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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

पुनःअवलोकन


   गाड़ियों में चालक के सामने दर्पण लगे होते हैं जिनमें चालक पीछे की ओर देख सकता है। जीवन के लिए मेरा सदा ही यह मानना रहा है कि पीछे की ओर देखने से आप परमेश्वर के अदृश्य हाथ को अपने जीवन में कार्यकारी स्पष्टता से देख सकते हैं। जब हम पीछे की ओर, जीवन के बीते समयों और अनुभवों को, देखते हैं तो हमारे लिए यह समझना सरल हो जाता है कि परमेश्वर ने हमें उस स्थान पर क्यों रखा जहाँ हम अपने आप को पाते हैं; क्यों कुछ लोगों और परिस्थितियों को हमारे जीवन में आने या हमारे जीवन से जाने दिया; क्यों हमें परेशानियों और तकलीफों को झेलने दिया; क्यों वह हमें भिन्न स्थानों पर लेकर गया; क्यों कुछ नौकरियाँ दिलवाईं और कार्य करवाए या नहीं करने दिए।

   मैंने अपने जीवन में परमेश्वर की बुद्धिमता और प्रेम को बेहतर समझा है जब मैंने उन बातों पर मनन किया जो मेरी जीवन यात्रा से संबंधित रही हैं - क्योंकि मैं और मेरी जीवन यात्रा उसी के हाथ की कारिगरी ही तो हैं (भजन ९२:४)। भजनकार के साथ मैं भी आनन्दित होता हूँ यह देखकर कि कैसे परमेश्वर ने मेरी भी सहायता करी, मेरा भी मार्गदर्शन किया और मेरी सफलताओं का भी कर्ता रहा है (भजन १११)।

   जीवन यात्रा में आगे की ओर देखने पर हमें मार्ग इतना स्पष्ट नहीं दिखता जितना पीछे देखने पर दिखता है। जब किसी यात्रा में मार्ग कोहरे से ढका हो, टेढ़ा-मेढ़ा हो, उबड़-खाबड़ हो तब क्या आपने भय और अनिश्चितता का अनुभव किया है? आते समय, परिस्थितियाँ और हालात ऐसे हि अनिश्चित तथा भयावह लगते हैं। अगले वर्ष में प्रवेश करने से पहले जीवन यात्रा के पीछे की ओर देखने वाले दर्पण में एक दृष्टि डालें, और अपने जीवन काल का पुनःअवलोकन करें। आप आनन्द के साथ एहसास करेंगे कि जब परमेश्वर ने कहा: "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" तो उसने यह वायदा पूरी गंभीरता से किया और उसे निभाया है (इब्रानियों १३:५)। "इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है" (इब्रानियों १३:६)।

   जीवन के पुनःअवलोकन द्वारा प्रमाणित परमेश्वर के सदा साथ बने रहने और सहायक होने के वायदे में विश्वास के साथ आप आते २०१३ में पूरे आत्मविश्वास तथा निडरता से प्रवेश कर सकते हैं। क्योंकि उसके वायदे अटल हैं इसलिए वह जैसे बीते समय में आपके साथ रहा है वैसे ही आगे भी रहेगा। - जो स्टोवैल


बीते समयों में मिला परमेश्वर का मार्गदर्शन आते समयों के लिए हमें साहस देता है।

क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा। - भजन ९२:४

बाइबल पाठ: भजन १११
Ps 111:1  याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।
Ps 111:2  यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उन से प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं।
Ps 111:3  उसके काम का वैभवमय और ऐश्वरर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
Ps 111:4  उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।
Ps 111:5  उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।
Ps 111:6  उसने अपनी प्रजा को अन्यजातियों का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है।
Ps 111:7  सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,
Ps 111:8  वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
Ps 111:9  उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भय योग्य है।
Ps 111:10  बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • मलाकी १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य २२

रविवार, 30 दिसंबर 2012

संतुलन


   महान भौतिक शास्त्री और नोबल पुरुस्कार विजेता एल्बर्ट आईन्सटाईन ने अपने पुत्र एड्युअर्ड को लिखे एक पत्र में उसे सलाह दी थी: "जीवन एक साईकिल चलाने के समान है। अपना संतुलन बनाए रखने के लिए आगे बढ़ते रहना अनिवार्य है।" यह सलाह बहुत बुद्धिमतापूर्ण और व्यावहरिक है।

   यही सलाह मसीही जीवन पर भी लागू होती है। ऐसे बहुत से मसीही विश्वासी हैं जो अपने विश्वास के सहारे कठिन और दुखदाई परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहते हैं, परन्तु यदि वे किसी व्यक्तिगत नैतिक पराजय में पड़ जाते हैं तो अपने जीवन का संतुलन खो कर निराशाओं में गिर जाते हैं। फिर उनके जीवन में पछताते हुए हाथ मलते रहना और अपने आप को परमेश्वर की क्षमा के अयोग्य समझना उन्हें उठने नहीं देते और वे अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम अनेक ऐसे पात्रों को पाते हैं जो अपने जीवनों में गंभीर पराजयों में पड़े: इब्राहिम ने फिरौन से अपनी पत्नि सारा के बारे में झूठ बोला (उत्पत्ति १२:११-१७); याकूब ने अपने भाई की आशीषें पाने के लिए अपने पिता को धोखा दिया (उत्पत्ति २७:१८-२९); मूसा ने परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता करी और चट्टान से बोलने की बजाए उस पर लाठी से चोट करी (गिनती २०:७-१२)। इनकी असफलताओं के बावजूद इनके विषय में इब्रानियों ११:३९ में लिखा गया है: "...और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई...।" बाइबल के ये पात्र अन्ततः प्रशंसा के पात्र इसलिए बने क्योंकि अपने गिरने के बाद ये गिरे हुए नहीं पड़े रहे, वरन इन्होंने पुनः परमेश्वर की ओर दृष्टि करी और फिर से उसके पीछे चल निकले।

   क्या किसी पाप में पड़ने के कारण या कोई गलत निर्णय लेने के कारण आप अपना आत्मिक संतुलन खो बैठे हैं और अपने आप को गिरा हुआ अनुभव कर रहे हैं? अपनी गलती अथवा पाप के लिए पश्चाताप करें और अनुग्रह में पुनः अवसर देने वाले परमेश्वर प्रभु यीशु से क्षमा मांगें। वह आपको फिर से उठा कर खड़ा करेगा और आगे बढ़ने की सामर्थ देगा - यह उसका वायदा है: "" (१ यूहन्ना १:९)। - डेनिस फिशर


हमारा परमेश्वर पुनः अवसर देने वाला परमेश्वर है।

धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्त करता है। - भजन ३४:१९

बाइबल पाठ: इब्रानियों ११:३२-४०
Heb 11:32  अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं।
Heb 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए।
Heb 11:34 आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया।
Heb 11:35 स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों।
Heb 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्‍धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए।
Heb 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे।
Heb 11:38  और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे।
Heb 11:39  संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली।
Heb 11:40  क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।
एक साल में बाइबल: ज़कर्याह १३-१४ प्रकाशितवाक्य २१

शनिवार, 29 दिसंबर 2012

मानकस्तर


   इंटरनैट के आरंभिक दिनों में इंटरनैट के विकास करने वाले अपने अपने मानक और स्तर बनाते थे, जिसका परिणाम था गड़बड़। जो एक कंप्यूटर पर अच्छा दिखता था, वह किसी अन्य कंप्यूटर पर अस्त-व्यस्त होता था और पढ़ा नहीं जा सकता था। इसलिए लोगों ने इंटरनैट को अनियंत्रित और अस्त-व्यस्त जाल कहना आरंभ कर दिया। इस गड़बड़ी में से व्यस्थित स्वरूप को लाने के लिए विकास करने वालों ने एक दूसरे के साथ संपर्क कर के कुछ सामान्य मानकस्तर बनाए जो सबके लिए एक समान हों और सब जिनका पालन करें। इन समान रूप से लागू नियमों एवं स्तरों के अन्तर्गत कार्य करने से ही इंटरनैट पर व्याप्त गड़बड़ समाप्त हुई, अव्यवस्थित व्यवस्थित हो गया और इंटरनैट विकसित होकर सबके लिए लाभकारी बन गया।

   समाज के उत्थान और सुचारू रूप से कार्य करने तथा सब के लिए लाभकारी होने के लिए भी समान मानकस्तर आवश्यक हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि जब इस्त्राएल को परमेश्वर मिस्त्र की गुलामी से निकाल कर लाया तो उनके जीवन को व्यवस्थित रूप से व्यतीत करने के लिए कुछ नियम दिए जो सब के लिए एक समान लागू होने थे (व्यवस्थाविवरण ४:१)। यदि ये नियम ना होते तो गड़बड़ तथा अराजकता होती; परन्तु इन नियमों के कारण इस्त्राएली समाज इतना व्यवस्थित और सुचारू रूप से चलने वाला था कि यह बात वहां की अन्य जातियों में इस्त्राएल के परमेश्वर की महिमा का कारण ठहरी (व्यवस्थाविवरण ४:८)।

   आज पाप और स्वार्थ से भरे इस अव्यवस्थित संसार में जहाँ हर कोई अपनी ही चलाना चाहता है, दुसरों को नियंत्रित करके उन पर पर हावी रहना चाहता है, मसीही विश्वासी मसीह की व्यवस्था के आधीन रहते हैं (गलतियों ६:२) क्योंकि मसीह स्वयं परमेश्वर कि व्यवस्था की परिपूर्णता है (मत्ती ५:१७)। जब हम मसीह द्वारा स्थापित मानक स्तर के आधीन हो जाते हैं और जैसा परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया, वैसा ही प्रेम दूसरों के साथ भी करने लगते हैं तो ना केवल हम आपस में शांति तथा सामनजस्य से रहने लगते हैं वरन साथ ही संसार के सामने गवाही रखते हैं के हमारा उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर कितना महान और कैसा अतुल्य है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर तथा दूसरे लोगों के प्रति हमारे प्रेम के द्वारा ही लोग जानने पाएंगे कि हमारा परमेश्वर कितना महान है।

फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं? - व्यवस्थाविवरण ४:८

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ४:१-१०
Deut 4:1  अब, हे इस्राएल, जो जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूं उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिस से तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ।
Deut 4:2  जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना।
Deut 4:3  तुम ने तो अपनी आंखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या क्या किया; अर्थात जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभों को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला;
Deut 4:4  परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो।
Deut 4:5  सुनो, मैं ने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उस में तुम उनके अनुसार चलो।
Deut 4:6  सो तुम उन को धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।
Deut 4:7  देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब कि हम उसको पुकारते हैं?
Deut 4:8  फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं?
Deut 4:9  यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो जो बातें तुम ने अपनी आंखों से देखीं उन को भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहे; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना।
Deut 4:10  विशेष कर के उस दिन की बातें जिस में तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझ से कहा था, कि उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊं, जिस से वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने लड़के बालों को भी यही सिखाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह ९-१२ 
  • प्रकाशितवाक्य २०

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

समीक्षा


   दिसंबर माह के अन्तिम सप्ताह में समाचार संपादक वर्ष की समीक्षा करते हैं और मुख्य घटनाओं का ब्यौरा बनाते हैं - प्रमुख व्यक्तियों की सफलताएं और असफलताएं, प्राकृतिक आपदाएं, आर्थिक चुनौतियाँ,  नेताओं, गण-मान्य तथा प्रतिभाशाली व्यक्तियों की मृत्यु इत्यादि सब उनकी समीक्षा का विषय होते हैं और सबसे अधिक आश्चर्यजनक या चौंका देने वाली बातें उनके द्वारा प्रस्तुत विवरण में प्राथमिकता पाती हैं।

   यदि आप अपने जीवन के बीते वर्ष की समीक्षा करें तो आपकी सूची में क्या आएगा? क्या अपने जीवन में घटी किसी अप्रत्याशित घटना के कारण आप ने परमेश्वर और उसके कार्यों पर कोई प्रश्नचिन्ह लगाया, या, वह घटना, आपके लिए उसकी भलाई को और भी गहरे रूप में अनुभव करने का माध्यम बनी?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन ७७ भजनकार के विलाप और अनुभव हैं। भजनकार को लगा जैसे परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है, उसपर से अपना अनुग्रह हटा लिया है: "क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा? क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है? क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है?" (भजन ७७:७-९)। परन्तु अपने दुख में भी भजनकार ने निश्चय किया कि, "मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा" (भजन ७७:११)। उसके इस निर्णय का परिणाम हुआ परमेश्वर में उसके विश्वास और आशा की पुनःस्थापना: "अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है" (भजन ७७:१४)।

   इस वर्ष की समीक्षा करते हुए अपने जीवन की मुख्य घटनाओं को लिख लें। अपनी इस समीक्षा के ब्यौरे में जीवन कि कठिनाईयों और निराशाओं को सम्मिलित करने से ना हिचकिचाएं; साथ ही उन बातों को भी स्मरण करें जिनमें आप ने परमेश्वर कि उपस्थिति अपने साथ बनी हुई अनुभव करी। आपकी समीक्षा आपको दिखाएगी कि हर कठिन परिस्थिति में परमेश्वर आपके प्रति विश्वासयोग्य और भला ही रहा है। - डेविड मैक्कैसलैंड



जीवन में आने वाली कठिनाईयाँ परमेश्वर की विश्वासयोग्यता अनुभव करने के अवसर होते हैं।

मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा। - भजन ७७:११

बाइबल पाठ: भजन ७७:१-१४
Ps 77:1  मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Ps 77:2  संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Ps 77:3  मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Ps 77:4  तू मुझे झपक्की लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Ps 77:5  मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Ps 77:6  मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Ps 77:7  क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Ps 77:8  क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Ps 77:9  क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Ps 77:10  मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Ps 77:11  मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Ps 77:12  मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Ps 77:13  हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Ps 77:14  अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह ५-८ 
  • प्रकाशितवाक्य १९

गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

वास्तविक स्वामित्व


   एक चर्च के बाहर गाड़ियां खड़ी करने के लिए स्थान की कमी होने लगी। यह चर्च एक दुकान से सटा हुआ था और वह दुकान इतवार वाले दिन बन्द रहती थी। इसलिए चर्च के एक सदस्य ने जाकर दुकान के मालिक से अनुमति चाही कि वे इतवार को आराधना के समय उसकी दुकान के आगे गाड़ियाँ खड़ी कर सकें। दुकान का मालिक मान गया और बोला, "कोई समस्या नहीं; वर्ष के ५१ इतवार आप गाड़ियाँ दुकान के सामने खड़ी कर सकते हैं किंतु ५२वें इतवार को इसकी अनुमति नहीं होगी।" चर्च का वह सदस्य इस अनुमति के लिए दुकानदार का आभारी हुआ, किंतु उत्सुकतावश दुकान के मालिक से पूछा ५२वें इतवार को क्यों नहीं? दुकान मालिक ने मुसकुराते हुए उत्तर दिया, "जिससे आप लोगों को स्मरण रहे कि वह स्थान आपके चर्च का नहीं है।"

   परमेश्वर जो हमें शारीरिक और आत्मिक आशीर्वाद देता है, उन्हें अपना मान लेना या उनपर अपना अधिकार मान लेना हमारे लिए बहुत सरल होता है। इसीलिए हमें थोड़ा ठहरकर परमेश्वर के वचन बाइबल की बात को बार बार स्मरण करते रहना चाहिए कि हमारी प्रत्येक बात का वास्तविक स्वामी परमेश्वर ही है: "हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है" (१ इतिहास २९:११)। हमारे शरीर भी हमारे अपने नहीं हैं: "क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो। क्योंकि दाम देकर मोल लिए गए हो, इसलिए अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो" (१ कुरिन्थियों ६:१९-२०)।

   १ तीमुथियुस ६:१७ हमें स्मरण दिलाता है कि "इस संसार के धनवानों को आज्ञा दे, कि वे अभिमानी न हों और चंचल धन पर आशा न रखें, परन्‍तु परमेश्वर पर; जो हमारे सुख के लिये सब कुछ बहुतायत से देता है।" परमेश्वर ने भरपूरी से हमें अपनी भलाई और भली बातें दीं हैं; जो कुछ उसने हमें दिया है यदि उस सब के वास्तविक स्वामी के स्वामित्व को पहचानते हुए उसके द्वारा दी गई इन आशीषों का प्रयोग तथा उपयोग उसकी महिमा के लिए करेंगे, और वह हमें फिर और भी अधिक आशीषों की भरपूरी देगा। - सिंडी हैस कैसपर


परमेश्वर हमें आशीषें देता है जिससे हम उसे महिमा दे सकें।

क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। - कुलुस्सियों १:१६

बाइबल पाठ: भजन ९५:१-७
Psa 95:1  आओ हम यहोवा के लिये ऊंचे स्वर से गाएं, अपने उद्धार की चट्टान का जयजयकार करें! 
Psa 95:2  हम धन्यवाद करते हुए उसके सम्मुख आएं, और भजन गाते हुए उसका जयजयकार करें! 
Psa 95:3  क्योंकि यहोवा महान ईश्वर है, और सब देवताओं के ऊपर महान राजा है। 
Psa 95:4  पृथ्वी के गहिरे स्थान उसी के हाथ में हैं; और पहाड़ों की चोटियां भी उसी की हैं। 
Psa 95:5  समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया, और स्थल भी उसी के हाथ का रख है।
Psa 95:6  आओ हम झुककर दण्डवत् करें, और अपने कर्ता यहोवा के साम्हने घुटने टेकें! 
Psa 95:7  क्योंकि वही हमारा परमेश्वर है, और हम उसकी चराई की प्रजा, और उसके हाथ की भेड़ें हैं। भला होता, कि आज तुम उसकी बात सुनते!

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य १८

बुधवार, 26 दिसंबर 2012

प्रतिक्रिया


   मेरी पत्नि मुझे बता रही थी कि उसका दिन कैसा रहा; उसने दिन में घटित एक रोचक घटना भी बताई। हमारी दो वर्षीय पोती एलियाना हमारे पास आई हुई थी और खिलौनों से खेल रही थी। खेलते हुए जब एलियाना ने घर के एक अन्य भाग में जाना चाहा तो उसकी दादी अर्थात मेरी पत्नि ने उससे कहा, "एलियाना, पहले अपने खिलौने संभाल कर रख दो, फिर जाना।" बिना क्षण भर भी रुके या सोचे, तपाक से एलियाना का चौंका देने वाला उत्तर आया, "अभी मेरे पास समय नहीं है!" भला वह दो वर्ष की बच्ची किस बात में इतनी व्यस्त रही होगी कि उसके पास समय ना हो? वास्तविक बात समय का ना होना नहीं वरन आज्ञाकारिता की इच्छा ना होना थी जिसके लिए एलियाना ने समय को बहाना बना दिया।

   मैं सोचता हूँ कि ऐसे ही कई दफा परमेश्वर भी हमारी भलाई और सुरक्षा के लिए उसके द्वारा दी हुई आज्ञाओं के प्रति हमारी अनाज्ञाकारिता और फिर बहानेबाज़ी की प्रतिक्रीयाओं से ऐसे ही विस्मित होता होगा।

   उदहरणस्वरूप, विचार कीजिए, प्रभु यीशु कहता है: "हे सब बोझ से दबे और थके लोगों मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूंगा" (मत्ती ११:२८); और हम प्रत्युत्तर में कहते हैं, "मेरी समस्याएं अनेक और परिस्थितियाँ बहुत विषम हैं, मुझे स्वयं ही इनका समाधान खोज लेने दें!" परमेश्वर कहता है: "शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ (भजन ४६:१०); और हमारी प्रतिक्रीया होती है, "मैं बहुत व्यस्त हूँ, अभी मैं शांत नहीं हो सकता; परमेश्वर के लिए समय नहीं दे सकता!" परमेश्वर कहता है: "पवित्र बनो क्योंकि तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है" (१ पतरस १:१६), और हम उत्तर देते हैं, "लेकिन संसार और संसार की बातों में तो इतना मज़ा है; थोड़ा आनन्द इनका भी ले लेना चाहिए!" इन सब और ऐसी ही अन्य बातों में परमेश्वर हमारी प्रतिक्रिया के बारे में क्या सोचता होगा?

