिलिप्पियों 2:8)। प्रभु यीशु का निस्वार्थ स्वभाव हमारे प्रति उसके प्रेम का सूचक है।

   आज अपने किसी प्रीय के लिए आप विनम्रता सहित क्या सेवा कर सकते हैं? हो सकता है कि यह एक साधारण सी बात ही हो, जैसे खाने में परोसे जाने वाली वस्तुओं की सूची से उसको नापसन्द भोजन वस्तुओं को हटा देना; या कोई कठिन बात जैसे किसी लंबी बिमारी के समय उसके पूर्ण स्वास्थ लाभ होने तक उस के साथ बने रहना, उसकी सेवा करते रहना। कार्य कुछ भी हो, लेकिन अपनी आवश्यकताओं से बढ़कर अपने जोड़ीदार की आवश्यकताओं का ध्यान रखना दिखाता है कि हम उसके प्रति वैसी ही विनम्रता सहित वचनबद्ध हैं जैसे हमारा तथा समस्त संसार का उद्धारकर्ता मसीह यीशु अपनी विनम्रता सहित हमारे प्रति वचनबद्ध है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


यदि आप यह विचार रखते हैं कि किसी प्रीय के प्रति प्रेम अत्याधिक भी हो सकता है, तो संभवतः आपने उससे कभी पर्याप्त प्रेम करा ही नहीं है।

और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। - फिलिप्पियों 2:8

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 120-122 
  • 1 कुरिन्थियों 9


सोमवार, 26 अगस्त 2013

भलाई का स्वाद

   कुछ वर्ष पहले मैंने एक अंग्रेज़ नवाब सर जेम्स बैरी द्वारा लिखित लघु निबंध पढ़ा। उस निबंध में सर जेम्स ने अपनी माँ की, जो परमेश्वर से और परमेश्वर के वचन बाइबल से बहुत प्रेम करती थीं, एक अन्तरंग तस्वीर प्रस्तुत करी। सर जेम्स की माँ की बाइबल पढ़ते पढ़ते पुरानी और तार तार हो गई थी, और उनकी माँ ने उस बाइबल को काले धागे से सी रखा था। सर जेम्स ने लिखा, "वह बाइबल अब मेरी है, और मेरे लिए वो काले धागे जिनसे उन्होंने उसे सीया है, उस बाइबल का ही एक अभिन्न भाग हैं।"

   मेरी अपनी माँ भी बाइबल से बहुत प्रेम करती थीं; 60 वर्ष से भी अधिक समय तक वे बाइबल को पढ़ती रहीं और उसके लिखे पर मनन करती रहीं। मैंने भी अपनी माँ की वह बाइबल अपनी किताबों की शेल्फ में एक प्रमुख स्थान पर रखी हुई है। उनकी वह बाइबल बहुत जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है, पन्ने फट गए हैं, हर पन्ना धब्बेदार है, लेकिन हर पन्ने पर मेरी माँ की लिखी टिप्पणियाँ और मनन में मिले विचार लिखे हैं। अपने बचपन और लड़कपन में मैं प्रातः जब भी उनके कमरे में जाता था, तो उन्हें उस बाइबल को अपनी गोदी में रखकर खोले बैठे और उसे ध्यान से पढ़ते तथा उसके लेखों पर मनन करते हुए पाता था। वे ऐसा उस दिन तक करती रहीं जब तक उन्हें बाइबल के पन्नों पर लिखे शब्द दिखने बन्द नहीं हो गए, लेकिन तब भी वह बाइबल उनकी सबसे बहुमूल्य और प्रीय चीज़ बनी रही थी।

   सर जेम्स की माँ भी, अपनी वृद्धावस्था में अपनी बाइबल के शब्दों को पढ़ने में असमर्थ हो गईं थीं, लेकिन फिर भी उनके पति नियमित रूप में वह बाइबल उन्हें थमा देते थे और वे उसे बड़े चाव से पकड़ कर बैठी रहती थीं।

   भजनकार ने लिखा, "तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!" (भजन 119:103 ) क्या आपने परमेश्वर की भलाई का स्वाद चखा है? आज ही अपनी बाइबल खोलिए और उसे अपने जीवन तथा दिनचर्या का अभिन्न अंग बना लीजिए। परमेश्वर की भलाई का स्वाद ना केवल आपको प्राप्त होगा, वरन आप में होकर अन्य अनेकों लोगों को भी मिलेगा। - डेविड रोपर


एक भली भांति पढ़ी गई बाइबल आत्मिक भोजन से तृप्त आत्मा की ओर संकेत करती है।

अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। - भजन 119:97

बाइबल पाठ: भजन 119:97-104
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
Psalms 119:101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।
Psalms 119:102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
Psalms 119:103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
Psalms 119:104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:89-176 
  • 1 कुरिन्थियों 8


रविवार, 25 अगस्त 2013

आने दो!

   टेलिविज़न पर दिखाए जाने वाले हिस्ट्री चैनल में एक बार संसार के सबसे दुर्गम हवाई अड्डों पर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। जिस हवाई आड्डे ने मेरा ध्यान सबसे अधिक आकर्षित किया वह था हौंग कौंग का काई ताक हवाई अड्डा, जो अब बन्द हो चुका है। मैं उस हवाई अड्डे से होकर यात्रा कर चुका हूँ और यह जानता हूँ कि वह हवाई अड्डा यात्रियों के लिए बहुत रोमाँचक और वायु-यान चालकों के लिए बहुत चुनौती पूर्ण रहा है। उस हवाई अड्डे के एक छोर पर हवाई पट्टी समुद्र के अन्दर को बनी हुई है और वहाँ उसके तीन ओर समुद्र था, और दूसरे छोर पर एक पहाड़ और उस पहाड़ के बाद ऊँची गगन चुँबी इमारतें। उस हवाई अड्डे पर यदि आप का विमान एक ओर से उतरने को आता तो उसे गगन-चुँबी इमारतों को बचाते हुए उतरने का मार्ग लेना होता और विमान के समुद्र में जा गिरने से पहले ही रुक जाने की आशा रखनी होती थी; और यदि दूसरी छोर से उतरने को आता तो बजाए समुद्र के पानी के, समुद्र में को बनी हवाई पट्टी पर सुरक्षित उतरने और फिर पहाड़ से टकरा जाने से पहले ही रुक जाने की कामना करनी होती थी।

   मुझे सुनकर आश्चर्य हुआ जब एक वायुयान चालक ने, जो पहले काई ताक हवाई आड्डे से नियमित रूप से उड़ान भरता रहता था, यह कहा कि "मुझे उस हवाई अड्डे की कमी खलती है"; लेकिन मैं समझ सकता हूँ कि वह क्या कहना चाहता था, उसे उस हवाई अड्डे से उड़ान भरने की चुनौती रोमांचित करती थी। उस विमान चालक को अपनी क्षमता पर भरोसा और हवाई अड्डे पर विमान उतारने-चढ़ाने में सहायता करने वाले संचालकों पर विश्वास था।

   अनेक बार हम चुनौतियों का सामना करना नहीं चाहते। लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल के जिन नायकों के बारे में पढ़कर हम प्रोत्साहित होते हैं, उनके चरित्र और जीवनियाँ प्रभावी इसीलिए हैं क्योंकि उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार किया और उन से जूझे। प्रेरित पौलुस ही का उदाहरण लीजिए - परमेश्वर की सहायता में विश्वास रखकर उसने हर प्रकार की कठिनाई का दृढ़ता से सामना किया और उन सभी पर जयवंत रहा। परमेश्वर प्रभु यीशु का जो आश्वासन तब पौलुस के लिए था, वही आज हमारे लिए भी वैसा ही है: "और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे" (2 कुरिन्थियों 12:9)।

   पौलुस के समान ही प्रत्येक मसीही विश्वासी, परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह पर अपने विश्वास के कारण, हर चुनौती के लिए सहर्ष और निर्भय हो कर कह सकता है - "आने दो!" - डेव ब्रैनन


यदि परमेश्वर आपको पथरीले मार्गों पर भेजेगा तो वह उन मार्गों के लिए आपको मज़बूत जूते भी प्रदान करेगा।

और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे।
 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं। - 2 कुरिन्थियों 12:9-10

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 6:1-10; 11:22-31
2 Corinthians 6:1 और हम जो उसके सहकर्मी हैं यह भी समझाते हैं, कि परमेश्वर का अनुग्रह जो तुम पर हुआ, व्यर्थ न रहने दो।
2 Corinthians 6:2 क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है।
2 Corinthians 6:3 हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
2 Corinthians 6:4 परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्‍लेशों से, दरिद्रता से, संकटो से।
2 Corinthians 6:5 कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से।
2 Corinthians 6:6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
2 Corinthians 6:7 सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से; धामिर्कता के हथियारों से जो दाहिने, बाएं हैं।
2 Corinthians 6:8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्चे हैं।
2 Corinthians 6:9 अनजानों के सदृश्य हैं; तौभी प्रसिद्ध हैं; मरते हुओं के जैसे हैं और देखो जीवित हैं; मार खाने वालों के सदृश हैं परन्तु प्राण से मारे नहीं जाते।
2 Corinthians 6:10 शोक करने वालों के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं, कंगालों के जैसे हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं।

