ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

समस्या तथा समाधान


   बचपन में टेलिविज़न पर दिखाए जाने वाले कार्टूनों में से मेरा प्रीय था टॉम टेरिफिक। जब भी टॉंम को किसी समस्या का सामना करना होता था तो वह अपनी सोचने वाली टोपी पहन कर अपने अद्भुत कुत्ते, माईटी मैनफ्रैड के साथ समस्या का विशलेषण करने और हल ढूंढने बैठ जाता। अधिकांशतः यही मिलता कि टॉम की समस्याओं का स्त्रोत उसका सबसे बड़ा शत्रु क्रैब्बी एपलटन ही होता था। मुझे आज तक समरण है कि उन कार्यक्रमों में क्रैब्बी एपलटन के लिए कहा जाता था - भीतरी गहराईयों तक सड़ा हुआ।

   वास्तविकता यह है कि हम सब कि दशा भी क्रैब्बी एपलटन की दशा के समान ही है - अपने अपने पाप और पाप स्वभाव के कारण अपनी भीतरी गहराईयों तक सड़े हुए। परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों के नाम प्रेरित पुलुस द्वारा लिखित पत्री में मनुष्य की दशा के लिए लिखा गया है: "जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं। कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं" (रोमियों ३:१०-११)। हमारे पापों और पाप स्वभाव ने हमें परमेश्वर से दूर तथा परमेश्वर के पवित्रता के सिद्ध स्तर के अनुसार जीवन व्यतीत करने में अक्षम कर दिया है।

   मनुष्यों के पापों के दण्ड को अपने ऊपर उठाकर उनको पाप स्वभाव पर विजयी करने तथा अपनी पवित्रता मनुष्यों तक पहुँचाने के लिए परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को संसार में भेजा। कलवरी के क्रूस पर दिए अपने बलिदान और मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति के लिए पापों की क्षमा, उद्धार तथा परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लेने का मार्ग दे दिया है जो सबको परमेश्वर की ओर से उसके अनुग्रह में सेंत-मेंत उपलब्ध है: "परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं" (रोमियों ३:२४)।

   प्रभु यीशु आया ताकि हम जो भीतरी गहराईयों तक पाप में सड़े हुए हैं, उन्हें एक नई सृष्टि बना दे: "सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं" (२ कुरिन्थियों ५:१७); यह पाप स्वभाव से रहित नए हृदय के साथ नया जन्म पाने के समान है। अपनी भलाई और अनुग्रह में परमेश्वर ने प्रभु यीशु में होकर हमारी पाप की समस्या का समाधान दे दिया है ताकि हम भीतरी गहराईयों तक शुद्ध और पवित्र हो सकें तथा उसके पवित्रता के सिद्ध स्तर के अनुसार जीवन व्यतीत करने में सक्षम हो सकें।

   परमेश्वर द्वारा दिए गए समाधान को स्वीकार करना और अपने जीवन में लागू करना अब स्वेच्छा से किया गया आपका अपना निर्णय है। - बिल क्राउडर


पाप में पड़े मनुष्य को नई शुरूआत नहीं नया हृदय चाहिए।

क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते। - रोमियों ७:१८

बाइबल पाठ: रोमियों ३:१०-२५
Romans 3:10 जैसा लिखा है, कि कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं।
Romans 3:11 कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजने वाला नहीं।
Romans 3:12 सब भटक गए हैं, सब के सब निकम्मे बन गए, कोई भलाई करने वाला नहीं, एक भी नहीं।
Romans 3:13 उन का गला खुली हुई कब्र है: उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है: उन के होठों में सापों का विष है।
Romans 3:14 और उन का मुंह श्राप और कड़वाहट से भरा है।
Romans 3:15 उन के पांव लोहू बहाने को फुर्तीले हैं।
Romans 3:16 उन के मार्गों में नाश और क्लेश हैं।
Romans 3:17 उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना।
Romans 3:18 उन की आंखों के साम्हने परमेश्वर का भय नहीं।
Romans 3:19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती २०-२२ 
  • मरकुस ७:१-१३

बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

प्रशंसा का गुलदस्ता


   कोरी टैन बूम (१८९२-१९८३) दूसरे विश्व-युद्ध के कैदी शिविरों में घोर अमानवीय व्यवहार और अति कठिन परिस्थितियों में से जीवित बच निकलने वाली मसीही विश्वासी महिला थीं जो इन कटु अनुभवों के बाद एक विश्व-विख्यात वक्ता बनीं। उनकी प्रचार सभाओं में हज़ारों लोग आते थे जहाँ वे बताती थी कि कैसे उन्होंने मसीह यीशु में मिली पापों की क्षमा द्वारा अपने आताताईयों को क्षमा करने की सामर्थ पाई और अब उनके मन में उन आताताईयों के प्रति कोई द्वेष या बदले की भावना या किसी प्रकार कि कोई भी अन्य दुर्भावना नहीं है। जैसे मसीह यीशु ने उनके पाप क्षमा किए हैं उन्होंने भी अपने सताने वालों को क्षमा कर दिया है। ऐसा कर पाने का सारा श्रेय वे अपने तथा जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु को ही देती थीं। उनकी हर एक सभा के बाद लोग उनको घेर लेते थे और उनके ईश्वरीय स्वभाव के कारण उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते और उन्हें बताते कि कैसे कोरी के जीवन से मिले प्रोत्साहन द्वारा उन लोगों को मसीही विश्वास का जीवन बिताने में सहायता मिली। कोरी जब अपने होटल के कमरे में लौटतीं तो अपने घुटनों पर आकर लोगों से मिली इन सभी प्रशंसा और धन्यवाद को परमेश्वर को अर्पित कर देतीं। उनका कहना था कि यह उनकी ओर से परमेश्वर को भेंट किया गया ’प्रशंसा का गुलदस्ता’ होता था।

   परमेश्वर पिता ने हम सभी मसीही विश्वासियों को एक दूसरे कि सेवा में प्रयोग करने के लिए कुछ वरदान दिए हैं (१ पतरस ४:१०), कि "...जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है" (१ पतरस ४:११)। हमारे पास दूसरों को देने या उनकी सेवा में लगाने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो पहले परमेश्वर से हमें प्राप्त ना हुआ हो (१ कुरिन्थियों ४:७), और किसी के लिए कुछ कर पाने की शारीरिक क्षमता भी हमें परमेश्वर से ही मिलती है; इसलिए किसी के लिए कुछ कर पाने से मिलने वाली प्रशंसा और महिमा पर वास्तव में उसी का हक है।

   हम कोरी के उदाहरण से परमेश्वर के प्रति समर्पण, आज्ञाकारिता और संसार के प्रति नम्रता तथा क्षमाशीलता सीख सकते हैं और उन के समान ही जब किसी से हमें किसी बात के लिए कोई प्रशंसा मिले तो उस प्रशंसा को ’प्रशंसा के गुलदस्ते’ के रूप में परमेश्वर को अर्पित कर सकते हैं, क्योंकि सारी महिमा का वास्तविक हकदार परमेश्वर ही है। - ऐने सेटास


परमेश्वर के प्रति धन्यवादी मन में खिलने वाला सर्वोत्तम पुष्प उसकी प्रशंसा ही है।

...जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। - १ पतरस ४:११

बाइबल पाठ: १ पतरस ४:७-११
1 Peter 4:7 सब बातों का अन्‍त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी हो कर प्रार्थना के लिये सचेत रहो।
1 Peter 4:8 और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।
1 Peter 4:9 बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो।
1 Peter 4:10 जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।
1 Peter 4:11 यदि कोई बोले, तो ऐसा बोले, मानों परमेश्वर का वचन है; यदि कोई सेवा करे; तो उस शक्ति से करे जो परमेश्वर देता है; जिस से सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो: महिमा और साम्राज्य युगानुयुग उसी की है। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १७-१९ 
  • मरकुस ६:३०-५६

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

आशावान


   मर्ले ट्रैविस द्वारा लिखित और टेनिसी अर्नी फोर्ड द्वारा रिकॉर्ड किया गया गीत "स्किस्टीन टन्स" १९५० के दशक के मध्य में अमेरिका में बहुत लोकप्रीय हुआ था, क्योंकि उस समय के लोगों ने इस गीत में अपनी दशा को देखा। यह गीत कोयले की खान में काम करने वाले मज़दूर का विलाप था जो परिस्थितियों में फंसा हुआ था और चाहे जितनी भी मेहनत करे, अपनी परिस्थितियों को बदलने में और कोयला कंपनी के चंगुल से निकल पाने में असमर्थ था। उन दिनों में कोयला खानों में काम करने वाले मज़दूर कोयला कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए गए घरों ही में रहते थे और कंपनी द्वारा चलाई जा रही दुकानों से ही अपनी आवश्यकता का सामान खरीद सकते थे क्योंकि उनका वेतन उन्हें कंपनी की पर्चीयों के रूप में दिया जाता था जो कंपनी की दुकानों पर ही वैध होती थीं। इस गीत में मज़दूर विलाप करते हुए कहता है कि यदि मुझे स्वर्ग से भी बुलावा आए तो मैं नहीं जा पाऊँगा क्योंकि मेरे प्राण की मालिक भी कंपनी ही है।

   इस गीत में लिखी गई घोर निराशा को समझने के द्वारा हम उन इस्त्राएलियों के मनों के भाव को समझ सकते हैं जो ४०० वर्ष से मिस्त्र की गुलामी झेल रहे थे। जब मूसा ने उन इस्त्राएलियों को बताया कि परमेश्वर उन्हें गुलामी से छुड़ाने पर है तो वे इस बात पर विश्वास नहीं कर सके क्योंकि उनके मन गुलामी के अत्याचारों के कारण बेचैन थे (निर्गमन ६:९)। लेकिन जो इसत्राएली अपने लिए कर पाने में असमर्थ थे, उअनके लिए वह परमेश्वर ने कर दिखाया, और चमत्कारिक रीति से उन्हें मिस्त्र की गुलामी से छुड़ा लिया। इस्त्राएल का परमेश्वर के सामर्थ से इस प्रकार दासत्व से छुड़ाया जाना प्रभु यीशु द्वारा मनुष्यों को पाप से मिलने वाले छुटकारे का प्रतिरूप था, एक ऐसा छुटकारा जो कोई भी मनुष्य अपने आप अपनी किसी भी सामर्थ अथवा प्रयास से कभी प्राप्त नहीं कर सकता: "क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?" (रोमियों ५:६, ९)