   परमेश्वर ने कह दिया है; अब उसकी आज्ञाकारिता ही एकमात्र उचित प्रतिक्रिया है उसके प्रति अपने प्रेम और आदर को दिखाने की। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए सर्वोत्तम प्रेर्णा परमेश्वर को प्रसन्न रखने की हमारी इच्छा है।

इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानों, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घ जीवन यही है... - व्यवस्थाविवरण ३०:२०

बाइबल पाठ: याकूब १:२१-२७
Jas 1:21   इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है। 
Jas 1:22  परन्‍तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 
Jas 1:23  क्‍योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है। 
Jas 1:24  इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्‍त भूल जाता है कि मैं कैसा था। 
Jas 1:25  पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है। 
Jas 1:26   यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। 
Jas 1:27  हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों ओर विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।

एक साल में बाइबल: 
  • हाग्गै १-२ 
  • प्रकाशितवाक्य १७

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

विस्मयकारी


   परमेश्वर के वचन बाइबल के मत्ती तथा लूका रचित सुसमाचारों में लिखी गई प्रभु यीशु के जन्म की गाथा से हम इतने परिचित हो गए हैं कि उसकी वास्तविकता और महत्व हमारे लिए बहुत साधारण रह गया है। जो कुछ उस समय पर हुआ उस पर ज़रा विचार कीजिए: एक स्वर्गदूत एक कुँवारी कन्या, मरियम, से आकर कहता है कि वह पवित्र आत्मा की सामर्थ से गर्भवती होगी (लूका १:२६-३८); फिर वह स्वर्गदूत उस कन्या के मंगेतर, यूसुफ, से कहता है कि जाकर उसे ब्याह लाए और होने वाले बच्चे का नाम यीशु रखे क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा (मत्ती १:२१)। रात में अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहे चरवाहों को स्वर्गदूतों का समूह दिखाई देता है और बेतलेहम में जगत के उद्धारकर्ता मसीह यीशु के जन्म का समाचार देता है (लूका २:११)। सैंकड़ों मील की दूरी तय करके ज्योतिषी आकर उस राजा होने वाले बालक का पता पूछते हैं कि उसे दण्डवत कर सकें (मत्ती २:२)। सब कुछ कितना विस्मयकारी है!

   लेकिन इस से भी अधिक विस्मयकारी वह प्रतिक्रीया है जो इन सभी पात्रों ने अपने तक पहुँचे परमेश्वर के सन्देश को दी। मरियम, यूसुफ, चरवाहों और ज्योतिषियों ने ठीक वही किया जैसा उन से कहा गया था। मरियम ने अपने आप को परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दिया; यूसुफ उसे अपनी पत्नि बनाकर अपने घर ले आया; चरवाहे अपनी भेड़ों को छोड़कर शिशु यीशु को ढ़ूँढ़ने बेतलेहम चले गए और ज्योतिषी एक तारे के पीछे पीछे चल निकले। इनमें से किसी को भी पता नहीं था कि अब इसके बाद क्या होगा, इन सब ने केवल परमेश्वर में विश्वास के सहारे अपने कदम बढ़ा लिए कि उन से कहे गए को पूरा करें। अति विस्मयकारी!

   विश्वास में होकर परमेश्वर की आज्ञा मानने वाले इन लोगों के नाम २००० वर्ष से भी अधिक से लेकर आजतक संसार भर में आदर के साथ लिए जाते हैं, जो आदर और ख्याति इन्होंने विश्वास के एक कदम द्वारा इस पार्थिव संसार में प्राप्त करी है वह संसार के सब से वैभवशाली और पराक्रमी अधिपति भी अपने सारे सामर्थ और जीवन काल की मेहनत से कभी अर्जित नहीं कर पाए; लेकिन इससे भी बढ़कर बात तो यह है कि इनके नाम और काम परमेश्वर के अटल, अविनाशी और अमिट वचन में सदा के लिए आदर के साथ दर्ज हो गए हैं जहाँ वे आते काल और समयों में भी कीर्ति पाते रहेंगे।

   इस क्रिसमस के समय हमारे विश्वास की दशा कैसी है? क्या अनिश्चितता के समयों और अभिभूत कर देने वाली परिस्थितियों में मैं और आप भी परमेश्वर पर ऐसा ही विश्वास दिखाएंगे और उसके आज्ञाकारी होंगे? जब हम परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहते हैं, समयों और हालातों पर नहीं वरन अपनी नज़रें परमेश्वर पर लगाए रहते हैं तो परिणाम वास्तव में विस्मयकारी होते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


विश्वास यात्रा का लक्ष्य नहीं जानता किंतु यात्रा पर अगुवाई करने वाले को जानता है, उसे मानता है और उससे प्रेम रखता है। - चेम्बर्स

सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। - मत्ती १:२४

बाइबल पाठ: मत्ती १:१८-२५
Mat 1:18  अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। 
Mat 1:19  सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की। 
Mat 1:20  जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्‍वर्गदूत उसे स्‍वप्‍न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्‍तान, तू अपनी पत्‍नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्‍योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। 
Mat 1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्‍योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। 
Mat 1:22  यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था वह पूरा हो। 
Mat 1:23  कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है परमेश्वर हमारे साथ। 
Mat 1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्‍नी को अपने यहां ले आया। 
Mat 1:25  और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उस ने उसका नाम यीशु रखा।

एक साल में बाइबल: 
  • सपन्याह १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य १६

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

पृथ्वी पर शान्ति?


   मैं स्वर्गदूतों दोषी ठहराना नहीं चाहता और ना ही उनके साथ कोई बहस करना चाहता हूँ, किंतु यह भी सच है कि मैं अकसर सोचता रहता हूँ कि पृथ्वी पर जिस शान्ति का वायदा स्वर्गदूतों ने प्रभु यीशु के जन्म के समय चरवाहों से किया था उसका क्या हुआ? प्रभु यीशु के जन्म के पश्चात पिछले २००० वर्षों से शान्ति इस पृथ्वी पर एक दुर्लभ बात ही रही है। तब से अब तक अनेक युद्ध अनेक स्थान पर लड़े गए और अनगिनित निर्दोष लोग मारे गए; पारिवारिक कलह और अशान्ति सारे संसार में एक बढ़ता हुआ रोग है जो परिवारों को बरबाद कर रहा है तथा जीवनों में अशान्ति फैला रहा है। समाज में तलाक की संख्या बढ़ती  ही जा रही है, प्रभु की मण्डलियों में भी विभाजन बढ़ते जा रहे हैं और हमारे अशान्त मनों में शान्ति एक सपने की तरह लगती है।

   वह वायदा करी गई शान्ति आखिर है कहाँ? थोड़ा सा विचार और मनन करें तो समझ में आता है कि प्रभु यीशु अपने साथ पृथ्वी पर शान्ति के लिए प्रत्येक आवश्यक बात लेकर आए थे। उन्होंने अपने चेलों को आश्वस्त किया: "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना १४:२७)। उन्होंने शान्ति के सिद्धांत सिखाए और बताए: लोग अपने पड़ौसियों से अपने समान प्रेम रखें; उन्होंने सिखाया कि हम अपने सताने वालों की ओर अपना दुसरा गाल भी फेर दें, उनके साथ अतिरिक्त मील तक जाएं, लालच से परे रहें, एक दूसरे की कमज़ोरियों को सह लें, और एक दूसरे की सेवा और एक दूसरे से वैसे ही प्रेम करें जैसे प्रभु यीशु ने हमसे किया है। यह सब करने की सामर्थ देने के लिए उन्होंने अपने प्रत्येक विश्वासी को अपना आत्मा प्रदान किया जो सदा उनके साथ रहता है।

   सच तो यह है कि इस शान्ति को लाना प्रभु ने हमारे ही हाथों में छोड़ा है। परमेश्वर के वचन बाइबल से भी हम यही सीखते हैं; प्रेरित पौलुस ने रोमियों के नाम अपनी पत्री में लिखा: "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों १२:१८)। पृथ्वी पर शान्ति की विधि प्रभु यीशु ने सिखाई है, उसके लिए आवश्यक सामर्थ भी प्रदान करी है, लेकिन उसे कार्यान्वित करना हमारे ही हाथों में है।

   इस क्रिसमस पर जब हम शान्ति के राजकुमार प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव मनाते हैं तो पृथ्वी के लोगों को अपने जीवनों द्वारा व्यावाहरिक रूप से प्रभु यीशु की शान्ति की भेंट प्रदान करें। - जो स्टोवैल


जब हम परमेश्वर के साथ मेल और शान्ति को अपने जीवनों में स्थान देंगे तो उसे दूसरों के साथ भी बांटने पाएंगे।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना १४:२७

बाइबल पाठ: रोमियों १२:९-२१
Rom 12:9  प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। 
Rom 12:10  भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Rom 12:11  प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Rom 12:12  आशा में आनन्‍दित रहो; क्‍लेश मे स्थिर रहो; प्रार्थना मे नित्य लगे रहो। 
Rom 12:13   पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Rom 12:14   अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Rom 12:15  आनन्‍द करने वालों के साथ आनन्‍द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। 
Rom 12:16  आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्‍तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो। 
Rom 12:17  बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्‍ता किया करो। 
Rom 12:18   जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो। 
Rom 12:19  हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्‍तु क्रोध को अवसर दो, क्‍योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। 
Rom 12:20  परन्‍तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्‍योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा। 
Rom 12:21  बुराई से न हारो परन्‍तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • हबक्कुक १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य १५

रविवार, 23 दिसंबर 2012

इलाज


   यदि आप का चिकित्सक आपको फोन करके गंभीर आवाज़ में कहे कि, "जितना शीघ्र हो सके आप मेरे पास चले आईए; मुझे आप के साथ कुछ अति आवश्यक बातचीत करनी है" तो आप समझ जाएंगे कि उसके पास आपके लिए कोई बुरी खबर है। यह सुनकर चाहे आपकी प्रथम प्रतिक्रीया हो कि, "नहीं! मुझे यह नहीं जानना है" फिर भी आप जाकर उसकी सुनते हैं क्योंकि जब तक आप रोग को नहीं जान लेते, उसका उपचार भी नहीं जान सकते।

   सृष्टि के महानतम चिकित्सक परमेश्वर के पास भी मानव जाति के लिए एक बुरी खबर है - उसकी आत्मिक दशा के बारे में। जब परमेश्वर के निर्देषों और आज्ञा के विरुद्ध हमारे आदि माता-पिता आदम तथा हव्वा ने वर्जित फल खाया और पाप किया तब परमेश्वर ने उनसे कहा कि अब समस्त मानव जाति आत्मिक तथा शारीरिक रूप से मृत्यु को भोगेगी - यही वह बुरी खबर है।