2 Corinthians 11:22 क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं?
2 Corinthians 11:23 (मैं पागल की नाईं कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में।
2 Corinthians 11:24 पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए।
2 Corinthians 11:25 तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा।
2 Corinthians 11:26 मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में;
2 Corinthians 11:27 परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-प्यास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में।
2 Corinthians 11:28 और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रति दिन मुझे दबाती है।
2 Corinthians 11:29 किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता?
2 Corinthians 11:30 यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा।
2 Corinthians 11:31 प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:1-88 
  • 1 कुरिन्थियों 7:20-40


शनिवार, 24 अगस्त 2013

चिंता

   टेलिविज़न पर दिखाए जाने वाले एक पुराने क्रमिक कार्यक्रम में एक प्रौढ़ और अनुभवी पुलिस अधिकारी अपने आधीनस्त युवा पुलिस वालों को, जब वे सौंपा गया दिन भर का कार्य करने निकल रहे होते थे, सदा ही यह कह कर विदा करता था: "अब देखो वहाँ बाहर जाकर बहुत ही सावधान रहना"। यह ना केवल एक अच्छी सलाह थी वरन उस अधिकारी की उनके प्रति चिंता को भी दिखाता था, अर्थात वह पुलिस अधिकारी उन युवा पुलिस वालों के कार्य से संबंधित जोखिमों और उनकी भलाई के प्रति संवेदनशील रहता था, और जानता-समझता था कि दिन भर में उनके साथ क्या कुछ हो सकता है।

   प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों को कुछ ऐसी ही चेतावनी दी लेकिन और भी दृढ़ शब्दों में। लूका रचित सुसमाचार के 11वें अध्याय का अन्त एक चिंतित करने वाली घटना के साथ होता है: "जब वह वहां से निकला, तो शास्त्री और फरीसी बहुत पीछे पड़ गए और छेड़ने लगे, कि वह बहुत सी बातों की चर्चा करे। और उस की घात में लगे रहे, कि उसके मुंह की कोई बात पकड़ें" (लूका 11:53-54)। इसी वृतांत को ज़ारी रखते हुए, 12वें अध्याय में आकर प्रभु यीशु अपने चेलों से कहते हैं कि वे उन धमकाने वाले धर्मगुरू शास्त्री और फरीसियों से "सावधान" तो रहें (पद 1) परन्तु उनसे डरें नहीं, घबराएं नहीं (पद 4-7, 22)।

   प्रभु यीशु का अपने चेलों से वायदा रहा है कि जब वे संसार में उसके नाम और कार्य के लिए निकलेंगे तो वह उनके साथ रहेगा, उनकी रक्षा करेगा और उनकी देखभाल करता रहेगा। प्रभु ने चेलों को आश्वस्त किया कि जैसे वह पक्षियों और जंगली फूलों की देखभाल करता रहता है, वैसे ही वह उनकी भी करता रहेगा जो उसके विश्वासी हैं, उसका "झुण्ड" हैं (पद 24-32)।

   हम भविष्य तो नहीं जानते, लेकिन हम मसीही विश्वासी इतना अवश्य जानते हैं कि हम उस परमेश्वर के संरक्षण में रहते हैं जो समय और काल की सीमाओं से बंधा नहीं है, जिसकी नज़रों से कोई बात छिपी नहीं है और कुछ ऐसा नहीं है जिसे वह पहले से जानता ना हो। हम सदा ही अपने उस महान चरवाहे की सतर्क दृष्टि और प्रेम भरी देखभाल में बने रहते हैं, जो परमेश्वर का पुत्र भी है। - डेव एगनर


यदि प्रभु यीशु पक्षियों और फूलों की देखभाल करता है तो निश्चय ही वह मेरी और आपकी भी करेगा।

फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे। - लूका 12:22

बाइबल पाठ: लूका 12:22-34
Luke 12:22 फिर उसने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
Luke 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
Luke 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luke 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luke 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो?
Luke 12:27 सोसनों के पेड़ों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Luke 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है; तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
Luke 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
Luke 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
Luke 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Luke 12:32 हे छोटे झुण्ड, मत डर; क्योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
Luke 12:33 अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो; और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
Luke 12:34 क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 116-118 
  • 1 कुरिन्थियों 7:1-19


शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

पुनःआगमन

   कुछ वर्ष पहले की बात है, तब मेरे बच्चे उम्र मे छोटे ही थे; मैं मिशन सेवकाई के अपने 10 दिनों के दौरे से वापस घर लौटा तो हवाई-अड्डे पर मेरी पत्नि और मेरे बच्चे मुझे लेने के लिए आए। मेरे बाहर आते ही बच्चे मुझे देखकर खुशी के मारे चिल्लाने लगे, रोने लगे, और मैंने देखा कि मेरी पत्नि की आँखों में भी आँसू। मैं भी भावावेश में कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था, और हमारा यह हाल देखकर वहाँ उपस्थित कई अन्य अपिरिचित लोगों की आँखें भी नम हो गईं। वह एक बहुत भावुक और अद्भुत अवसर था।

   उस घटना के भावावेश की तीव्रता की यादें मेरी प्राथमिकताओं के बारे में मेरे हृदय की भावनाओं के लिए हल्की सी फटकार का कार्य करती हैं। प्रेरित यूहन्ना ने, प्रभु यीशु के पुनःआगमन की लालसा रखते हुए लिखा "जो इन बातों की गवाही देता है, वह यह कहता है, हां मैं शीघ्र आने वाला हूं। आमीन। हे प्रभु यीशु आ" (प्रकाशितवाक्य 22:20)। एक अन्य खण्ड में प्रेरित पौलुस ने भी इसी भाव को व्यक्त करते हुए यह भी लिखा कि जो प्रभु यीशु के पुनःआगमन को प्रीय जानते हैं, उनके लिए एक मुकुट प्रतीक्षा कर रहा है (2 तिमुथियुस 4:8)। लेकिन कई बार मैं प्रभु यीशु के पुनःआगमन की प्रतीक्षा उतनी लालसा से भी नहीं करता जितनी लालसा से मेरे बच्चे और पत्नि तब मेरे लौट आने की कर रहे थे।

   प्रभु यीशु हमारे सर्वोत्तम प्रेम और भक्ति के योग्य है - और उसे आमने-सामने देखने के विचार से बढ़कर हमारे लिए और कुछ इस संसार में नहीं होना चाहिए। जैसे जैसे हम अपने और समस्त जगत के उद्धारकर्ता के पुनःआगमन की प्रतीक्षा में रहते हैं और उसके आने का समय और निकट आता जाता है, उसके प्रति हमारा प्रेम और उससे मिलने की हमारी लालसा भी बढ़ती जाए। - बिल क्राउडर


जो मसीह यीशु के हैं उन्हें उससे मिलने की लालसा भी रहनी चाहिए।

तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलने वाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्‍न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्‍त हो कर गल जाएंगे। - 2 पतरस 3:11-12

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 4:1-8
2 Timothy 4:1 परमेश्वर और मसीह यीशु को गवाह कर के, जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करेगा, उसे और उसके प्रगट होने, और राज्य को सुधि दिलाकर मैं तुझे चिताता हूं।
2 Timothy 4:2 कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह, सब प्रकार की सहनशीलता, और शिक्षा के साथ उलाहना दे, और डांट, और समझा।
2 Timothy 4:3 क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे।
2 Timothy 4:4 और अपने कान सत्य से फेरकर कथा-कहानियों पर लगाएंगे।
2 Timothy 4:5 पर तू सब बातों में सावधान रह, दुख उठा, सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर।
2 Timothy 4:6 क्योंकि अब मैं अर्घ की नाईं उंडेला जाता हूं, और मेरे कूच का समय आ पहुंचा है।
2 Timothy 4:7 मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है।
2 Timothy 4:8 भविष्य में मेरे लिये धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी, और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा और मुझे ही नहीं, वरन उन सब को भी, जो उसके प्रगट होने को प्रिय जानते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 113-115 
  • 1 कुरिन्थियों 6