   जब जीवन अपने सब से निचले स्तर पर हो और संसार में कहीं कोई आशा नज़र नहीं आ रही हो, परिस्थितियों से पार पाने का कोई मार्ग सूझ नहीं पड़ता हो, मसीही विश्वासी तब भी आशावान रह सकते हैं क्योंकि हमारे परमेश्वर पिता का अद्भुत अनुग्रह हमारे साथ सदा बना रहता है और वह उन्हें हर परिस्थिति में सुरक्षित रखने और उससे पार निकाल लाने में सक्षम और विश्वासयोग्य है। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जिसकी आशा सच्चे और जीवते परमेश्वर पर है वह कभी आशारहित नहीं है।

इस कारण तू इस्राएलियों से कह, कि मैं यहोवा हूं, और तुम को मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकालूंगा, और उनके दासत्व से तुम को छुड़ाऊंगा, और अपनी भुजा बढ़ाकर और भारी दण्ड देकर तुम्हें छुड़ा लूंगा - निर्गमन ६:६

बाइबल पाठ: निर्गमन ६:१-१३
Exodus 6:1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, अब तू देखेगा कि मैं फिरौन ने क्या करूंगा; जिस से वह उन को बरबस निकालेगा, वह तो उन्हें अपने देश से बरबस निकाल देगा।।
Exodus 6:2 और परमेश्वर ने मूसा से कहा, कि मैं यहोवा हूं।
Exodus 6:3 मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम से इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को दर्शन देता था, परन्तु यहोवा के नाम से मैं उन पर प्रगट न हुआ।
Exodus 6:4 और मैं ने उनके साथ अपनी वाचा दृढ़ की है, अर्थात कनान देश जिस में वे परदेशी हो कर रहते थे, उसे उन्हें दे दूं।
Exodus 6:5 और इस्राएली जिन्हें मिस्री लोग दासत्व में रखते हैं उनका कराहना भी सुनकर मैं ने अपनी वाचा को स्मरण किया है।
Exodus 6:6 इस कारण तू इस्राएलियों से कह, कि मैं यहोवा हूं, और तुम को मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकालूंगा, और उनके दासत्व से तुम को छुड़ाऊंगा, और अपनी भुजा बढ़ाकर और भारी दण्ड देकर तुम्हें छुड़ा लूंगा,
Exodus 6:7 और मैं तुम को अपनी प्रजा बनाने के लिये अपना लूंगा, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा; और तुम जान लोगे कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम्हें मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकाल ले आया।
Exodus 6:8 और जिस देश के देने की शपथ मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से खाई थी उसी में मैं तुम्हें पहुंचाकर उसे तुम्हारा भाग कर दूंगा। मैं तो यहोवा हूं।
Exodus 6:9 और ये बातें मूसा ने इस्राएलियों को सुनाईं; परन्तु उन्होंने मन की बेचैनी और दासत्व की क्रूरता के कारण उसकी न सुनी।।
Exodus 6:10 तब यहोवा ने मूसा से कहा,
Exodus 6:11 तू जा कर मिस्र के राजा फिरौन से कह, कि इस्राएलियों को अपने देश में से निकल जाने दे।
Exodus 6:12 और मूसा ने यहोवा से कहा, देख, इस्राएलियों ने मेरी नहीं सुनी; फिर फिरौन मुझ भद्दे बोलने वाले की क्योंकर सुनेगा?
Exodus 6:13 और यहोवा ने मूसा और हारून को इस्राएलियोंऔर मिस्र के राजा फिरौन के लिये आज्ञा इस अभिप्राय से दी कि वे इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल ले जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १५-१६ 
  • मरकुस ६:१-२९

सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

अनन्त शांति या पीड़ा


   यह विचार कि वह दिन आएगा जब हम परमेश्वर की उपस्थिति में खड़े होंगे और अनन्त काल के लिए उसकी संगति का आनन्द लेंगे एक ऐसा आश्वासन है जो जीवन के वर्तमान समस्याओं पर विजयी होने में हमारी सहायता करता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में कई भजन हैं जो इस बात को लेकर लिखे गए हैं, जैसे भजन १६, १७, ४९, ७१, ७३ आदि।

   भजन ७१ को पढ़ने से लगता है कि भजनकार को कई कठिन कष्ट उठाने पड़े थे (पद २०) लेकिन उसके मन में सदा ही यह बात बनी हुई थी कि परमेश्वर उसे फिर से "जिलाएगा"। मूल भाषा में "जिलाएगा" के लिए जो शब्द प्रयोग हुआ है उसका अर्थ है मृत्यु से पुनः जीवित करना। भजनकार आगे कहता है, "तू मेरी बड़ाई को बढ़ाएगा, और फिर कर मुझे शान्ति देगा" (पद २१)। भजनकार को विश्वास था कि उसके कष्टों का अन्त अवश्य ही होगा, यदि इस जीवन में नहीं तो मृत्योप्रांत।

   संभवतः परमेश्वर के अलावा और कोई उन कष्टों को नहीं जानता जिनमें से होकर आप निकले हैं; लेकिन आश्वस्त रहिए, यदि आप परमेश्वर कि सन्तान हैं तो एक समय वह आएगा जब आपका स्वर्गीय पिता आपकी ’बड़ाई को बढ़ाएगा’ अर्थात आपको महिमा के वस्त्र धारण करवाएगा, आपको ’शान्ति देगा’ - आप उसकी उपस्थिति में बने रहेंगे से और उसके प्रेम से तृप्त होते रहेंगे। रिचर्ड बैक्सटर ने इस संदर्भ में लिखा: "वह कैसा धन्य दिन होगा जब मैं तट पर खड़ा होकर उस प्रचण्ड उफनते समुद्र को देखुंगा जिसके पार मेरा स्वर्गीय पिता मुझे सुरक्षित उतार लाया है; जब मैं अपने सभी दुख, व्यथा, भय और आंसुओं पर पुनर्विचार करुंगा और उस बेबयान महिमा को पाऊँगा जो इन सब बातों का अन्तफल है।"

   लेकिन यह विश्वास और इस अद्भुत शांति का भरोसा उन्हीं को है जो प्रभु यीशु में स्वेच्छा से किए गए विश्वास और समर्पण के साथ अपने पापों से क्षमा प्राप्त कर के परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार प्राप्त कर चुके हैं। इस जीवन में जिनके पाप क्षमा नहीं हुए मृत्योप्रांत वे किसी शान्ति में नहीं वरन सदा काल के लिए अत्यन्त कष्ट में चले जाएंगे।

   अनन्त शान्ति या अनन्त पीड़ा, निर्णय आपका है - परमेश्वर आपको वही देगा जो इस जीवन में आप अपने लिए चुन लेंगे। - डेविड रोपर


जब परमेश्वर आँसुओं को पोंछेगा, तब कराहना अनन्त आराधना में बदल जाएगा।

तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हम को जिलाएगा; और पृथ्वी के गहिरे गड़हे में से उबार लेगा। - भजन ७१:२०

बाइबल पाठ: भजन ७१
Psalms 71:1 हे यहोवा मैं तेरा शरणागत हूं; मेरी आशा कभी टूटने न पाए!
Psalms 71:2 तू तो धर्मी है, मुझे छुड़ा और मेरा उद्धार कर; मेरी ओर कान लगा, और मेरा उद्धार कर!
Psalms 71:3 मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिस में मैं नित्य जा सकूं; तू ने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है।
Psalms 71:4 हे मेरे परमेश्वर दुष्ट के, और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर।
Psalms 71:5 क्योंकि हे प्रभु यहोवा, मैं तेरी ही बाट जोहता आया हूं; बचपन से मेरा आधार तू है।
Psalms 71:6 मैं गर्भ से निकलते ही, तुझ से सम्भाला गया; मुझे मां की कोख से तू ही ने निकाला; इसलिये मैं नित्य तेरी स्तुति करता रहूंगा।
Psalms 71:7 मैं बहुतों के लिये चमत्कार बना हूं; परन्तु तू मेरा दृढ़ शरण स्थान है।
Psalms 71:8 मेरे मुंह से तेरे गुणानुवाद, और दिन भर तेरी शोभा का वर्णन बहुत हुआ करे।
Psalms 71:9 बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न कर; जब मेरा बल घटे तब मुझ को छोड़ न दे।
Psalms 71:10 क्योंकि मेरे शत्रु मेरे विषय बातें करते हैं, और जो मेरे प्राण की ताक में हैं, वे आपस में यह सम्मति करते हैं, कि
Psalms 71:11 परमेश्वर ने उसको छोड़ दिया है; उसका पीछा कर के उसे पकड़ लो, क्योंकि उसका कोई छुड़ाने वाला नहीं।
Psalms 71:12 हे परमेश्वर, मुझ से दूर न रह; हे मेरे परमेश्वर, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!
Psalms 71:13 जो मेरे प्राण के विरोधी हैं, उनकी आशा टूटे और उनका अन्त हो जाए; जो मेरी हानि के अभिलाषी हैं, वे नामधराई और अनादर में गड़ जाएं।
Psalms 71:14 मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूंगा, और तेरी स्तुति अधिक अधिक करता जाऊंगा।
Psalms 71:15 मैं अपने मुंह से तेरे धर्म का, और तेरे किए हुए उद्धार का वर्णन दिन भर करता रहूंगा, परन्तु उनका पूरा ब्योरा जाना भी नहीं जाता।
Psalms 71:16 मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊंगा, मैं केवल तेरे ही धर्म की चर्चा किया करूंगा।
Psalms 71:17 हे परमेश्वर, तू तो मुझ को बचपन ही से सिखाता आया है, और अब तक मैं तेरे आश्चर्य कर्मों का प्रचार करता आया हूं।
Psalms 71:18 इसलिये हे परमेश्वर जब मैं बूढ़ा हो जाऊं और मेरे बाल पक जाएं, तब भी तू मुझे न छोड़, जब तक मैं आने वाली पीढ़ी के लोगों को तेरा बाहुबल और सब उत्पन्न होने वालों को तेरा पराक्रम सुनाऊं।
Psalms 71:19 और हे परमेश्वर, तेरा धर्म अति महान है। तू जिसने महाकार्य किए हैं, हे परमेश्वर तेरे तुल्य कौन है?
Psalms 71:20 तू ने तो हम को बहुत से कठिन कष्ट दिखाए हैं परन्तु अब तू फिर से हम को जिलाएगा; और पृथ्वी के गहिरे गड़हे में से उबार लेगा।
Psalms 71:21 तू मेरी बड़ाई को बढ़ाएगा, और फिर कर मुझे शान्ति देगा।
Psalms 71:22 हे मेरे परमेश्वर, मैं भी तेरी सच्चाई का धन्यवाद सारंगी बजाकर गाऊंगा; हे इस्राएल के पवित्र मैं वीणा बजा कर तेरा भजन गाऊंगा।
Psalms 71:23 जब मैं तेरा भजन गाऊंगा, तब अपने मुंह से और अपने प्राण से भी जो तू ने बचा लिया है, जयजयकार करूंगा।
Psalms 71:24 और मैं तेरे धर्म की चर्चा दिन भर करता रहूंगा; क्योंकि जो मेरी हानि के अभिलाषी थे, उनकी आशा टूट गई और मुंह काले हो गए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १२-१४ 
  • मरकुस ५:२१-४३