   परन्तु इसके साथ ही परमेश्वर ने इसका निवारण भी दिया - उसने एक उद्धारकर्ता का वायदा किया (उत्पत्ति ३:१५)। प्रेरित यूहन्ना हमें बताता है कि "इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई, परन्‍तु अनुग्रह, और सच्‍चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची" (यूहन्ना १:१७)। लेकिन इस से हमें कैसे लाभ होता है? प्रभु यीशु ने इस संसार में जन्म लिया जिस से परमेश्वर का अनुग्रह मनुष्य तक पहुँच सके; वह अनुग्रह जिसके हम में से कोई भी योग्य नहीं है, क्योंकि आदम और हव्वा के समान ही हम सब ने भी पाप किया है और परमेश्वर से दूर हैं। किंतु पाप के द्वारा जो दुषप्रभाव हमारे जीवन में आए, प्रभु यीशु उन्हें पलटने के लिए आया, और केवल वह ही इस के लिए सक्षम है। प्रभु यीशु वह सत्य है (यूहन्ना १४:६) जो हमें परमेश्वर के पास लौटा लाता है; वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करने आया (मत्ती १:२१)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में होकर देखिए कि परमेश्वर आपकी आत्मिक दशा के बारे में क्या कहता है। अपने पाप-रोग की पहचान के बाद उससे उसके निवारण को भी जान लीजिए, और प्रभु यीशु में पाप से मुक्ति तथा उद्धार की मुफ्त भेंट को स्वीकार कर लीजिए। - सी. पी. हीया


पाप से उत्पन्न आत्मिक अन्धापन केवल प्रभु यीशु में पापों की क्षमा से ही ठीक हो सकता है।

इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई, परन्‍तु अनुग्रह, और सच्‍चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची। - यूहन्ना १:१७

बाइबल पाठ: यूहन्ना १:१०-१८
Joh 1:10  वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्‍पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
Joh 1:11   वह अपने घर में आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
Joh 1:12  परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
Joh 1:13  वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्‍छा से, न मनुष्य की इच्‍छा से, परन्‍तु परमेश्वर से उत्‍पन्न हुए हैं। 
Joh 1:14  और वचन देहधारी हुआ, और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। 
Joh 1:15  यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी, और पुकारकर कहा, कि यह वही है, जिस का मैं ने वर्णन किया, कि जो मेरे बाद आ रहा है, वह मुझ से बढ़कर है क्‍योंकि वह मुझ से पहिले था। 
Joh 1:16  क्‍योंकि उस की परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्‍त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह। 
Joh 1:17  इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्‍तु अनुग्रह, और सच्‍चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची। 
Joh 1:18   परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया।

एक साल में बाइबल: 
  • नहूम १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य १४

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

स्तर


   मेरे पुत्र और पुत्रवधु के पास एक १२० पौंड वज़न का पालतु बुल्डौग है, उसका शरीर ताकतवर और मुँह खतरनाक दिखने वाला है और नाम है ’बडी’। जब तक हम ’मित्र’ नहीं हो गए बडी मुझ से आशंकित रहता था। जब मैं खड़ा रहता था तो वह मेरी नज़रों से अपनी नज़रें नहीं मिलाता था और दूर ही रहता था। फिर एक दिन मैं ने समझा कि यदि मैं नीचे ज़मीन पा आजाऊँ तो बडी का रवैया बदल जाता है, और वह मुझ से भयभीत नहीं रहता। मैंने ऐसा ही किया और मुझे अपने स्तर पर देखकर बडी मुझ से भयभीत नहीं रहा, मेरे पास आ गया, मेरा ’मित्र’ हो गया। उसके बाद से वह निसंकोच मेरे पास आकर मुझसे खेलने लगा और मेरे हाथों से अपनी पीठ सहलवाने के लिए प्रयासरत रहने लगा।

   बडी के इस व्यवहार से मुझे परमेश्वर के मसीह यीशु के रूप में इस पृथ्वी पर मानव स्तर और रूप में आने का भेद समझने में सहायता मिली। जब से हमारे आदि माता-पिता ने पाप किया और परमेश्वर की उपस्थिति से छुपने का प्रयास किया, तब से ही मानव जाति परमेश्वर के पास परमेश्वर की शर्तों पर आने से भयभीत रही है (यूहन्ना ३:२०)।

   क्योंकि हमारे लिए परमेश्वर के स्तर तक उठ पाना संभव नहीं था, इसीलिए, जैसे यशायाह भविष्यद्वकता ने भविष्यद्वाणी करी थी, परमेश्वर ने हम मनुष्यों को अपने पास ले आने के लिए हमारे स्तर पर उतर आना स्वीकार किया। एक निम्न कोटि के सेवक के समान जीवन व्यतीत करके और हमारे पापों के लिए अपने आप को बलिदान करके उसने हमारे पापों के दण्ड को हमारे स्थान पर सह लिया और हमें दण्ड सहने से मुक्त कर दिया। वह चाहता है कि हम अपने आत्मिक अन्धकार से निकलें (यशायाह ४२:७); वह हमें मित्र बनाना चाहता है (यूहन्ना १५:१५); फिर उसपर विश्वास करने से क्यों डरना? क्या आपने मसीह यीशु को अपना मित्र बना लिया है? - मार्ट डी हॉन


अति महान और वैभवशाली परमेश्वर प्रभु यीशु में अति दीन और विनम्र दास बन गया।

मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है; मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा; कि तू अन्धों की आंखें खोले, बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धियारे में बैठे हैं उनको कालकोठरी से निकाले। - यशायाह ४२:६-७

बाइबल पाठ: यशायाह ४२:१-७
Isa 42:1  मेरे दास को देखो जिसे मैं संभाले हूं, मेरे चुने हुए को, जिस से मेरा जी प्रसन्न है; मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा। 
Isa 42:2  न वह चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, न सड़क में अपनी वाणी सुनायेगा।
Isa 42:3  कुचले हुए नरकट को वह न तोड़ेगा और न टिमटिमाती बत्ती को बुझाएगा; वह सच्चाई से न्याय चुकाएगा। 
Isa 42:4  वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे; और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।
Isa 42:5  ईश्वर जो आकाश का सृजने और तानने वाला है, जो उपज सहित पृथ्वी का फैलाने वाला और उस पर के लोगों को सांस और उस पर के चलने वालों को आत्मा देने वाला यहोवा है, वह यों कहता है: 
Isa 42:6  मुझ यहोवा ने तुझ को धर्म से बुला लिया है; मैं तेरा हाथ थाम कर तेरी रक्षा करूंगा; मैं तुझे प्रजा के लिये वाचा और जातियों के लिये प्रकाश ठहराऊंगा; कि तू अन्धों की आंखें खोले, 
Isa 42:7  बंधुओं को बन्दीगृह से निकाले और जो अन्धियारे में बैठे हैं उनको कालकोठरी से निकाले।

एक साल में बाइबल: 
  • मीका ६-७ 
  • प्रकाशितवाक्य १३

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

खुला मार्ग


   मैं अकसर विश्वास से संबंधित बातों के बारे में अचरज के साथ सोचता हूँ। उदाहर्ण के रूप में, मैं जब किसी हवाईअड्डे पर खड़ा होता हूँ तो अनेक विशिष्ट दिखने वाले लोगों को व्यस्तता इधर से उधर जाते देखता हूँ। वे हाथों में अपने ब्रीफकेस लिए, कुछ देर को किसी कौफी की दुकान पर रुकते हैं और फिर किसी अगले सम्मेलन अथवा व्यवसायिक मीटिंग पर अपनी हवाई यात्रा पर निकल लेते हैं। मैं सोचता हूँ, क्या ये लोग कभी परमेश्वर के बारे में सोचने पाते हैं?

   मसीही विश्वासी दो समानन्तर विश्वों में एक अजीब से विश्वास के साथ जीते हैं। एक विश्व है इस भौतिक संसार का, जहां इमारतें हैं, तरह तरह के वस्त्र हैं, व्यवसाय की व्यसतता है, और लोग एक से दूसरे स्थान पर पैसा कमाने के लिए दौड़ते रहते हैं; और धन अर्जित करते करते, बिना पूरी तरह से उस अर्जित धन का उपयोग किए ही संसार से खाली हाथ ही कूच भी कर जाते हैं। दूसरा विश्व है आत्मिक शक्तियों, स्वर्गदूतों और किसी अदृश्य स्थान में बसे स्वर्ग और नरक का। इस भौतिक विश्व को तो हम देख और अनुभव कर सकते हैं, परन्तु अपने आप को उस अदृश्य विश्व का नागरिक मानने के लिए एक असाधारण विश्वास की आवश्यकता होती है।

   क्रिसमस वह समय है जब इन दोनों विश्वों के प्रभु का इस भौतिक संसार में प्रवेश मनाया जाता है; वह आया कि इस संसार के नियमों के अन्तर्गत जीवन जी कर इस नाशमान भौतिक विश्व से उस अदृश्य अनन्त विश्व के स्वर्ग देश में मानव जाति के प्रवेश का मार्ग बना कर संसार को प्रदान करे। प्रभु यीशु के आगमन ने दोनों विश्वों के बीच का संपर्क का मार्ग बनाया और प्रभु के कार्य तथा बलिदान और मृत्यु पर विजय ने दोनों विश्वों के परस्पर असंगति के निवार्ण का मार्ग खोल कर संसार से स्वर्ग पहुँचने का मार्ग दे दिया।

   इसीलिए प्रभु यीशु के जन्म के समय स्वर्गदूतों ने परमेश्वर की स्तुति करी, क्योंकि अब मनुष्य के लिए परमेश्वर के साथ मेल हो सकने का मार्ग खुलने पर था। आज यह मार्ग संसार के प्रत्येक जन के लिए खुला और उपलब्ध है, प्रभु यीशु में साधारण विश्वास के साथ इस भौतिक संसार में रहते हुए ही उस आते विश्व के लिए अपना भविष्य सुनिश्चित कर लीजीए, क्योंकि इस संसार से कूच करने के बाद स्वर्ग के लिए फिर कोई मार्ग नहीं है।- फिलिप यैन्सी