गुरुवार, 22 अगस्त 2013

विचार और मूल्याँकन

   ऑसट्रिया के एक 47 वर्षीय व्यक्ति, कार्ल रैबेडेर ने, अपनी सारी संपत्ति, जो लगभग 47 लाख अमेरीकी डॉलर की थी, दान कर दी क्योंकि उसका निष्कर्ष था कि उसकी संपत्ति और मन खोल कर खर्च करना उसे जीवन की वास्तविकता और आनन्द से वंचित कर रहे हैं। कार्ल ने लंडन शहर के एक अखबार डेली टेलिग्राफ को एक साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगने लगा था कि मैं एक दास के समान उन वस्तुओं के लिए कार्य किए जा रहा हूँ जिनकी ना तो मुझे आवश्यकता है और ना ही इच्छा। मेरे जीवन का सबसे बड़ा सदमा था यह एहसास करना कि वह ’पाँच-सितारा’ जीवन शैली जो मैं जी रहा हूँ कितनी निरर्थक, आत्माविहीन और भावशून्य है।" कार्ल ने दक्षिणी अमेरिका के देशों में धर्माथ सेवा के कार्य आरंभ किए और अपनी सारी संपत्ति उन में लगा दी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन 4 अध्याय में हम से अपने जीवन मार्ग के बारे में सावधानी पूर्वक विचार करने को कहा गया है। यहाँ धर्मियों के मुक्त, बाधारहित जीवन की तुलना दुष्टों के अन्धकारमय और उलझन भरे मार्गों से करी गई है (पद 19)। "और मेरा पिता मुझे यह कह कर सिखाता था, कि तेरा मन मेरे वचन पर लगा रहे; तू मेरी आज्ञाओं का पालन कर, तब जीवित रहेगा" (नीतिवचन 4:4); "सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है" (नीतिवचन 4:23); "अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें" (नीतिवचन 4:26)। प्रत्येक पद हमें उकसाता है कि हम मूल्याँकन करें कि हम जीवन में कहाँ खड़े हैं।

   कोई भी व्यक्ति अपना जीवन एक स्वार्थी और निर्दयी मार्ग से होकर तय नहीं करना चाहता। लेकिन यदि हम रुक कर विचार और मूल्याँकन नहीं करेंगे, और परमेश्वर पिता से मार्गदर्शन नहीं लेंगे तो यही होगा। परमेश्वर पिता से प्रार्थना करें कि वह अपने वचन के प्रति प्रेम और तथा समझ-बूझ का अनुग्रह आपको प्रदान करे तथा आप उसके साथ उसके मार्गों पर सदा चलने वाले बन सकें। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब आप परमेश्वर के साथ चलेंगे तो आप सही दिशा में आगे बढ़ेंगे।

मैं ने तुझे बुद्धि का मार्ग बताया है; और सीधाई के पथ पर चलाया है। शिक्षा को पकड़े रह, उसे छोड़ न दे; उसकी रक्षा कर, क्योंकि वही तेरा जीवन है। - नीतिवचन 4:11, 13

बाइबल पाठ: नीतिवचन 4:14-23
Proverbs 4:14 दुष्टों की बाट में पांव न धरना, और न बुरे लोगों के मार्ग पर चलना।
Proverbs 4:15 उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़ कर आगे बढ़ जा।
Proverbs 4:16 क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उन को नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएं, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती।
Proverbs 4:17 वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं।
Proverbs 4:18 परन्तु धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।
Proverbs 4:19 दुष्टों का मार्ग घोर अन्धकारमय है; वे नहीं जानते कि वे किस से ठोकर खाते हैं।
Proverbs 4:20 हे मेरे पुत्र मेरे वचन ध्यान धरके सुन, और अपना कान मेरी बातों पर लगा।
Proverbs 4:21 इन को अपनी आंखों की ओट न होने दे; वरन अपने मन में धारण कर।
Proverbs 4:22 क्योंकि जिनको वे प्राप्त होती हैं, वे उनके जीवित रहने का, और उनके सारे शरीर के चंगे रहने का कारण होती हैं।
Proverbs 4:23 सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।
Proverbs 4:24 टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।
Proverbs 4:25 तेरी आंखें साम्हने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें।
Proverbs 4:26 अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथर कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें।
Proverbs 4:27 न तो दाहिनी ओर मुढ़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 110-112 
  • 1 कुरिन्थियों 5


बुधवार, 21 अगस्त 2013

पवित्र

   संभवतः यह वह शब्द नहीं है जिसे हम अपने लिए प्रयोग करेंगे, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरित पौलुस अकसर मसीही विश्वासियों को "पवित्र" कहकर संबोधित करता है (इफिसियों 1:1; कुलुस्सियों 1:2)। क्या वह उन्हें ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि वे सिद्ध थे? नहीं! ये लोग भी अन्य मनुष्यों के समान ही थे, पापी थे। तो फिर पौलुस का उनके लिए यह शब्द प्रयोग करने के पीछे क्या तात्पर्य था? मूल भाषा में, जिसमें बाइबल का नया नियम खंड लिखा गया, "पवित्र" शब्द का अर्थ था वह व्यक्ति जो परमेश्वर के लिए पृथक किया गया है। यह शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग हुआ है जिनका मसीह यीशु के साथ आत्मिक जोड़ बन गया है (इफिसियों 1:3-6)। यह शब्द मसीह यीशु के विश्वासियों का (रोमियों 8:27) तथा उन लोगों का पर्यायवाची है जिनसे मिलकर मसीही मण्डली बनती है (प्रेरितों 9:32)।

   पवित्र लोगों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे उन में निवास करने वाले परमेश्वर के पवित्र आत्मा की सामर्थ, सहायता और मार्गदर्शन द्वारा अपनी बुलाहट के योग्य जीवन व्यतीत करें। अर्थात, अब उनके अन्दर संसार के लोगों से अलग कुछ नए लक्षण पाए जानें हैं: एक दूसरे की सेवा करना (रोमियों 16:2); नम्रता, दीनता, धीरज, प्रेम, मेल के बन्धन में परस्पर आत्मा की एकमनता (इफिसियों 4:1-3), कठिनाईयों और क्लेषों में भी परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता (प्रकाशितवाक्य 13:10; 14:12)। साथ ही पवित्र लोगों में व्यभिचार और मूढ़ता की बातचीत और अन्य ऐसी कोई बात भी नहीं पाई जानी चाहिए (इफिसियों 5:3-4)। बाइबल के पुराने नियम खंड में भजनकार ने पवित्र लोगों के विषय कहा है: "पवित्र लोग...उन्हीं से मैं प्रसन्न रहता हूँ" (भजन 16:3)।

   प्रभु यीशु के साथ हमारा मेल हमें मसीही विश्वासी अर्थात "पवित्र" उप-नाम देता है लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रति, पवित्र आत्मा की सामर्थ, सहायता और मार्गदर्शन द्वारा हमारी आज्ञाकारिता, हमें पवित्रता का स्वभाव देती है। - मार्विन विलियम्स


पवित्र वे लोग हैं जिनमें होकर परमेश्वर की ज्योति चमकती है।

मसीह में उन पवित्र और विश्वासी भाइयों के नाम जो कुलुस्‍से में रहते हैं। हमारे पिता परमेश्वर की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति प्राप्त होती रहे। - कुलुस्सियों 1:2

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:1-17
Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है।
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्‍हीं के अनुसार चलते थे।
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 107-109 
  • 1 कुरिन्थियों 4


मंगलवार, 20 अगस्त 2013

अवरोध

   दूसरों में दोष ढूँढ़ना एक आम बात है, जिसमें बहुत से लोग मज़ा भी लेते हैं। दुर्भाग्यवश, इस बुराई को करने या बढ़ावा देने में भाग लेना बहुत सरल होता है। दूसरों के दोषों पर दृष्टि रखना और उन्हें औरों को बताना अपने दोषों को छिपाने और अपने आप को दूसरों से बेहतर समझने और दिखाने का एक बेहतरीन तरीका है - और यही समस्या कि जड़ भी है। अपने जीवन की कमियों और दोषों को नज़रंदाज़ करने से ना केवल हमारी आत्मिक उन्नति अवरुद्ध होती है, वरन साथ ही हम परमेश्वर के लिए उपयोगी भी नहीं हो पाते। हम मसीही विश्वासियों की जीवन शैली ही यह निर्धारित करती है कि हम परमेश्वर के लिए संसार में प्रभावी हैं या उसके कार्य को बाधित कर रहे हैं।

   इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि प्रेरित पौलुस ने यह ठान रखा था कि "हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए" (2 कुरिन्थियों 6:3)। पौलुस के लिए इससे बढ़कर और कुछ भी नहीं था कि वह मसीह यीशु के लिए अन्य लोगों के जीवन में कार्यकारी बना रह सके। उसके इस उद्देश्य की पूर्ति में जो कुछ भी आता था उसे वह अपने जीवन में स्थान नहीं देता था।