रविवार, 24 फ़रवरी 2013

वास्तविक महत्व


   कुछ वर्ष पहले मेरा एक मित्र जाने माने जलपोत टाईटैनिक के अवशेषों की प्रदर्शनी देखने गया। प्रदर्शनी देखने आए प्रत्येक दर्शक को टाईटैनिक के टिकिट की प्रतिलिपि दी गई और प्रत्येक टिकिट पर उस जलपोत पर यात्रा करने वाले वास्तविक यात्रियों अथवा कर्मचारियों में से एक का नाम लिखा था। दर्शक जब वहाँ टाईटैनिक से एकत्रित सभी विविध वस्तुओं को देख चुके तो अन्त में उन्हें एक सूची पटल के समक्ष ला कर खड़ा किया गया। उस सूची पटल पर टाईटैनिक में सवार प्रत्येक व्यक्ति - यात्री अथवा कर्मचारी, का नाम लिखा हुआ था साथ ही यह भी वह किस श्रेणी में यात्री था। दर्शक वहाँ से देख सकते थे कि वे किस के नाम का टिकिट ले कर प्रदर्शनी देख रहे थे। मेरे मित्र ने एक और बात पर भी ध्यान दिया कि उस सूची पटल पर उन नामों को विभाजित करने वाली एक लाल रेखा थी - रेखा के ऊपर उन के नाम लिखे थे जो ’बच’ गए और रेखा के नीचे उनके नाम जो ’जाते रहे’ अर्थात उस दुर्घटना में मर गए।

   इस बात की पृथ्वी पर के हमारे जीवन के साथ समानन्तर तुलना गहन है। जैसे टाईटैनिक जलपोत, जिसके लिए कहा जाता था कि वह डूब नहीं सकता, का एकाएक और अनेपक्षित अन्त हो गया, इस पृथ्वी और संसार के प्रत्येक जन का एकाएक और अनेपक्षित अन्त निर्धारित है। कोई नहीं जानता कि किसे कब और कैसे पृथ्वी से जाना होगा। महत्व इस बात का नहीं है कि इस जीवनकाल में हम किस श्रेणी के यात्री हैं, वास्तविक महत्व इस बात का है कि पार्थिव जीवन समाप्त होने पर हम कहाँ होंगे - बचे हुओं में या उनमें जो अनन्त विनाश में ’जाते रहे’!

   प्रभु यीशु ने कहा: "यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?" (मत्ती १६:२६) - यह एक बहुत गंभीर तथा गहन विचारयोग्य प्रश्न है। संसार, संसार की वस्तुएं, संसार की उपलब्धियाँ, संसार का यश, दौलत और बातें - सब यहीं संसार में ही छूट जाएंगी, अगर कुछ साथ जाएगा तो वह है कि हमने पापों की क्षमा प्राप्त कर ली थी कि नहीं; और यही एक बात निर्धारित करेगी कि हम अनन्त काल कहाँ बिताएंगे - स्वर्ग में परमेश्वर के साथ अथवा परमेश्वर से सदा सदा के लिए पृथक होकर नर्क की भयंकर पीड़ा में।

   हो सकता है कि आपने प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त कर लिया हो, पर आपके साथ के अन्य लोगों का क्या हाल है? इधर-उधर की और नाशमान संसार कि व्यर्थ बातों की बजाए क्या आपने उनसे उनके अन्तिम गन्तव्य के बारे में बात की? क्या वे संसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर की ओर से प्रभु यीशु में सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के बारे में जानते हैं? क्या आपने उन्हें इस बारे में बताया है?- जो स्टोवैल


अनन्त के संदर्भ में संसार की उपलब्धियाँ नहीं मसीह यीशु पर विश्वास महत्वपूर्ण है।

और उसने हमें आज्ञा दी, कि लोगों में प्रचार करो; और गवाही दो, कि यह वही है; जिसे परमेश्वर ने जीवतों और मरे हुओं का न्यायी ठहराया है। उस की सब भविष्यद्वक्ता गवाही देते हें, कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, उसको उसके नाम के द्वारा पापों की क्षमा मिलेगी। - प्रेरितों १०:४२-४३

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१-१६
Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।
Colossians 3:5 इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है।
Colossians 3:6 इन ही के कारण परमेश्वर का प्रकोप आज्ञा न मानने वालों पर पड़ता है।
Colossians 3:7 और तुम भी, जब इन बुराइयों में जीवन बिताते थे, तो इन्‍हीं के अनुसार चलते थे।
Colossians 3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians 3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians 3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians 3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Colossians 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती ९-११ 
  • मरकुस ५:१-२०

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

सृष्टि


   क्या आपने कभी सृष्टि की विविधता पर कुछ विचार किया है? परमेश्वर की यह अद्भुत सृष्टि अद्भुत परमेश्वर का बयान करती है: "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन १९:१)। परमेश्वर के वचन बाइबल में एक धर्मी जन अय्युब की शैतान द्वारा परीक्षा और परमेश्वर का अय्युब को परीक्षा से निकालने का वृतांत है। अय्युब का विश्वास था कि सृष्टि सृष्टिकर्ता का बयान करती है: "पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; ओर समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी। कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है। उसके हाथ में एक एक जीवधारी का प्राण, और एक एक देहधारी मनुष्य की आत्मा भी रहती है" (अय्युब १२:७-१०)। जब अय्युब के मन में शंकाएं उठती हैं और वह परमेश्वर से प्रश्न करता है तो परमेश्वर पुनः उसका ध्यान अपनी सृष्टि तथा सृष्टि की विविधता की ओर ले जाता है, और सृष्टि में विद्यमान विलक्षण बातों को उसके सामने रखता है। अय्युब ३९:१३-१८ में परमेश्वर अय्युब को शुतुर्मुर्ग के बारे में बताता है, और कहता है विचार कर कि यद्यपि वह अण्डे देती है किंतु सेती नहीं वरन रेत में गरम होने को छोड़ देती है जहाँ वे किसी के भी पाँव के नीचे आ सकते हैं; यद्यपि वह पक्षी है परन्तु उड़ नहीं सकती किंतु घोड़े से भी तेज़ भाग लेती है। इसी प्रकार परमेश्वर अय्युब के सामने अपने द्वारा बनाए अनेक जीव-जन्तुओं का उदाहरण रखता है कि उसका विश्वास सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर पुनः स्थापित हो सके।

   जीव-विज्ञान भी हमें परमेश्वर कि इस विलक्षण सृष्टि की बातें बताता है - एक बहुत ही अद्भुत जीव है अफ्रीका का बॉम्बार्डियर बीटल। इस बीटल के शरीर के पिछले भाग में दो छोटी टंकियां होती हैं जिनमें वह दो अलग अलग रसायन बना कर जमा रखे रहता है - हाइड्रोजन पेरोक्साइड तथा हाइड्रोक्विनोन। ये दोनो रसायन जब तक अलग अलग हैं तो हानिरहित हैं किंतु मिश्रित होने पर विस्फोटक होते हैं। बीटल के पिछले भाग में एक विशेष नली भी है जहाँ ये दोनो रसायन मिलाए जाते हैं और अपने शत्रुओं से बचने के लिए यह बीटल उन दोनो रसायनों को उस नली में मिला कर फिर उन्हें बन्दूक के समान शत्रु की ओर दाग़ता है जिससे शत्रु अन्धा हो जाता है। बीटल अपनी इस ’बन्दूक’ से यह ’गोली’ चलाने का कार्य बहुत तेज़ी से कर सकता है और अपनी ’बन्दूक’ को किसी भी दिशा में मोड़ भी सकता है।

   यह कैसे संभव हुआ कि बुद्धिहीन शुतुर्मुर्ग जो अपने अण्डों की भी ठीक से देखभाल नहीं कर सकती, वह अभी भी पृथ्वी पर बनी हुई और इस छोटे से कीड़े को जीवित रहने के लिए इतनी जटिल रासायनिक क्रिया को संभालना और प्रयोग करना पड़ता है? यह इसलिए संभव है क्योंकि परमेश्वर की सृष्टिसामर्थ अपरिमित है, वह अद्भुत और विलक्षण सृष्टिकर्ता है। जैसे भजनकार का कथन है: "उसने आज्ञा दी और वे रचे गए" (भजन १४८:५); इसीलिए भजनकार इस भजन में समस्त सृष्टि को परमेश्वर की वास्तविकता को पहचानने और उसकी स्तुति करने को कहता है।

   मैं और आप भी उसी अद्भुत परमेश्वर की विलक्षण सृष्टि हैं और वह हम से बहुत प्रेम करता है, हमारी संगति का इच्छुक है और नहीं चाहता कि हम अपने पापों में नाश हो जाएं, वरन "वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें" (१ तिमुथियुस २:४)। इसीलिए उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार में भेजा जिससे वह सब मनुष्यों के पापों के बोझ को उठा ले और उन्हें उद्धार का मार्ग दे दे। अब परमेश्वर का सारी सृष्टि के सभी मनुष्यों के लिए खुला निमंत्रण है कि वे स्वेच्छा से आएं और प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार को पाएं।

   क्या आपने उसके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है? - डेव एगनर


समस्त सृष्टि एक सिद्ध सृष्टिकर्ता की ओर इशारा करती है।

क्योंकि हम परिश्रम और यत्‍न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है; जो सब मनुष्यों का, और निज कर के विश्वासियों का उद्धारकर्ता है। - १ तिमुथियुस ४:१०

बाइबल पाठ: भजन १४८
Psalms 148:1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो!
Psalms 148:2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर!
Psalms 148:3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिर्मय तारागण उसकी स्तुति करो!
Psalms 148:4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
Psalms 148:5 वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।
Psalms 148:6 और उसने उन को सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है; और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं।
Psalms 148:7 पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,
Psalms 148:8 हे अग्नि और ओलों, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!
Psalms 148:9 हे पहाड़ों और सब टीलों, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!
Psalms 148:10 हे वन-पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!
Psalms 148:11 हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!
Psalms 148:12 हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों!
Psalms 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसकी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
Psalms 148:14 और उसने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है; यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती ७-८ 
  • मरकुस ४:२१-४१

