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शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

आश्वासन


   एक भारी आँधी के कारण फ्रैंकफर्ट के लिए हमारी उड़ान विलंबित हुई जिसके कारण उससे अगली उड़ान को पकड़ना हमारे लिए असंभव हो गया। संबंधित अधिकारियों द्वारा हमें बताया गया कि हमारा नाम अगली संध्या की एक उड़ान में पक्का कर दिया गया है। अगली संध्या जब हम वह उड़ान पकड़ने पहुँचे तो हमें बताया गया कि हमारा नाम पुष्टिकृत यात्रियों की सूची में नहीं वरन पुष्टि होने की प्रतीक्षा कर रहे यात्रियों में है और उड़ान में अभी कोई रिक्त स्थान हमारे लिए नहीं है। यह सब जानने के पश्चात मैं सोचने लगा कि जो कुछ हमें बताया गया क्या वह केवल जानकारी देने में हुई त्रुटि थी या यह उड़ान छूट जाने वाले यात्रियों से व्यवहार का तरीका था। यदि उन यात्रियों को पहले ही यह बता दिया जाता कि वे प्रतीक्षा वाली सूची में हैं तो वे क्षुब्ध होते, कुछ प्रतिक्रीया करते; इसलिए बात को टालने और समय प्राप्त करने के लिए कोई उन से कह दे कि उनके नाम पुष्टिकृत सूची में हैं और फिर बाद में कोई और, पहले व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी से पल्ला झाड़ते हुए उन्हें बताए कि उन्हें अभी प्रतीक्षा करनी होगी।

   यह बड़े धन्यवाद की बात है कि परमेश्वर ऐसा व्यवहार नहीं करता, वह हमें सब बातें स्पष्ट बताता है, कुछ भी नहीं छुपाता। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि, "...सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं" (रोमियों 3:23)। मनुष्यों के पाप स्वभाव और उस पाप स्वभाव के निवारण के उपाय के विषय में परमेश्वर ने आरंभ से ही हमें बताया हुआ है (उत्पत्ति 3)। परमेश्वर के इसी उपाय का उल्लेख हम पौलुस प्रेरित द्वारा रोम के मसीही विशवासियों के नाम लिखी गई पत्री में भी पाते हैं: "परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं" (रोमियों 3:24)।

   परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार के सभी लोगों के पापों के दण्ड को उठा लेने के लिए भेजा। उन पापों के लिए क्रूस पर दिए गए उसके बलिदान के द्वारा आज संसार के सभी लोगों के लिए पाप क्षमा का मार्ग खुला और उपलब्ध है। जो कोई प्रभु यीशु पर विश्वास करके उससे पापों की क्षमा माँगता है और अपना जीवन प्रभु को समर्पित करता है, वह सेंत-मेंत अपने पापों से क्षमा तथा परमेश्वर की सन्तान होने एवं उसकी आशीषों को प्राप्त करने का आदर पा लेता है।

   मैं बहुत धन्यवादी हूँ कि परमेश्वर ने सब के लिए सब कुछ इतना स्पष्ट कर के सब के समक्ष रख दिया है; उसने हमें मनुष्यों के अविश्वसनीय आशवासनों को लेकर इधर-उधर भटकते रहने के लिए नहीं छोड़ा। उसने आज तक कभी किसी को इस क्षमा को पाने से वंचित नहीं किया, किसी अन्य बात में नहीं उलझाया। जो कोई स्वेच्छा से उसे ग्रहण करना चाहे उसके लिए परमेश्वर का आश्वासन निश्चित है, कारगर है, सदा सेंत-मेंत उपलब्ध है। - सी. पी. हिया


प्रभु यीशु का बलिदान हमें सुरक्षित करता है; परमेश्वर का वचन उसके लिए हमें निश्चित करता है।

और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे। - 1 कुरिन्थियों 15:22

बाइबल पाठ: रोमियों 3:20-26
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है। 
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं। 
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं। 
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। 
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। 
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे। 
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56
  • रोमियों 3


गुरुवार, 30 जुलाई 2015

प्रभावी व्यक्ति


   यदि आप गूगल में जाकर इंटरनैट पर "प्रभावशाली व्यक्ति" वाक्यांश द्वारा खोज करें तो आपके सामने संसार के अनेक प्रभावशाली व्यक्तियों की विभिन्न सूचियाँ आएंगी। इन सूचियों में सामान्यतः राजनीतिक नेताओं, व्यवसायिक उद्द्यमियों, प्रसिद्ध खिलाड़ियों, विभिन्न वैज्ञानिकों, कला तथा मनोरंजन में ख्याति प्राप्त लोगों आदि के नाम मिलेंगे। लेकिन इन नामों की सूचियों के साथ उन प्रसिद्ध लोगों के लिए काम करने वाले सेवकों, रसोईयों या सफाई कर्मचारियों के नाम कभी नहीं मिलेंगे; जबकि इन "छोटे पदों" पर कार्य करने वालों का उन प्रसिद्ध लोगों के जीवनों में बड़ा योगदान एवं प्रभाव होता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम नामान नामक एक सेनापति की कहानी पाते हैं जो कोढ़ से ग्रसित था, जिसके कारण उसकी नौकरी जा सकती थी और जीवन नाश हो सकता था। इस प्रसिद्ध सेनापति के साथ ही उस कहानी में दो राजाओं और परमेश्वर के एक नबी का भी उल्लेख है (2 राजा 5:1-15)। लेकिन फिर भी नामान कि चंगाई के पीछे ये प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति नहीं वरन उसके सेवक थे। पहला व्यक्ति जिसने नामान को चंगाई पाने का मार्ग बताया एक छोटी बालिका थी जिसे इस्त्राएल से बंदी बनाकर लाया गया था और जो नामान की पत्नि की सेवा करती थी। उस छोटी लड़की ने ही उसे बन्दी बनाकर लाने वाले की भलाई के लिए अपनी स्वामिनी को बताया कि सामारिया में एक भविष्यद्वक्ता है जो नामान को चंगा कर सकता है। जब उस लड़की की बात पर विश्वास कर के नामान सामारिया में परमेश्वर के नबी एलीशा के पास पहुँचा तो एलीशा ने उससे बिना मिले ही उसे सन्देशा पहुँचवा दिया कि वह जाकर सात बार यरदन नदी में डुबकी लगा ले तो चंगा हो जाएगा। एलीशा द्वारा अपनी इस उपेक्षा से क्रोधित होकर जब नामान वापस घर लौट रहा था तो उसके सेवकों ने उसे समझाया कि एलीशा की बात मान लेने में कोई हर्ज नहीं है, और उन सेवकों के कहने पर नामान ने एलीशा के निर्देशों का पालन किया, और चंगा हो गया; तब नामान ने कहा, "...समस्त पृथ्वी में इस्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है..." (2 राजा 5:15)।

   हम मसीही विश्वासियों की भूमिका का यह कितना उत्तम चित्रण है - हमें मसीह के सेवक होने के लिए बुलाया गया है, ऐसे सेवक जो औरों को मसीह यीशु की ओर आकर्षित कर सकें; उसकी ओर जो उन लोगों के जीवन को सुधार और संवार सकता है, उन्हें पाप के कोढ़ से छुड़ाकर अनन्त विनाश से बचा सकता है। हमें ख्यातिवान या प्रसिद्ध होने के लिए नहीं वरन दूसरों के जीवन में प्रभावी व्यक्ति होने के लिए बुलाया और ठहराया गया है। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीह यीशु हमें संसार में भेजता है जिससे कि हम औरों को उसके पास ला सकें।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। - फिलिप्पियों 2:3-4

बाइबल पाठ: 2 राजा 5:1-15
2 Kings 5:1 अराम के राजा का नामान नाम सेनापति अपने स्वामी की दृष्टि में बड़ा और प्रतिष्ठित पुरुष था, क्योंकि यहोवा ने उसके द्वारा अरामियों को विजयी किया था, और यह शूरवीर था, परन्तु कोढ़ी था। 
2 Kings 5:2 अरामी लोग दल बान्ध कर इस्राएल के देश में जा कर वहां से एक छोटी लड़की बन्धुवाई में ले आए थे और वह नामान की पत्नी की सेवा करती थी। 
2 Kings 5:3 उसने अपनी स्वामिन से कहा, जो मेरा स्वामी शोमरोन के भविष्यद्वक्ता के पास होता, तो क्या ही अच्छा होता! क्योंकि वह उसको कोढ़ से चंगा कर देता। 
2 Kings 5:4 तो किसी ने उसके प्रभु के पास जा कर कह दिया, कि इस्राएली लड़की इस प्रकार कहती है। 
2 Kings 5:5 अराम के राजा ने कहा, तू जा, मैं इस्राएल के राजा के पास एक पत्र भेजूंगा; तब वह दस किक्कार चान्दी और छ: हजार टुकड़े सोना, और दस जोड़े कपड़े साथ ले कर रवाना हो गया। 
2 Kings 5:6 और वह इस्राएल के राजा के पास वह पत्र ले गया जिस में यह लिखा था, कि जब यह पत्र तुझे मिले, तब जानना कि मैं ने नामान नाम अपने एक कर्मचारी को तेरे पास इसलिये भेजा है, कि तू उसका कोढ़ दूर कर दे। 
2 Kings 5:7 इस पत्र के पढ़ने पर इस्राएल का राजा अपने वस्त्र फाड़ कर बोला, क्या मैं मारने वाला और जिलाने वाला परमेश्वर हूँ कि उस पुरुष ने मेरे पास किसी को इसलिये भेजा है कि मैं उसका कोढ़  दूर करूं? सोच विचार तो करो, वह मुझ से झगड़े का कारण ढूंढ़ता होगा। 
2 Kings 5:8 यह सुनकर कि इस्राएल के राजा ने अपने वस्त्र फाड़े हैं, परमेश्वर के भक्त एलीशा ने राजा के पास कहला भेजा, तू ने क्यों अपने वस्त्र फाड़े हैं? वह मेरे पास आए, तब जान लेगा, कि इस्राएल में भविष्यद्वक्ता तो है। 
2 Kings 5:9 तब नामान घोड़ों और रथों समेत एलीशा के द्वार पर आकर खड़ा हुआ। 
2 Kings 5:10 तब एलीशा ने एक दूत से उसके पास यह कहला भेजा, कि तू जा कर यरदन में सात बार डुबकी मार, तब तेरा शरीर ज्यों का त्यों हो जाएगा, और तू शुद्ध होगा। 
2 Kings 5:11 परन्तु नामान क्रोधित हो यह कहता हुआ चला गया, कि मैं ने तो सोचा था, कि अवश्य वह मेरे पास बाहर आएगा, और खड़ा हो कर अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कोढ़ के स्थान पर अपना हाथ फेर कर कोढ़ को दूर करेगा! 
2 Kings 5:12 क्या दमिश्क की अबाना और पर्पर नदियां इस्राएल के सब जलाशयों से अत्तम नहीं हैं? क्या मैं उन में स्नान कर के शुद्ध नहीं हो सकता हूँ? इसलिये वह जलजलाहट से भरा हुआ लौट कर चला गया। 
2 Kings 5:13 तब उसके सेवक पास आकर कहने लगे, हे हमारे पिता यदि भविष्यद्वक्ता तुझे कोई भारी काम करने की आज्ञा देता, तो क्या तू उसे न करता? फिर जब वह कहता है, कि स्नान कर के शुद्ध हो जा, तो कितना अधिक इसे मानना चाहिये। 
2 Kings 5:14 तब उसने परमेश्वर के भक्त के वचन के अनुसार यरदन को जा कर उस में सात बार डुबकी मारी, और उसका शरीर छोटे लड़के का सा हो गया; उौर वह शुद्ध हो गया। 
2 Kings 5:15 तब वह अपने सब दल बल समेत परमेश्वर के भक्त के यहां लौट आया, और उसके सम्मुख खड़ा हो कर कहने लगा सुन, अब मैं ने जान लिया है, कि समस्त पृथ्वी में इस्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है। इसलिये अब अपने दास की भेंट ग्रहण कर।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2


बुधवार, 29 जुलाई 2015

प्रेम क्या है?


