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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

व्यक्तित्व


   जब डेनवर सेमिनरी के भूतपूर्व अध्यक्ष एवं कुलपति डॉ० वर्नन ग्राउंड्स का 96 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ तो उनके पूर्व सहकर्मियों, छात्रों और मित्रों से अनेक श्रद्धांजलि सन्देश और स्मारक आए। लगभग प्रत्येक जन ने स्मरण किया कि कैसे, किसी ना किसी समय, डॉ० वर्नन ग्राउंड्स ने उन्हें व्यक्तिगत रीति से प्रोत्साहित किया था, अपनी शिक्षा, सलाह या केवल एक मधुर आत्मीयता भरी मुस्कान के द्वारा। वो एक ऐसे शिक्षक थे जो ऐसे प्रचारकों, शिक्षकों और सलाहकारों को प्रशिक्षित करने में विश्वास रखते थे जो प्रभु यीशु के साथ एक गहन संबंध बनाए रखने और दूसरों की सेवा करने में तत्पर हों।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन के 15 अध्याय में दी गई कई बातें डॉ० वर्नन ग्राउंड्स पर बिलकुल सही बैठती हैं, जैसे:
   - निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है। (पद 21)
   - सज्जन उत्तर देने से आनन्दित होता है, और अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है! (पद 23)
   - ...शुद्ध जन के वचन मनभावने हैं। (पद 26)
   - धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं... (पद 28)
   - यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है। (पद 33)

   डॉ० वर्नन ग्राउंड्स की नेक सलाह देने की क्षमता उनके नेक चरित्र से और उनकी बुद्धिमता परमेश्वर पर उनके विश्वास और निर्भरता से थी; तथा उनके जीवन का प्रेर्णादायक होना उनके निर्मल हृदय से था। इन सब बातों का कुल मिला कर एक ऐसा नमूना बना जो परमेश्वर के वचन बाइबल में जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के पीछे नम्रता से चलने वाले मनुष्य के अनुरूप है।

   डॉ० वर्नन ग्राउंड्स ने अपनी जीवन यात्रा भली भांति पूरी करी; उनका नेक और अनुकम्पा से भरा जीवन हम सब के लिए एक उदाहरण है और हमें प्रोत्साहित करता है कि हम भी उनके समान अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा और कार्य के लिए जीने वाले बनें। - डेविड मैक्कैसलैंड


एक अच्छा अगुवा वह है जो सही मार्ग जानता है, उसपर चलता है और दूसरों को उस मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन देता है।

प्रभु यहोवा ने मुझे सीखने वालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं। भोर को वह नित मुझे जगाता और मेरा कान खोलता है कि मैं शिष्य के समान सुनूं। - यशायाह 50:4

बाइबल पाठ: नीतिवचन 15:21-33
Proverbs 15:21 निर्बुद्धि को मूढ़ता से आनन्द होता है, परन्तु समझ वाला मनुष्य सीधी चाल चलता है। 
Proverbs 15:22 बिना सम्मति की कल्पनाएं निष्फल हुआ करती हैं, परन्तु बहुत से मंत्रियों की सम्मत्ति से बात ठहरती है। 
Proverbs 15:23 सज्जन उत्तर देने से आनन्दित होता है, और अवसर पर कहा हुआ वचन क्या ही भला होता है! 
Proverbs 15:24 बुद्धिमान के लिये जीवन का मार्ग ऊपर की ओर जाता है, इस रीति से वह अधोलोक में पड़ने से बच जाता है। 
Proverbs 15:25 यहोवा अहंकारियों के घर को ढा देता है, परन्तु विधवा के सिवाने को अटल रखता है। 
Proverbs 15:26 बुरी कल्पनाएं यहोवा को घिनौनी लगती हैं, परन्तु शुद्ध जन के वचन मनभावने हैं। 
Proverbs 15:27 लालची अपने घराने को दु:ख देता है, परन्तु घूस से घृणा करने वाला जीवित रहता है। 
Proverbs 15:28 धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं, परन्तु दुष्टों के मुंह से बुरी बातें उबल आती हैं। 
Proverbs 15:29 यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है। 
Proverbs 15:30 आंखों की चमक से मन को आनन्द होता है, और अच्छे समाचार से हड्डियां पुष्ट होती हैं। 
Proverbs 15:31 जो जीवनदायी डांट कान लगा कर सुनता है, वह बुद्धिमानों के संग ठिकाना पाता है। 
Proverbs 15:32 जो शिक्षा को सुनी-अनसुनी करता, वह अपने प्राण को तुच्छ जानता है, परन्तु जो डांट को सुनता, वह बुद्धि प्राप्त करता है। 
Proverbs 15:33 यहोवा के भय मानने से शिक्षा प्राप्त होती है, और महिमा से पहिले नम्रता होती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 4-6


गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

समान


   कुछ वर्ष पहले बनी बहुचर्चित और बहुत लोकप्रीय रही स्टारवार्स सिनेमा श्रंखला का एक दृश्य मुझे वर्तमान के कुछ लोगों का स्मरण कराता है। उस दृश्य में, श्रंखला का नायक ल्यूक स्काएवॉकर, आकाश मण्डल के किसी दूरस्त ग्रह पर स्थित एक होटल में अपने दो रोबोट साथियों सी3पीओ और आर2डी2 के साथ भोजन के लिए आता है। वहीं अन्य ग्रहों के रहने वाले और देखने में विचित्र और भद्दे लगने वाले कई प्राणी भी बैठे भोजन कर रहे हैं, जिनके मुकाबले वे दोनो रोबोट कहीं अधिक ’सामान्य’ दिखाई देते हैं। लेकिन ल्यूक को वहाँ उन दोनो रोबोट की ओर इशारे के साथ एक रूखी झिड़की देते हुए यह कहते हुए भोजन देने से मना कर दिया जाता है कि "हम इन जैसों को नहीं परोसते हैं"।

   यह विचित्र दृश्य यहाँ पृथ्वी पर व्याप्त उस दुराचार को स्मरण कराता है जिसका हम अकसर सामना करते हैं। हम सामान्यतः उन लोगों के साथ ही अच्छा अनुभव करते हैं जो हमारे ही समान हैं। लेकिन हमें, विशेषकर मसीही विश्वासियों को, इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि यदि प्रभु यीशु ने भी यही सोचा होता तो आज हम कहाँ होते; संसार को पापों से मुक्ति और उद्धार का मार्ग कैसे मिलता? प्रभु यीशु तो सर्वसिद्ध है, दिव्य है, परमेश्वर है; हम मनुष्य तो उससे बिलकुल भिन्न हैं, अपने प्रयासों से उसके समान कभी हो पाने की क्षमता ही नहीं रखते। लेकिन फिर भी प्रभु यीशु इस संसार में हमारे उद्धार और पापों की क्षमा के लिए आया, हमारे ही समान एक मनुष्य हो कर जीवन व्यतीत किया और आज अपने अनुयायियों को अपनी ही समानता में बना रहा है।

   हम जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, हमारे शब्दकोष में ’वे मेरे समान नहीं हैं’ वाक्यांश होना ही नहीं चाहिए। जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्‍वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो" (गलतियों 3:28)। इसलिए चाहे अन्य लोग आचरण, दृष्टिकोण, जाति, श्रेणी, राजनैतिक विचारधारा, सामाजिक स्तर आदि में हम से भिन्न भी हों, तो भी हम मसीही विश्वासियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि मसीह यीशु में हम एक ही हैं, परमेश्वर हम सबको एक समान और एक ही दृष्टि से देखता है।

   हम मसीही विश्वासियों को आज अपना ध्येय बना कर रखना चाहिए कि आज हम अपने से ’भिन्न’ किसी व्यक्ति को मसीह यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के बारे में बता कर उसे अपने ही ’समान’ मसीह का अनुयायी बनाएंगे। - जो स्टोवैल


अपने पड़ौसी से प्रेम करें - चाहे वो आपसे ’भिन्न’ ही क्यों ना हो।

उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है। - कुलुस्सियों 3:11

बाइबल पाठ: गलतियों 3:19-29
Galatians 3:19 तब फिर व्यवस्था क्यों दी गई? वह तो अपराधों के कारण बाद में दी गई, कि उस वंश के आने तक रहे, जिस को प्रतिज्ञा दी गई थी, और वह स्‍वर्गदूतों के द्वारा एक मध्यस्थ के हाथ ठहराई गई। 
Galatians 3:20 मध्यस्थ तो एक का नहीं होता, परन्तु परमेश्वर एक ही है। 
Galatians 3:21 तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि न हो क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धामिर्कता व्यवस्था से होती। 
Galatians 3:22 परन्तु पवित्र शास्त्र ने सब को पाप के आधीन कर दिया, ताकि वह प्रतिज्ञा जिस का आधार यीशु मसीह पर विश्वास करना है, विश्वास करने वालों के लिये पूरी हो जाए।
Galatians 3:23 पर विश्वास के आने से पहिले व्यवस्था की आधीनता में हमारी रखवाली होती थी, और उस विश्वास के आने तक जो प्रगट होने वाला था, हम उसी के बन्‍धन में रहे। 
Galatians 3:24 इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्वास से धर्मी ठहरें। 
Galatians 3:25 परन्तु जब विश्वास आ चुका, तो हम अब शिक्षक के आधीन न रहे। 
Galatians 3:26 क्योंकि तुम सब उस विश्वास करने के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की सन्तान हो। 
Galatians 3:27 और तुम में से जितनों ने मसीह में बपतिस्मा लिया है उन्होंने मसीह को पहिन लिया है। 
Galatians 3:28 अब न कोई यहूदी रहा और न यूनानी; न कोई दास, न स्‍वतंत्र; न कोई नर, न नारी; क्योंकि तुम सब मसीह यीशु में एक हो। 
Galatians 3:29 और यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशु 1-3


बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

अधिवक्ता


   स्टीफन विन्सेंट बेनेट द्वारा लिखित एक लघु कथा, The Devil and Daniel Webster, में जाबेज़ स्टोन नाम का एक किसान इतनी दयनीय दशा में आ जाता है कि अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वह अपनी आत्मा शैतान के हाथों में बेच देता है। अन्ततः शैतान जाबेज़ से ऋण वसूलने के लिए आता है। अपने आप को बचाने के लिए जाबेज़ एक सुप्रसिद्ध अधिवक्ता, डैनियल वेब्स्टर की सहायाता लेता है। वह अधिवक्ता अपने कुशल तर्क-वितर्क से जाबेज़ के खिलाफ शैतान के दावे को निराधार प्रमाणित कर देता है और जाबेज़ विनाश से बच जाता है।