   यदि आप परमेश्वर के लिए कार्यकारी और उपयोगी होना चाहते हैं तो अवरोधों की सूची बनाएं - "मेरे जीवन में ऐसा क्या क्या है जो मुझे परमेश्वर की सेवा में प्रभावी नहीं होने दे रहा है?"; यह सूची बनाते हुए अनेक बार आप पाएंगे कि ऐसे भी अवरोध हैं जो अपने आप में वाजिब और न्यायसंगत हैं परन्तु कुछ परिस्थितियों के सन्दर्भ में वे अनुचित हो जाते हैं। लेकिन परिस्थिति कुछ भी क्यों ना हो, पाप सदा ही अनुचित होता है। अपने आप को जाँचिए कि कहीं कानाफूसी, लांछन लगाना, अहंकार, जलन और कड़ुवाहट, लालच, गाली-गलौज़, क्रोध, स्वार्थ, बदला लेना आदि बातें आपके जीवन में स्थान तो नहीं पा रही हैं, क्योंकि ये सब और ऐसी ही अन्य बातें हमारे आस-पास के लोगों के मनों को हमारे मसीही विश्वास और परमेश्वर प्रभु यीशु, दोनो ही के विमुख कर देती हैं, और परमेश्वर के प्रेम तथा उद्धार का सन्देश लोगों तक नहीं पहुँच पाता।

   इसलिए अपने जीवन से इन अवरोधों को हटा कर इनके स्थान पर अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के मनोहर गुणों को बसा लीजिए। यह आपके जीवन के द्वारा संसार पर जगत के उस निर्दोष उद्धारकर्ता को स्पष्ट प्रगट कर सकेगा और आपका जीवन सुसमाचार प्रचार का माध्यम बन जाएगा, अवरोध नहीं। - जो स्टोवैल


मसीह यीशु के अनुयायी सबसे प्रभावशाली तब ही होते हैं जब उनके व्यवहार और कार्य मसीह यीशु के समान ही हों।

सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएं पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे। - रोमियों 14:13

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 6:3-10
2 Corinthians 6:3 हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
2 Corinthians 6:4 परन्तु हर बात से परमेश्वर के सेवकों की नाईं अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्‍लेशों से, दरिद्रता से, संकटो से।
2 Corinthians 6:5 कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से।
2 Corinthians 6:6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
2 Corinthians 6:7 सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ से; धामिर्कता के हथियारों से जो दाहिने, बाएं हैं।
2 Corinthians 6:8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्चे हैं।
2 Corinthians 6:9 अनजानों के सदृश्य हैं; तौभी प्रसिद्ध हैं; मरते हुओं के जैसे हैं और देखो जीवित हैं; मार खाने वालों के सदृश हैं परन्तु प्राण से मारे नहीं जाते।
2 Corinthians 6:10 शोक करने वालों के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं, कंगालों के जैसे हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं तौभी सब कुछ रखते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 105-106 
  • 1 कुरिन्थियों 3


सोमवार, 19 अगस्त 2013

ईश्वरीय कैमरा

   स्टीवन विल्टशायर नामक व्यक्ति को "मानव कैमरा" भी कहा जाता है क्योंकि उस में एक विलक्षण प्रतिभा है - वह जो देख लेता है उसकी बारीकियों को भी याद कर लेता है और फिर उन्हें चित्र में बना कर दिखा सकता है। उदाहरण के लिए, एक बार स्टीवन को रोम शहर वायुयान द्वारा ऊपर से घुमाया गया और फिर धरती पर उतरने के बाद उससे कहा गया कि रोम के मध्य भाग का चित्र बनाए। जाँचने वाले दंग रह गए जब उसने अपनी स्मरण शक्ति से उस भाग का बिल्कुल सही चित्र बना दिया जिसमें वहाँ की छोटी-छोटी घुमावदार गलियां, सभी इमारतें, भवनों की खिड़कियां आदि सभी बिल्कुल हू-ब-हू दिख रहीं थीं।

   स्टीवन विल्टशायर की स्मरण शक्ति निःसन्देह विलक्षण है, लेकिन एक और स्मरण शक्ति है जो इससे भी अधिक विलक्षण है, और कहीं अधिक महत्वपूर्ण। प्रभु यीशु ने अपने स्वर्गारोहण से पूर्व अपने शिष्यों से वायदा किया था कि उनकी सहायता के लिए वह पवित्र आत्मा को भेजेगा जो उन्हें एक ईश्वरीय स्मरण शक्ति प्रदान करेगा जिससे वे प्रभु यीशु की शिक्षाओं और उसके साथ के अपने अनुभवों को स्मरण रख सकें (यूहन्ना 14:26)।

   शिष्यों ने प्रभु यीशु की अद्भुत शिक्षाओं को सुना था, उसे अनेक आश्चर्यकर्म - अन्धों को आँखें देना, बहरों को श्रवण-शक्ति देना, मृतकों को जीवित करना आदि करते हुए देखा था। अब प्रभु यीशु ने उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी थी कि वे इन सब शिक्षाओं और प्रभु यीशु की बातों को संसार के छोर तक सभी लोगों और जातियों में लेकर जाएं और उन्हें बताएं। ना केवल वे शिष्य, वरन जो उनकी गवाही और प्रचार द्वारा प्रभु यीशु पर विश्वास लाते, उन्हें भी यही ज़िम्मेदारी ऐसे ही निभानी थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रभु यीशु की शिक्षाओं और कार्यों के वर्णन में समय, भाषा और काल के परिवर्तन के बावजूद कभी भी कोई मिलावट या त्रुटि ना होने पाए उन्हें और उनके बाद के सभी चेलों को एक ईश्वरीय स्मरण शक्ति की आवश्यकता थी। उनके लिए यह सहायता परमेश्वर के पवित्र आत्मा के रूप में उन्हें उपलब्ध कराई गई और परमेश्वर का पवित्र आत्मा तब से प्रत्येक मसिही विश्वासी के अन्दर निवास करता है और उसे प्रभु यीशु तथा परमेश्वर की बातों को स्मरण कराता रहता है।

   इसी कारण जब मसीही शिष्यों और विश्वासियों ने प्रभु यीशु के वचन, शिक्षाएं और कार्य लिखे तो यह अपनी किसी सामर्थ अथवा स्मरण शक्ति या समझ-बूझ के आधार पर नहीं लिखे, वरन जैसा परमेश्वर के पवित्र आत्मा ने उन्हें प्रेरित करके लिखवाया, उन्होंने लिखा। यही कारण है कि संपूर्ण बाइबल में कोई विरोधाभास नहीं है, बाइबल का प्रत्येक भाग अन्य भागों का पूरक और सहायक है - क्योंकि सभी भागों का लिखवाने वाला वही एक पवित्र आत्मा है, चाहे लिखने वाले मनुष्य भिन्न हों। इसीलिए बाइबल परमेश्वर का वचन है और आप इस पर संपूर्ण रीति से भरोसा रख सकते हैं, इसे परख भी सकते हैं; क्योंकि यह ईश्वरीय कैमरे में दर्ज हो रखी बातों का लिखित विवरण है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का पवित्र आत्मा परमेश्वर के वचन का उपयोग परमेश्वर के लोगों को सिखाने के लिए करता है।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:7-15
John 16:7 तौभी मैं तुम से सच कहता हूं, कि मेरा जाना तुम्हारे लिये अच्छा है, क्योंकि यदि मैं न जाऊं, तो वह सहायक तुम्हारे पास न आएगा, परन्तु यदि मैं जाऊंगा, तो उसे तुम्हारे पास भेज दूंगा।
John 16:8 और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।
John 16:9 पाप के विषय में इसलिये कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते।
John 16:10 और धामिर्कता के विषय में इसलिये कि मैं पिता के पास जाता हूं,
John 16:11 और तुम मुझे फिर न देखोगे: न्याय के विषय में इसलिये कि संसार का सरदार दोषी ठहराया गया है।
John 16:12 मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते।
John 16:13 परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा।
John 16:14 वह मेरी महिमा करेगा, क्योंकि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा।
John 16:15 जो कुछ पिता का है, वह सब मेरा है; इसलिये मैं ने कहा, कि वह मेरी बातों में से ले कर तुम्हें बताएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 103-104 
  • 1 कुरिन्थियों 2


रविवार, 18 अगस्त 2013

विश्वासयोग्य

   संसार भर को प्रभावित करने वाले आर्थिक संकट के बाद अमेरिका की सरकार ने कुछ सख्त कानून बनाए जो लोगों की बैंकों की आपत्तिजनक कार्यप्रणालियों से सुरक्षा कर सकें। इन नियमों के पालन के लिए बैकों को अपनी कुछ नीतियों में परिवर्तन करने पड़े और इन परिवर्तनों की सूचना अपने ग्राहकों को देने के लिए बैंकों ने उन्हें सूचना-पत्र भेजे। जब मुझे अपने बैंक से यह सूचना-पत्र पहुँचा तो मैंने उसे बड़े ध्यान से पढ़ा, और पत्र के अन्त तक पहुँचते पहुँचते मैं असमंजस में थी क्योंकि उस सूचना-पत्र से मुझे उत्तर तो कम मिले लेकिन मन में प्रश्न अनेक उठ खड़े हुए। उस पूरे पत्र में अनेक स्थानों पर, "हम कर सकते हैं" या "हमारी इच्छानुसार" जैसे वाक्याँशों के प्रयोग के कारण मुझे उन बैंक प्रबन्धकों की नीतियों और कार्यप्रणाली की विश्वासयोग्यता पर विश्वास नहीं हो पाया।