   जब पूछा गया कि "प्रेम क्या है?" तो कुछ बच्चियों ने बड़े बढ़िया उत्तर दिए। सात वर्षीय नोएल ने कहा, "प्रेम यह है कि जब आप किसी लड़के से कहें कि आपको उसकी कमीज़ अच्छी लगी और वह उसे रोज़ाना पहनने लगे।" आठ वर्षीय रेबेक्का ने उत्तर दिया, "क्योंकि मेरी दादी को गठिया है और वह झुककर अपने पैर के नाखूनों पर रंग कर पाने में असमर्थ हैं इसलिए मेरे दादा हमेशा उनके लिए यह करते हैं, जबकि दादा के हाथ भी गठिया से पीड़ित हैं। यही प्रेम है।" आठ वर्षीय जेसिका का भी निषकर्ष था, "जब तक आप इस बात को पूरी रीति से मानते ना हों, तब तक किसी ना कहें, ’मैं तुम से प्रेम करता हूँ’; परन्तु यदि आप इसे सचमुच मानते हों तो फिर इस बात को बार-बार कहें क्योंकि लोग भूल जाते हैं।"

    कभी कभी हमें इस बात का स्मर्ण चाहिए कि परमेश्वर हम से प्रेम करता है। जब हमारे ध्यान जीवन की कठिनाईयों पर केंद्रित हो जाते हैं तो हम अकसर यह सोचने लगते हैं कि अब ऐसे में परमेश्वर का प्रेम कहाँ है? किंतु यदि हम थोड़ा थम कर ध्यान करें कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या कुछ किया है तो समझेंगे कि परमेश्वर, जो प्रेम है, हम से कितना प्रेम करता है (1 यूहन्ना 4:8-10)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 103 में उन कुछ उपहारों और उपकारों की सूचि दी गई है जो परमेश्वर अपने प्रेम में होकर हमपर न्योछावर करता है: वह हमारे पापों को क्षमा करता है (पद 3), उत्तम पदार्थों से हमें तृप्त करता है (पद 5); धर्म और न्याय के कार्य करता है (पद 6)। परमेश्वर कोप करने में धीमा और बहुतायत से अनुग्रह करने वाला है (पद 8)। वह हमसे हमारे पापों के अनुसार व्यवहार नहीं करता (पद 10) और उसने हमारे पापों को हम से उतनी दूर कर दिया है जितनी दूर उदयाचल से अस्ताचल है (पद 12)। परमेश्वर हमें कभी नहीं भूलता!

   प्रेम क्या है? परमेश्वर प्रेम है, और वह अपना प्रेम हम पर सदा बरसाता रहता है। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के प्रेम का माप क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान है।

जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। - 1 यूहन्ना 4:8-10

बाइबल पाठ: भजन 103:1-14
Psalms 103:1 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह; और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! 
Psalms 103:2 हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। 
Psalms 103:3 वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, 
Psalms 103:4 वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है, 
Psalms 103:5 वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है। 
Psalms 103:6 यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है। 
Psalms 103:7 उसने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए। 
Psalms 103:8 यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। 
Psalms 103:9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। 
Psalms 103:10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। 
Psalms 103:11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। 
Psalms 103:12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। 
Psalms 103:13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। 
Psalms 103:14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50
  • रोमियों 1


मंगलवार, 28 जुलाई 2015

सलाह


   एक पुस्तक The Wisdom of Crowds के बारे में इंटरनैट पर दिए विवरण में लिखा है, "इस रोमांचक पुस्तक में व्यावसायिक स्तंभ लेखक जेम्स सुरोविकी एक अत्यंत ही सरल और सहज प्रतीत होने वाले विचार: "लोगों का बड़ा समूह या भीड़, विशिष्ट लोगों के एक छोटे गुट से अधिक चतुर होता है, चाहे वे विशिष्ट लोग कितने भी गुण-संपन्न क्यों ना हों; बड़ा समूह समस्याओं का हल ढूढ़ने, नई ईजाद के लिए प्रोत्साहक, बुद्धिमता पूर्ण निर्णय लेने की क्षमता रखने वाला यहाँ तक की भविष्य के बारे में बेहतर बताने वाला होता है" का विशलेषण करते हैं।

   लेखक ने, पॉप संस्कृति से लेकर राजनीति तक की विभिन्न बातों के उपयोग द्वारा अपने इस मूल विचार को प्रस्तुत किया है कि अकसर भीड़ की राय ही सही निकलती है। यह एक रुचिकर सिद्धान्त तो है, किंतु ऐसा सिद्धान्त भी है जिस को लेकर वाद-विवाद होना स्वाभविक है, चाहे वह चुनाव के समय में हो या फिर टी.वी पर चल रहे किसी स्पर्धा के कार्यक्रम में से जब कोई पसन्दीदा भाग लेनेवाला हार कर बाहर हो तब।

   परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि आवश्यक नहीं है कि भीड़ की बुद्धिमता भरोसेमन्द हो, भीड़ की राय खतरनाक भी हो सकती है (मत्ती 7:13-14); लेकिन साथ ही एक अन्य तरीका भी है जिसके अन्तरगत सामूहिक बुद्धिमता सहायक हो सकती है - नीतिवचन 11:14 में हम पढ़ते हैं, "जहां बुद्धि की युक्ति नहीं, वहां प्रजा विपत्ति में पड़ती है; परन्तु सम्मति देने वालों की बहुतायत के कारण बचाव होता है।" मसीही विश्वासियों की मण्डली में होने का एक लाभ यह भी है कि हम एक दूसरे की सहायता करें और साथ मिलकर परमेश्वर की बुद्धिमता और सलाह को सीखें तथा जानें। जब हम परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, उससे एक दूसरे के लिए सही सलाह माँगते हैं तो उसके द्वारा दिए गए इस प्रावधान से परस्पर सुरक्षा तथा जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसके बुद्धिमानी से भरे निर्देशों को भी प्राप्त करते हैं। सबसे सही सलाह परमेश्वर से मिलने वाली सलाह ही है; उसे ही प्राप्त करने के खोजी रहें। - बिल क्राउडर


मिल-जुल कर परमेश्वर की सलाह खोजना ही उसकी सलाह मिलने का सर्वोत्त्म तरीका है।

ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है। - नीतिवचन 14:12

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:18-25
1 Corinthians 1:18 क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। 
1 Corinthians 1:19 क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्‍छ कर दूंगा। 
1 Corinthians 1:20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया? 
1 Corinthians 1:21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे। 
1 Corinthians 1:22 यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं। 
1 Corinthians 1:23 परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है। 
1 Corinthians 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है। 
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 46-48
  • प्रेरितों 28


सोमवार, 27 जुलाई 2015


स्वतंत्र
   अपनी पुस्तक Throw Out fifty Things में गेल ब्लैंक छुटकारे के चार नियमों को बताती है जिससे लोग अपने जीवन से व्यर्थ बातें निकाल सकें। उसका पहला नियम है, "यदि कोई बात आप पर बोझ बन गई हो, आपको अवरुद्ध करती हो या आपको अपने ही बारे में बुरा अनुभव करवाती हो तो उसे निकाल फेंकें, उसे दे दें, उसे बेच दें, उसे जाने दें; उसे छोड़कर उससे आगे बढ़ जाएं।"

   मेरे विचार से छुटकारे के इस नियम का आत्मिक उपयोग भी है: हमें अपने बीते दिनों के पापों से जुड़े नहीं रहना चाहिए। परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र यूसुफ के भाईयों के जीवनों में हम इस बात का एक उदाहरण देखते हैं। वर्षों पहले, बदले की भावना के अन्तर्गत, यूसुफ को बेच देने के पश्चात वे अपनी इस क्रूरता से उभर नहीं पाए थे और यूसुफ के प्रतिशोध से डरते थे (उत्पत्ति 50:15) यद्यपि यूसुफ ने अनेक बार उनके प्रति अपने प्रेम भरे व्यवहार और भलाईयों के द्वारा उन्हें आश्वस्त करना चाहा था कि वह उनका बुरा नहीं चाहता (उत्पत्ति 45:4-15)। इसलिए उनके और युसुफ के पिता की मृत्यु के पश्चात उन्होंने यूसुफ के पास क्षमा पाने के लिए सन्देश भेजा (उत्पत्ति 50:16-17)।

   ऐसे ही हम में से अनेक लोग अपने द्वारा वर्षों पहले करी गई बुराईयों को लेकर परेशान रहते हैं जबकि जिनके विरुद्ध हमने वे कार्य किए थे वे हमें क्षमा कर के आगे बढ़ गए होते हैं। लेकिन सच्ची क्षमा तथा शान्ति की अनुभूति हमें तब ही होती है जब हम अपने पापों को परमेश्वर के सामने मान लेते हैं और उससे उनकी क्षमा माँग लेते हैं; हमारे ऐसा करने पर वह हमें ना केवल क्षमा कर देता है वरन उन पापों को हमसे दूर भी कर देता है (1 यूहन्ना 1:9; भजन 103:12), जैसे कि मीका 7:19 में लिखा है, "वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।"