क्रिसमस का मुख्य श्ब्द है "इम्मैनुएल" अर्थात परमेश्वर हमारे साथ।

आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो। - लूका २:१४

बाइबल पाठ: लूका २:१-१४
Luk 2:1  उन दिनों में औगूस्‍तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं। 
Luk 2:2  यह पहिली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्‍विरिनियुस सूरिया का हाकिम था। 
Luk 2:3   और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने अपने नगर को गए। 
Luk 2:4   सो यूसुफ भी इसलिये कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। 
Luk 2:5   कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए। 
Luk 2:6  उस के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। 
Luk 2:7 और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेट कर चरनी में रखा: क्‍योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। 
Luk 2:8 और उस देश में कितने गड़ेरि्ये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्‍ड का पहरा देते थे। 
Luk 2:9  और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luk 2:10 तब स्‍वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्‍योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्‍द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luk 2:11  कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luk 2:12  और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े मे लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे। 
Luk 2:13 तब एकाएक उस स्‍वर्गदूत के सा्थ स्‍वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्‍तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया। 
Luk 2:14 कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो।

एक साल में बाइबल: 
  • मीका ४-५ 
  • प्रकाशितवाक्य १२

गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

सार्थक समर्पण


   इतिहास में प्रभु यीशु की माता मरियम को आदर का एक उच्च स्थान मिलता रहा है। यह ठीक भी है! स्वयं परमेश्वर ने उसे चुना था कि वह लंबे समय से प्रतीक्षित संसार के मसीहा को पृथ्वी पर जन्म देने वाली बने।

   परन्तु मरियम और उसके जीवन के महत्व में मग्न होने से पहले थोड़ा यह भी विचार कर लें कि इस कार्य के लिए अपने आप को परमेश्वर के हाथों में समर्पित करने का उसके लिए लिए क्या अर्थ रहा होगा। मरियम गलील के इलाके के एक छोटे से गांव में रहने वालि कन्या थी। गांव के सब लोग एक दुसरे को और एक दुसरे की बातों को जानते थे। उसे विवाह से पूर्व ही गर्भवती होने की निन्दनीय दशा में इन सबके सामने रहना था। अपने परिवार और समाज के लोगों को स्वर्गदुत के दर्शन और पवित्र आत्मा की सामर्थ से गर्भवती होने को समझाना उसके लिए लगभग असंभव था। इस गर्भ के कारण यूसुफ से होने वाले उसके रिशते पर भी गंभीर प्रभाव आना ही था - यूसुफ को भी वह क्या बताती और उसे यह सब कैसे समझाती? क्या वह उसका विश्वास करता?

   इन सब बातों और व्यक्तिगत समस्याओं के संदर्भ में, स्वर्गदूत को दिया गया उसका उत्तर विसमित कर देने वाला है; उसने कहा: "देख मैं परमेश्वर की दासी हूँ; तेरे वचन के अनुसार ही मेरे साथ हो" (लूका १:३८)। मरियम के समर्पण के ये शब्द हमें स्मरण दिलाते हैं कि एक महत्वपूर्ण और प्रभावी जीवन से पहले परमेश्वर को हर दशा और हर कीमत पर समर्पित मन बहुत अनिवार्य है।

   हम नहीं जानते कि परमेश्वर किन महत्वपुर्ण बातों और अशीषों की योजना हमारे लिए बनाए हुए है; किंतु वे जो भी हों, उन तक पहुँचने का आरंभ होगा परमेश्वर को सम्पूर्ण समर्पण द्वारा। - जो स्टोवैल


परमेश्वर को संपूर्ण समर्पण परमेश्वर द्वारा जीवन में महान कार्य और आशीष का पहला कदम है।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - १ पतरस ५:६

बाइबल पाठ: लूका १:२६-३८
Luk 1:26  छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्‍वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया। 
Luk 1:27   जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था। 
Luk 1:28  और स्‍वर्गदूत ने उसके पास भीतर आकर कहा; आनन्‍द और जय तेरी हो, जिस पर ईश्वर का अनुग्रह हुआ है, प्रभु तेरे साथ है। 
Luk 1:29   वह उस वचन से बहुत घबरा गई, और सोचने लगी, कि यह किस प्रकार का अभिवादन है? 
Luk 1:30  स्‍वर्गदूत ने उस से कहा, हे मरियम; भयभीत न हो, क्‍योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। 
Luk 1:31  और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्‍पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना। 
Luk 1:32   वह महान होगा, और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा, और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा। 
Luk 1:33  और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्‍त न होगा। 
Luk 1:34  मरियम ने स्‍वर्गदूत से कहा, यह क्‍योंकर होगा मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं। 
Luk 1:35  स्‍वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया, कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्‍पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। 
Luk 1:36   और देख, और तेरी कुटुम्बिनी इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बांझ कहलाती थी छठवां महीना है। 
Luk 1:37  क्‍योंकि जो वचन परमेश्वर की ओर से होता है वह प्रभावरहित नहीं होता। 
Luk 1:38  मरियम ने कहा, देख, मैं प्रभु की दासी हूं, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो: तब स्‍वर्गदूत उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल: 

  • मीका १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य ११

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

अनन्त जीवन


   आयरलैंड में न्यूग्रैन्ज एक ५००० वर्ष पुराना समाधि-स्थल है जो बोएने घाटी के किसानों द्वारा बनाया गया था। यह अद्भुत स्थल एक एकड़ से भी अधिक ज़मीन पर बना हुआ है, और लोग यहां पर मृत्यु से संबंधित बातों पर चिंतन और मनन के लिए जाया करते थे। यह स्थल साल में एक बार दिसंबर १९-२३ के दिनों में, जब दिन सबसे छोटे होते हैं, १७ मिनिटों के लिए सूर्य की एक किरण के इसके कमरों से होकर निकलने के लिए भी विख्यात है। कुछ लोगों का कहना है कि यह बात मृत्यु पर जीवन की विजय का सामर्थी प्रतीक है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के उत्पत्ति ३ अध्याय में दिए गए पाप के कारण मानव जीवन में आए मृत्यु के अनुभव के बाद से ही मृत्यु मानव जीवन का अवश्यंभावी सत्य और अधिकांश लोगों के लिए एक प्रमुख भय रही है। लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "क्‍योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्मरूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्‍त जीवन में राज्य करेंगे" (रोमियों ५:१७)।

   अदन की वाटिका के उस क्षण से, हमारे आदि माता-पिता के पाप के कारण मृत्यु ने प्रवेश किया और पाप के साथ हम पर प्रभुता करी है। किंतु अब हमें मृत्यु और उसके परिणामों से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। मसीह यीशु में होकर हम अनन्त जीवन की दृढ़ आशा रख सकते हैं क्योंकि मृत्यु पर उसकी जय ने प्रभु यीशु के प्रत्येक विश्वासी को भी यही आशा और अनन्त जीवन प्रदान कर दिया है।

   मसीह यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण कीजिए, और मृत्यु के भय से छुटकारा तथा अनन्त जीवन भी आपको मिल जाएगा। - बिल क्राउडर


मसीह की खाली कब्र हमारे अनन्त जीवन तथा म्रुत्यु पर विजय का निश्चय है।

क्‍योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कारण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्मरूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्‍त जीवन में राज्य करेंगे। - रोमियों ५:१७

बाइबल पाठ: रोमियों ५:१५-२१
Rom 5:15  पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्‍योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Rom 5:16  और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्‍योंकि एक ही के कारण दण्‍ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्‍तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्‍पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Rom 5:17  क्‍योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्मरूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्‍त जीवन में राज्य करेंगे। 
Rom 5:18  इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्‍ड की आज्ञा का कारण हुआ, वेसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित्त धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Rom 5:19  क्‍योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। 
Rom 5:20  और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्‍तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 
Rom 5:21  कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्‍त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।

एक साल में बाइबल: 
  • योना १-४ 
  • प्रकाशितवाक्य १०

मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

मसीह केन्द्रित


   क्या आपने परमेश्वर के वचन बाइबल को समझने के लिए ’मसीह केन्द्रित’ सिद्धांत के बारे में सुना है? सरल शब्दों में, यह सिद्धांत सिखाता है कि जब हम परमेश्वर, स्वर्गदूत, शैतान, मान्वीय आशाएं, इस सारी सृष्टि की सारी बातों को मसीह यीशु से संबंधित करके देखते हैं तो उन्हें बेहतर समझ सकते हैं क्योंकि मसीह यीशु ही सब बातों का केन्द्र बिन्दु है।

   अभी हाल ही में मैंने पाया कि बाइबल के पुराने नियम कि एक पुस्तक - ज़कर्याह नबी की पुस्तक सबसे अधिक मसीह केन्द्रित है। इस पुस्तक में हमें मसीह की मानवता (६:१२), उसकी नम्रता (९:९), उसका पकड़ा जाना (११:१२), उसकी दिव्यता (१२:८), उसका क्रूस पर चढ़ाया जाना (१२:१०), उसकी वापसी (१४:४), और उसका भावी शासन (१४:८-२१) - सब मिलता है।

   इस पुस्तक का एक खण्ड "...तब वे मुझे ताकेंगे अर्यात्‌ जिसे उन्होंने बेधा है..." विशेष अर्थ रखता है। इस भाग में बेधने का तात्पर्य एतिहासिक रूप में घटित इस्त्राएल द्वारा मसीह यीशु का इनकार, जिसके कारण उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, से है। परन्तु यही पद भविष्य की एक ऐसी इस्त्राएली पीढ़ी के बारे में बताती है जो प्रभु यीशु को अपने मसीहा के रूप में स्वीकार कर लेंगे। प्रभु यीशु के दूसरे आगमन के समय, इस्त्राएल के बचे हुए लोगों में से कुछ क्रूस पर चढ़ाए गए प्रभु यीशु को पहचानेंगे और विश्वास में उसकी ओर मुड़ेंगे।

   ज़कर्याह नबी द्वारा लिखित यह पुस्तक हमें मसीह केन्द्रित अन्य सत्यों को - बाइबल के अन्य भागों में और हमारे जीवनों में भी, खोजने को प्रोत्साहित करती है। मसीह केंद्रित जीवन व्यतीत करें, प्रभु यीशु को अपने जीवन का केन्द्र बिन्दु बनाएं, जीवन और जीवन की बातें सरल हो जाएंगी। - डेनिस फिशर