   यह तो केवल एक कहानी मात्र ही है, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में एक ऐसा दर्शन दर्ज है जहाँ शैतान एक विश्वासी जन पर परमेश्वर के सामने दोष लगाता है। यहोशु, जो एक महापुरोहित है, परमेश्वर के सामने खड़ा है, उसके वस्त्र मैले हैं - जो उसके व्यक्तिगत पाप तथा दोष की दशा को दिखाता है; निकट ही शैतान खड़ा हुआ उस पर दोष लगा रहा है। परन्तु परमेश्वर का दूत शैतान को डाँटता है और यहोशु से कहता है, "तब दूत ने उन से जो साम्हने खड़े थे कहा, इसके ये मैले वस्त्र उतारो। फिर उसने उस से कहा, देख, मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूं" (ज़कर्याह 3:4)।

   केवल परमेश्वर ही है जो एक पापी को भी अपने समक्ष ग्रहणयोग्य बना सकता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वासन देती है कि "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1यूहन्ना 1:9)।

   क्या आप अपने आप को अपनी पापमय दशा के कारण परमेश्वर की उपस्थिति में आने के अयोग्य पाते हैं? स्मरण करें कि प्रभु यीशु ने संसार के सभी लोगों के सभी पापों के दण्ड को अपने ऊपर ले कर सब को पापों से क्षमा प्राप्त करने का मार्ग बना कर दे दिया है। सच्चे मन से निकली एक विश्वास और पश्चाताप की प्रार्थना आपके सभी पापों को क्षमा कर देगी, आपको अनन्त जीवन और आशीषों का वारिस और परमेश्वर की सन्तान बना देगी, परमेश्वर के सामने कभी भी किसी भी बात के लिए प्रस्तुत होने का मार्ग आपके लिए खोल देगी। यदि आप पाप में भी गिरें तो प्रभु यीशु आपका अधिवक्ता बनकर आपकी सहायता करेगा (1 यूहन्ना 2:1) और शैतान के किसी दोषारोपण को आपके विरुद्ध सफल नहीं होने देगा।

   यदि अभी तक आपने प्रभु यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण नहीं किया है तो यही समय है, अभी, इसी समय कर लें और वह आपका सदा का अधिवक्ता बनकर आपको नाश से बचाए रखेगा। - डेनिस फिशर


धर्मी ठहराए जाने का अर्थ है कि परमेश्वर ने अपने महान अनुग्रह में होकर हमारे पाप के दोष मिटा कर प्रभु यीशु की धार्मिकता हमें सेंत-मेंत भेंट में दे दी है।

हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। - 1 यूहन्ना 2:1

बाइबल पाठ: ज़कर्याह 3:1-5
Zechariah 3:1 फिर उसने यहोशू महायाजक को यहोवा के दूत के साम्हने खड़ा हुआ मुझे दिखाया, और शैतान उसकी दाहिनी ओर उसका विरोध करने को खड़ा था। 
Zechariah 3:2 तब यहोवा ने शैतान से कहा, हे शैतान यहोवा तुझ को घुड़के! यहोवा जो यरूशलेम को अपना लेता है, वही तुझे घुड़के! क्या यह आग से निकाली हुई लुकटी सी नहीं है? 
Zechariah 3:3 उस समय यहोशू तो दूत के साम्हने मैला वस्त्र पहिने हुए खड़ा था। 
Zechariah 3:4 तब दूत ने उन से जो साम्हने खड़े थे कहा, इसके ये मैले वस्त्र उतारो। फिर उसने उस से कहा, देख, मैं ने तेरा अधर्म दूर किया है, और मैं तुझे सुन्दर वस्त्र पहिना देता हूं। 
Zechariah 3:5 तब मैं ने कहा, इसके सिर पर एक शुद्ध पगड़ी रखी जाए। और उन्होंने उसके सिर पर याजक के योग्य शुद्ध पगड़ी रखी, और उसको वस्त्र पहिनाए; उस समय यहोवा का दूत पास खड़ा रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 32-34


मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

राय


   प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ पहले, मरियम नाम की एक स्त्री ने प्रभु के पैरों पर बहुत बहुमूल्य इत्र उँडेला, और फिर, एक और भी अनेपक्षित कार्य कर डाला, अपने बाल खोल कर वो प्रभु के पाँव पोंछने लगी (यूहन्ना 12:3)। ना केवल मरियम ने संभवतः अपनी जीवन भर की कमाई प्रभु के पाँव पर उँडेल दी, वरन उसने अपना सम्मान भी दाँव पर लगा दिया। जहाँ यह घटना घटी, अर्थात संसार के मध्य-पूर्व इलाके में, वहाँ उन दिनों की संसकृति और व्यवहार के अनुसार संभ्रांत महिलाएं सार्वजनिक स्थानों में अपने बाल कभी खुले नहीं रखती थीं। लेकिन सच्ची आराधना कभी इस बात से सीमित नहीं होती कि लोग हमारे बारे में क्या राय रखते हैं। प्रभु यीशु की आराधना के लिए मरियम को उसके प्रति बनने वाली लोगों की राय की कोई चिंता नहीं थी; प्रभु के लिए वो निर्लज्ज या दुराचारी तक समझी जानें के लिए तैयार थी।

   अनेक बार हम अपने आप को सिद्ध और दोषरहित दिखाने के दबाव में रहते हैं, विशेषकर जब हम चर्च जाते हैं। हम चाहते हैं और प्रयास करते हैं कि लोग हमारे बारे में भले विचार रखें, हम किसी रीति से अनैतिक नज़र ना आएं। लेकिन एक अच्छा और सही चर्च, अर्थात प्रभु यीशु मसीह के विश्वासियों की मण्डली, वही है जहाँ हम अपने स्वाभाविक रूप में आ सकते हैं, जहाँ हमें सिद्धता के मुखौटे की पीछे अपनी कमियाँ और दोष छुपाने की आवश्यकता नहीं है। मसीही मण्डली ऐसा स्थान होना चाहिए जहाँ हम अपनी कमज़ोरियों को प्रकट कर के सामर्थ पा सकें ना कि ऐसा स्थान जहाँ हमें अपनी दुर्बलताओं को छिपाने और बलवन्त होने का नाटक करना पड़े।

   परमेश्वर तो हमें अन्दर-बाहर हर रीति से भली भांति जानता है, हम उससे कुछ छिपा नहीं सकते, मुखौटे लगा कर उसे बहका नहीं सकते। इसलिए आराधना का यह उद्देश्य नहीं है कि हम अपने आप को ऐसा दिखाएं कि कहीं कुछ गड़बड़ नहीं है, सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है। वरन आराधना का उद्देश्य है अपने आप को ठीक-ठाक कर लेना - परमेश्वर के साथ भी और एक दूसरे के साथ भी। यदि प्रभु यीशु की मण्डली में हमारा सबसे बड़ा भय हमारी सही दशा के प्रकट हो जाने का है, जिसके लिए हमें फिर मुखौटे लगाने पड़ें, तो हमारा सबसे बड़ा पाप अपनी दशा को छुपा कर उस मुखौटे को लगाना ही है, क्योंकि यह परमेश्वर और मनुष्यों, दोनो को ही धोखा देने का प्रयास है।

   मनुष्यों की राय से नहीं डरें वरन इस बात का ध्यान करें कि परमेश्वर कि राय आपके बारे में क्या है। मनुष्यों की राय तो परिस्थितियों और आवश्यकता के अनुसार बदलती रहती है, परन्तु परमेश्वर की राय उसके स्थिर मापदण्डों के अनुसार होती है। परमेश्वर के समक्ष अपने आप को खोल दें, अपनी भावनाओं को प्रकट होने दें और अपने किसी भी अनुचित आचरण के लिए निसंकोच पश्चातापी होकर उससे क्षमा माँग लें, और आप पाएंगे कि परमेश्वर आप के बारे में लोगों की राय भली बना देगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आराधना तब ही ग्रहण योग्य होगी जब हम परमेश्वर और मनुष्यों दोनो ही के साथ सही दशा में होंगे।

तब मरियम ने जटामासी का आध सेर बहुमूल्य इत्र ले कर यीशु के पावों पर डाला, और अपने बालों से उसके पांव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्‍धित हो गया। - यूहन्ना 12:3

बाइबल पाठ: यूहन्ना 12:1-8
John 12:1 फिर यीशु फसह से छ: दिन पहिले बैतनिय्याह में आया, जहां लाजर था: जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था। 
John 12:2 वहां उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मारथा सेवा कर रही थी, और लाजर उन में से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे। 
John 12:3 तब मरियम ने जटामासी का आध सेर बहुमूल्य इत्र ले कर यीशु के पावों पर डाला, और अपने बालों से उसके पांव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्‍धित हो गया। 
John 12:4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा। 
John 12:5 यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालों को क्यों न दिया गया? 
John 12:6 उसने यह बात इसलिये न कही, कि उसे कंगालों की चिन्‍ता थी, परन्तु इसलिये कि वह चोर था और उसके पास उन की थैली रहती थी, और उस में जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था। 
John 12:7 यीशु ने कहा, उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे। 
John 12:8 क्योंकि कंगाल तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 29-31


सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

ताज़ा एवं फलता-फूलता


   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 92 का लेखक प्रशंसा की सिफारिश के साथ भजन का आरंभ करता है: "यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना" (भजन 92:1)। किसके लिए भला है? मेरे और आपके लिए भला है। जब हम चिंताजनक विचारों से मन को हटा कर परमेश्वर के प्रति प्रार्थनमय आराधना और प्रशंसा से उसे भर लेते हैं तो यह हमारे मन और आत्मा के लिए बहुत लाभदायक हो जाता है। अपने जीवन की प्रत्येक भोर का स्वागत, परमेश्वर के प्रति धन्यवाद के गीतों से करना हमें आनन्द से भर देता है, जो कार्य परमेश्वर हमारे जीवनों में कर रहा है, उसके प्रति हमारे ध्यान को ले जाता है, और हमें उदासी के अंधेरों से बाहर निकालकर हमारे मन को परमेश्वर की भलाई के कार्यों के उजालों से भर देता है।

   परमेश्वर के वचन का मेरा एक पसन्दीदा भाग है: "धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे" (भजन 92:12-14)।

   खजूर के वृक्ष सूखे प्रदेशों में भी हरे-भरे, ऊँचे, स्थिर और फलवन्त होने का प्रतीक हैं और देवदार के वृक्ष ना झुकने वाली सामर्थ का। जो जन परमेश्वर के घर में रोपे गए हैं वे भी ऐसे ही होते हैं, क्योंकि उन की जड़ें परमेश्वर के वचन की अडिग और अकाट्य सच्चाईयों में गहरी जमीं होती हैं और उनके तने और शाखाएं परमेश्वर के प्रेम से सींची जाकर लहलहाती रहती हैं।