   इस कारण हम मसीही विश्वासी सदा अपने आप को स्मरण दिला सकते हैं कि क्योंकि प्रभु यीशु ने हमें पाप के दास्तव से स्वतंत्र कर दिया है इसलिए हम वास्तव में उनसे और उनके दुषप्रभावों तथा दुषपरिणामों से मुक्त हो गए हैं (यूहन्ना 8:36)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


पाप से हमारे छुटकारे की कीमत प्रभु यीशु ने अपने लहू से दी है।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9 

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 50:15-21; यूहन्ना 8:31-36
Genesis 50:15 जब यूसुफ के भाइयों ने देखा कि हमारा पिता मर गया है, तब कहने लगे, कदाचित यूसुफ अब हमारे पीछे पड़े, और जितनी बुराई हम ने उस से की थी सब का पूरा पलटा हम से ले। 
Genesis 50:16 इसलिये उन्होंने यूसुफ के पास यह कहला भेजा, कि तेरे पिता ने मरने से पहिले हमें यह आज्ञा दी थी, 
Genesis 50:17 कि तुम लोग यूसुफ से इस प्रकार कहना, कि हम बिनती करते हैं, कि तू अपने भाइयों के अपराध और पाप को क्षमा कर; हम ने तुझ से बुराई तो की थी, पर अब अपने पिता के परमेश्वर के दासों का अपराध क्षमा कर। उनकी ये बातें सुनकर यूसुफ रो पड़ा। 
Genesis 50:18 और उसके भाई आप भी जाकर उसके साम्हने गिर पड़े, और कहा, देख, हम तेरे दास हैं। 
Genesis 50:19 यूसुफ ने उन से कहा, मत डरो, क्या मैं परमेश्वर की जगह पर हूं? 
Genesis 50:20 यद्यपि तुम लोगों ने मेरे लिये बुराई का विचार किया था; परन्तु परमेश्वर ने उसी बात में भलाई का विचार किया, जिस से वह ऐसा करे, जैसा आज के दिन प्रगट है, कि बहुत से लोगों के प्राण बचे हैं। 
Genesis 50:21 सो अब मत डरो: मैं तुम्हारा और तुम्हारे बाल-बच्चों का पालन पोषण करता रहूंगा; इस प्रकार उसने उन को समझा बुझाकर शान्ति दी। 

John 8:31 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्हों ने उन की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। 
John 8:32 और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा। 
John 8:33 उन्होंने उसको उत्तर दिया; कि हम तो इब्राहीम के वंश से हैं और कभी किसी के दास नहीं हुए; फिर तू क्योंकर कहता है, कि तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे? 
John 8:34 यीशु ने उन को उत्तर दिया; मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। 
John 8:35 और दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है। 
John 8:36 सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44


रविवार, 26 जुलाई 2015

बीज और भूमि


   मेरे आंगन के एक भाग में कुछ भी ठीक से उग नहीं पा रहा था; मैं चाहे जितनी भी अच्छी तरह से उसकी सिंचाई कर दूँ, तौ भी वहाँ घास भी अच्छे से नहीं उगती थी। यह देखने के लिए कि वहाँ समस्या क्या है, मैंने एक दिन फावड़ा लिया और वहाँ खोदना आरम्भ किया और तुरंत ही समस्या मेरे सामने थी - मिट्टी के थोड़ा ही नीचे पत्थरों की एक परत थी जिसको पार कर ठीक से जड़ पकड़ पाना किसी भी पौधे या घास के लिए संभव नहीं था। मैंने वे पत्थर निकाले, उनके स्थान पर अच्छी उपजाऊ मिट्टी वहाँ भर दी; अब वहाँ बीज अच्छी तरह से जड़ पकड़ सकते थे।

   प्रभु यीशु ने भी बीज और भूमि को लेकर एक दृष्टांत कहा था जो परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती 13 में दिया गया है। उस दृष्टांत में प्रभु ने बताया कि विभिन्न प्रकार की भूमि पर बोए गए बीज का क्या होता है। उन्होंने बताया कि वे बीज जो पत्थरीली भूमि पर गिरते हैं जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी नहीं मिलती, वे उगते तो हैं परन्तु सूरज की गर्मी से शीघ्र ही मर भी जाते हैं (पद 5, 6)। दृष्टांत में कही गई इस बात के द्वारा प्रभु उन लोगों के बारे में बता रहे थे जिन्होंने प्रभु यीशु में सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार सुना, उसे ऊपरी तौर से माना भी पर उनके जीवन में उस सुसमाचार ने जड़ नहीं पकड़ी, इसलिए जब परेशानियाँ आईं तो ऐसा व्यक्ति, जो वास्तविक मसीही विश्वासी नहीं था, प्रभु से दूर हो गया।

   हमें प्रभु यीशु का कितना आभारी और धन्यवादी होना चाहिए उनके द्वारा इस दृष्टांत के अन्त में कहे गए उस अन्तिम प्रकार की भूमि को दर्शाने वाले लोगों के लिए: "जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना" (मत्ती 13:23)। प्रभु यीशु पर विश्वास लाने से मिलने वाले उद्धार की आशीषों एवं उत्तरदायित्वों को यह दृष्टांत कैसी अद्भुत रीति से स्मरण करवाता है।

   परमेश्वर का धन्यवाद और महिमा हो सुसमाचार के बीज और आत्मिक उन्नति की लालसा रखने वाले जीवनों रूपी भूमि के लिए। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के लिए खुला और समर्पित हृदय वह भूमि है जिसमें उसका वचन पनप सकता है, फल ला सकता है।

और जो पत्थरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्त आनन्द के साथ मान लेता है। पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन का है, और जब वचन के कारण क्‍लेश या उपद्रव होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है। - मत्ती 13:20-21

बाइबल पाठ: मत्ती 13:1-9
Matthew 13:1 उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा। 
Matthew 13:2 और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही। 
Matthew 13:3 और उसने उन से दृष्‍टान्‍तों में बहुत सी बातें कही, कि देखो, एक बोने वाला बीज बोने निकला। 
Matthew 13:4 बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया। 
Matthew 13:5 कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरे, जहां उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए। 
Matthew 13:6 पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए। 
Matthew 13:7 कुछ झाड़ियों में गिरे, और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला। 
Matthew 13:8 पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। 
Matthew 13:9 जिस के कान हों वह सुन ले।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26


शनिवार, 25 जुलाई 2015

बुद्धि


   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है "क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है" (नीतिवचन 3:13-14)। बाइबल यह भी बताती है कि बुद्धि हमें परमेश्वर से मिलती है: "क्योंकि बुद्धि यहोवा ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं" (नीतिवचन 2:6)। परमेश्वर ने अपने बच्चों को वायदा दिया है: "पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उसको दी जाएगी" (याकूब 1:5)।

   सुप्रसिद्ध मसीही प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन ने लिखा था, "बुद्धि जीवन की वह सुन्दरता है जो परमेश्वर द्वारा हमारे जीवनों में होने वाले कार्य से उत्पन्न होती है।" बाइबल में याकूब ने अपनी पत्री में सांसारिक तथा परमेश्वरीय बुद्धि के फर्क को दिखाया तथा परमेश्वरीय बुद्धि के गुणों को बताया है: "पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है" (याकूब 3:17)।

   हमें समय समय पर अपने आप से प्रश्न करते रहना चाहिए कि "क्या मैं बुद्धि में बढ़ता जा रहा हूँ?" क्योंकि जीवन तो गतिमान है, कहीं ठहरता नहीं। जीवन की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, इसलिए उनका सामना करते रहने और उन परिस्थितियों के प्रति सही रवैया रखने की आवश्यकता भी सदा बनी रहती है। हम या तो उम्र के साथ मधुर एवं बुद्धिमान होते जा सकते हैं या फिर मूर्ख और चिड़चिड़े; अपने जीवन पर विचार कीजिए कि बढ़ती उम्र तथा बीतता समय आप में किस प्रकार के परिवर्तन ला रहा है?

   बुद्धि में बढ़ना आरंभ कभी भी किया जा सकता है। परमेश्वर हम से बड़ी गहराई से प्रेम करता है; उसका प्रेम हमें हमारी प्रत्येक मूर्खता से निकाल कर आशीषों से परिपूर्ण बना सकता है यदि हम अपना जीवन उसे समर्पित करें, उसके आज्ञाकारी बनें और उसकी इच्छा पूरी करने में प्रयासरत रहें। उसका प्रेम किसी भी व्यक्ति के कैसे भी कठोर स्वभाव को बदल कर अपनी अद्भुत सुन्दरता का नमूना बना सकता है। परमेश्वर द्वारा व्यक्ति के जीवन में लाया जाने वाला यह कायाकल्प कुछ समय ले सकता है, कुछ तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन परमेश्वर की हर योजना अपने लोगों के जीवनों को सुधारने और आशीषों से भर देने के लिए ही है (यिर्मयाह 29:11)। जब भी हम उस पर पूर्ण भरोसा रखते हुए, उससे हर परिस्थिति के लिए उपयुक्त बुद्धि पाने की प्रार्थना करते हैं, उसकी बुद्धि और गुण हम में पनपने लगते हैं, हम में हो कर औरों को भी आशीषित करने लगते हैं।

   परमेश्वर को समर्पित हो जाएं; उससे बुद्धि को माँगें और अपने जीवन को उसकी आशीषों से भर लें। - डेविड रोपर


सच्ची बुद्धिमता परमेश्वर से आरंभ होती है और परमेश्वर पर ही अन्त होती है।

क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो कल्पनाएं मैं तुम्हारे विषय करता हूँ उन्हें मैं जानता हूँ, वे हानि की नहीं, वरन कुशल ही की हैं, और अन्त में तुम्हारी आशा पूरी करूंगा। - यिर्मयाह 29:11

बाइबल पाठ: याकूब 3:13-17
James 3:13 तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्‍छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है। 
James 3:14 पर यदि तुम अपने अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो, तो सत्य के विरोध में घमण्‍ड न करना, और न तो झूठ बोलना। 
James 3:15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक, और शारीरिक, और शैतानी है। 
James 3:16 इसलिये कि जहां डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्‍कर्म भी होता है। 
James 3:17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्‍छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 37-39
  • प्रेरितों 26


शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

धन्यवादी


   रोज़ाना अपने कार्य पर आते-जाते समय मेरे पास काफी समय होता है कि मैं गाडियों और कारों के पीछे लिखे वाक्यांशों को पढ़कर उनपर विचार सकूँ। उन वाक्यांशों में से कुछ तो रूखे, कुछ कर्कश, कुछ चतुराईपूर्ण और कुछ बिलकुल बदतमीज़ी से भरे होते हैं; परन्तु कुछ ऐसे भी होते हैं जो सोचने या मुसकुराने को बाध्य कर देते हैं। हाल ही में मैंने एक ऐसा ही वाक्यांश पढ़ा जिसने जीवन के प्रति मेरे रवैये को लेकर मेरे मन को एक चुनौती सी दी। वह वाक्यांश था, "इतना अधिक आशीषित कि किसी शिकायत की कोई गुन्जाईश ही नहीं!"