मसीह यीशु वह कुंजी है जो परमेश्वर के वचन बाइबल की समझ को खोल देता है।

और मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करने वाली और प्रार्थना सिखाने वाली आत्मा उण्डेलूंगा, तब वे मुझे ताकेंगे अर्थात जिसे उन्होंने बेधा है, और उसके लिये ऐसे रोएंगे जैसे एकलौते पुत्र के लिये रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिये करते हैं। - ज़कर्याह १२:१०

बाइबल पाठ: ज़कर्याह ६:१२-१५
Zec 6:12  और उस से यह कह, सेनाओं का यहोवा यों कहता है, उस पुरूष को देख जिस का नाम शाख है, वह अपने ही स्थान से उगकर यहोवा के मन्दिर को बनाएगा। 
Zec 6:13  वही यहोवा के मन्दिर को बनाएगा, और महिमा पाएगा, और अपने सिंहासन पर विराजमान होकर प्रभुता करेगा। और उसके सिंहासन के पास एक याजक भी रहेगा, और दोनों के बीच मेल की सम्मति होगी। 
Zec 6:14  और वे मुकुट हेलेम, तोबिय्याह, यदायाह, और सपन्याह के पुत्र हेन को मिलें, और वे यहोवा के मन्दिर में स्मरण के लिये बने रहें।
Zec 6:15  फिर दूर दूर के लोग आ आकर यहोवा के मन्दिर बनाने में सहायता करेंगे, और तुम जानोगे कि सेनाओं के यहोवा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। और यदि तुम मन लगाकर अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करो तो यह बात पूरी होगी।

एक साल में बाइबल: 
  • ओबद्याह 
  • प्रकाशितवाक्य ९

सोमवार, 17 दिसंबर 2012

परमेश्वर का प्रेम


   मैं एक सम्मेलन में भाग ले रहा था। सम्मेलन के एक मनन और प्रार्थना के समय में उस सत्र के हमारे अगुवे ने कहा कि हम सब मिलकर ऊँची आवाज़ में १ कुरिन्थियों १३:४-८ से पढ़ेंगे और इस खण्ड में जहाँ ’प्रेम’ आया है, उसके स्थान पर ’यीशु’ बोलेंगे। यह करना और बोलना हमें बहुत ही स्वाभाविक लगा, और हम सब ने बड़ी सहजता से वह खण्ड यीशु के नाम को डालकर पढ़ा: "यीशु धीरजवन्त है और कृपालु है; यीशु डाह नहीं करता; यीशु अपनी बड़ाई नहीं करता और फूलता नहीं। यीशु अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता...यीशु कभी टलता नहीं।"

   इसके बाद उस अगुवे ने कहा, "अब एक बार फिर से यही खण्ड ऊँची आवाज़ में पढ़ेंगे, किंतु इस बार प्रेम के स्थान पर सब यीशु का नहीं वरन अपना अपना नाम बोलेंगे।" हम सब को यह सुनकर घबराहट और संकोच हुआ। हमारा मन परमेश्वर के वचन के समक्ष हमारी वास्तविकता को बता रहा था, हम अपनी असली हालत जानते थे; बड़ी ठहरी और हिचकिचाती हुई दबी सी आवाज़ में मैंने पढ़ना आरंभ किया: "डेविड धीरजवन्त है और कृपालु है; डेविड डाह नहीं करता; डेविड अपनी बड़ाई नहीं करता और फूलता नहीं। डेविड अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता...डेविड कभी टलता नहीं।"

   इस अभ्यास ने मुझे अपने आप से पूछने पर मजबूर किया, "परमेश्वर के प्रेम को अपने में होकर प्रकट होने में मैं किस किस प्रकार से बाधा बन रहा हूँ?" क्या मैं अपने विश्वास की अभिव्यक्ति को किसी अन्य रीति से करने को अधिक महत्वपूर्ण मानता हूँ? प्रेरित पौलुस ने समझाया है कि परमेश्वर के दृष्टिकोण से वाकपटुता, आत्मिक बातों की गहरी समझ, आत्म-बलिदान की बातें इत्यादि सब व्यर्थ हैं यदि वे प्रेम के साथ नहीं हो (१ कुरिन्थियों १३:१-३)।

   परमेश्वर अपने प्रेम से भरे हृदय को हम मसीही विश्वासियों में होकर संसार पर प्रगट करने की लालसा रखता है। हम उसकी यह लालसा के पूरे होने में कितने सहायक हैं और कितनी बाधा - यह हम सब के लिए व्यक्तिगत रीति से जांचने की बात है? - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीह के समान जीवन जीने का अर्थ है परमेश्वर के समान प्रेम करना।

प्रेम कभी टलता नहीं... - १ कुरिन्थियों १३:८

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३
1Co 13:1  यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं। 
1Co 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्‍तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं। 
1Co 13:3  और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं। 
1Co 13:4 प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है; प्रेम डाल नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। 
1Co 13:5  वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। 
1Co 13:6 कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्‍तु सत्य से आनन्‍दित होता है। 
1Co 13:7  वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। 
1Co 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। 
1Co 13:9 क्‍योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी। 
1Co 13:10 परन्‍तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा। 
1Co 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्‍तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दीं। 
1Co 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्‍तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है, परन्‍तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं। 
1Co 13:13  पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस ७-९ 
  • प्रकाशितवाक्य ८

रविवार, 16 दिसंबर 2012

महान आश्चर्यकर्म


   एक प्रसिद्ध ब्रिटिश सुसमाचार प्रचारक लियोनार्ड रैव्नहिल (१९०७-१९९४) ने एक बार कहा था: "परमेश्वर द्वारा किया जाने वाला एक महान अश्चर्यकर्म है कि वह एक पापी मनुष्य को पापी संसार में से लेकर उसे पवित्र बना दे और उसे फिर से पापी संसार में रख दे और फिर उस संसार में रहते हुए भी उस मनुष्य की पवित्रता को बनाए रखे।" परमेश्वर ने यही यशायाह भविष्यद्वक्ता के साथ किया जब परमेश्वर ने उसे अपने लोगों तक अपना सन्देश पहुँचाने के लिए नियुक्त किया।

   यहूदा के सफल राजाओं में से एक, राजा उज़्ज़ियाह की मृत्यु के बाद यशायाह को परमेश्वर का एक दर्शन मिला जिसमें यशायाह ने परमेश्वर को सृष्टि के अधिपति के रूप में अपनी महिमा में एक भव्य सिंहासन पर बैठे देखा। उस दर्शन में यशायाह ने देखा कि साराप (स्वर्गदूत) परमेश्वर की आराधना कर रहे हैं, उसे पवित्र, पराक्रमी और महिमावान कह रहे हैं।

   परमेश्वर की वास्तविकता को देख कर यशायाह को अपनी वास्तविकता का बोध हुआ, कि परमेश्वर के सम्मुख वह कैसा पापी और अपवित्र है, और यशायाह पुकार उठा "...हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं..." (यशायाह ६:५)। अपनी अपवित्रता और पाप के इस बोध ने उसे परमेश्वर के शुद्ध और पवित्र करने वाले अनुग्रह की आवश्यकता और उपलब्धता का एहसास कराया (पद ७); यशायाह शुद्ध और पवित्र किया गया और फिर परमेश्वर के वचन को लोगों तक पहुँचाने के लिए उसने परमेश्वर की पुकार को स्वीकार किया और नियुक्त किया गया। तब परमेश्वर ने यशायाह को एक अपवित्र संसार में अपवित्र लोगों के बीच में भेजा कि वह एक पवित्र जीवन व्यतीत करे और पवित्र परमेश्वर के बारे में लोगों को बताए।

   आज भी अपने विश्वासियों को परमेश्वर अपनी पवित्रता और उनकी वास्तविकता का बोध कराना चाहता है जिससे कि वे उसके अनुग्रह और पवित्रता की, उनके जीवनों में घोर आवश्यकता को पहचान सकें, उससे वह प्राप्त कर सकें और फिर उसके लिए उपयोगी पात्र बनकर उसके सन्देश को संसार में पहुँचाने वाले बन सकें। यह महान आश्चर्यकर्म वह आपके जीवन में भी करना चाहता है, यदि आप उसको समर्पण के लिए तैयार हैं। - मार्विन विलियम्स


पाप के अन्धकार से भरे जीवनों को परमेश्वर के अनुग्रह की ज्योति पवित्रता से रौशन कर देती है।

और उस ने उस से मेरे मुंह को छूकर कहा, देख, इस ने तेरे होंठों को छू लिया है, इसलिये तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए। - यशायाह ६:७

बाइबल पाठ: यशायाह ६:१-८
Isa 6:1  जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैं ने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मन्दिर भर गया। 
Isa 6:2  उस से ऊंचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छ: छ: पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुंह को ढांपे थे और दो से अपने पांवों को, और दो से उड़ रहे थे। 
Isa 6:3  और वे एक दूसरे से पुकार पुकार कर कह रहे थे: सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है। 
Isa 6:4  और पुकारने वाले के शब्द से डेवढिय़ों की नेवें डोल उठीं, और भवन धूंए से भर गया। 
Isa 6:5  तब मैं ने कहा, हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है! 
Isa 6:6  तब एक साराप हाथ में अंगारा लिए हुए, जिसे उस ने चिमटे से वेदी पर से उठा लिया था, मेरे पास उड़ कर आया। 
Isa 6:7  और उस ने उस से मेरे मुंह को छूकर कहा, देख, इस ने तेरे होंठों को छू लिया है, इसलिय तेरा अधर्म दूर हो गया और तेरे पाप क्षमा हो गए। 
Isa 6:8  तब मैं ने प्रभु का यह वचन सुना, मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा? तब मैं ने कहा, मैं यहां हूं! मुझे भेज।

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस ४-६ 
  • प्रकाशितवाक्य ७

शनिवार, 15 दिसंबर 2012

आधीन


   एक ख्याति प्राप्त महिला ने टी.वी. पर हो रहे साक्षात्कार में स्वीकार किया कि प्रति वर्ष अपने बालों की देख-रेख और उन्हें सजाने संवारने में वे हज़ारों डॉलर तथा सईकड़ों घंटे लगा देती हैं। उसने यह भी स्वीकार किया कि यह उसके लिए व्यसन के समान हो गया है और वह अपने बालों के आधीन हो गई है। आधीन हो जाने का तात्पर्य है कि किसी अन्य के अधिकार या नियंत्रण में हो जाना। अपने आप को सुंदर दिखाने के प्रयास में इस महिला ने अपने जीवन का नियंत्रण अपने बालों को सौंप दिया था।

   इस महिला की कहानी से हमें भी अपने जीवनों को टटोलने की आवश्यक्ता है - हमारी कौन सी इच्छाएं हमें अपनी आधीनता में लिए हुए हैं और हमें नियंत्रित कर रही हैं? क्या हम किसी चीज़ के प्रति ऐसे आसक्त हो जाते हैं कि उसे प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर गुज़रने के लिए तैयार रहते हैं? क्या हम ख्याति, प्रशंसा, धन-संपदा, आनन्द, भोजन, अहम आदि के हाथों अपने जीवन को दे चुके हैं?