   क्या आपको कभी ऐसा प्रतीत होता है कि आप परमेश्वर के लिए उपयोगी नहीं रहे? परमेश्वर के वचन में अपनी जड़ बनाए रखें, मसीह यीशु में स्थिर बने रहें, उसके प्रेम और अनुग्रह से सींचे जाते रहें; फिर आपकी शारीरिक आयु कुछ भी क्यों ना हो, परमेश्वर के लिए आप सदा ही ताज़ा एवं फलता-फूलता जीवन व्यतीत करते रहेंगे।


जब आप परमेश्वर के अनुग्रह और उससे मिली आशीषों पर ध्यान करना आरंभ करते हैं तो परमेश्वर की आराधना स्वाभाविक रीति से मन से निकलने लगती है।

तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूंगा। मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिये फिरता रहूंगा; - यशायाह 46:4

बाइबल पाठ: भजन 92:1-15
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; 
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, 
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गम्भीर स्वर से गाना भला है। 
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं! 
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता: 
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं, 
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा। 
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे।
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं। 
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं।
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। 
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। 
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, 
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 26-28


रविवार, 23 फ़रवरी 2014

संसाधन


   दूसरे विश्वयुद्ध के समय यूरोप पर हावी नाट्ज़ी जर्मनी के आताताईयों के ज़ुल्म का प्रतिरोध करने की अन्तिम सीमा ब्रिटेन ही रह गया था, और जर्मनी से हो रहे अनवरत आक्रमण के आगे यह प्रतिरोध टूटने की कगार पर पहुँचने लगा था, क्योंकि ब्रिटेन के पास वो संसाधन नहीं थे जिनकी सहायता से युद्ध जीता जा सके। इस कारण ब्रिटेन के प्रधान मंत्री विन्सटन चर्चिल ने बी. बी. सी. रेडियों के प्रसारण के माध्यम से संसार से गुहार करी, "हमें संसाधन दो और हम इस कार्य को पूरा कर दिखाएंगे।" वे जानते थे कि बिना बाहरी सहायता मिले ब्रिटेन नाट्ज़ी जर्मनी से हो रहे अविरल प्रहार का सामना अधिक देर तक नहीं करने पाएगा।

   जीवन ऐसा ही है। अनेक बार जीवन में हम पर जो परेशानियाँ आती हैं हम उनका सामना अकेले कर पाने में असमर्थ होते हैं, हमें बाहरी सहायता की आवश्यकता होती है। मसीही विश्वासियों का मसीह यीशु की देह अर्थात उसकी मण्डली के अंग होने के कारण उन्हें यह सहायता मसीही मण्डली से मिल सकती है (रोमियों 12:10-13), और यह एक बहुत अच्छी बात भी है। किंतु अन्ततः हमारी सहायता परमेश्वर से ही आती है, और हमें उसी के सामने अपनी प्रार्थना, विन्तियाँ रखनी चाहिएं। अच्छी और भली खबर यह है कि परमेश्वर ने हमें यह खुला निमंत्रण दे रखा है कि हम निश्चिंत होकर उसके सामने अपनी प्रार्थना लेकर कभी जा सकते हैं: "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे" (इब्रानियों 4:16)।

   हम मसीही विश्वासियों को यह आदर है कि जब भी हम किसी भी परेशानी में हों, हम बिना हिचकिचाए अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर के पास अपनी प्रार्थना लेकर आ सकते हैं। हर परिस्थिति में हमारी सहायता का हमारा सबसे बड़ा संसाधन प्रार्थना ही है, क्योंकि प्रार्थना हमें सीधे परमेश्वर की उपस्थिति में ले आती है, और वहाँ परमेश्वर की अनुकंपा और अनुग्रह में हमें वह प्राप्त होता है जिसकी हमें आवश्यकता है। - बिल क्राउडर


आवश्यकता के समय में प्रार्थना को अपना अन्तिम नहीं, वरन अपना प्रथम उपाय बनाएं।

क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है। इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्‍वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। - इफिसियों 2:18-19

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:9-16
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। 
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है। 
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े। 
Hebrews 4:12 क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। 
Hebrews 4:13 और सृष्‍टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्‍वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। 
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। 
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 23-25


शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

साधारण मनुष्य


   स्टीव एक साधारण सा व्यक्ति था। बहुत वर्ष पहले मैं जिस चर्च में जाया करता था स्टीव भी वहीं खामोशी से सेवा किया करता था। वो चर्च सभा की तैयारियों में सहायता करता, चर्च के आस-पास के मार्ग को साफ रखता, चर्च के मैदान की घास को छांटता। जिन किशोरों के पिता नहीं थे स्टीव उनके साथ समय बिताता। कई बार मैंने स्टीव को शान्त रीति से लोगों से कहते सुना कि कैसे परमेश्वर उसके साथ भला बना रहा है। जब प्रार्थना सभा होती तो वह अपने लिए कुछ नहीं कहता वरन अनुरोध करता के हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जिन्हें वो प्रभु यीशु के प्रेम और क्षमा के बारे में बता रहा है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के यूहन्ना रचित सुसमाचार में यूहन्ना बप्तिस्मा देने वाले के बारे में आया एक पद - यूहन्ना 10:41 मुझे स्टीव की याद दिलाता है। युहन्ना बप्तिस्मा देने वाला अपने बारे में व्याख्यान देने संसार में नहीं आया था, उसके आने का उद्देश्य था: "यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं" (यूहन्ना 1:7); उसने, "दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है" (यूहन्ना1:29)। मेरा मित्र स्टीव भी यही करता रहता था।

   हम मसीही विश्वासियों के जीवन का उद्देश्य भी यही रहना चाहिए, कि हम भी जगत की सच्ची ज्योति, प्रभु यीशु मसीह की गवाही संसार के सामने रखें। हम सभी साधारण लोग हैं, जो संसार के अपने अपने कोनों में परमेश्वर की सेवा के लिए रखे गए हैं। अपने शान्त स्वभाव और निस्वार्थ तथा विश्वासयोग्य कार्यों से, स्टीव के समान ही हमें भी औरों को उस सच्ची ज्योति, प्रभु यीशु की ओर आकर्षित करना है। - ऐनी सेटास


मसीही विश्वासी साधारण लोग हैं जो मसीह यीशु के असाधारण व्यक्तित्व के प्रति समर्पित हैं।

और बहुतेरे उसके पास आकर कहते थे, कि युहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इस के विषय में कहा था वह सब सच था। - यूहन्ना 10:41

बाइबल पाठ: यूहन्ना 10:27-42
John 10:27 मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। 
John 10:28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। 
John 10:29 मेरा पिता, जिसने उन्हें मुझ को दिया है, सब से बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। 
John 10:30 मैं और पिता एक हैं। 
John 10:31 यहूदियों ने उसे पत्थरवाह करने को फिर पत्थर उठाए। 
John 10:32 इस पर यीशु ने उन से कहा, कि मैं ने तुम्हें अपने पिता की ओर से बहुत से भले काम दिखाए हैं, उन में से किस काम के लिये तुम मुझे पत्थरवाह करते हो? 
John 10:33 यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, कि भले काम के लिये हम तुझे पत्थरवाह नहीं करते, परन्तु परमेश्वर की निन्‍दा के कारण और इसलिये कि तू मनुष्य हो कर अपने आप को परमेश्वर बनाता है। 
John 10:34 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, क्या तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि मैं ने कहा, तुम ईश्वर हो? 
John 10:35 यदि उसने उन्हें ईश्वर कहा जिन के पास परमेश्वर का वचन पहुंचा (और पवित्र शास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती।) 
John 10:36 तो जिसे पिता ने पवित्र ठहराकर जगत में भेजा है, तुम उस से कहते हो कि तू निन्‍दा करता है, इसलिये कि मैं ने कहा, मैं परमेश्वर का पुत्र हूं। 
John 10:37 यदि मैं अपने पिता के काम नहीं करता, तो मेरी प्रतीति न करो। 
John 10:38 परन्तु यदि मैं करता हूं, तो चाहे मेरी प्रतीति न भी करो, परन्तु उन कामों की तो प्रतीति करो, ताकि तुम जानो, और समझो, कि पिता मुझ में है, और मैं पिता में हूं। 
John 10:39 तब उन्होंने फिर उसे पकड़ने का प्रयत्न किया परन्तु वह उन के हाथ से निकल गया।
John 10:40 फिर वह यरदन के पार उस स्थान पर चला गया, जहां यूहन्ना पहिले बपतिस्मा दिया करता था, और वहीं रहा। 
John 10:41 और बहुतेरे उसके पास आकर कहते थे, कि युहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इस के विषय में कहा था वह सब सच था। 
John 10:42 और वहां बहुतेरों ने उस पर विश्वास किया।

एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण 20-22


शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2014

लापरवाह


   हमारे छोटे से बाइबल अध्ययन समूह में, परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक का अध्ययन करते हुए, हमारे समूह के अगुवे ने सुझाव रखा कि हम नीतिवचन 6:6,9 में दी गई आलसी व्यक्ति की परिभाषा को लापरवाह शब्द से भी जोड़ लें। मैं तुरंत उन लोगों के बारे में सोचने लग गई जिन्हें मैं लापरवाह समझती हूँ - जैसे कि वे लोग जो अपने बच्चों को सही शिक्षा तथा अनुशासन नहीं सिखाते; या, वह व्यक्ति जो घर के कार्यों के करने में हाथ नहीं बंटाता; या फिर वे किशोर जो पढ़ाई की अपनी ज़िम्मेदारी की उपेक्षा कर के अपना समय इण्टरनैट पर खेल खेलते रहने में बरबाद करते रहते हैं।

   लेकिन केवल ये लोग ही लापरवाह नहीं हैं; यदि हम ईमानदारी से अपने आप को जाँचे तो हम सभी, हाँ हम मसीही विश्वासी भी, लापरवाह होने के दोषी हैं। ज़रा आम तौर से देखे जाने वाले लापरवाही के इन उदाहरणों पर विचार कीजिए, और उन से संबंधित बाइबल के हवालों को भी पढ़िए:
   - प्रार्थना में लापरवाह (1 थिस्सुलुनीकियों 5:17-18)
   - बाइबल पढ़ने में लापरवाह (भजन 119:103; 2 तिमुथियुस 3:16-17)
   - आत्मिक वरदानों के प्रयोग में लापरवाह (रोमियों 12:4-8)
   - गवाही देने में लापरवाह (मत्ती 28:19-20; प्रेरितों 1:8)