   मुझे यह स्वीकार करना होगा कि इस वाक्यांश को पढ़कर उसके भाव पर विचार करने से मैंने अपने आप को दोषी अनुभव किया। अकसर होता है कि मैं जीवन में उन अवसरों को लेकर शोकित रहता हूँ या कुड़कुड़ाता हूँ जब निर्णय मेरे पक्ष में या मेरी इच्छानुसार नहीं हुए; बजाए इसके कि मैं अपना ध्यान स्वर्गीय पिता परमेश्वर से लगातार मिलते रहने वाले अद्भुत उपहारों पर लगाए रखूँ, उनके लिए धन्यवादी रहूँ। उस दिन उस छोटे वाक्यांश को पढ़ने से मेरे अन्दर अपने परमेश्वर पिता के प्रति पुनःसमर्पण की भावना जागृत हुई कि मैं कुड़कुड़ाने और दुखी होने की बजाए, सक्रीय रीति से और जानबूझकर परमेश्वर की उन अनगिनित और समझ से परे भलाईयों पर अपना ध्यान लगाऊँगा, जो उसने मेरे लिए करी हैं और जो वह मेरे लिए करता रहता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 107 एक ऐसा भजन है जो परमेश्वर के प्रति ऐसी अधन्यवादी सोच को सुधारने को प्रेरित करता है। भजनकार ठंडे तथा संवेदनहीन हो चुके हृदयों से चार बार याचना करता है, "लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें" (पद 8, 15, 21, 31)। अपने जीवन का पुनःअवलोकन एवं थोड़ा विचार कर के देखिए, परमेश्वर ने हमें कितना कुछ दिया है; अपने सबसे बुरे समयों में भी उसके प्रति धन्यवादी होने के हमारे पास कितने ही कारण होते हैं।

   परिस्थितियों को लेकर कुड़कुड़ाते रहने की बजाए परमेश्वर के प्रेम, अनुग्रह, करुणा, कोमलता, भलाई और आशीषों के लिए उसका धन्यवादी होना सीखें; जीवन स्वतः ही हर परिस्थिति में एक अद्भुत आनन्द से भर जाएगा। - बिल क्राउडर


हमें परमेश्वर का धन्यवादी होने के लिए और नहीं चाहिए; हमें तो और धन्यवादी होना चाहिए!

हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। - भजन 40:5 

बाइबल पाठ: भजन 107:1-8
Psalms 107:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! 
Psalms 107:2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है, 
Psalms 107:3 और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है।
Psalms 107:4 वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया; 
Psalms 107:5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए। 
Psalms 107:6 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उसने उन को सकेती से छुड़ाया; 
Psalms 107:7 और उन को ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे। 
Psalms 107:8 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 35-36
  • प्रेरितों 25


गुरुवार, 23 जुलाई 2015

निर्माण


   हमारे प्रांत मिशिगन के बारे में हम मज़ाक में कहते हैं, यहाँ केवल दो ही ऋतुएं होती हैं - शरद ऋतु और निर्माण ऋतु! इस इलाके में सर्दी बहुत कड़ाके की होती है और उससे सड़कें खराब हो जाती हैं। इसलिए जैसे ही शरद ऋतु में पड़ी और जमी बर्फ पिघलने लगती है, निर्माण करने वाले लोग अपने काम में लग जाते हैं। यद्यपि हम इसे "निर्माण" कहते हैं परन्तु अकसर इस बिगड़े हुए को हटाकर अच्छे को लाने के कार्य में "नाश" अधिक दिखाई देता है। कभी कभी तो सड़क के गढ्ढों को भरने की बजाए उन गढ्ढों से भरी सड़क को उखाड़ कर नई सड़क का निर्माण करना अधिक सरल होता है।

   कुछ ऐसा ही तब प्रतीत होता है जब परमेश्वर हमारे जीवनों में सुधार का कार्य कर रहा होता है। परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में अपने लोगों को सचेत किया कि वे उसके साथ उन्हें जोड़ने वाले मार्ग में कुछ महत्वपूर्ण पुनःनिर्माण की बाट जोहें (यशायाह 62:10; यिर्मियाह 31:31)। जब परमेश्वर ने इस पुनःनिर्माण के लिए प्रभु यीशु को संसार में भेजा और उसने अपना कार्य आरंभ किया, तो उन यहूदियों को लगा कि वह परमेश्वर और उनके बीच के मार्ग को "नाश" कर रहा है। परन्तु प्रभु यीशु कुछ भी नाश नहीं कर रहा था; वह तो शेष को पूरा कर रहा था (मत्ती 5:17)। नियमों और विधि-विधानों से भरे ऊबड़-खाबड़ मार्ग को अपने बलिदान, प्रेम और अनुग्रह से पाट कर सपाट और सहज कर रहा था, सबके लिए सरल कर रहा था।

   परमेश्वर आज भी पाप और नियमों की व्यवस्था से भरे मार्ग को प्रभु यीशु के प्रेम और अनुग्रह से सपाट और सहज बनाने में सक्रीय है। जब वह हमारे जीवनों से हमारे विचारों और कार्यों के पुराने तरीकों को निकाल कर हमारे जीवनों में नया कार्य आरंभ करता है तो हमें लग सकता है कि हमारा सब कुछ उलट-पुलट हो रहा है; वह सब जो हमारे लिए परिचित है उसे नाश किया जा रहा है। लेकिन परमेश्वर कुछ भी नष्ट नहीं कर रहा है; वह कुछ बेहतर का निर्माण कर रहा है। परमेश्वर को अपना निर्माण कार्य कर लेने दीजिए; उसके आज्ञाकारी और उसके वचन के प्रति समर्पित रहिए और इस बात को लेकर निश्चिंत रहिए कि अन्ततः परिणाम ऐसा होगा जिससे हम दूसरों के साथ और भी बेहतर तथा परमेश्वर के साथ और भी निकट एवं आशीषित संबंधों के साथ जीवन व्यतीत कर सकेंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


आत्मिक कायाकल्प से पहले आत्मिक उलट-पलट होता है।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17 

बाइबल पाठ: यिर्मियाह 31:31-34
Jeremiah 31:31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है, सुन, ऐसे दिन आने वाले हैं जब मैं इस्राएल और यहूदा के घरानों से नई वाचा बान्धूंगा। 
Jeremiah 31:32 वह उस वाचा के समान न होगी जो मैं ने उनके पुरखाओं से उस समय बान्धी थी जब मैं उनका हाथ पकड़ कर उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया, क्योंकि यद्यपि मैं उनका पति था, तौभी उन्होंने मेरी वह वाचा तोड़ डाली। 
Jeremiah 31:33 परन्तु जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा; और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे, यहोवा की यह वाणी है। 
Jeremiah 31:34 और तब उन्हें फिर एक दूसरे से यह न कहना पड़ेगा कि यहोवा को जानो, क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि छोटे से ले कर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे; क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 33-34
  • प्रेरितों 24


बुधवार, 22 जुलाई 2015

सन्तुष्ट


   कुछ लोगों को खरीददारी करने का शौक होता है; वे बस जो भी पसन्द आए उसे खरीदते और जमा करते रहते हैं। यह शौक सारे संसार के सभी स्थानों पर लोगों में मिलता है। चीन, साऊदी अरेबिया, कैनडा, फिलिप्पीन्स आदि देशों में बड़े बड़े शॉपिंग मॉल्स हैं जहाँ तरह तरह का देशी और विदेशी सामान मिलता है और लोग खरीददारी करने विदेशों से भी आते हैं। दुकानों और इंटरनैट के माध्यम से ऑन्लाइन शॉपिंग की लगातार बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि खरीददारी करना एक विश्व-व्यापि तथ्य है।

   खरीददारी करना मनोरंजक भी हो सकता है। किसी वस्तु के लिए अच्छी सौदेबाज़ी और परमेश्वर द्वारा हमें दी गई चीज़ों का आनन्द लेने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब हम भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने में इतना तल्लीन हो जाते हैं कि बाकी सब कुछ को नज़रन्दाज़ करने लगें तो यह दिखाता है कि कुछ अनुचित होने लगा है।

   प्रभु यीशु ने अपने श्रोताओं को अपने एक कथन से एक चुनौती दी; प्रभु यीशु ने कहा, "...चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका 12:15)। फिर प्रभु ने उन सब से एक ऐसे व्यक्ति के बारे में दृष्टांत कहा जो अपने लिए संसार की संपदा तो एकत्रित कर रहा था परन्तु परमेश्वर के साथ अपने संबंध को पूर्णत्या नज़रन्दाज़ करे हुए था।

   हम कैसे, जो हमारे पास है उस से सन्तुष्ट रहते हुए भौतिक वस्तुओं के लालच में पड़ने से अपने आप को बचाए रह सकते हैं, जिससे प्रभु यीशु के कहे दृष्टांत वाले व्यक्ति के समान गलती ना करें? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें कुछ बातें मार्गदर्शन के लिए बताती है:
  • भौतिक वस्तुओं को परमेश्वर द्वारा दूसरों की भलाई के लिए प्रयोग करे जाने वाली आशीष और ज़िम्मेदारी के रूप में देखें। (मत्ती 25:14-30)
  • पैसा कमाने और संचित करने के लिए केवल उचित और मेहनत के रास्ते ही अपनाए। (नीतिवचन 6:6-11)
  • अपनी संपदा को परमेश्वर के कार्यों तथा ज़रूरतमन्दों के उपयोग के लिए लगाएं। (2 कुरिन्थियों 9:7; नीतिवचन 19:17)
  • जो कुछ आपके पास है उसके लिए तथा उसका आनन्द ले पाने के लिए परमेश्वर को सदा स्मरण रखें एवं उसके सदा धन्यवादी रहें। (1 तिमुथियुस 6:17)

   जमा करते रहने की बजाए जो है उसमें सन्तुष्ट रहने और परमेश्वर के वचनानुसार उसका सदुप्योग करने में ही शान्ति और भलाई है। - डेनिस फिशर


वस्तुओं में धनी बनने की बजाए परमेश्वर में धनी बनना अधिक आवश्यक और लाभकारी है।

पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। - 1 तिमुथियुस 6:6-7

बाइबल पाठ: लूका 12:13-21
Luke 12:13 फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे। 
Luke 12:14 उसने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? 
Luke 12:15 और उसने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। 
Luke 12:16 उसने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई। 
Luke 12:17 तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं। 
Luke 12:18 और उसने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा; 
Luke 12:19 और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह। 
Luke 12:20 परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा? 
Luke 12:21 ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35