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

अनुकम्पा


   अपनी पत्नि मार्लीन से मैं जब पहली बार मिला था तब हम दोनो ही कॉलेज में थे। मार्लीन बच्चों को शिक्षा देने का प्रशिक्षण ले रही थी और जब मैंने बच्चों के साथ काम करते हुए उसे पहली बार देखा तो मुझे तुरंत आभास हुआ कि यह उसके स्वभाव के कितना अनुकूल था। हमारे विवाह पश्चात जब हमारे अपने बच्चे हुए तो यह बात और भी अधिक स्पष्ट हो गई। बच्चों के साथ उसके व्यवहार को देखना निस्वार्थ प्रेम का एक पाठ सीखने के समान था। उसे बच्चों के साथ देखने से पता चलता था कि सारे संसार में बच्चों के प्रति माँ के कोमल प्रेम और अनुकम्पा के समान कोई अन्य बात है ही नहीं।

   इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह ४९:१५ इतना असाधारण लगता है और इस पद का मर्म इतना विशिष्ट। इस पद में परमेश्वर ने अपने लोगों को, जो अपने आप को त्यागा हुआ और भुलाया हुआ अनुभव कर रहे थे, आश्वासन दिया: "क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।"

   कभी कभी जीवन के संघर्ष और कठिनाईयों में हम यह सोचने लगते हैं कि परमेश्वर ने हमें भुला दिया है। संभवतः हम यह भी मानने लगते हैं कि परमेश्वर अब हमसे प्रेम नहीं रखता। परन्तु परमेश्वर के प्रेम की चौड़ाई क्रूस पर मसीह यीशु की फैली हुई बाहों के समान है। परमेश्वर का कोमल प्रेम और अनुकम्पा एक माँ के अपने दूधपिउवे बच्चे के प्रति प्रेम और अनुकम्पा से भी बढ़कर है। परमेश्वर का अपनी प्रत्येक सन्तान से वायदा है "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

   यदि आपने प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार द्वारा परमेश्वर कि सन्तान होने का गौरव प्राप्त किया है तो आप प्रत्येक परिस्थिति में आश्वस्त रह सकते हैं क्योंकि अपने बच्चों के प्रति परमेश्वर का प्रेम ना कभी घटता है और ना ही टलता है। हमारे परमेश्वर पिता का प्रेम बच्चे के प्रति माँ के प्रेम से भी बढ़कर और विश्वासयोग्य है; जिसका हाथ उसने एक दफा थाम लिया फिर उसे वह कभी नहीं छोड़ता, किसी परिस्थिति में नहीं। - बिल क्राउडर


परमेश्वर के प्रेम का प्रमाण क्रूस पर लटके मसीह यीशु की फैली हुई बाहों हैं।

क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता। - यशायाह ४९:१५

बाइबल पाठ: यशायाह ४९:१३-१८
Isaiah 49:13 हे आकाश, जयजयकार कर, हे पृथ्वी, मगन हो; हे पहाड़ों, गला खोल कर जयजयकार करो! क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है और अपने दीन लोगों पर दया की है।
Isaiah 49:14 परन्तु सिय्योन ने कहा, यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।
Isaiah 49:15 क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।
Isaiah 49:16 देख, मैं ने तेरा चित्र हथेलियों पर खोदकर बनाया है; तेरी शहरपनाह सदैव मेरी दृष्टि के साम्हने बनी रहती है।
Isaiah 49:17 तेरे लड़के फुर्ती से आ रहे हैं और खण्डहर बनाने वाले और उजाड़ने वाले तेरे बीच से निकले जा रहे हैं।
Isaiah 49:18 अपनी आंखें उठा कर चारों ओर देख, वे सब के सब इकट्ठे हो कर तेरे पास आ रहे हैं। यहोवा की यह वाणी है कि मेरे जीवन की शपथ, तू निश्चय उन सभों को गहने के समान पहिल लेगी, तू दुल्हिन की नाईं अपने शरीर में उन सब को बान्ध लेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती ४-६ 
  • मरकुस ४:१-२०

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

समाधान


   मई १८८४ की बात है, युवा माता-पिता जॉन और मार्था की जोड़ी अपने नवजात बेटे के नामकरण में मध्य नाम को लेकर असहमत थे। माँ मार्था अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम सौलोमन रखना चाहती थी और पिता जॉन अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम शिप्पे रखना माँगते थे। क्योंकि दोनो ही मध्य नाम को लेकर सहमत नहीं हुए इसलिए दोनो ने समस्या के समाधान के लिए केवल अंग्रेज़ी भाषा के S शब्द को, जो दोनो ही विवादाधीन नामों का प्रथम अक्षर था, प्रयोग करने का निर्णय लिया और बच्चे का नाम रखा गया हैरी एस. ट्रूमैन जो आगे चलकर अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति बने जिनका मध्य नाम केवल एक अक्षर ही था। इस बात को १२० वर्ष हो गए हैं, इतिहास उस विवाद को भी बताता है और उसके समाधान को भी।

    परमेश्वर के वचन बाइबल में हम एक और विवाद के बारे में पढ़ते हैं जो प्रभु यीशु के दो अनुयायियों के बीच एक तीसरे अनुयायी को लेकर हुआ। प्रेरितों के काम के १५ अध्याय में प्रेरित पौलुस एवं बरनाबास के इस विवाद का उल्लेख है। बरनाबास और पौलुस को सेवकाई और सुसमाचार प्रचार की यात्रा पर निकलना था। बरनाबास अपने साथ एक युवा विश्वासी मरकुस को भी ले जाना चाहता था, किंतु मरकुस को लेकर कुछ पिछले अनुभवों के आधार पर पौलुस ने इस बात का विरोध किया। बात यहाँ तक बढ़ गई कि पौलुस और बरनाबास ने अलग अलग अपने अपने रास्ते ले लिए। इस बात को दो हज़ार वर्ष के लगभग हो गए हैं, और यह परमेश्वर के वचन में सदा काल के लिए दर्ज भी है। किंतु बात यहीं समाप्त नहीं हुई; आगे चलकर पौलुस और मरकुस के बीच की दूरीयाँ मिट गईं, समस्या का समाधान निकल आया और मरकुस पौलुस का प्रीय बन गया। अपनी सेवकाई के अन्त में, मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा में कैदखाने में पड़े पौलुस ने अपनी अन्तिम पत्री में एक अन्य मसीही विश्वासी तिमुथियुस को लिखा: "...मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (२ तिमुथियुस ४:११)।

   एक और विवाद मानव जाति के इतिहास के आरंभ में हुआ - पाप के कारण परमेश्वर और हमारे आदि-पूर्वज आदम और हव्वा के बीच दूरी आ गई और हमारे आदि माता-पिता परमेश्वर की संगति से दूर हो गए। तब से पाप मनुष्य में बना हुआ है और आदम हव्वा की सभी संतान इस पाप स्वभाव के साथ ही पैदा होती आई है तथा परमेश्वर से दूर है। परमेश्वर ने ही स्वयं आगे बढ़कर अपने बड़े प्रेम में होकर मानव के लिए पाप से बचने और पाप स्वभाव के चंगुल से निकलने का मार्ग दिया। उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार में भेजा, उसने संसार में एक निष्पाप और निषकलंक जीवन बिताया और समस्त मानव जाति का पाप अपने ऊपर लेकर उस पाप के दण्ड को सभी मनुष्यों के लिए सह लिया। उसने क्रूस पर अपने प्राण बलिदान किए, वह मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मृतकों से जीवित होकर उसने अपने परमेश्वरत्व को प्रमाणित कर दिया। आज भी उसकी खाली कब्र उसके पुनरुत्थान और परमेश्वर होने की गवाह है।

   प्रभु यीशु के इस बलिदान और पुनरुत्थान के द्वारा पाप की समस्या का समाधान हो गया, सभी मनुष्यों के लिए पाप क्षमा और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग खुल गया। अब जो कोई सच्चे मन से अपने पापों की क्षमा प्रभु यीशु से माँगता है तथा स्वेच्छा से अपना जीवन उसे समर्पित करता है उसे प्रभु यीशु से पापों की क्षमा, पाप स्वभाव से मुक्ति तथा परमेश्वर की सन्तान होने का आदर मिलता है और वह परमेश्वर के साथ संगति में आ जाता है। परमेश्वर का यह प्रयोजन सारे संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है और सभी को परमेश्वर की ओर से इसका निमंत्रण है।

   क्या आपने अपने पापों और उनके कारण हुई परमेश्वर से दूरी का परमेश्वर द्वारा निर्धारित समाधान स्वीकार कर लिया है? यदि नहीं तो अभी अवसर है, कर लीजिए। इस समाधान का तिरस्कार बहुत महंगा, बहुत कष्टदायक और अनन्तकालीन है। - डेव ब्रैनन


पाप के कारण मनुष्य का परमेश्वर से हुआ मनमुटाव समय के साथ नहीं घटता नहीं है।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों ५:८

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-१२; १७-१९
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ।
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १-३ 
  • मरकुस ३


बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

आराधना


   एक समय था जब मुझे चर्च में आराधना का समय मनोरंजन लगता था। मेरे जैसे लोगों के लिए ही सॉरेन किर्केगार्ड ने कहा है: "हम चर्च को एक नाट्यशाला के समान देखते हैं। हम श्रोताओं के समान जाकर पीछे की पंक्तियों में बैठ जाते हैं और सामने हो रही आराधना का अवलोकन किसी नाटक को देखने के समान करते हैं और यदि प्रस्तुत कार्यक्रम अच्छा लगता है तो फिर प्रशंसास्वरूप ताली भी बजा देते हैं। लेकिन चर्च में नाट्यशाला से उलट व्यवहार होता है, वहां आराधना के लिए एकत्रित जन अभिनेता तथा परमेश्वर श्रोता होता है। जो सबसे महत्वपूर्ण है वह उपस्थित लोगों के हृदयों में होता है ना कि सामने किसी मंच पर। हमारे हृदय से निकलने वाली आराधना की परख परमेश्वर करता है। जब हम आराधना से बाहर आते हैं तो हमारे मनों में अपने प्रसन्न होने या न होने का नहीं वरन प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या परमेश्वर मेरी आराधना से प्रसन्न हुआ? क्या मेरी आराधना सच्ची तथा उसे ग्रहणयोग्य थी?"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम में इस्त्राएल के लिए परमेश्वर ने कई बलिदान और पर्व निर्धारित किए जो उनकी आराधना विधि का एक अंग थे। परन्तु फिर भी परमेश्वर ने कहा: "मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा। क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं" (भजन ५०:९-१०)। परमेश्वर उन लोगों से पशु नहीं आज्ञाकारिता तथा धन्यवाद चाहता था (पद २३)।