   प्रेरित पौलुस ने मसीही विश्वासियों को लिखा "क्‍या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्‍त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्‍त धामिर्कता है" (रोमियों ६:१६)। जब हमारी शारीरिक लालसाएं और सांसारिक इच्छाएं हम पर हावी होने लगें तो समय है परमेश्वर के आधीन हो जाने का और उस के हाथों में अपना नियंत्रण छोड़ देने का "और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो" (रोमियों ६:१३)।

   यदि शरीर और संसार आप पर हावी हैं, आप को अपनी आधीनता में लिए हुए हैं तो परमेश्वर के सामने दीन होकर अपने आप को उसे सौंप दें और उससे प्रार्थना करें कि वह आपको आपके हृदय की वास्तविक दशा दिखाए, उसके लिए पश्चाताप का मन और निवारण दे।


सच्ची स्वतंत्रता अपना मार्ग चुनने और अपनाने में नहीं वरन परमेश्वर की आधीनता में है।

प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा। - याकूब ४:१०

बाइबल पाठ: रोमियों ६:११-२३
Rom 6:11  ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो। 
Rom 6:12   इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो। 
Rom 6:13  और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 
Rom 6:14  और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्‍योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15  तो क्‍या हुआ क्‍या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं कदापि नहीं। 
Rom 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्‍त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्‍त धामिर्कता है? 
Rom 6:17  परन्‍तु परमेशवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे। 
Rom 6:18  और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए। 
Rom 6:19  मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो। 
Rom 6:20  जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्‍वतंत्र थे। 
Rom 6:21  सो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उन से उस समय तुम क्‍या फल पाते थे? 
Rom 6:22  क्‍योंकि उन का अन्‍त तो मृत्यु है परन्‍तु अब पाप से स्‍वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्‍त होती है, और उसका अन्‍त अनन्‍त जीवन है। 
Rom 6:23  क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्‍तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है।

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य ६

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

रवैया


   एक परिवार झील के किनारे पिकनिक मनाने गया। सब लोग पिकनिक का आनन्द ले रहे थे, खेल रहे थे। किसी को ध्यान नहीं रहा और ५ वर्षीय जौनी पानी के अन्दर चलते चलते गहरे में चला गया और डूबने लगा। इतने में किसी ने जौनी के दिखाई ना देने को पहचाना और सब इधर-उधर भाग कर उसे पुकारने और ढूँढने लगे। वहां उपस्थित एक अन्य अजनबी व्यक्ति ने पानी की ओर ध्यान किया और कूछ दूरी पर गोते खाते और हाथ-पैर मारते जौनी को देखा। उसने तुरंत पानी में छलांग लगाई और जौनी को बचाकर तट पर ले आया; उस व्यक्ति ने जौनी को उसके परिवार को सौंपा ही था कि तभी खिसियाई आवाज़ में जौनी की माँ ने अजनबी से कहा, "अरे आप जौनी की टोपी कहाँ छोड़ आए?"

   यही बात कितनी ही दफा हमारे साथ हमारे जीवनों में होती है। हम जीवन कि छोटी छोटी बातों से निराश होकर परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाते हैं, खिसियाते हैं, अपनी असफलताओं के लिए उसे दोषी ठहराते हैं, बजाए इसके कि परमेश्वर द्वारा हमें दी गई अद्भुत आशीषों, उसकी लगातार बनी रहने वाली देख-रेख, उसके प्रेम और दया के लिए, उसके द्वारा दिए गए उद्धार के मार्ग के लिए उसके धन्यवादी हों। जब हम जीवन की छोटी छोटी बातों को लेकर परेशान होते हैं और परमेश्वर को दोष देते हैं तो उस माँ के समान ही हम भी परमेश्वर से पूछ रहे होते हैं "अरे आप जौनी की टोपी कहाँ छोड़ आए?"

   प्रेरित पौलुस ने लिखा "हर बात में धन्यवाद करो: क्‍योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्‍छा है" (१ थिस्सलुनीकियों ५:१८)। चाहे हमें अपने जीवन में घटित होने वाली हर बात के लिए धन्यवाद करना कठिन लगे, किंतु हम हर परिस्थिति में एक धन्यवादी मन रख सकते हैं। हमारी इच्छानुसार यदि कोई कार्य नहीं भी हो, या कोई अप्रत्याशित घटना हमें दुखी कर दे तो भी हम इस बात में विश्वास रख कर कि परमेश्वर हर बात में हमारे लिए भलाई ही उत्पन्न करेगा (रोमियों ८:२८) और अब तक के उसके प्रेम, उसकी भलाइयों के लिए हम उसके धन्यवादी रह सकते हैं। एक धन्यवादी मन ही परमेश्वर के योग्य बलिदान है और अशीषित जीवन जीने के लिए सही रवैया भी। - डेविड रोपर


अपनी समस्याओं में उलझे रहने की बजाए परमेश्वर का धन्यवादी होने में समय बिताएं।

मैं तो निरन्तर आशा लगाए रहूंगा, और तेरी स्तुति अधिक अधिक करता जाऊंगा। - भजन ७१:१४

बाइबल पाठ: भजन ४२
Psa 42:1  जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। 
Psa 42:2  जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं, मैं कब जाकर परमेश्वर को अपना मुंह दिखाऊंगा? 
Psa 42:3  मेरे आंसू दिन और रात मेरा आहार हुए हैं; और लोग दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है? 
Psa 42:4  मैं भीड़ के संग जाया करता था, मैं जयजयकार और धन्यवाद के साथ उत्सव करने वाली भीड़ के बीच में परमेश्वर के भवन को धीरे धीरे जाया करता था; यह स्मरण करके मेरा प्राण शोकित हो जाता है। 
Psa 42:5  हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है? और तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर आशा लगाए रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यवाद करूंगा।
Psa 42:6  हे मेरे परमेश्वर, मेरा प्राण मेरे भीतर गिरा जाता है, इसलिये मैं यर्दन के पास के देश से और हर्मोन के पहाड़ों और मिसगार की पहाड़ी के ऊपर से तुझे स्मरण करता हूं। 
Psa 42:7  तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूं। 
Psa 42:8  तौभी दिन को यहोवा अपनी शक्ति और करूणा प्रगट करेगा; और रात को भी मैं उसका गीत गाऊंगा, और अपने जीवनदाता ईश्वर से प्रार्थना करूंगा।
Psa 42:9  मैं ईश्वर से जो मेरी चट्टान है कहूंगा, तू मुझे क्यों भूल गया? मैं शत्रु के अन्धेर के मारे क्यों शोक का पहिरावा पहिने हुए चलता फिरता हूं? 
Psa 42:10  मेरे सताने वाले जो मेरी निन्दा करते हैं मानो उस में मेरी हडि्डयां चूर चूर होती हैं, मानो कटार से छिदी जाती हैं, क्योंकि वे दिन भर मुझ से कहते रहते हैं, तेरा परमेश्वर कहां है? 
Psa 42:11  हे मेरे प्राण तू क्यों गिरा जाता है? तू अन्दर ही अन्दर क्यों व्याकुल है? परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है, मैं फिर उसका धन्यवाद करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • योएल १-३ 
  • प्रकाशितवाक्य ५

गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

प्रभाव का स्त्रोत


   प्रति वर्ष कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में असाधारण कार्य और छोड़े गए प्रभाव के लिए लोगों को नोबल पुरस्कार दिया जाता है। अर्थ शास्त्र, भौतिक विज्ञान, साहित्य, चिकित्सा, शांति के क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान के लिए इन क्षेत्रों में कार्य कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों को इस परस्कार द्वारा मान्यता दी जाती है। यह पुरस्कार इस बात का सूचक है कि उस व्यक्ति ने अपने कार्य क्षेत्र में वर्षों के प्रशिक्षण, प्रयास, शिक्षा और त्याग द्वारा श्रेष्ठता की एक मिसाल कायम करी है - ये बातें उसके जीवन का वह निवेश रही हैं, जिनके कारण वह अपनी एक अनुपम छाप समाज पर छोड़ सका; ये उसके प्रभाव का स्त्रोत हैं।

   आत्मिक रीति से भी लोग समाज पर विलक्षण प्रभाव छोड़ते हैं; उन्हें देखकर हम भी विचार कर सकते हैं कि उनकी आत्मिक सेवा और प्रभाव का स्त्रोत क्या है? कैसे हम भी आत्मिक रूप से उनके समान प्रभावी हो सक्ते हैं? प्रत्येक मसीही विश्वासी के लिए यह व्यक्तिगत रीति से गंभीरता के साथ विचार करने की बात है कि यदि हमें अपने उद्धारकर्ता मसीह यीशु के लिए प्रभावी होना है, तो हमारा निवेश किन बातों में होना चाहिए?