मंगलवार, 21 जुलाई 2015

अहंकार


   सी. एस. ल्युईस द्वारा लिखी गई पुस्तक The Screwtape Letters में एक वरिष्ठ शैतान अपने नए शिक्षार्थी को एक मसीही विश्वासी के ध्यान को परमेश्वर से हटाने के लिए उस विश्वासी के ध्यान को चर्च में उसके आस-पास के लोगों की खामियों पर ले जाने के लिए कहता है, क्योंकि उस मसीही विश्वासी के मन में आस-पास के लोगों के प्रति आलोचनात्मक तथा अपनी धार्मिकता के प्रति गर्व की प्रवृत्ति उत्पन्न कर के वह उसे परमेश्वर से दूर करना चाहता था।

   एक इतवार को हो रही चर्च सभा में मेरा ध्यान मेरे निकट खड़े एक व्यक्ति द्वारा स्तुति के भजनों को ऊँची आवाज़ में बेसुरा गाने तथा बाइबल पाठ को सब के साथ लय में ना पढ़ने से विचलित होने लगा। लेकिन जब कुछ समय पश्चात हम सब ने खामोशी के साथ व्यक्तिगत प्रार्थना के लिए सर झुकाया तो मुझे एहसास हुआ कि मेरे मन में उस व्यक्ति के लिए उठने वाली उन आलोचनात्मक भावनाओं की बजाए परमेश्वर उस व्यक्ति द्वारा सीधे सच्चे मन से गाए जाने वाले गीतों तथा पढ़े जाने वाले पाठ से अधिक प्रसन्न हुआ होगा।

   कुछ दिन के पश्चात जब मैं परमेश्वर के वचन बाइबल का अपना अध्ययन कर रहा था तो मैं नीतिवचन के 8वें अध्याय को पढ़ते समय उसके 13वें पद से चौंका, जहाँ ’बुद्धि’ कह रही थी, "यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं।" इस पूरे अध्याय में ’बुद्धि’ अर्थात परमेश्वर की सुमति, बारंबार पाठकों को विभिन्न बातों के लिए सचेत कर रही है, उन से कह रही है कि वे समझ-बूझ वाला मन रखें (पद 5), परमेश्वर से जीवन तथा उसकी प्रसन्नता प्राप्त करें (पद 35)। ऐसा ना करने का विकल्प है जीवन में अहंकार के साथ जीना और अन्दर ही अन्दर नाश होते जाना (पद 36)।

   अहंकार एक ऐसी तलवार है जो ना केवल उसे काटती है जिसके विरुद्ध उसका उपयोग होता है, वरन उसे भी काटती है जो उसका उपयोग करता है। अहंकार हमें उन सभी आशीषों से वंचित कर देता है जो परमेश्वर हमें देना चाहता है, परन्तु "नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है" (नीतिवचन 22:4)। - डेविड मैक्कैसलैंड


अहंकार शर्मिंदगी किंतु नम्रता आदर प्रदान करती है।

विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन 16:18

बाइबल पाठ: नीतिवचन 8:12-21
Proverbs 8:12 मैं जो बुद्धि हूं, सो चतुराई में वास करती हूं, और ज्ञान और विवेक को प्राप्त करती हूं। 
Proverbs 8:13 यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है। घमण्ड, अंहकार, और बुरी चाल से, और उलट फेर की बात से भी मैं बैर रखती हूं। 
Proverbs 8:14 उत्तम युक्ति, और खरी बुद्धि मेरी ही है, मैं तो समझ हूं, और पराक्रम भी मेरा है। 
Proverbs 8:15 मेरे ही द्वारा राजा राज्य करते हैं, और अधिकारी धर्म से विचार करते हैं; 
Proverbs 8:16 मेरे ही द्वारा राजा हाकिम और रईस, और पृथ्वी के सब न्यायी शासन करते हैं। 
Proverbs 8:17 जो मुझ से प्रेम रखते हैं, उन से मैं भी प्रेम रखती हूं, और जो मुझ को यत्न से तड़के उठ कर खोजते हैं, वे मुझे पाते हैं। 
Proverbs 8:18 धन और प्रतिष्ठा मेरे पास है, वरन ठहरने वाला धन और धर्म भी हैं। 
Proverbs 8:19 मेरा फल चोखे सोने से, वरन कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चान्दी से अच्छी है। 
Proverbs 8:20 मैं धर्म की बाट में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूं, 
Proverbs 8:21 जिस से मैं अपने प्रेमियों को परमार्थ के भागी करूं, और उनके भण्डारों को भर दूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30
  • प्रेरितों 23:1-15


सोमवार, 20 जुलाई 2015

बाइबल


   कुछ गाने और धुनें ऐसी होती हैं कि वे आपके मस्तिषक में बैठ जाती हैं, और आप उन्हें अपने ध्यान तथा विचारों से निकाल नहीं पाते; वे हर समय आपके मस्तिषक के अन्दर बजती रहती हैं, आपको विचलित रखती हैं। उनको मन-मस्तिषक से हटाने का एक ही कारगर उपाय बताया जाता है - उन्हें किसी अन्य गाने या धुन से बदल लें; वह नया गाना या धुन उस पुराने को निकालकर उसका स्थान ले लेती है।

   यही प्रक्रिया हम अपने विचारों को स्वच्छ रखने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। जब भी अनुचित, वासनात्मक, प्रतिशोधात्मक विचार हमारे अन्दर समा जाएं और हमें विचलित करने लगें, परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ने और उस पर मनन करने से हम उन गलत विचारों को स्वच्छ और भली बातों से बदल सकते हैं।

   परमेश्वर से प्रेम रखने के संबंध में प्रभु यीशु ने सिखाया है "...तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख" (मत्ती 22:37) तथा बाइबल हम मसीही विश्वासियों को यह भी सिखाती है: "और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो" (रोमियों 12:2)। हमें किन बातों पर विचार करते रहना है यह भी परमेश्वर ने हमारे लिए बाइबल में दिया है: "निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो" (फिलिप्पियों 4:8)।

   जब भी हमारे मन तथा विचार किसी गलत, अनुचित या पापमय बात की ओर भटकने लगें, परमेश्वर के वचन बाइबल की बुद्धिमता और शुद्धता से अपने मन-मस्तिषक को भर लें, अपने बुरे विचारों को उसके स्वच्छ विचारों से बदल लें, क्योंकि परमेश्वर ने बाइबल हमें स्वच्छ और सिद्ध होने का मार्ग दिखाने के लिए दी है। - सिंडी हैस कैस्पर


हमारा चरित्र हमारे विचारों, वचनों और कार्यों का योग है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-9
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो। 
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है। 
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 26-28
  • प्रेरितों 22


रविवार, 19 जुलाई 2015

आशीषों का उपयोग


   मैं उन लोगों से सहमत नहीं हूँ जो भौतिक वस्तुओं के विरुद्ध कहते और प्रचार करते रहते हैं, तथा जिनका यह मानना है कि जीवन में भौतिक वस्तुओं का होना बुरा है। मैं मानता हूँ कि मैं स्वभाव से एक उपभोगता हूँ और वे वस्तुएं जमा करना, जिनकी मुझे आवश्यकता है, मुझे अच्छा लगता है।

   लेकिन मैं यह भी स्वीकार करता हूँ की भौतिक वस्तुओं से आवशयकता से अधिक प्रेम करना या उन्हें अनावश्यक होने पर भी जमा करते रहना, आत्मिक हानि का कारण हो सकता है। मैं यह भी मानता हूँ कि हमारे पास भौतिक वस्तुएं जितनी अधिक होंगी, और हम जितना यह मान कर चलेंगे कि हमें अपने लिए जो चाहिए हम वह अर्जित कर सकते हैं, उतना ही अधिक हम अपने जीवन में परमेश्वर की आवश्यकता तथा उस पर निर्भरता को भुला देने के खतरे में बढ़ते चले जाएंगे। हम यह भूलने के जोखिम में आ जाएंगे कि अन्ततः परमेश्वर ही है जो हमारे आनन्द के लिए हमें सब कुछ प्रदान करता है (1 तिमुथियुस 6:17)।

   यह भी एक कड़ुवा सत्य है कि मनुष्य अकसर परमेश्वर से अपने आनन्द की वस्तुएं पाने के पश्चात वस्तु से प्रेम परन्तु उस वस्तु के देने वाले परमेश्वर को नज़रंदाज़ करने लगता है। इसी लिए जब परमेश्वर अपने लोगों को वाचा किए हुए कनान देश में बहुतायत का जीवन देने जा रहा था तो उसने उन्हें सचेत किया: "इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे" (व्यव्स्थाविवरण 8:11)।

   यदि परमेश्वर ने आपको भौतिक आशीषों से परिपूर्ण किया है, तो यह कभी ना भूलें कि उन आशीषों का स्त्रोत कौन है, वरन अपने आप को आशीषों के स्त्रोत अपने परमेश्वर पिता के बारे में स्मरण दिलाते रहें। साथ ही यह भी ना भूलें कि उसने आपको आशीषें केवल आप के प्रयोग के लिए ही नहीं दी हैं वरन मुख्यतः इसलिए दी हैं कि उन्हें उस सब कुछ देने वाले परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी तथा सुसमाचार के प्रचार में लगाएं। अपनी आशीषों के लिए सदा परमेश्वर के धन्यवादी और कृतज्ञ रहें तथा उससे प्रार्थना करते रहें कि उन आशीषों का उपयोग कैसे करना है यह वह आपको बताता रहे। - जो स्टोवैल


उपहार से अधिक उपहार को देने वाले को महत्व दें।

इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्तु परमेश्वर पर जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है। - 1 तिमुथियुस 6:17

बाइबल पाठ: व्यव्स्थाविवरण 8:7-18
Deuteronomy 8:7 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है। 
Deuteronomy 8:8 फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है। 
Deuteronomy 8:9 उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा। 
Deuteronomy 8:10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसका धन्य मानेगा। 
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे; 
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे, 
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए, 
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है, 
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला, 
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे। 
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई। 
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 23-25
  • प्रेरितों 21:18-40


शनिवार, 18 जुलाई 2015

सेवकाई और नम्रता


   मुझे स्वावलंबी बनने में सहायता करने वाली एक पुस्तक में दी गई सलाह अच्छी तो लगी, परन्तु उसके व्यावहारिक होने पर मुझे सन्देह है। पुस्तक के लेखक ने कहा कि केवल वह करो जिसे करने में तुम निपुण हो, क्योंकि तब तुम सबसे अधिक सन्तुष्टि प्राप्त करोगे। लेखक चाह रहा था कि उसके पाठक अपने लिए ऐसी जीवन शैली बनाएं जो उनके अनुकूल हो। अब मैं आपके बारे में तो नहीं जानता किंतु अपने लिए कह सकता हूँ कि यदि मैं केवल वही करूँ जिसमें मैं निपुण हूँ, तो कुछ खास नहीं कर पाऊँगा!