   यदि हम वह नहीं कर रहे हैं जो हम जानते हैं कि परमेश्वर हम से चाहता है कि हम करें, तो निश्चित रूप से हम आत्मिक बातों में लापरवाह हैं। वास्तविकता तो यह है कि ऐसे में हम ना केवल लापरवाह हैं, वरन परमेश्वर के अनाज्ञाकारी होने के पाप के भी दोषी ठहरते हैं। याकूब की पत्री में लिखे इन चुनौतीपूर्ण और दोषी ठहराने वाले शब्दों को देखिए: "इसलिये जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है" (याकूब 4:17)।

   थोड़ा रुक कर अपने जीवन, अपनी प्राथमिक्ताओं और अपने रवैये के बारे में सोचें; जो संसार का है वह संसार में ही रह जाएगा, जो आत्मिक है वह ही हमारे साथ जाएगा। ना तो आलसी और ना ही लापरवाह वरन परमेश्वर के लिए परिश्रमी बनें; यही अनन्त आशीषों को प्रदान करेगा। - सिंडी हैस कैसपर


हम परमेश्वर की आज्ञा ना मानने के लिए कोई भी बहाने बना लें; परमेश्वर उसे अनाज्ञाकरिता ही कहेगा।

हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। - गलतियों 6:9 

बाइबल पाठ: नीतिवचन 6:6-11
Proverbs 6:6 हे आलसी, च्यूंटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो। 
Proverbs 6:7 उन के न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, और न प्रभुता करने वाला, 
Proverbs 6:8 तौभी वे अपना आहार धूपकाल में संचय करती हैं, और कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं। 
Proverbs 6:9 हे आलसी, तू कब तक सोता रहेगा? तेरी नींद कब टूटेगी? 
Proverbs 6:10 कुछ और सो लेना, थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, थोड़ा और छाती पर हाथ रखे लेटे रहना, 
Proverbs 6:11 तब तेरा कंगालपन बटमार की नाईं और तेरी घटी हथियारबन्द के समान आ पड़ेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

भय


   अमेरीकी राष्ट्रपति फ्रैंक्लिन रूज़वेल्ट ने 1933 में अपने राष्ट्रपतिकाल के प्रथम एवं उद्घाटन भाषण में कहा, "हमें केवल एक ही बात से डरना है और वह है स्वयं डर।" रूज़वेल्ट भारी आर्थिक मन्दी की भयानक मार से त्रस्त राष्ट्र में एक आशा की किरण जलाना चाह रहे थे, लोगों के अन्दर की निराशा को निकालकर एक सकारात्मक रवैया जगाना चाह रहे थे।

   भय हमारे जीवनों में तब दिखाई देता है जब हमें लगता है कि हम कुछ गंवा देंगे। यह गंवाना हमारी दौलत, सेहत, सम्मान, पदवी, सुरक्षा, परिवार, मित्र इत्यादि किसी का भी हो सकता है। भय हमारे अन्दर बसी उस इच्छा को प्रगट करता है जिसके अन्तर्गत हम अपने जीवन में महत्वपूर्ण बातों को अपने ही द्वारा बचा कर रखने का प्रयास करते हैं, बजाए इसके कि उनकी सुरक्षा और नियंत्रण परमेश्वर के हाथों में सौंप दें। जब भय हम पर हावी हो जाता है तो हमें भावनात्मक रीति से अपंग और आत्मिक रीति से दुर्बल कर देता है। भय की स्थिति में हम दूसरों को प्रभु यीशु के बारे में बताने से हिचकिचाते हैं, अपने जीवन और संसाधन दूसरों की भलाई के लिए लगाने से कतराते हैं, किसी नए कार्य को आरंभ करने से डरते हैं। एक भयभीत आत्मा का शत्रु शैतान द्वारा आहत होने की संभावना कहीं अधिक होती है; ऐसे में शैतान हमें उकसाता है कि हम परमेश्वर और उसके वचन बाइबल पर अपने विश्वास के साथ समझौता करें, परमेश्वर पर भरोसा रख कर उसकी बाट जोहने की बजाए, समस्याओं का समाधान अपने ही हाथों में लेकर अपनी सीमित समझ और सीमित संसाधनों के द्वारा उन्हें सुलझाने के प्रयास करें; क्योंकि वह जानता है कि ऐसा करने में हम अवश्य ही कोई ना कोई गलती करेंगे और उसके फंदों में फंस जाएंगे।

   भय का समाधान है अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर पर विश्वास को बनाए रखना। जब हम उसकी उपस्थिति, सामर्थ, सुरक्षा और संसाधनों की वास्तविकता में विश्वास रख कर जीवन व्यतीत करेंगे तब भय का कोई स्थान नहीं होगा और हम आनन्द के साथ जीवन व्यतीत करते हुए भजनकार के साथ कहने पाएंगे, "मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया" (भजन 34:4)। - जो स्टोवैल


भयभीत आत्मा का उपाय है परमेश्वर प्रभु यीशु पर संपूर्ण भरोसा।

यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं? - भजन 27:1

बाइबल पाठ: भजन 34:1-10
Psalms 34:1 मैं हर समय यहोवा को धन्य कहा करूंगा; उसकी स्तुति निरन्तर मेरे मुख से होती रहेगी। 
Psalms 34:2 मैं यहोवा पर घमण्ड करूंगा; नम्र लोग यह सुनकर आनन्दित होंगे। 
Psalms 34:3 मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें। 
Psalms 34:4 मैं यहोवा के पास गया, तब उसने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया। 
Psalms 34:5 जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई; और उनका मुंह कभी काला न होने पाया। 
Psalms 34:6 इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psalms 34:7 यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उन को बचाता है। 
Psalms 34:8 परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। 
Psalms 34:9 हे यहोवा के पवित्र लोगो, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती! 
Psalms 34:10 जवान सिंहों तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं; परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 13-16


बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

आतुर और तैयार


   प्रसिद्ध प्रचारक एवं धर्मशास्त्री हेल्मट थिएलिके (1908-1986) को जर्मनी में नाट्ज़ी शासन के दौरान 1930 तथा 1940 के दशकों में बहुत विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी इन कठिन और कष्टदायक समयों में वे मसीह यीशु में परमेश्वर की उपस्थिति और सामर्थ्य का प्रचार करने से थमे नहीं। उनके विषय में विद्वान रॉबर्ट स्मिथ ने कहा कि अपने प्रचार में थिएलिके ने वर्तमान के मुद्दों और समस्याओं को संबोधित करते हुए अपने समक्ष सदा एक प्रश्न रखा, "इस विषय पर परमेश्वर की ओर से क्या कोई वचन है?"

   क्या यही प्रश्न आज हम सबके समक्ष नहीं होना चाहिए? क्योंकि जो परमेश्वर ने कहा है वह ही हमें सामर्थ देगा और हमारा मार्गदर्शन करेगा तथा कठिनाईयों और परिस्थितियों से होकर निकलने में हमारी सहायता करेगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के 1 शमूएल 3 अध्याय में हम एक ऐसे काल का उल्लेख पाते हैं जब "परमेश्वर का वचन दुर्लभ था" (पद 1)। जब परमेश्वर ने बालक शमूएल से बात करी, तब पहले तो शमूएल ने समझा कि वृद्ध पुरोहित एली, जिसके साथ वह रहता था, वह उससे बात करना चाह रहा है। एली ने ही सारी परिस्थिति समझ कर शमूएल को समझाया कि जब पुनः उसे परमेश्वर का स्वर सुनाई दे तो वह कहे, "हे यहोवा कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है" (पद 9)। शमूएल ने परमेश्वर की आवाज़ को सुना और उसकी बात पर विश्वास करना तथा उसे मानना सीखा, और वह परमेश्वर का निडर और विश्वासयोग्य सेवक बन सका, तथा, "...यहोवा ने अपने आप को शीलो में शमूएल पर अपने वचन के द्वारा प्रगट किया" (पद 21)।

   जब कभी हम परमेश्वर के अध्ययन के लिए बैठें, या परमेश्वर के वचन पर आधारित कोई प्रचार सुनें, या प्रार्थना में परमेश्वर के सामने आएं, तो हमारे लिए बहुत अच्छा होगा कि हम परमेश्वर से कहें, "हे प्रभु यीशु मुझसे बोलिए। मैं सुनने के लिए आतुर और आज्ञा मानने के लिए तैयार हूँ।" - डेविड मैक्कैसलैण्ड


परमेश्वर अपने वचन में हो कर उन से बोलता है जो सच्चे मन से उसकी सुनने और मानने को तैयार रहते हैं।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:11 

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 3:1-10
1 Samuel 3:1 और वह बालक शमूएल एली के साम्हने यहोवा की सेवा टहल करता था। और उन दिनों में यहोवा का वचन दुर्लभ था; और दर्शन कम मिलता था। 
1 Samuel 3:2 और उस समय ऐसा हुआ कि (एली की आंखे तो धुंघली होने लगी थीं और उसे न सूझ पड़ता था) जब वह अपने स्थान में लेटा हुआ था, 
1 Samuel 3:3 और परमेश्वर का दीपक अब तक बुझा नहीं था, और शमूएल यहोवा के मन्दिर में जहाँ परमेश्वर का सन्दूक था लेटा था; 
1 Samuel 3:4 तब यहोवा ने शमूएल को पुकारा; और उसने कहा, क्या आज्ञा! 
1 Samuel 3:5 तब उसने एली के पास दौड़कर कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। वह बोला, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह। तो वह जा कर लेट गया। 
1 Samuel 3:6 तब यहोवा ने फिर पुकार के कहा, हे शमूएल! शमूएल उठ कर एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। उसने कहा, हे मेरे बेटे, मैं ने नहीं पुकारा; फिर जा लेट रह। 
1 Samuel 3:7 उस समय तक तो शमूएल यहोवा को नहीं पहचानता था, और न तो यहोवा का वचन ही उस पर प्रगट हुआ था। 
1 Samuel 3:8 फिर तीसरी बार यहोवा ने शमूएल को पुकारा। और वह उठके एली के पास गया, और कहा, क्या आज्ञा, तू ने तो मुझे पुकारा है। तब एली ने समझ लिया कि इस बालक को यहोवा ने पुकारा है। 
1 Samuel 3:9 इसलिये एली ने शमूएल से कहा, जा लेट रहे; और यदि वह तुझे फिर पुकारे, तो तू कहना, कि हे यहोवा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है तब शमूएल अपने स्थान पर जा कर लेट गया। 
1 Samuel 3:10 तब यहोवा आ खड़ा हुआ, और पहिले की नाईं पुकारा, शमूएल! शमूएल! शमूएल ने कहा, कह, क्योंकि तेरा दास सुन रहा है।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 10-12


मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

प्रश्न


   जब मैं पढ़ा रही होती हूँ तब अपने शिषयों को प्रोत्साहित करती हूँ कि वे प्रश्न पूछें। ऐसा करके मैं उन्हें यह नहीं कह रही हूँ कि वे मुझे चुनौती दें; मैं उन्हें इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रही हूँ कि वे अपनी जिज्ञासाओं को शांत करें और जो नहीं समझ पाए हैं उसे समझ लें। क्योंकि स्वभाव से ही हम उसे अधिक महत्व देते हैं जो हम स्वयं जानना चाहते हैं बजाए उसके जो दूसरे हमें बताना चाहते हैं इसलिए कुछ शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बजाए दूसरों के सामने केवल बोलते रहने के, प्रश्न-उत्तर के द्वारा एक शिक्षक अधिक अच्छी रीति से पढ़ा सकता है।

   दोनों ही प्रकार की शिक्षाओं का अपना अपना स्थान है, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में शिक्षा प्रदान करने का सबसे पहला उदाहरण प्रश्न पूछे जाने के द्वारा का है। मिस्त्र के दासत्व से छुड़ाए जाकर, कनान देश की ओर कूच करने से पहले, परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा दी कि वह एक ऐसी रीति, अर्थात फसह का पर्व, स्थापित करे जिसमें प्रश्न पूछना स्वाभाविक और महत्वपूर्ण था। यह पर्व व्यसकों को परमेश्वर द्वारा दासत्व से छुड़ाए जाने को स्मरण कराता है और बच्चों को उसके विषय में पूछने को प्रोत्साहित करता है (निर्गमन 12:26)।

   "क्यों" एक खीझ दिलाने वाला प्रश्न हो सकता है, लेकिन यह हमारे लिए अपने विश्वास को बाँटने का भी एक अच्छा अवसर प्रदान करने वाला प्रश्न भी हो सकता है (1 पतरस 3:15)। जब कोई प्रश्न पूछे तब खिसियाने के बजाए हमें धन्यवादी होना चाहिए कि उनमें जानने और सीखने की जिज्ञासा है, और हमें धैर्य, सहिषुण्ता और प्रेम के साथ उनके प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए, यह स्मरण रखते हुए कि हमारे शब्दों के अनन्तकालीन परिणाम भी हो सकते हैं।

   प्रश्नों को नज़रन्दाज़ ना करें, उन्हें अवसर जान कर उनका सदुपयोग करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


सच्चे प्रश्न विश्वास स्थापित करने और बढ़ाने का माध्यम हो सकते हैं।

पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। - 1 पतरस 3:15 

बाइबल पाठ: निर्गमन 12:1-13
Exodus 12:1 फिर यहोवा ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा, 
Exodus 12:2 कि यह महीना तुम लोगों के लिये आरम्भ का ठहरे; अर्थात वर्ष का पहिला महीना यही ठहरे। 
Exodus 12:3 इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो, कि इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक एक मेम्ना ले रखो। 
Exodus 12:4 और यदि किसी के घराने में एक मेम्ने के खाने के लिये मनुष्य कम हों, तो वह अपने सब से निकट रहने वाले पड़ोसी के साथ प्राणियों की गिनती के अनुसार एक मेम्ना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेम्ने का हिसाब करना। 
Exodus 12:5 तुम्हारा मेम्ना निर्दौष और पहिले वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से। 
Exodus 12:6 और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन गोधूलि के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें। 
Exodus 12:7 तब वे उसके लोहू में से कुछ ले कर जिन घरों में मेम्ने को खाएंगे उनके द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएं। 
Exodus 12:8 और वे उसके मांस को उसी रात आग में भूंजकर अखमीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएं। 
Exodus 12:9 उसको सिर, पैर, और अतडिय़ों समेत आग में भूंजकर खाना, कच्चा वा जल में कुछ भी पकाकर न खाना। 
Exodus 12:10 और उस में से कुछ बिहान तक न रहने देना, और यदि कुछ बिहान तक रह भी जाए, तो उसे आग में जला देना। 
Exodus 12:11 और उसके खाने की यह विधि है; कि कमर बान्धे, पांव में जूती पहिने, और हाथ में लाठी लिये हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का पर्ब्ब होगा। 
Exodus 12:12 क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से हो कर जाऊंगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूंगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा; मैं तो यहोवा हूं। 
Exodus 12:13 और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लोहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 7-9


सोमवार, 17 फ़रवरी 2014

शिक्षक


   मेरे पारिवारिक फोटो संग्रह में एक ऐसी फोटो है जहाँ मेरी बेटी, जब वह 4 वर्ष की थी, अपने हाथ में एक छोटी खिलौने वाली हथौड़ी लिए, मेरे साथ हमारे घर की खिड़की की मरम्मत का कार्य करती दिख रही है। उस दिन हम दोनों ने साथ साथ मिलकर घर की मरम्मत का काम किया था, मैं जो जो कर रहा था उसकी वह नकल करती जा रही थी, इस बात में बिलकुल निश्चित कि वह भी घर की मरम्मत में यथासंभव योगदान कर रही है। शायद ही किसी अन्य अवसर पर मुझे काम करने से ऐसा आनन्द आया होगा जैसा इस अवसर पर आया था।

   वह फोटो मुझे स्मरण कराती है कि हमारे बच्चे जो हम अभिभावकों में वार्तालाप और कार्यों में देखते हैं उसी का अनुसरण स्वयं भी करते हैं वैसे ही करते हैं। साथ ही उनके मनों में परमेश्वर की छवि भी हमारे द्वारा ही निर्धारित होती है। यदि हम कठोर और दयारहित होंगे तो सम्भवतः वे परमेश्वर को भी ऐसा ही समझेंगे। यदि हम उन से दूरी बना कर रखते हैं, उनके प्रति असंवेदनशील होते हैं तो उन्हें परमेश्वर भी ऐसा ही प्रतीत होगा। हम अभिभावकों की यह बहुत महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है कि हम अपने बच्चों के मनों में परमेश्वर कि सही पहचान और छवि बना कर दे सकें, विशेषकर परमेश्वर के निस्वार्थ और बिना किसी शर्त के प्रेम के बारे में।

   अपनी कलपना में मैं यह विचार रख सकता हूँ कि मुझे लेकर मेरे पिता परमेश्वर के पास भी एक ऐसा ही फोटो संग्रह होगा। मैं भी परमेश्वर से सीख रहा हूँ कि जीवन कैसे जीना है, प्रेम कैसे करना है, परमेश्वर को अपने जीवन का अभिन्न अंग कैसे बनाना है। मुझे यह सब सिखा कर परमेश्वर तैयार कर रहा है कि मैं भी इन बातों को दूसरों को सिखाने वाला बन सकूँ (व्यवस्थाविवरण 6:1-7)।

   परमेश्वर हमें ऐसी समझ प्रदान करे कि हम उसे जान कर यह बुद्धिमता दूसरों को भी पहुँचाने-सिखाने वाले अच्छे शिक्षक बन सकें। - रैन्डी किल्गोर


यदि आप परमेश्वर से भलि-भांति सीखेंगे तो अपने बच्चों को भी भलि-भांति सिखाने पाएंगे।

और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो। - इफिसियों 6:4

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 6:1-9
Deuteronomy 6:1 यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिकारी होने को पार जाने पर हो; 
Deuteronomy 6:2 और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे। 
Deuteronomy 6:3 हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ। 
Deuteronomy 6:4 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है; 
Deuteronomy 6:5 तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना। 
Deuteronomy 6:6 और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; 
Deuteronomy 6:7 और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। 
Deuteronomy 6:8 और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी कर के बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें। 
Deuteronomy 6:9 और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 4-6


रविवार, 16 फ़रवरी 2014

स्थिर और सामर्थी


   क्योंकि मैंने बहुत से लेख और एक पुस्तक जीवन में होने वाली दुर्घटनाओं और उनके नुकसान विषय पर लिखी है इसलिए मेरा परिचय कई ऐसे लोगों के साथ हो गया है जिन्हें अपनी जीवन यात्रा में नुकसानों को झेलना पड़ा है या झेल रहे हैं। ऐसी ही मेरी एक नई परिचित है एक महिला जिसकी 21 वर्षीय पुत्री की आकस्मक मृत्यु हो गई जिससे उसके पैरों तले मानों ज़मीन ही खिसक गई। उस महिला ने मुझ से कहा, "इस दुर्घटना के कारण मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे मैं सामन्य जीवन से निशकासित कर दी गई हूँ, कुचल दी गई हूँ; मेरी आत्मा में अत्यन्त वेदना है"।

   यह सच है कि हमारे जीवन में आने वाले ये नुकसान - किसी प्रीय जन की मृत्यु, कोई बच्चा जो परिवार और परमेश्वर को छोड़ कर चला जाए, कोई शारीरिक अथवा मानसिक आघात आदि हमें बहुत आहत कर सकते हैं। लेकिन मैंने और मेरे समान अन्य मसीही विश्वासियों ने भी अपने जीवन के कटु अनुभवों से सीखा है ऐसे में भी हमारा परमेश्वर हमारे साथ ही होता है, हमारे दुख में दुखी होता है और हमें उस परिस्थिति पर जयवन्त होने की सामर्थ देता है और हमारे लिए उस से भी कुछ भला ही उत्पन्न करता है। इसलिए हम भजनकार के साथ कह सकते हैं कि, "परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक" (भजन 46:1)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के नायकों के जीवन में हम इस बात को बहुधा पाते हैं। उन सभी के लिए जीवन कभी सरल नहीं था, उन्हें नाम और शौहरत आसानी से नहीं मिली; दुख, कठिनाईयाँ, विपरीत परिस्थितियाँ उनके जीवन का अभिन्न अंग रहीं लेकिन इन सब में उन्होंने परमेश्वर की निकटता को अनुभव किया और परमेश्वर की सामर्थ को प्राप्त किया जो उन्हें इन सभी परिस्थितियों से पार निकालती ले गई और अन्ततः वे इन सब अनुभवों और इन में होकर मिली आशीषों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करने पाए, परमेश्वर पर उन का भरोसा और दृढ़ ही हो गया।

   जब जीवन अनायास ही पैरों तले ज़मीन खिसका दे, तो ऊपर परमेश्वर की ओर देखें। वह सब देख रहा है, उसकी नज़र सब पर बनी रहती है, वह सब जानता और समझता है। यह सरल तो नहीं होगा लेकिन यह बात विश्वासयोग्य है - अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दीजिए, वह आपको उठाकर पुनः खड़ा करेगा, फिर स्थिर करेगा, फिर सामर्थ देगा। - डेव ब्रैनन