   प्रभु यीशु के आरंभिक अनुयायी प्रभु यीशु के साथ समय बिताने के द्वारा प्रभावी हुए। जब प्रभु ने अपने बारह चेले चुने, तो उन चेलों के लिए प्रभु का उद्देश्य था कि वे उसके साथ रहें और उसके लिए उपलब्ध रहें "फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्‍हें वह चाहता था उन्‍हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए। तब उस ने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्‍हें भेजे, कि प्रचार करें"(मरकुस ३:१३-१४)। आगे चलकर उन चेलों की सेवकाई से इस्त्राएल के धार्मिक अगुवे इस बात को पहचान गए: "जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं" (प्रेरितों ४:१३)।

   प्रभु यीशु की सेवकाई में प्रशिक्षण और ज्ञान का महत्व अवश्य है, किंतु प्रभु यीशु के साथ बिताए गए समय का कोई विकल्प नहीं है। हमारा कोई ज्ञान, कोई प्रशिक्षण प्रभु यीशु से, उसके साथ बिताए गए समय द्वारा, मिलने वाली सामर्थ और योग्यता का स्थान नहीं ले सकता; और यही सामर्थ तथा योग्यता हमें प्रभु यीशु के लिए प्रभावी कर सकती है। प्रेरितों के कार्य से लिए गए ऊपर उद्वत पद में स्पष्ट है कि उस घटना के समय प्रभु यीशु के चेले पतरस और युहन्ना अनपढ़ और साधारण मनुष्य ही थे, ठीक वैसे ही जैसे वे प्रभु से मिली अपनी बुलाहट के समय थे। किंतु प्रभु यीशु के साथ रहने से अब उनमें एक ऐसी विलक्षण सामर्थ तथा योग्यता आ गई थी जिसके सामने इस्त्राएली समाज के वे प्रशिक्षित और ज्ञानवान धार्मिक अगुवे टिक नहीं सके।

   यदि मसीह यीशु के लिए इस संसार में प्रभावी होना है तो परमेश्वर के जीवते वचन मसीह यीशु (यूहन्ना १:१-२) के साथ समय बिताना आरंभ कीजिए। जितना समय आप उसके साथ बिताएंगे, आप उतने ही प्रभावी होने पाएंगे, क्योंकि परमेश्वर का जीवता वचन मसीह यीशु ही हमारे प्रभावी होने का स्त्रोत है। परमेश्वर के वचन के अध्ययन और मनन में अधिक से अधिक समय बिताएं, प्रभाव संसार को अपने आप ही दिखने लगेंगे। - बिल क्राउडर


जीवन में प्रभावी होने के लिए जीवन के स्त्रोत मसीह यीशु के साथ समय व्यतीत करें।

जब उन्‍होंने पतरस और यूहन्ना का हियाव देखा, ओर यह जाना कि ये अनपढ़ और साधारण मनुष्य हैं, तो अचम्भा किया; फिर उन को पहचाना, कि ये यीशु के साथ रहे हैं। - प्रेरितों ४:१३

बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:१-८
Joh 15:1 सच्‍ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। 
Joh 15:2  जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। 
Joh 15:3  तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 
Joh 15:4  तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 
Joh 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। 
Joh 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाई फेंक दिया जाता, और सूख जाता है, और लोग उन्‍हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 
Joh 15:7  यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
Joh 15:8  मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे १२-१४ 
  • प्रकाशितवाक्य ४

बुधवार, 12 दिसंबर 2012

निर्भर


   हमारे वायुयान के उतरने के बाद मैं और जे उसमें से निकले और कीन्या के मसाई मारा में प्रवेश किया। हमारा स्वागत मसाई कबीले के एक व्यक्ति सैमी ने किया। उसने हमारा सामान लेकर गाड़ी में रखा और हमें हमारे खेमे की ओर ले चला जहां हम अगले दो दिन बिताने वाले थे। मार्ग में हम एक स्थान पर रुक गए कि मसाई मारा से सेरेन्गेटी को प्रवास कर रहे ज़ेबरा और विल्डरबीस्ट के झुंडों को देख सकें। सैमी ने हमें बताया कि इन दोनो प्रकार के जानवरों के ये विशाल झुंड सदा एक साथ ही एक स्थान से दूसरे की ओर प्रवास करते हैं। इसका कारण है दोनो की भिन्न क्षमताएं और कमज़ोरियां।

   ज़ेबरा की दृष्टि तो बहुत अच्छी होती है किंतु सूंघने की शक्ति बहुत कम; इसके विपरीत विल्डरबीस्ट की सूंघने की शक्ति बहुत अच्छी होती है किंतु आंखें कमज़ोर। एक साथ चलने से वे एक दुसरे कि शक्तियों का लाभ उठाते हैं और शिकारी जानवरों से अपना बचाव बेहतर कर लेते हैं, उनकी कमज़ोरियां उनकी परस्पर शक्तियों से ढंप जाती हैं। यह हमारे लिए परमेश्वर द्वारा सृष्टि में दिए गए अनेक पाठों में से एक महत्वपुर्ण पाठ था।

   जैसे परमेश्वर ने भिन्न जानवरों को भिन्न शक्ति और कमज़ोरियों के साथ बनाया है, वैसे ही वह मनुष्यों को भी एक दुसरे से भिन्न बनाता है जिससे वे मिल-जुलकर एक साथ एक दुसरे की भलाई के लिए कार्य कर सकें। परमेश्वर हमें ना केवल अपने ऊपर निर्भर देखना चाहता है, वरन यह भी कि हम एक दुसरे पर भी निर्भर रहें। प्रेरित पुलुस ने कुरिन्थियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में इस विषय पर लिखा है। उसने उन्हें समझाया कि परमेश्वर ने अपनी देह अर्थात अपनी मण्डली में लोगों को भिन्न भिन्न वरदानों और क्षमताओं के साथ रखा है कि सब एक साथ मिल कर देह की उन्नति के लिए कार्य करें; किसी एक के कार्य के द्वारा ही मण्डली उन्नति नहीं पा सकती (१ कुरिन्थियों १२:१२-३१)।

   प्रभु की देह - उसकी मण्डली या चर्च तब ही स्वस्थ रहेगा और उन्नति करेगा जब उसके सदस्य एक साथ मिलकर अपनी अपनी क्षमताओं और सामर्थ को परस्पर एक दूसरे की भलाई और उन्नति के लिए प्रयोग करेंगे। अकेले या केवल अपने लिए कार्य करने से ना तो व्यक्ति उन्नति करेगा और ना ही प्रभु की मण्डली। - जूली ऐकैरमैन लिंक


मिल-जुलकर किया गया कार्य मात्रा और गुणवन्ता में किसी के अकेले द्वारा किए गए कार्य से सदा अधिक होता है।

ताकि देह में फूट न पड़े, परन्‍तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। - १ कुरिन्थियों १२:२५

बाइबल पाठ: - १ कुरिन्थियों १२:१४-२७
1Co 12:14  इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्‍तु बहुत से हैं। 
1Co 12:15  यदि पांव कहे: कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्‍या वह इस कारण देह का नहीं? 
1Co 12:16  और यदि कान कहे कि मैं आंख का नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्‍या वह इस कारण देह का नहीं? 
1Co 12:17   यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1Co 12:18  परन्‍तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्‍छा के अनुसार एक एक करके देह में रखा है। 
1Co 12:19   यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1Co 12:20  परन्‍तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्‍तु देह एक ही है। 
1Co 12:21   आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1Co 12:22  परन्‍तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1Co 12:23  और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1Co 12:24  फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्‍तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1Co 12:25  ताकि देह में फूट न पड़े, परन्‍तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1Co 12:26  इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्‍द मनाते हैं। 
1Co 12:27  इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे ९-११ 
  • प्रकाशितवाक्य ३

मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

प्रभावी प्रत्युत्तर


   बाइबल कॉलेज में दाखिला लेने के पश्चात मैं प्रभु यीशु के बारे में लोगों को निर्भीकता से बताने लगा। परिणामस्वरूप मेरे कुछ पुराने साथियों के साथ मेरी अनबन भी हो गई। स्कूल के अपने पुराने मित्रों के साथ हुए कार्यक्रम में यह बात स्पष्ट हो गई। एक युवती ने मेरा परिहास किया क्योंकि मैंने उससे प्रश्न किया कि क्या उसने इस बात पर विचार किया है कि मृत्योप्रांत वह अपना अनन्त जीवन कहां बिताएगी? मेरे एक अन्य मित्र एड ने, जो मेरे मसीही विश्वास के बारे में जानता था, मसीह यीशु के क्रूस का ठठ्ठा किया। इन बातों से मैंने अपने आप को बहुत तिरस्कृत और अपमानित अनुभव किया।

   किंतु उसी संध्या को मैं एक अवर्णनीय प्रेम से भर गया। मुझे प्रभु यीशु की आज्ञा स्मरण हो आई: "परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिथे प्रार्थना करो" (मत्ती ५:४४)। मेरी आंखें भर आईं और मैंने परमेश्वर से एड को, जिसने उसके क्रूस का ठठ्ठा किया था, क्षमा करने और उसे उद्धार देने के लिए प्रार्थना करी।

   लगभग एक वर्ष के बाद मुझे एड का एक पत्र मिला जिसमें उसने मुझसे मिलने की इच्छा व्यक्त करी थी। जब हम मिलने पाए तो उसने बताया कि कैसे अपने पापों के लिए उसने रो रो कर क्षमा मांगी तथा प्रभु यीशु को अपना जीवन समर्पित किया, उसे अपने जीवन का स्वामी बनाया। बाद में मुझे यह जान कर अचंभा हुआ कि एड एक मिशनरी बनकर ब्राज़ील चला गया कि प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार का सुसमाचार उस देश में सुनाए।

   उस अनुभव से जो पाठ मैंने सीखा वह था कि आत्मिक विरोध का सबसे प्रभावी प्रत्युत्तर है प्रार्थना। जो हम और हमारी समझ नहीं कर सकती वह प्रभु और प्रभु की सामर्थ कर सकती है। हमारो प्रार्थनाएं प्रभु के कार्य को प्रभावी बनाती हैं। अपने आस-पास ध्यान कीजिए, आपके विरोधीयों को आपकी प्रार्थनओं की बहुत आवश्यक्ता है; आपके द्वारा उन की भलाई के लिए परमेश्वर से करी गई प्रार्थनाएं ही उनके विरोध का प्रभावी प्रत्युत्तर हैं! - डेनिस फिश


लोग हमारे सन्देश का मज़ाक उड़ा सकते हैं परन्तु वे हमारी प्रार्थनाओं के सामने असहाय हैं।

परन्‍तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो। - मत्ती ५:४४

बाइबल पाठ: मत्ती ५:३-१६
Mat 5:3  धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
Mat 5:4  धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे। 
Mat 5:5  धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे। 
Mat 5:6   धन्य हैं वे जो धर्म के भूखे और प्यासे हैं क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे।
Mat 5:7  धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी। 
Mat 5:8  धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे। 
Mat 5:9  धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। 
Mat 5:10  धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है। 
Mat 5:11  धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हरो विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें। 
Mat 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
Mat 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्‍तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्‍तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। 
Mat 5:14  तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 
Mat 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्‍तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। 
Mat 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्‍वर्ग में हैं, बड़ाई करें।

एक साल में बाइबल: 
  • होशे ५-८ 
  • प्रकाशितवाक्य २