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 10 अध्याय में हम दो भाईयों तथा प्रभु यीशु के चेलों के बारे में पढ़ते हैं जो अपने जीवन के लिए कुछ विशेष चाहते थे; वे चाहते थे कि प्रभु यीशु के राज्य में वे दोनों प्रभु यीशु के दाएं और बाएं ओर बैठें (पद 37)। उनकी यह इच्छा सुनकर शेष 10 चेलों को बहुत बुरा लगा (पद 41); संभवतः वे 10 चेले भी अपने लिए यही चाहते होंगे! लेकिन प्रभु यीशु ने इस विवाद के अवसर का सदुपयोग अपने चेलों को एक अन्य प्रकार का जीवन जीने के बारे में सिखाने के लिए किया - सेवकाई का जीवन। प्रभु यीशु ने उन सब से कहा: "...जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने" (पद 43-44)। प्रभु यीशु के कथन से स्पष्ट है कि परमेश्वर की नज़रों में उसके अनुयायियों को अन्य मनुष्यों पर प्रभुता एवं घमण्ड का नहीं वरन सब के प्रति सेवकाई और नम्रता का जीवन जीना है।

   स्वयं प्रभु यीशु, परमेश्वर के पुत्र ने यही करके अपने जीवन से सब के लिए यह उदाहरण प्रस्तुतु किया। इसी वार्तालाप में प्रभु यीशु ने अपने विषय में अपने चेलों से कहा: "क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे" (पद 45)। अपने तथा सम्पूर्ण जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के उदाहरण का परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सामर्थ से अनुसरण कर के, हम भी परमेश्वर को भाने वाला यह सेवकाई और नम्रता का जीवन जी सकते हैं। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के लिए बड़ी सेवकाई के अवसर तो कम ही आते हैं, परन्तु मनुष्यों की सेवकाई के छोटे छोटे अवसर सदा ही हमारे चारों ओर रहते हैं।

जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। - फिलिप्पियों 2:5-7 

बाइबल पाठ: मरकुस 10:35-45
Mark 10:35 तब जब्‍दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना ने उसके पास आकर कहा, हे गुरू, हम चाहते हैं, कि जो कुछ हम तुझ से मांगे, वही तू हमारे लिये करे। 
Mark 10:36 उसने उन से कहा, तुम क्या चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये करूं? 
Mark 10:37 उन्होंने उस से कहा, कि हमें यह दे, कि तेरी महिमा में हम में से एक तेरे दाहिने और दूसरा तेरे बांए बैठे। 
Mark 10:38 यीशु ने उन से कहा, तुम नहीं जानते, कि क्या मांगते हो? जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्या पी सकते हो? और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, क्या ले सकते हो? 
Mark 10:39 उन्होंने उस से कहा, हम से हो सकता है: यीशु ने उन से कहा: जो कटोरा मैं पीने पर हूं, तुम पीओगे; और जो बपतिस्मा मैं लेने पर हूं, उसे लोगे। 
Mark 10:40 पर जिन के लिये तैयार किया गया है, उन्हें छोड़ और किसी को अपने दाहिने और अपने बाएं बिठाना मेरा काम नहीं। 
Mark 10:41 यह सुन कर दसों याकूब और यूहन्ना पर रिसयाने लगे। 
Mark 10:42 और यीशु ने उन को पास बुला कर उन से कहा, तुम जानते हो, कि जो अन्यजातियों के हाकिम समझे जाते हैं, वे उन पर प्रभुता करते हैं; और उन में जो बड़ें हैं, उन पर अधिकार जताते हैं। 
Mark 10:43 पर तुम में ऐसा नहीं है, वरन जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे वह तुम्हारा सेवक बने। 
Mark 10:44 और जो कोई तुम में प्रधान होना चाहे, वह सब का दास बने। 
Mark 10:45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 20-22
  • प्रेरितों 21:1-17


शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

वार्तालाप


   संभवतः आप इस प्रसिद्ध कथन को जानते हों: "महान लोग विचारों के बारे चर्चा करते हैं; साधारण लोग घटनाओं के बारे चर्चा करते हैं और छोटे लोग व्यक्तियों के बारे में चर्चा करते हैं।" इसमें कोई असंगत बात नहीं कि लोगों के बारे में बात करने का भी तरीका होता है जिससे उन्हें सम्मान मिल सके, लेकिन उपरोक्त कथन सामान्यतः चर्चा करने वाले लोगों की मानसिकता पर एक टिप्पणी है जो उनके व्यक्तित्व का परिचय देती है। आज के संसार में सभी पर सामाजिक या व्यवसायिक मीडिया की लगातार बनी रहने वाली नज़र के कारण हमें लोगों के जीवनों को ऐसी अन्तरंगता से देखने को मिलता रहता है जो अनुपयुक्त हो सकता है।

   यह और भी बुरा तब हो जाता है जब दुसरों के जीवनों के बारे में अनुपयुक्त सूचनाओं की यह बाढ़ हमारी बातचीत का ऐसा विषय बन जाती है जहाँ व्यर्थ की कानफूसी अपवाद नहीं वरन सामान्य लगने लगती है, और यह केवल प्रसिद्ध और गणमान्य लोगों को लेकर ही हो ऐसा भी नहीं। हमारे कार्यस्थल, चर्च, पड़ौस, मित्र-मण्डली और परिवार के लोग भी इस व्यर्थ कानाफूसी के विषय बनते चले जाते हैं और फिर लोगों की तेज़ ज़ुबानों के लक्ष्य बनकर उन्हें ऐसी चर्चाओं की पीड़ा सहनी पड़ती है जिन चर्चाओं को कभी होना ही नहीं चाहिए था।

   हम अपने वार्तालापों में ऐसे शब्दों के प्रयोग को कैसे रोक सकते हैं जिन से दूसरों को कष्ट होता है? यह ध्यान रखने के द्वारा कि परमेश्वर भी हमारे प्रत्येक वार्तालाप को सुनता है और उसका हिसाब रखता है और एक दिन उन सब बातों का हमसे हिसाब अवश्य लेगा (मत्ती 12:36)। हमारा परमेश्वर पिता हम मसीही विश्वासियों से चाहता है कि हम अपने शब्दों का बहुत सावधानी से प्रयोग करें, ऐसा करें जिससे उसे किसी प्रकार की कोई शर्मिंदगी ना हो और हम भी भजनकार के साथ कह सकें: "मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!" (भजन 19:14)

   जब हम दूसरों के बारे में अपने वार्तालाप और शब्दों के द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, तब हम परमेश्वर को आदर देते हैं। उसकी सहायता से हम अपने वार्तालाप को संसार के लोगों में उसे महिमा देने और उसका आदर करने का माध्यम बना सकते हैं। होने दें कि आपके शब्द, आपका वार्तालाप आपके पिता परमेश्वर के लिए महिमा और आदर का कारण बने। - बिल क्राउडर


शब्दों से किसी को आहत करने से बेहतर है कि हम अपनी ज़ुबान को ही दबा लें।

और मैं तुम से कहता हूं, कि जो जो निकम्मी बातें मनुष्य कहेंगे, न्याय के दिन हर एक बात का लेखा देंगे। - मत्ती 12:36

बाइबल पाठ: भजन 19
Psalms 19:1 आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। 
Psalms 19:2 दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। 
Psalms 19:3 न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहां उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। 
Psalms 19:4 उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूंज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुंच गए हैं। उन में उसने सूर्य के लिये एक मण्डप खड़ा किया है, 
Psalms 19:5 जो दुल्हे के समान अपने महल से निकलता है। वह शूरवीर की नाईं अपनी दौड़ दौड़ने को हर्षित होता है। 
Psalms 19:6 वह आकाश की एक छोर से निकलता है, और वह उसकी दूसरी छोर तक चक्कर मारता है; और उसकी गर्मी सब को पहुंचती है।
Psalms 19:7 यहोवा की व्यवस्था खरी है, वह प्राण को बहाल कर देती है; यहोवा के नियम विश्वासयोग्य हैं, साधारण लोगों को बुद्धिमान बना देते हैं; 
Psalms 19:8 यहोवा के उपदेश सिद्ध हैं, हृदय को आनन्दित कर देते हैं; यहोवा की आज्ञा निर्मल है, वह आंखों में ज्योति ले आती है; 
Psalms 19:9 यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। 
Psalms 19:10 वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। 
Psalms 19:11 और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। 
Psalms 19:12 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 
Psalms 19:13 तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वह मुझ पर प्रभुता करने न पाएं! तब मैं सिद्ध हो जाऊंगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूंगा।। 
Psalms 19:14 मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 18-19
  • प्रेरितों 20:17-38


गुरुवार, 16 जुलाई 2015

शुद्ध तथा बलवन्त


   हीरे मज़बूत एवं ठोस, सुन्दर और बहुमूल्य रत्न होते हैं, परन्तु उनका आरंभ बहुत साधारण से काले, भद्दे और ज्वलनशील कोएले (कार्बन) के रूप में होता है। वर्षों तक अत्याधिक तापमान और दबाव सहते सहते यह कार्बन शुद्ध, चमकीले, सुन्दर और मज़बूत हीरे में परिवर्तित हो जाता है, जिसे तराशने और संवारने से वह बहुमूल्य बन जाता है। यह उन्हें आत्मिक सामर्थ और निखार प्राप्त करने की प्रक्रिया को समझने के लिए उचित उदाहरण भी बनाता है।

   प्रेरित पौलुस ने कहा कि परमेश्वर की सामर्थ हमारी निर्बलता में सिद्ध होती है (2 कुरिन्थियों 12:9)। काश कि यह सच नहीं होता, क्योंकि मुझे निर्बल होना अच्छा नहीं लगता। शारिरिक निर्बलता क्या होती है यह मैंने अपने कैंसर के लिए दी जाने वाली कीमोथैरपी और विकिरण से इलाज द्वारा अच्छे से सीखा है। फिर एक छोटी सी घटना ने मुझे अनायास ही भावनाओं की दुर्बलता में भी डाल दिया। इलाज में अपने 3 फीट लंबे बाल गंवा कर लगभग एक साल के लिए गंजा हो जाने से गुज़रने के बाद, एक बार का गलत रीति से मेरे बालों का काटा जाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए थी, परन्तु वह हो गई और मैं इस बात को लेकर अपने भावनात्मक रूप से निर्बल हो जाने के कारण बहुत शर्मिंदा अनुभव करती रही। हम में से कुछ लोग अपने चारों ओर सामर्थ और आत्म-निर्भरता का आवरण लपेटे रहते हैं। परन्तु कोई आक्समक दुर्घटना, या अस्वस्थता, या बेरोज़गारी या किसी प्रीय संबंध का विच्छेद हमें परमेश्वर के अनुग्रह पर अपनी पूर्ण निर्भरता का स्मरण करवा देता है।