   इसकी तुलना में, परमेश्वर के वचन बाइबल में हम परमेश्वर के विषय में अनेक बार लिखा पाते हैं कि परमेश्वर कहता है, "मैं करूंगा"। दाऊद से परमेश्वर ने वायदा किया: "जब तेरी आयु पूरी हो जाएगी, और तू अपने पुरखाओं के संग सो जाएगा, तब मैं तेरे निज वंश को तेरे पीछे खड़ा कर के उसके राज्य को स्थिर करूंगा। मेरे नाम का घर वही बनवाएगा, और मैं उसकी राजगद्दी को सदैव स्थिर रखूंगा" (2 शमूएल 7:12-13)। परमेश्वर की वाचाओं में कोई अनिश्चितता नहीं है; वह स्पष्ट बात कहता है, घुमा-फिरा कर नहीं। राजा सुलेमान ने परमेश्वर की उसकी वाचाओं के प्रति विश्वासयोग्यता को पहचानते हुए, परमेश्वर के मन्दिर के समर्पण के समय करी गई अपनी प्रार्थना में कहा: "तू ने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है; जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आंखों के साम्हने पूरा भी किया है" (2 इतिहास 6:15)। इस बात के सदियों बाद प्रेरित पौलुस ने परमेश्वर की वाचाओं के संबंध में लिखा कि परमेश्वर की जितनी प्रतिज्ञाएं हैं, वे सब मसीह यीशु में हां के साथ हैं (2 कुरिन्थियों 1:20)।

   इस अनिश्चितता से भरे संसार में अपने विश्वास और भविष्य का आधार उस विश्वासयोग्य और कभी ना बदलने वाले परमेश्वर को बनाईए जो अपनी प्रतिज्ञाओं में कोई दोगलापन या अनिश्चितता नहीं रखता और स्पष्ट बात करता है; जो कहता है उसे वैसा ही पूरा भी करता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


विश्वास जानता है कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं का निर्वाह सदा ही करता है।

क्योंकि परमेश्वर की जितनी प्रतिज्ञाएं हैं, वे सब उसी में हां के साथ हैं: इसलिये उसके द्वारा आमीन भी हुई, कि हमारे द्वारा परमेश्वर की महिमा हो। - 2 कुरिन्थियों 1:20

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 6:1-11
2 Chronicles 6:1 तब सुलैमान कहने लगा, यहोवा ने कहा था, कि मैं घोर अंधकार मैं वास किए रहूंगा।
2 Chronicles 6:2 परन्तु मैं ने तेरे लिये एक वासस्थान वरन ऐसा दृढ़ स्थान बनाया है, जिस में तू युग युग रहे।
2 Chronicles 6:3 और राजा ने इस्राएल की पूरी सभा की ओर मुंह फेर कर उसको आशीर्वाद दिया, और इस्राएल की पूरी सभा खड़ी रही।
2 Chronicles 6:4 और उसने कहा, धन्य है इस्राएल का परमेश्वर यहोवा, जिसने अपने मुंह से मेरे पिता दाऊद को यह वचन दिया था, और अपने हाथों से इसे पूरा किया है,
2 Chronicles 6:5 कि जिस दिन से मैं अपनी प्रजा को मिस्र देश से निकाल लाया, तब से मैं ने न तो इस्राएल के किसी गोत्र का कोई नगर चुना जिस में मेरे नाम के निवास के लिये भवन बनाया जाए, और न कोई मनुष्य चुना कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
2 Chronicles 6:6 परन्तु मैं ने यरूशलेम को इसलिये चुना है, कि मेरा नाम वहां हो, और दाऊद को चुन लिया है कि वह मेरी प्रजा इस्राएल पर प्रधान हो।
2 Chronicles 6:7 मेरे पिता दाऊद की यह मनसा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
2 Chronicles 6:8 परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, तेरी जो मनसा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा कर के तू ने भला तो किया;
2 Chronicles 6:9 तौभी तू उस भवन को बनाने न पाएगा: तेरा जो निज पुत्र होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।
2 Chronicles 6:10 यह वचन जो यहोवा ने कहा था, उसे उसने पूरा भी किया है; ओर मैं अपने पिता दाऊद के स्थान पर उठ कर यहोवा के वचन के अनुसार इस्राएल की गद्दी पर विराजमान हूँ, और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम के इस भवन को बनाया है।
2 Chronicles 6:11 और इस में मैं ने उस सन्दूक को रख दिया है, जिस में यहोवा की वह वाचा है, जो उसने इस्राएलियों से बान्धी थी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 100-102 
  • 1 कुरिन्थियों 1


शनिवार, 17 अगस्त 2013

मध्य-रात्रि मित्र

   क्या आपका कोई ऐसा मित्र है जिसे आप मध्य-रात्रि में भी सहायता के लिए बेहिचक बुला सकते हैं? परमेश्वर के वचन बाइबल के शिक्षक रे प्रिट्चर्ड ऐसे मित्रों को "मध्य-रात्रि मित्र" कहते हैं। यदि आप किसी आपात स्थिति में हों और ऐसे किसी मित्र से संपर्क करें तो वह आपसे दो ही प्रश्न पूछेगा, "मैं क्या सहायता कर सकता हूँ?" और "यह सहायता कहाँ पर उपलब्ध करानी है?"

   ऐसे मित्र कठिन समयों के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल के एक मुख्य नायक दाऊद का भी एक ऐसा ही मित्र था - योनातान। योनातान का पिता - तत्कालीन इस्त्राएली राजा शाऊल दाऊद की इस्त्राएली समाज में लोकप्रीयता और दाऊद पर परमेश्वर की आशीषों से बहुत डाह रखता था और इन कारणों से उसे मार डालने के प्रयास करता रहता था (1 शमूएल 19)। लेकिन दाऊद इन सब हमलों से बचता रहा, जाकर छिप गया और उसने अपने मित्र योनातान से सहायता माँगी (1 शमूएल 20), क्योंकि योनातान का मन दाऊद से लगा हुआ था और वह दाऊद से अपने समान ही प्रेम करता था (1 शमूएल 18:1)। योनातान ने अपने पिता को दाऊद के विषय में समझाने का प्रयास किया लेकिन शाऊल के व्यवहार और उत्तर से भाँप लिया कि शाऊल से दाऊद की जान को बहुत खतरा है (1 शमूएल 20:24-34)।

   परमेश्वर का वचन हमें आगे बताता है कि योनातान दाऊद के लिए दुखी हुआ (पद 34) और उसने दाऊद से अपने पिता की उसे घात करने की योजना के बारे में बताया और कहा कि वह वहाँ से कहीं दूर चला जाए (पद 41-42)। दाऊद ने जान लिया कि योनातान में उसे कितना अच्छा मित्र मिला है; वे दोनों गले लगकर रोए, दाऊद का रोना अधिक था। योनातान राजकुमार था, शाऊल के बाद राजगद्दी का उत्तराधिकारी; योनातान यह भी जानता था कि उसके राजा बनने में यदि कोई बाधा हो सकता है तो वह इस्त्राएल में अपनी लोकप्रीयता और उस पर बने हुए परमेश्वर के हाथ के कारण दाऊद ही है। लेकिन योनातान ने इस बात को अपनी मित्रता के आड़े नहीं आने दिया और दाऊद की भरसक सहायता करी। कुछ समय बाद एक युद्ध में शाऊल और योनातान दोनों ही मारे गए और इसत्राएल के लोगों ने दाऊद को लाकर अपना राजा बना लिया। राजा बनने के बाद: "दाऊद ने पूछा, क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिस को मैं योनातन के कारण प्रीति दिखाऊं?" (2 शमूएल 9:1) - योनातान की मित्रता के कारण दाऊद ने राजा बनने के बाद अपनी जान के दुश्मन शाऊल के समस्त घराने पर कृपादृष्टि बनाए रखी।

   क्या आपके पास ऐसे "मध्य-रात्रि मित्र" हैं? इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात है कि एक मसीही विश्वासी होने के कारण क्या आप अपने मसीही समाज के लिए एक "मध्य-रात्रि मित्र" बने हैं? - ऐनी सेटास


एक सच्चा मित्र संकट और कष्ट में भी साथ खड़ा रहता है।

जब वह शाऊल से बातें कर चुका, तब योनातान का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, कि योनातान उसे अपने प्राण के बराबर प्यार करने लगा। - 1 शमूएल 18:1