   जब हम आराधना की क्रीयाविधि और अन्य बाह्य बातों पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो हम आराधना का केंद्र बिंदु भूल जाते हैं - परमेश्वर के लिए सच्चे हृदय से निकलने वाला धन्यवाद और उसके प्रति वास्तविक समर्पण, जिस से वह प्रसन्न होता है, ना कि कोई औपचारिकता तथा बाह्य स्वरूप। आराधना का उद्देश्य परमेश्वर से भेंट एवं संगति करना तथा उसे प्रसन्न करना है ना कि अपने आप को। सच्ची आराधना किसी औपचारिकता को पूरा करना नहीं है, वरन सच्चे हृदय की गहराईयों से निकलने वाली परमेश्वर को अर्पित करी गई निर्मल भेंट है। - फिलिप यैन्सी


आराधना का हृदय अराधक के हृदय से निकलने वाली आराधना है।

धन्यवाद के बलिदान का चढ़ाने वाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा! - भजन ५०:२३

बाइबल पाठ: भजन ५०:७-१५
Psalms 50:7 हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूं, और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूं। परमेश्वर तेरा परमेश्वर मैं ही हूं।
Psalms 50:8 मैं तुझ पर तेरे मेल बलियों के विषय दोष नहीं लगाता, तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं।
Psalms 50:9 मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा।
Psalms 50:10 क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं।
Psalms 50:11 पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं, और मैदान पर चलने फिरने वाले जानवार मेरे ही हैं।
Psalms 50:12 यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है।
Psalms 50:13 क्या मैं बैल का मांस खाऊं, वा बकरों का लोहू पीऊं?
Psalms 50:14 परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;
Psalms 50:15 और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २६-२७ 
  • मरकुस २

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

आशीष के द्वार


   कुछ समय पहले की बात है कि मैं और मेरी पत्नी एक निमंत्रण पर एक महिला के घर पर खाने के लिए गए। वो महिला भी उसी चर्च में आराधना के लिए आती थी जहाँ हम जाते थे और हमारे समान ही मसीही विश्वासी थी। हमारे लिए भोजन बनाते समय, काम करते करते उसने अपनी ऊँगुली काट ली और हमें उसे लेकर अस्पताल जाना पड़ा। अस्पताल ले जाते समय हमने उसके साथ प्रार्थना करी और फिर वहाँ उसके साथ बैठे रहे जब तक कि डॉक्टर ने उसे देख नहीं लिया और उसका इलाज नहीं कर दिया। इस सब में काफी समय बीत गया।

   इलाज होने के बाद जब हम उसे उसके घर वापस ले आए तो उस महिला ने हमें विवश किया कि हम उसके साथ उसके द्वारा तैयार किया हुआ भोजन करने बैठें। इसके बाद का समय हमारे लिए एक उत्तम आत्मिक चर्चा तथा पारस्परिक संगति का समय था जिसमें हमने ना केवल अच्छा भोजन खाया वरन उस महिला के अनुभवों और जीवन की कठिन परिस्थितियों में परमेश्वर द्वारा उसे मिली अद्भुत सहायता तथा उसके जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह के विषय में भी जाना।

   बाद में मेरी पत्नी और मैं उस पूरी घटना पर विचार कर रहे थे कि कैसे एक अप्रत्याशित अस्पताल यात्रा के कारण हमें उत्तम आत्मिक अनुभवों और चर्चा का अवसर तथा आशीष मिली, और मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद स्मरण हो आया: "तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो" (गलतियों ६:२)। हमारे द्वारा अपनी घायल मेज़बान की सहायता करने से उसे आशीष मिली; फिर बाद में अपने आतिथ्य, अच्छे भोजन और हमारे साथ बाँटे गए अपने आत्मिक अनुभवों के कारण वह हमारे लिए आशीष बन गई।

   हमने उस घटना से सीखा कि दुखदायी अनुभव भी एक अद्भुत और उत्तम आत्मिक संगति, शिक्षा तथा आशीष प्राप्त होने का द्वार बन सकते हैं, जब हम परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता में एक दूसरे के भार उठाते हैं तथा एक दुसरे के साथ सहभागिता रखते हैं। - डेनिस फिशर


सहायतार्थ बढ़ाया हुआ हाथ दूसरों के बोझ हल्के करता है।

क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। - गलतियों ५:१४

बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-१०
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
Galatians 6:3 क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
Galatians 6:4 पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
Galatians 6:5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २५ 
  • मरकुस १:२३-४५


सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

सपने एवं निर्णय


   मुझे अपने जीवन काल में बहुत सी अच्छी सलाह प्राप्त हुईं हैं। इस अच्छी सलाहों कि सूची में सबसे उच्च-कोटि की सलाहों में से एक है मेरे एक मित्र द्वारा कही गई बात: "जीवन देखे गए सपनों से मिलकर नहीं बनता वरन उन निर्णयों से बनता है जो जीवन की बातों के संबंध में आप करते हैं।"

   उसका कहना बिलकुल सही है - आपका आज का जीवन आपके द्वारा आज तक लिए गए सभी निर्णयों का परिणाम है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कुछ ऐसी ही सलाह दी: "यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ" (फिलिप्पियों १:१०)। किसी भी परिस्थिति के लिए अधिकांशतः हमारे पास चुनावों के अनेक विकल्प रहते हैं और हमारे चुनाव गुण्वन्ता में सर्वथा अयोग्य, साधारण, भले, उत्तम अथवा अति उत्तम हो सकते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम अपने विकल्पों को भली भांति जाँचें और अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रीयाओं में बह कर नहीं वरन सोच-समझ कर सदैव सर्वोत्तम विकल्प को ही चुनें।

   अनेक बार सर्वोत्तम विकल्प को चुनना और उसका पालन करना कठिन होता है, विशेषतः तब जब उस विकल्प को चुनने के लिए हमारे साथ कोई और खड़ा ना हो या बहुत कम लोग हमारे साथ हों। या, कभी यह लग सकता है कि किसी निर्णय-विशेष के लिए हमारी स्वाधीनता और इच्छाओं को दबाया जा रहा है। किंतु यदि आप प्रेरित पौलुस की सलाह को मानेंगे तो आप पाएंगे कि उसने सर्वोत्तम निर्णय लेने से मिलने वाली कुछ बड़ी सकारात्मक और लाभकारी बातों को बताया है, जैसे पवित्रता, निर्दोष होना और फलवन्त होना (पद ११)।

   पौलुस की सलाह को आज़मा के देखिए; निर्णय लें कि अपने जीवन में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के फलों - प्रेम, आनन्द, शांति, धीरज, दयालुता, विश्वासयोग्यता, कोमलता, आत्म-संयम (गलतियों ५:२२-२३) को लागू करेंगे और फिर परिणामस्वरूप अपने जीवन में होने वाले परिवर्तनों और मिलने वाली आशीषों तथा आपके द्वारा दूसरों की होने वाली भलाई का भरपूरी से मज़ा लें। - जो स्टोवैल


सर्वोत्तम चुनाव ही करें और आशीषित हो जाएं।

यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ। - फिलिप्पियों १:१०

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१-११
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २३-२४ 
  • मरकुस १:१-२२

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

परिवर्तन


   जिन लोगों की heart-bypass अर्थात हृदय की अवरोधित नाड़ियों के खोलने या अवरोध से पार रक्त प्रवाह पुनः स्थापित करने का ऑपरेशन हुआ है उन्हें यह कहा जाता है कि वे अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाएं अन्यथा इस ऑपरेशन का कोई विशेष लाभ नहीं होगा और वे शीघ्र ही पुनः मृत्यु के कगार पर आ जाएंगे। ऐसे ऑपरेशन हुए मरीज़ों के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि इतने गंभीर और खर्चीले ऑपरेशन तथा उससे संबंधित चेतावनी के बावजूद ९०% मरीज़ अपनी जीवन शैली में कोई परिवर्तन नहीं लाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लोग परिवर्तन की बजाए मृत्यु को अधिक पसन्द करते हैं।

   जैसे डॉक्टर स्वस्थ रहने और मृत्यु से अधिक से अधिक समय तक बचे रहने के लिए भौतिक जीवन शैली में परिवर्तन का संदेश देते हैं, उसी प्रकार प्रभु यीशु के लिए मार्ग तैयार करने वाला - यूहन्ना बप्तिस्मादेनेवाला आत्मिक मृत्यु से बचने के लिए मन परिवर्तन या मन फिराव का सन्देश लेकर आया था; उसने कहा, "मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है" (मत्ती ३:२)। वह प्रभु यीशु के लिए, उनकी सेवकाई को आरंभ करने के लिए, लोगों को तैयार कर रहा था जिससे वे प्रभु यीशु में पापों की क्षमा तथा उद्धार का सन्देश ग्रहण कर सकें। प्रभु यीशु ने भी अपनी सेवकाई के आरंभ में इसी बात को दोहराया: "यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया। और कहा, समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो" (मरकुस १:१५)। प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के बाद से प्रभु यीशु के अनुयायियों के प्रचार का आधार भी यही मन-फिराव की अनिवार्यता रही है।

   मन फिराव का अर्थ है परमेश्वर की पवित्रता के सामने अपने मन की भावनाओं और अपने आचरण का विशलेषण करके अपनी जीवन शैली और अपने आचरण को परमेश्वर की इच्छाओं तथा आज्ञाओं के अनुरूप करना। यह व्यक्ति के अन्दर, उसके मन, उसकी आत्मा में परिवर्तन की बात है, उसके बाहरी स्वरूप, बाहरी आचरण अथवा किसी धर्म-परिवर्तन की नहीं। इस मन परिवर्तन के लिए सर्वप्रथम उस व्यक्ति के अन्दर अपने पापों का बोध होना, फिर उनके लिए पश्चातापी होना, तत्पश्चात उन पापों को केवल भले अथवा ’धर्म के कार्यों’ से छिपा या ढांप भर देने अथवा ’भले-बुरे का हिसाब बराबर लेने’ की नहीं वरन उन्हें जीवन से पूर्ण्तया निकाल देने की लालसा होना अनिवार्य है। जब तक मनुष्य के अन्दर उसका पाप-स्वभाव बना रहता है, मनुष्य अपने प्रयासों और कार्यों से अपने अन्दर अपने पाप स्वभाव के प्रति स्थाई तथा सच्चा परिवर्तन नहीं ला पाता। अपनी इच्छा शक्ति और प्रयासों से कुछ परिवर्तन अवश्य संभव हैं किंतु वे ना तो स्थाई होते हैं और ना ही परिपूर्ण, कहीं ना कहीं कोई ना कोई बात रह ही जाती है; और कुछ नहीं तो अन्य लोगों से भला, सिद्ध और धर्मी बन पाने का घमण्ड और अन्य लोगों से इस धार्मिकता के स्तर की पहचान और आदर पाने पाने की भावना ही उस अहम और शेष पाप-स्वभाव की उपस्थिति को दर्शाते रहते हैं। यह स्थाई परिवर्तन मनुष्य के जीवन से पाप स्वभाव के हटाए जाने के बाद ही संभव है, और पाप-स्वभाव को स्वयं अपने प्रयासों से हटा पाना मनुष्य के लिए असंभव है। संसार का इतिहास गवाह है कि किसी भी धर्म, नियम या कानून ने आज तक कभी किसी एक भी जन को पाप से मुक्ति नहीं दी है। प्रत्येक धर्म पाप के सागर में डूबते हुए मनुष्य को तैर कर बाहर आने की विधि तो बताता है किंतु उसे पाप से निकलने के लिए सक्षम नहीं करता। केवल प्रभु यीशु ही है जो पाप-सागर में जाकर मनुष्य को बाहर लेकर आता है और फिर स्वयं उसे शुद्ध करता है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ युहन्ना १:९)। केवल प्रभु यीशु ही है जिसने कहा कि वह पापियों का उद्धार करने आया है, उन्हें नाश करने नहीं (मत्ती ९:१३)।