   जब कभी हमें कष्ट की भट्टी से होकर निकलना पड़े, वह चाहे शारीरिक हो या भावनात्मक, चाहे बाहर से आने वाला सताव हो या हमारे अन्दर से उठने वाली ग्लानि और शर्मिंदगी - सदा स्मरण रखें कि परमेश्वर का उद्देश्य हमें इन सभी दबाव और कष्टों द्वारा शुद्ध तथा बलवन्त बनाना ही है, हमारी भलाई के लिए है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


कष्ट वह भट्टी हैं जिसका उपयोग परमेश्वर हमें शुद्ध तथा बलवन्त करने के लिए करता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:1-10
2 Corinthians 12:1 यद्यपि घमण्‍ड करना तो मेरे लिये ठीक नहीं तौभी करना पड़ता है; सो मैं प्रभु के दिए हुए दर्शनों और प्रकाशों की चर्चा करूंगा। 
2 Corinthians 12:2 मैं मसीह में एक मनुष्य को जानता हूं, चौदह वर्ष हुए कि न जाने देह सहित, न जाने देह रहित, परमेश्वर जानता है, ऐसा मनुष्य तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया। 
2 Corinthians 12:3 मैं ऐसे मनुष्य को जानता हूं न जाने देह सहित, न जाने देह रहित परमेश्वर ही जानता है। 
2 Corinthians 12:4 कि स्वर्ग लोक पर उठा लिया गया, और एसी बातें सुनीं जो कहने की नहीं; और जिन का मुंह पर लाना मनुष्य को उचित नहीं। 
2 Corinthians 12:5 ऐसे मनुष्य पर तो मैं घमण्‍ड करूंगा, परन्तु अपने पर अपनी निर्बलताओं को छोड़, अपने विषय में घमण्‍ड न करूंगा। 
2 Corinthians 12:6 क्योंकि यदि मैं घमण्‍ड करना चाहूं भी तो मूर्ख न हूंगा, क्योंकि सच बोलूंगा; तोभी रुक जाता हूं, ऐसा न हो, कि जैसा कोई मुझे देखता है, या मुझ से सुनता है, मुझे उस से बढ़कर समझे। 
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 16-17
  • प्रेरितों 20:1-16


बुधवार, 15 जुलाई 2015

अन्त


   मैं यह स्वीकारता हूँ कि कभी कभी मैं किसी पुस्तक के अन्त को पहले पढ़ लेता हूँ और फिर उसे आरंभ से पढ़ना शुरू करता हूँ। ऐसा करने से मैं यह जान लेता हूँ कि कौन से पात्र अन्त तक बने रहेंगे और कौन से कहानी के बढ़ने के दौरान कहीं रह जाएंगे। यह जानकर कि पुस्तक का अन्त कैसा होगा, मैं आराम से मज़ा ले लेकर उस कहानी को पढ़ने पाता हूँ, कहानी के बढ़ने के साथ साथ उसके पात्रों के चरित्रों के उजागर होने का आनन्द लेने पाता हूँ।

   इसी प्रकार परमेश्वर के वचन बाइबल की अन्तिम पुस्तक, प्रकाशितवाक्य को पढ़ने से हम मसीही विश्वासी प्रोत्साहन और शांति पा सकते हैं। बाइबल बारंबार हम मसीहियों को परिस्थितियों पर जयवन्त होने के लिए कहती है (1 यूहन्ना 4:4; 5:4; प्रकाशितवाक्य 2:7,11,17,26; 3:5,12,21), और बाइबल की अन्तिम पुस्तक हमें बताती है कि प्रभु यीशु में होकर हम ना केवल वर्तमान में जयवन्त रह सकते हैं वरन अपने प्रभु में होकर हम अनन्त काल तक जयवन्त तथा आशीषित बने रहेंगे।

   प्रकाशितवाक्य का लेखक यूहन्ना जब नए आकाश और नई पृथ्वी के प्रकट होने की बात लिखता है (प्रकाशितवाक्य 21:1), तब वह इसका भी वर्णन करता है कि प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लेने वालों के लिए वह अन्तिम विजय कैसी होगी। उस अन्तिम विजय के समय हम देखेंगे कि प्रभु सदा हमारे साथ रहेगा (पद 3), मृत्यु, आँसु, दुख और पीड़ा का अन्त हो जाएगा (पद 4), वह हमारे लिए सब कुछ नया कर देगा (पद 5); साथ ही प्रभु यह भी घोषणा करता है कि, "जो जय पाए, वही इन वस्‍तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा" (प्रकाशितवाक्य 21:7)।

   जब आज की परीक्षाएं आपको अपने सहने की सामर्थ से बढ़कर लगें, तो प्रभु द्वारा हमें प्रकाशितवाक्य में दिखाए गए संसार, पाप और शैतान के अन्त पर ध्यान करें, और यह ध्यान रखें कि अन्त बहुत निकट है  और आप किसी भी समय अनन्त काल के लिए प्रभु यीशु के साथ होंगे, फिर वहाँ की शान्ति और आशीषों का कभी कोई अन्त नहीं होगा। - रैन्डी किल्गोर


आज की आशा के लिए अन्त, अर्थात परमेश्वर के साथ अनन्तकाल की आशीषों को स्मरण रखें।

बुद्धिमान महिमा को पाएंगे, और मूर्खों की बढ़ती अपमान ही की होगी। - नीतिवचन 3:35

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 21:1-7
Revelation 21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा। 
Revelation 21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो। 
Revelation 21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। 
Revelation 21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। 
Revelation 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं। 
Revelation 21:6 फिर उसने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा। 
Revelation 21:7 जो जय पाए, वही इन वस्‍तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15
  • प्रेरितों 19:21-41


मंगलवार, 14 जुलाई 2015

चेतावनी


   उरूगुऐ राष्ट्र के एक रेतीले समुद्र-तट पर आंशिक रूप से रेत में दबी तथा आकाश की ओर उठी हुई कॉन्क्रीट से बनी विशाल ऊँगलियाँ हैं। इसे स्थानीय लोग डूब जाने वालों का स्मारक, "ला मनो" अर्थात "हाथ" कहते हैं। इस स्मारक को चिली देश के कलाकार मारियो इर्राज़बल ने तैरने वालों को डूबने के खतरे के बारे में सचेत करने के लिए बनाया था। यद्यपि यह चेतावनी चिन्ह अब सैलानियों के लिए आकर्षण का स्थान बन गया है, परन्तु आज भी इसका मुख्य उद्देश्य समुद्र में तैरने जाने वालों को समुद्र के जोखिम के बारे में चेतावनी देना ही है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी परमेश्वर ने हमारे लिए अनेक चेतावनी चिन्ह रखे हैं। बाइबल में इब्रानियों नामक पुस्तक हमारे आत्मा के लिए जोखिमों के बारे में बताती है; जैसे: "हे भाइयो, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो, जो जीवते परमेश्वर से दूर हट जाए। वरन जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए" (इब्रानियों 3:12-13)। मिस्त्र की गुलामी से निकलकर वाचा किए हुए कनान देश जा रहे इस्त्राएलियों का परमेश्वर और उसकी बातों के प्रति अविश्वास और बलवा इस पद का संदर्भ है।

   यद्यपि इस्त्रएलियों के साथ यह घटना इब्रानियों की पुस्तक के लिखे जाने से कई शताबदियों पूर्व घटित हुई थी, उस घटना के आत्मिक सिद्धांत अब भी उतने ही महत्वपूर्ण तथा मान्य हैं जितने उस समय और इब्रानियों की पुस्तक लिखे जाने के समय थे। जो शिक्षा तथा चेतावनी परमेश्वर ने हमारे लिए यहाँ रखी है वह है पाप के कारण उत्पन्न होने वाली मनों की कठोरता, जिसका ना केवल स्वयं हमें प्रतिरोध करना है, वरन दूसरों को भी इसके विषय में सचेत करते रहना है।

   चेतावनी चिन्ह हमें सुरक्षित रखने के लिए दिए जाते हैं। परमेश्वर का धन्यवाद हो कि उसने अपने जीवते वचन बाइबल में हमारे लाभ और सुरक्षा के लिए चेतावनियाँ दी हैं। यह हमारे प्रति उसके प्रेम का सूचक है और हमारे द्वारा उसकी आराधना करने का विषय। उसकी चेतावनियों को नज़रंदाज़ ना करें वरन उन्हें गंभीरता-पूर्वक लें। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमारे प्रति अपने प्रेम के अन्तर्गत अपने वचन के द्वारा हमारी सुरक्षा तथा संभाल की चेतावियाँ हम तक पहुँचाता है।

पर तुम चौकस रहो: देखो, मैं ने तुम्हें सब बातें पहिले ही से कह दी हैं। - मरकुस 13:23

बाइबल पाठ: इब्रानियों 3:1-13
Hebrews 3:1 सो हे पवित्र भाइयों तुम जो स्‍वर्गीय बुलाहट में भागी हो, उस प्रेरित और महायाजक यीशु पर जिसे हम अंगीकार करते हैं ध्यान करो। 
Hebrews 3:2 जो अपने नियुक्त करने वाले के लिये विश्वास योग्य था, जैसा मूसा भी उसके सारे घर में था। 
Hebrews 3:3 क्योंकि वह मूसा से इतना बढ़ कर महिमा के योग्य समझा गया है, जितना कि घर का बनाने वाला घर से बढ़ कर आदर रखता है। 
Hebrews 3:4 क्योंकि हर एक घर का कोई न कोई बनाने वाला होता है, पर जिसने सब कुछ बनाया वह परमेश्वर है। 
Hebrews 3:5 मूसा तो उसके सारे घर में सेवक की नाईं विश्वास योग्य रहा, कि जिन बातों का वर्णन होने वाला था, उन की गवाही दे। 
Hebrews 3:6 पर मसीह पुत्र की नाईं उसके घर का अधिकारी है, और उसका घर हम हैं, यदि हम साहस पर, और अपनी आशा के घमण्‍ड पर अन्‍त तक दृढ़ता से स्थिर रहें। 
Hebrews 3:7 सो जैसा पवित्र आत्मा कहता है, कि यदि आज तुम उसका शब्द सुनो। 
Hebrews 3:8 तो अपने मन को कठोर न करो, जैसा कि क्रोध दिलाने के समय और परीक्षा के दिन जंगल में किया था। 
Hebrews 3:9 जहां तुम्हारे बाप दादों ने मुझे जांच कर परखा और चालीस वर्ष तक मेरे काम देखे। 
Hebrews 3:10 इस कारण मैं उस समय के लोगों से रूठा रहा, और कहा, कि इन के मन सदा भटकते रहते हैं, और इन्‍होंने मेरे मार्गों को नहीं पहिचाना। 
Hebrews 3:11 तब मैं ने क्रोध में आकर शपथ खाई, कि वे मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाएंगे। 
Hebrews 3:12 हे भाइयो, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो, जो जीवते परमेश्वर से दूर हट जाए। 
Hebrews 3:13 वरन जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 10-12
  • प्रेरितों 19:1-20