पृथ्वी के दुख जैसे स्वर्ग में अनुभव होते हैं उससे बढ़कर और कहीं नहीं होते।

यहोवा पिसे हुओं के लिये ऊंचा गढ़ ठहरेगा, वह संकट के समय के लिये भी ऊंचा गढ़ ठहरेगा। - भजन 9:9

बाइबल पाठ: भजन 116:1-6
Psalms 116:1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है। 
Psalms 116:2 उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा। 
Psalms 116:3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। 
Psalms 116:4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुन कर मेरे प्राण को बचा ले! 
Psalms 116:5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करने वाला है। 
Psalms 116:6 यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 1-3


शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

सन्तुष्टि


   मेरी बेटी अब बोलने लगी है, तथा उसने एक शब्द सीख लिया है जो उसे बहुत प्रीय है - ’और’। वो हर बात जो उसे पसन्द है उसके लिए वह कहती है ’और’; जैसे, ’और’ कहते हुए वह टोस्ट और जैम की ओर इशारा करेगी, मेरे पति ने हाल ही में उसकी गुल्लक में डालने के लिए उसे कुछ सिक्के दिए तो उसने हाथ फैला कर उनसे कहा ’और’। एक प्रातः जब मेरे पति काम के लिए निकले तो वो पीछे से पुकारने लगी ’और पापा’।

   जैसे मेरी वह छोटी बेटी करती है वैसे ही हम व्यसक भी प्रायः अपने चारों ओर की वस्तुओं या किसी अन्य के पास की चीज़ों को देखकर कहते रहते हैं, ’और’; दुर्भाग्यवश हमारे लिए पर्याप्त कभी पर्याप्त नहीं होता, हमें भी हर चीज़ अधिक, और अधिक ही चाहिए होती है। सांसारिक बातों की इस लालसा और लालच की मनसा से बच पाने की सामर्थ केवल प्रभु यीशु में होकर ही हमें मिल सकती है। जैसा प्रेरित पौलुस ने अपने अनुभव के आधार पर कहा, "यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं" (फिलिप्पियों 4:11) वैसे ही हमारे लिए भी यही सामर्थ पौलुस के समान ही उप्लब्ध है।

   जब पौलुस कहता है कि "मैं ने यह सीखा है" तो इससे मैं समझती हूँ कि पौलुस के लिए परिस्थितियाँ सरल अथवा सहज नहीं थी। हम जानते हैं कि उसे अपने मसीही विश्वास के जीवन में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा; यह सन्तोष करना सीखने के लिए उसे अभ्यास आवश्यक था। जब हम पौलुस के जीवन को परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं तो पाते हैं कि उसके जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आए; वह कठिनाईयों में रहा, सांप से भी डसा गया, झूठे आरोपों का शिकार हुआ, मारा-पीटा भी गया, तिरस्कृत भी हुआ इत्यादि लेकिन वह आत्माओं को बचाने और मसीही विश्वासियों की मण्डलियाँ स्थापित करने में लगा ही रहा और इन सब कठिनाईयों में कहता रहा कि उसकी आत्मा की तृप्ति का स्त्रोत प्रभु यीशु ही है। उसने प्रभु यीशु के सन्दर्भ में कहा, "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों 4:13)। प्रभु यीशु ने उसे वह आत्मिक बल दिया था जो उसे कठिनाईयों के समयों में संभालता था और बहुतायत तथा समृद्धि के समयों के फंदों से बच कर निकलना भी सिखाता था।

   यदि आप भी अपने जीवन में ’और’, ’और’, ’और’ की लालसा को कार्य करते हुए पाते हैं तो पौलुस के उदाहरण पर ध्यान कीजिए और स्मरण रखिए कि वास्तविक सन्तुष्टि प्रभु यीशु में अधिकाई से बने रहने में ही है ना कि सांसारिक वस्तुओं की बहुतायत के होने से। - जेनिफर बेनसन शुल्ट


सच्ची सन्तुष्टि इस नश्वर संसार की किसी वस्तु भी वस्तु पर निर्भर ना रहने में है।

और उस[प्रभु यीशु]ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। - लूका 12:15

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:10-20
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला। 
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं। 
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। 
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। 
Philippians 4:14 तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए। 
Philippians 4:15 और हे फिलप्‍पियो, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहयता नहीं की। 
Philippians 4:16 इसी प्रकार जब मैं थिस्सलुनीके में था; तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्या वरन दो बार कुछ भेजा था। 
Philippians 4:17 यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए। 
Philippians 4:18 मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है। 
Philippians 4:19 और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। 
Philippians 4:20 हमारे परमेश्वर और पिता की महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 34-36


शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

मित्र


   सिसरो रोमी साम्राज्य का एक महानतम दार्शनिक था। वह एक कुशल वक्ता, अधिवक्ता, राजनैतिज्ञ, भाषा ज्ञानी और लेखक था। आज भी उसके व्यावाहारिक ज्ञान और स्पष्ट कथनों के लिए उसे स्मरण किया जाता है। उदाहरणस्वरूप उसने मित्रता के विषय में कहा: "मित्र हमारे आनन्द को दोगुना कर देते हैं और शोक को विभाजित करके उसे घटा देते है"। उसने जीवन यात्रा में मित्रता के दोहरे लाभ को पहचाना था।

   उसके लगभग एक सहस्त्र वर्ष पूर्व राजा सुलेमान ने भी मित्रता के विषय में लिखा था। सुलेमान द्वारा लिखी परमेश्वर के वचन बाइबल की सभोपदेशक नामक पुस्तक में लिखा है: "एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो" (सभोपदेशक 4:9-10)। निश्चय ही बिना किसी मित्र के हमारी जीवन यात्रा एकाकी और कठिन होती है।

   रोमी सिसरो और यहूदी राजा सुलेमान, दोनों ने बिलकुल सही कहा है, मित्र बहुत आवश्यक हैं। अच्छे मित्र नेक सलाहकार, बोझ बाँटने वाले और मन की बात समझने वाले सहायक होते हैं। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले अपने चेलों से कहा, "...मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना 15:15)। प्रभु यीशु एक ऐसा मित्र है जो सदा साथ रहता है, सदा सहायक होता है और सदा विश्वासयोग्य रहता है। क्या आपने प्रभु यीशु को अपना मित्र बना लिया है? - डेनिस फिशर


जीवन की बगिया में मित्र सुगन्धित फूलों के समान होते हैं।

मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है। - नीतिवचन 17:17

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 4:9-12;  यूहन्ना 15:12-16
Ecclesiastes 4:9 एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। 
Ecclesiastes 4:10 क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो। 
Ecclesiastes 4:11 फिर यदि दो जन एक संग सोए तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला क्योंकर गर्म हो सकता है? 
Ecclesiastes 4:12 यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका साम्हना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।

John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 31-33


गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

समाधान


   दाऊद ने आह भरी, "और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!" (भजन 55:6); यदि मैं दाउद के स्थान पर होता तो मैं भी कामना करता की कहीं दूर ऊँची पहाड़ियों पर या किसी ऊँची मीनार में जाकर बैठ जाऊँ। जब जीवन भारी हो जाता है तो मैं भी दाऊद के समान बचकर कहीं शान्त स्थान पर चले जाने को लालायित हो जाता हूँ।

   दाऊद ने इस भजन में अपनी परिस्थितियों के विषय में खुल कर लिखा है: झगड़े, शोषण और परेशानियाँ उसे चारों ओर से घेरे हुए थे, एक पुराने मित्र के धोखे ने उसे बड़ी विकट परिस्थिति में डाल दिया था (भजन 55:8-14)। भय, संकट, पीड़ा, कंपकंपाहट, चिंता आदि ने उसे अभिभूत कर दिया था (पद 4-5)। इन परिस्थितियों में वह बचकर कहीं उड़ जाने की इच्छा रखे तो यह कोई विचित्र बात नहीं है।

   लेकिन बच निकलना संभव नहीं था, उसे उन परिस्थितियों का सामना करना ही था। इसलिए उसने वह किया जो बुद्धिमानी की बात थी, उन विकट परिस्थितियों का सामना अपनी बुद्धि और सामर्थ से करने की बजाए, उसने उन परिस्थितियों को परमेश्वर को सौंप दिया जिससे परमेश्वर की सामर्थ से वह उनका सामना कर सके: "परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा" (भजन 55:16-17)।

   हमारी परिस्थितियाँ चाहे कुछ भी क्यों ना हों - एक बोझिल सेवकाई, कठिन विवाह बन्धन, बेरोज़गारी, गंभीर एकाकीपन, इत्यादि - हम उन सबको परमेश्वर को सौंप सकते हैं। जब उसने हमारे पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया तो क्या वह हमारे अन्य बोझों को नहीं लेगा? जब हम अपनी आत्मा के अनन्त स्थान के लिए उस पर भरोसा कर सकते हैं तो क्या अपनी वर्तमान परिस्थितियों के लिए नहीं कर सकते?

   दाऊद से सीखिए: "अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा" (भजन 55:22)। - डेविड रोपर


क्योंकि परमेश्वर हमारी चिंता करता है इसलिए हम अपनी चिंताएं उसे सौंप सकते हैं।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: भजन 55:1-23
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़! 
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं। 
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। 
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। 
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! 
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता, 
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।
Psalms 55:9 हे प्रभु, उन को सत्यानाश कर, और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे; क्योंकि मैं ने नगर में उपद्रव और झगड़ा देखा है। 
Psalms 55:10 रात दिन वे उसकी शहरपनाह पर चढ़कर चारों ओर घूमते हैं; और उसके भीतर दुष्टता और उत्पात होता है। 
Psalms 55:11 उसके भीतर दुष्टता ने बसेरा डाला है; और अन्धेर, अत्याचार और छल उसके चौक से दूर नहीं होते।
Psalms 55:12 जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो मैं उस से छिप जाता। 
Psalms 55:13 परन्तु वह तो तू ही था जो मेरी बराबरी का मनुष्य मेरा परममित्र और मेरी जान पहचान का था। 
Psalms 55:14 हम दोनों आपस में कैसी मीठी मीठी बातें करते थे; हम भीड़ के साथ परमेश्वर के भवन को जाते थे। 
Psalms 55:15 उन को मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है।
Psalms 55:16 परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। 
Psalms 55:17 सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा। 
Psalms 55:18 जो लड़ाई मेरे विरुद्ध मची थी उस से उसने मुझे कुशल के साथ बचा लिया है। उन्होंने तो बहुतों को संग ले कर मेरा साम्हना किया था। 
Psalms 55:19 ईश्वर जो आदि से विराजमान है यह सुनकर उन को उत्तर देगा। ये वे हैं जिन में कोई परिवर्तन नहीं और उन में परमेश्वर का भय है ही नहीं।
Psalms 55:20 उसने अपने मेल रखने वालों पर भी हाथ छोड़ा है, उसने अपनी वाचा को तोड़ दिया है। 
Psalms 55:21 उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं।
Psalms 55:22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।
Psalms 55:23 परन्तु हे परमेश्वर, तू उन लोगों को विनाश के गड़हे में गिरा देगा; हत्यारे और छली मनुष्य अपनी आधी आयु तक भी जीवित न रहेंगे। परन्तु मैं तुझ पर भरोसा रखे रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 28-30


बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

अनसुनी प्रार्थना


   प्रेरित पौलुस की एक तीव्र इच्छा थी, कि उसके संगी यहूदी भी प्रभु यीशु मसीह को पहचान जाएं, उसका अंगीकार कर लें, चाहे इसके लिए उसे आप ही मसीह से श्रापित क्यों ना होना पड़े। इस विषय में उसने लिखा: "कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से शापित हो जाता" (रोमियों 9:2-3)। अपनी जात-भाईयों की भलाई की कामना करने के बाद भी उसके संगी यहूदियों ने प्रत्येक स्थान पर उसका और प्रभु यीशु तिरस्कार किया।

   उद्धार के विषय को लेकर पौलुस द्वारा लिखी गई उसकी सबसे उत्कृष्ट पत्री के मध्य भाग में उसने यहूदियों के प्रति अपनी इस लालसा और उससे संबंधित उसकी अनसुनी प्रार्थना की व्यथा को बड़े स्पष्ट शब्दों में लिखा है। इसी खण्ड में पौलुस ने इस बात का भी अंगीकार किया कि यहूदियों द्वारा प्रभु यीशु केतिरस्कार का प्रमाण यह हुआ कि गैर-यहूदियों ने प्रभु को स्वीकार कर लिया। इस बात पर विचार करते हुए पौलुस इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि चाहे यहूदियों ने परमेश्वर का तिरस्कार किया हो, परमेश्वर ने उनका तिरस्कार नहीं किया है, वरन अब यहूदियों को भी वही अवसर उपलब्ध है जो गैर-यहूदियों को उपलब्ध है। उनके तिरस्कार से परमेश्वर की दया और अनुग्रह का दायरा सिमट नहीं गया था वरन और व्यापक हो गया था।

   इस बात का एहसास करते ही पौलुस परमेश्वर की महानता के प्रति गद गद हो जाता है और उस से परमेश्वर की प्रशंसा के स्वर फूट निकलते हैं: "आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!" (रोमियों 11:33)

   परमेश्वर की युगों तक के लिए बनाई गई योजना को पहचानते ही उस योजना की महानता के सामने पौलुस की अनसुनी प्रार्थनाएं और अनसुलझे रहस्यों की गुत्थी तुरंत महत्वहीन हो गई। वह अनसुनी प्रार्थना ही पौलुस को उस महान रहस्य के समक्ष ले कर आई जिसने पौलुस के मन को शान्त कर दिया, वह अपने और परमेश्वर के दृष्टिकोण के अन्तर को समझने पाया, और अपनी उस अनसुनी प्रार्थना को लेकर उसकी व्यथा जाती रही।

   क्या आप भी किसी ऐसी ही अनसुनी प्रार्थना को लेकर जूझ रहे हैं, व्याकुल हैं? प्रार्थना जो आपको तो बिलकुल जायज़ और उचित लगती है परन्तु परमेश्वर की ओर से उसका कोई उत्तर आ नहीं रहा है। परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखिए और उसके हाथों में सब कुछ छोड़ दीजिए। उसकी योजनाएं सिद्ध और उसकी विधियाँ अद्भुत हैं; वह जो करता है, भले ही के लिए करता है। - फिलिप यैन्सी


प्रार्थना विश्वास में चलते रहने और थकित ना होने की सामर्थ देती है।

क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है। - यशायाह 55:9

बाइबल पाठ: रोमियों 11:26-36
Romans 11:26 और इस रीति से सारा इस्त्राएल उद्धार पाएगा; जैसा लिखा है, कि छुड़ाने वाला सियोन से आएगा, और अभक्ति को याकूब से दूर करेगा। 
Romans 11:27 और उन के साथ मेरी यही वाचा होगी, जब कि मैं उन के पापों को दूर कर दूंगा। 
Romans 11:28 वे सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से बाप दादों के प्यारे हैं। 
Romans 11:29 क्योंकि परमेश्वर अपने वरदानों से, और बुलाहट से कभी पीछे नहीं हटता। 
Romans 11:30 क्योंकि जैसे तुम ने पहिले परमेश्वर की आज्ञा न मानी परन्तु अभी उन के आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई। 
Romans 11:31 वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी कि तुम पर जो दया होती है इस से उन पर भी दया हो। 
Romans 11:32 क्योंकि परमेश्वर ने सब को आज्ञा न मानने के कारण बन्द कर रखा ताकि वह सब पर दया करे।
Romans 11:33 आहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! 
Romans 11:34 प्रभु की बुद्धि को किस ने जाना या उसका मंत्री कौन हुआ? 
Romans 11:35 ​या किस ने पहिले उसे कुछ दिया है जिस का बदला उसे दिया जाए। 
Romans 11:36 क्योंकि उस की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है: उस की महिमा युगानुयुग होती रहे: आमीन।

एक साल में बाइबल: 
गिनती 25-27

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

वाचा


   हमारा एक मित्र कंप्यूटर पर बहुत कार्य करता है। एक रात्रि जब हमारा परिवार उसके घर पर था तो मैंने देखा कि उसने कंप्यूटर के मॉनिटर पर परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद कागज़ पर लिख कर लगाया हुआ था: "मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है..." (अय्युब 31:1)। प्रगट था कि वह घंटों तक अकेले इंटरनैट पर बैठकर कार्य करने के खतरों को समझता था; उसे एहसास था कि इंटरनैट पर अशोभनीय तस्वीरों और वेब साईट्स की कोई कमी नहीं है, जिनसे उसे सावधान और बच कर रहना है।

   जो पद मेरे उस मित्र ने अपने कंप्यूटर मॉनिटर पर लगाया था वह अय्युब द्वारा कही गई बात है जिसके शेष भाग में लिखा है: "...फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं?" अय्युब के समान हम में से बहुतेरे मसीही विश्वासियों ने भी अपने आप से वाचा बांधी है कि हम वासना से दूर रहेंगे। अपनी वाचा के बारे में अय्युब ने आगे कहा है: "क्या वह[परमेश्वर] मेरी गति नहीं देखता और क्या वह मेरे पग पग नहीं गिनता?"(अय्युब 31:4); बाइबल हमें स्पष्ट बताती है कि परमेश्वर हमें देखता है और हम उसके प्रति उत्तरदायी हैं (इब्रानियों 4:13)। हम मसीही विश्वासियों के लिए "क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो" (1 थिस्सलुनिकीयों 4:3)। संसार और समाज के लोग नैतिकता की सीमा को लेकर विवाद कर सकते हैं और करते भी हैं परन्तु हम मसीही विश्वासियों के लिए हमारे प्रभु यीशु ने यह सीमा पहले से निर्धारित कर रखी है: "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्‍टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका" (मत्ती 5:28)।

   यदि आप ने भी अपनी आँखों से अय्युब के समान वाचा बाँधी है, तो विचार कीजिए कि किस प्रकार परमेश्वर का वचन बाइबल आपकी सहायता कर सकती है। मेरे उस मित्र के समान आप भी कोई पद अपने कंप्यूटर मॉनिटर पर, अपने टेलिविज़न अथवा अपनी कार में अपने सामने लगा कर रख सकते हैं। यह स्मरण रखें कि, "क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है" (1 थिस्सलुनिकीयों 4:7) और अपनी वाचा पर स्थिर रहें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


एक ठहरी हुई दृष्टि मन को भटका सकती है।

और सृष्‍टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं। - इब्रानियों 4:13

बाइबल पाठ: अय्युब 31:1-4
Job 31:1 मैं ने अपनी आंखों के विषय वाचा बान्धी है, फिर मैं किसी कुंवारी पर क्योंकर आंखें लगाऊं? 
Job 31:2 क्योंकि ईश्वर स्वर्ग से कौन सा अंश और सर्वशक्तिमान ऊपर से कौन सी सम्पत्ति बांटता है? 
Job 31:3 क्या वह कुटिल मनुष्यों के लिये विपत्ति और अनर्थ काम करने वालों के लिये सत्यानाश का कारण नहीं है? 
Job 31:4 क्या वह मेरी गति नहीं देखता और क्या वह मेरे पग पग नहीं गिनता?

1 Thessalonians 4:1 निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ। 
1 Thessalonians 4:2 क्योंकि तुम जानते हो, कि हम ने प्रभु यीशु की ओर से तुम्हें कौन कौन सी आज्ञा पहुंचाई। 
1 Thessalonians 4:3 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो। 
1 Thessalonians 4:4 और तुम में से हर एक पवित्रता और आदर के साथ अपने पात्र को प्राप्त करना जाने। 
1 Thessalonians 4:5 और यह काम अभिलाषा से नहीं, और न उन जातियों की नाईं, जो परमेश्वर को नहीं जानतीं। 
1 Thessalonians 4:6 कि इस बात में कोई अपने भाई को न ठगे, और न उस पर दांव चलाए, क्योंकि प्रभु इन सब बातों का पलटा लेने वाला है; जैसा कि हम ने पहिले तुम से कहा, और चिताया भी था। 
1 Thessalonians 4:7 क्योंकि परमेश्वर ने हमें अशुद्ध होने के लिये नहीं, परन्तु पवित्र होने के लिये बुलाया है। 
1 Thessalonians 4:8 इस कारण जो तुच्‍छ जानता है, वह मनुष्य को नहीं, परन्तु परमेश्वर को तुच्‍छ जानता है, जो अपना पवित्र आत्मा तुम्हें देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 21-24


सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

दोषपूर्ण और सिद्ध


   एक जाने-पहचाने कलाकार ने एक बार टिप्पणी करी कि उसे चल-चित्रों में दोषपूर्ण चरित्र वाले किरदार निभाना अधिक पसन्द है क्योंकि दर्षक सिद्ध की बजाए दोषपूर्ण चरित्रों के साथ अपने आप को बेहतर जोड़ पाते हैं। हम में से अधिकांश इस बात से सहमत होंगे कि सिद्ध लोगों की बजाए हमें अपूर्ण लोगों को समझना अधिक सरल होता है क्योंकि हम जानते हैं कि हम भी अपूर्ण हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर ने ऐसे लोगों की कहानियाँ रखवाईं हैं जो ऐसे ही अपूर्ण थे - कोई धोखेबाज़, कोई कमज़ोर, कोई अविश्वासयोग्य तो कोई क्रोधी आदि। याकूब को ही लीजिए, अपने बड़े भाई की आशीषें हथियाने के लिए उसने बुढापे से लगभग अन्धे हो चले अपने पिता से झूठ बोला और अपने पिता तथा बड़े भाई दोनो को धोखा दिया (उत्पत्ति 27:1-29)। फिर गिदौन के बारे में विचार कीजिए जो डरपोक था, लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उसे चुना और इस्त्राएलियों के छुटकारे के लिए उसे इस्त्राएलियों का नेतृत्व करने का बीड़ा दिया; गिदौन को विश्वास नहीं हुआ और उसने दो बार परमेश्वर से उसके इस चुनाव और ज़िम्मेदारी दिए जाने की पुष्टि माँगी (न्यायियों 6:39)। और पतरस के विषय में तो हम जानते ही हैं कि वह कैसा बड़बोला था, और कैसे प्रभु से अपनी विश्वासयोग्यता के दावे करने के बाद उसने तीन बार प्रभु यीशु का इन्कार किया (मरकुस 14:66-72)।

   लेकिन इन सब पात्रों की कहानियाँ उनकी इन कमज़ोरियों और अयोग्यता के वर्णनों के साथ ही समाप्त नहीं हो जातीं। बाइबल हमें यह भी दिखाती है कि अपनी इन अपूर्णताओं और दोषों के बावजूद ये सब, और इनके जैसे अनेक अन्य लोग, परमेश्वर के लिए सामर्थी और उपयोगी हुए, परमेश्वर के लिए बड़े बड़े काम किए और अब इन सब के नाम बड़े आदर के साथ परमेश्वर के वचन में सदा सदा के लिए दर्ज हैं। वे लोग ऐसा तब कर पाए जब उन्होंने अपनी अयोग्यताओं की ओर नहीं वरन उन्हें सामर्थ देकर परिपूर्ण बनाने वाले परमेश्वर की ओर देखा और उसपर तथा उसकी योजनाओं और विधियों पर विश्वास किया।

   जैसे वे सब थे, जिन्हें आज हम विश्वास के योद्धा कहते हैं, वैसे ही आज हमारे जीवनों में भी दोष और कमज़ोरियाँ हैं। लेकिन वही परमेश्वर जिसने उनको सामर्थी और पराक्रमी बना दिया था, आज हमें भी वैसे ही अपनी महिमा के लिए उपयोग कर सकते है, यदि हम उसमें अपने विश्वास को दृढ़ करें, उसके आज्ञाकारी बनें और उसके दिखाए मार्ग पर चलते रहें; क्योंकि जैसे प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन के अनुभव से लिखा, "और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे" (2 कुरिन्थियों 12:9)। अपनी अविश्वासयोग्यता पर नहीं वरन परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा बनाए रखिए। - सिंडी हैस कैसपर


हमारा अपनी कमज़ोरियों को जानना भला है यदि वे हमें परमेश्वर की सामर्थ पर विश्वास करने की ओर ले जाती हैं।

वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। - यशायाह 40:29

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:32-40
Hebrews 11:32 अब और क्या कहूँ क्योंकि समय नहीं रहा, कि गिदोन का, और बाराक और समसून का, और यिफतह का, और दाऊद का और शामुएल का, और भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं। 
Hebrews 11:33 इन्‍होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त की, सिंहों के मुंह बन्‍द किए। 
Hebrews 11:34 आग की ज्‍वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले, निर्बलता में बलवन्‍त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। 
Hebrews 11:35 स्‍त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए; और छुटकारा न चाहा; इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। 
Hebrews 11:36 कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने; वरन बान्‍धे जाने; और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। 
Hebrews 11:37 पत्थरवाह किए गए; आरे से चीरे गए; उन की परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में और क्‍लेश में और दुख भोगते हुए भेड़ों और बकिरयों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे। 
Hebrews 11:38 और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। 
Hebrews 11:39 संसार उन के योग्य न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली। 
Hebrews 11:40 क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहिले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे।

एक साल में बाइबल: 

  • गिनती 18-20


रविवार, 9 फ़रवरी 2014

मृत्यु में महिमा


   हम जब जवान और बलवन्त होते हैं तब अकसर यह तो सोचते हैं कि किस प्रकार अपने जीवन से परमेश्वर की महिमा करें, लेकिन क्या हमें यह भी नहीं सोचना चाहिए कि हम अपनी मृत्यु के द्वारा भी परमेश्वर की महिमा करने पाएं?

   पतरस ने तीन बार प्रभु यीशु का इन्कार करा (युहन्ना 18:15-27) लेकिन फिर भी प्रभु यीशु ने उसे अवसर दिया कि वह प्रभु के प्रति अपने प्रेम को बता सके (युहन्ना 21:15-17); तीन बार प्रभु यीशु ने पतरस से पूछा, "क्या तू मुझ से प्रेम करता है?" और फिर तुरंत अनापेक्षित रीति से विषय बदलते हुए प्रभु यीशु ने पतरस से कहा, "मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले" (युहन्ना 21:18-19)। प्रभु यीशु ने पतरस से स्पष्ट कह दिया कि उसके जीवन में वह समय आएगा जब लोग उसे जबरन वहाँ ले जाएंगे जहाँ वह जाना नहीं चाहता, लेकिन मृत्यु की उस अनचाही रीति से भी वह परमेश्वर की महिमा करेगा।

   प्रेरित पौलुस ने भी कहा, "मैं तो यही हादिर्क लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं" (फिलिप्पियों 1:20)। मसीही मण्डली तथा मसीही विश्वासियों के इतिहास को यदि हम देखें तो ना केवल उस आरंभिक मण्डली के सदस्यों को, वरन प्रत्येक काल और स्थान पर मसीह के विश्वासियों को हमेशा ही सताव, क्लेष और संकट से होकर गुज़रना पड़ा है और बहुतों ने अपने विश्वास के लिए प्राण बलिदान करके अपने विश्वास की सार्थकता प्रमाणित करी है, प्रभु के नाम को महिमा दी है।

   यह सौभाग्य केवल हम मसीही विश्वासियों ही को है कि हम ना केवल जीते जी अपने जीवनों से अपने और समस्त संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा करें, वरन अपनी मृत्यु के द्वारा भी अपने प्रभु को महिमा दे सकें। प्रार्थना में प्रभु से माँगिए कि ना केवल अपने जीवन से वरन अपनी मृत्यु से भी आप प्रभु यीशु की महिमा करने पाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड


आप परमेश्वर की अनूठी और अनुपम रचना हैं; अपने जीवन और अपनी मृत्यु, दोनो ही से, जो महिमा आप परमेश्वर को दे सकते हैं, वह कोई और नहीं दे सकता।

तब उन्होंने उस की बात मान ली; और प्रेरितों को बुलाकर पिटवाया; और यह आज्ञा देकर छोड़ दिया, कि यीशु के नाम से फिर बातें न करना। वे इस बात से आनन्‍दित हो कर महासभा के साम्हने से चले गए, कि हम उसके नाम के लिये निरादर होने के योग्य तो ठहरे। - प्रेरितों 5:40-41

बाइबल पाठ: युहन्ना 21:12-19
John 21:12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है। 
John 21:13 यीशु आया, और रोटी ले कर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी। 
John 21:14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए।
John 21:15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उसने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा। 
John 21:16 उसने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उसने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उसने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर। 
John 21:17 उसने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उसने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा। 
John 21:18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्‍धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्‍धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। 
John 21:19 उसने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-17


शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

भला परमेश्वर


   जोएल और लॉरेन ने वॉशिंगटन राज्य से वापस अपने राज्य मिशिगन लौट जाने का निर्णय लिया। जब जाने का दिन आया तो अपने शहर एडमन्ड्स की अन्तिम यादगार के लिए वे अपने मन पसन्द कैफे में गए और वहाँ की कॉफी पी, फिर अपनी पसन्दीदा किताबों की दुकान में जाकर उस शहर के नाम से जुड़े हुए आदर्श वाक्य के दो बड़े स्टिकर खरीदे, और अपनी यात्रा पर निकल पड़े।

   दो सप्ताह और 3000 मील की यात्रा करने के बाद वे मिशिगन राज्य में दाखिल हुए। अपने राज्य में अपनी वापसी की खुशी मनाने और अपनी भूख को मिटाने के लिए उन्होंने किसी रेस्टोरेन्ट का पता पूछा तो मालुम हुआ कि वह कुछ मील पीछे रह गया है और उन्हें उतना वापस लौटना पड़ा। वह एक छोटा किंतु सुन्दर कैफे था, जिसमें एक महिला वेटर्स एम्मा ने उनके लिए प्रबंध किया। एम्मा को यह जानकर बहुत खुशी हुई कि उसके ये दोनों ग्राहक एम्मा के प्रदेश वॉशिंगटन से आए हैं। जब एम्मा ने उन दोनों से उनके शहर का नाम पूछा, और उन्होंने उत्तर दिया ’एडमन्ड्स’ तो एम्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एम्मा की खुशी को और बढ़ाने के लिए जोएल ने कार से लाकर उसे ’एडमन्ड्स’ शहर के आदर्श वाक्य वाला वह बड़ा सा स्टिकर भेंट किया। जब एम्मा ने उसके बारे में उन से पूछा तो मालुम हुआ कि जिस दुकान से जोएल और लॉरेन ने वह स्टिकर खरीदा था वह एम्मा की माताजी की दुकान थी। वह स्टिकर माँ के हाथों से निकलकर 3000 मील की यात्रा करने के बाद दो अजनबियों के द्वारा बेटी के हाथों तक पहुँच गया था।

   क्या यह सब महज़ एक संयोग है? या फिर यह उस भले परमेश्वर के कार्यों का एक नमूना है जो अपने बच्चों की खुशी के लिए कार्य करता रहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन नामक पुस्तक में लिखा है: "मनुष्य का मार्ग यहोवा की ओर से ठहराया जाता है..." (नीतिवचन 20:24)। उस भले परमेश्वर के भलाई के कार्यों के लिए आईए उसके प्रति धन्यवादी हों, उसकी आराधना करें। - एनी सेटास


प्रत्येक भला उपहार परमेश्वर पिता से आता है।

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करूणा सदा की है। - भजन 136:1

बाइबल पाठ: भजन 100:1-5
Psalms 100:1 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो! 
Psalms 100:2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ! 
Psalms 100:3 निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।। 
Psalms 100:4 उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो! 
Psalms 100:5 क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये, और उसकी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।

एक साल में बाइबल: 

  • गिनती 11-14