   प्रभु यीशु ने समस्त संसार के हर जन के पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन पापों का दण्ड क्रूस पर अपने बलिदान द्वारा चुकाया, तथा मृतकों से पुनरुत्थान के द्वारा अपने परमेश्वरत्व को प्रमाणित कर दिया। अब जो कोई स्वेच्छा से प्रभु यीशु से अपने पापों को अंगीकार करके उनकी क्षमा मांगता है और अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित करता है प्रभु यीशु उसके मन से पाप स्वभाव को हटाकर अपनी धार्मिकता उसे दे देता है - उसका मन पाप से परमेश्वर की ओर परिवर्तित हो जाता है। क्योंकि परमेश्वर ना किसी धर्म विशेष का है और ना ही परमेश्वर का कोई धर्म है, और क्योंकि यह परिवर्तन परमेश्वर के समक्ष और परमेश्वर के प्रति है, इसलिए यह किसी धर्म के निर्वाह अथवा परिवर्तन की नहीं केवल उस मनुष्य और परमेश्वर के बीच की बात है और इसमें किसी अन्य मनुष्य अथवा धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं है। यह ना किसी दबाव, ना किसी भय, ना किसी लालच और ना किसी के प्रभावित किए जाने इत्यादि के द्वारा संभव है - क्योंकि परमेश्वर प्रत्येक मनुष्य की किसी बाहरी बात को नहीं वरन मन की वस्तविक दशा को जाँचता है और उसे कोई धोखा नहीं दे सकता। ना ही यह परिवर्तन किसी रीति-रिवाज़ के पालन अथवा क्रीया-अनुष्ठान के माध्यम से संभव है, क्योंकि परमेश्वर ना तो मनुष्यों के रीति-रिवाज़ों और क्रिया-अनुष्ठानों से बन्धा है और ना ही उनके आधीन है और इन बातों के द्वारा सच्चे और जीवते परमेश्वर को कोई किसी बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यह प्रत्येक व्यक्ति का पापों से हट कर परमेश्वर के साथ पवित्रता में चलने का स्वेच्छा से लिया गया निर्णय है। इस मन फिराव की सच्चाई एवं सार्थकता बोलने भर से नहीं वरन उस व्यक्ति के जीवन, व्यवहार और विचारों में आए परिवर्तन द्वारा विदित एवं प्रमाणित होती है (मत्ती ३:८)।

   यही सुसमाचार है - पाप-स्वभाव तथा पाप के दासत्व से निकलकर परमेश्वर के साथ पवित्रता का जीवन प्रभु यीशु में संभव है और संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है, और इसी मन-फिराव के लिए परमेश्वर आज भी पृथ्वी के समस्त लोगों को सुसमाचार प्रचार द्वारा बुला रहा है - आप को भी। - मार्विन विलियम्स


मन-फिराव का अर्थ पाप से इतनी घृणा करना है कि पाप-स्वभाव से पलट जाने की लालसा जीवन में सर्वोपरी हो जाए।

और यरूशलेम से ले कर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी [यीशु] के नाम से किया जाएगा। - लूका २४:४७

बाइबल पाठ: मत्ती ३:१-१२
Matthew 3:1 उन दिनों में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल में यह प्रचार करने लगा। कि
Matthew 3:2 मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
Matthew 3:3 यह वही है जिस की चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई कि जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो।
Matthew 3:4 यह यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्‍त्र पहिने था, और अपनी कमर में चमड़े का पटुका बान्‍धे हुए था, और उसका भोजन टिड्डियां और बनमधु था।
Matthew 3:5 तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस पास के सारे देश के लोग उसके पास निकल आए।
Matthew 3:6 और अपने अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लिया।
Matthew 3:7 जब उसने बहुतेरे फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिये अपने पास आते देखा, तो उन से कहा, कि हे सांप के बच्‍चों तुम्हें किस ने जता दिया, कि आने वाले क्रोध से भागो?
Matthew 3:8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ।
Matthew 3:9 और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है।
Matthew 3:10 और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।
Matthew 3:11 मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।
Matthew 3:12 उसका सूप उस के हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा, और अपने गेहूं को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने की नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २१-२२ 
  • मत्ती २८

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

खज़ाना


   मेरा पालन-पोषण अमेरिका के मिस्सूरी प्रांत के एक ग्रामीण इलाके में हुआ था। उसी इलाके में, १९वीं शताब्दी का कुख्यात अपराधी जैस्सी जेम्स भी रहा करता था। मैं और मेरे मित्र मानते थे कि निश्चित रुप से जैस्सी जेम्स ने कोई खज़ाना वहाँ पर कहीं दबा रखा था, और हम आस पास के जंगलों मे उस खज़ाने को ढूंढते रहते थे, इस आशा में कभी ना कभी हम धन से भरा कोई थैला अवश्य खोज निकालेंगे। अपने इस प्रयास में हम कभी कभी एक वृद्ध लकड़हारे से भी टकरा जाते। वर्षों तक हमने उस लकड़हारे को फटेहाल दशा में लकड़ी काटते और मार्गों पर खाली बोतलों और टिन के डब्बों को जमा करते देखा, जो उसके लिए एक प्रकार का खज़ाना थे। इस रास्ते के कबाड़ को उठाकर वह बेच देता और उन पैसों से अपने लिए कुछ खरीद कर अपने टूटे-फूटे घर में चला जाता। उसके मरने के पश्चात उसके परिवार के लोगों ने जब उसके घर की तलाशी ली तो उस जर्जर घर में नोटों के कई बण्डल उन्हें मिले!

   उस लकड़हारे के समान ही, जिसने अपने पास विद्यमान खज़ाने की अन्देखी करते हुए अपने जीवन को व्यर्थ ही दरिद्रता में बिता दिया, हम मसीही विश्वासी भी परमेश्वर के वचन बाइबल के अद्भुत खज़ानों को नज़रन्दाज़ करते रहते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर के वचन की सभी बातें हमारे उपयोग के लिए हैं, और हर खंड तथा बात के वहां लिखे जाने का उद्देश्य है। जितना अधिक हम परमेश्वर के वचन को जानेंगे और मानेंगे, उतना ही अधिक हमारे जीवन सफलता तथा शांति से भरे होंगे।

   उदाहरणस्वरूप, थोड़ा विचार कीजिए, लैव्यवस्था नामक पुस्तक में कितनी बहुमूल्य बातें छिपी हैं। लैव्यवस्था के १९वें अध्याय के केवल ७ पदों में ही परमेश्वर ने हमारी शिक्षा के लिए कितनी महत्वपुर्ण बातें रख दीं हैं। इस खंड में परमेश्वर हमें सिखा रहा है कि निर्धन एवं असहायों की सहायता हमें बिना उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाए करनी है (पद ९, १०, १४); हमें अपने व्यवसाय ईमानदारी के साथ चलाने हैं (पद ११, १३, १५); अपने दैनिक जीवन में परमेश्वर को आदर देना है (पद १२)।

   यदि थोड़े से पदों में इतना बहुमूल्य खज़ाना छिपा हो सकता है, तो ज़रा विचार कीजिए कि यदि हम परमेश्वर के वचन बाइबल से नियमित रूप से और प्रतिदिन खोजेंगे तो कितना कुछ पा सकेंगे। परमेश्वर ने अपना खज़ाना हमारे हाथों में दे दिया है, उसका उपयोग करना हमारी ज़िम्मेवारी है। - रैंडी किलगोर


बाइबल का हर शब्द एक उद्देश्य के साथ लिखा गया है; बाइबल की हर बात बहुमूल्य है।

मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। - भजन ११९:१८

बाइबल पाठ: भजन ११९:९-१५
Psalms 119:9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
Psalms 119:10 मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
Psalms 119:11 मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
Psalms 119:12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
Psalms 119:13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
Psalms 119:14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
Psalms 119:15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १९-२० 
  • मत्ती २७:५१-६६


शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

उद्देश्य


   "मेरे बालों को सूखने में इतना समय क्यों लग रहा है?" मैंने थोड़ा परेशान होते हुए अपने आप से प्रश्न किया। मैं जल्दी में थी और शरद ऋतु के ठण्डे मौसम में गीले बालों के साथ बाहर जाना नहीं चाहती थी। मैने अपने बाल सुखाने वाली मशीन को ध्यान से देखा और कारण सामने आ गया - अपनी भतीजी के उपयोग के लिए मैंने मशीन में उषमा का स्तर को ’मध्यम’ किया हुआ था, और अब अपने प्रयोग के लिए उसे पुनः ’उषम’ पर करना भूल गई थी। मैंने स्तर को अपनी आवश्यकता के अनुसार उषम किया और जल्द ही मेरे बाल सूख गए और मैं अपने काम पर बाहर निकल सकी।

   मैं कई बार विचार करती हूँ कि काश जीवन की परिस्थितियों को भी मैं उतनी ही सरलता से नियंत्रित और परिवर्तित कर सकती जैसे उस बाल सुखाने वाली मशीन को करती हूँ। यदि ऐसा हो पाता तो मैं अपने लिए जीवन की परिस्थितियों का स्तर ’हल्का’ ही रखती - ना बहुत ठण्डा और ना ही बहुत गर्म, बस आरामदेह। निश्चित बात है कि मैं कभी भी सताव की गर्मी और क्लेषों की ज्वाला को नहीं चुनती। लेकिन आत्मिक जीवन में हल्की गर्मी से काम नहीं चलता।