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 20:30-42
1 Samuel 20:30 तब शाऊल का कोप योनातन पर भड़क उठा, और उसने उस से कहा, हे कुटिला राजद्रोही के पुत्र, क्या मैं नहीं जानता कि तेरा मन तो यिशै के पुत्र पर लगा है? इसी से तेरी आशा का टूटना और तेरी माता का अनादर ही होगा।
1 Samuel 20:31 क्योंकि जब तक यिशै का पुत्र भूमि पर जीवित रहेगा, तब तक न तो तू और न तेरा राज्य स्थिर रहेगा। इसलिये अभी भेज कर उसे मेरे पास ला, क्योंकि निश्चय वह मार डाला जाएगा।
1 Samuel 20:32 योनातन ने अपने पिता शाऊल को उत्तर देकर उस से कहा, वह क्यों मारा जाए? उसने क्या किया है?
1 Samuel 20:33 तब शाऊल ने उसको मारने के लिये उस पर भाला चलाया; इससे योनातन ने जान लिया, कि मेरे पिता ने दाऊद को मार डालना ठान लिया है।
1 Samuel 20:34 तब योनातन क्रोध से जलता हुआ मेज पर से उठ गया, और महीने के दूसरे दिन को भोजन न किया, क्योंकि वह बहुत खेदित था, इसलिये कि उसके पिता ने दाऊद का अनादर किया था।
1 Samuel 20:35 बिहान को योनातन एक छोटा लड़का संग लिये हुए मैदान में दाऊद के साथ ठहराए हुए स्थान को गया।
1 Samuel 20:36 तब उसने अपने छोकरे से कहा, दौड़कर जो जो तीर मैं चलाऊं उन्हें ढूंढ़ ले आ। छोकरा दौड़ता ही था, कि उसने एक तीर उसके परे चलाया।
1 Samuel 20:37 जब छोकरा योनातन के चलाए तीर के स्थान पर पहुंचा, तब योनातन ने उसके पीछे से पुकार के कहा, तीर तो तेरी परली ओर है।
1 Samuel 20:38 फिर योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकारकर कहा, बड़ी फुर्ती कर, ठहर मत। और योनातन ने छोकरे के पीछे से पुकार के कहा, बड़ी फुर्ती कर, ठहर मत! और योनातन का छोकरा तीरों को बटोर के अपने स्वामी के पास ल आया।
1 Samuel 20:39 इसका भेद छोकरा तो कुछ न जानता था; केवल योनातन और दाऊद इस बात को जानते थे।
1 Samuel 20:40 और योनातन ने अपने हथियार अपने छोकरे को देकर कहा, जा, इन्हें नगर को पहुंचा।
1 Samuel 20:41 ज्योंही छोकरा चला गया, त्योंही दाऊद दक्खिन दिशा की अलंग से निकला, और भूमि पर औंधे मुंह गिरके तीन बार दण्डवत की; तब उन्होंने एक दूसरे को चूमा, और एक दूसरे के साथ रोए, परन्तु दाऊद को रोना अधिक था।
1 Samuel 20:42 तब योनातन ने दाऊद से कहा, कुशल से चला जा; क्योंकि हम दोनों ने एक दूसरे से यह कहके यहोवा के नाम की शपथ खाई है, कि यहोवा मेरे और तेरे मध्य, और मेरे और तेरे वंश के मध्य में सदा रहे। तब वह उठ कर चला गया; और योनातन नगर में गया।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 97-99 
  • रोमियों 16


शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

उपलब्ध?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के पृथ्वी पर रहने के काल की एक घटना काफी प्रसिद्ध और चर्चित रही है - 5000 की भीड़ को भोजन कराना। मरकुस द्वारा लिखित इस घटना के वृतान्त में हम एक विचित्र बात पाते हैं। घटना संक्षेप में इस प्रकार से है: एक बहुत बड़ी भीड़ प्रभु यीशु और उसके चेलों को देखकर उनके पीछे हो ली और प्रभु दिन भर उन्हें सिखाता रहा, उन से बातचीत करता रहा। जब सन्ध्या होने लगी तो चेले चिन्तित होने लगे कि इतने लोग भोजन कैसे करेंगे, और उन्होंने प्रभु यीशु को सुझाव दिया कि वे भीड़ को विदा करें जिससे वे घर जाकर भोजन कर लें (मरकुस 6:35-36)। परन्तु प्रभु यीशु के उत्तर ने उन्हें चकित कर दिया; क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "तुम ही उन्हें खाने को दो" (मरकुस 6:37)।

   प्रभु यीशु का चेलों से ऐसा कहने का क्या अभिप्राय था? यूहन्ना रचित सुसमाचार में लिखित इसी घटना के वर्णन में हम उत्तर पाते हैं - प्रभु यीशु उन्हें परखना चाहता था, परन्तु वह स्वयं पहले से ही जानता था कि उसे क्या करना है (यूहन्ना 6:6)। प्रभु चेलों में क्या परखना चाहता था? क्या यह कि वे चेले समाधान के लिए उस पर आश्चर्यकर्म करने की सामर्थ रखने का विश्वास रखते हैं कि नहीं? हो सकता है, लेकिन इस से भी अधिक संभावना इस बात की है कि प्रभु यीशु चेलों को लोगों की चिन्ता करना और उनकी समस्याओं के समाधान में भागी होना सिखाना चाहता था। वह नहीं चाहता था कि उसके चेले आम लोगों से दूर रहें और दूर ही से उन्हें निर्देश और उपदेश देते रहें; वरन जैसे परमेश्वर होने के बावजूद वह स्वयं लोगों के साथ घुल-मिल कर उनकी देखभाल कर रहा था, चेले भी लोगों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील और उनके समाधान में भागीदार बनें। प्रभु की चुनौती के उत्तर में चेले एक बालक को प्रभु के पास लाए जो अपने साथ अपने भोजन के लिए पाँच रोटी और दो मछली लेकर आया था। प्रभु यीशु ने इस थोड़े से भोजन को लिया, परमेश्वर को धन्यवाद करके उसे तोड़ा और चेलों से उसे लोगों में बाँट देने को कहा; और देखते ही देखते पाँच हज़ार पुरुषों से भी अधिक की भीड़ खा कर तृप्त हो गई और बारह टोकरी भर भोजन बचा रहा।

   मेरे विचार में प्रभु यीशु आज भी हम मसीही विश्वासियों से यही आशा रखता है - जब हमारे आस-पास लोगों में कोई आवश्यकता खड़ी हो जाए तो उसके समाधान में हम प्रार्थना और परमेश्वर पर निर्भरता के साथ व्यक्तिगत रीति से सम्मिलित हो जाएं ना कि केवल बाहर ही से बातें बनाते रहें। जब हम प्रार्थना में प्रभु यीशु के पास कोई समस्या लेकर आते हैं, तो प्रभु की हम से आशा रहती है, "तुम इस बारे में कुछ करो।" लेकिन, उन चेलों ही के समान, अधिकांशतः हमारे भी उत्तर होते हैं "यह मेरे बस की बात नहीं", या फिर "मेरे पास इतना समय/साधन/सामर्थ कहाँ है" आदि; लेकिन उन चेलों के प्रथम प्रत्युत्तर के समान हमारे ये सब उत्तर भी गलत हैं। यदि प्रभु हमें समाधान का भाग होने के लिए कहता है तो यह निश्चित है कि वह जानता है कि उसे क्या करना है और यह भी जानता है कि हम उस समाधान में कैसे कार्यकारी हो सकते हैं। उसे हम से केवल समस्या का विवरण ही नहीं चाहिए वरन साथ ही समस्या का समाधान बनने के लिए पहले हमारी सहमति और फिर हमारा प्रयास चाहिए - चाहे वह कितना भी छोटा अथवा साधारण हो। हमारी छोटी या साधारण सी क्षमता को भी वह बहुत बड़ी आवश्यकता के समाधान के लिए उपयोग करने की सामर्थ रखता है, बस हमें केवल उस पर विश्वास रखना है - विश्वास कि हम चाहे जैसे भी हैं, हम परमेश्वर के लिए उपयोगी हैं और हम में होकर ही वह अपनी सामर्थ संसार पर प्रगट करता है।

   क्या आप आज उसके लिए उपलब्ध हैं? क्या आप उसके हाथों में समर्पित होकर लोगों की समस्याओं के समाधान का साधन बनने के लिए तैयार हैं? उसे आपकी आवश्यकता है! - रैन्डी किलगोर


जब परमेश्वर कहे इसे कर दो, तो समझ लीजिए कि वह उस कार्य के लिए आवश्यक संसाधन तैयार और उपलब्ध कर चुका है।

परन्तु उसने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह आप जानता था कि मैं क्या करूंगा। - यूहन्ना 6:6