सोमवार, 13 जुलाई 2015

जीवन शैली


   अमेरिका के टैक्सस प्रांत के ऑस्टिन शहर में आयोजित होने वाले सालाना पुस्तक मेला हज़ारों लोगों को आकर्षित करता है, जो पुस्तकों का आनन्द लेने के लिए आते हैं, प्रसिद्ध लेखकों के साथ चर्चाओं में भाग लेते हैं, और पेशेवर लेखकों से मिलने वाली सलाह का लाभ अर्जित करते हैं। ऐसे ही एक मेले में किशोर और युवाओं के लिए लिखने वाले एक लेखक ने महत्वकांक्षी लेखकों को सलाह देते हुए कहा, "ऐसी पुस्तक लिखें जैसी आप यहाँ देखना चाहते हैं।" यह जीवन और लेखन के लिए वास्तव में एक प्रबल सलाह है। कैसा रहे यदि हम वैसा ही जीवन जीने की ठान लें जैसा हम चाहते हैं कि लोग हमारे साथ जीएं।

   प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से चाहा कि वे ऐसा जीवन जीएं जो लोगों को परमेश्वर के अनुग्रह को दर्शाए (लूका 6:27-36); उदाहरणस्वरूप: "परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो" (पद 27-28); प्रभु ने यह भी कहा कि जो लोग हमारे प्रति अनुचित व्यवहार करते हैं, प्रत्युत्तर में उनके प्रति उदारता और बदला ना लेने की भावना का व्यवहार करना चाहिए (पद 29-30), तथा, "और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो" (पद 31)।

   असंभव? जी हाँ, तब जब हम अपनी ही सामर्थ तथा संकल्प पर विश्वास करके ऐसी जीवन शैली अपनाना चाहें। ऐसी जीवन शैली जीने की सामर्थ केवल परमेश्वर के पवित्र आत्मा से प्राप्त होती है, तथा ऐसा करने के संकल्प को बनाए रखना परमेश्वर द्वारा हमारे साथ किए गए व्यवहार को स्मरण रखने से होता है: "वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो" (पद 35-36)।

   मसीही विश्वास के जीवन की यह जीवन शैली कौन नहीं देखना चाहेगा? - डेविड मैक्कैसलैंड


हम में मसीह है कहना मसीही विश्वास का जीवन नहीं है, वरन जी कर दिखाना कि मसीह का जीवन हमारे जीवन में है।

इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है। - मत्ती 7:12

बाइबल पाठ: लूका 6:27-36
Luke 6:27 परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। 
Luke 6:28 जो तुम्हें श्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो। 
Luke 6:29 जो तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे उस की ओर दूसरा भी फेर दे; और जो तेरी दोहर छीन ले, उसको कुरता लेने से भी न रोक। 
Luke 6:30 जो कोई तुझ से मांगे, उसे दे; और जो तेरी वस्तु छीन ले, उस से न मांग। 
Luke 6:31 और जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो। 
Luke 6:32 यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी अपने प्रेम रखने वालों के साथ प्रेम रखते हैं। 
Luke 6:33 और यदि तुम अपने भलाई करने वालों ही के साथ भलाई करते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी भी ऐसा ही करते हैं। 
Luke 6:34 और यदि तुम उसे उधार दो, जिन से फिर पाने की आशा रखते हो, तो तुम्हारी क्या बड़ाई? क्योंकि पापी पापियों को उधार देते हैं, कि उतना ही फिर पाएं। 
Luke 6:35 वरन अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो: और फिर पाने की आस न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिये बड़ा फल होगा; और तुम परमप्रधान के सन्तान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है। 
Luke 6:36 जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 7-9
  • प्रेरितों 18


रविवार, 12 जुलाई 2015

यीशु


   माइकल ब्राउन न्यू-यॉर्क में रहने वाला एक यहूदी बालक था जिसे धार्मिक बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसका जीवन एक बैन्ड में ड्रम्स बजाने वाला होने पर केंद्रित था और फिर वह मादक पदार्थों के सेवन में भी पड़ गया। कुछ मित्रों ने उसे चर्च में आमंत्रित किया, जहाँ वह लोगों के प्रेम और प्रार्थनाओं को अनुभव करके बहुत प्रभावित हुआ। कुछ समय के आत्मिक संघर्ष के बाद माइकल ने प्रभु यीशु पर विश्वास किया और अपना जीवन प्रभु को समर्पित कर दिया।

   यह उस किशोर यहूदी के लिए एक बहुत बड़ा परिवर्तन था। एक दिन उसने अपने पिता को बताया कि उसे मालूम पड़ा है कि परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड की पुस्तकें, जो यहूदियों की धर्म पुस्तकें भी हैं, प्रभु यीशु के बारे में बताती हैं। उसके पिता ने बड़े विसमय से पूछा, "कहाँ?" माइकल ने अपनी बाइबल खोली और वह यशायाह 53 पर खुली, जिसे वह अपने पिता के साथ पढ़ने लगा। वहाँ लिखे विवरण को पढ़कर माइकल उत्तेजित होकर चिल्ला उठा, "यही तो है; यही यीशु है!"

   यकीनन वह यीशु का विवरण ही था; परमेश्वर के पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन तथा कुछ मसीही विश्वासियों की सहायता से माइकल ने यशायाह में वर्णित मसीह यीशु को पहचान लिया; आज माइकल एक लेखक और बाइबल विद्वान है। माइकल ने प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा मिलने वाले उद्धार और उससे परिवर्तित होने वाले जीवन को अनुभव किया; साथ ही उसने पापों की क्षमा और अनन्त जीवन की आशीष का भी अनुभव किया, और यह भी जाना कि वह "दुखी पुरुष" (पद 3) जो "हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया" (पद 5) प्रभु यीशु ही है जो सारे संसार के सभी लोगों के लिए क्रुस पर बलिदान हुआ तथा आज भी जो कोई उस पर विश्वास लाता है, वह माइकल के समान ही उन बहुमूल्य तथा अनन्त आशीषों को सेंत-मेंत प्राप्त कर लेता है।

   बाइबल बताती है कि केवल प्रभु यीशु ही है जो ना केवल पाप क्षमा करता है, वरन जीवन भी बदल देता है और उद्धार केवल उसी में ही है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर का आत्मा परमेश्वर के वचन को संसार के लोगों के मन तथा जीवन परिवर्तित करने के लिए उपयोग करता है।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों 4:12

बाइबल पाठ: यशायाह 53:1-12
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? 
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर की नाईं, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। 
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।। 
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। 
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। 
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isaiah 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला। 
Isaiah 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी। 
Isaiah 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isaiah 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी। 
Isaiah 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा। 
Isaiah 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 4-6
  • प्रेरितों 17:16-34


शनिवार, 11 जुलाई 2015

मार्ग


   अपनी पुस्तक A Sweet and Bitter Providence में लेखक जॉन पाइपर परमेश्वर द्वारा दिए जाने वाले मार्गदर्शन और प्रावधानों के बारे कुछ विचार प्रस्तुत करता है; जैसे: "जीवन, एक आशीष से दूसरी आशीष तक और फिर अन्ततः स्वर्ग तक पहुँचाने वाली सीधी रेखा नहीं है। जीवन परेशानियों से भरा एक घुमावदार मार्ग है...परमेश्वर हर परेशानी के आने पर प्रगट होकर उसे मिटाने नहीं आता। परमेश्वर हमारे जीवन मार्ग की दिशा और अपनी दूरगामी योजनाओं के निर्धारित परिणामों के अनुसार हमारी परेशानियों का प्रबंधन करता है जिससे अनन्तः हमारी भलाई और प्रभु यीशु की महिमा हो।"

   जब यहूदी अपने सालाना पर्वों को मनाने यरुशलेम आते थे तो उन्हें निश्चय रहता था कि परमेश्वर उनकी दिशा और घुमावदार तथा परेशानियों से भरे मार्गों को नियंत्रित कर रहा है। अपनी यात्रा के दौरान वे अनेक भजन गाते थे, जिनमें से एक था भजन 121। इस भजन के आरंभ में लिखा गया प्रश्न: "...मुझे सहायता कहां से मिलेगी?" उनके किसी सन्देह को नहीं वरन परम-प्रधान और सब बातों पर नियंत्रण रखने वाले परमेश्वर पर उनके विश्वास को दिखाता था (पद 1-2)। वे जानते थे कि संसार के रक्षक या सुरक्षाकर्मी ऊँघ सकते हैं, संसार के देवी-देवता सो सकते हैं और उन के उपासक उन्हें उनकी निद्रा से जगाने के प्रयास भी करते हैं (1 राजा 18:27), परन्तु इस्त्राएल का परमेश्वर सदा जागृत और सचेत रहता है और उनकी रक्षा करता रहता है (पद 3-4)। परमेश्वर यहोवा अपनी प्रजा के साथ बना रहता है, उनकी सहायता तथा रक्षा करता है।

   जीवन मार्ग अनदेखे और अनजाने खतरों से भरा एक घुमावदार मार्ग है, परन्तु उन इस्त्राएलियों के समान ही हम मसीही विश्वासी भी अपने जीवन मार्ग पर परमेश्वर पिता की लगातार हमारे साथ बनी रहने वाली उपस्थिति, उसकी सुरक्षा, उसके प्रावधानों और उस की देखरेख के लिए निश्चित एवं निश्चिंत रह सकते हैं। - मार्विन विलियम्स


परेशानियों का कुछ पता नहीं है; परमेश्वर की उपस्थिति और प्रावधान निश्चित हैं।

हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो; वह अपने भक्तों के प्राणों की रक्षा करता, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है। - भजन 97:10

बाइबल पाठ: भजन 121:1-8
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? 
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। 
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। 
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। 
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 1-3
  • प्रेरितों 17:1-15