   परमेश्वर ने हम मसीही विश्वसियों को पवित्रता के लिए बुलाया है, पवित्र होना, अर्थात परमेश्वर के लिए पृथक होना - हर उस बात से जो परमेश्वर की दृष्टि में मलिन या अशुद्ध है; और पवित्रता जलाने वाला तापमान मांगती है। हमें परिशुद्ध करने के लिए कभी कभी परमेश्वर हमें दुख की भट्टी से होकर निकलने देता है। लेकिन साथ ही उसका अपने हर विश्वासी के साथ यह वायदा भी है कि "... जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी" (यशायाह ४३:२); ध्यान कीजिए, परमेश्वर ने ’यदि’ नहीं कहा, उसने कहा ’जब’, अर्थात ऐसा होना ही है। इसी संदर्भ में, प्रेरित पतरस ने अपनी पत्री में मसीही विश्वासियों को चिताया कि "हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है" (१ पतरस ४:१२)।

   हम में से कोई नहीं जानता कि कब हमें अग्नि से होकर निकलना पड़ेगा, या जिस भट्टी से हमें निकलना होगा उसका तापमान कितना होगा। लेकिन हम इतना जानते हैं कि उस भट्टी से होकर निकलने देने में परमेश्वर का उद्देश्य हमें नाश करना नहीं वरन हमें शुद्ध और निर्मल करना है जिससे हम उसके लिए और भी अधिक उपयोगी हों तथा और भी अधिक उसकी महिमा का कारण ठहरें और हमारे जीवन उसकी आशीषों के फलों से भर जाएं। उस भट्टी में हम अकेले नहीं होंगे, हमारा परमेश्वर भी हमारे साथ होगा और सहायक होगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी पवित्रता को परिशुद्ध करने के लिए परमेश्वर हमारे आस-पास के तापमान को बढ़ा देता है।

जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी। - यशायाह ४३:२

बाइबल पाठ: यशायाह ४३:१-१३
Isaiah 43:1 हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है।
Isaiah 43:2 जब तू जल में हो कर जाए, मैं तेरे संग संग रहूंगा और जब तू नदियों में हो कर चले, तब वे तुझे न डुबा सकेंगी; जब तू आग में चले तब तुझे आंच न लगेगी, और उसकी लौ तुझे न जला सकेगी।
Isaiah 43:3 क्योंकि मैं यहोवा तेरा परमेश्वर हूं, इस्राएल का पवित्र मैं तेरा उद्धारकर्ता हूं। तेरी छुड़ौती में मैं मिस्र को और तेरी सन्ती कूश और सबा को देता हूं।
Isaiah 43:4 मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है और मैं तुझ से प्रेम रखता हूं, इस कारण मैं तेरी सन्ती मनुष्यों को और तेरे प्राण के बदले में राज्य राज्य के लोगों को दे दूंगा।
Isaiah 43:5 मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूं; मैं तेरे वंश को पूर्व से ले आऊंगा, और पच्छिम से भी इकट्ठा करूंगा।
Isaiah 43:6 मैं उत्तर से कहूंगा, दे दे, और दक्खिन से कि रोक मत रख; मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी की छोर से ले आओ;
Isaiah 43:7 हर एक को जो मेरा कहलाता है, जिस को मैं ने अपनी महिमा के लिये सृजा, जिस को मैं ने रचा और बनाया है।
Isaiah 43:8 आंख रहते हुए अन्धों को और कान रहते हुए बहिरों को निकाल ले आओ!
Isaiah 43:9 जाति जाति के लोग इकट्ठे किए जाएं और राज्य राज्य के लोग एकत्रित हों। उन में से कौन यह बात बता सकता वा बीती हुई बातें हमें सुना सकता है? वे अपने साक्षी ले आएं जिस से वे सच्चे ठहरें, वे सुन लें और कहें, यह सत्य है।
Isaiah 43:10 यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने इसलिये चुना है कि समझ कर मेरी प्रतीति करो और यह जान लो कि मैं वही हूं। मुझ से पहिले कोई ईश्वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा।
Isaiah 43:11 मैं ही यहोवा हूं और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं।
Isaiah 43:12 मैं ही ने समाचार दिया और उद्धार किया और वर्णन भी किया, जब तुम्हारे बीच में कोई पराया देवता न था; इसलिये तुम ही मेरे साक्षी हो, यहोवा की यह वाणी है।
Isaiah 43:13 मैं ही ईश्वर हूं और भविष्य में भी मैं ही हूं; मेरे हाथ से कोई छुड़ा न सकेगा; जब मैं काम करना चाहूं तब कौन मुझे रोक सकेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १७-१८ 
  • मत्ती २७:२७-५०


गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

मित्रता


   सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट फेसबुक को सन २००४ में कॉलेज के छात्रों के आपस में इन्टरनैट द्वारा संपर्क बनाए रखने के लिए आरंभ किया गया था। अब यह सभी के लिए खुली है, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर इसके करोड़ों सद्स्य हैं और केवल व्यक्ति ही नहीं संस्थाएं, पत्रिकाएं, व्यवसाय इत्यादि सभी इस के द्वारा अपनी मौजूदगी को बताते हैं और संपर्क बढ़ाते हैं। फेसबुक के प्रत्येक सद्स्य का अपना पृष्ठ होता है जिसपर वह अपने बारे में विवरण, अपनी फोटो, अपनी पसन्द-नापसन्द इत्यादि लिख कर प्रदर्षित कर सकता है; यह जानकारी केवल उसके ’मित्र’ ही देख सकते हैं। यहाँ पर ’मित्र’ बनाने का अर्थ है उसे अपने पृष्ठ पर दी गई जानकारी को देखने की अनुमति देना और उसके साथ संपर्क तथा संवाद के लिए द्वार खोलना। फेसबुक की यह ’मित्रता’ अनौपचारिक तथा सतही, अथवा प्रगाढ़ हो सकती है; मित्रता चाहे जैसी भी हो, लेकिन सदा ही होती है मित्रता का निमंत्रण देने और स्वीकार करने के द्वारा ही।

   प्रभु यीशु ने, अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से थोड़े से समय पहले ही अपने शिष्यों से कहा था, "जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना १५:१४-१५)।

   सच्ची मित्रता की पहचान उसके निस्वार्थ, एकमन और पूर्णतः भरोसेमन्द होने से होती है। प्रभु यीशु ने मित्रता के यह गुण निभा कर दिखाए, न केवल तत्कालीन चेलों के प्रति, वरन तब से अब तक अपने ऊपर विश्वास करने वाले प्रत्येक जन के प्रति भी। उसने संसार के हर जन के लिए अपने प्राण बलिदान किए जिससे कि उन्हें पापों की क्षमा और उद्धार का मार्ग मिल जाए। तब से लेकर अब तक उसका निमंत्रण संसार के हर जन के लिए खुला है। जो उसके निमंत्रण को स्वीकार करता है और उससे पापों की क्षमा माँग कर अपने जीवन को उसे समर्पित करता है, वह उसके मन में बसता है, उसके पाप के दोष को मिटा देता है, उसके मन की मलिनता को स्वच्छ करता है, सदा उस के साथ बना रहता है, उसे शांति और सामर्थ देता है, जीवन के निर्णयों और समस्याओं में उसका मार्गदर्शन और उसकी सहायता करता है और परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार का सदस्य बना देता है। 

   पिछले लगभग दो हज़ार वर्षों से संसार के करोड़ों करोड़ लोगों ने प्रभु यीशु के निमंत्रण को स्वीकार करके अनन्त और आशीषित जीवन पाया है और परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार का अंग, मसीह यीशु के साथ परमेश्वर के राज्य के संगी वारिस बन गए हैं - क्या आप भी उन में से एक हैं? यदि नहीं, तो प्रभु यीशु का निमंत्रण आपके लिए अभी भी खुला है; इस सन्देश के द्वारा उसने एक बार फिर अपना हाथ आपकी ओर बढ़ाया है; अब उसके इस बढ़े हुए हाथ को थामना या उसे ठुकरा देना यह आपका निर्णय है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु हमारी मित्रता का अभिलाषी रहता है।

जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। - यूहन्ना १५:१४

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:९-१७
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो।
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो।
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं।
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १५-१६ 
  • मत्ती २७:१-२६


बुधवार, 13 फ़रवरी 2013

महान एवं महिमामय


   यरुशलेम में परमेश्वर यहोवा के मन्दिर में गाए जाने वाले एक स्तुतिगीत के शब्द "चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं" (भजन ४६:१०) परमेश्वर की महानता पर मनन करने को स्मरण कराते हैं। परमेश्वर की महिमा करते रहना और उसकी महानता को स्मरण रखना उसके प्रति सही रवैया बनाए रखने और अपने जीवनों में उसे उचित प्राथमिक स्थान पर बनाए रखने में हमारी बहुत सहायता करता है। परमेश्वर की महिमा और अपने जीवनों में उसे महान रखने के लिए हम उसके गुण, उसके नाम और उसके व्यक्तित्व को आधार बना सकते हैं।

   उसके गुण - यहोवा पूर्णतः विश्वासयोग्य, अनन्त, सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी, सर्व-विद्यमान, अपरिवर्तनीय, अटल, परम-पवित्र, कृपालु, धीरजवन्त, न्यायी, निष्पक्ष, अपरिमित परमेश्वर है। वह पूर्णतः सिद्ध, धर्मी, बुद्धिमान, महिमामय है। वह अपनी सृष्टि से प्रेम रखता है, उनके साथ व्यक्तिगत रीति पर संपर्क रखता है, उनके प्रति करुणामय रहता है और उनके लिए सुलभ एवं उपलब्ध रहता है। वह त्रिएक तथा स्वयंभू है।

   उसके नाम - परमेश्वर यहोवा को उसके वचन बाइबल में अनेक संज्ञाएं दी गईं हैं जो उसके गुणों को दिखाती हैं। बाइबल उसे सृजनहार, पालनहार, तारणहार, प्रेम, ज्योति, उद्धारकर्ता, रक्षक, अच्छा चरवाहा, प्रभु, पिता, शिक्षक भी कहती है। उसे सांत्वना देने वाला, महान, न्यायी, ’मैं हूँ’, सर्वशक्तिमान कहकर भी संबोधित किया गया है।

   उसका व्यक्तित्व - यहोवा शत्रु शैतान के विरुद्ध हमारी ढाल है; वह हमारी सामर्थ है; वह हमारा मार्गदर्शक है; वह संकट के समय हमारा दृढ़ गढ़ है जो अपने बच्चों की सुरक्षा अपनी आँख की पुतली के समान करता है, उनके लिए हर आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराता है, उनकी सामर्थ से बाहर किसी परीक्षा में उन्हें पड़ने नहीं देता और प्रतिपल उनकी देखभाल करता रहता है क्योंकि वह ना तो कभी ऊँघता है और ना कभी सोता है।