बाइबल पाठ: मरकुस 6:30-44
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया।
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था।
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।
Mark 6:33 और बहुतों ने उन्हें जाते देखकर पहिचान लिया, और सब नगरों से इकट्ठे हो कर वहां पैदल दौड़े और उन से पहिले जा पहुंचे।
Mark 6:34 उसने निकलकर बड़ी भीड़ देखी, और उन पर तरस खाया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान थे, जिन का कोई रखवाला न हो; और वह उन्हें बहुत सी बातें सिखाने लगा।
Mark 6:35 जब दिन बहुत ढल गया, तो उसके चेले उसके पास आकर कहने लगे; यह सुनसान जगह है, और दिन बहुत ढल गया है।
Mark 6:36 उन्हें विदा कर, कि चारों ओर के गांवों और बस्‍तियों में जा कर, अपने लिये कुछ खाने को मोल लें।
Mark 6:37 उसने उन्हें उत्तर दिया; कि तुम ही उन्हें खाने को दो: उन्हों ने उस से कहा; क्या हम सौ दीनार की रोटियां मोल लें, और उन्हें खिलाएं?
Mark 6:38 उसने उन से कहा; जा कर देखो तुम्हारे पास कितनी रोटियां हैं? उन्होंने मालूम कर के कहा; पांच और दो मछली भी।
Mark 6:39 तब उसने उन्हें आज्ञा दी, कि सब को हरी घास पर पांति पांति से बैठा दो।
Mark 6:40 वे सौ सौ और पचास पचास कर के पांति पांति बैठ गए।
Mark 6:41 और उसने उन पांच रोटियों को और दो मछिलयों को लिया, और स्वर्ग की ओर देखकर धन्यवाद किया और रोटियां तोड़ तोड़ कर चेलों को देता गया, कि वे लोगों को परोसें, और वे दो मछिलयां भी उन सब में बांट दीं।
Mark 6:42 और सब खाकर तृप्‍त हो गए।
Mark 6:43 और उन्होंने टुकडों से बारह टोकिरयां भर कर उठाई, और कुछ मछिलयों से भी।
Mark 6:44 जिन्हों ने रोटियां खाईं, वे पांच हजार पुरूष थे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 94-96 
  • रोमियों 15:14-33


गुरुवार, 15 अगस्त 2013

पृथ्वी की कसीदाकारी

   परमेश्वर की रची विलक्षण प्रकृति के एक भव्य स्थल - विश्व-विख्यात नाइग्रा जल प्रपात के कैनाडा वाले छोर के निकट, एक विस्मित कर देने वाली सुन्दरता से भरा वानस्पतिक उद्यान है; उस छोर पर एक फूलों का बाग़ बनाया गया है। इस बाग़ की रचना और रख-रखाव बहुत विशिष्ट है और इसमें संसार भर से लाए गए बहुत सुन्दर फूलों और अद्भुत पौधों का संग्रह है, जिनकी सुन्दरता स्तब्ध कर देती है। इस सुन्दरता को निहारते हुए जब हम उस बाग़ में घूम रहे थे तो एक अन्य बात ने हमारा ध्यान खींचा - एक तख़ती जिस पर लिखा था, "मित्रों आईए, परमेश्वर की अद्भुत कारीगरी - पृथ्वी की कसीदाकारी को निहारिए।" हमारे सृष्टिकर्ता ने जो अद्भुत सुन्दरता इस पृथ्वी पर हमारे लिए सजाई है, उसे व्यक्त करने का कितना बेहतरीन तरीका है यह संज्ञा - "पृथ्वी की कसीदाकारी"।

   पृथ्वी की कसीदाकारी के अन्य भव्य नमूने हैं ब्राज़ील देश के घने जंगल जिनमें अनेक प्रकार के वनस्पति और अद्भुत जीव-जन्तु पाए जाते हैं; उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रूवों पर स्थित हिमशिलाएं, हिमनद और बर्फ के मैदान जिनकी सुन्दरता देखते ही बनती है तथा उन स्थानों पर रहने वाले विशेष जीव-जन्तु; संसार के कई स्थानों पर बड़े बड़े मैदानों में लहलहाते अन्न के खेत जिनमें हवा के साथ अटखेलियाँ करती अन्न की बालें एक अति मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती हैं; अफ्रीका में स्थित सेरेन्गटी का सैंकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैला विशाल उपजाऊ मैदान जो अनेक प्रकार के जीव-जन्तुओं का निवास स्थल है; इत्यादि।

   परमेश्वर का वचन बाइबल भी हमें स्मरण दिलाती है कि हर वस्तु, हर फूल - गुलाब (यशायाह 35:1) से लेकर सोसन के फूल (मत्ती 6:28) तक और, हर वनस्पति - जंगल के देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई तथा सनौवर, तिधार वृक्ष, और सीधा सनौबर वृक्ष तक (यशायाह 41-19-20), सब परमेश्वर ही की रचना है।

   परमेश्वर ने हमारी पृथ्वी को भव्य सुन्दरता से सजाया है, इसे ऐसे ही बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। धरती की यह सुन्दरता ना केवल हमारे मनों को प्रफुल्लित करती है, वरन परमेश्वर की यह कसीदाकारी हमें उसकी आराधना करने को प्रेरित भी करती है। अपने चारों ओर परमेश्वर की कसीदाकारी को निहारिए और उसकी आराधना करने और उसे धन्यवाद देने में समय बिताईए। - डेव ब्रैनन


सारी सृष्टि सृष्तिकर्ता की ओर संकेत करने वाले चिन्हों से भरी हुई है।

मैं जंगल में देवदार, बबूल, मेंहदी, और जलपाई उगाऊंगा; मैं अराबा में सनौवर, तिधार वृक्ष, और सीधा सनौबर इकट्ठे लगाऊंगा; जिस से लोग देखकर जान लें, और सोचकर पूरी रीति से समझ लें कि यह यहोवा के हाथ का किया हुआ और इस्राएल के पवित्र का सृजा हुआ है। - यशायाह 41:19-20 

बाइबल पाठ: भजन 19:1-11
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है।
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है,
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है।
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं;
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है;
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं।
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं।
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है।
एक साल में बाइबल: भजन 91-93 रोमियों 15:1-13

बुधवार, 14 अगस्त 2013

बाध्य?

   मेरे एक मित्र ने मुझे संसार भर के 20 सबसे सुन्दर चर्च भवनों की फोटो भेजीं। ये 20 चर्च भवन विश्व के उत्तर-पश्चिम गोलार्ध में स्थित आइसलैंड देश से लेकर दक्षिण-पूर्व गोलार्ध में स्थित भारत देश तक संसार भर में फैले हुए हैं और प्रत्येक चर्च वास्तुशिल्पकला का उत्कृष्ट और अनुपम नमूना है।

   यर्मियाह नबी के दिनों में इस्त्राएल के लिए परमेश्वर की उपासना का सबसे सुन्दर स्थान था यरूशालेम में स्थित मन्दिर जिसकी राजा योशिय्याह ने हाल ही में मरम्मत करवाई थी (2 इतिहास 34-35)। उस समय के इस्त्राएली लोग उस भवन इमारत से बहुत प्रभावित थे और उससे बहुत लगाव रखते थे (यर्मियाह 7:4), और उनकी यह मूर्खतापूर्ण धारणा थी कि उस मन्दिर के वहाँ होने के कारण परमेश्वर उन्हें उनके शत्रुओं से बचा कर रखने को बाध्य है। लेकिन इसके विप्रीत परमेश्वर ने अपने नबी यर्मियाह द्वारा इस्त्राएली लोगों तक यह सन्देश पहुँचाया कि उन लोगों के मन और जीवन में पाप बसा हुआ है जो उनकी उपासना को व्यर्थ कर दे रहा है (पद 3, 9-10)।

   बाइबल बताती है कि परमेश्वर उसके नाम से बनाई गई भव्य और सुन्दर इमारतों से प्रसन्न नहीं होता यदि उन इमारतों को उसके नाम के लिए उपयोग में लाने वालों के मन में पवित्रता की सुन्दरता बसी हुई नहीं है। ना ही परमेश्वर को एक बाहरी विधि सम्मत आराधना, रीति-रिवाज़ों एवं विधि-विधानों को मानना, नियत पर्वों का मनाया जाना और विशेष दिनों को उसके नाम से निर्धारित किया जाना भाता है यदि यह सब करने वालों के मन उसके प्रति सच्ची रीति से समर्पित और उनके जीवन उसके आज्ञाकारी ना हों; उसे दिखावे की बाहरी पवित्रता नहीं वरन मन की खरी पवित्रता और सच्चा समर्पण चाहिए। और ऐसे ही बाइबल के अनुसार यह भी व्यर्थ विचार है कि लोगों के धर्म-कर्म के कार्यों तथा आडंबर के कारण परमेश्वर उनकी किसी भी बात को मान लेने और हर हाल में उनकी रक्षा करने को बाध्य हो जाता है।