   परमेश्वर के गुणों पर मनन करें; उसके नामों पर विचार करें; उसके व्यक्तित्व को सराहें। उसे आदर दें, उसकी उपासना करें, उससे प्रेम करें, उसे अपने जीवनों में प्रथम स्थान दें, उसकी आज्ञाकारिता में बने रहें, उसे अपने जीवनों द्वारा संसार के समक्ष महान करें। यही सच्ची आराधना है, यही मसीही विश्वासी के जीवन का उद्देश्य है। - डेव ब्रैनन


जितने प्राणी हैं सब के सब याह की स्तुति करें! याह की स्तुति करो! - भजन १५०:६

...मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन ४६:१०

बाइबल पाठ: भजन ४६
Psalms 46:1 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक।
Psalms 46:2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं;
Psalms 46:3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें।।
Psalms 46:4 एक नदी है जिसकी नहरों से परमेश्वर के नगर में अर्थात परमप्रधान के पवित्र निवास भवन में आनन्द होता है।
Psalms 46:5 परमेश्वर उस नगर के बीच में है, वह कभी टलने का नहीं; पौ फटते ही परमेश्वर उसकी सहायता करता है।
Psalms 46:6 जाति जाति के लोग झल्ला उठे, राज्य राज्य के लोग डगमगाने लगे; वह बोल उठा, और पृथ्वी पिघल गई।
Psalms 46:7 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 46:8 आओ, यहोवा के महाकर्म देखो, कि उसने पृथ्वी पर कैसा कैसा उजाड़ किया है।
Psalms 46:9 वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है, और रथों को आग में झोंक देता है!
Psalms 46:10 चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
Psalms 46:11 सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १४ 
  • मत्ती २६:५१-७५

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2013

ज्वालामुखी


   उसमें विस्फोटक शक्ति है, अपने मार्ग में आने वाली हर वस्तु को वह भस्म कर डालता है और उसका प्रभाव आणविक विस्फोट के समान विनाशकारी होता है। जब क्रोध किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बना कर प्रदर्षित किया जाए तब वह किसी फटते हुए ज्वालामुखी के समान ही होता है। क्रोध के आवेश का वह समय चाहे थोड़े सी देर का ही हो लेकिन अपने पीछे ध्वस्त भावनाएं, आहत संबंध और पीड़ादायक कटु अनुभव छोड़ जाता है जो लंबे समय तक कष्ट देते रहते हैं।

   दुख की बात यह भी है कि वे लोग जिनसे हम प्रेम करते हैं और जिनके साथ हम समय व्यतीत करते हैं, वे ही हमारे क्रोध और आहत करने वाले शब्दों का सबसे अधिक शिकार होते हैं। चाहे हम आवेश में आकर क्रोधित हों या किसी बात से उकसाए गए हों, प्रतिक्रीया के लिए एक चुनाव सदा ही हमारे हाथ में होता है - हमारी प्रतिक्रीया क्रोध में होगी या संयम तथा सहनशीलता के साथ।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो" (इफिसियों ४:३१-३२)।

   यदि आप क्रोध करने की आदत से परेशान हैं और इसके कारण आपके संबंधों पर प्रभाव आ रहा है तो अपनी इस कमज़ोरी को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप दें क्योंकि उसी की सामर्थ से आप इस पर जयवंत हो सकते हैं: "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों ४:१३)। परमेश्वर से अपने अनियंत्रित व्यवहार और क्रोध के लिए क्षमा माँगें और उस से प्रार्थना करें कि वह आपको अपनी भावनाओं और आवेश को नियंत्रित करने की सामर्थ दे तथा दूसरों को अपने से अधिक आदर देने वाला बनाए: "भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो" (रोमियों १२:१०)। अन्य परिपक्व मसीही विश्वासियों से सहायता लें, उनकी संगति में रहें और उनसे सीखें कि उत्तेजित होने पर अपने आप को कैसे संयम में रखें।

   यदि परमेश्वर का आदर करने, उसे प्रसन्न करने तथा उसके प्रेम को दूसरों के सामने प्रदर्शित करने की सच्ची मनोभावना मन में होगी तो अपने ज्वालामुखी समान क्रोध पर जयवन्त भी अवश्य होंगे। - सिंडी हैस कैसपर


दूसरों पर अपना क्रोध उँडेल देना क्रोध से छुटकारा पाने का तरीका नहीं है।

क्रोध करने वाला मनुष्य झगड़ा मचाता है और अत्यन्त क्रोध करने वाला अपराधी होता है। - नीतिवचन २९:२२

बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२०-३२
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १३ 
  • मत्ती २६:२६-५०


सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

स्वाभाविक बात


   जिम प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार केरी के साथ बाँट रहा था। जिम ने केरी को समझाया कि कैसे पाप स्वभाव के साथ जन्म लेने और पापी होने के कारण परम पवित्र परमेश्वर के साथ सभी मनुष्यों के संबंध में रुकावट है और वे परमेश्वर की संगति से दूर हैं। जिम ने यह भी समझाया कि कैसे प्रभु यीशु ने समस्त मानवजाति के पापों को अपने ऊपर लेकर उनके पाप का दण्ड उनके स्थान पर सह लिया और अब प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा प्रभु यीशु की धार्मिकता हमें मिल जाती है और परमेश्वर के साथ संबंध तथा संगति की हर बाधा दूर हो जाती है। केरी उद्धार और पापों से क्षमा के सुसमाचार को मानने से बार बार एक ही बात को लेकर इनकार करती रही। केरी का कहना था कि जैसे जिम अब उससे बाँट रहा है वैसे ही, "प्रभु यीशु को अपने जीवन में ग्रहण कर लेने के बाद क्या मुझे भी इस बात को दूसरों के साथ बाँटना होगा? यदि हाँ तो वह मैं यह नहीं कर सकती, यह मेरे व्यक्तित्व के अनुरूप नहीं है इसलिए मैं प्रभु यीशु को ग्रहण नहीं करुंगी।"

   जिम ने उसे फिर समझाया कि प्रभु यीशु के बारे में दूसरों को बताना प्रभु को ग्रहण करने के लिए कोई शर्त नहीं है; लेकिन हाँ प्रभु यीशु को ग्रहण कर लेने के बाद केरी स्वाभाविक रूप से और स्वतः ही संसार के सामने प्रभु यीशु की राजदूत अवश्य ही हो जाएगी (२ कुरिन्थियों ५:२०)। कुछ समय तक विचार करने के बाद केरी ने अपने पापों के लिए प्रभु यीशु से क्षमा मांगी, अपना जीवन प्रभु को समर्पित किया और प्रभु यीशु को अपने जीवन में आमंत्रित करके उसे अपने दिल में रहने का स्थान दिया। जिम के पास से वह प्रसन्नता तथा मन में आलौकिक शांति के साथ विदा हुई, वह बहुत रोमांचित भी थी। अगले २४ घंटों में कुछ अद्भुत और सर्वथा अनपेक्षित हो गया - अपने आप ही केरी ने तीन अन्य लोगों के साथ उस बात को बाँटा जो परमेश्वर ने उसके जीवन में करी, अर्थात अपने पापों की क्षमा और उद्धार पाने के बारे में, और उन्हें प्रभु यीशु के बारे में बताया!

   क्योंकि हम मसीही विश्वासीयों का प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप हो गया है, इसलिए परमेश्वर ने अब हमें यह मेल-मिलाप की सेवा भी सौंप दी है (पद १८) और अब "हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो" (पद २०)। यदि सेंत-मेंत मिले पापों की क्षमा और उद्धार के लिए हम परमेश्वर के धन्यवादी होंगे तो जो परमेश्वर ने हमारे जीवनों में जो किया है उसे दूसरों के साथ बाँटना हमारे लिए एक स्वाभाविक बात होगी। - ऐने सेटास


मसीह यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार से भला कोई समाचार नहीं है; इसे प्रसारित करते रहिए।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - २ कुरिन्थियों ५:१७

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:१२-२१
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं।
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए।
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा।
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे।
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है।
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है।
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो।
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ११-१२ 
  • मत्ती २६:१-२५


रविवार, 10 फ़रवरी 2013

शुभकामनाएं


   सिंगापुर में चीनी नव वर्ष के सामाजिक एवं व्यावसायिक सामूहिक प्रीतिभोज अधिकांशतः एक विशेष प्रकार के भोजन से आरंभ होते हैं जो बिना पकाए ही कई वस्तुओं को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। परंपरा है कि जितने लोग भोज में उपस्थित होते हैं वे सब मिलकर इन सब वस्तुओं को एक बर्तन में एक साथ मिलाते हैं और ऐसा करते हुए एक दूसरे के लिए नववर्ष में सौभाग्य लाने के लिए कुछ बातों को बोलते रहते हैं। इस भोजन पदार्थ का नाम है यू शेंग जो कि चीनी भाषा में ’समृद्धि का वर्ष’ कहे जाने के जैसा ही सुनाई पड़ता है।

   हमारे शब्द आते समयों के लिए हमारी भावनाओं और आशाओं को व्यक्त कर सकते हैं लेकिन वे शब्द किसी के जीवन में समृद्धि ला नहीं सकते। यह सामर्थ तो केवल परमेश्वर के पास है, इसलिए अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि हम विचार करें और जानें कि परमेश्वर हम से आते समयों के लिए क्या आशा रखता है।

   फिलिप्पी के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने उनसे कहा, "मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए" (फिलिप्पियों १:९)। फिलिप्पी की मण्डली पौलुस के साथ सहभागी रही थी और वह भी उनसे बहुत प्रेम करता था (फिलिप्पियों १:५, ७) लेकिन पौलुस यह भी चाहता था कि वे परस्पर प्रेम में भी और अधिक बढ़ते जाएं। पौलुस केवल उनसे परमेश्वर के ज्ञान में ही बढ़ने की आशा नहीं रखता था लेकिन उस परमेश्वरीय प्रेम में भी जो कि परमेश्वर के साथ निकट संबंध होने से आता है। परमेश्वर को निकटता से जानने से ही हम सही और गलत के भेद को समझने और फिर उसे जीवनों में लागू करने में सक्षम होने पाते हैं।

   नववर्ष में लोगों को अपनी शुभकामनाएं देना भला है, लेकिन हमारी हार्दिक इच्छा परमेश्वरीय प्रेम में बढ़ते जाने की होनी चाहिए जिससे हमारे जीवन धार्मिकता के फलों से सुसज्जित होकर परमेश्वर की महिमा का कारण ठहरें (फिलिप्पियों १:११)। - सी. पी. हिया


जिनके पास परमेश्वर के लिए दिल होता है वे दिल में लोगों को जगह देना भी जानते हैं।

मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए। - फिलिप्पियों १:९

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:३-१२
Philippians1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।
Philippians1:12 हे भाइयों, मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि मुझ पर जो बीता है, उस से सुसमाचार ही की बढ़ती हुई है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ८-१० 
  • मत्ती २५:३१-४६