   बाइबल सिखाती है कि कोई भी परमेश्वर को कुछ करने के लिए विवश नहीं कर सकता; परमेश्वर अपने निर्णय स्वयं अपने संपूर्ण ज्ञान तथा अपनी सिद्ध समझ के अनुसार ही लेता है, किसी के द्वारा किसी रीति या कार्य से बाध्य होकर नहीं। क्योंकि हम मसीही विश्वासी परमेश्वर की आराधना उपासना करते हैं, बाइबल पढ़ते हैं, प्रार्थना करते हैं और अन्य मसीही विश्वासियों के साथ संगति करते हैं इसलिए परमेश्वर हमारे पक्ष में कुछ करते रहने को बाध्य रहता है - यह भी एक व्यर्थ विचार है। हमारा इन सब बातों को करने का उद्देश्य परमेश्वर को अपने पक्ष में विवश करना नहीं वरन उसके बारे में सीखना, उसकी इच्छाओं को जानना, अपने संबंध को उसके साथ सही बनाए रखना तथा और प्रगढ़ करते रहना है जिससे हम उसकी आज्ञाकारिता में, उसे समर्पित और उसे महिमा देने वाला जीवन जी सकें और हमारे जीवनों से लोग सच्चे जीवित परमेश्वर की सच्चाई को देख सकें और अनुभव कर सकें। - सी. पी. हिया


सदा स्मरण रखिए - परमेश्वर ना बाध्य हो सकता है और ना ही किया जा सकता है।

पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। - 1 पतरस 2:9

बाइबल पाठ: यर्मियाह 7:1-11
Jeremiah 7:1 जो वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास पहुंचा वह यह है:
Jeremiah 7:2 यहोवा के भवन के फाटक में खड़ा हो, और यह वचन प्रचार कर, ओर कह, हे सब यहूदियो, तुम जो यहोवा को दण्डवत करने के लिये इन फाटकों से प्रवेश करते हो, यहोवा का वचन सुनो।
Jeremiah 7:3 सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, अपनी अपनी चाल और काम सुधारो, तब मैं तुम को इस स्थान में बसे रहने दूंगा।
Jeremiah 7:4 तुम लोग यह कह कर झूठी बातों पर भरोसा मत रखो, कि यही यहोवा का मन्दिर है; यही यहोवा का मन्दिर, यहोवा का मन्दिर।
Jeremiah 7:5 यदि तुम सचमुच अपनी अपनी चाल और काम सुधारो, और सचमुच मनुष्य-मनुष्य के बीच न्याय करो,
Jeremiah 7:6 परदेशी और अनाथ और विधवा पर अन्धेर न करो; इस स्थान में निर्दोष की हत्या न करो, और दूसरे देवताओं के पीछे न चलो जिस से तुम्हारी हानि होती है,
Jeremiah 7:7 तो मैं तुम को इस नगर में, और इस देश में जो मैं ने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, युग युग के लिये रहने दूंगा।
Jeremiah 7:8 देखो, तुम झूठी बातों पर भरोसा रखते हो जिन से कुछ लाभ नहीं हो सकता।
Jeremiah 7:9 तुम जो चोरी, हत्या और व्यभिचार करते, झूठी शपथ खाते, बाल देवता के लिये धूप जलाते, और दूसरे देवताओं के पीछे जिन्हें तुम पहिले नहीं जानते थे चलते हो,
Jeremiah 7:10 तो क्या यह उचित है कि तुम इस भवन में आओ जो मेरा कहलाता है, और मेरे साम्हने खड़े हो कर यह कहो कि हम इसलिये छूट गए हैं कि ये सब घृणित काम करें?
Jeremiah 7:11 क्या यह भवन जो मेरा कहलाता है, तुम्हारी दृष्टि में डाकुओं की गुफ़ा हो गया है? मैं ने स्वयं यह देखा है, यहोवा की यह वाणी है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 89-90 
  • रोमियों 14


मंगलवार, 13 अगस्त 2013

प्रवीण कारिगर

   जब मेरी सगाई हुई तो मेरे होने वाले ससुर, जिम ने मुझे एक ऐसा विशेष उपहार दिया जिसे मैं आज तक संजोए हुए हुँ। जिम व्यवसाय से एक घड़ी साज़ तथा जौहरी है, और हमारी शादी की अँगूठियाँ उसी ने हमें बनाकर दीं। मेरी अँगूठी बनाने के लिए जिम ने सोने के छोटे छोटे टुकड़ों का उपयोग किया - वे टुकड़े जो ज़ेवर संवारते-सुधारते समय काट कर निकाले जाते हैं और जिनका कोई विशेष महत्व नहीं होता। लेकिन इस प्रवीण कारीगर के हाथ में उन टुकड़ों ने एक ऐसा अनुपम और सुन्दर रूप ले लिया जिसे हर देखने वाला सराहता है और मैं जिसे संजोए रहता हूँ और निहारता रहता हूँ। यह एक विलक्षण, अद्भुत लेकिन विचार योग्य बात है कि एक प्रवीण कारिगर के हाथों में छोटे छोटे बेकार टुकड़े भी कैसे बहुमूल्य, सुन्दर और उपयोगी हो जाते हैं।

   परमेश्वर भी हमारे जीवनों में ऐसे ही कार्य करता है। वह तो सभी प्रवीण कारिगरों से भी महान और सिद्ध कारिगर है। वह हमारे जीवनों को, उसके व्यर्थ और टूटे-फूटे अंशों सहित लेकर, एक अर्थपूर्ण, उपयोगी और आशीशित जीवन बना देता है - यदि हम स्वेच्छा से अपने जीवन उसके हाथों में समर्पित करके उसे अपना कार्य करने दें। परमेश्वर के वचन बाइबल में यर्मियाह नबी ने इसी बात को एक कुम्हार द्वारा मिट्टी से बर्तन बनाए जाने के उदाहरण से समझाया है। जैसे कुम्हार एक बिगड़े हुए बर्तन को भी पुनः संवार कर एक नया और अच्छा स्वरूप दे सकता है, वैसे ही परमेश्वर भी हमें संवार कर अच्छा कर सकता है: "और जो मिट्टी का बासन वह बना रहा था वह बिगड़ गया, तब उसने उसी का दूसरा बासन अपनी समझ के अनुसार बना दिया" (यर्मियाह 18:4)।

   हमने चाहे अपने जीवन को कैसा भी बिगाड़ लिया हो, परमेश्वर हमें सुधार कर अपनी और संसार की दृष्टि में सुन्दर बना सकता है। आवश्यकता बस इतनी है कि हम अपने पाप मानकर परमेश्वर प्रभु यीशु से उनकी क्षमा माँग लें, अपना जीवन उस के हाथों में समर्पित कर दें और उसकी आज्ञाकारिता में जीवन बिताना आरंभ कर दें; इस के द्वारा ही परमेश्वर हमारे जीवनों में अपना कार्य करना और हमारा स्वरूप सुधारना आरंभ कर देगा (2 तिमुथियुस 2:21), और वह नया स्वरूप अद्भुत होगा।

   केवल यही एक मार्ग है बिगड़े हुए को सुधारने और संवारने का - उस महान सिद्ध प्रवीण कारिगर के हाथों में अपने आप को सौंप दीजिए और उसे अपना कार्य कर लेने दीजिए। केवल वह ही हमें सुधार सकता है, क्योंकि आखिरकर हमारा बनाने वाला वह ही तो है। - बिल क्राउडर


यदि परमेश्वर को मरम्मत करने दी जाए तो टूटे-फूटे जीवन भी सुन्दर और आशीशित जीवन बन सकते हैं।

यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। - 2 तिमुथियुस 2:21

बाइबल पाठ: यर्मियाह 18:1-10
Jeremiah 18:1 यहोवा की ओर से यह वचन यिर्मयाह के पास पहुंचा, उठ कर कुम्हार के घर जा,
Jeremiah 18:2 और वहां मैं तुझे अपने वचन सुनवाऊंगा।
Jeremiah 18:3 सो मैं कुम्हार के घर गया और क्या देखा कि वह चाक पर कुछ बना रहा है!
Jeremiah 18:4 और जो मिट्टी का बासन वह बना रहा था वह बिगड़ गया, तब उसने उसी का दूसरा बासन अपनी समझ के अनुसार बना दिया।
Jeremiah 18:5 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा, हे इस्राएल के घराने,
Jeremiah 18:6 यहोवा की यह वाणी है कि इस कुम्हार की नाईं तुम्हारे साथ क्या मैं भी काम नहीं कर सकता? देख, जैसा मिट्टी कुम्हार के हाथ में रहती है, वैसा ही हे इस्राएल के घराने, तुम भी मेरे हाथ में हो।
Jeremiah 18:7 जब मैं किसी जाति वा राज्य के विषय कहूं कि उसे उखाड़ूंगा वा ढा दूंगा अथवा नाश करूंगा,
Jeremiah 18:8 तब यदि उस जाति के लोग जिसके विषय मैं ने कह बात कही हो अपनी बुराई से फिरें, तो मैं उस विपत्ति के विषय जो मैं ने उन पर डालने को ठाना हो पछताऊंगा।
Jeremiah 18:9 और जब मैं किसी जाति वा राज्य के विषय कहूं कि मैं उसे बनाऊंगा और रोपूंगा;
Jeremiah 18:10 तब यदि वे उस काम को करें जो मेरी दृष्टि में बुरा है और मेरी बात न मानें, तो मैं उस भलाई के विष्य जिसे मैं ने उनके लिये करने को कहा हो, पछताऊंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 87-88 
  • रोमियों 13